लड़के वाले दहेज की मांग कर रहे हैं, मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल

मैं 21 वर्षीय युवती हूं. मेरी सगाई हुए 7 महीने हो चुके हैं. मेरे घर वालों ने सगाई में काफी पैसा लगाया था. शायद इसीलिए लड़के वाले बेशर्मी से मुंह खोल कर विवाह में लेनदेन की मांग कर रहे हैं. अपनी हैसियत से तो मेरे घर वाले करेंगे ही पर इस तरह से अनापशनाप मांगें सुन कर मेरा इस शादी से मन उठ गया है. मैं ने मां से साफसाफ कहा है कि वे इस रिश्ते को तोड़ दें पर उन का कहना है कि इस से बदनामी होगी और फिर मेरा भविष्य में कहीं रिश्ता नहीं होगा. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

आप को इस बारे में अपने मंगेतर से बात करनी चाहिए. हो सकता है कि लड़का घर वालों की इस मंशा से बेखबर हो. यदि लड़का भी इस सब में शामिल है तो आप को उस से शादी कतई नहीं करनी चाहिए. ऐसे लालची लोग ताउम्र आप को और आप के घर वालों को परेशान करते रहेंगे. सगाई तोड़ने के बाद आप की बदनामी होगी और फिर कहीं और रिश्ता नहीं होगा, यह बात सरासर गलत है. ऐसा कुछ नहीं होगा. हां, नया रिश्ता मिलने में थोड़ा समय लग सकता है. पर अभी आप की उम्र बहुत कम है, इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है.

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दहेज प्रथा भारत में प्रचलित कोई अनोखी प्रथा नहीं है. अलगअलग नाम और रूप से यह प्राचीन रोम, ग्रीस, यूनान, मिस्र जैसे दूसरे देशों में भी प्रचलित रही. यूरोप में प्रचलित दहेज प्रथा की झलक शेक्सपियर के नाटकों में मिलती है. एशियाई देशों में भी कमोबेश अंतर के साथ दहेज लेनादेना कायम रहा है.

दहेज का मूल उद्देश्य नवविवाहित दंपती को गृहस्थी जमाने में मदद करना होता है. कुछ लोग इसे उपहार का नाम भी देते हैं. यह प्रथा आज से नहीं, सदियों से चली आ रही है. उदाहरण के लिए रामायण काल का जिक्र किया जा सकता है. वाल्मीकि रामायण में साफ लिखा है कि विदेहराज ने सीता के विवाह में दहेज में बहुत सा धन और कई लाख गाएं दीं. इस के अतिरिक्त अच्छेअच्छे कंबल, रेशमी कपड़े, हाथीघोड़े, रथ, दासी के रूप में परम सुंदरी 100 कन्याएं काफी सेना, मूंगा आदि भेंट स्वरूपप्रदान किए.

आज भी समाज के पढ़ेलिखे वर्ग के लोग हों या मध्यवर्गीय, विवाह तय करते समय दहेज को चर्चा का आवश्यक हिस्सा बनाया जाता है. विवाह के समय दहेज की चीजों को सामाजिक हैसियत के रूप में प्रदर्शित किया जाता है. मुंहमांगा दहेज न मिलने पर लड़की की जिंदगी नरक बना दी जाती है. बात सिर्फ मारपीट तक ही सीमित नहीं रहती, वरन उसे जलाने या खुदकुशी के लिए मजबूर कर देने की घटनाएं भी आम हैं.

पौपुलेशन फाउंडेशन औफ इंडिया की ऐग्जिक्यूटिव डायरैक्टर, पूनम मुटरेजा कहती हैं, ‘‘भारत में दहेज प्रथा का ही परिणाम है कि औरतों को परिवार पर आर्थिक बोझ समझा जाता है. इस वजह से उन के साथ मारपीट जैसे अपराध किए जाते हैं. लिंग चयन और घरेलू हिंसा महिलाओं के साथ हो रहे भेदभाव का ही प्रदर्शन है.’’

क्या कहते हैं आंकड़े

नैशनल क्राइम रिकौर्ड्स ब्यूरो के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2012 में देश भर में कुल 8,233 दहेज हत्या के मामले दर्ज हुए. पुलिस थाने में पहुंची रिपोर्ट के अनुसार, तकरीबन हर घंटे एक औरत दहेज की बलि चढ़ा दी गई. वर्ष 2007 में यह संख्या 8,093 थी जो 2010 में 8,391 और 2011 में 8,618 हो गई.

नैशनल क्राइम रिकौर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी, 2001 से दिसंबर, 2012 तक दहेज हत्या के 91,202 मामले दर्ज कराए गए, जिन में से 84,013 पर कार्यवाही हुई. बाकी या तो तफतीश के दौरान छूट गए या उन की तफतीश की ही नहीं गई. 5,081 केसेज ऐसे भी थे, जो झूठे पाए गए थे.

रिट फाउंडेशन की प्रैसिडैंट, डा. चित्रा अवस्थी कहती हैं, ‘‘दहेज के मूल में पितृ सत्तात्मक पुरुषप्रधान समाज है. विवाह के बाद वधू वर के परिवार का हिस्सा बन जाती है और या तो उस के घर चली जाती है या उस के साथ नया घर बसाती है. पहले पत्नी स्वयं धनार्जन नहीं करती थी, इसलिए नए घर और गृहस्थी को बसाने में मदद के रूप में दहेज का रिवाज बना.

डेटिंग से करना चाहते हैं इंकार, तो Disrespect बिना करें मना

अक्सर एक लड़की और लड़के के बीच में धोड़ी नजदीकियां बढ़ने लगती हैं, तो वो एक दूसरे को डेट करने के बारे में सोचते हैं लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता कि बढ़ती हुई नजदीकियों का मतलब लव एंगल ही हो. हो सकता है कि यह एक तरफा प्रेम हो जिसके चलते आप सामने वाले को डेट करना ही नहीं चाहते हों.और आप सामने से उसे डेट के लिए मना कर दें. मुमकिन है कि आपका डेट परपोज़ल ठुकराना उसे अच्छा ना लगे.इसलिए अगर आप किसी के साथ डेटिंग के लिए नहीं जाना चाहते हैं, तो कुछ आसान टिप्स अपना सकते हैं. जिससे आप सामने वाले शख्स की भावनाओं को तकलीफ भी नहीं पहुंचाएंगे और अपनी बात भी कह देंगे.

आमने सामने करें बात

जब दो लोग आमने सामने बैठकर किसी विषय पर बात करते हैं तो उसका हल निकालना आसान भी होता है और एक दूसरे के प्रति गलत फ़हमी कि कुंजाइस भी कम हो जाती है इसलिए फोन या मैसेज के द्वारा नहीं बल्कि आमने सामने बैठकर डेटिंग के परपोज़ल को मना करें और हो सकें तो उसे मना करने का रिज़न भी बताएं.जिससे वो आपकी परेशानी को समझ सकें.

निंदा ना करें

अगर आप रिश्ते में नहीं आना चाहते हैं तो आप सामने वाले में खामियां ना निकालें बल्कि आप उसे जताएं कि आप उसकी भावनाओं की कदर करते हैं लेकिन आप उसके साथ इस रिश्ते को नहीं निभा पाएंगे .

दोस्त बने रहने का रखें प्रस्ताव

यदि सामने वाले इंसान की आपको लेकर सोच अच्छी है व व्यवहार में भी वह अच्छा है तो उसे हमेशा अच्छा दोस्त बने रहने का प्रस्ताव अवश्य रखें.ऐसा करने से उसकी फीलिंग्स भी हर्ट नहीं होगी और आपको एक अच्छा दोस्त भी मिलेगा.क्योंकि जरूरी नहीं की हर रिश्ता रोमांस से ही जुडा हो बल्कि कुछ रिश्ते भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं.

तीसरे को ना जोड़े

जब कोई रिश्ता दो लोगो की सोच मिलने से बनता है उसमे किसी तीसरे का काम नहीं होता, उसी तरह यदि आप सामने वाले से रिश्ता ना रखने की बात करते हैं तो उसमे भी किसी तीसरे को ना जोड़े क्योंकि ऐसा करने से सामने वाले को अधिक दुख पहुँचता है जिससे वह खुद को या आपको तकलीफ पहुंचाने तक की सोच सकता है.

टाले नहीं

अगर आप सामने वाले को लव पार्टनर नहीं बना सकते तो उसकी भावनाओं के साथ खेलें नहीं. कई लोग होते हैं जो डेट पर नहीं जाना चाहते और सामने वाले के प्रपोज़ल को टालते रहते हैं या इग्नोर करते हैं व उसे पैसे खर्च कराने का जरिया समझते हैं सच्चाई का पता चलने पर ऐसा करना आपके लिए घातक हो सकता है क्योंकि प्यार में धोखा खाने पर सामने वाला आपके प्रति आक्रमक भी हो सकता है.इसलिए उसकी फीलिंग्स को हर्ट ना करें.

विवाह का सुख तभी जब पतिपत्नी स्वतंत्र हों

रिद्धिमा अकसर बीमार रहने लगी है. मनोज के साथ उस की शादी को अभी सिर्फ 5 साल ही हुए हैं, मगर ससुराल में शुरू के 1 साल ठीकठाक रहने के बाद वह मुरझने सी लगी. शादी से पहले रिद्धिमा एक सुंदर, खुशमिजाज और स्वस्थ लड़की थी. अनेक गुणों और कलाओं से भरी हुई लड़की. लेकिन शादी कर के जब वह मनोज के परिवार में आई तो कुछ ही दिनों में उसे वहां गुलामी का एहसास होने लगा. दरअसल, उस की सास बड़ी तुनकमिजाज और गुस्से वाली है.

वह उस के हर काम में नुक्स निकालती है. बातबात पर उसे टोकती है. घर के सारे काम उस से करवाती है और हर काम में तमाम तानेउलाहने देती है कि तेरी मां ने तुझे यह नहीं सिखाया, तेरी मां ने तुझे वह नहीं सिखाया, तेरे घर में ऐसा होता होगा हमारे यहां ऐसा नहीं चलेगा जैसे कटु वचनों से उस का दिल छलनी करती रहती है.

रिद्धिमा बहुत स्वादिष्ठ खाना बनाती है मगर उस की सास और ननद को उस के हाथ का बना खाना कभी अच्छा नहीं लगा. वह उस में कोई न कोई कमी निकालती ही रहती है. कभी नमक तो कभी मिर्च ज्यादा का राग अलापती है. शुरू में ससुर ने बहू के कामों की दबे सुरों में तारीफ की मगर पत्नी की चढ़ी हुई भृकुटि ने उन्हें चुप करा दिया. बाद में तो वे भी रिद्धिमा के कामों में मीनमेख निकालने लगे.

रिद्धिमा का पति मनोज सब देखता है कि उस की पत्नी पर अत्याचार हो रहा है मगर मांबाप और बहन के आगे उस की जबान नहीं खुलती. मनोज के घर में रिद्धिमा खुद को एक नौकरानी से ज्यादा कुछ नहीं समझती है और वह भी बिना तनख्वाह की. इस घर में वह अपनी मरजी से कुछ नहीं कर सकती है.

ऐसी सोच क्यों

यहां तक कि अपने कमरे को भी यदि रिद्धिमा अपनी रुचि के अनुसार सजाना चाहे तो उस पर भी उस की सास नाराज हो जाती है और कहती है कि इस घर को मैं ने अपने खूनपसीने की कमाई से बनाया है, इसलिए इस में परिवर्तन की कोशिश भूल कर भी मत करना. मैं ने जो चीज जहां सजाई है वह वहीं रहेगी.

रिद्धिमा की सास ने हरकतों और अपनी कड़वी बातों से यह जता दिया है कि घर उस का है और उस के मुताबिक चलेगा. यहां रिद्धिमा या मनोज की पसंद कोई मतलब नहीं रखती है.

5 साल लगातार गुस्सा, तनाव और अवसाद में ग्रस्त रिद्धिमा आखिरकार ब्लडप्रैशर की मरीज बन चुकी है. इस शहर में न तो उस का मायका है और न दोस्तों की टोली, जिन से मिल कर वह अपने तनाव से थोड़ा मुक्त हो जाए. उस की तकलीफ दिनबदिन बढ़ रही है. सिर के बाल ?ाड़ने लगे हैं. चेहरे पर ?ांइयां आ गई हैं.

सजनेसंवरने का शौक तो पहले ही खत्म हो गया था अब तो कईकई दिन कपड़े भी नहीं बदलती है. सच पूछो तो वह सचमुच नौकरानी सी दिखने लगी है. काम और तनाव के कारण 3 बार मिसकैरिज हो चुका है. बच्चा न होने के ताने सास से अलग सुनने पड़ते हैं. अब तो मनोज की भी उस में दिलचस्पी कम हो गई है. उस की मां जब घर में टैंशन पैदा करती है तो उस की खीज वह रिद्धिमा पर निकालता है.

परंपरा के नाम पर शोषण

वहीं रिद्धिमा की बड़ी बहन कामिनी जो शादी के बाद से ही अपने सास, ससुर, देवर और ननद से दूर दूसरे शहर में अपने पति के साथ अपने घर में रहती है, बहुत सुखी, संपन्न और खुश है. चेहरे से नूर टपकता है. छोटीछोटी खुशियां ऐंजौए करती है. बातबात पर दिल खोल कर खिलखिला कर हंसती है. कामिनी जिंदगी का भरपूर आनंद उठा रही है. अपने घर की और अपनी मरजी की मालकिन है.

उस के काम में कोई हस्तक्षेप करने वाला नहीं है. अपनी इच्छा और रुचि के अनुसार अपना घर सजाती है. घर को डैकोरेट करने के लिए अपनी पसंद की चीजें बाजार से लाती है. पति भी उस की रुचि और कलात्मकता पर मुग्ध रहता है. बच्चों को भी अपने अनुसार बड़ा कर रही है. इस आजादी का ही परिणाम है कि कामिनी उम्र में बड़ी होते हुए भी रिद्धिमा से छोटी और ऊर्जावान दिखती है.

दरअसल, महिलाओं के स्वास्थ्य, सुंदरता, गुण और कला के विकास के लिए शादी के बाद पति के साथ अलग घर में रहना ही ठीक है. सास, ससुर, देवर, जेठ, ननदों से भरे परिवार में उन की स्वतंत्रता छिन जाती है.  हर वक्त एक अदृश्य डंडा सिर पर रहता है. उन पर घर के काम का भारी बोझ होता है. काम के बोझ के अलावा उन के ऊपर हर वक्त पहरा सा लगा रहता है.

हर वक्त पहरा क्यों

सासससुर की नजरें हर वक्त यही देखती रहती हैं कि बहू क्या कर रही है. अगर घर में ननद भी हो तो सास शेरनी बन कर बहू को हर वक्त खाने को तैयार रहती है. बेटी की तारीफ और बहू की बुराइयां करते उस की जबान नहीं थकती. ये हरकतें बहू को अवसादग्रस्त कर देती हैं. जबकि पति के साथ अलग रहने पर औरत का स्वतंत्र व्यक्तित्व उभर कर आता है. वह अपने निर्णय स्वयं लेती है. अपनी रुचि से अपना घर सजाती है.

अपने अनुसार अपने बच्चे पालती है और पति के साथ भी रिश्ता अलग ही रंग ले कर आता है. पतिपत्नी अलग घर में रहें तो वहां काम का दबाव बहुत कम होता है. काम भी अपनी सुविधानुसार और पसंद के अनुरूप होता है. इसलिए कोई मानसिक तनाव और थकान नहीं होती.

बच्चों पर बुरा असर

घर में ढेर सारे सदस्य हों तो बढ़ते बच्चों पर ज्यादा टोकाटाकी की जाती है. उन्हें प्रत्येक व्यक्ति अपने तरीके से सहीगलत की राय देता है, जिस से वे कन्फ्यूज हो कर रह जाते हैं. वे अपनी सोच के अनुसार सहीगलत का निर्णय नहीं ले पाते. एकल परिवार में सिर्फ मातापिता होते हैं जो बच्चे से प्यार भी करते हैं और उसे समझते भी हैं, तो बच्चा अपने फैसले लेने में कन्फ्यूज नहीं होता और सहीगलत का निर्णय कर पाता है.

लेकिन जहां ससुराल में सासबहू की आपस में नहीं बनती है तो वे दोनों बच्चों को 2 एकदूसरे के खिलाफ भड़काती रहती हैं. वे अपनी लड़ाई में बच्चों को हथियार की तरह इस्तेमाल करती हैं.

इस से बच्चों के कोमल मन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है. उन का विकास प्रभावित होता है. देखा गया है कि ऐसे घरों के बच्चे बहुत उग्र स्वभाव के, चिड़चिड़े, आक्रामक और जिद्दी हो जाते हैं. उन के अंदर अच्छे मानवीय गुणों जैसे मेलमिलाप, भाईचारा, प्रेम और सौहार्द की कमी होती है. वे अपने सहपाठियों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते.

अपना घर तो खर्चा कम

पतिपत्नी स्वतंत्र रूप से अपने घर में रहें तो खर्च कम होने से परिवार आर्थिक रूप से मजबूत होता है. मनोज का ही उदाहरण लें तो यदि किसी दिन उस को मिठाई खाने का मन होता है तो  सिर्फ अपने और पत्नी के लिए नहीं बल्कि उसे पूरे परिवार के लिए मिठाई खरीदनी पड़ती है.

पत्नी के लिए साड़ी लाए तो उस से पहले मां और बहन के लिए भी खरीदनी पड़ती है. पतिपत्ती कभी अकेले होटल में खाना खाने या थिएटर में फिल्म देखने नहीं जाते क्योंकि पूरे परिवार को ले कर जाना पड़ेगा. जबकि कामिनी अपने पति और दोनों बच्चों के साथ अकसर बाहर घूमने जाती है. वे रेस्तरां में मनचाहा खाना खाते हैं, फिल्म देखते हैं, शौपिंग करते हैं. उन्हें किसी बात के लिए सोचना नहीं पड़ता.

ऐसे अनेक घर हैं जहां 2 या 3 भाइयों की फैमिली एक ही छत के नीचे रहती है. वहां आए दिन ?ागड़े और मनमुटाव होती है. घर में कोई खाने की चीज आ रही है तो सिर्फ अपने बच्चों के लिए नहीं बल्कि भाइयों के बच्चों के लिए भी लानी पड़ती है. सभी के हिसाब से खर्च करना पड़ता है. यदि परिवार में कोई कमजोर है तो दूसरा ज्यादा खर्च नहीं करता ताकि उसे बुरा महसूस न हो.

मनोरंजन का अभाव

ससुराल में आमतौर पर बहुओं के मनोरंजन का कोई साधन नहीं होता है. उन्हें किचन और बैडरूम तक सीमित कर दिया जाता है. घर का टीवी अगर ड्राइंगरूम में रखा है तो उस जगह सासससुर और बच्चों का कब्जा रहता है. बहू अगर अपनी पसंद का कोई कार्यक्रम देखना चाहे तो नहीं देख सकती है.

अगर कभी पतिपत्नी अकेले कहीं जाना चाहें तो सब की निगाहों में सवाल होते हैं कि कहां जा रहे हो? क्यों जा रहे हो? कब तक आओगे? इस से बाहर जाने का उत्साह ही ठंडा हो जाता है.

ससुराल में बहुएं अपनी सहेलियों को घर नहीं बुलातीं, उन के साथ पार्टी नहीं करतीं, जबकि पतिपत्नी अलग घर में रहें तो दोनों ही अपने फ्रैंड्स को घर में बुलावे करते हैं, पार्टियां देते हैं और खुल कर ऐंजौए करते हैं.

जगह की कमी

एकल परिवारों में जगह की कमी नहीं रहती. वन बैडरूम फ्लैट में भी पर्याप्त जगह मिलती है. कोई रिस्ट्रिक्शन नहीं होती है. बहू खाली वक्त में ड्राइंगरूम में बैठे या बालकनी में, सब जगह उस की होती है, जबकि सासससुर की उपस्थिति में बहू अपने ही दायरे में सिमट जाती है. बच्चे भी दादादादी के कारण फंसाफंसा अनुभव करते हैं. खेलें या शोरगुल करें तो डांट पड़ती है.

स्वतंत्रता खुशी देती है

पतिपत्नी स्वतंत्र रूप से अलग घर ले कर रहें तो वहां हर चीज, हर काम की पूरी आजादी रहती है. किसी की कोई रोकटोक नहीं होती. जहां मन चाहा वहां घूम आए. जो मन किया वह बनाया और खाया. पकाने का मन नहीं है तो बाजार से और्डर कर दिया. जैसे चाहे वैसे कपड़े पहनें.

सासससुर के साथ रहने पर नौकरीपेशा महिलाएं उन की इज्जत का खयाल रखते हुए साड़ी या चुन्नी वाला सूट ही पहनती हैं, जबकि स्वतंत्र रूप से अलग रहने वाली औरतें सुविधा और फैशन के अनुसार जींसटौप, स्कर्ट, मिडी सब पहन सकती हैं. घर में पति के साथ अकेली हैं तो नाइट सूट या सैक्सी नाइटी में रह सकती हैं.

Valentine’s Day 2024: एकतरफा प्यार में क्या करें

सौरभ अपने रिश्तेदार के यहां शादी में गया था. वहां बरात में आई लड़की उसे पसंद आ गई. उसे देखते ही उस के मन में प्यार की कोंपलें फूटने लगीं, हृदय हिलोरें मारने लगा और वह उस का दीवाना हो गया.

बरात के विदा होने के साथ वह लड़की भी वापस चली गई. लेकिन, सौरभ एकतरफा प्यार में पागल हो चुका था. उसे कुछ सूझ नहीं रहा था. उसे गुमसुम देख एक दिन मां ने पूछा, ‘‘क्या बात है, बेटे, आजकल तुम्हारा मन किसी काम में नहीं लग रहा है? न ठीक से खातेपीते हो और न पढ़तेलिखते हो, गुमसुम बने रहते हो?’’

‘‘नहीं मौम, ऐसी कोई बात नहीं है,’’ सौरभ ने कहा था.

बेटे के उत्तर से मां निश्चिंत हो गईं. लेकिन सौरभ उस लड़की के लिए बेताब था. उस ने अपने रिश्तेदार से उस लड़की के बारे में जानने व उस से मिलने की इच्छा व्यक्त की.

उस के रिश्तेदार ने कहा, ‘‘कहीं तुम्हें शिखा से प्यार तो नहीं हो गया? मैं पहले बता दूं कि इस बारे में सोचना भी मत क्योंकि उस की सगाई हो चुकी है और 2 महीने बाद उस की शादी है.’’

सौरभ के तो पैरोंतले जमीन खिसक गई. उस के सारे सपने टूट गए. वह इतना डिप्रैस्ड हो गया कि खुदकुशी कर मौत को गले लगा लिया.

मीना बीए फाइनल ईयर में थी. उसे अपनी ही क्लास के लड़के रोहित से प्यार हो गया. लड़के के पिता केंद्र सरकार में सेवारत हैं. इसलिए उन का ट्रांसफर होता रहता है. रोहित काफी हैंडसम और होशियार था. कुछ ही समय में वह प्रोफैसरों का भी चहेता बन गया. मीना मन ही मन उसे चाहने लगी. उस ने अपने दिल की बात न तो अपनी सहेलियों को बताई और न ही घर पर. इस बारे में रोहित से बात करने का वह साहस नहीं जुटा सकी.

खैर, उस का बीए पूर्ण हो गया और रोहित के पिता का ट्रांसफर चेन्नई हो गया. उस के चले जाने पर वह उस के खयालों में खोई रहती. वह उस के प्यार में इस कदर पागल हो गई कि खानापीना तक  छोड़ दिया. मां ने उस से उस के उखड़े मूड के बारे में पूछा तो उस ने कोई सीधा उत्तर नहीं दिया. मां ने अपनी बहू से कहा कि वह मीना से बात कर पता लगाए कि वह इतनी खोईखोई क्यों रहती है.

भाभी के समक्ष मीना खुल गई और उस ने अपने एकतरफा प्यार के बारे में बताया. भाभी ने इस संबंध में उस की मदद करने को कहा और उस लड़के से संपर्क कर बताया कि उन की ननद किस तरह उस के प्यार में पागल है.

यह सुन कर रोहित भौचक्का रह  गया. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई लड़की उसे इस तरह प्यार कर सकती है. उस ने भाभी की बात को सिरे से नकार दिया, बोला, ‘‘अब तक तो मैं आप की ननद को पहचान ही नहीं पा रहा हूं. क्योंकि क्लास में कम से कम 50 लड़कियां थीं. वैसे भी, मैं तो उर्वशी से प्यार करता हूं और वह भी मुझे चाहती है. हम दोनों ने एकसाथ जीनेमरने की कसमें खाई हैं. मैं उसे धोखा नहीं दे सकता.’’

भाभी ने अपनी ननद को इस बारे में बताया और कहा कि तुम किसी अन्य लड़के से शादी कर लो. तुम सुंदर हो, पढ़ीलिखी भी हो. तुम्हारे लिए रिश्ते की कोई कमी नहीं है.

लेकिन मीना के सिर पर तो एकतरफा प्यार का भूत सवार था. उस ने कहा, ‘‘अगर वह लड़का मेरी जिंदगी में नहीं आ सकता तो मैं किसी अन्य लड़के को अपना जीवनसाथी नहीं बनाऊंगी. मैं जीवनभर कुंआरी रह लूंगी पर किसी दूसरे लड़के से शादी नहीं करूंगी.’’

रवि अपने महल्ले की एक लड़की को चाहने लगा. दिन में कई बार उस के घर के सामने से निकलता ताकि उस की एक झलक दिख जाए. यह सिलसिला 3 महीनों तक चलता रहा. हालांकि, वह लड़की रवि को जानती तक न थी.

एक दिन वह बाजार से अकेली आ रही थी. रवि की नजर उस पर पड़ी. उस ने रास्ते में उसे रोक कर बात करनी चाही. सरेराह कोई लड़का उसे छेड़े, यह उसे नागवार लगा. रवि अपने दिल की बात उस से कहता, इस के पूर्व ही लड़की ने उस के गाल पर तमाचा दे मारा. इस अप्रत्याशित घटना से रवि हक्काबक्का रह गया. वह वहां से भाग खड़ा हुआ.

एकतरफा प्यार में पागल हुए इस प्रेमी को अपने को ठुकराए जाने पर इस कदर गुस्सा आया कि उस ने उस से बदला लेने की सोची और एक दिन उसे अकेली आते देख उस के चेहरे पर तेजाब डाल दिया. लड़की का चेहरा बुरी तरह झुलस गया, हालांकि लड़की की चीखपुकार सुन कर लोगों ने रवि को उसी समय धरदबोचा और पुलिस के हवाले कर दिया.

न्यायालय में जब जज ने उस से तेजाब फेंकने का कारण पूछा तो उस ने कहा, ‘‘यह लड़की अपनेआप को समझती क्या है? मेरे प्यार को ठुकरा कर इस ने अच्छा नहीं किया. यदि यह मेरी नहीं हो सकती तो किसी दूसरे की भी नहीं हो सकती. इसीलिए मैं ने तेजाब डाल कर बदला लिया.’’

कोर्ट ने रवि को 3 साल की सजा सुनाई.

एकतरफा प्यार करने वाले लड़के या लड़की यह क्यों नहीं समझते कि वही प्यार परवान चढ़ता है जो दोनों तरफ से हो. जब सामने वाले या सामने वाली को पता ही नहीं हो कि कोई उस के प्यार में पागल है, तो उस के स्वीकार करने या न करने का प्रश्न ही कहां उठता है.

यदि आप किसी से प्यार करते हैं या करती हैं तो उसे अपने दिल की बात बताने में संकोच या विलंब न करें. समय रहते उसे इस बारे में बताएं और यदि वह सिरे से खारिज कर दे तो अपने कदम पीछे खींच लेने में ही भलाई है. यदि वह जवाब के लिए कुछ समय चाहे तो उसे देना चाहिए.

प्यार में जबरदस्ती नहीं होती.

यदि आप का प्रस्ताव अस्वीकार हो जाता है तो इस का मतलब यह नहीं कि दुनिया खत्म हो गई. ऐसे में न तो सामने वाले से बदला लेने या सबक सिखाने के बारे में सोचना चाहिए और न ही अपनी जिंदगी की रफ्तार को रोकना चाहिए. धीरेधीरे सबकुछ सामान्य हो जाएगा.

अपने एकतरफा प्यार का इजहार करने में जहां लड़के उतावले रहते हैं वहीं लड़कियों में शर्मझिझक होने से वे इस का इजहार नहीं कर पातीं. आमतौर पर लड़कियां इस की पहल नहीं करतीं या करती भी हैं तो किसी को माध्यम बना कर.

कई बार जब आप किसी के प्रति आकर्षित होते हैं तो उस आकर्षण को ही प्यार समझने लगते हैं. लेकिन ये दोनों अलगअलग बातें हैं. आकर्षण छलावा होता है जबकि प्यार गहराई लिए होता है. प्यार भावनाओं पर आधारित होता है जबकि आकर्षण वासना पर. वासना को प्यार का नाम देना बुद्घिमानी नहीं है.

एकतरफा प्यार में मिली असफलता को धोखे का नाम नहीं दिया जा सकता, क्योंकि वह तो इस बात से अनजान है. जब आप उसे इस बारे में बताते हैं तो उस की प्रतिक्रिया क्या होगी, यह नहीं कह सकते. हो सकता है कि उस का जवाब सकारात्मक हो. यदि आप का प्यार स्वीकार हो जाता है तो आप के मन की इच्छा पूरी हो सकती है वरना सामने वाले को दोष देना ठीक नहीं. इसलिए, प्यार में इतने पागल न बनें कि अपना आपा खो दें.

आप प्यार के बदले प्यार चाहते हैं लेकिन जब प्यार एकतरफा हो तो जरूरी नहीं कि हम जो चाहें वह हमें मिले ही. यदि आप किसी फिल्म अभिनेत्री या अभिनेता को चाहने लगें या उस से एकतरफा प्यार करने लगें तो क्या यह पागलपन नहीं है? किसी का फैन या प्रशंसक होना एक बात है और उस से प्यार करना दूसरी बात. आप अपने पसंदीदा हीरो या हीराइन को सपनों में देखते रहिए, लेकिन क्या आप उन के सपनों में आते हैं?

बात अभिनेता या अभिनेत्रियों की ही नहीं है, कोई अच्छी सुंदर लड़की दिखी नहीं कि मनचले उसे अपना दिल दे बैठते हैं. उस के आगेपीछे दौड़ते हैं, उस पर फिकरे कसते हैं या छेड़छाड़ करते हैं ताकि उस का ध्यान उन की तरफ जाए और वह उन से प्यार करने लगे. लेकिन, बदले में क्या मिलता है-थप्पड़.

यदि आप ने किसी से एकतरफा प्यार किया है लेकिन वह आप का नहीं हो सका या नहीं हो सकी, तो उस की वैवाहिक जिंदगी में दखल देने का आप को कोई अधिकार नहीं है. उसे अपने हिसाब से जीने दो. माना कि एकतरफा प्यार की पीड़ा आप झेल रहे हैं लेकिन इस का मतलब यह तो नहीं कि किसी की सुखी जिंदगी में जहर घोल दें.

यौवन की दहलीज पर कदम रखते ही लड़केलड़कियों में विपरीतलिंगी को सामने देख कुछकुछ होने लगता है. उन की धड़कनें बढ़ जाती हैं. कई बार उन्हें पहली नजर में ही किसी से प्यार हो जाता है. शुरुआत एकतरफा प्यार से ही होती है. यदि सामने वाला या सामने वाली भी इस पर अपनी मुहर लगा दे तब तो ठीक, वरना एकतरफा प्यार का दर्द और जख्म इतना गहरा होता है कि वह जिंदगी तबाह भी कर सकता है.

Valentine’s Day 2024: बनें एक-दूजे के लिए

विवाह के पहले और विवाह के बाद जीने के उद्देश्य अलगअलग प्रकार के होते हैं. विवाह से पहले हम सैल्फ सैंटर्ड लाइफ जीते हैं. विवाह के बाद एकदूजे के लिए जीने का अभ्यास करना ही पतिपत्नी की सफलता का मानदंड होता है. आइए जानते हैं कि हम कैसे स्वस्थ मानसिकता के साथ परिस्थितियों के अनुकूल या प्रतिकूल होने पर दोनों स्थितियों में अपनी सही सोच के साथ जीवन के इस अहम पड़ाव पर स्थिरता और खुशनुमा पारिवारिक माहौल बना कर अपने लाइफपार्टनर के सुखदुख के साथी बनें:

क्या करें

एकदूसरे के लिए पर्याप्त समय सुनिश्चित करें, समय बात सुनने का, समय साथ रहने का, युगलरूप में काम में हाथ बंटाने का. जल्दीबाजी छोड़ कर धैर्य के साथ यह सब करने का पर्याप्त समय होना चाहिए.

जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति  करते हुए टीम भावना से छोटीछोटी बातों को भी ऐंजौय करें.

सभी के साथ रिलेशनशिप को मुसकरा कर उत्साह के साथ जीएं. ऐसा करेंगे तो संपर्क में आने वाले सभी लोग मुसकराहट और उत्साह के साथ पेश आएंगे.

इन शब्दों का इस्तेमाल उचित अवसर पर करते रहें- धन्यवाद, हां, डियर, आप ठीक हैं, क्षमा कीजिए, मैं गलत था, आई एम सौरी आदि.

महीने में कम से कम 1 दिन पूरा समय एकदूसरे के साथ बिताएं. जो दोनों को रुचिकर लगे वैसा कार्यक्रम बना कर उस में समय व्यतीत करें.

जो भी बात अच्छी लगे उस के लिए एकदूसरे से धन्यवाद की अभिव्यक्ति करें.

अपनी बातचीत में हास्य का पुट भरें. यहां तक कि यदि मतभेद हो तो उस का अंत भी हास्य के पुट के साथ करें.

टोटल मेकओवर और ड्रैस एकदूसरे की पसंद के अनुसार हो. इस से एकदूसरे के लिए आकर्षण बढ़ता है.

हमेशा खुश रहने का फैसला करें. पौजिटिव सोच अपना कर अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखें.

सामान्य जीवन बिताने के लिए भीड़ में समय बिताने से बचें. सरल तरीके से जीएं. जीवन जटिल न हो तो अच्छा है.

वार्त्तालाप करें वह स्नेह और प्यार की भावना के साथ करें. एकदूसरे को समझने की ईमानदारी से कोशिश करें.

मोनालिसा मिश्रा ने संबंधित विषय पर कई शोधपत्र लिखे हैं जिन का सार संक्षेप में प्रस्तुत है. वैवाहिक जीवन में प्रवेश करने पर इस पर ध्यान देना बहुत लाभदायक रहेगा:

अच्छे संवाद और वार्त्तालाप: एकदूसरे से बातें करने में संकोच न करें. बातें कीजिए. एकदूसरें की बात ध्यान से सुनें. सीक्रेट भी शेयर करें. किंतु विवेक के साथ. बातें करते समय आईकौंटैक्ट का भी ध्यान रखें. संवाद और वार्त्तालाप मधुर हो. मुद्दे बना कर क्रोध और झगड़ा न करें: क्रोध झगड़े में आग में घी का काम करता है. जब क्रोध में हों तो संवाद स्थगित कर दें. बातचीत के लिए सौहार्दपूर्ण माहौल का इंतजार करें. एकदूसरे के लिए त्याग की भावाना रखें. मिथ्या भ्रम न पालें कि हर बात आप की मानी जाए. गिव ऐंड टेक की पौलिसी अच्छी पौलिसी है. तनावरहित होने पर सभी बातें उचित नजरिए के साथ ली जा सकती हैं. अपने लाइफपार्टनर को उत्साहित करते रहें. उस के हर अच्छे कार्य की सराहना करें. उस की सहायता करें. क्षमाशील बनें. उस की योग्यता बढ़ाने के लिए हमेशा प्रयत्न करें. उसे वयस्क रूप में लें. किडिंग से परहेज करें.

क्रिया और प्रतिक्रिया: मानवी रिलेशंस के लेखकों का मत है कि हर व्यवहार और कार्य की प्रतिक्रिया स्वाभाविक होती है, इसलिए प्रतिक्रिया उचित सीमा के भीतर और समय के अनुसार होनी चाहिए. ऐसा न हो अपनी बात मनवाने में आप संबंध बिगाड़ लें. किसी भी कीमत पर संबंध बनाए रखना वैवाहिक जीवन का आधार होता है, यह ध्यान रखें. उचित मानसिकता के साथ शांति बनाए रखें.संबंध में संतुष्टि प्रमुख है: चिंता दीमक की तरह हानिकारक होती है. किसी भी समस्या को आवश्यकता से अधिक तूल न दें. संबंध बनाए रखने में अपनी जिम्मेदारी निभाएं. अपने लाइफपार्टनर का सैल्फ कौन्फिडैंस बनाए रखें. उसे कमजोर बना कर कुछ हासिल नहीं होने वाला है. समयसमय पर विश्वास की अभिव्यक्ति करते रहें. मतभेद की स्थिति में मतभेद न पैदा होने दें. गौतम बुद्ध ने कहा है कि विजयी बनने के लिए दूसरे को हर्ट नहीं करना चाहिए.

परफैक्ट मैच बनने के लिए निम्न सुझाव अमल में लाएं:

विवाह दीर्घकालीन समन्वय और नजदीकी रिश्ता है, जो एकदूसरे की पसंद पर आधारित है. इसे खुले दिलदिमाग से स्वीकारें.

नजरिए को लचीला रखें ताकि पार्टनर के दृष्टिकोण और भावनाओं का आदर कर सकें. ऐसा करने से प्यार पनपता रहेगा. रिश्ता बनाने के लिए बहुत कुछ करना पड़ता है.

वैवाहिक संतुष्टि को बढ़ाने के लिए एकदूसरे को इमोशनल सपोर्ट दें ताकि आपसी सूझबूझ से भावनात्मक जुड़ाव बना रहे. इस से कर्तव्यबद्धता और कमिटमैंट जैसे गुणों का विकास होगा.

पार्टनर की अपेक्षाओं पर खरे उतरें. उस की मानसिकता को पहचानें. संदेह द्वारा असंतुष्टि और असुरक्षा की भावना एकदूसरे को न दें.

अपने लाइफपार्टनर के बारे में कोई गलत धारणा न बनाएं. तथ्यों के बिना अर्थपूर्ण बातचीत होना संभव नहीं होता है. महत्त्वपूर्ण डिस्कशन पतिपत्नी अकेले में ही करें. किसी अन्य व्यक्ति से समस्या पर विचारविमर्श न करें. अपनी प्राइवेसी बनाए रखें.

अवास्तविक अपेक्षाएं रखेंगे तो दुख ही मिलेगा. गिव ऐंड टेक की भावना होगी तो अपेक्षाएं अवश्य पूरी होंगी. धैर्य बनाए रखें.

प्रसिद्ध कवि रूप नारायण त्रिपाठी की निम्न पंक्तिया सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रेरक हैं:

जहां पर फूल खिलते हैं उसे उद्यान कहते हैं,
जहां पर रूप जलता है उसे श्मशान कहते हैं,
मगर उद्यान और श्मशान में बस फर्क इतना है,
कि हम उजड़े हुए उद्यान को श्मशान कहते हैं.

अब आप ही फैसला करें कि अपने जीवन को आप ने महकता हुआ उद्यान बनाना है या उन खुशियों से वंचित रहना है जिन के आप सही माने से हकदार हैं.

रिजेक्शन से डरे नहीं इस तरह से करें सामना

हमें सब से ज़्यादा दर्द तब होता है जब हमारा कोई अपना हमें रिजेक्ट करता है. हम कितनी उम्मीदें लगाए बैठे होते हैं कि यह कभी भी हमारी उम्मीद नहीं तोड़ेगा. लेकिन होता क्या है ? हमारी उम्मीद टूटती है और हम पूरी तरह से बिखर जाते हैं . लेकिन ध्यान रहे उम्मीद की किरणों का कभी पीछा नहीं छोडना चाहिए. आप के पास हमेशा 2 औप्शन होते हैं. पहला, जब कोई हमें नाउम्मीद करता है तो हम उस की 10 कमियां निकाल देते हैं या फिर उस की फ़्रस्टेशन किसी दूसरे पर निकाल कर अपना पूरा दिन खराब कर लेते हैं. दूसरा औप्शन यह है कि हम यह सोचें कि जो हुआ सो हुआ और अपने काम में आगे बढ़ जाये. इस सन्दर्भ में क्वीन ब्रिगेड की फाउंडर हिना एस खेरा के मुताबिक अपने मन को कुछ यों समझाएं;

1. खुद से सवाल करें

सब से पहले खुद से पूछें कि आप यह चीज क्यों पाना चाहते थे. नौकरी, रिश्ता, प्यार, अच्छे नंबर आदि. कहीं न कहीं आप को अपने अंदर से जवाब यही मिलेगा कि इस से समाज में आप की स्थिति बेहतर होती. आप खुद को साबित कर पाते. जवाब मिलने के बाद सोचिये कि क्या बेहतर साबित न हो पाने की वजह से आप खुद को खत्म कर लेंगे? यह तो महज बेवकूफी ही होगी न. तो बस तनाव लेना बंद करें और सफलता के लिए ज्यादा बेहतर तैयारी में जुट जाएं.

2. खुद को तकलीफ न पहुंचाएं

जीवन में हमेशा उतारचढाव आते रहते हैं. जीवन में हमें किसी मोड़ पर रिजैक्ट किया जाता है तो इस का हमारे जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए. हमे यह समझना चाहिए की वह चीज हमारे लिए थी ही नहीं. अपनेआप को नकारात्मक सोच और हीनभावना से ग्रस्त न होने दें. इस से आप उदासी और अवसाद की स्थिति में जा सकते हैं.

3. नए दृष्टिकोण से स्थिति को देखने का प्रयास करें

आप यह देखने का प्रयास करें कि आप जो चाह रहे थे उस के द्वारा रिजैक्ट कर दिया जाना आप के लिए एक अच्छी बात भी हो सकती है. शायद आप को यह नौकरी नहीं मिली या आप का रिश्ता टूट गया क्यों कि आप वास्तव में कुछ अलग और बेहतर चीज के काबिल हैं.

4. नियंत्रण में रहें

आमतौर पर जब हम जो चाहते हैं उसे प्राप्त नहीं कर पाते तो हम उस चीज़ को पाने के लिए कोई और गलत रास्ता अपनाने की कोशिश करते हैं. हम नई योजनायें बनाने में लग जाते हैं या फिर साजिश करने की कोशिश करते हैं. हमारा दिमाग बस यह सोचता है कि कैसे भी कर के उसे हासिल कर लिया जाये. यह गलत है. खुद पर काबू रखें.

5. सच को स्वीकारना

सब से पहले जब हमारा सिलैक्शन और रिजेक्शन का टाइम आता है और उस मे हमें अगर यस और नो में से नो सुनना पड़े तो इसे पर्सनली न लें. इस से प्रॉब्लम बढ़ती है. खुद से पूछे कि इस रिजेक्शन के पीछे वजह क्या हो सकती है. क्या रिजैक्ट होना हमारे लिए सही हो सकता है? ऐसे सवालों के जवाब खुद से पूछें और फिर देखें आप किस तरह सच को अपनाते हैं .

6. आप का खुद का सवाल होगा खुद का जवाब

जब आप खुद से सवाल करोगे तो आप को अपनी अच्छाईयों और बुराईयों का पता चल जाएगा . बस थोड़ा सी हिम्मत के साथ खुद को तराशना होगा और समझना होगा. प्रयास कर के पत्थर से हीरा बनना होगा. कुछ सवाल ऐसे हैं जिस के जवाब सिर्फ आप के पास ही होते है. बातचीत बंद कर दी

4. खुद से प्यार करना सीखें

ज़िन्दगीं में किसी भी मुकाम को पाने के लिए सब से ज़्यादा ज़रूरी है कि पहले खुद से प्यार किया जाये. खुद को समझा जाये. किसी के ज़रा से कह देने से खुद के लिए नकारात्मक सोच न रखें. अपनेआप को माफ़ करें. अगर आप ईमानदारी से खुद से प्यार करेंगे और कभी भी धैर्य न खोते हुए अपने मंज़िल की तरफ़ कदम बढ़ाएंगे तो दुनिया की कोई भी ताकत, कोई भी अड़चन आप को सफ़ल होने से नहीं रोक सकती.

8. खुद को हारा हुआ न समझे

कभी भी खुद को कम मत समझिये. आप उस से भी बढ़ कर है जितना आप सोचते हैं . ज़िन्दगी की दौड़ में हारनाजीतना तो लगा ही रहता है. खुद को कभी भी हारा हुआ न समझे . रिजेक्ट होने पर अक्सर हम खुद ही अपने जज बन जाते हैं. हम अपनी कमियां गिनने लगते हैं जैसे कि हम मोटे हैं, सावले हैं, कमातें नहीं हैं, हमारी हाइट कम है, हम सुंदर नहीं हैं आदि. जिंदगी में सुकून चाहते हैं तो लोगो की बातों को दिल से लगाना छोड कर खुद के लिए प्यार जताना सीखें.

9. अच्छी सोच का अच्छा नतीजा

यदि आप को लगता है की इस दुनिया में आप को सुनने वाला कोई नहीं है तो यह गलत है. आप को सब से पहले अपना सपोर्ट सिस्टम मज़बूत बनाना होगा. अपने अंदर से रिजेक्शन के क्वेश्चन मार्क को मिटाना होगा . हमारा मेंटर कोई भी हो सकता है जैसे हमारे माँबाप, टीचर, भाईबहन, रिश्तेदार या कोई करीबी दोस्त. वे हमारी बात बिना किसी जजमेंट के सुनते हैं . इसलिए सकारात्मक सोच रखें. सपोर्ट जरूर मिलेगा.

10. लिखना भी अच्छा औप्शन है

यदि आप अपनी बात को किसी के सामने बोलने से झिझकते हो, डरते हो या फिर आप को लगता है कि बात कहने से स्थिति बिगड़ सकती है तो आप लिखने का ऑप्शन अपना सकते हो . अपनी बात को किसी तक पहुंचाने के लिए यह बेस्ट थेरेपी होती है . आप जो भी बोलना चाहते हो, ज़ाहिर करना चाहते हो उसे लिखो और अपनी बात उस तक शेयर करो .

11. अपने इमोशंस पर काबू पाएं

रिजेक्शन महसूस करना आम है. उस से डील सिर्फ मानसिक रूप से मजबूत लोग ही कर सकतें है . हम सब में शक्ति है खुद की भावनाओं को नियंत्रित करने की . रिजेक्शन को पर्सनली न ले, अगर आप को लगता है की इस ने मुझे रिजैक्ट किया शायद मेरे अंदर ही कमी होगी तो यह गलत होगा .आप कुछ भी और सब कुछ कर सकते हो बस एक हिम्मत की देरी है. अपने इमोशंस पर काबू पाओ. बोल कर नहीं तो लिख कर जताओ लेकिन अपनी बात को आगे बढ़ाओ .

12. रिजेक्शन को अपनाएं और खुद से खुद के लिए प्यार जताएं

अंत में बस यही कह सकते हैं की रिजेक्शन को ख़ुशीख़ुशी अपनाइये और अपनी जिंदगी में इस से कुछ सीख कर आगे बढ़ जाओ . किसी के ‘न’ कह देने भर से किसी की जिंदगी नहीं रूकती. ज़िन्दगी चलने का नाम है इसलिए जहाँ से जैसे भी हो खुशियां बटोर लो. अपनेआप से प्यार करो क्यों कि हर दर्द की दवा है प्यार . जिंदगी में प्यार है,ख़ुशी है, तो सबकुछ है . उदासी है तो कुछ नहीं है.

13. प्रेरणा देती है असफलता

सफलता के साथसाथ असफलता भी जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है. हमें जब भी कोई बड़ी निराशा होती है तो हम सोचते हैं कि ऐसा हमारे साथ ही हुआ है. जब कि ऐसी बात नहीं है. आप लोगों के जीवन में झांक कर देखें. जो लोग आप को ज़्यादा खुश दिखते हैं उन से बात कर के पता चलेगा कि उन्होंने कितने पापड़ बेले हैं.

ये रिजेक्शन हमें और भी रचनात्मक, ऊर्जावान और बड़े कैनवास पर काम करने के लिए प्रेरित करता है. जिस ने असफलता को महूसस किया है और जो रिजेक्शन को याद रखता है वह अक्सर दूसरों की इज्जत और मदद करता है. दूसरों को अपना दुःख बताने की बजाए, उन की बातें सुनता है, हौसला देता है कि सब ठीक हो जायेगा. हर चीज में कुछ सकारात्मक ढूंढने से नकारत्मकता से बचा जा सकता है

तो चलिए अपनी कुछ असफलताओं को भी याद करें और दूसरों को अपने रिजेक्शन की कहानी सुना कर प्रेरित करें. लेट्स सेलिब्रेट योर फेल्योर.

सिचुएशनशिप है लेटैस्ट रिलेशनशिप ट्रैंड

कुछ साल पहले तक लड़केलड़की या पुरुषमहिला के बीच प्यार के माने अलग थे. रिश्ते की शुरुआत बात करने से होती थी. उस के बाद दोस्ती होना, एकदूसरे के लिए अट्रैक्शन और फीलिंग्स महसूस करना, फिर डेटिंग और प्यार में पड़ना बहुत सहज और इमोशनल घटना होती थी. इस के बाद दोनों शादी के सपने देखते थे और पूरी जिंदगी साथ गुजारने का वादा करते थे. तब अपने पेरैंट्स से मिलवाने का शगल शुरू होता था.

वह ऐसा वक्त था जब लोग प्यार के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते थे और रिश्ता भावनाओं से भरपूर होता था. मगर आज के डिजिटल युग में सबकुछ बदलने लगा है. तेज रफ्तार मौडर्न जैनरेशन को हर चीज बदलने और कुछ नया पिक करने की आदत है. आज जो मोबाइल बहुत उत्साह से खरीदा है एकडेढ़ साल के अंदर वही मोबाइल आंखों में खटकने लगता है. उसे किनारे कर नए मौडल का मोबाइल लेने की होड़ लग जाती है. इसी तरह उन्हें रिश्ते भी बदलने की लत लगती जा रही है. एक ही रिश्ते को जिंदगीभर कौन ढोए?

क्या पता कल कोई और खूबसूरत लड़की मिल जाए, कल कोई ज्यादा पसंद आ जाए, ज्यादा कूल, रिच और स्मार्ट मिल जाए. बस इसी चक्कर में वे रिश्तों में भी कमिटमैंट से बचने लगे है.

रोमांचकारी अनुभव

लोगों को सबकुछ तुरंत चाहिए और मन भर जाए तो तुरंत स्क्रौल करते हुए आगे बढ़ जाते हैं. डिजिटल युग की वजह से आज औप्शन बहुत हैं इसलिए एक के पीछे समय बरबाद करना नहीं चाहते. यही वजह है कि आज रिलेशनशिप ट्रैंड में काफी बदलाव आए हैं. आज युवाओं की रिलेशनशिप्स में कमिटमैंट की कमी दिखने लगी है. वे सिचुएशनशिप के कौंसैप्ट को फौलो करने लगे हैं.

2011 में जस्टिन टिम्बरलेक और मिला कुनिस की फिल्म ‘फ्रैंड्स विद बैनिफिट्स’ आई और इस के साथ रिलेशनशिप में फ्रैंड्स विद बैनिफिट्स का कौंसैप्ट युवाओं में लोकप्रिय बन गया था. उसी साल एश्टन कचर और नताली पोर्टमैन ने भी युवा मिलेनियल्स को नौनकमिटल रिलेशनशिप का स्वाद दिया यानी बिना ज्यादा तनाव लिए या इमोशनल हुए रोमांस या प्यार के संबंधों में आगे बढ़ना.

यह नया और रोमांचकारी अनुभव था. सार्वजनिक रूप से एक जोड़े की तरह न तो साथ होने का दिखावा करना, न कोई रोमांटिक डायलौग बोलना, न इमोशनली जुड़ना और न ही कुछ और लागलपेट. बस सीधे संबंध बनाना और जिंदगी ऐंजौय करना.

इस नौनकमिटल रिलेशनशिप का एक नया रूप हाल ही में सामने आया है. जेन जेड और मिलेनियल्स ने अपने रोमांटिक संबंधों को परिभाषित करने के लिए अन्य कई भ्रामक शब्दों के एक समूह के बीच हमें एक और नया शब्द दिया है और वह है सिचुएशनशिप. यह शब्द 2019 में खासा लोकप्रिय हुआ. रिएलिटी टीवी शो लव आइलैंड की प्रतिभागी अलाना मौरिसन ने अपनी डेटिंग हिस्ट्री बताने के लिए इस ‘सिचुएशनशिप’
शब्द का इस्तेमाल किया था.

एक नया ट्रैंड

यही वजह है कि युवा पीढ़ी के बीच रिलेशनशिप का एक नया ट्रैंड बहुत तेजी से पौपुलर हो रहा है और वह है सिचुएशनशिप जिस में रिलेशनशिप में की जाने वाली किसी भी चीज का कोई प्रैशर नहीं होता खासतौर से कमिटमैंट का. रिश्ते तभी तक टिकते हैं जब तक सब सही चल रहा हो.

आज पुरुषों से ले कर महिलाओं तक डेटिंग ऐप का इस्तेमाल कर रही हैं. लोग सिंगल रहना ज्यादा पसंद कर रहे हैं और अगर शादी के बाद आपस में बन नहीं रही तो एकदूसरे को ?ोलने के बजाय अलग होने में बिलकुल संकोच नहीं कर रहे हैं. मतलब सबकुछ एकदम क्लीयर कट.

ऐसे ही नए नए ट्रैंड्स में एक और टर्म बहुत तेजी से पौपुलर हो रही है और वह है सिचुएशनशिप.

क्या है सिचुएशनशिप

सिचुएशनशिप हिंदी के 2 शब्दों ‘सिचुएशन’ और ‘रिलेशनशिप’ को मिला कर बनाया गया है. सिचुएशनशिप में सबकुछ परिस्थिति पर निर्भर करता है. रोमांस और फिजिकल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 2 लोग साथ में आ सकते हैं. दोनों एकदूसरे के साथ घूमने जा सकते हैं, लंच या डिनर कर सकते हैं. इस रिश्ते को कोई नाम नहीं दिया जाता है. कई बार लोग सिचुएशनशिप में एकदूसरे के साथ सिर्फ वक्त बिताने के लिए भी साथ आ सकते हैं. इस रिश्ते में साथी बिना कुछ ऐक्सप्लेन किए दूसरे साथी को छोड़ सकता है.

सरल शब्दों में कहें तो सिचुएशनशिप एक अपरिभाषित रिश्ता है जहां लोग अंतरंग होते हैं लेकिन एक व्यक्ति तक सीमित होने या उस के साथ रिश्ते में बंधना पसंद नहीं करते हैं. यानी सिचुएशनशिप एक ऐसी डेटिंग है जिस में 2 लोग बिना किसी वादे या कमिटमैंट के एकसाथ रहते हैं.

वे इस रिश्ते के बारे में न तो किसी को बताना चाहते और न ही इसे कोई नाम देना चाहते हैं.
2 लोग एकदूसरे की जरूरत को पूरा करने के लिए साथ में रहते हैं. सिचुएशनशिप में कुछ भी परिभाषित नहीं है. आप इसे गोइंग विथ फ्लो कह सकते हैं. मिजाज बदला और पार्टनर भी बदल गए. कुछ ऐसा ही फलसफा है इस रिश्ते का. कुछ मामलों में यह सही है तो कुछ मामलों में बहुत गलत.

क्यों पसंद कर रहे हैं सिचुएशनशिप में रहना

नई जैनरेशन किसी भी शर्त पर अपनी आजादी के साथ सम?ाता नहीं करना चाहती है. युवा अपने मुताबिक जीवन जीना चाहते हैं और खुद को स्वतंत्र रखना चाहते हैं. दरअसल, जब आप किसी रिश्ते में होते हैं तो अपने साथी की बातों पर ध्यान देना होता है जिस से उन की आजादी छिन जाती है. इस के साथ ही लव रिलेशनशिप एक जिम्मेदारी भरा रिश्ता होता है.

इसलिए जब कोई इंसान कमिटमैंट या जिम्मेदारी जैसी चीजों से बचना चाहता है तो वह सिचुएशनशिप में रहना पसंद करता है क्योंकि इस में साथी से कोई वादा या कमिटमैंट करने की आवश्यकता नहीं होती है. इस में 2 लोग केवल एकदूसरे के साथ लव रिलेशनशिप के फायदों को शेयर करने के लिए साथ होते हैं.
इस के अलावा जब किसी इंसान को अपने पहले प्यार में धोखा या सफलता नहीं मिलती तो वह मात्र ऐंजौयमैंट के लिए सिचुएशनशिप में आना पसंद करता है.

सिचुएशनशिप और रिलेशनशिप में क्या अंतर

जब 2 लोगों के बीच गहरा प्यार होता है तो वे रिलेशनशिप में आते हैं यानी इस में 2 लोगों के रिश्ते को प्यार का नाम दिया जाता है. जो लोग इस रिश्ते में होते हैं वे एकदूसरे को अपने दोस्तों और परिवार वालों से मिलाना पसंद करते हैं. वे एकदूसरे को गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड के रूप में मिलवाते हैं. इस में दोनों लोगों के बीच प्यार होता है और वे फ्यूचर के बारे में बात करना पसंद करते हैं.

वे एकदूसरे के साथ अपना जीवन बिताना चाहते हैं. जब 2 लोग रिलेशनशिप में होते हैं तो उन का रिश्ता शादी तक पहुंच सकता है. इस में दोनों को एकदूसरे के सवालों के जवाब देने होते हैं. एकदूसरे की जिम्मेदारियां उठानी पड़ती है, एकदूसरे की जरूरतों का खयाल रखना होता है.

वहीं आज के डिजिटल युग में ‘सिचुएशनशिप’ वर्ड काफी ट्रैंड कर रहा है. इस का मतलब है कि 2 लोग किसी सिचुएशन में एकसाथ रहते हैं.  इस में 2 अनजान लोग भी एकदूसरे के साथ जुड़ सकते हैं. सिचुएशनशिप की सब से बड़ी विभिन्नता है कि इस में कोई वादा नहीं होती है. सिचुएशनशिप में दोनों ही पार्टनर पर्सनल सवालों से मुक्त रहते हैं.

इस रिश्ते में दोनों लोग बिना किसी शर्त के एकसाथ रहते हैं और अच्छा समय बिताते हैं. रिलेशनशिप में 2 लोग प्यार की वजह से एकदूसरे के साथ जुड़े होते हैं, जबकि सिचुएशनशिप में 2 लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए जुड़े होते हैं. सिचुएशनशिप में दोनों भविष्य के बारे में बातचीत से बचते हैं. लंबे समय के लिए योजनाओं, वादों या सपनों की चर्चा नहीं करते क्योंकि वे उस रिश्ते को लंबे समय तक निभाने की नहीं सोचते. सिचुएशनशिप में भावनात्मक संबंध और इंटिमेसी हो सकती है लेकिन यह प्यार के नौर्मल रिश्तों में अकसर पाई जाने वाली गहराई के स्तर तक नहीं पहुंच सकती है.

सिचुएशनशिप के फायदे

फ्लैक्सिबिलिटी: सिचुएशनशिप में फ्लैक्सिबिलिटी होती है मतलब कोई वादा, दिखावा नहीं करना पड़ता और न ही एकदूसरे से सवालजवाब का चक्कर होता है. इस माने में यह अच्छा है. आप अपने हिसाब से रिश्ते को मोल्ड कर सकते हैं. कमिटमैंट के दबाव के बिना कनैक्शन तलाशने की स्वतंत्रता होती है.
कम दबाव: सिचुएशनशिप में आप के ऊपर कोई बर्डन नहीं होता कि ऐसा ही करना पड़ेगा या रिश्ता निभाना ही पड़ेगा यानी इस में किसी के ऊपर किसी भी तरह का प्रैशर नहीं होता. आप अपनी मरजी और खुशी से इस रिश्ते में होते हैं. सम?ा न आए तो साथी को बिना कुछ ऐक्सप्लेन किए छोड़ भी सकते हैं. यह उन व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से आकर्षक है जिन के जीवन में अन्य प्राथमिकताएं होती हैं. जो अपने
कैरियर या लाइफस्टाइल से सम?ाता नहीं करना चाहते या किसी और की वजह से जिंदगी का मकसद या जीने का तरीका नहीं बदलते.

नुकसान: मगर सच यह भी है कि भले ही साथ रहने का प्रैशर और जिम्मेदारियों के बो?ा से दूर सिचुएशनशिप एक बहुत सुखद स्थिति लग सकती है लेकिन यह बहुत कठिन रास्ता होता है जिस पर अगर सावधानी से न चला जाए तो जख्मी होने का खतरा रहता है. मुश्किल तब आती है जब इस में शामिल 2 लोगों में से किसी एक की भावनाएं गंभीर होने लगें और वह अपनेआप से कमिटमैंट चाहने लगे.

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बात समझ नहीं आती थी, लेकिन बड़े होने के बाद इसे बड़ी शिद्दत से महसूस किया. मन पर कितना भी भारी बोझ क्यों न हो अगर आप उसे किसी अपने से कह देते हैं, तो आप का मन हलका हो जाता है. जीवन में खुशियों को निमंत्रित करने के लिए इन बातों पर करें अमल:

1. पौजिटिव थिंकिंग रखें

सकारात्मक सोच न केवल बीमारियों को दूर रखती है वरन इस से कार्यक्षमता में भी बढ़ोतरी होती है. व्यक्ति सब से ज्यादा दुखी अपने कैरियर को ले कर रहता है. उस के मन में हमेशा इस बात का भय रहता है कि कहीं मैं अपनी खराब परफौरमैंस की वजह से अपनी नौकरी न खो दूं या फिर पता नहीं मेरी प्रमोशन होगी या नहीं. इस तरह की सोच उस की वर्क ऐफिशिएंसी को कम करती है. अगर आप चाहते हैं कि आप को अपने काम में सफलता मिले और नौकरी में आप को प्रमोशन मिले, तो इस के लिए यह जरूरी है कि आप हमेशा खुश रहें और अपनी सोच को सकारात्मक रख कर सिर्फ अपने काम पर फोकस करें यकीनन आप को सफलता मिलेगी. जिंदगी में कुछ भी पाने के लिए किसी किस्म का पूर्वाग्रह पालने के बजाय सिर्फ अपनी सोच को सकारात्मक रखने की जरूरत है. एक बार अच्छा सोच कर और बुराई में अच्छाई खोजने की कोशिश कर के देखिए यकीनन आप के जीवन में खुशियों की बरसात होगी और सफलता आप के कदम चूमेगी.

2. नकारात्मक सोच को निकाल फेंकें

अगर अपने आसपास नजर दौड़ाएं, तो आप को ऐसे बहुत सारे लोग देखने को मिल जाएंगे, जो अपने आसपास नकारात्मक सोच का जाल सा बना कर रखते हैं. हर तरह की सुखसुविधा मौजूद रहने के बावजूद उन के चेहरे पर मायूसी ही नजर आती है, इस का कारण उन की सोच में नकारात्मक भावों की प्रधानता है, जिन की वजह से वे अच्छी बातों पर भी खुश नहीं हो पाते हैं. अगर आप जीवन में खुश रहना चाहते हैं, तो सब से पहले अगर आप के आसपास ऐसे लोगों का जमावड़ा है, तो उन से उचित दूरी बनाएं. उस के बाद अपने अंदर के नैगेटिव थौट को निकाल बाहर करें. मैडरिड यूनिवर्सिटी ने अपने एक शोध में यह बताया कि अपने मन के नकारात्मक विचारों से छुटकारा पाने का सब से आसान तरीका अपनी नकारात्मक सोच को एक सादे कागज पर लिख कर उसे फाड़ देना है. इस से आप के नकारात्मक भाव स्वत: समाप्त हो जाते हैं.

3. खूब ऐक्सरसाइज करें

जीवन में खुश रहने के लिए स्वस्थ रहना बेहद जरूरी है. इस संबंध में यूनिवर्सिटी औफ टोरंटो ने 25 से अधिक बार रिसर्च किया है. उस के द्वारा किए गए शोधों में यह सिद्ध हो चुका है कि ऐक्सरसाइज करने से मूड अच्छा होता है. इस से न केवल आप का तनाव खत्म होता है वरन नियमित व्यायाम से आप डिप्रैशन से भी दूर रहते हैं. जब आप अपने पास के पार्क के 2-4 चक्कर लगा कर आते हैं, तो अंदर से खुशी महसूस होती है. इस का कारण यह है कि जब आप अपने घर से बाहर जाते हैं, तो फिर आप की मुलाकात बहुत सारे नए लोगों से होती है. पार्क में जाते हैं, तो वहां खेलते बच्चों को देख कर आप अपना सारा तनाव भूल जाते हैं. आप को अपने बचपन के दिन याद आने लगते हैं, जो यकीनन खुश करने वाले होते हैं.

4. गहरी नींद

समयसमय पर हुए विभिन्न सर्वेक्षणों में यह सिद्ध हुआ है कि गहरी नींद न केवल स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है वरन इस से आप के अंदर की नकारात्मकता भी समाप्त होती है. जब आप सो कर उठते हैं, तो आप पूरी तरह तरोताजा होते हैं. उस समय आप के अंदर अपने काम को बेहतर तरीके से करने की इच्छा जाग्रत होती है जोकि आप को अपने काम को अच्छी तरह करने की ऐनर्जी प्रदान करती है. जब आप किसी काम को बेहतर तरीके से अंजाम देते हैं, तो आप के अंदर स्वत: ही अद्भुत खुशी का संचार होता है. अत: गहरी नींद लें, क्योंकि गहरी नींद से आप के अंदर की सारी नैगेटिविटी खत्म हो जाती है.

5. अच्छी यादों को सहेजें

हमेशा खुश रहने के लिए अपनी अच्छी यादों को सहेज कर रखें. अगर आप के साथ कुछ बुरा हुआ है, तो उसे भूल कर अच्छी बातों को याद करने की कोशिश करें. इस संबंध में कौरनेल यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक थौमस गिलोविच ने एक शोध किया था, जिस में यह बात सामने आई कि आप को महंगी चीजों की शौपिंग कर के भी वह खुशी नहीं मिलेगी, जो अपने अच्छे लमहों को याद कर के और उन लोगों के साथ समय बिता कर मिलेगी, जो आप के दिल के करीब हैं और जिन के साथ आप अपनी भावनाओं और विचारों को बांट सकते हैं. सच तो यह है कि अच्छी यादों से मिलने वाली खुशी का कभी अंत नहीं होता है. खुद को तरोताजा रखने के लिए अपने पुराने दोस्तों से मिल कर उन के साथ बीते दिनों की यादों को ताजा कर के तो देखिए, आप को असीम आनंद की प्राप्ति होगी.

6. थोड़ी सी मदद ढेर सी खुशी

कभी किसी की मदद कर के देखिए, आप को ऐसी अद्भुत खुशी मिलेगी कि आप का मन हमेशा किसी मदद को तैयार रहेगा. सच तो यह है कि किसी के चेहरे पर थोड़ी सी मुसकान लाने में जो आनंद और सुकून मिलता है वह आप को बेशुमार दौलत और बड़ा घर खरीदने पर भी नहीं मिलेगा. समयसमय पर किए गए विभिन्न सर्वेक्षणों में यह बात सामने आई है कि अपनी व्यस्त दिनचर्या से थोड़ा सा समय निकाल कर किसी की मदद करने पर अपार खुशी का एहसास है.

7. अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें

आप के जीवन में खुशियों का समावेश तभी हो सकता है, जब आप अपने कार्यक्षेत्र में सफल हैं और सामाजिक रूप से सक्रिय हैं. अपने काम में सफलता पाने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप बेकार की बकवास के बजाय आप वह करेें, जो आप की प्राथमिकता हो. अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर के न केवल आप अपनी नौकरी और व्यवसाय में सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं वरन अपने लिए खुशियों के संसार की भी संरचना कर सकते हैं.

8. खुद से करें प्यार

आमतौर पर आप अपने बारे में, अपनी खुशियों के बारे में सोचने के बजाय दूसरों के बारे में सोच कर ही अपनी जिंदगी का आधा हिस्सा बरबाद कर देते हैं. खुश रहने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप अपने बारे में सोचें, अपनेआप से प्यार करें. आप दूसरों के बारे सोचने के साथसाथ अपने बारे में भी सोचें. यह ठीक है कि जिम्मेदारियों का निर्वाह करना जरूरी होता है, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि जब आप अपनेआप को संतुष्ट रखेंगे, तभी अपने जीवन में खुशियां ला पाएंगे. अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल कर अपना मनपसंद काम करे आप अपनेआप से प्यार करें तभी आप स्वयं भी खुश रह पाएंगे और दूसरों को भी प्यार कर पाएंगे.

9. विकसित करें लेट गो की प्रवृत्ति

आमतौर पर लोगों की यह आदत होती है कि वे अपने जीवन की बुरी बातों को आसानी से भूल नहीं पाते हैं. यह सच है कि किसी ने आप के साथ बुरा किया है, तो उस की कसक हमेशा बनी रहती है. लेकिन जीवन में खुश रहने की मूलमंत्र है कि आप बीती बातों को भूल कर आगे बढ़ने की कला सीखें. अपने अंदर लेट गो की प्रवत्ति डैवलप करें और दूसरों को माफ कर के जीवन मे आगे बढ़ने का प्रयास करें. आप के अंदर जो हुआ उसे भूल जा की भावना आएगी, तो आप उन्हीं बातों का याद रखेगें, जो आप को खुशी प्रदान करती हैं.

लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप को कैसे मजबूत बना सकते हैं?

सवाल- 

मेरी उम्र 24 वर्ष है. डेटिंग ऐप के जरिए मेरा एक बौयफ्रैंड बना. हमारी आपस में खूब बातें, चैट होती हैं. वह बेंगलुरु का रहने वाला है. दिल्ली वह मुश्किल से 2 बार ही आया है. मु झे उस से बातें करना, उस का स्टाइल, इंटैलिजैंस बहुत पसंद है. उस का कहना है कि जो बातें वह अपनी गर्लफ्रैंड में चाहता था, मु झ में वे सब हैं. मैं अपना यह रिलेशनशिप इतना मजबूत बनाना चाहती हूं कि वह मु झे शादी के लिए प्रपोज कर दे. पहल मैं उस की तरफ से चाहती हूं. लेकिन डरती रहती हूं कि हमारी लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप कहीं कमजोर न पड़ जाए और मु झे उसे खोना न पड़ जाए. अगर ऐसा होगा तो मैं सह नहीं पाऊंगी. आप सु झाएं, मैं क्या करूं कि हमारा रिश्ता मजबूती से बना रहे?

जवाब-

लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप में ज्यादा परेशानी आती है, यह बात तो सही है लेकिन आपसी बातचीत और एकदूसरे के लिए समर्पण-  इन 2 चीजों का अच्छा तालमेल हो तो लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप नजदीकी रिश्तों को भी मात दे सकती है.

आप दोनों के बीच बातचीत में कमी नहीं आनी चाहिए. रैगुलर टच में रहें. जरूरी नहीं कि अपने दोनों के रिश्ते और भविष्य को ले कर ही बात की जाए. दुनिया में क्या हो रहा है या जानपहचान के लोगों की बात भी की जा सकती है, यदि बात करने के लिए कुछ नहीं है. बस ध्यान रखें, पार्टनर कहीं आप की बातों से बोर तो नहीं हो रहा.

लौंग डिस्टैंस में एकदूसरे पर विश्वास रखना बेहद जरूरी है. अपनी हर बात उस से शेयर करें. इस से पार्टनर का विश्वास आप पर बना रहेगा. कोई भी काम करें तो उसे बता दें. यदि किसी काम के लिए वह आप को मना करे तो उसे न करें. इस से आप दोनों के बीच लड़ाई नहीं होगी.

बौयफ्रैंड से कहें कि 3-4 महीने में मिलने का समय निकाले. बेंगलुरु से दिल्ली फ्लाइट से ढाईतीन घंटे से ज्यादा समय नहीं लगता. कहीं घूमने का प्लान बना सकते हैं. वह आप के पास नहीं आ सकता तो आप उस के पास जाने का प्लान बना सकती हैं, उसे स्पैशल फील कराने के लिए.

इमोशनली वह आप से अटैच है ही, फिजिकली आप को देख कर हो सकता है, उस के लिए अपनी फीलिंग्स को कंट्रोल करना मुश्किल हो जाए और वह आप से शादी के लिए प्रपोज कर दे, जो आप चाहती भी हैं. ट्राई करने में क्या जाता है. लडके कई बार कुछ बातें बोल नहीं पाते, उन से बुलवानी पड़ती हैं. आखिर में आप से यही कहेंगे कि रिश्ते को बनाए रखने के लिए जितने प्रयास करेंगी, उतना ही रिश्ता मजबूत बनेगा.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

गोल्ड डिगर पार्टनर से दूरी ही भली

हाल ही में कानपुर में एक महिला ने अपने दूसरे पति की करोड़ों की संपत्ति हथियाने के लिए साजिश रची. रिहा गुप्ता का पहले पति से तलाक हो चुका था जिस से उस का एक बेटा है. इसके बाद 2014 में वैवाहिक वेबसाइट के जरिये रिहा की मुलाकात गोरखपुर के बिजनेसमैन अमित से हुई. अमित का भी 2013 में अपनी पहली पत्नी से तलाक हो चुका था. इन का भी एक बेटा है. रिहा और अमित की मुलाकात दोस्ती में बदली और दोनों ने 2014 में शादी का फैसला लिया. फरवरी 2021 तक तो सब कुछ ठीक रहा पर मार्च में रिहा पति को बिना बताए ढाई करोड़ रुपये कैश ले कर मायके आ गई.

इसके बाद पति से प्रॉपर्टी खरीदने के लिए आठ करोड़ रुपये और मंगा लिए. साथ ही करोड़ों के जेवर भी बहाने से पति से मंगवा लिए. इसके बाद भी वह वापस ससुराल यानी तमिलनाडु नहीं आई तो उसे डराने के लिए पति ने कोर्ट से नोटिस भेज दिया.

डरने के बजाय रिहा ने उल्टा पति व सास के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज करा दिया. पुलिस की जांच में आरोप गलत साबित हुए. इसके बाद रिहा ने अपने पहले पति से हुए बच्चे का फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाया और कोर्ट में लाख रुपये प्रतिमाह भरण पोषण का दावा ठोक दिया. कोर्ट की नोटिस पर अमित ने अपने स्तर पर जन्म प्रमाण पत्र की स्वास्थ्य विभाग से जांच कराई तो वह फर्जी निकल गया. इस पर उस ने जांच रिपोर्ट दायर कर दी. कोर्ट ने रिहा का यह केस भी खारिज कर दिया. साथ ही पुलिस को फर्जी प्रमाणपत्र की जांच के आदेश दे दिए.

सीधे तौर पर देखें तो रिहा जैसी महिलाओं को हम गोल्ड डिगर का नाम दे सकते हैं. एक ऐसी महिला जो अमीर पुरुषों के साथ रोमानी रिश्तों में आती हैं और उन की संपत्ति पर नजर रखती हैं. पैसों के लिए ही वे रिश्ते बनाती हैं. इस से उन्हें समाज में मनमाफिक स्थान मिलता है. वे जीवन की तमाम सुख सुविधाओं का उपयोग कर पाती हैं. ऐसी महिलाएं अमीर लोगों की तलाश में रहती हैं.

ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के अनुसार “गोल्ड डिगर” शब्द का इस्तेमाल उन महिलाओं के लिए किया जाता है जो समाज में अपना एक स्तर बनाए रखने के लिए किसी अमीर शख्स से शादी करती हैं.

गोल्ड डिगर शब्द पहली बार 1911 में इस्तेमाल में आया. अमेरिकी उपन्यासकार रेक्स बीच ने पहली बार अपनी किताब ‘द नेवर डू वेल’ में गोल्ड डिगर शब्द का इस्तेमाल किया था. बीसवीं सदी की शुरुआत में यह शब्द ऐसी महिलाओं के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा जो किसी के साथ रिलेशनशिप में आने से पहले सामने वाले की धन सम्पत्ति पर ज्यादा फोकस रखती थीं. 1920 के दशक में अमेरिका में पेगी हॉपकिंस जॉयस नाम की एक्ट्रेस हुईं. इन्होंने छह शादियां की थीं. पेगी के लिए गोल्ड डिगर शब्द का इस्तेमाल किया गया.

भारत में भी गोल्ड डिगर शब्द बड़ा पॉपुलर हुआ है. एक समय में रिया चक्रवर्ती और सुष्मिता सेन को भी गोल्ड डिगर कहा गया. बहुत से लोगों ने माना कि रिया ने सुशांत के साथ पैसों के लिए रिश्ता बनाया था. बॉलीवुड एक्ट्रेस सुष्मिता सेन आईपीएल के फाउंडर ललित मोदी के साथ रिलेशनशिप को लेकर चर्चा में रहीं. इन के रिलेशनशिप को लेकर भी तरह तरह की बातें हुईं. वैसे सुष्मिता के मामले में सच्चाई नजर नहीं आती. सुष्मिता की नेट वर्थ 100 करोड़ के आसपास है. मुंबई के वर्सोवा में एक आलीशान अपार्टमेंट में उनका घर है. उनके पास  बीएमडब्ल्यू और ऑडी कार  है. वह अपनी एक्टिंग से करोड़ों कमाती हैं. इसलिए हर महिला को इस नजर से देखना उचित नहीं.

ओनाती इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट फॉर द सोशियोलॉजी ऑफ लॉ ने एक आर्टिकल छापा. नाम था ‘इन डिफेन्स ऑफ द गोल्ड डिगर’. लिखने वाली थीं शैरन थॉम्प्सन. उन्होंने लिखा था, ‘ गोल्ड-डिगर शब्द की लोकप्रियता ये सुबूत नहीं देती कि कई महिलाएं पुरुषों के साथ सिर्फ आर्थिक वजहों से रिश्ते बना रही थीं. लेकिन महिलाओं और पुरुषों के बीच की आर्थिक और ढांचागत गैर-बराबरी ये ज़रूर बताती है कि इस शब्द को स्त्रियों से क्यों जोड़कर देखा गया. क्योंकि अपनी आर्थिक सुरक्षा के लिए महिलाओं का अमीर पुरुषों से शादी करना ज्यादा सम्भाव्य था जबकि इसके उलटे मामले बेहद कम थे. यानी एक पुरुष का अमीर महिला से पैसों के लिए शादी करना.’

वैसे इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि बहुत से पुरुष गोल्ड डिगर महिलाओं का शिकार बन कर अपना सुख चैन और दौलत सब कुछ लुटा बैठते हैं. इसलिए किसी के साथ रिलेशनशिप में आने से पहले इस बात को लेकर आश्वस्त हो जाएं कि वाकई वह आप से प्यार करती हैं या यह रिश्ता आर्थिक वजह से वजूद में आया है. अगर आप यह पता लगाना चाहते हैं कि आप का पार्टनर गोल्ड डिगर है या नहीं तो कुछ बातों पर ध्यान दें;

  •  जब आप किसी को डेट करते हैं तो अपने बजट को देखते हुए अच्छी जगह ढूंढते हैं जहां आप एक दूसरे से आराम से मिल सकें और कुछ खूबसूरत लम्हे गुजार सकें. लेकिन जब आप किसी गोल्ड डिगर को डेट कर रहे होते हैं तो वह हमेशा फैंसी और महंगी जगहों पर जाने की सलाह देगी और महंगी चीजें ऑर्डर करेगी.
  •  वह हमेशा आपको पेमेंट करने देगी और धीरे धीरे वह अपने अन्य खर्चों के लिए भी आप पर डिपेंडेंट हो जाएगी.
  • गोल्ड डिगर पार्टनर अक्सर इस बात पर अधिक ध्यान देते हैं कि आप क्या काम करते हैं और कितना कमाते हैं. आप को समझना होगा कि जिस व्यक्ति में आप इंटरेस्ट दिखा रहे हैं क्या वह आप से प्यार करता है या आपके पैसों से.
  • गोल्ड डिगर पार्टनर के पास अपना कोई लक्ष्य या फिर करियर गोल नहीं होता है.  इस के अलावा वह अक्सर घुमा-फिरा कर बातें करना पसंद करते हैं. ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस महिला को आप डेट कर रहे हैं वो गोल्ड डिगर है या नहीं.
  • ऐसी महिलाएं हमेशा अपने पुरुष पार्टनर से महंगे गिफ्ट्स की फरमाइश करती हैं. उन के बैंक बैलेंस और प्रॉपर्टी की जानकारी लेने को उत्सुक रहती हैं. पैसा देख कर ही किसी को भाव देती हैं.
  • इस तरह अगर आप थोड़ा ध्यान दें तो यह पता लगा सकते हैं कि आप की पार्टनर का मकसद क्या है. जिन का मकसद पैसा महसूस हो उन से शुरुआत में ही दूर हो जाना बेहतर है.
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