Married Life को समझें ग्रोइंग बिजनैस की तरह, बड़े काम के हैं ये मैनेजमैंट

Married Life : किसी कंपनी को चलाना किसी मैरिज को मैनेज करने जैसा ही हो सकता है. सुनने में यह अजीब बात लग सकती है. पर गौर करें तो दोनों में ही कहीं एक समानता नजर आएगी. तो फिर वैवाहिक जिंदगी को अपने बिजनैस या प्रोफैशनल लाइफ की तरह मैनेज करने में बुराई ही क्या है?

जैसे आप किसी बिजनैस को चलाने के लिए बजट बनाते हैं, लोगों को काम सौंपते हैं, उन्हें समयसमय पर प्रोत्साहित करते हैं, रिवार्ड देते हैं. ठीक वैसे ही वैवाहिक जीवन में भी बजट बनाना पड़ता है, एकदूसरे को काम सौंपे जाते हैं, जिम्मेदारियां बांटी जाती हैं, साथी को प्रोत्साहित किया जाता है, उसे समयसमय पर गिफ्ट दे कर अपने प्यार का इजहार कर यह जताया जाता है कि वह उस के जीवन में कितना महत्त्वपूर्ण है.

ग्रोइंग बिजनैस की तरह समझें

कोई भी अपने वैवाहिक जीवन की तुलना बिजनैस के साथ करना पसंद नहीं करता है. ऐसा करने से रिश्ते से रोमांस खत्म होता लगता है. पर विवाह में भी अपेक्षाएं और सीमाएं वैसी ही होती हैं जैसी कि किसी कंपनी में. आर्थिक जिम्मेदारियां, स्वास्थ्य संबंधी फायदे और प्रौफिट मार्जिन विवाहित संबंध में भी देखे जा सकते हैं. अगर हम अपने रिश्ते को एक ग्रोइंग बिजनैस की तरह देखते हैं, जिस में भविष्य की योजनाएं होती हैं, तब हमारा विवाह भी ग्रो कर सकता है.

हमें भावनात्मक संसाधनों को निर्मित करने, वित्तीय स्थिरता को बढ़ाने और अनापेक्षित स्थितियों का सामना करने के लिए वैकल्पिक योजनाएं बनाने के लिए समय की आवश्यकता होती है. यही बात बिजनैस पर भी लागू होती है, जिस में सही तरह से बनाई गई योजनाएं ही लक्ष्य तक पहुंचाने में मदद करती हैं.

पार्टनरशिप डील है

अगर सीधे शब्दों में कहें तो मैरिज को एक प्रकार की पार्टनरशिप ही मानें जिसे आप सफल बनाना चाहती हैं. मैरिज काउंसलर दिव्या राणा का कहना है कि लक्ष्य बनाएं और एक टीम की तरह उसे पूरा करने के लिए सहमत हों. याद रखें कि सब से सफल पार्टनरशिप प्रत्येक पार्टनर की बेहतरीन व अनोखी विशेषताओं का उपयोग करती है. आप में से कोई फाइनैंस संभालने में ऐक्सपर्ट हो सकता है तो दूसरा प्लानिंग में. आप को एकदूसरे की इन विशेषताओं का वैसे ही सम्मान करना चाहिए जैसे कि बिजनैस पार्टनर आपस में करते हैं.

मनोवैज्ञानिक अनुराधा सिंह मानती हैं कि अपनी शादी को एक प्राइवेट कंपनी की तरह अच्छे कम्यूनिकेशन के साथ चलाना और उसे सफल बनाने की इच्छा रखना बहुत माने रखता है. एक अच्छा बिजनैसमैन अपने कर्मचारी को सम्मान देता है और उस का खयाल रखता है, इसी वजह से कर्मचारी उस का सम्मान करते हैं और उम्मीद से ज्यादा काम करते हैं.

इस वजह से बिजनैस सुगमता और व्यवस्थित ढंग से चलने के साथसाथ लाभ भी देता है. इसी तरह जब हम अपने साथी का सम्मान करते है, उस की हर छोटीबड़ी बात की परवाह करते हैं, हमें उन से बदले में कहीं अधिक मिलता है, कई बार उम्मीद से ज्यादा.

बिजनैस के साथ प्लैजर को भी मिक्स करें. बिजनैस को भी ऐंजौय करें और मैरिज को भी. इस से संतुलन बने रहने के साथसाथ जोश और उत्साह भी बना रहेगा जो निरंतर आगे बढ़ते रहने को प्रोत्साहित करेगा. विवाह अगर नीरस बन जाए तो जीवन की गाड़ी खींचना बोझ लगने लगता है, तो फिर दायित्वों के साथ थोड़ा प्लैजर भी क्यों न मिक्स कर लिया जाए?

वर्क ऐथिक्स हैं जरूरी

चाहे बिजनैस हो या मैरिज दोनों ही वर्क ऐथिक्स पर चलते हैं. दोनों में ही निवेश करना पड़ता है. जिस तरह से आप अपने पोर्टफोलियो को मैनेज करते हैं, उसी तरह मैरिज में भी आप को अपने संबंधों के पोर्टफोलियो को मैनेज और अपडेट करते रहना पड़ता है.

अगर आप अपने मनपसंद प्रोफैशन में सफल होने के लिए कड़ी मेहनत कर सकते हैं तो क्या वही वर्क ऐथिक्स आप की मैरिज पर लागू नहीं होते? बात आश्चर्यजनक लग सकती है पर अपने कैरयर में आप ने जो सफलता व निपुणता हासिल की है, उसे ही मैरिज में ट्रांसफर कर दीजिए. फिर उसी तरह से एक मजबूत परिवार निर्मित कर पाएंगे जैसे कि आप ने अपनी कंपनी खड़ी की है.

ईगो को रखें दूर

मैरिज हो या बिजनैस, दोनों में ही अगर ईगो फैक्टर सिर उठाने लगे तो बिजनैस चौपट हो जाता है और मैरिज में टकराव या अलगाव झेलना पड़ जाता है. इसीलिए माना जाता है कि एक सही तरह से चलने वाला बिजनैस एक सही ढंग से चल रही शादी के समान है. दोनों ही अपनेअपने खिलाडि़यों के ईगो को बढ़ने नहीं देते.

ईगो वह संवेग है, जो युगल को अपने स्वार्थ से बाहर आने और एकदूसरे के प्रति पूर्ण समर्पित होने से रोकता है, चाहे युगल एकदूसरे को बहुत ज्यादा प्यार व सम्मान देने की चाह ही क्यों न रखते हों. इसी तरह बिजनैस के फेल होने का मुख्य कारण ईगो ही होता है, क्योंकि मालिक को वह अपने मातहतों के साथ सही ढंग से पेश आने या उन की परेशानियों को समझने से रोकता है.

कमिटमैंट है जरूरी

विवाह हो या बिजनैस दोनों ही जगह सहयोग अपेक्षित है. दोनों ही जगह अगर समझौते की स्थिति न हो तो असफलता हाथ लगते देर नहीं लगती है. समझौते के साथसाथ कम्यूनिकेशन एक ऐसा आधार है, जो दोनों को ही सफल बनाता है.

एकदूसरे को बदलने की कोशिश करने के बजाय दोनों को अपने को सुधारने पर काम करने को तैयार रहना चाहिए. कम्युनिकेशन के साथसाथ कमिटमैंट भी एक आवश्यक तत्त्व है शादी को निभाने के लिए वैसे ही जैसे वह बिजनैस को चलाने के लिए आवश्यक होता है. जहां कमिटमैंट नहीं वहां युगल में न विश्वास होगा न समर्पण की भावना और न ही जिम्मेदारी का भाव.

इसी तरह अगर बिजनैस में कमिटमैंट न हो तो बौस उस के प्रति न तो चिंतित रहेगा न ही उसे सुधारने के लिए मेहनत करेगा. ऐसी स्थिति में बिजनैस लंबे समय तक कायम नहीं रह पाएगा. वैसे ही शादी भी इस के अभाव में एक जगह पर आ कर ठहर जाएगी और पतिपत्नी दोनों के लिए एकदूसरे का साथ किसी सजा से कम नहीं होगा.

पति को उनके परिवार से दूर रखना क्या सही फैसला है?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं 22 वर्षीय विवाहिता हूं. विवाह को अभी 4 महीने ही हुए हैं. हम दोनों पतिपत्नी बहुत खुश हैं. सासससुर इंदौर में रहते हैं. पर इधर एक परेशानी हो गई है. मेरी ननद जो पिछले महीने हमारी ही हाउसिंग सोसाइटी में शिफ्ट हो गई है, बेवक्त आ जाती है, जिस से हम लोग अपना कोई घूमनेफिरने का प्रोग्राम नहीं बना पाते. पति यों तो अपनी बहन को बहुत चाहते हैं, पर उस के कारण हमारी प्राइवेसी में खलल पड़ता है, यह वे भी महसूस करने लगे हैं. घर से पति का कार्यालय काफी दूर पड़ता है, इसलिए हम सोच रहे हैं कि कार्यालय के पास ही कोई फ्लैट देख लें. इस से हम लोग अपने लिए कुछ अधिक समय निकाल पाएंगे. क्या यह उचित रहेगा?

जवाब-

आजकल एकल परिवार का ट्रैंड चल पड़ा है. आप शादी के बाद अकेले रहे हैं. इसीलिए आप को अपनी ननद की मौजूदगी अखर रही है. वैसे उसे भी यह सोचना चाहिए कि ऐसे समय न आए जिस से आप लोगों को कोई परेशानी न हो. आप की यह सोच भी वाजिब है कि पति के कार्यालय के पास घर ले लें. इस से आप को पति का साथ भी अधिक मिलेगा और ननद से भी थोड़ी दूरी हो जाएगी. इस से आपस में प्यार भी बना रहेगा.

ये भी पढ़ें- 

‘‘बताओ न हर्ष, तुम मुझ से कितना प्यार करते हो?’’

‘‘पीहू, रोजरोज यह सवाल पूछ कर क्या तुम मेरा प्यार नापती हो,’’ हर्ष ने पीहू की आंखों में आंखें डाल कर जवाब दिया.

‘‘यस मिस्टर, मैं देखना चाहती हूं कि जैसेजैसे हमारी रोज की मुलाकातें बढ़ती जा रही हैं वैसेवैसे मेरे लिए तुम्हारा प्यार कितना बढ़ रहा है.’’

‘‘क्या तुम्हें नजर नहीं आता कि मैं तुम्हारे लिए पागल हुआ रहता हूं. तुम्हारे ही बारे में सोचता रहता हूं. अब तो यारदोस्त भी कहने लगे हैं कि तू पहले वाला हर्ष नहीं रहा. कुछ तो बात है. पहले तो तू व्हाट्सऐप ग्रुप में सब के साथ कितना ऐक्टिव रहता था. इंस्टाग्राम पर रोज तेरी स्टोरी होती थी.’’

‘‘तो तुम उन्हें क्या जवाब देते हो?’’ पीहू हर्ष के बालों में उंगलियां फेरते

हुए बोली.

हर्ष ने पीहू की कमर में हाथ डाला और उसे अपने और करीब लाते हुए बोला, ‘‘क्या जवाब दूं कि आजकल मेरे ध्यान में, बस, कोई एक छाई रहती है, जिस की कालीकाली आंखों ने मुझे दीवाना बना दिया है. जिस की हर अदा मुझे मदहोश कर देती है. अब तुम्हारा दोस्त किसी काम का नहीं रहा.’’

हर्ष का यह फिल्मी अंदाज पीहू के मन को गुदगुदा गया. हर्ष की ये प्यारभरी बातें उसे बहुत भातीं. मन करता था कि वह उस की तारीफ करता रहे और वह सुनती रहे. एक अजीब से एहसास से सराबोर हो जाता था उस का तनमन.

वाकई हर्ष ने उस की जिंदगी में आ कर उसे जीने का नया अंदाज सिखा दिया था. जिंदादिल, दूसरों की मदद करने में हमेशा आगे, दोस्तों का चहेता, दिल से रोमांटिक, स्मार्ट, इंटैलिजैंट, कितनी खूबियां हैं उस में. बहुत खुशनसीब समझती है वह अपनेआप को कि हर्ष जैसा लवर उसे मिला.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर 8588843415 पर  भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

जब वर्जिन हो गर्लफ्रैंड, तो रखें कुछ खास बातों का ख्याल

नेहा और सोहन की दोस्ती को अभी 2 महीने ही हुए थे कि सोहन उसे बातबात में टच करने की कोशिश करता. जब उसे यह बात पता चली कि नेहा वर्जिन है, तो वह उसे बहाने से एकांत में, होटल वगैरा में ले जा कर सैक्स करने को उत्तेजित करता.

सोहन की यह बात नेहा को पसंद न आई औैर उस ने साफ कह दिया कि मेरे लिए सैक्स शादी के बाद ही उचित है. यह बात सुन सोहन भड़क उठा, क्योंकि उस के दोस्त भी उस का मजाक बनाते थे कि यार तू कैसा लड़का है जो अपनी गर्लफ्रैंड को इतने समय में भी सैक्स के लिए राजी नहीं कर पाया. ऐसे में उस ने बिना सोचेसमझे नेहा से ब्रेकअप कर लिया.

ऐसा सिर्फ नेहा औैर सोहन के साथ ही नहीं बल्कि अधिकांश युवकों के साथ होता है, क्योंकि उन के लिए प्यार के माने गर्लफ्रैंड से सैक्स है. ऐसे में जब आप को पता चले कि आप की गर्लफ्रैंड वर्जिन है तो उस पर जबरदस्ती वर्जिनिटी तोड़ने का दबाव न डालें औैर न ही खुद किसी दबाव में आएं बल्कि संयम बरतते हुए उसे वक्त दें ताकि वह तैयार हो जाए, आपसी सहमति से रिलेशन बनाने के लिए.

जब गर्लफ्रैंड हो वर्जिन

रखें खुद पर संयम

गर्लफ्रैंड वर्जिन हो और आप का खुद पर कंट्रोल मुश्किल हो रहा हो तो भी आप को संयम बरतना होगा. ऐसा न हो कि मौका मिलते ही चालू हो जाएं. भले ही आप के लिए यह पहला मौका नहीं है लेकिन आप की गर्लफ्रैंड का यह पहला चांस है. ऐसे में उसे चीजों को समझने में वक्त लगेगा और आप को भी उस की फीलिंग्स की कद्र करनी पडे़गी, तभी यह रिश्ता लंबे समय तक चल पाएगा.

बातोंबातों में प्यार दें

अपनी गर्लफ्रैंड को कभी प्यार से हग करें तो कभी उस के गालों पर किस करें, जब वह आप के प्रति करीबी महसूस करने लगे तो उसे समझाएं कि यह भी खूबसूरत एहसास है.

वर्जिन गर्लफ्रैंड से न करें सैक्स

वर्जिन गर्लफ्रैंड के साथ सैक्स करने में उसे हर्ट हो सकता है, जिस कारण वह दोबारा कभी सैक्स करने की हिम्मत नहीं जुटा पाएगी. अत: गर्लफ्रैंड के साथ सैक्स करने की जिद न करें.

वर्जिन गर्लफ्रैंड को न समझें दब्बू

बातबात पर उसे यह कह कर नीचा दिखाने की कोशिश न करें कि यार तेरे तो कुछ बस का ही नहीं है, तभी तो तू आज तक वर्जिन है. हर समय डरती रहती है. तू तो मुझे खुश करने के लिए कुछ भी नहीं करती जबकि रेखा को देख वह अपने बौयफ्रैंड के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती है. तू तो हमेशा ऐसे ही ढीलीढाली बनी रहेगी.

आप की ऐसी बातें सुन कर जहां वह दुखी होगी वहीं आप से दूरी भी बना लेगी.

ड्रिंक पिला कर न करें जबरदस्ती

आप की गर्लफ्रैंड अभी रिलेशन बनाने के मूड में नहीं है, लेकिन आप उस पर बारबार दबाव डाल रहे हैं. ऐसे में अपने ऐंजौयमैंट के लिए आप नशीला ड्रिंक पिला कर उस के साथ जबरदस्ती करने लगेंगे तो इस से भले ही आप को कुछ पल का मजा मिल जाए, लेकिन यह मजा आप के लिए हमेशा की सजा भी बन जाएगा. इसलिए भूल कर भी यह गलती न करें.

वर्जिनिटी को न बनाएं इश्यू

आप की गर्लफ्रैंड वर्जिन नहीं है तो इस का अर्थ यह नहीं कि सैक्स के दौरान ब्रेकअप कर बैठें, जो ठीक नहीं है.

वर्जिनिटी की तय दकियानूसी बातें जैसे झिल्ली फटना आज के संदर्भ में महत्त्व नहीं रखतीं. आज युवतियां हर तरह के इवैंट्स में भाग लेती हैं. उन्हें स्वयं ही पता नहीं चलता कि कब उन की झिल्ली फट गई. इसलिए इन बातों को आधार बना कर अपनी प्रेम लाइफ को कष्टकारी न बनाएं.

वर्जिनिटी न पड़ जाए भारी

आप किसी पार्टी में गए हुए हैं और वहां आप की मुलाकात किसी ऐसी युवती से हो जाए जो वर्जिन हो. यह बात आप को उस से बात करने के दौरान पता चले औैर यह सुन कर ही आप उस से इंप्रैस हो कर उसे अपनी गर्लफ्रैंड बनाने का औफर दे डालें तो यह आप की सब से बड़ी भूल होगी.

हो सकता है कि वह अपने वर्जिन होने के ढोंग से आप को अपनी ओर आकर्षित करना चाह रही हो, जबकि इस के पीछे मकसद आप को फंसाना हो.

पोर्न वीडियोज देख कर न हों उत्तेजित

भले ही आप को सैक्स के बारे में नौलेज नहीं है, लेकिन बौयफ्रैंड को इंप्रैस करने के चक्कर में यदि आप पोर्न वीडियोज देखने लगें, तो इस का आप पर भी गलत प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि इस में पार्टनर के साथ दिखाए गए अधिकांश ऐक्शंस वास्तविक नहीं होते, लेकिन अगर आप इन्हें अपनी वास्तविक सैक्स लाइफ में अप्लाई करेंगे तो इन से आप को नुकसान उठाना पड़ सकता है.

युवतियां वर्जिनिटी को न बनाएं पार्टनर की कमजोरी

बातबात पर पार्टनर को यह कहना कि तुम्हें मुझ जैसी वर्जिन गर्लफ्रैंड कभी नहीं मिलेगी औैर यह कह कर हर बार फरमाइशों की लिस्ट उस के सामने न रख दें. ऐसे में आप का बौयफ्रैंड भले ही थोड़े समय के लिए आप की मांगों को पूरा कर दे लेकिन एक वक्त ऐसा आएगा जब वह आप से दूर जाने में ही भलाई समझेगा. इसलिए अगर आप का पार्टनर आप से सच्चे दिल से प्यार करता है तो उस की कद्र करें न कि उसे अपनी वर्जिनिटी से ब्लैकमेल करने की कोशिश करें.

मैं जानना चाहती हूं कि क्या मैं अपने Future पति के साथ खुश रह पाऊंगी या नहीं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 26 वर्षीय युवती हूं. एक युवक से प्रेम करती थी. 6 वर्ष तक हमारा प्रेम संबंध चला. हम ने कई बार शारीरिक संबंध भी बनाए पर मैं कभी गर्भवती नहीं हुई जबकि हम कोई एहतिय तक नहीं बरतते थे. मेरे बौयफ्रैंड से मेरा ब्रेकअप हो चुका है. अब मेरे घर वाले मेरी शादी के लिए प्रयास कर रहे हैं. मैं जानना चाहती हूं कि क्या मैं अपने भावी पति को यौन सुख दे पाऊंगी या नहीं और क्या मैं भविष्य में मां बन पाऊंगी या नहीं?

जवाब

यदि आप अपने बौयफ्रैंड से संबंध बनाने के दौरान कभी गर्भवती नहीं हुईं तो इस का अभिप्राय यह नहीं कि आप में कोई कमी है. इसलिए अपने मन में किसी तरह का पूर्वाग्रह न पालें और विवाह कर लें.

ये भी पढ़ें…

कामुकता का राज

मेरठ का 30 वर्षीय मनोहर अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं था, कारण शारीरिक अस्वस्थता उस के यौन संबंध में आड़े आ रही थी. एक वर्ष पहले ही उस की शादी हुई थी. वह पीठ और पैर के जोड़ों के दर्द की वजह से संसर्ग के समय पत्नी के साथ सुखद संबंध बनाने में असहज हो जाता था. सैक्स को ले कर उस के मन में कई तरह की भ्रांतियां थीं.

दूसरी तरफ उस की 24 वर्षीय पत्नी उसे सैक्स के मामले में कमजोर समझ रही थी, क्योंकि वह उस सुखद एहसास को महसूस नहीं कर पाती थी जिस की उस ने कल्पना की थी. उन दोनों ने अलगअलग तरीके से अपनी समस्याएं सुलझाने की कोशिश की. वे दोस्तों की सलाह पर सैक्सोलौजिस्ट के पास गए. उस ने उन से तमाम तरह की पूछताछ के बाद समुचित सलाह दी.

क्या आप जानते हैं कि सैक्स का संबंध जितना दैहिक आकर्षण, दिली तमन्ना, परिवेश और भावनात्मक प्रवाह से है, उतना ही यह विज्ञान से भी जुड़ा हुआ है. हर किसी के मन में उठने वाले कुछ सामान्य सवाल हैं कि किसी पुरुष को पहली नजर में अपने जीवनसाथी के सुंदर चेहरे के अलावा और क्या अच्छा लगता है? रिश्ते को तरोताजा और एकदूसरे के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए क्या तौरतरीके अपनाने चाहिए?

सैक्स जीवन को बेहतर बनाने और रिश्ते में प्यार कायम रखने के लिए क्या कुछ किया जा सकता है? रिश्ते में प्रगाढ़ता कैसे आएगी? हमें कोई बहुत अच्छा क्यों लगने लगता है? किसी की धूर्तता या दीवानगी के पीछे सैक्स की कामुकता के बदलाव का राज क्या है? खुश रहने के लिए कितना सैक्स जरूरी है? सैक्स में फ्लर्ट किस हद तक किया जाना चाहिए?

इन सवालों के अलावा सब से चिंताजनक सवाल अंग के साइज और शीघ्र स्खलन की समस्या को ले कर भी होता है. इन सारे सवालों के पीछे वैज्ञानिक तथ्य छिपा है, जबकि सामान्य पुरुष उन से अनजान बने रह कर भावनात्मक स्तर पर कमजोर बन जाता है या फिर आत्मविश्वास खो बैठता है.

वैज्ञानिक शोध : संसर्ग का संघर्ष

हाल में किए गए वैज्ञानिक शोध के अनुसार, यौन सुख का चरमोत्कर्ष पुरुषों के दिमाग में तय होता है, जबकि महिलाओं के लिए सैक्स के दौरान विविध तरीके माने रखते हैं. चिकित्सा जगत के वैज्ञानिक बताते हैं कि पुरुष गलत तरीके के यौन संबंध को खुद नियंत्रित कर सकता है, जो उस की शारीरिक संरचना पर निर्भर है.

पुरुषों के लिए बेहतर यौनानंद और सहज यौन संबंध उस के यौनांग, मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी पर निर्भर करता है. पुरुषों में यदि रीढ़ की हड्डी की चोट या न्यूरोट्रांसमीटर सुखद यौन प्रक्रिया में बाधक बन सकता है, तो महिलाओं के लिए जननांग की दीवारें इस के लिए काफी हद तक जिम्मेदार होती हैं और कामोत्तेजना में बाधक बन सकती हैं.

शोध में वैज्ञानिकों ने पाया है कि एक पुरुष में संसर्ग सुख तक पहुंचने की क्षमता काफी हद तक उस के अपने शरीर की संरचना पर निर्भर है, जिस का नियंत्रण आसानी से नहीं हो पाता है. इस के लिए पुरुषों में मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी और शिश्न जिम्मेदार होते हैं.

मैडिसन के इंडियाना यूनिवर्सिटी स्कूल और मायो क्सीविक स्थित वैज्ञानिकों ने सैक्सुअल और न्यूरो एनाटोमी से संबंधित संसर्ग के प्रचलित तथ्यों का अध्ययन कर विश्लेषण किया. विश्लेषण के अनुसार,

डा. सीगल बताते हैं, ‘‘पुरुष के अंग के आकार के विपरीत किसी भी स्वस्थ पुरुष में संसर्ग करने की क्षमता काफी हद तक उस के तंत्रिकातंत्र पर निर्भर है. शरीर को नियंत्रित करने वाले तंत्रिकातंत्र और सहानुभूतिक तंत्रिकातंत्र के बीच संतुलन बनाया जाना चाहिए, जो शरीर के भीतर जूझने या स्वच्छंद होने की स्थिति को नियंत्रित करता है.’’

डा. सीगल अपने शोध के आधार पर बताते हैं कि शारीरिक संबंध के दौरान संवेदना मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी द्वारा पहुंचती है और फिर इस के दूसरे छोर को संकेत मिलता है कि आगे क्या करना है. इस आधार पर वैज्ञानिकों ने पाया कि उत्तेजना 2 तथ्यों पर निर्भर है.

एक मनोवैज्ञानिक और दूसरी शारीरिक, जिस में शिश्न की उत्तेजना प्रत्यक्ष तौर पर बनती है.

इन 2 कारणों में से सामान्य मनोवैज्ञानिक तर्क की मान्यता में पूरी सचाई नहीं है. डा. सीगल का कहना है कि रीढ़ की हड्डी की चोट से शिश्न की उत्तेजना में कमी आने से संसर्ग सुख की प्राप्ति प्रभावित हो जाती है. इसी तरह से मस्तिष्क में मनोवैज्ञानिक समस्याओं में अवसाद आदि से तंत्रिका रसायन में बदलाव आने से संसर्ग और अधिक असहज या कष्टप्रद बन जाता है.

स्त्री की यौन तृप्ति

कोई युवती कितनी कामुक या सैक्स के प्रति उन्मादी हो सकती है? इस के लिए बड़ा सवाल यह है कि उसे यौन तृप्ति किस हद तक कितने समय में मिल पाती है? विश्लेषणों के अनुसार, शोधकर्ता वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ऐसे लोगों को चिकित्सकीय सहायता मिल सकती है और वे सुखद यौन संबंध में बाधक बनने वाली बहुचर्चित भ्रांतियों से बच सकते हैं.

इस शोध में यह भी पाया गया है कि युवतियों के लिए यौन तृप्ति का अनुभव कहीं अधिक जटिल समस्या है. इस बारे में पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों ने माइक्रोस्कोप के जरिए युवतियों के अंग की दीवारों में होने वाले बदलावों और असंगत प्रभाव बनने वाली स्थिति का पता लगाया है.

वैज्ञानिकों ने एमआरआई स्कैन के जरिए महिला के दिमाग में संसर्ग के दौरान की  सक्रियता मालूम कर उत्तेजना की समस्या से जूझने वाले पुरुषों को सुझाव दिया है कि वे अपनी समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं. उन्हें सैक्सुअल समस्याओं के निबटारे के लिए डाक्टरी सलाह लेनी चाहिए, न कि नीम हकीम की सलाह या सुनीसुनाई बातों को महत्त्व देना चाहिए. इस अध्ययन को जर्नल औफ क्लीनिकल एनाटौमी में प्रकाशित किया गया है.

महत्त्वपूर्ण है संसर्ग की शैली

डा. सीगल के अनुसार, महिलाओं के लिए संसर्ग के सिलसिले में अपनाई गई पोजिशन महत्त्वपूर्ण है. विभिन्न सैक्सुअल पोजिशंस के संदर्भ में शोधकर्ताओं द्वारा किए गए सर्वेक्षणों में भी पाया गया है कि स्त्री के यौनांग की दीवारों को विभिन्न तरीके से उत्तेजित किया जा सकता है.

आज की भागदौड़भरी जीवनशैली में मानसिक तनाव के साथसाथ शारीरिक अस्वस्थता भी सैक्स जीवन को प्रभावित कर देती है. ऐसे में कोई पुरुष चाहे तो अपनी सैक्स संबंधी समस्याओं को डाक्टरी सलाह के जरिए दूर कर सकता है.

कठिनाई यह है कि ऐसे डाक्टर कम होते हैं और जो प्रचार करते हैं वे दवाएं बेचने के इच्छुक होते हैं, सलाह देने में कम. वैसे, बड़े अस्पतालों में स्किन व वीडी रोग (वैस्कुलर डिजीज) विभाग होता है. अगर कोई युगल किसी सैक्स समस्या से जूझ रहा है तो वह इस विभाग में डाक्टर को दिखा कर सलाह ले सकता है.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर 8588843415 पर  भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

दोस्ती की आड़ में न उठाएं फायदा, ‘खुद को इस तरह रखें सेफ’

लेखक- श्रीप्रकाश शर्मा

अंतरा ने जब अपने पिता के ट्रांसफर के कारण नए शहर के एक नए स्कूल में दाखिला लिया तो उस की खुशी का ठिकाना न रहा, क्योंकि उस की खूबसूरती के कारण स्कूल के अधिकांश युवक उस से दोस्ती करना चाहते थे. जिस की वजह से कभी कोई उसे गिफ्ट देता तो कोई चौकलेट. किंतु शहरी लाइफस्टाइल और विपरीतलिंगी दोस्ती के गहरे अर्थों से अनजान अंतरा को यह रहस्य बिलकुल भी पता नहीं था कि इस के पीछे हकीकत क्या है.

शुरू-शुरू में तो अंतरा को यह सब अच्छा लगता था, क्योंकि उस से दोस्ती करने वालों और उसे चाहने वालों की लाइन जो लगी रहती थी, लेकिन अंतरा वह सब नहीं देख पा रही थी जो असल में इस दोस्ती के पीछे छिपा हुआ था. उस के लिए ऐसी दोस्ती का मतलब केवल बाहर होटल या रेस्तरां में लंच तथा डिनर करना, स्कूल कैंटीन और कौफी हाउस में कोल्डड्रिंक ऐंजौय करना और चौकलेट्स शेयर करना तथा दोस्तों की बर्थडे पार्टियों में केक खाना और मस्ती के साथ नाचगाना करने के रूप में सीमित था.

इन सब पार्टियों के कारण अंतरा अकसर स्कूल से अपने घर बड़ी देर से लौटती थी. उस के मम्मीपापा भी ज्यादा टोकाटाकी नहीं करते थे. इसलिए अंतरा खुल कर इन पलों को जी रही थी, लेकिन अंतरा के साथ एक दिन जो घटा उस की उस ने सपने में भी कल्पना नहीं की थी

संयोग से एक दिन गौरव का बर्थडे था, जिसे अंतरा अपना सब से अच्छा दोस्त समझती थी, उस दिन अंतरा स्कूल के बाद अन्य दोस्तों के साथ गौरव का बर्थडे सैलिब्रेट करने के लिए शहर से कुछ दूर स्थित गौरव के फार्म हाउस गई. वहां केक, मिठाइयों और चौकलेट्स के साथसाथ शराब और बियर की बोतलें भी खुलीं. अंतरा इस से बच न सकी. नशे में बेखबर अंतरा वह सबकुछ कर रही थी, जिस का उसे जरा भी अंदाजा नहीं था.

नशे की हालत में धीरेधीरे उस के दोस्तों ने अंतरा के साथ छेड़खानी शुरू कर दी. पार्र्टी में अंतरा 10-12 दोस्तों के बीच अकेली लड़की थी. अपने बदन पर अपने दोस्तों की छुअन की सिहरन को अंतरा खूब महसूस कर रही थी, लेकिन जब अंतरा को लगा कि उस के साथ जबरदस्ती की जा रही है तो उसे अपनी गलती का एहसास हुआ. ऐसे में अपने दोस्तों से उस ने छोड़ने की मिन्नतें कीं, लेकिन वे सभी अंतरा की खूबसूरती के नशे में अंधे हो चुके थे.

अंतरा को जब लगा कि वे ऐसे नहीं मानेंगे तो वह जोरजोर से चिल्लाने लगी और पास में रखी खाली बोतलें खिड़कियों के शीशे पर मारने लगी. कहीं लोग इकट्ठे न हो जाएं इस भय से अंतरा के दोस्तों ने उसे छोड़ दिया. इस जाल से निकलने के बाद अंतरा को नए अनुभव के साथ नई जिंदगी मिली थी, जो उस के लिए बड़ी सीख थी.

सच पूछिए तो अंतरा जैसी निर्दोष और मासूम युवती के जीवन की व्यथा की यह कहानी एक लेखक की कोरी कल्पना हो सकती है, लेकिन वास्तविक दुनिया में इस तरह की सच्ची और कड़वी कहानियों से प्रिंट मीडिया के पेज और टैलीविजन के चैनल्स भरे रहते हैं. यह भी सच है कि इस तरह की घटना का शिकार होने वाली अंतरा वास्तविक जीवन और मौडर्न दुनिया में अकेली नहीं है. अंतरा जैसी कुछ युवतियां परिवार और समाज के भय से या तो आत्महत्या कर लेती हैं या फिर अपने पर किए गए जुल्मों को चुपचाप सह लेती हैं.

अहम प्रश्न यह उठता है कि जिस दोस्ती को मानव जीवन का अनमोल उपहार माना जाता है, आखिर उसी पवित्र रिश्ते को कलंकित करने की पृष्ठभूमि तैयार करने के लिए कौन जिम्मेदार होता है? साइकोलौजी के जनक कहे जाने वाले सिगमंड फ्रायड का यह मानना था कि मानो जीवन की हरेक ऐक्टिविटी केवल 2 उद्देश्यों से प्रभावित होती है, प्रसिद्धि पाने की लालसा और सैक्स. इस तरह सैक्स को मानव जीवन में एक कुदरती आवश्यकता के रूप में शुमार किया जाता है.

सच पूछिए तो किसी युवक और युवती के बीच दोस्ती संबंधों की मर्यादा और उस की पवित्रता का वहन करना कोईर् आसान काम नहीं होता. दोस्ती का यह रिश्ता जिस नाजुक डोर से बंधा होता है वह तनमन की हलकी सी गरमी से भी दरक उठता है. लिहाजा, यदि आप भी तथाकथित दोस्ती के किसी ऐसे बंधन से बंधे हुए हैं तो आप को इस पवित्र रिश्ते को स्वच्छ रखने के लिए अपने मन पर बड़ी कठोरता से नियंत्रण रखने की आवश्यकता है, क्योंकि युवक और युवतियों की दोस्ती के बंधन की उम्र बहुत छोटी होती है. ऐसा नहीं है कि इस प्रकार की दोस्ती की आड़ में केवल युवक ही सैक्सुअल रिलेशन बनाने की ताक में रहते हैं बल्कि युवतियां भी इस में पीछे नहीं रहतीं.

संस्कार जब एक छोटे से गांव से अपनी स्कूली पढ़ाई पूरी कर कालेज की पढ़ाई के लिए शहर आया तो उसे शुरू में सबकुछ अजीब सा लगता था. वह बहुत शर्मीले स्वभाव का था और वह युवतियां तो दूर युवकों से भी बड़ी मुश्किल से बात करता था. लेकिन वह बहुत होशियार था और पेरैंट्स उसे एक आईएएस औफिसर के रूप में देखना चाहते थे. वर्षा भी उसी की क्लास में पढ़ती थी और संस्कार के रिजर्व नेचर और होशियार होने के कारण उसे मन ही मन काफी चाहती भी थी, लेकिन वह संस्कार को इस बारे में बता पाने की हिम्मत नहीं जुटा पाती थी.

संयोग से एक दिन उस के कालेज का एक हिल स्टेशन पर जाने का प्रोग्राम बना और इस दौरान दोनों को बस में एकसाथ बैठने का मौका मिल गया. मौका पा कर वर्षा ने संस्कार के हाथों में हाथ डाल कर अपने मन की बात कह डाली. यह सुन संस्कार के होश उड़ गए और उस ने बिना सोचेसमझे ही उसे मना कर दिया, क्योंकि वह जिस बैकग्राउंड से आया था उस में उस के लिए इन सब चीजों को ऐक्सैप्ट करना संभव नहीं था.

ठीक है, तुम मुझे प्यार नहीं कर सकते तो हम दोनों दोस्त बन कर तो रह ही सकते हैं. क्या तुम मेरी फ्रैंडशिप भी ऐक्सैप्ट नहीं करोगे? वर्षा ने प्यार के अंतिम तीर के रूप में जब यह प्रश्न संस्कार के सामने रखा तो संस्कार भावनाओं के सागर में गोते लगाने लगा और इस के लिए उस ने हामी भर दी.

दोस्ती के नाम पर अब वे दोनों साथ घूमतेफिरते, मस्ती करते. वक्त के साथ उन दोनों के बीच दोस्ती और भी गहरी होती गई और धीरेधीरे साथसाथ जीनेमरने की कसमें भी खाई जाने लगीं. वैलेंटाइन डे के दिन जब पूरा कालेज डांस और म्यूजिक में बिजी था तो संस्कार और वर्षा फरवरी की उस कुनकुनी ठंड में शहर के एक खूबसूरत पार्क में साथसाथ जीवन जीने के सपने बुन रहे थे.

सूरज डूब चुका था और शाम के साए में रोशनी धीरेधीरे खत्म हो रही थी. वहां से लौटते हुए वर्षा और संस्कार की करीबी में जीवन की सारी मर्यादाओं की रेखा मिट चुकी थी. दोस्ती के बंधन में प्यार और वासना की भूख ने कब सेंध लगा दी, इस का एहसास भी प्रेमी युगल को नहीं हो पाया.

जब इस प्रकार दोस्ती निभाने का प्रश्न उठता है तो ऐसा करना किसी तलवार की धार पर चलने से कम खतरनाक नहीं होता. पहले तो आप इस प्रकार के रिश्ते को अपने परिवार वालों से छिपा कर न रखें. महंगे गिफ्ट्स के ऐक्सचेंज से दूर रहने की कोशिश करें, क्योंकि जब इस प्रकार के महंगे गिफ्ट्स के ऐक्सचेंज की शुरुआत होती है तो एकदूसरे से अपेक्षाओं का दायरा काफी बढ़ जाता है और इस के साथ सब से बड़ी बात यह होती है कि इस प्रकार की अपेक्षाओं की कोई लक्ष्मण रेखा नहीं होती.

दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी पार्टी और फंक्शन में अपने फ्रैंड्स के साथ अकेले जाने से परहेज करें, क्योंकि मन के आवेग का कोई भरोसा नहीं होता. यदि ऐसी पार्टियों में जाना निहायत जरूरी हो तो अपने परिवार के किसी सदस्य या फिर कौमन फ्रैंड्स के साथ जाएं. ऐसा करने से आप सेफ रहेंगी.

मुझे शक है कि मेरे पति का औफिस में अफेयर चल रहा है, सच्चाई कैसे पता करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं शादीशुदा गृहिणी हूं. पति स्मार्ट व हैंडसम हैं और अपनी उम्र से काफी छोटे दिखते हैं. वे सरकारी महकमे में अधिकारी हैं. 2 बेटे हैं जो अपनेअपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन जी रहे हैं. मेरी समस्या यह है कि पिछले 1 साल से पति ने मेरे साथ सैक्स नहीं किया, हालांकि हमारे में कोई विवाद नहीं है. 1-2 लोगों ने मुझे बताया है कि उन के अपनी सहकर्मी से संबंध हैं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

जैसाकि आप ने बताया कि आप दोनों के बीच कोई विवाद नहीं है पर पति सैक्स में दिलचस्पी नहीं लेते तो आप को इस की वजह जानने की कोशिश करनी होगी. संभव है कि वे बतौर अधिकारी काम के बोझ तले दबे हों और तनाव में रहते हों या फिर उन्हें कोई अंदरूनी परेशानी हो. वक्त और मूड देख कर आप को पति से बात करनी चाहिए. रही बात उन का अपनी सहकर्मी से संबंध की, तो सुनीसुनाई बातों पर भरोसा करना दांपत्य जीवन में जहर ही घोलता है. दूसरों की कही बातों पर भरोसा न करें. वैसे भी विवाहेतर संबंध ज्यादा दिनों तक नहीं टिकते. देरसवेर इस रिश्ते पर विराम लग ही जाता है. बावजूद इस के अगर आप अपने रिश्ते में जान फूंकना चाहती हैं तो पति के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताएं, उन्हें भरपूर प्यार दें, कामकाज के बारे में पूछें, साथ घूमने जाएं. हां, अगर उन में किसी शारीरिक विकार के लक्षण दिखें तो डाक्टर से परामर्श लें.

ये भी पढ़ें-

अगर आप भी वर्किंग वुमन है तो सावधान रहिए. कभी-कभी औफिस के अफेयर भारी पड़ सकते हैं.अक्सर औफिस में ऐसे अफेयर तो हो ही जाते हैं किसी न किसी से. किसी का प्यार परवान चढ़ जाता है तो कोई बस टाइम पास के लिए ऐसा करता है साथ ही उसको फिर किसी चीज की परवाह नहीं होती और वो अपनी पर्सनल लाइफ और औफिस की लाइफ को मिक्स करने लगता है.ये बात केवल लड़की पर नहीं बल्कि लड़के पर भी लागू होती है. कई मर्द तो शादीशुदा होते हुए भी ऐसे चक्कर चलाते हैं,लेकिन ये अफेयर कभी-कभी आप पर बहुत भारी पड़ता है. इसका असर आपकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ दोनों पर ही पड़ता है.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर 8588843415 पर  भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

क्या पति को पुराने रिलेशनशिप के बारे में क्या पता चल सकता है?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं 21 वर्षीय युवती हूं. सगाई हो चुकी है और जल्द ही विवाह होने वाला है. मैं अपनी शादी को ले कर जितनी उत्साहित हूं उतनी ही सुहागरात को ले कर चिंतित भी हूं. मैं ने सुना है कि लड़के को सुहागरात को पता चल जाता है कि लड़की शादी से पहले किसी से शारीरिक संबंध बना चुकी है या नहीं. यदि ऐसा हुआ तो मेरा क्या होगा?

जवाब-

आप ने साफसाफ नहीं लिखा है तो भी आप के गोलमोल विवरण से लगता है आप किसी से संबंध बना चुकी हैं. इसीलिए आप भयभीत हैं कि कहीं यह राज आप के होने वाले पति पर जाहिर न हो जाए. लेकिन अब भयभीत होने से समस्या हल होने वाली नहीं है. अब आप सिर्फ यह करें कि इस संबंध में अपना मुंह न खोलें. जब तक स्वयं नहीं कबूलेंगी, पति नहीं जान पाएंगे कि विवाहपूर्व आप किसी से संबंध बना चुकी हैं.

ये भी पढ़ें- 

अपनी शादी की बात सुन कर दिव्या फट पड़ी. कहने लगी, ‘‘क्या एक बार मेरी जिंदगी बरबाद कर के आप सब को तसल्ली नहीं हुई जो फिर से… अरे छोड़ दो न मुझे मेरे हाल पर. जाओ, निकलो मेरे कमरे से,’’ कह कर उस ने अपने पास पड़े कुशन को दीवार पर दे मारा. नूतन आंखों में आंसू लिए कुछ न बोल कर कमरे से बाहर आ गई.

आखिर उस की इस हालत की जिम्मेदार भी तो वे ही थे. बिना जांचतड़ताल किए सिर्फ लड़के वालों की हैसियत देख कर उन्होंने अपनी इकलौती बेटी को उस हैवान के संग बांध दिया. यह भी न सोचा कि आखिर क्यों इतने पैसे वाले लोग एक साधारण परिवार की लड़की से अपने बेटे की शादी करना चाहते हैं? जरा सोचते कि कहीं दिव्या के दिल में कोई और तो नहीं बसा है… वैसे दबे मुंह ही, पर कितनी बार दिव्या ने बताना चाहा कि वह अक्षत से प्यार करती है, लेकिन शायद उस के मातापिता यह बात जानना ही नहीं चाहते थे. अक्षत और दिव्या एक ही कालेज में पढ़ते थे. दोनों अंतिम वर्ष के छात्र थे. जब कभी अक्षत दिव्या के संग दिख जाता, नूतन उसे ऐसे घूर कर देखती कि बेचारा सहम उठता. कभी उस की हिम्मत ही नहीं हुई यह बताने की कि वह दिव्या से प्यार करता है पर मन ही मन दिव्या की ही माला जपता रहता था और दिव्या भी उसी के सपने देखती रहती थी.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर 8588843415 पर  भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

पतिपत्नी के बीच बना रहेगा हमेशा प्यार, जब बढ़ाएंगे एकदूसरे के लिए मदद का हाथ

‘‘कितनी खुश होती हैं वे पत्नियां जिन के पति रोज सुबह उन्हें चाय का कप थमा कर जगाते हैं… चाय का कप तो दूर की बात है कभी 1 गिलास पानी तक नहीं मिला इन के हाथों से,’’ पत्नी शालू को हमेशा पति विवेक से शिकायत रहती. पत्नी की रोजरोज की शिकायत दूर करने के लिए एक दिन सुबह जल्द उठ कर विवेक ने 2 कप चाय बनाई और फिर जबान में मिठास घोलते हुए बोला, ‘‘गुडमौर्निंग डार्लिंग… गरमगरम चाय हाजिर है.’’

यह सुन शालू के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा. मुसकराते हुए पति के हाथ से चाय का कप ले लिया. मगर एक घूंट पीते ही बुरा सा मुंह बना कर बोली, यह क्या बकवास चाय बनाई है? न चायपत्ती का कोई हिसाब न चीनी का… दूध तो जैसे डाला ही नहीं… सुबहसुबह मूड खराब कर दिया.

विवेक को भी गुस्सा आ गया. बोला, इधर गिरो तो कुआं उधर गिरो तो खाई… कुछ करो तो बुरा, न करो तो निकम्मा… मुझे तो बस बुराई ही मिलनी है…

रमेश औफिस से आ कर मूड फ्रैश करने के लिए अपना सोशल अकाउंट और मेल चैक करने लगा. तभी सीमा ने पूछा, ‘‘खाने में क्या बनाऊं?’’

कुछ भी बना लो, जो तुम्हें पसंद हो, रमेश ने फेसबुक पर दिनभर की पोस्ट पढ़ते हुए जवाब दिया.

‘‘क्यों, खाना क्या सिर्फ मैं खाती हूं? तुम्हारी कोई पसंद नहीं? पूछो तो नौटंकी और न पूछो तो ताने कि हमारी पसंद तो कोई पूछता ही नहीं,’’ सीमा ने भन्नाते हुए कहा.

तब रमेश को एहसास हुआ कि जानेअनजाने उस ने गृहविवाद की शुरूआत कर दी है. वह बहस को और आगे बढ़ा कर घर का माहौल खराब नहीं करना चाहता था, इसलिए हथियार डालते हुए बोला, ‘‘अच्छा, तुम अपने औप्शन बताओ.’’

‘‘आलूमटर, गाजरमटर या पनीरमटर,’’ सीमा बोली.

‘‘मतलब यह कि आज तो मटर खिला कर ही मानोगी. अच्छा तुम मटरपनीर बना लो,’’ रमेश ने सीमा को मनाने का प्रयास करते हुए कहा तो वह मुसकरा दी.

रमेश फिर से अपने लैपटौप में उलझ गया. लगभग 1 घंटे बाद सीमा ने खाने के लिए आवाज लगाई तो रमेश मन ही मन मटरपनीर का स्वाद याद करते हुए खाने की मेज पर गया. मगर यह क्या? टेबल पर कढ़ी देख कर उस का माथा ठनका, ‘‘मटरपनीर कहां है?’’ उस ने पूछा.

‘‘नहीं बनाया. फ्रिज खोलने पर मुझे दही दिखाई दिया तो मैं ने सोचा कढ़ी बना लूं वरना यह खट्टा हो जाएगा.’’ सीमा ने अपनी समझदारी पर तारीफ की उम्मीद से रमेश की तरफ देखा.

मगर रमेश का मूड खराब हो गया. बोला, ‘‘जब अपनी पसंद का ही बनाना होता है तो फिर पूछती ही क्यों हो?’’

‘‘आप कहना क्या चाहते हैं? क्या घर में मैं केवल अपनी ही चलाती हूं? सब कुछ पूछपूछ कर करने के बाद भी यही सुनने को मिलता है,’’ सीमा ने आंसू बहाते हुए कहा तो घर का माहौल तनावपूर्ण हो गया.

कुछ इसी तरह का नजारा हरीश के यहां देखने को मिला. पत्नी ने उस से मनुहार करते हुए कहा, ‘‘जल्दी से यह सब्जी काट दो ना… आज देर हो गई.’’

हरीश ने पत्नी की मदद करने की मंशा से फटाफट सब्जी काट दी.

कटी सब्जी देखते ही पत्नी ने ताने का गोला दागा, ‘‘सब्जी क्या ऐसे काटी जाती है? आलू बड़े और गोभी छोटी. आलू पकने तक तो गोभी की चटनी बन जाएगी. बेकार ही तुम से मदद मांगी. काम करवाने के बजाय मेरा काम बढ़ा दिया. सब्जी बरबाद हुई वह अलग.’’ हरीश उस पल को कोस रहा था जब उस ने पत्नी का हाथ बंटाने की सोची थी.

घरघर की कहानी

यह सिर्फ 1-2 घरों का ही किस्सा नहीं है, बल्कि घरघर की कहानी है. हर घर में कमोबेश ऐसे दृश्य आम बात हैं. पति बेचारा अगर रसोई में अपनी राय दे तो बुरा और न बोले तो निकम्मा.

आम गृहिणी चूंकि सारा दिन घर में रहती है, इसलिए शाम को पति से करने के लिए उन के पास ढेरों बातें होती हैं. साथ ही पति के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शित करने के लिए उस का मनपसंद खाना बना कर खिलाना भी उन का प्रिय शगल होता है, इसलिए वे खाने में पति की पसंद पूछती हैं. मगर किफायत से घर चलाना भी वे अपनी जिम्मेदारी समझती हैं.

इसलिए उन की कोशिश रहती है कि पहले वह बनाया जाए जिस के खराब होने या बिगड़ने की संभावना ज्यादा रहती है. तभी पति की पसंद को नजरअंदाज कर के वे अपने हिसाब से खाना बना लेती हैं. वहीं दूसरी तरफ  कामकाजी महिला सोचने में वक्त गंवाने के बजाय पति से पूछ कर सोचने की जिम्मेदारी उस पर डाल देती है और खुद किचन में संभावनाएं देखने लगती है. यदि पति की पसंद उस से मैच कर जाती है तो ठीक वरना वह पति के जवाब का इंतजार किए बिना खाना बना लेती है.

मजे की बात यह है कि महिलाओं को यदि खुद कुछ बनाने की समझ नहीं आती तो इस बात का ठीकरा भी पति के सिर ही फोड़ा जाता है. यह कह कर कि इतना सा काम ही कहा था वह भी ठीक से नहीं कर सकते. यह भी मुझे ही देखना पड़ता है.

क्या है उपाय

तो किया क्या जाए? क्या पत्नी का अपने पति से मदद की उम्मीद करना गलत है

या फिर पति को बिना प्रतिकार किए चुपचाप पत्नी की जलीकटी सुन लेनी चाहिए? नहीं, ये दोनों ही बातें सुखी दांपत्य के लिए सही नहीं कही जा सकतीं.

पति अगर पत्नी की घरेलू कामों में मदद करता है तो पत्नी की नजरों में उस की इज्जत और भी बढ़ जाती है वहीं यदि पति चुपचाप अपना अपमान सहन करता रहे तो उस का आत्मसम्मान दांव पर लग जाता है और उस का खुद पर से भरोसा भी उठने लगता है. तो क्या है बीच का रास्ता?

पत्नी क्या करे

– यदि पत्नी चाहती है कि पति उस की मदद करे तो सब से पहले यह देखा जाए कि वाकई पति के पास उस की मदद करने के लिए समय है भी या नहीं.

– पति पर रोब जमा कर मदद मांगने के बजाय मदद की रिक्वैस्ट की जाए.

– यह भी स्पष्ट किया जाए कि आप किस तरह की मदद चाहती हैं अन्यथा बाद में आशानुरूप न होने पर झल्लाहट हो सकती है.

– पति के औफिस से आते ही अपने कामों का पिटारा ले कर न बैठ जाएं, बल्कि उन के रिलैक्स होने के बाद ही अपनी बात रखें.

– मनमाफिक काम होने के बाद पति की तारीफ अवश्य करें. यदि सहेलियों और रिश्तेदारों के सामने उन की तारीफ करेंगी तो उन्हें और भी बेहतर लगेगा.

– यदि घरेलू कामों में पति की रुचि नहीं है तो आप उन से बच्चों का होमवर्क देखने को भी कह सकती हैं. यह भी आप की मदद ही होगी.

– जैसा आप चाहती हैं यदि काम वैसा न भी हुआ हो तो भी अपने जज्बात काबू में रखें, क्योंकि गुस्सा करने से कोई लाभ नहीं, बल्कि हो सकता है कि पति भविष्य में आप की मदद करने का खयाल ही त्याग दें.

पति क्या करे

– हर पत्नी की इच्छा होती है कि पति उस की परेशानियों को समझे, इसलिए जब भी मौका मिले पत्नी की मदद अवश्य कीजिए. पत्नी चाहे गृहिणी हो या कामकाजी, पति से मदद की उम्मीद सभी को होती है. मदद एक सहायक के रूप में ही कीजिए, पत्नी पर हावी होने की कोशिश करेंगे तो मात खा जाएंगे.

– यदि आप अतिव्यस्त रहते हैं तब भी कम से कम अवकाश के दिन तो पत्नी की कुछ मदद जरूर करें ताकि उसे भी फुरसत के कुछ पल मुहैया हों.

– जिस भी काम में आप पत्नी का हाथ बंटाने की कोशिश कर रहे हों उस की पूरी जानकारी अवश्य ले लें ताकि पत्नी को यह न लगे कि जैसा वह चाहती थी काम वैसा नहीं हुआ.

– पत्नी की चाहे जितनी भी मदद करें, मगर उस की सहेलियों के सामने यही कहें कि क्या करूं, बेचारी खुद ही लगी रहती है. मैं तो चाह कर भी इस की कोई मदद नहीं कर पाता. फिर देखिए, कैसे पत्नी की नजरों में आप हीरो बनते हैं.

– धुले बरतन सजा कर रखना भी पत्नी की एक बड़ी मदद हो सकती है. बस ध्यान रहे कि कुछ टूटे नहीं.

– हरी सब्जियां सेहत के लिए अच्छी होती हैं, मगर उन्हें साफ करने में बहुत समय लगता है. यदि इस काम में पत्नी का हाथ बंटाएंगे तो पत्नी तो खुश होगी ही, परिवार की सेहत भी दुरुस्त होगी.

सब से बड़ी बात यह कि आप पत्नी की मदद करें या न करें, उस के साथ किचन में खड़े भी होंगे तो भी उसे अच्छा लगेगा. आप दोनों को एकसाथ बिताने के लिए कुछ पल अतिरिक्त मिलेंगे. मगर हां, पत्नी के काम में मीनमेख निकालने की गलती कभी न कीजिए. कोई भी पत्नी अपनी सत्ता में दखल बरदास्त नहीं करती.

पति की तानाशाही से परेशान होकर किसी और लड़के को पसंद करती हूं, लेकिन इजहार करने से डरती हूं …

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं 47 वर्षीय महिला हूं. मेरे पति बहुत ही तानाशाह किस्म के इनसान हैं. हमेशा अपनी बात मनवाते हैं. दूसरों की भावनाओं कतई कद्र नहीं करते हैं. मेरी किसी इच्छाअनिच्छा की उन्हें तनिक भी परवाह नहीं है. घर में वही होता है जो वे चाहते हैं. यहां तक कि सहवास जैसी इच्छा भी तभी पूरी होती है जब वे चाहते हैं. मेरा मन है या नहीं, यह जानने की वे कभी कोशिश नहीं करते हैं. मुझे तो लगता है कि वे मुझे बिलकुल प्यार नहीं करते. उन के साथ जिंदगी बदतर होती जा रही है. कुछ समय से मैं एक लड़के को मन ही मन चाहने लगी हूं. उस के साथ सहवास करने का मन करता है. हालांकि वह लड़का मुझे पसंद करता है या नहीं, मैं यह नहीं जानती. उस के सम्मुख प्यार का इजहार करते हुए डर लगता है. कृपया बताएं क्या करूं?

जवाब-

इतने बरसों से आप पति के साथ रह रही हैं. अब अचानक आप को उन में खोट नजर आने लगा है. कारण, एक जवान लड़के को देख कर आप खयाली पुलाव पकाने लगी हैं. आप को अपनी उम्र का ध्यान रखना चाहिए. आप कोई किशोरी नहीं अधेड़ उम्र की महिला हैं, जिसे अपनी लालसा पर नियंत्रण करना आना चाहिए, क्योंकि इस तरह के बचकाने व्यवहार से आप को कुछ हासिल नहीं होगा सिवा जगहंसाई के.

ये भी पढ़ें-

वह जमाना गया, जिस में बेटे श्रवण कुमार की तरह पूरी पगार मांबाप के हाथों या पांवों में रख देते थे और फिर अपने जेबखर्च के लिए मांबाप का मुंह ताकते थे यानी उन्हें अपनी कमाई अपनी मरजी से खर्च करने का हक नहीं था.

परिवार सीमित होने लगे तो बच्चों के अधिकार बढ़तेबढ़ते इतने हो गए हैं कि उन्हें पूरी तरह आर्थिक स्वतंत्रता कुछ अघोषित शर्तों पर ही सही मगर मिल गई है. इन एकल परिवारों में पत्नी का रोल और दखल आमदनी और खर्च दोनों में बढ़ा है, साथ ही उस की पूछपरख भी बढ़ी है.

भोपाल के जयंत एक संपन्न जैन परिवार से हैं और पुणे की एक सौफ्टवेयर कंपनी में क्व18 लाख सालाना सैलरी पर काम कर रहे हैं. जयंत की शादी जलगांव की श्वेता से तय हुई तो शादी के भारीभरकम खर्च लगभग क्व20 लाख में से उन्होंने क्व10 लाख अपनी बचत से दिए. श्वेता खुद भी नौकरीपेशा है. जयंत से कुछ कम सैलरी पर एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करती है.

शादी तय होने से पहले दोनों मिले तो ट्यूनिंग अच्छी बैठी. उन के शौक और आदतें दोनों मैच कर चुके थे. दोनों ने 4 दिन साथ एकदूसरे को समझने की गरज से गुजारे और फिर अपनी सहमति परिवार को दे दी. जयंत श्वेता के सादगी भरे सौंदर्य पर रीझा तो श्वेता अपने भावी पति के सरल स्वभाव और काबिलीयत से प्रभावित हुई. इन 4 दिनों का घूमनेफिरने और होटलिंग का खर्च पुरुष होने के नाते स्वाभाविक रूप से जयंत ने उठाया. दोनों ने एकदूसरे की सैलरी के बारे में कोई बात नहीं की.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर 8588843415 पर  भेजें. 

या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

पतिपत्नी के बीच कब होती है ‘वो’ की एंट्री, जानें एक्सट्रा मैरिटल अफेयर के कारण

रूटीन जहां हमें व्यवस्थित रखता है वहीं कई बार बोर भी कर देता है. वर्षों तक साथ रहने के बाद जीवनसाथी के प्रति हम लापरवाह से हो जाते हैं. ‘टेकन फौर ग्रांटेड’ होते ही हर अच्छाई कर्तव्य और हर बुराई अवगुण हो जाती है. आज के जमाने की तकनीक भी हमारी निजता को बनाए रखने में कारगर है. फलतया ऐक्सट्रा मैरिटल अफेयर्स आज आम हो गए हैं. क्यों हो जाते हैं पार्टनर बेवफा? क्या दैहिक विविधता की तलाश होती है या जीवन में नएपन की, रोमांस की जरूरत महसूस करते हैं या भावनात्मक साथ की? छिपाने और झूठ बोलने का रोमांच उन्हें अच्छा लगता है या वाकई वे आसक्त रहते हैं? आइए जानते हैं:

महिलाएं ध्यान चाहती हैं: विवाह काउंसलर और विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाएं अकेलेपन को कम करना चाहती हैं. वे इसीलिए मित्रता करती हैं कि कोईर् उन्हें ध्यान से सुने. विवाहित जीवन में अकसर पति या बच्चे महिला को समझ नहीं पाते और यही उन के जीवन की सब से बड़ी विडंबना बन जाती है.

बीइंग ऐप्रिशिएटेड: ऐप्रिशिएट होने की इच्छा हम सब को होती है. हम में से प्रत्येक दूसरे से प्रशंसा सुन कर संतुष्टि पाता है. पर विवाह के गुजरते वर्षों में एकदूसरे को ऐप्रिशिएट करना हम कम कर देते हैं.

पुरुष अपनी पावर और इंटेलैक्ट के लिए पहचाने जाना चाहते हैं: पुरुषों को अपनी व्यवस्था संबंधी योग्यताओं पर बहुत नाज होता है. वे स्ट्रौंग ह्यूमंस के रूप में पहचाने जाना चाहते हैं.

स्त्रियों को डिजायरेबल लगना पसंद है: स्त्रियों को सैल्फ ऐस्टीम और सैक्सी फील करने के लिए पुरुषों के ध्यान की आवश्यकता महसूस होती है.

ईगो बूस्ट होता है: विपरीत लिंगी के साथ बिताए थोड़े समय में ईगो को बूस्ट मिलता है और मन को तसल्ली. स्वयं के प्रति आप पुन: आश्वस्त से हो जाते हैं. कौन्फिडैंस वापस लौट आता है.

स्पाउस एकदूसरे का भावनात्मक सहारा नहीं बनना चाहते: शादी के बाद पतिपत्नी एकदूसरे की भावनात्मक जरूरतें पूरी करने से बचते हैं. उन्हें डर होता है कि दूसरा कहीं उन्हें अपना गुलाम न बना ले. वे सच सुनना पसंद नहीं करते. अपनी भावनाएं भी कई बार एकदूसरे से छिपा लेते हैं. शादी, शादी नहीं युद्ध का मैदान बन जाती है.

असंतोष पनपता है: विवाह में जब मन नहीं मिलते, अंडरस्टैंडिंग गड़बड़ा जाती है तो असंतोष सा पनपने लगता है. यही असंतोष किसी दूसरे की तरफ आकर्षित करता है और ऐक्सट्रा मैरिटल अफेयर पनपते हैं.

साइकिएट्रिस्ट के अनुसार, इनसान हमेशा किसी ऐसे साथ की तलाश में रहता है जो उसे उस की कमियों और खूबियों के साथ स्वीकार सके. जब आप किसी के साथ कंफर्टेबल होते हैं तो आप ज्यादा संयम नहीं रख पाते, बस यहीं से शुरुआत होती है अफेयर की.

आप को अपना तथाकथित पार्टनर (अफेयर वाला) जन्मोंजन्मों का साथी लगने लगता है. उस का साथ आप में एक नशा सा भरने लगता है और फिर आप नैतिकताअनैतिकता की सारी सीमाएं लांघ जाते हैं. सामने आया अवसर और अफेयर थ्रिल आप से कई ऐसे काम करवाता है जिस पर खुद आप को भी यकीन नहीं आता.

आप अपनी प्रत्येक हरकत को सही ठहराते हैं, आप को लगने लगता है कि आप को नए संबंध बनाने का पूरा हक है. शारीरिक भूख अफेयर को एक मदमस्त कर देने वाले रोमांच से भर देती है. नएपन की चाह, उस से उपजा एहसास बहुत हद तक इन रिश्तों को टिकाए रखता है.

यदि आप के साथ भी ऐसा कुछ हुआ हो, आप के पार्टनर का यह सच आप को पता चले कि वह आप को बिना बताए किसी और से मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ है, तो यकीनन आप टूट जाएंगे.

आप अलग तरीके से रीऐक्ट करेंगे: गुस्से, दुख, उत्तेजना से भरे आप उस के हर काम को, हर क्रिया को शक की निगाहों से देखेंगे. आप सोचने लगेंगे कि क्या वह हमेशा से आप से झूठ बोलता रहा? दूसरे के प्रति आकर्षित होने का उस का कारण क्या था? क्या वह आप से बेहतर था?

शारीरिक भावनात्मक स्तर पर बेवफाई से दिल टूटता है: रिश्ते छिन्नभिन्न हो जाते हैं. जिस का दिल टूटता है कई बार तो वह अपनेआप में सिमट सा जाता है पर कई लोग पार्टनर को उसी अफेयर के बारे में बारबार जाहिर कर के बेइज्जत करते हैं.

हर अफेयर का मतलब पुराने रिश्तों का हमेशा के लिए टूट जाना नहीं होता: हो सकता है आप के बच्चों की खातिर आप को साथ रहना पड़े या बूढ़े मांबाप को आप दुख न पहुंचाना चाहते हों. तलाक से जुड़े हर पहलू पर सोचसमझ कर निर्णय लेने के बाद आप यदि हर तरह के परिणाम के लिए तैयार हों तो संबंध खत्म कर दीजिए.

क्या रिश्ता तोड़ने योग्य मुद्दा है: अपने जीवन पर नजर डालिए. क्या आप दोनों साथ में खुश और संतुष्ट रहे हैं? क्या आप एकदूसरे के पूरक हैं? यदि उत्तर हां में है तो फिर सिर्फ एक अफेयर के कारण अपना रिश्ता खत्म न कीजिए.

धमकाइए मत और भीख भी मत मांगिए: अफेयर का पता चलने के बाद साथी को ब्लैकमेल करना, धमकाना या उस से दया की भीख मांगना गलत है. अपनी गरिमा बनाए रखें. अपने पार्टनर के साथ कनैक्टेड रहने के लिए आप को स्वयं का व्यक्तित्व लुभावना और बोल्ड बनाए रखना पड़ेगा.

ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर रिश्ते का अंत नहीं: रिसर्च बताते हैं कि शुरुआत में भले ही लगे पर ऐसे अफेयर 3-4% ही विवाह में तबदील होते हैं. बाकी भी ज्यादा समय नहीं चलते.

समय निकालिए: ऐक्सट्रा मैरिटल अफेयर का पता चलते ही निष्कर्ष पर मत पहुंचिए. समय निकाल धैर्य से सोचिए. कह देने के बाद आप वापस नहीं आ सकते या तो रिश्ता निभाना पड़ेगा या तुरंत छोड़ना पड़ेगा.

सोचसमझ कर निर्णय लें:  सचाई उगलवाने से पहले आप को मालूम होना चाहिए कि आप कितना सह पाएंगे. क्या आप उस के शारीरिक संबंधों की बात सुन कर उद्वेलित हो उठेंगे या उस के भावनात्मक स्तर पर जुड़ाव से परेशान होंगे.

सचाई जानें: क्या आप तलाक ले कर अकेले गुजारा कर लेंगे? क्या आप आर्थिक रूप से सक्षम हैं? पतिपत्नी पर घर के कामों के लिए और पत्नी पति पर आर्थिक दृष्टि से निर्भर होती है. अत: सोचसमझ कर निर्णय लेना सही रहता है.

माफ करना सीखें: यदि पार्टनर गलती मान रहा है और ‘आगे से कभी ऐसा नहीं होगा’ कह रहा है तो आप भी उस के आचरण को परखने के बाद उसे माफ कर दीजिए. गलती सभी से होती है.

प्रोफैशनल की मदद लें: विवाह काउंसलर इस काम में अपने प्रोफैशनल स्किल्स से आप की मदद कर सकता है. उस से मदद लेना रिश्ता जोड़ने के लिए अच्छा है.

हम सभी इनसान हैं. मानव स्वभाव के कारण हम से कईर् गलतियां हो जाती हैं. शादी जैसे बंधन जिसे निभाने में सालों लग जाते हैं, उसे ऐसे ही तोड़ देना सही नहीं.

विवाह के टूटने का दंश समाज को, बच्चों को, बुजुर्ग मातापिता को भुगतना पड़ता है. इसीलिए ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स पर भी कड़ा मन रख कर माफ कर के नए अटूट रिश्ते की शुरुआत की जा सकती है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें