रोमांटिक और रौयल दोनों तरह का है Rajasthan का बीकानेर

क्या आप कभी राजस्थान के शहर बीकानेर गईं हैं, अगर नहीं गईं हैं तो ये जगह अपने लाईफ पार्टनर के साथ या अपने दोस्तों के साथ घूमने के लिये बेहद दिलचस्प है. आप किसी रोमांटिक और ऐतिहासिक जगह पर घूमना चाहती हैं, तो बीकानेर में आप अपना वीकेंड दिलचस्प बना सकती हैं. बीकानेर में रजवाड़ों की अनोखी विरासत है. यहां पर आपको कई शाही हवेलियां मिलेंगी. यह राठौर राजकुमार, राव बीकाजी द्वारा वर्ष 1488 में स्थापित किया गया था. यह शहर अपनी समृद्ध राजपूत, संस्कृति स्वादिष्ट भुजिया नमकीन रंगीन त्योहारों, भव्य महलों, सुंदर मूर्तियों और विशाल रेत के पत्थर के बने किलों के लिए प्रसिद्ध है.

बीकानेर में क्या है खास

ऊंट, लोकप्रिय ‘रेगिस्तान के जहाज’ के रूप में जाना जाता है. यह त्यौहार जूनागढ़ किले की पृष्ठभूमि में आयोजित एक शानदार जुलूस के साथ शुरू होता है. इस त्योहार के दौरान ऊंट गहने और रंगीन कपड़े के साथ सजाया जाता है. ऊंट दौड़, ऊंट दुहना, फर डिजाइन, सबसे अच्छी नस्ल प्रतियोगिता, ऊंट कलाबाजी, और ऊंट बैंड अदि त्योहार के सबसे लोकप्रिय आकर्षण हैं.

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बीकानेर वाला ब्रांड यहीं से हुआ शुरू

बीकानेर विशाल भुजिया उद्योग का उद्गम स्थल रहा है, जो कि 1877 में राजा, श्री डूगर सिंह के शासनकाल में शुरू किया गया. भुजिया सबसे पहले डूगरशाही के नाम से शुरू की गई, जो कि राजा के मेहमानों की सेवा के तहत बनाया जाता था. बीकानेर,जो कि बीकानेरी भुजिया, मिठाई और नमकीन के लिए जाना जाता है. यह शहर ‘बीकाजी’ और ‘हल्दीराम जैसे विश्व प्रसिद्ध वैश्विक ब्रांडों का उद्गम स्थल रहा है.

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क्या देखें

आप यहां पर गजनेर पैलेस, शिव वारी मंदिर, कालीबंगन, लालगढ़ पैलेस, जूनागढ़ किला इन तमाम जगहों को देख तथा ऊंट की सवारी कर सकती हैं.

घूमने के लिए बेस्ट टाइम

नवम्बर से फरवरी का वक्त बीकानेर घूमने के लिए सबसे अच्छा समय है. गर्मी का मौसम यहां पर मार्च के महीने से जून तक रहता है. इस जगह का अधिकतम और न्यूनतम तापमान 41.8 डिग्री सेल्सियस और 28.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया जाता है, इस वजह से गर्मी में यहां जाने से बचना चाहिए.

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कैसे पहुंचे

पर्यटक बस सेवा द्वारा भी गंतव्य तक पहुंच सकते हैं. राज्य परिवहन की और निजी बसें दिल्ली, जोधपुर, आगरा, अजमेर, अहमदाबाद, जयपुर, झुंझुनू, जैसलमेर, बाड़मेर, उदयपुर और कोटा से बीकानेर के लिए उपलब्ध हैं. लालगढ़ पैलेस के पास बस स्टैंड है. बीकानेर रेलवे स्टेशन लगातार गाड़ियों द्वारा जयपुर, चुरू, जोधपुर, दिल्ली, कालका, हावड़ा और भटिंडा जैसे प्रमुख भारतीय स्थलों से जुड़ा हुआ है.

बीकानेर रेलवे स्टेशन से शहर के लिए कैब उपलब्ध हैं. जोधपुर हवाई अड्डा यहां सबसे नजदीक है, जो कि बीकानेर से लगभग 250 किमी की दूरी पर स्थित है. विदेशी पर्यटकों के लिए नई दिल्ली का इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा सबसे निकट है.

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कुतुबमीनार से भी ऊंचा है ये किला, यहां से दिखता है पाकिस्तान

भारत में घूमने के लिए इतने खूबसूरत पर्यटन स्थल हैं, कि आपकी पूरी जिंदगी कम पड़ जाएगी.यहां ऐतिहासिक किलों को देखने के लिए आपको सालों-साल लग जाएंगे. आज हम आपको ऐसे ही दिलचस्प किले के बारे में बताने जा रहे हैं.

राजस्थान के जोधपुर और मेहरानगढ़ किला की स्थापना की कहानी बड़ी रोचक थी. जब राव जोधा जी को अपने पिता की मृत्यु के बाद मंडोर का राज्य खोना पड़ा तब वे लगातार पंद्रह सालों तक मेवाड़ की फौजों से युद्ध करते रहे और 1453 ई. में उन्होंने मंडोर पर अधिकार किया. जिसके लिए राव जोधा उत्तराधिकारी बने थे. उन्हें अपनी राजधानी के लिए एक किले का निर्माण करना था.

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इसी बीच उन्होंने एक जगह हिरण को शेर से लड़ते देखा और किले का निर्माण कराया. बता दें कि जोधपुर का मेहरानगढ़ किला 120 मीटर ऊंची एक पहाड़ी पर बना हुआ है. इस तरह से यह किला दिल्ली के कुतुब मीनार की ऊंचाई (73मीटर) से भी ऊंचा है. किले के परिसर में सती माता का मंदिर भी है.

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क्या है खास

इस किले के दीवारों की परिधि 10 किलोमीटर तक फैली है. इनकी ऊंचाई 20 फुट से 120 फुट तथा चौड़ाई 12 फुट से 70 फुट तक है. इसके परकोटे में दुर्गम रास्तों वाले सात आरक्षित दुर्ग बने हुए थे. घुमावदार सड़कों से जुड़े इस किले के चार द्वार हैं. किले के अंदर कई भव्य महल, अद्भुत नक्काशीदार दरवाजे, जालीदार खिड़कियां हैं.

जोधपुर शासक राव जोधा ने 12 मई 1459 को इस किले की नींव डाली और महाराज जसवंत सिंह (1638-78) ने इसे पूरा किया. यानि इस किले का इतिहास 500 साल पुराना है.

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हो चुकी है हौलीवुड फिल्मों की शूटिंग

  • कामयाब अंग्रेजी फिल्म डार्क नाइट के कुछ हिस्से भी मेहरानगढ़ में फिल्माए जाने के बाद यह हौलीवुड के लिए भी एक शानदार डेस्टीनेशन बन गया.
  • यहां ब्रूस वेन को कैद करने, जेल पर हमला करने आदि के दृश्य फिल्माए गए थे.

किले से दिखता है पाकिस्तान

1965 में भारत-पाक के युद्ध में सबसे पहले मेहरानगढ़ के किले को टारगेट किया गया था. लेकिन माना जाता है कि माता की कृपा से यहां किसी का बाल भी बांका नहीं हुआ. यहां किले की चोटी से पाकिस्तान की सीमा दिखती है.

कैसे पहुंचे

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फ्लाइट से जा रहे हैं, तो आप जोधपुर एयरपोर्ट द्वारा आसानी से पहुंच सकते हैं. वहीं ट्रेन से जाने के लिए जोधपुर स्टेशन से ट्रेन सभी मुख्य शहरों के लिए टैक्सी या बस मिल जाएगी. आप यहां बस से भी पहुंच सकते हैं. नई दिल्ली  और आगरा से जयपुर के लिए कई सीधी बसें मिलती हैं. दिल्ली और आगरा के बीच का यह सड़क मार्ग गोल्डन ट्रैवल क्षेत्र का हिस्सा है.

घूमने के लिए बेस्ट टाइम : अक्टूबर से मार्च

कहां ठहरें : आपको यहां कई होटल, रिसौर्ट मिल जाएंगे. इसके अलावा अगर आपका बजट थोड़ा कम है तो यहां धर्मशालाएं भी बनाई गई हैं.

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निजामों का शहर हैदराबाद, अगर जाएं तो इन जगहों पर जरूर घूमें

तेलंगाना तथा आन्ध्रप्रदेश की राजधानी है हैदराबाद. जिसे निजामों का शहर भी कहा जाता है. इसे मुहम्मद कुली कुतुबशाह ने बनवाया था और अपनी प्रेमिका भागमती के नाम पर हैदराबाद का नाम ‘भाग्य नगर’ रखा था. जब भागमती का नाम ‘हैदरी बेगम’ पड़ा तो भाग्य नगर नाम बदलकर ‘हैदराबाद’ हो गया. तब से हैदराबाद को इसी नाम से जाना जाता है.

हैदराबाद को बेहतरीन ‘निजामों का शहर’ तथा ‘मोतियों का शहर’ भी कहा जाता है. हैदराबाद की खूबसूरती चारों तरफ खड़ी पहाड़ियों और उनके बीचो-बीच बहती मूसा नदी में देखी जा सकती है. आइए, हम आपको बताते हैं हैदराबाद की कुछ खूबसूरत जगहों के बारे में.

चारमीनार

चारमीनार का निर्माण 1591 में नवाब कुली कुतुबशाह ने करवाया था. कहा जाता है हैदराबाद में भयंकर महामारी प्लेग पर विजय पाने की खुशी में नवाब कुली कुतुबशाह ने इसे बनवाया था. इस मीनार की ऊंचाई 180 फुट है.

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मक्का मस्जिद

मक्का मस्जिद यह मस्जिद इस्लामिक कला का बेहद खूबसूरत और बेजोड़ नमूना है. चारमीनार के कुछ ही दूरी पर है. यह मक्का मस्जिद जिसे पर्यटक आसानी से देख सकती हैं. इस मस्जिद की खासियत यह है कि इसमें 10 हजार एक साथ नमाज अदा कर सकते हैं.

गोलकुंडा का किला

गोलकुंडा का किला गोलकुंडा कभी हीरों की खानों के लिए मशहूर है. 11 किलोमीटर के एरिये में फैले इस किले को मजबूत ग्रेनाइट दीवार जो किले को चारों ओर से घेरे हुए है. इसमें आठ प्रवेश द्वार हैं. इस किले की खासियत यह है कि यहां के मुख्य प्रवेश द्वार पर गुंबद के नीचे खड़े होकर ताली बजाने से उसकी आवाज को किले के सबसे ऊपरी हिस्से तक सुना जा सकता है.

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हुसैन सागर झील

हुसैन सागर झील इस झील के बीचो-बीच महात्मा बुद्ध की विशाल प्रतिमा बेहद खूबसूरत है. इस झील का निर्माण हजरत हुसैन शाह वली ने इब्राहिम कुतुबशाह के काल में करवाया गया था.

बिड़ला तारागृह तथा विज्ञान संग्रहालय

बिड़ला तारागृह तथा विज्ञान संग्रहालय बिड़ला तारा गृह पूरे देश के ताराग्रहों में से एक हैं. यह तारागृह हिंदी,अंग्रेजी और तेलुगु में स्काई शो आयोजित करता है.

नेहरू चिड़ियाघर

नेहरू चिड़ियाघर नेहरू चिड़ियाघर देश का ही नहीं बल्कि पूरे एशिया का सबसे बड़े चिड़ियाघरों में से एक है. यहां आप लायन सफारी तथा सफेद शेर लुफ्त उठा सकती हैं.

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कैसे पहुंचे

राष्ट्रीय राजमार्ग 2 गया से होकर गुजरता है, इस मार्ग का काम अभी चल रहा है, इसके प्रोजेक्ट को गोल्ड न क्वाहड्रिलैट्ररल प्रोजेक्ट कहा गया है. जो गया शहर से 30 किमी. की दूरी पर है. इस प्रकार, गया कोलकाता, वाराणसी, इलाहाबाद, कानपुर और दिल्ली आदि से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है. गया में रेलवे स्टेाशन स्थित है. जहां से देश के कई हिस्सों जैसे कोलकाता, वाराणसी, इलाहाबाद, मुम्बई आदि के लिए महत्वसपूर्ण ब्रौड गेज मार्ग की ट्रेन मिल जाती है. गया, भारत के कई शहरों व राज्यों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है.

चखना न भूलें स्ट्रीट फूड

हैदराबादी बिरयानी के अलावा आप हलीम, फिरनी बोटी कबाब, मिर्ची का सालन ट्राई कर सकती हैं.

अगर कश्मीर जाएं तो लें इन 5 जायकों का स्वाद लेना ना भूलें

कहते हैं अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है, तो कश्मीर में है. कश्मीर प्राकृतिक खूबसूरती का खजाना है. अगर आप कभी कश्मीर नहीं गए, तो जल्दी से ट्रिप प्लान कर लीजिए. साथ ही अगर आप कश्मीर घूमने जाएं, तो कश्मीरी जायकों का लुफ्त उठाना न भूलें. आइए, हम आपको बताते हैं कश्मीर के खास जायके. जिन्हें अगर आप एक बार चखेंगी तो पूरी जिंदगी उनका स्वाद आपके जुबान से नहीं उतरेगा.

1. रोगन जोश

नौन-वेज खाने के शौकीनों को रोगन जोश डिश जरूर पसंद आएगी. आप इस जायकेदार रेसिपी को चावल या तंदूरी रोटी के साथ ट्राई कर सकती हैं. यह काफी जल्दी बन जाता और तो और इसमें कई प्रकार के मसाले होते है जिससे यह बेहद स्वादिष्ट हो जाता है. यह कश्मीर का बेहद चर्चित व्यंजन है.

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2. दम उलाव

इस डिश को बनाने में ज्यादा समय नहीं लगता इसे बनाने के लिये सबसे पहले दही और कश्मीरी लाल मिर्च के पेस्ट का प्रयोग होता है जिसकी वजह से दम उलाव काफी स्वादिष्ट हो जाता है. इसे बनाने के लिये सबसे पहले आलू को उबाल लिया जाता है फिर ज्यों का त्यों उसे गर्म तेल में फ्राई कर लिया जाता है उसके बाद इसे बनाने की मुख्य प्रक्रिया शुरू होती है. इस व्यंजन को स्वादिष्ट बनाने में सबसे ज्यादा योगदान इसमें डलने वाले मसालों का होता है, ये देखने में आलू-दम की तरह ही होता है लेकिन बेहद स्वादिष्ट होता है.

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3. मोदूर पुलाव

अगर आप कभी भी कश्मीर जाएं तो एक बात जरूर ध्यान में रखियेगा और वो है वहां की पुलाव. इसका स्वाद मीठा होता है इसमें तमाम प्रकार के मसालों के साथ साथ काफी मात्रा में ड्राई फ्रूट्स तथा शुद्ध देसी घी का प्रयोग किया जाता है. इस चावल का रंग केसरिया होता है और यह चावल मीठा होता है जिसकी वजह से इस व्यंजन का स्वाद मीठा होता है. अगर आप कश्मीर जाएं, तो मीठे जायके का मजा जरूर लें.

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4. थुकपा

इस डिश को बनाना जितना आसान है उतना ही स्वादिष्ट इसका स्वाद है जिसे एक बार चखने बाद शायद आप इस नूडल से बने डिश को कभी ना भूल पाएं. यह नौनवेज और वेज दोनो ही प्रकार का होता है. गाढ़ी नूडल्स की ग्रेवी वाली इस डिश को आप सूप की तरह खा सकती हैं.

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5. कहवा और बटर-टी

कश्मीर के सबसे मशहूर जायकों में से एक. अगर आपने कश्मीर में जाकर कहवा या बटर टी का मजा नहीं लिया, तो समझिए आप बहुत कुछ मिस कर दिया. तो कश्मीर घूमने जाएं, तो यहां के इन जायकों को चखना न भूलें. क्योंकि ठंड में गर्मा गरम चाय या कौफी का मजा ही कुछ अलग हो जाता है.

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अगर जा रही हैं श्रीनगर घूमने, तो यहां जाना ना भूलें

सर्दियों में घूमने-फिरने का मजा ही कुछ और है. कश्मीर के दिल में बसा श्रीनगर दरिया झेलम के दोनों किनारों पर फैला हुआ है. नगीन और डल जैसी विश्व प्रसिद्ध झीलें श्रीनगर की जान कही जा सकती हैं, जबकि अपने लुभावने मौसम के कारण श्रीनगर पर्यटकों को सारा वर्ष आकर्षित करता रहता है.

आज कश्मीर का सबसे खूबसूरत शहर श्रीनगर विश्वभर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है, जो 103.93 वर्ग किमी के क्षेत्रफल में फैला हुआ और समुद्र तल से 1730 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. अगर आप भी श्रीनगर जा रही हैं, तो ये 5 जगह देखना न भूलें.

डल झील

डल झील अपने हाउसबोट और शिकारे के लिए सबसे अधिक लोकप्रिय है. यह झील लगभग 26 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुई है. यह पानी सर्फिंग, हाउसबोट और शिकारा सवारी, तैराकी, मछली पकड़ना, कैनोइंग के लिए सबसे बेहतरीन जगह है.

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इंदिरा गांधी ट्यूलिप गार्डन

श्रीनगर में स्थित इंदिरा गांधी ट्यूलिप गार्डन अपने वार्षिक ट्यूलिप महोत्सव के लिए बहुत मशहूर है. यह जाबारवन पर्वत की तलहटी में स्थित है. यहां देखने के लिए निशात गार्डन, शालीमार गार्डन, अचाबल बाग, चश्मा शाही गार्डन वर्ल्ड फेमस है.

निशात बाग

निशात बाग डल झील के किनारे पर स्थित है. इसका निर्माण 1633 में अब्दुल हसन आसफ खान ने किया था और यह सबसे बड़ा मुगल गार्डन है. यह पर्यटकों को अपने सौंदर्य की वजह से अपनी ओर खींचता है.

शंकराचार्य मंदिर

शंकराचार्य मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है. यह श्रीनगर का एक अन्य पर्यटन स्थल है. यह मंदिर कई पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. यह माना जाता है कि इसे 200 ईसा में सम्राट अशोक के बेटे जलुका द्वारा निर्माणित किया गया था. पहाड़ी से शीर्ष आगंतुकों पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला की बर्फ से ढकी पहाड़ों की एक शानदार दृश्य प्राप्त कर सकते हैं.

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कैसे पहुंचे

श्रीनगर आने के लिए जम्मू रेलवे स्टेशन सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है, जो यहां से 290 किमी. की दूरी पर स्थित है. यह रेलवे स्टेशन देश के कई प्रमुख शहरों जैसे-बंगलौर, चेन्नई, त्रिवेंद्रम और अन्यं से भली-भांति जुड़ा हुआ है. पर्यटक रेलवे स्टेशन से श्रीनगर के लिए प्राईवेट टैक्सी भी हायर कर सकते हैं.

यहां का एयरपोर्ट शेख- उल- आलम एयरपोर्ट के नाम से जाना जाता है, जो शहर से 14 किमी. की दूरी पर स्थित है. यह एयरपोर्ट एक नेशनल एयरपोर्ट है जो देश के कई शहरों और राज्यों जैसे- मुम्बई, दिल्ली, शिमला और चंडीगढ़ आदि से जुड़ा हुआ है. एयरपोर्ट के बाहर खडी टैक्सी आपको वाजिब दाम में शहर की सैर या होटल तक पहुंचा देगी. विदेश से आने वाले पर्यटक दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर उतरें और वहां से 876 किमी. का सफर तय करके श्रीनगर पहुंचें.

घूमने का सबसे बेस्ट टाइम : आप पूरे साल श्रीनगर में घूम सकते हैं, लेकिन सर्दियों में मौसम ज्यादा खुशगवार रहता है.

Couples के लिए जन्नत से कम नहीं है ऊटी, ये है बेस्ट Honeymoon Spot

शिमला में बर्फ पड़ते ही ज्यादातर लोग शिमला में स्नोफौल देखने की प्लानिंग करते हुए नजर आते हैं. ऐसे में सीजन में घाटा उठा रहा शिमला टूरिज्म फिर से गुलजार हो गया है. लेकिन दूसरी तरफ शिमला जाने वाले लोगों की संख्या एकाएक बढ़ गई है.

अगर आप भी शिमला घूमने का प्लान बना रही हैं, तो वहां जाने से पहले अपनी विश लिस्ट थोड़ी बढ़ा लीजिए, क्योंकि वहां आपको काफी भीड़ मिल सकती है.

आइए, हम आपको शिमला की तरह ही खूबसूरत एक और जगह के बारे में बताते हैं. ऊटी एक ऐसी खूबसूरत जगह जिसे कपल्स की फेवरेट हनीमून डेस्टिनेशन माना जाता है. आइए, जानते हैं क्या है यहां खास.

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यह दक्षिण भारत का प्रमुख हिल स्टेशन है, जो हनीमून हौट स्पौट के रूप में भी प्रसिद्ध है. यह शहर तमिलनाडु के नीलगिरी जिले का एक भाग है. ऊटी शहर के चारों ओर स्थित नीलगिरी पहाड़ियों के कारण इसकी सुंदरता बढ़ जाती है. इन पहाड़ियों को ब्लू माउन्टेन (नीले पर्वत) भी कहा जाता है. कुछ लोगों का ऐसा विश्वास है कि इस स्थान का नाम यहां की घाटियों में 12 वर्ष में एक बार फूलने वाले कुरुंजी फूलों के कारण पड़ा. ये फूल नीले रंग के होते हैं तथा जब ये फूल खिलते हैं तो घाटियों को नीले रंग में रंग देते हैं.

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क्या है खास

बोटेनिकल गार्डन, डोडाबेट्टा उद्यान, ऊटी झील, कलहट्टी प्रपात और फ्लौवर शो आदि कई कारण हैं जिनके लिए ऊटी पूरे विश्व में मशहूर है. एवलेंच, ग्लेंमोर्गन का शांत और प्यारा गांव मुकुर्थी राष्ट्रीय उद्यान आदि ऊटी के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल हैं.

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कैसे पहुंचे

ऊटी का नजदीकी एयरपोर्ट कोयंबटूर 89 किलोमीटर दूर है. मुंबई, कालीकट, चेन्नई व मदुरै के लिए यहां से नियमित उड़ानें हैं. चेन्नई व कोयंबटूर से ट्रेनें भी हैं. बस-टैक्सी लेकर मदुरै,  तिरुअंनतपुरम, रामेश्वरम, कोच्चि, कोयंबटूर से यहां पहुंचा जा सकता है.

अगर आप भी अपने पार्टनर के साथ किसी खास जगह पर घूमना चाहते हैं, तो ये जगह आपके लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन साबित हो सकती है.

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भारत का फ्रांस है पुडुचेरी, विदेश से कम नहीं है यह खूबसूरत जगह

आप कब से विदेश घूमने का प्लान बना रही हैं लेकिन किसी वजह से आपका सपना पूरा नहीं हो पा रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह पैसे हो सकती हैं. विदेश की ट्रिप के लिए अच्छे-खासे पैसे होने चाहिए. अगर हम आपसे कहें कि आप कम पैसों में ही विदेश घूमने का मजा ले सकती हैं, तो आपको शायद ये बात मजाक लगे, पुडुचेरी एक ऐसी जगह है, जिसे भारत का फ्रांस भी कहा जाता है. सबसे खास बात ये कि आप यहां बिना पासपोर्ट और वीजा के जा सकती हैं.

फ्रांस से जुड़ा है इतिहास, मिलती है खास झलक

इस छोटे से प्रदेश का इतिहास फ्रांस से जुड़ा हुआ है. 1673 ईस्वी में फ्रेंच लोग यहां आए और 1954 में ये भारतीय संघ का हिस्सा बना. इसकी बसावट समुद्र के किनारे होने के कारण भी यहां काफी टूरिस्ट आते हैं. दिल्ली से 2400 किलोमीटर दूर स्थित पुडुचेरी, भारत के खूबसूरत शहरों में से एक है.

टाउन प्लानिंग

पुडुचेरी अपनी बेहतरीन टाउन प्लानिंग के लिए जाना जाता है. फ्रांसिसी लोगों के लिए यहां बनाई गयी टाउनशिप व्हाइट टाउन के नाम से पहचानी जाती है.

महात्मा गांधी बीच

देश के कई महापुरुषों की मूर्तियों को पुडुचेरी के बीच पर लगाया गया है और प्रौमीनाड बीच पर महात्मा गांधी की मूर्ति लगाई गई है, इसलिए इस बीच को महात्मा गांधी बीच भी कहा जाता है.

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फ्रेंच वौर मेमोरियल

प्रौमीनाड बीच पर लगी गांधी जी की मूर्ति के सामने ही फ्रेंच वौर मेमोरियल है जिसे उन फ्रांसिसी सैनिकों की याद में बनाया गया है, जो प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए थे और इसी स्थान पर हर साल 14 जुलाई को फ्रेंच सैनिकों की स्मृति में कार्यक्रम आयोजित किया जाता है.

मनाकुला विलय कुलौन मंदिर

पुडुचेरी में मौजूद भगवान गणेश का प्राचीन मंदिर 1673 से पहले बना था और इसे मनाकुला विलय कुलौन मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में हाथी द्वारा भक्तों को आशीर्वाद दिया जाता है इसलिए इस मंदिर की मान्यता के साथ-साथ सैलानियों का रोमांच भी बढ़ जाता है.

सेक्रेड हार्ट कैथोलिक चर्च

पुडुचेरी का सेक्रेड हार्ट कैथोलिक चर्च पूरी दुनिया में मशहूर है, जिसका निर्माण 1902 में शुरू हुआ था. इस चर्च में तमिल और अंग्रेजी भाषाओं में प्रार्थना होती है और एक साथ 2000 लोग इसमें प्रार्थना कर सकती हैं.

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कैसे पहुंचे

यहां पहुंचने का सबसे आसान रास्ता तो ट्रेन या हवाई जहाज से चेन्नई पहुंचकर वहां से बस या टैक्सी से पुडुचेरी पहुंचने का है. वैसे ट्रेन से 40 किलोमीटर दूर विल्लुपुरम तक भी आया जा सकता है.

घूमने का बेस्ट टाइम : अक्टूबर से अप्रैल का महीना सबसे उचित है.

कहां ठहरे : आपको 1500 से 5000 में होटल मिल जाएगा. साथ ही आपकी जेब के हिसाब से यहां रिसौर्ट भी हैं.

खास जगह : पैराडाइस बीच, पुडुचेरी म्यूजियम के अलावा यहां पुरानी इमारतें भी देखी जा सकती हैं.

गुजरात की खूबसूरती का लेना है आनंद तो इन जगहों पर जाएं

आपने गुजरात के बारे में तो बहुत कुछ सुना होगा और आप वहां के बारे में बहुत कुछ जानती होंगी  क्योकि गुजरात पर्यटन के प्रचार प्रसार के लिये वहां की मौजूदा सरकार अक्सर विज्ञापन देती रहती है. ऐसे में इस राज्य में घूमने-फिरने के लिए क्या खास है, ये भी जानना जरुरी हो जाता है. चलिए, आज हम आपको बताते हैं, गुजरात में सैर-सपाटे की सबसे खास जगह.

1. गिर नेशनल पार्क

गिर नेशनल पार्क में आपको एशियाई शेर के अलावा कई जानवरों की 40 अन्य प्रजातियां भी देखने को मिलती हैं, जिनमें स्पौट हिरण, सांबर आदि भी शामिल हैं. इस जगह पर आपको जानवरो और मनुष्य का  संगम देखने को मिलता है क्योंकि यहां शेर और मनुष्य एक ही साथ रहते हैं और आते जाते रहते हैं. कोई भी किसी को हानि नही पहुंचाता.

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2. अहमदाबाद

अहमदाबाद को विश्व धरोहर शहर घोषित किया गया है. अगर आप धार्मिक स्थलों पर घूमने-फिरने के शौकीन हैं, तो आप अहमदाबाद के स्वामी नारायण मं‍दिर, साबरमती आश्रम, सिदि सईद मस्जिद में घूम सकती हैं. आपको यहां गुजराती व्यंजनों से सजी थाली आसानी से मिल जाएगी. आप यहां थेपला, ढोकला, मुठिया का मजा ले सकती हैं.

3. दीउ

अगर आपको बीच पर घूमने का मजा लेना है, तो दीउ एक बेहतरीन जगह है. दीउ छोटा-सा शहर एक पुल से गुजरात से जुड़ा हुआ है आप दीउ में घोग्लाह बीच, नागोआ बीच, गोप्ती माता बीच पर अपनी छुट्टियां बिता सकती हैं.

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4. लक्ष्मी विलास पैलेस

राजसी ठाट-बाट से सजा लक्ष्मी विलास महल वड़ोदरा में स्थित है. ये खूबसूरत महल बकिंगघम पैलेस से भी चार गुना बड़ा बताया जाता है. इस महल का एक हिस्सा पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है जहां महाराजा फतेह सिंह संग्रहालय है. यहां पर संगमरमर और कांस्य की कलाकृतियां देख सकती हैं. यहां पर आपको कई बेहतरीन रेस्टोरेंट मिलेंगे, जहां आप अपनी पसंद के खाने का मजा ले सकती हैं.

5. साबरमती आश्रम

साबरमती आश्रम में आपको महात्मा गांधी की झलक मिलेगी. महात्मा गांधी ने यहीं से दांडी मार्च की शुरुआत की थी. इस आश्रम में एक संग्रहालय है, जहां पर महात्मा गांधी से जुड़े अवशेष, तस्वीरें और प्रदर्शनी आदि लगाई जाती है. इस आश्रम में 90 मिनट की सैर में मगन निवास, उपासना मंदिर आदि देख सकते हैं. आश्रम के बाहर स्ट्रीट फूड के बहुत सारे औप्शन मौजूद हैं.

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6. रण औफ कच्छ

गुजरात का सफर रण औफ कच्छ को देखे बिना अधूरा है. ये दुनिया का सबसे बड़ा सौल्टस रेगिस्तान है. कच्छ आने का सही समय ‘रण उत्सव’ है. ये उत्सव हर साल नवम्बर में आयोजित किया जाता है.

7. द्वारका

द्वारका चार धाम में से एक है. यहां गोमती नदी का दृश्य बहुत ही मनोरम लगता है. यहां द्वारकाधीश मंदिर में जन्माष्टमी के दिन दीवाली जैसा माहौल होता है. मंदिर के पास आपको मिठाई की बहुत-सी दुकानें मिलेगी. गुजरात की कई स्पेशल मिठाई आपको द्वारका के आसपास के बाजारों में मिल जाएगी.

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आपने अपना बैग पैक कर लिया है और पूरी तरह से तैयार हो गए है यात्रा पर जाने के लिए. तो ये ध्‍यान रखें कि आपके पास ऐसी एक किताब ज़रूर हो जो आपके परिवार, म्‍यूजिक और दोस्‍तों के अलावा पूरे सफर में आपका साथ न छोड़े. आइए आपको बताते हैं कुछ ऐसी किताबों के बारे में जो सफर के दौरान आपके रोमांच और उत्‍साह को और बढ़ा देंगी.

1. औन द रोड 

अर्थ और ज्ञान की तलाश में सड़क पर निकले लोगों के लिए यह किताब काफी फायदेमंद है. सफर के दौरान अगर आपका दोस्त कार चला रहा है या आप बस में हैं, तो यह किताब आपकी आदर्श साथी साबित होगी.

2. ‘इंटू द वाइल्ड‘ 

जौन क्रैकुअर की किताब ‘इंटू द वाइल्ड’ कहानी है क्रिस्टोफर मैंक्केंडलेस नामक युवक की, जो दुनियादारी को छोड़ अलास्का के निर्जन जंगलों में जिंदगी बिताने चला जाता है. जंगल की यात्रा पर जाने से पहले इस कितना को अपने साथ ले जाना न भूलें.

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3. गोइंग सोलो 

अगर आप किसी ट्रिप पर अकेले जाने का प्‍लान कर रहे हैं तो रोअल डाल की कितना गोइंग सोलो आपको काफी अच्‍छी लगेगी. इस किताब में साहसिक, हास्य और रोचक क्षणों के कई ऐसे पहलू हैं, जो आपको अकेला महसूस नहीं होने देंगे.

4. आई हाईक

अगर आप एक लंबी पैदल यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो अपने पास ग्रिनटर ये किताब ज़रूर रखें. यह आपकी यात्रा के मज़े को दोगुना कर देगी.

5. मर्डर औन द ओरिएंट एक्सप्रेस

अगर आप रोमांच के शौकिन हैं और आपकी यात्रा काफी लंबी है, तो अगाथा क्रिस्टी की ये मर्डर मिस्ट्री आपको निराश नहीं करेगी.

6. अ फिल्‍ड गाइड टू गेटिंग लौस्ट 

रेबेका की इस किताब की कहानी बेहद मार्मिक और प्रेरक है जो आपको सपनों की दुनिया में ले जाएगी.

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7. एन इडियट अब्रोड: द ट्रेवल डायरिज़ औफ कार्ल

ट्रिप के दौरान मूड को रिफ्रेश करने के लिए ये बुक काफी अच्‍छी है. इस किताब में कई ऐसी बातें बताई गईं हैं जो सफर के दौरान आपकी थकान को चुटकी में दूर कर देगी.

8. अलेक्स गारलैंड की द बीच

अगर आपको समुद्र, रेत और सूरज से लगाव है. तो आपको ये किताब बेहद पसंद आएगी.

कश्मीर : हसीन वादियां बुलाएं बारबार

जम्मूकश्मीर की खूबसूरत वादियां और बर्फीले पहाड़ सैलानियों को बारबार यहां आने के लिए मजबूर करते हैं. इन गरमियों में आप भी जम्मूकश्मीर की फिजाओं में पर्यटन के नए अनुभवों से वाबस्ता हो कर मन और तन को सुकून दे सकते हैं.

आतंक के लंबे सिलसिले के बावजूद आज भी कश्मीर में दुनियाभर के सैलानी पहुंचते हैं और डल झील से ले कर गुलमर्ग तक सैरसपाटे करते हैं. अपने पहाड़ी स्वभाव और अपने मूल व्यवसाय के कारण यहां के लोग सैलानियों को सिरआंखों पर बैठाते हैं.

जम्मूकश्मीर हिमालय की बर्फीली पहाडि़यों पर भारत के मुकुट जैसा सजा हुआ है. अलगअलग ऊंचाइयों वाले इस के 3 हिस्से हैं. निचले हिस्से वाला जम्मू, मध्य हिस्से वाला कश्मीर और सब से ऊंचे हिस्से वाला लद्दाख.

जम्मू और श्रीनगर जाने के लिए दिल्ली से पठानकोट के रास्ते पहुंचा जा सकता है, जबकि लद्दाख के लिए दिल्ली से मनाली के रास्ते से हो कर जाया जा सकता है. श्रीनगर के लिए जम्मू के रास्ते से और लेह व लद्दाख को मनाली के रास्ते से दिल्ली और चंडीगढ़ से सीधी बसें हैं. लेह वाली बसें मनाली से आगे केलंग में एक रात के लिए रुकती हैं. मुसाफिर आसपास के होटलों में ठहरते हैं. पर्यटन विभाग की बसों के यात्री पर्यटक तंबुओं में ठहरते हैं.

श्रीनगर

श्रीनगर यानी सौंदर्य का नगर. समुद्रतल से 1,730 मीटर की बुलंदी पर यह कश्मीर का सब से बड़ा नगर है. यह  झेलम और डल झील के खूबसूरत किनारों पर बसा हुआ है. एक विशाल और मैदानी भूखंड के रूप में श्रीनगर चारों ओर फैली पर्वतमालाओं से घिरा है. यहां के सुंदर बाग, कलात्मक इमारतें, देवदार और चिनार के पेड़ इसे वास्तव में धरती पर एक बहुत ही खूबसूरत रूप देते हैं. गुलमर्ग, पहलगाम और सोनमर्ग इस रूप में नगीनों जैसे लगते हैं. हर कहीं लोकल बसों से जुड़े श्रीनगर में टैक्सी और तिपहिया कदमकदम पर उपलब्ध हैं. डल झील के विशाल विस्तार के आरपार जाने के लिए हर कोने पर शिकारे और नौकाएं मिलती हैं. डलगेट पर सुस्ताते मुसाफिर अपने कार्यक्रम बनाते मिलते हैं.

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दर्शनीय स्थल

डल झील और डलगेट : यह झील नगर के पूर्व में 12 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली है. कभी इस का विस्तार 28 वर्ग किलोमीटर था. डलगेट इस  झील का वह पहला छोर है, जहां सैलानी सब से ज्यादा घूमतेफिरते हैं.

श्रीनगर के केंद्र लालचौक से डलगेट ढाई किलोमीटर है. पर्यटक स्वागत केंद्र पास ही है. यहां ठहरने के लिए हर प्रकार के होटल, गैस्टहाउस, हाउसबोट और मकान बड़ी संख्या में मौजूद हैं. रेस्तराओं की कतारें लगी हैं. मुख्य स्थानों पर सेना व पुलिस की मौजूदगी सैलानियों को निश्ंिचत रखती है.  झील के टापू पर बना नेहरू पार्क सब को आकर्षित करता है. पास ही चारचिनार नामक नन्हा टापू है. श्रीनगर के तमाम मशहूर बाग डल झील के तटों से जुड़े हैं. डल झील से बनी नगीन  झील भी दर्शनीय है.

निशात बाग :  झील के दाहिने किनारे पर बना यह सब से बड़ा मुगल गार्डन है. नगर से 8 किलोमीटर दूर यह बाग फूलों, फौआरों और पेड़ों से सजा हुआ है. इस की दूसरी ओर से पर्वत दिखाई देते हैं.

शालीमार बाग : इसे जहांगीर ने अपनी बीवी नूरजहां के लिए 1616 में बनवाया था. निशात बाग से 4 किलोमीटर आगे एक पहाड़ की तलहटी पर यह फूलों व वनों से मालामाल बाग है. फौआरे और सीढ़ीदार  झरने इसे अनोखा रूप देते हैं. निशात बाग की तरह ही यहां से भी सैलानी सामने की पर्वतमालाओं और डल झील के विस्तार को देख सकते हैं.

बोटैनिकल गार्डन : शालीमार बाग से डलगेट की ओर लौटते हुए एक संपर्क मार्ग से कुछ ही मिनट में यहां पहुंचा जा सकता है. मखमली भूखंडों के बीच पहाड़ की ढलान पर फैले इस वनस्पति पार्क में दुनियाभर के अनोखे फूल, विविध वनस्पतियां और पेड़ मौजूद हैं. यहां एक छोटी  झील में नौकाविहार किया जा सकता है.

चश्मे शाही : इस बाग को शाहजहां ने बनवाया था. बोटैनिकल गार्डन के दाईं तरफ यह बाग अनोखी खूबसूरती का एक नमूना है.

परी महल : यह महल पहले बौद्ध मठ था. शहर से 11 किलोमीटर दूर इस जगह को बाद में शाहजहां के बेटे दारा शिकोह ने सूफी शिक्षाकेंद्र बनाया. यहां से डल झील को नए रूप में देखा जा सकता है.

सुलेमान पहाड़ : यह नगर से 1 हजार फुट की ऊंचाई पर है. यहां से श्रीनगर शहर, डल झील, बागों और बर्फीले पहाड़ों को देखना रोमांचक है.

हजरत बल : डलगेट से 6 किलोमीटर दूर  झील के पश्चिम तट पर और निशात बाग के बिलकुल सामने यह शाहजहां की बनवाई मसजिद है. इस के पीछे अकबर का बनवाया नसीम बाग है, जिस में चिनार के बहुत पुराने पेड़ हैं. यहां बैठ कर कुदरत के नजारों को देखना दिलचस्प है.

लाल चौक : यह श्रीनगर का प्रमुख बाजार है. यहां स्थानीय लोगों को भारी संख्या में देखा जाता है. इस के इर्दगिर्द शहर के अनेक बाजार हैं. लाल चौक क्षेत्र में सस्ते दामों में कपड़े, जूते और सजावट के सामान खरीदे जा सकते हैं.

बाहरी दर्शनीय स्थल

गुलमर्ग : श्रीनगर से गुलमर्ग 52 किलोमीटर दूर समुद्रतल से 2,730 मीटर की ऊंचाई पर है. वास्तव में यह फूलों और मखमली भूखंडों से सजी नूरानी घाटी है. वैसे यहां पानी की कमी नहीं है क्योंकि चारों ओर देवदारों और बर्फ से ढके पहाड़ों से गुलमर्ग तक पानी आता है, जिस से कुछ तालाब बनाए गए हैं.

सोनमर्ग : श्रीनगर-लेह मार्ग पर सोनमर्ग 86 किलोमीटर दूर कश्मीर की आखिरी घाटी है. सिंध नदी के किनारे समुद्रतल से 2,740 मीटर की ऊंचाई पर इस का समूचा इलाका सोने जैसी रंगत के फूलों से सजा हुआ है. इसे खूबसूरत और खतरनाक ढलानों के लिए भी जाना जाता है. यहां से जोजिला पास, कारगिल और लद्दाख के लिए रास्ता जाता है.

पहलगाम : जम्मूश्रीनगर मार्ग पर अनंतनाग है, जहां से 42 किलोमीटर दूर स्थित पहलगाम को रास्ता जाता है. लिद्दर नदी के तट पर बसे पहलगाम का अर्थ ‘गड़रियों का गांव’ है. कहा जाता है कि ईसा ने यहां अपने अज्ञातवास के कुछ वर्ष बिताए थे. यहां बर्फीले पर्वत, घने जंगल, सुंदर वन,  झरने, मखमली भूखंडों पर बहती जलधाराएं और कुदरत के करिश्मे एक नजर में देखे जा सकते हैं. श्रीनगर से 61 किलोमीटर दूर मट्टन नामक जगह पहलगाम जाने वालों के लिए अच्छा विश्रामस्थल है. यहां एक सुंदर झरना भी है.    -सैन्नी अशेष

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लेह लद्दाख

हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों से सटा लेह व लद्दाख भले ही आम लोगों की नजरों में छिपा हुआ हो लेकिन पर्यटकों के लिए लद्दाख नया नहीं है. पर्वतारोहण के लिए यह इलाका दशकों से आकर्षण का केंद्र है. लेह व लद्दाख जम्मू-कश्मीर राज्य के दुर्गम इलाके हैं. विदेशी पर्यटकों का हमेशा से ही लद्दाख में आवागमन रहा है लेकिन आम लोगों के लिए लद्दाख तब से आकर्षण का केंद्र बना जब से फिल्म ‘थ्री इडियट’ में लद्दाख की हसीन वादियों के कई  दृश्यों का फिल्मांकन दिखाया गया. खासतौर पर पेंगगांग जहां पर खूबसूरत बीच में समुद्र के पानी में तीनों रंगों का संगम है और चारों तरफ पहाडि़यों की चादर है. इसी तरह वह स्कूल जहां पर आमिर खान बच्चों को पढ़ाते हैं. वह खूबसूरत स्कूल भी दर्शकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है.

लद्दाख जाना लोगों को मुश्किल लगता था क्योंकि आम लोगों की यह धारणा रही है कि वहां पर आतंकवादियों का बसेरा है. लेकिन अब पिछले कुछ सालों से लेह लद्दाख भी लोगों के बीच प्रसिद्ध हो रहा है. कुछ लोगों में यह धारणा भी थी कि लद्दाख भारत के बाहर है और वहां जाने के लिए पासपोर्ट लगता है. लेकिन अब ये सारी गलत धारणाएं दूर हो गई हैं और अब तो ट्रैवलिंग सर्विस और विमान सेवा की बदौलत लेह व लद्दाख जाना आसान और संभव भी हो गया है.

रास्ते खुले हों तो मनाली के रास्ते दिल्ली से लेह की बसें 1,045 किलोमीटर के रास्ते पर रोज आतीजाती हैं. बस या टैक्सी से मनाली से लेह तक का सफर बड़ा रोमांचक है.

मैं ऐसे समय में लद्दाख पहुंची जब वहां पर सिंधु नदी पर सिंधु त्योहार मनाया जाता है. इस अवसर पर वहां सांस्कृतिक ढंग से नाचगाना, लोकनृत्य, पोलो मैच आदि का आयोजन किया जाता है.

सिंधु उत्सव का आनंद उठाने के बाद जब मैं ने लेहलद्दाख की हसीन वादियों का आनंद उठाने के लिए यात्रा शुरू की तो मैं ने पहाड़ों की कटीली वादियों के बीच ज्यादातर बौद्ध स्तूप पाए जो तकरीबन 500 साल पुराने थे. पहाड़ों की चोटियों से घिरे लद्दाख की खूबसूरती देखते बनती थी.

कई जगहों पर पथरीले पहाड़ों पर बर्फ की चादर सी बिछी थी. लद्दाख की यात्रा के दौरान मुलतानी मिट्टी के पहाड़ के अलावा हमें जो मुख्य आकर्षण देखने को मिले वे थे सफेद रंग का बना हुआ शांति के प्रचार के लिए जापानी बुद्धिस्ट हिल टौप चैंगस्पा का बनाया हुआ शांति स्तूप, लेमायक हैफिस, हिक्से अल्ची, लेह का महल जोकि 17वीं शताब्दी में बना और उस में तिब्बत की कलाकृतियां देखने को मिलती हैं. हौल औफ फेम म्यूजियम जिस में लद्दाख की सांस्कृतिक कलाकृतियां, गौडेस तारा, पुरानी बंदूकें और पुराने सिक्के आदि का अच्छा संग्रह है.

लेह मार्केट में खूबसूरत मफलर, खूबसूरत लद्दाखी गहने, मास्क, प्रेयर व्हील आदि सजे हुए थे. हिमस मोनैस्ट्री वहां की प्रसिद्ध विशाल मोनैस्ट्री है. इस के अलावा एक जगह डबल हम्प है जहां अलग प्रकार के लद्दाखी ऊंट पाए जाते हैं. इन ऊंटों की खासीयत यह है कि इन के बाल सिल्क जैसे होते हैं और ये ऊंचाई में अन्य ऊंटों के मुकाबले अलग होते हैं.

कहां ठहरें

लेह के मुख्य बाजार, कारजू लेन, पर्यटन कार्यालय रोड, चांग्स्पा बाजार, शांति स्तूप रोड और आसपास के बाजारों में काफी होटल और गैस्टहाउस हैं. इस के अलावा कई लोगों ने अपने घरों में भी सैलानियों के लिए ठहरने की व्यवस्थाएं कर रखी हैं.

-आरती सक्सेना

पटनीटौप

जम्मू से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पटनीटौप घने देवदार, चीड़ के जंगल, कलकल करते  झरने, बर्फ से ढकी चोटियों और भीड़भाड़ से दूर कम आबादी वाला स्थान है. चिनाब की घाटी का सौंदर्य, मनलुभावन वादियां और कोहरे के बीच यहां का प्राकृतिक सौंदर्य सैलानियों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है. पटनीटौप पहुंचने के लिए जम्मू और कटरा से नियमित बस सेवा के साथसाथ टैक्सी भी मिलती है.

यहां गरमी की छुट्टियों में लोग सर्दियों का मजा उठाते हैं. सर्दियों में यहां पैराग्लाइडिंग और स्कीइंग का अलग ही आनंद होता है. यहां आ कर सैलानी गोल्फ खेलने का भी लुत्फ खूब उठाते हैं. पटनीटौप में ठहरने के लिए राज्य पर्यटन विभाग के कई टूरिस्ट बंगले और होटल हैं.

दर्शनीय स्थलों में किस्तवाड़ एक अच्छा ट्रैकिंग स्थल है. पटनीटौप से 17 किलोमीटर दूर सनासर की खूबसूरती बेमिसाल है. प्याले के आकार की शांत व सुरम्य इस घाटी के चारों ओर हरेभरे मैदान हैं.

पटनीटौप की पर्वतश्रेणियों की ढलान पर मनोरम स्थान ‘बटोट’ चिनाब की घाटियों का सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है. पटनीटौप से लगभग 11 किलोमीटर दूर शिवगढ़ मरीजों के स्वास्थ्य लाभ के लिए उपयुक्त जगह है क्योंकि यहां की हवा व पानी बहुत शुद्ध हैं.

फिल्मों में कश्मीर की हसीन वादियां देख कर मेरा मन वहां जाने के लिए उतावला था इसलिए शादी के बाद हनीमून मनाने वहीं गए. वाकई वहां पहुंच लगा कि वहां की हसीन वादियों में बिताए हसीन पल कभी नहीं भूल सकते.

-सरिता कश्यप, नई दिल्ली

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