ब्लड प्रेशर का इलाज है टमाटर

टमाटर हमारी सेहत के लिए कई मायनों में फायदेमंद है. इसके कई सेहत लाभ हैं. हाइपर टेंशन एक गंभीर बीमारी है जिससे आपको दिल संबंधी समस्याएं होती हैं. अपनी डाइट में टमाटर जोड़ कर इस समस्या का जोखिम कम किया जा सकता है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि टमाटर कैसे ब्लड प्रेशर की परेशानी में फायदेमंद है.

अमेरिका के हार्ट जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन की माने तो टमाटर में भरपूर मात्रा में एंटी औक्सीडेंट पाया जाता है. जो लोग टमाटर का नियमित तौर पर सेवन करते हैं, उनमें ब्लड प्रेशर की शिकायत कम देखी गई है.

जानिए कैसे लाभकारी है टमाटर

tomato benefit in blood pressure

आपको बता दें कि टमाटर में लाइकोपीन और बीटा कैरोटीन जैसे कैरोटीनौइड होते हैं, जो शक्तिशाली एंटीऔक्सीडेंट्स हैं. इनकी मदद से शरीर में फ्री रेडिकल्स को निष्क्रिय हो कर आसानी से फ्लश हो जाते हैं. इससे न केवल एथेरोस्लेरोसिस की प्रगति धीमी होती है बल्कि औक्सीडेटिव स्ट्रेस भी कम होता है और ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखता है.

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टमाटर में विटामिन ई प्रचूर मात्रा में पाई जाती है. इसके अलावा टमाटर पोटैशियम का भी महत्वपूर्ण स्रोत है. इससे शरीर में फ्लूइड इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बनाए रखने में मदद मिलती है, साथ ही ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल में रहता है. इसलिए अगर आप हाइपरटेंशन की मरीज हैं तो टमाटर का अधिक सेवन करें. आप इसे सलाद या सब्जियों में मिलाकर खा सकते हैं. इसके अलावा इसे टोमेटो सूप, रसम या चटनी के रूप में भी खाया जा सकता है.

बिना दवा खाए करें अस्थमा का इलाज

अस्थमा एक गंभीर बीमारी बनती जा रही है. प्रदूषण के कारण बच्चों से लिए बुजुर्गों में ये बीमारी आम हो गई है. ऐसे में डाक्टरों और दवाइयों पर लोगों की निर्भरता तेजी से बढ़ रही है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि मछली का इस्तेमाल कर आप कैसे इस रोग से छुटकारा पा सकती हैं.

बच्चों में बढ़ रही अस्थमा की बीमारी के बाबत एक महत्वपूर्ण बात सामने आई है. एक शोध में या बात सामने आई कि सैमन, ट्राउट और सार्डाइन जैसी मछलियों को अपने आहार में शामिल करने से बच्चों में अस्थमा के लक्षण में कमी आ सकती है.

औस्ट्रेलिया में हुए एक शोध में ये पता चला है कि अस्थमा से ग्रसित बच्चों के भोजन में जब 6 महीने तक वसा युक्त मछलियों से भरपूर पौष्टिक समुद्री भोजन को शामिल किया गया, तब उनके फेफड़े की कार्यप्रणाली में सुधार पाया गया.

इस अध्ययन को ‘ह्यूमन न्यूट्रिशन ऐंड डायटेटिक्स’ में हाल ही में प्रकाशित किया गया है. इस शोध में कहा गया कि पौष्टिक आहार, बच्चों में अस्थमा का संभावित इलाज हो सकता है.

कई जानकारों का मानना है कि जाहिरतौर पर वसा, चीनी, नमक बच्चों में अस्थमा के बढ़ने को प्रभावित करता है. पर पौष्टिक भोजन से अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित करना संभव है.

आपको बता दें कि वसा युक्त मछलियों में ओमेगा-3 फैटी ऐसिड होता है जिनमें रोग को रोकने में सक्षम गुण होते हैं. सप्ताह में दो बार या ज्यादा मछली खाने से अस्थमा से पीड़ित बच्चों के फेफड़े के सूजन में कमी आ सकती है.

करें घर के ये काम, कम होगा वजन

मोटापा, ज्यादा वजन जैसी समस्या लोगों में तेजी से बढ़ रही है. आलम ये है कि वजन कम करने के लिए लोग हजारों लाखों रुपये खर्च कर रहे हैं. दवाइयों से लिए, एक्सर्साइज, खास खानपान और जिम में पसीना बहाने के लिए लोग तैयार हैं. पर क्या आपको पता है कि आप बिना जिम गए, बिना किसी स्पेशल डाइट के, घर के 6 काम कर के कैलोरीज बर्न कर सकती हैं.

पोछा लगा सकती हैं

घर में पोछा लगाना काफी मेहनत का काम है. इससे पैरों का अच्छे से वर्कआउट होता है. इस दौरान कमर में लगातार होने वाले मुवमेंट से फैट कम फैट पर काफी असर होता है. अगर आप रोज 20 मिनट पोछा लगाती हैं तो आप रोज 150 कैलोरी बर्न कर सकेंगी.

कपड़ा धोना

कपड़े धोने से शरीर का अच्छे से एक्सर्साइज होता है. अगर आप हाथ से कपड़े धोती हैं तो आपका 130 कैलोरी बर्न होगा.

खुद से धोएं बर्तन

बर्तन धोने से भी कैलोरी बर्न होती है. सेहत के लिए बेहतर होगा कि आप खुद बर्तन धोना शुरू कर दें, इससे आप करीब 125 कैलरीज बर्न कर सकेंगी.

खुद से बनाएं खाना

भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग खुद से खाना बनाना छोड़ चुके हैं. नौकरी पेशे के बीच से खाना बनाने के लिए समय निकाल पाना लोगों के लिए मुश्किल हो रहा है. पर कुकिंग के कई फायदे हैं, उनमें से एक वजन का कम करना भी शामिल है. खाना बनाने की प्रक्रिया में करीब 100 कैलोरीज बर्न होती हैं.

आटा गुंथे

आटा गुंथना एक मुश्किल और मेहनत वाला काम है. इसमें आपका जोर लगता है और शरीर से भी आप काफी मेहनत करती हैं. इस दौरान लगने वाली ताकत से आप शरीर की 50 कैलोरीज बर्न कर सकती हैं.

कभी ना खाएं जला ब्रेड, हो सकता है जानलेवा

स्वस्थ रहना आजकल के लोगों के लिए चुनौती बन गई है. जिस तरह की लोगों की जीवनशैली बन चुकी है, स्वस्थ रहना काफी मुश्किल है. लोगों का जंक फूड, फास्ट फूड के लिए प्यार उनकी खराब सेहत के लिए जिम्मेदार है. सुबह के नाश्ते में लोग अक्सर ब्रेड का सेवन करते हैं. खासतौर पर जो लोग घर के बाहर रहते हैं, वो और भी ज्यादा ब्रेड खाते हैं. पर क्या आपको पता है कि ब्रेड का जला हुआ हिस्सा खाने से आपको सेहत संबंधी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं.

एक शोध में ये बात सामने आई कि जिन स्टार्च युक्त खाद्य पदार्थो को उच्च तापमान पर पकाया जाता है तो वे ‘एक्रिलामाइड’ नामक एक यौगिक को छोड़ देता है जो कैंसर का खतरा बढ़ाता है.

आपको बता दें कि ‘एक्रिलामाइड’ एक ऐसा केमिकल होता है जिससे कागज और प्लास्टिक का निर्माण किया जाता है. एक अध्ययन के अनुसार, जब कुछ खाद्य पदार्थों को बहुत उच्च तापमान पर पकाया जाता है, तो रासायनिक प्रतिक्रिया के परिणामस्वरूप एक्रिलमाइड के गठन होता है.
एक बार रिएक्शन होने के बाद, जला हुआ भोजन रसायन डीएनए में प्रवेश कर सकता है जो आगे जीवित कोशिकाओं को बदल देता है और कैंसर की संभावना बढ़ जाती है. विशेषज्ञों के मुताबिक, एक्रिलामाइड शरीर में एक न्यूरोटौक्सिन के रूप में भी कार्य कर सकता है.

आपके चेहरे के ये बदलाव बताएंगे आपकी बीमारी, रहें सतर्क

चेहरा हमारी सेहत का आइना होता है. शरीर में किसी भी तरह की परेशानी हो, उसकी झलक चेहरे पर आ जाती है. किसी व्यक्ति को क्या परेशानी है उसके चेहरे को देख कर समझा जा सकता है. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि कैसे किसी वयक्ति के चेहरे से उसकी बीमारी का पता लगाया जा सकता है.

बालों का झड़ना:

changes on face may be cause of disease

लोगों में बालों के झड़ने की समस्या बेहद आम है. लेकिन ये ज्यादा हो तो सतर्क हो जाएं. सिर के बालों के साथ पलकें और आइब्रो भी झड़ने लगें तो इसे नजरअंदाज ना करें. जानकारों की माने तो ऐसा अत्यधिक तनाव या औटोइम्यून बीमारी के कारण होता है.

सूखे होंठ:

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होंठ का सूखापन दिखाता है कि आपके शरीर में पानी की कमी है या कहें तो आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल रहा है. अगर हर मौसम में आपको खुश्क होठों की शिकायत रहती है तो डायबिटीज और हाइपोथाइरौडिज्म की भी जांच कराएं.

चेहरे का पीला पड़ना:

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अगर आपके चेहरे की रंगत में बदलाव हो रहे हैं या कहें कि आपका चहरा पीला पड़ रहा है, तो ये आपके शरीर में खून की कमी का संकेत है. आपको अपनी डाइट में बदलाव करना होगा.

शरीर पर हो रहे लाल धब्बे:

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शरीर के किसी हिस्से पर लाल धब्बों का पड़ना इस बात का संकेत है कि आपको पेट संबंधित बीमारी है. ऐसे में जरूरी है कि आप पेट का चेकअप कराएं.

चेहरे पर बालों का आना:

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अक्सर महिलाओं में ये परेशानी देखी जाती है. उनकी ठुड्डी और होठों के उपर बाल उगने लगते हैं. ये आपके शरीर में हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ने की वजह से होता है.

नजरअंदाज ना करें जीभ की गंदगी, हो सकती हैं बड़ी परेशानियां

मुंह की सफाई से प्राय: हम दांतों की सफाई सोचते हैं.  जबकि जीभ की सफाई कई कारणों से अहम होती है. सफाई के मामले में जीभ सबसे ज्यादा उपेक्षित अंग है. अक्सर लोग इसकी सफाई का ख्याल नहीं रखते. जिसके कारण आपको कई तरह की बीमारियां हो सकती है. जीभ की सफाई ना करने से आपकी सांस भी बदबूदार हो जाती है. ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी जीभ की नियमित सफाई करें. इस खबर में हम आपको जीभ की सफाई के कुछ तरीके बताएंगे.

नमक

जीभ की सफाई के लिए नमक काफी अच्छा तत्व माना जाता है. ये एक प्राकृतिक स्क्रब की तरह काम करता है. थोड़ा सा नमक जीभ पर छिड़क लें, फिर ब्रश के पिछले हिस्से से  हल्का दबाव डाल कर जीभ की सफाई करें. इसके बाद कुल्ला कर लें. आपको इसका असर जल्दी ही दिखेगा.

दही

दही प्रो-बायोटिक होता है. यह जीभ पर जमा फंगस, सफेद परत और गंदगी को खत्म कर देता है.

माउथवाश

खाना खाने के बाद खाने के कुछ अंश जीभ पर रह जाते हैं. इस लिए जरूरी है कि खाने के बाद माउथवाश किया जाए. इससे मुंह की गंदगी निकल जाएंगी. साथ ही आप फ्रेश महसूस करेंगी.

बेकिंग सोडा

बेकिंग सोडा भी एक प्रभावशाली स्क्रब होता है. इसमें नींबू की कुछ बूंदे मिलाएं, अब इस पेस्ट को जीभ पर उंगली से लगाएं और थोड़ी देर रखने के बाद कुल्ला करें. इससे जीभ पर जमी सफेद परत व गंदगी आसानी से निकल जाएगी.

हल्दी
हल्दी पाउडर में थोड़ा सा नींबू का रस मिला लें, अब इस पेस्ट से जीभ पर रगड़ लें. कुछ देर में गुनगुने पानी से कुल्ला कर लें.

सेहत बनाए गरमागरम अदरक वाली चाय

अधिकतर लोगों के दिन की शुरुआत चाय से होती है. और सर्दी के मौसम में तो अदरक वाली चाय का मजा ही कुछ और है. अगर इस का नियमित सेवन किया जाए तो यह कई रोगों से नजात दिलाती है क्योंकि इस में एंटीइनफ्लमेटरी, एंटीबैक्टीरियल और एंटीऔक्सीडैंट गुण पाए जाते हैं. यह कई तरह की समस्याएं जैसे गैस, अपच, सर्दी, सिरदर्द आदि से निजात दिलाती है.

अदरकयुक्त चाय पोटैशियम, मैग्नीशियम, विटामिन बी-6 और विटामिन-ई से भरपूर होती है.

अदरक की चाय के फायदे:

  • सर्दीजुकाम से राहत : सर्दी में जुकाम आम समस्या है. अदरक शरीर में गर्मी पहुंचता है जिस से सर्दीजुकाम कम हो जाता है. सर्दी के कारण कई बार गले में दर्द भी होता है. ऐसे में अदरक में एंटीहिस्टोमिन गुण होने से गले के दर्द में राहत मिलती है.
  • पेट के लिए लाभकारी : अदरक की चाय पीने से पाचनशक्ति बेहतर होती है. यदि ज्यादा खा लिया है तो अदरक की चाय से काफी हद तक राहत महसूस होती है.
  • उलटी या मतली में आराम : कई बार बस या कार में सफर करते समय मतली की समस्या होती है. ऐसे में घर से निकलने से पहले अदरक की चाय पी कर निकलें.
  • इम्युनिटी बढ़ाए : अदरक में बड़ी मात्रा में एंटीऔक्सीडैंट पाए जाते हैं, जिस से शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है.
  • वजन घटाने में सहायक : अदरक कौरटिसौल का उत्पाद करता है जो पेट की चरबी कम करने में सहायक होता है. अदरक की चाय पीने के बाद पेट भराभरा लगता है, जिस से आप को अतिरिक्त कैलोरी लेने की इच्छा नहीं होती और शरीर का वजन कम हो जाता है.
  • कैंसर में लाभकारी : शोध से यह साबित हो चुका है कि अदरक कैंसर से रक्षा करता है. खास कर ओवरी कैंसर में यह कैंसर सैल्स को बड़े पैमाने पर खत्म कर सकता है.
  • किडनी के संक्रमण रोकने में फायदेमंद : अदरक में वाष्पशील तेल पाया जाता है जो शरीर में एंटीबायोटिक का काम करता है. इस में मौजूद एंटीमाइक्रोबियल और एंटीइनफ्लमेटरी गुण किडनी के संक्रमण के उपचार में सहायक होते हैं. यदि आप को किडनी संबंधित कोई संक्रमण है तो एक कप अदरक की चाय का रोजाना सेवन कर सकते हैं, लेकिन डाक्टर का परामर्श जरूर लें.
  • रक्त संचार को बढ़ाए : अदरक की चाय पीने से रक्त जमता नहीं है और रुष्ठरु कौलेस्ट्रोल कम होता है. रक्त संचार सही होने से हृदय संबंधीत बीमारी होेने का खतरा कम हो जाता है. अदरक में मौजूद विटामिन, मिनरल्स, अमीनो एसिड रक्त संचार बढ़ने में सहायक होते हैं.
  • श्वास की समस्या में लाभकारी : अदरक फ्लेम हटा कर फेफड़ों को फैलती है जिस से सांस न ले पाने की समस्या से बचाव होता है. सर्दी में जुकाम या नाक बंद हो जाने पर गरमागरम अदरक क चाय पीने से सांस लेने में आराम मिलता है और यह एलर्जी और छींको के लिए भी लाभदायक है.
  • फर्टिलिटी : अदरक में एफरैडिजीऐक गुण होते हैं. इसलिए पुरुषों में शुक्राणुओं को स्वस्थ्य रखता है और फर्टिलिटी को बढ़ाता है. अत: यदि ऐसी कोई परेशानी हो तो नियमित अदरक का सेवन करें.

अदरक की चाय बनाने का तरीका

  • उबलते पानी में अदरक डालें और 10 मिनट तक उबलने दें.
  • इस पानी को छान लें और इस में कुछ बूंदें नीबू का रस और चीनी मिलाएं.
  • चाहें तो चीनी के बजाय शहद डालें. आप दूध में अदरक डाल कर दूध वाली अदरक की चाय भी बना सकते हैं.
  • अदरक की चाय के सेवन से आप शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकते हैं और अपने परिवार को भी स्वस्थ रख सकते हैं.

स्वस्थ रहना है तो दवाइयों को भूल, जाएं प्रकृति की गोद में

किसी भी तरह की बीमारी होते ही हम दवाइयों के पीछे हो लेते हैं. इस खबर में हम आपको बताएंगे कि कुछ बीमारियों के लिए दवाइयों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है. हाल ही में हुए एक अध्ययन में ये बात सामने आई कि कई बीमारियों में दवाई की जरूरत नहीं है, दवाइयों के बजाए पेड़ पौधों के बीच रहने से ये बीमारियां खुद-ब-खुद खत्म हो जाती हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रकृति और हरियाली के बीच रहने से टाइप-2 डायबिटीज, दिल की समस्या, हाई ब्लड प्रेशर, तनाव जैसी बीमारियों के होने की संभावना बहुत कम होती जाती है.

शोधकर्ताओं ने माना कि ऐसी बीमारी में दवाइयों पर ज्यादा आश्रित रहना अच्छी बात नहीं है.  प्रकृति के बीच रहकर भी बिना दवाई खाए बीमारी को दूर किया जा सकता है. जानकारों का मानना है कि पेड़ों में सेहत को बेहतर करने के गुण होते हैं. इनसे निकलने वाले और्गेनिक कंपाउंड में एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं जो सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं.

स्टडी की रिपोर्ट में बताया गया है कि, प्रकृति के करीब रहने से नींद भी अच्छी आती है. हरियाली के आस पास रहने से शरीर में सेलीवरी कोर्टीसोल का स्तर कम हो जाता है. कोर्टीसोल शरीर में पाए जाने वाला हार्मोन है जिसकी वजह से तनाव होता है.

आयरन की शक्ति से जीवन को बनाएं स्वस्थ

अकसर देखा जाता है कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य को ले कर सतर्क नहीं रहतीं. कारण कभी प्रोफैशनल लाइफ में आगे बढ़ने की होड़ तो कभी घर के कामों को जल्दी निबटाने की जरूरत. सभी कामों को सही समय पर करने के चक्कर में वे अपना ध्यान रखना ही भूल जाती हैं. कभी इन का ब्रेकफास्ट स्किप होता है तो कभी लंच.

अगर ऐसा कभीकभी हो तो ठीक है लेकिन ऐसी रूटीन हमेशा फौलो करने पर कुछ दिनों में ही थकान महसूस होने लगती है. धीरेधीरे यह थकान कमजोरी का रूप ले लेती है. कई बार तो महिलाओं को यह समझ में ही नहीं आता कि ऐसा हो क्यों रहा है. उन्हें लगता है कि शायद ज्यादा काम करने की वजह से थकान हो गई है. यहीं पर महिलाओं को सावधान हो जाना चाहिए, क्योंकि ये लक्षण आप के शरीर में आयरन की कमी को दर्शाते हैं. अगर इस के बाद भी महिलाएं लापरवाही करती हैं तो उन के शरीर में खून की कमी हो जाती है और वे एनीमिक हो जाती हैं. और जब शरीर में खून की कमी हो जाती है तो छोटीछोटी बीमारियां भी उन्हें अपनी चपेट में ले लेती हैं.

आयरन की कमी के साइड इफैक्ट्स

जब शरीर में आयरन की कमी होती है तो महिलाओं का एनीमिया का शिकार होना आम बात है. रिसर्च में यह बात सामने आई है कि भारत की हर 3 महिलाओं में एक एनीमिया से ग्रसित होती है. आकड़ों के अनुसार एक और बात सामने आई है कि इन की उम्र 15 से 49 के बीच में होती है. साथ ही अगर कोई महिला एनीमिक है तो उस के बच्चे का एनीमिक होना स्वाभाविक है.

इस का कारण है कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य को ले कर लापरवाही करती हैं और सही डाइट नहीं लेती हैं जिस से उन्हें कमजोरी और थकान महसूस होने लगती है. जरा सोचिए जहां तीन में एक महिला एनीमिक हो वहां फौलिक ऐसिड और आयरन सप्लिमैंट की कितनी जरूरत होगी.

इस मामले में वैज्ञानिकों का कहना है कि महिलाओं की शारीरिक बनावट पुरूषों की तुलना में कमजोर होती है. इसलिए पुरूषों की अपेक्षा इन्हें ज्यादा कमजोरी महसूस होती है. यही वह समय है जब इन को अपने ऊपर ध्यान देने की जरूरत होती है.

इस मामले में मुंबई की डा. मीता बाली, जो कि एक क्रेनियो थेरैपिस्ट हैं, का कहना है कि ऐसा अकसर होता है कि पहले शादी फिर बच्चा वाली प्रक्रिया में महिलाएं खुद की बजाय पूरा ध्यान बच्चों और पति पर ही देती हैं. यानी वे अपना ध्यान रखना ही भूल जाती हैं. पूरा फोकस बच्चों और पति पर हो जाता है. वे प्रैग्नैंसी के दौरान आयरन की दवाइयां तो लेती हैं लेकिन बच्चा होने के बाद इस बात को भूल जाती हैं कि बच्चे के साथसाथ उन्हें अपना भी ध्यान रखना है. ऐसे में अगर महिलाएं डाक्टर की सलाह से आयरन सप्लिमैंट का सेवन करती हैं तो उन्हें इस तरह की समस्या नहीं झेलनी पड़ती. डा. मीता का कहना है कि कुछ महिलाओं का ध्यान तब खुद पर जाता है जब वे एनीमिक हो चुकी होती हैं. जब थकान महसूस होती है तब उन्हें समझ में आता है कि उन के शरीर में कोई परेशानी है. वे अपनी बात परिवार वालों के साथ शेयर नहीं करतीं और अकेले काम करती रहती हैं. साथ ही इस का जिम्मेदार भी वे परिवार के लोगों को ही मान बैठती हैं. डा. मीता का मानना है कि महिलाओं को अपनी परेशानियां घरवालों के साथ शेयर करनी चाहिए. ऐसा करने से वे बीमारी से भी बच जाएंगी और परिवार वाले उन के कामों में हाथ भी बटा सकेंगे. महिलाओं को परिवार का खयाल रखने के साथ ही थोड़ा समय खुद के लिए भी निकालना चाहिए और साल में एक बार अपनी जांच जरूर करवानी चाहिए ताकि समय रहते यह पता लग जाए कि आप के शरीर में किन विटामिंस और मिनरल्स की कमी है. फिर आप उस हिसाब से सप्लिमैंट ले सकती हैं. ऐसा अगर आप छोटी उम्र से शुरू कर देती हैं तो 50 की उम्र में भी आप हैल्दी रह सकती हैं.

ऐसे नहीं होगी आयरन की कमी

अगर आप थोड़ा ध्यान खुद पर भी देंगी तो आप के शरीर में आयरन की कमी नहीं होगी. इस के लिए आप सब से पहले ऐसी चीजों को अपनी डाइट में शामिल करें जिन में भरपूर मात्रा में आयरन हो. साथ ही डाक्टर की सलाह से आप आयरन की गोलियां भी ले सकती हैं. अकसर देखा जाता है कि लोग बीमारी से निबटने के लिए पूरी तरह से डाक्टर पर निर्भर हो जाते हैं और अपने स्तर पर कोशिश ही नहीं करते. आप भी शरीर में आयरन की भरपाई के लिए सिर्फ सप्लिमैंट पर निर्भर न हो कर नैचुरल चीजों का सेवन करें.

खाने में ऐसे पदार्थों को शामिल करें जिन को खाने से आयरन की कमी दूर हो सके. हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, बथुआ, चोकरयुक्त आटा, मल्टीग्रेन आटा, चुकंदर, अनार, काबुली चना, अंकुरित अनाज, राजमा, संतरे का रस, सोयाबीन, हरी मूंग व मसूर दाल, सूखे मेवे, गुड़, अंगूर, अमरूद, अंडा और दूध, मेथी, रैड मीट, सरसों का साग, पालक, चौराई, मछली आदि अपनी डाइट में शामिल करें. साथ ही सप्लिमैंट में आप आयरन की कमी को दूर करने के लिए डाक्टर की सलाह से रुद्ब1शद्दद्गठ्ठ का भी उपयोग कर सकतीं हैं. शायद आप को पता भी हो कि आयरन की कमी से एनीमिया रोग हो जाता है. जब शरीर में आयरन की कमी होती है तो लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण नहीं हो पाता है. ये लाल रक्त कोशिकाएं ही दिमाग को ऊर्जा प्रदान करने का काम करती हैं.

गर्भवती महिलाओं के लिए आयरन और फौलिक ऐसिड की जरूरत ज्यादा होती है, क्योंकि फौलिक ऐसिड नई कोशिकाओं को विकसित करने का काम करता है. साथ ही गर्भ में जब बच्चा पल रहा होता है तो उस के विकास में सहायक होता है. इसी पर बच्चे का दिमाग और स्पाइनल कौर्ड का विकास भी निर्भर होता है. साथ ही लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण और एनीमिया से बचे रहने के लिए शरीर में इस का होना जरूरी है. यही नहीं फौलिक ऐसिड से महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर और कोलोन कैंसर का खतरा भी कम रहता है. आयरन और फौलिक ऐसिड की कमी को दूर करने के लिए जितनी हो सके उतनी मात्रा में हरी पत्तेदार सब्जियां, दालें और फलों का सेवन करना चाहिए.

जब शरीर में आयरन की कमी होती है तो हमारा मैटाबोलिज्म ठीक से काम नहीं करता है. नतीजतन, हमारे शरीर को भरपूर ऊर्जा नहीं मिल पाती. महिलाओं के शरीर को जब भरपूर मात्रा में ऊर्जा नहीं मिलती तो उन्हें थकान महसूस होती है. लेकिन उन्हें लगता है कि यह कामकाज और भागदौड़ की वजह से थकान हो रही है. इस के बावजूद वे अपने शरीर पर ध्यान नहीं देतीं. और जब तक उन्हें पता चलता है बहुत देर हो चुकी होती है. जो महिलाएं घर और बाहर दोनों जगह काम करती हैं उन के अंदर आयरन की कमी बाकी महिलाओं के मुकाबले ज्यादा पाई जाती है. क्योंकि कभीकभी उन्हें नाइट शिफ्ट में भी काम करना पड़ता है. नाइट शिफ्ट में काम करने के बाद जब वे घर आती हैं तो दिन में भी घर का काम करना पड़ता है. इस कारण इन के शरीर को भरपूर मात्रा में भोजन नहीं मिल पाता और शरीर कमजोर हो जाता है. महिलाएं सोचतीं हैं कि पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग होना आम बात है लेकिन ऐसा नहीं है. ज्यादा ब्लीडिंग के कारण महिलाओं में आयरन की कमी हो जाती है. ऐसे में अगर आप डाक्टर की सलाह से आयरन सप्लीमैंट जैसे रुद्ब1शद्दद्गठ्ठ का प्रयोग करती हैं तो भी आप के अंदर आयरन की कमी नहीं होगी. इस के अलावा शाकाहारी महिलाओं में आयरन की कमी ज्यादा देखने को मिलती है. ऐसा नहीं है कि आयरन की कमी सिर्फ ज्यादा उम्र की महिलाओं में होती है या सिर्फ 40 से 50 उम्र की महिलाएं ही इस के लक्षण महसूस करती हैं. यंग महिलाएं भी थक जाती हैं और उन के अंदर भी आयरन की कमी हो सकती है.

आयरन की कमी को दूर करने के लिए इन चीजों को डाइट में करें शामिल

आयरन की कमी को दूर करने के लिए आप भी अपनी डाइट में ऐसी चीजों को शामिल करें जो इस के अच्छे स्रोत हैं. अपने खानपान में बदलाव ला कर भी आयरन की कमी को पूरा कर सकती हैं. हरी पत्तेदार सब्जियां खाना हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, यह आप ने न जाने कितनी बार सुना होगा लेकिन शायद ही इसे फौलो किया हो. तो अब इसे अपनी डाइट में शामिल करने का सही समय आ गया है. इसे खाने से आप को भरपूर मात्रा में आयरन मिलेगा. इस के अलावा बींस, मटर, इमली, फलियां, चुकंदर, ब्रोकली, टमाटर, मशरूम भी खाने चाहिए. इन में से कुछ चीजें तो हर सीजन में बाजार में आसानी से मिल जाती हें, तो इन का सेवन कर आप खुद को हैल्दी रख सकती हैं.

आयरन के अन्य स्रोत

आयरन की कमी को दूर करने के लिए फलों और सब्जियों के अलावा कुछ पदार्थ हैं जिन्हें डाइट में शामिल करने से आयरन की भरपाई शरीर में तेजी से होगी. जैसे चिकन, रैड मीट, काबुली चने, सोयाबीन और साबूत अनाज इत्यादि. साथ ही अंडे, ब्रैड, मूंगफली, टूना फिश, गुड़, कद्दू के बीज और पोहा खाने से आप के अंदर आयरन की कमी नहीं होगी.

कब करें आयरन सप्लिमैंट का सेवन

आयरन की मात्रा न कम होनी चाहिए न ज्यादा. अगर आप के शरीर में आयरन की कमी ज्यादा हो गई है तो आप को डाक्टर की सलाह से आयरन सप्लिमैंट जैसे लीवोजिन लेना चाहिए. साथ ही सप्लिमैंट के साइड इफैक्ट्स से बचने के लिए अपनी डाइट में फाइबर की मात्रा को बढ़ा देना चाहिए.

आयरन की कमी से होगी यह परेशानी

महिलाएं सब से ज्यादा इस समस्या से जूझ रहीं हैं. भारत में हर तीन में से एक महिला इस की चपेट में है. अगर आप के शरीर में आयरन की कमी होगी तो थकान के साथ आप कई अन्य बीमारियों से भी ग्रसित हो सकती हैं. मसलन:

धड़कनों का तेज हो जाना

जब शरीर में आयरन की कमी होती है तो धड़कनें तेज हो जाती है क्योंकि, आक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए दिल अधिक रक्त पंप करता है. इस कारण धड़कनें बढ़ जाती हैं. यही नहीं अगर आप के अंदर आयरन की कमी बहुत ज्यादा है तो हार्ट फेल होने के चांसेस भी बढ़ जाते हैं.

एनीमिया

जिन महिलाओं के शरीर में आयरन की कमी होती है वे जल्द ही एनीमिया की चपेट में आ जाती हैं. कारण है पीरियड्स में अधिक ब्लीडिंग और प्रैग्नैंसी. इस तरह की समस्या से बचने के लिए आयरन से भरपूर भोजन और सप्लिमैंट ले सकती हैं.

प्रैग्नैंसी में प्रौब्लम

जिन महिलाओं में प्रैग्नैंसी के समय आयरन की कमी होती है, उन के बच्चे पर इस का गहरा असर पड़ता है. उन का विकास ठीक से नहीं हो पाता है. साथ ही समय के पहले ही डिलिवरी भी हो सकती है. इसलिए गर्भवती महिलाओं को चाहिए कि वे आयरन सप्लिमैंट लेने के साथ खाने में भी ऐसी चीजों को शामिल करें जिन में आयरन की मात्रा भरपूर हो.

विटामिन सी है सहायक

अगर आप भी आयरन सप्लिमैंट लेती हैं तो इसे विटामिन सी के साथ लें. आप पहले विटामिन सी से भरपूर कोई फल या जूस पी लें. इस के बाद आयरन की सप्लिमैंट लें. ऐसा करने से आप का पेट ज्यादा ऐसिडिक हो जाएगा और ज्यादा से ज्यादा आयरन को अवशोषित करेगा. साथ ही आयरन सप्लिमैंट लेने के दौरान 1 घंटे पहले और बाद में चाय या कौफी का सेवन करने से बचें, क्योंकि ये पेय पदार्थ शरीर में आयरन के अवशोषण की गति को धीमा कर देते हैं.

क्यों जरूरी है कैल्शियम

लुधियाना हौस्पिटल में किए गए एक ताजा अध्ययन के अनुसार 14 से 17 साल के आयुवर्ग की लगभग 20% लड़कियों में कैल्शियम की कमी पाई गई है, जबकि पहले इतनी ज्यादा मात्रा में कैल्शियम की कमी केवल प्रैगनैंट और उम्रदराज महिलाओं में ही पाई जाती थी.

इस की वजह आज की बिगड़ती जीवनशैली है. आजकल लोग तेजी से पैकेट फूड पर निर्भर होते जा रहे हैं जिस के कारण उन के शरीर को संतुलित भोजन नहीं मिल पा रहा.

महिलाएं अपने पति और बच्चों की सेहत का तो भरपूर खयाल रखती हैं, मगर अकसर अपनी फिटनैस के प्रति लापरवाह हो जाती हैं. अच्छे स्वास्थ्य और मजबूत शरीर के लिए कैल्शियम बेहद जरूरी है. इस से हड्डियों और दांतों को मजबूती मिलती है.

हमारी हड्डियों का 70% हिस्सा कैल्शियम फास्फेट से बना होता है. यही कारण है कि कैल्शियम हड्डियों और दांतों की अच्छी सेहत के लिए सब से जरूरी होता है.

पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को कैल्शियम की अधिक जरूरत होती है. उन के शरीर में 1000 से 1200 एमएल कैल्शियम होना चाहिए वरना इस की कमी से कई तरह की शारीरिक परेशानियां होने लगती हैं.

कैल्शियम तंदुरुस्त दिल, मसल्स की फिटनैस, दांतों, नाखूनों और हड्डियों की मजबूती के लिए जिम्मेदार होता है. इस की कमी से बारबार फ्रैक्चर होना औस्टियोपोरोसिस का खतरा, संवेदनशून्यता, पूरे बदन में दर्द, मांसपेशियों में मरोड़ होना, थकावट, दिल की धड़कन बढ़ना, मासिकधर्म में अधिक दर्द होना, बालों का झड़ना जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं.

ऐसे में यह जरूरी है कि कैल्शियम की पूर्ति अपनी डाइट से करें न कि सप्लिमैंट्स के जरीए.

महिलाओं में कैल्शियम की कमी के कारण

मेनोपौज की उम्र यानी 45 से 50 वर्ष की महिलाओं में अकसर यह कैल्शियम की कमी सब से अधिक होती है क्योंकि इस उम्र में फीमेल हारमोन ऐस्ट्रोजन का स्तर गिरने लगता है, जबकि यह कैल्शियम, मैटाबोलिज्म में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

हारमोनल परिवर्तन:  कैल्शियम रिच डाइट की कमी खासकर डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे दूध, दही आदि न खाना.

हारमोन डिसऔर्डर हाइपोथायरायडिज्म:  इस स्थिति में शरीर में पर्याप्त मात्रा थायराइड का उत्पादन नहीं होता जो ब्लड में कैल्शियम लैवल कंट्रोल करता है.

महिलाओं का ज्यादातर समय किचन में बीतता है, मगर वे यह नहीं जानतीं कि किचन में ही ऐसी बहुत सी सामग्री उपलब्ध हैं जो उन के शरीर में कैल्शियम की कमी दूर कर सकती है. इस के सेवन से उन्हें ऊपर से कैल्शियम सप्लिमैंट्स लेने की जरूरत नहीं पड़ती.

रागी: रागी में काफी मात्रा में कैल्शियम होता है. 100 ग्राम रागी में करीब 370 मिलीग्राम कैल्शियम पाया जाता है.

सोयाबीन: सोयाबीन में भी पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम मौजूद होता है. 100 ग्राम सोयाबीन में करीब 175 मिलीग्राम कैल्शियम होता है.

पालक: पालक देख कर नाकमुंह सिकोड़ने वाली महिलाओं के लिए यह जानना जरूरी है कि 100 ग्राम पालक में 90 मिलीग्राम कैल्शियम पाया जाता है. इस के प्रयोग से पहले इसे कम से कम 1 मिनट जरूर उबालें ताकि इस में मौजूद औक्सैलिक ऐसिड कौंसंट्रेशन घट जाता है, जो कैल्शियम औबजर्वेशन के लिए जरूरी होता है.

हाल ही में किए गए अध्ययन के अनुसार कोकोनट औयल का प्रयोग कर बोन डैंसिटी के लौस को रोक सकते हैं, साथ ही यह शरीर में कैल्शियम के अवशोषण में भी मदद करता है.

धूप सेंकना: भोजन ही नहीं बल्कि सुबह की धूप सेंकना जरूरी है, क्योंकि इस में मौजूद विटामिन डी कैल्शियम अवशोषण के लिए जरूरी होता है. विटामिन डी खून में कैल्शियम के स्तर को नियंत्रण करने के लिए जिम्मेदार होता है. इस का सेवन शरीर में कैल्शियम अवशोषित करने की क्षमता को बढ़ाता है और हड्डी टूटने का खतरा कम होता है.

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