उमाजी ने अपनी योजना के अनुसार सब को शीशे में उतारने के बाद मान्या पर ध्यान देना शुरू किया. प्रसून अब जल्दीजल्दी आने लगा था. इशारेइशारे में उमाजी ने सब को बता दिया था कि प्रसून मान्या के साथ शादी करने को तैयार है, साथ ही आयुष को भी अपना बेटा मान लेगा.
मदनजी और निशिजी के मन में मान्या की शादी के बारे में सोच कर लड्डू फूटने लगे थे. प्रसून जब भी आता उस का ज्यादा समय आयुष के साथ ही बीतता. उस के लिए तरहतरह के खिलौने ले कर आता. उसे पार्क में भी ले जाता. उस के लिए वीडियोगेम ले आता. दोनों साथसाथ वीडियोगेम खेलते.
एक दिन आयुष तोतली आवाज में मान्या से बोला, ‘‘मम्मा, प्रसून अंकल बहुत अच्छे हैं. मेरे साथ वीडियोगेम खेलते हैं.’’
बच्चे की बात मान्या के दिल को छू गई. परंतु मान्या अभी भी अपने को तैयार नहीं कर पा रही थी. यद्यपि प्रसून के आकर्षण से वह भी नहीं बच पाई थी. वह प्रसून को मन ही मन चाहने लगी थी परंतु उस ने कभी जाहिर नहीं होने दिया था. उस के प्रभावशाली व्यक्तित्व और लच्छेदार बातों में वह खो जाती थी.
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उन दोनों के बीच पनपते हुए रिश्ते पर निशिजी पूरी निगाह रखती थीं. एक दिन मान्या को टटोलने के लिए बोलीं, ‘‘यह प्रसून कुछ ज्यादा ही आयुष के करीब आता जा रहा है. आयुष तो बच्चा है. अंकल अंकल कर के उस से लिपटा रहता है. मुझे तो अच्छा नहीं लगता.’’
‘‘मां इस में परेशान होने की क्या बात है? प्रसून अकेला है, इसलिए बच्चे के साथ अपना मन बहला लेता है.’’
शुरू में आयुष को कभीकभी आइसक्रीम खिलाने ले जाता था. फिर उस ने मान्या को भी ले जाना शुरू कर दिया. 1-2 बार वह डिनर पर भी ले गया, यद्यपि उमाजी भी साथ होती थीं, परंतु करीबी तो बढ़ ही रही थी.
एक दिन उमाजी निशिजी से बोलीं, ‘‘बहन, यदि दोनों शादी के लिए तैयार हो जाएं तो कितना अच्छा हो. दोनों ही एक बार धोखा खा चुके हैं, इसलिए दोनों के हक में अच्छा होगा. मुझे तो आयुष की लगती है… प्रसून उस पर किस कदर जान छिड़कता है.’’
निशिजी हां में हां मिलाती हुई बोली थीं कि वे भी यही चाहती हैं कि दोनों आपस में बंध जाएं और आयुष को भी पापा की कमी पूरी हो जाए.
वे मन ही मन सोचने लगीं कि प्रसून के कामधाम की जानकारी करना जरूरी है. क्या पता पहले की तरह यह भी गड़बड़ निकले.
उन्होने एक दिन मदनजी से कहा, ‘‘आप एक बार पुणे जा कर इस की प्लेसमैंट एजेंसी के बारे में अच्छी तरह पता कर लीजिए. उस के बाद ही हम लोग मान्या के साथ इस का रिश्ता करने की बात करेंगे.’’
मदनजी भी बेटी के अकेलेपन को देख परेशान रहते थे. उन्हें भी प्रसून हर तरह से अच्छा दिखाई दे रहा था. अत: उन्होंने गुपचुप तरीके से पुणे जाने का निश्चय किया, परंतु तेज दिमाग उमाजी और प्रसून ने उन के जाने की तारीख और फ्लाइट का पता कर लिया था.
प्रसून ने उन्हें एअरपोर्ट पर ही रिसीव कर लिया और मात्र थोड़ी देर के लिए अपने औफिस ले गया. उन्हें अपना आलीशान फ्लैट भी दिखा दिया. उन्हें बड़ी गाड़ी में घुमाता रहा. पांचसितारा होटल में लंच करवाया.
मदनजी को किसी दूसरे के पास फटकने का प्रसून ने मौका ही नहीं दिया. सीधेसरल मदनजी प्रसून के वैभवपूर्ण जीवन को देख बेटी के भविष्य को ले कर आश्वस्त हो गए. अब उन्हें प्रसून और मान्या के मिलनेजुलने पर कोई आपत्ति नहीं थी वरन वे स्वयं ऐसे मौके बनाते थे कि दोनों एकदूसरे से मिलजुल कर आपस में अच्छी तरह रिश्ता मजबूत कर लें. प्रसून जब भी दिल्ली आता आयुष के लिए कुछ न कुछ उपहार जरूर लाता. अब वह मान्या के लिए भी कुछ लाने लगा था.
मदन और निशिजी दोनों ने मन ही मन उन के रिश्ते को स्वीकार कर लिया था. इसी बीच मान्या का बर्थडे आया. वह बोली, ‘‘मां, आप प्रसून से या आंटी से मेरे बर्र्थडे का जिक्र मत करना, नहीं तो ये लोग फिर मेरे लिए कोई गिफ्ट ले आएंगे. बारबार गिफ्ट लेना मुझे अच्छा नहीं लगता.’’
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लेकिन प्रसून तो मौका तलाशता रहता था. उस ने चुपचाप सरप्राइज पार्टी का इंतजाम कर लिया. पार्टी में उस ने उन के सभी परिचितों और रिश्तेदारों को इनवाइट किया.
शाम को उमाजी उसे एक प्यारी सी डिजाइनर साड़ी देते हुए बोलीं, ‘‘चल इसे पहन कर आ जा. आज हम लोग फैमिली डिनर पर चलते हैं. आज तेरा बर्थडे मनाएंगे.’’
प्रसून के प्र्रति पनपते प्यार के कारण आज साड़ी देख कर मान्या का मन मचल उठा. आज वह मन से तैयार हुई थी. उस ने मन पसंद ज्वैलरी भी निकाल कर पहनी थी. आज वह बहुत खुश थी. तैयार होने के बाद अपना चेहरा आईने में देख वह स्वयं चौंक पड़ी थी. उसे अपना चेहरा बहुत प्यारा लग रहा था.
जब वह तैयार हो कर नीचे आई तो मां उसे देखते ही बोलीं, ‘‘आज भी मेरी बेटी कितनी सुंदर लगती है. भला कोई कह सकता है कि यह 5 वर्ष के बेटे की मां है,’’ उन की आंखें गीली हो उठी थीं.
प्रसून और उमाजी पहले ही जा चुके थे. मान्या अपनी मम्मी और पापा के साथ होटल पहुंची. आयुष तो उस का हाथ छुड़ा कर तुरंत प्रसून के पास पहुंच गया.
वहां बहुत बड़ी ग्रैंड पार्टी का आयोजन देख मान्या चौंक उठी थी. उस के रिश्तेदारों और परिचितों की भीड़ उसी के आने का इंतजार कर रही थी.
उस ने केक काटा तो पूरा हौल तालियों और हैप्पी बर्थडे की आवाज से गूंज उठा. वह गद्गद हो उठी थी. ऐसा बर्थडे तो उस के जीवन में कभी नहीं मना था. वह प्रसून के एहसानों तले कुछ ज्यादा ही दब गई.
यद्यपि प्रसून सब तरह से सही लग रहा था, फिर भी पता नहीं क्यों अपने बुरे अनुभव के चलते मान्या को हर किसी पर शक होता था.
लेकिन यह क्या? सब से बड़ा सरप्राइज तो अभी उस का इंतजार कर रहा था. उस के मम्मी पापा ने उस की और प्रसून की सगाई की घोषणा कर दी. अंतत: उस की उंगली में डायमंड की कीमती अंगूठी सज गई. उस ने भी शरमाते हुए मां की दी अंगूठी प्रसून को पहना दी.
पूरा हौल तालियों से गूंज उठा. सभी उसे बधाई दे रहे थे. उसे सब कुछ स्वप्न सा लग रहा था.
अब मान्या पार्टी का आनंद उठाने में लग गई थी. उस ने प्रसून की बांहों में बांहें डाल कर बरसों बाद आज डांसफ्लोर पर उन्मुक्त हो कर डांस किया था. इतनी मुश्किल से मिली खुशी के पलों को वह अपनी मुट्ठी में बंद कर लेना चाह रही थी. आज उसे प्रसून की हर अदा अच्छी लग रही थी. आयुष को खुश देख उस का रोम रोम प्रसून के प्रति कृतज्ञता महसूस कर रहा था.
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प्रसून के फोन का अब उसे हर पल इंतजार रहता. उस की प्यार भरी मीठीमीठी बातों, मम्मीपापा का शादी के इंतजामों का ऐक्साइटमैंट, सब अपने चरम पर था. आयुष भी प्रसून के जाते ही उदास हो उठता और हर समय अपने अंकल के आने का इंतजार करता.
एक दिन वह प्रसून से बोला, ‘‘मैं अब आप को पापा कहा करूंगा. सब बच्चों के पापा स्कूल आते हैं, लेकिन मेरे पापा नहीं आते. मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगता. अब मैं अपने सब दोस्तों से कहूंगा कि देखो ये हैं मेरे पापा,’’ कह वह उस से लिपट गया.
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