Diwali Special: फैस्टिवल का फायदा उठाएं प्रेमी को परिवार से मिलवाएं

पिछले 2 साल कैसे बीत गए पता ही नहीं चला. खुशी इतनी थी कि लगता था जैसे समय को पंख लग गए हों. न दिन की खबर, न रात को चैन. बात बहुत पुरानी नहीं है. साल 2012 में सियाली और अबीर का कुछ ऐसा ही हाल था. प्यार में दोनों दुनिया से बेखबर थे और प्यार की खुमारी का आलम यह था कि दोनों के दोस्त उन से कटने लगे थे. ऐसा होना लाजिम भी था, क्योंकि जब भी औफिस के आपाधापी के माहौल से कुछ फुरसत के लमहे मिलते, तो दोनों का फेसबुक स्टेटस बताता कि दोनों साथ में हैं, वहां किसी तीसरे की जगह नहीं. उन के प्यार की प्रगाढ़ता इतनी उफान पर थी कि दोनों ने तय किया कि अब जल्दी ही सामाजिक बंधन में बंधना है. 2 साल की अंतरंगता को सामाजिक स्वीकृति देने के लिए सियाली ने अबीर को अपने परिवार से मिलने को कहा, तो इस के लिए अबीर राजी हो गया. तयशुदा समय पर अबीर दीवाली की शाम सियाली के घर आया. अबीर के स्वभाव से सियाली वाकिफ थी, इसलिए उस के घर आने से पहले उस ने उस को अपने घर वालों के बारे में कुछ बताया नहीं था. ऐसा ही सियाली ने घर वालों के साथ भी किया था. घड़ी की सूइयां शाम के 6 बजा रही थीं. बेचैनी सियाली के घर वालों के हावभाव से साफ झलक रही थी. आलम यह था कि दीवाली की रौनक में दमकते घर के अलावा सियाली के मम्मीडैडी भी नए कपड़ों में चमक रहे थे. डोरबैल बजने पर दरवाजा खोलते ही अबीर कीचड़ से सने जूते पहने रंगोली बिखेरता हुआ आया और बिना किसी फौर्मैलिटी के सोफे पर पसर गया.

उधर सियाली के मातापिता ने यह किया कि उस दिन चायनाश्ता आते ही सामने वाले से पूछे बिना खुद लेना शुरू कर दिया. सियाली मन ही मन कुढ़ती रही, क्योंकि दोनों ओर से फर्स्ट इंप्रैशन का सत्यानाश हो गया था. माना कि मौका बेहतरीन था, लेकिन मौके की नजाकत कोई नहीं समझ पाया और रिश्ते की बात फैस्टिव मूड में भी किसी को खुशी नहीं दे पाई. यह कहानी अकसर कुछ परिवारों में घटित होती है यानी सोचा था कुछ और हो गया कुछ. इसे हलके में न लें. अगली बार अगर आप अपने प्रेमी के साथ बंधन में बंधने के लिए उसे घर पर इन्वाइट करें, तो दोनों पार्टीज को फुल ट्रेनिंग दें, ताकि दोनों का इंप्रैशन शानदार रहे. और तो और मौके को देखते हुए हम आप को बता दें कि मिलनेमिलाने का बेहतरीन समय है फैस्टिव सीजन. इस में खुशी व उमंग पौजिटिव रिस्पौंस की उम्मीद जगाएगी.

पहली ट्रेनिंग घर वालों की

आप के बौयफ्रैंड की आप के मातापिता के साथ पहली मीटिंग शानदार रहे, इस के लिए आप को होमवर्क करना होगा. माना कि मांबाप आप से ज्यादा समझदार हैं, लेकिन कई बार जल्दबाजी में जबान से निकले साधारण शब्द भी सामने वाले का दिल छलनी कर सकते हैं, उस की भावनाओं को ठेस पहुंचा सकते हैं. आप ने अपने प्रेमी को घर वालों से मिलाने की ठान ली है, तो सब से पहले जरूरी है मौमडैड को प्रेमी के जीवन संबंधित पूर्ण जानकारी देना. इस का फायदा यह होगा कि मौमडैड के सवालों की बौछार हैरतअंगेज नहीं होगी और बिना डरे, सकुचाए व घबराए आत्मविश्वास के साथ प्रेमी जवाब दे पाएगा. ऐसे ही अगर वह हाल ही में विदेश हो कर आया है तो यह मौमडैड को बताएं जरूर ताकि उन का उस के बारे में पूछना उसे यह महसूस कराए कि आप उस में दिलचस्पी ले रहे हैं. आप अपने मौमडैड को पहले ही बता दें कि वे कुछ संवेदनशील मुद्दों को पहली ही मुलाकात में न खगालें. यह जवाबतलबी सामने वाले को बेइज्जती का एहसास कराएगी. मसलन, सुना है कि फलां नौकरी आप को छोड़नी पड़ी थी या आप के मातापिता का तलाक हो गया है आदि. खैर, इन सवालों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. आखिर उन के जिगर के टुकड़े की जिंदगी का मामला है. वे तफतीश जरूर करें लेकिन पहली मुलाकात पर नहीं.

अगर आप के प्रेमी को किसी चीज से ऐलर्जी है या वह सौ फीसदी शाकाहारी है तो इसे छिपाएं नहीं. हो सकता है कि डिनर टेबल पर आप के मौमडैड का चिकन विद पीनट सौस पेश करने का प्लान हो और ऐसा होना उसे नागवार गुजरे. प्रेमी की फूड चौइस जानने से सभी डिनर टेबल पर हलकीफुलकी बातों के साथ डिश का मजा ले पाएंगे. यानी यहां सहजता को तरजीह मिलेगी और एकदूसरे को बेहतर समझने का मौका.

दूसरी ट्रेनिंग प्रेमी की

आप ने अपने मातापिता को होमवर्क करा दिया ताकि आप के प्रेमी से उन की पहली मुलाकात जानदार रहे. अब बारी है प्रेमी को घर में आने से पूर्व समझाने की ताकि उस के तौरतरीके आप के मातापिता का दिल जीत लें. लेकिन इस के लिए अपने प्रेमी के सामने घर वालों की बुराइयों का चिट्ठा न खोलें. जैसे आप की मां की पिता से नहीं बनती या आप की लंबे समय से घर वालों से बातचीत बंद है आदि. इन बातों से सहानुभूति जरूर मिल जाएगी, लेकिन प्रेमी के सामने आप के घर के लोगों की छीछालेदर हो जाएगी, जो आने वाले समय में रिश्ते बिगाड़ने के लिए पर्याप्त है.

बताएं कुछ कौमन बातें

अधिकांश लोगों को वही लोग पसंद आते हैं जिन के शौक उन जैसे हों. इस मानसिकता को कैश करें. प्रेमी को घर पर आने से पहले दोनों के बीच जो कुछ भी कौमन हो उसे बताएं. इस का फायदा यह होगा कि आप के मातापिता और प्रेमी के बीच बातचीत का पुल बन जाएगा. नतीजतन दोनों पार्टी बातचीत शुरू कर पाएंगे. मसलन, यदि आप के प्रेमी को गार्डनिंग पसंद है और आप जानते हैं कि मातापिता का भी गार्डनिंग में मन रमता है, तो प्रेमी को यह कौमन बात जरूर बताएं. किसी के घर आने पर आप के घर वालों की क्या प्रतिक्रिया होती है, इस से आप बखूबी वाकिफ होंगी. आप भलीभांति जानती होंगी कि उन्हें आने वाले से हाथ मिलाना पसंद है या नहीं. किसी का भी स्वागत वे गले मिल कर करते हैं या गले मिलना उन्हें कतई पसंद नहीं. कोई हाथ जोड़ कर उन्हें नमस्ते करे तो यह तरीका उन्हें लुभाता है और कोई पांव छू कर उन का सम्मान करे तो वह शख्स तो गुड लिस्ट में शुमार हो जाता है. आप अपने प्रेमी को यह बात जरूर बताएं कि पहली मुलाकात में उस का कौन सा तरीका मौमडैड को पसंद आएगा, ताकि पहली मुलाकात में ही आप के प्रेमी का नाम नेगेटिव लोगों की लिस्ट में शुमार न हो जाए.

नियमकायदे से परिचय

हर घर के कुछ नियमकायदे होते हैं, जिन्हें घर के सभी सदस्य आंख मूंद कर अपनाते हैं. किसी से भी नियमों को अपनाने में चूक हो जाए, तो देखिए कैसे घर की शांति भंग होती है. इसलिए घर वालों से पहली मुलाकात से पहले अपने प्रेमी को अपने घर के कुछ नियमों से वाकिफ जरूर कराएं, ताकि उन नियमों का पालन प्रेमी के लिए आसान हो जाए. मसलन, आप के घर में प्रवेश से पहले जूते बाहर उतारे जाते हैं और किसी भी प्रकार की अश्लीलता व द्विअर्थी संवाद पसंद नहीं किए जाते. खाने की प्लेट में जूठन छोड़ना आप के मौमडैड को पसंद नहीं और आते ही उस पर टूट पड़ना भी.

अब आप की बारी

आप अपने घर वालों के हावभाव पढ़ लेती हैं. उन्हें क्या पसंद है और क्या नहीं सब से वाकिफ हैं, इसलिए अपने प्रेमी के आने पर हरदम उस के साथ रहें, ताकि वह सहज महसूस करे. याद रहे कि प्रेमी आप के घर में नया है, आप नहीं. ऐसी परिस्थिति में आप की जिम्मेदारी है कि आप प्रेमी को अपनत्व महसूस कराएं और अपने मौमडैड के सामने उस की तारीफ करें. तारीफ प्रेमी में आत्मविश्वास जगाएगी, साथ ही मौमडैड की गुड बुक में उस के शुमार होने की संभावना बढ़ जाएगी. अकेला छोड़ने से प्रेमी असहज तो महसूस करेगा ही बातचीत में अनकही बात भी उजागर हो सकती है. इस से बचने के लिए एक पल के लिए भी उस को अकेला न छोड़ें.

Diwali Special: सपनों के आशियाने को कैसे सजाएं

घर यानी सपनों का आशियाना जहां आप जिंदगी की खुशियों और गमों को अपने परिवारजनों के साथ बांटते हैं. इस घर की साजसज्जा कुछ ऐसी होनी चाहिए कि जब भी आप घर में हों तो अपने आसपास एक सुकून सा महसूस करें.

भले ही घर आप का अपना हो या किराए का, आप अकेले रहते हों या परिवार के साथ, घर आकर्षक और सुविधापूर्ण हो तो दिल को एक अनकही सी खुशी और राहत मिलती है. जितना भी समय आप उस घर में बिताते हैं वह समय आप का अपना होता है. इसलिए जरूरी है कि घर के रखरखाव और सज्जा पर ध्यान दें. समयसमय पर घर की सजावट में बड़े बदलाव करें और एक अच्छे इंटीरियर का आनंद लें. खासकर फैस्टिवल्स के समय घर को आकर्षक बनाने के आप के छोटेछोटे प्रयास त्योहार की रौनक बढ़ा देते हैं.

आइए, जानते हैं कैसे अपने घर के इंटीरियर को आकर्षक बनाएं:

दीवारों को पेंट करें

अगर ऐसा करते हैं तो आप को काफी कम खर्च में बड़े दिलचस्प बदलाव दिखाई देंगे. पेंट करने के लिए ऐसा कलर चुनें जो आप के व्यक्तित्व को दर्शाए और उस कमरे के अनुरूप हो. यदि आप का स्वभाव जिंदादिल और मजाकिया है तो आप सुनहरा, पीला या चटक हरा रंग चुनें. शांत और संयमित स्वभाव के हैं तो ग्रे या ब्लू कलर का शेड ज्यादा जंचेगा.

अलगअलग कमरों में कलर भी अलगअलग करें. यही नहीं कमरे की सभी दीवारों पर एक सा कलर कराने का ट्रैंड भी खत्म हो गया है. दीवारों को अलगअलग शेड से रंग कर देखिए कितना डिफरैंट और जीवंत लुक आता है.

हर दीवार का रंग अलग नहीं करना चाहते तो ड्राइंगरूम की किसी एक दीवार को बाकी से अलग कंट्रास्ट कलर में पेंट करा कर नएपन का एहसास कर सकते हैं. ज्यादा रोशनी पाने और कमरे की खूबसूरती बढ़ाने के लिए कमरे की एक दीवार को डार्क कलर से पेंट कराना चाहिए.

आप चाहें तो उस पर कुछ डिजाइन बनवा कर इसे क्रिएटिव लुक भी दे सकते हैं या फिर कमरे की किसी दीवार पर ध्यान खींचने के लिए पैटर्न वाला वालपेपर लगा सकते हैं. वालपेपर आप के इंटीरियर डिजाइन को एक अलग सा लुक दे सकता है. इस में ज्यादा खर्च भी नहीं आएगा और दीवारों को एक बेहतरीन लुक भी मिल जाएगा. बाजार में हर तरह की डिजाइनें मौजूद हैं.

मिरर से दें घर को क्लासी लुक

अपने घर को ऐलिगैंट और मौडर्न लुक देने के लिए मिरर के जरीए ऐक्सपैरिमैंट करें. घर की दीवारों पर मिरर लगाएं. इस से रोशनी के प्रतिबिंब सभी कमरों में उजाला करते हैं और कमरे भी ज्यादा बड़े दिखते हैं. सब से जरूरी है एक स्टाइलिश मिरर चुनना और उसे सही जगह रखना. आप चाहें तो अलगअलग स्टाइल और पैटर्न वाले फ्रेम का कलैक्शन कर के दीवार पर आर्टवर्क भी करवा सकती हैं.

अगर लिविंगरूम की वाल का कलर ब्राइट या औफब्राइट है तो क्लासी मिरर लगा कर रूम को वाइब्रेंट लुक दें. रूम को ऐलिगैंट और मौडर्न लुक देने के लिए उस के सैंटर पौइंट पर मिरर लगाएं. ऐसा करने से लाइट का रिफ्लैक्शन मिरर पर पड़ने से कमरा और भी ब्राइट लगेगा.

इसी तरह बैडरूम में मिरर लगाने से यह स्पेशियस दिखेगा और साथ ही ऐलिगैंट लुक भी देगा. मिरर से बैडरूम में लाइट का रिफ्लैक्शन बढ़ेगा और कमरा ग्लैमरस लगेगा. बैड के दोनों तरफ पर रखे लैंप शेड के आसपास स्मौल साइज के मल्टीपल मिरर लगा कर आप बैडरूम को स्मार्ट लुक दे सकती हैं. आप चाहें तो किचन में छोटेछोटे ऐंटीक मिरर का कलैक्शन कर के स्मौल आर्टवर्क भी लगा सकती हैं. ये कलैक्शन दिखने में बहुत अपीलिंग और अट्रैक्टिव लगते हैं.

अगर किचन बड़ी है तो उस के अनुसार मिरर का फ्रेम, डिजाइन और साइज चुनें. बाथरूम को स्मार्ट लुक देने के लिए हेवी वेट और हेवी फ्रेम वाले मिरर का इस्तेमाल न करें बल्कि लीन मिरर का इस्तेमाल करें. बाथरूम को अगर क्लासिक टच देना चाहती हैं, तो ट्रैडिशनल फ्रेम और मैटौलिक फिनिशिंग वाले मिरर लगाएं.

घर को नए फर्नीचर से सजाएं

किसी भी घर की सजावट में फर्नीचर एक बहुत आवश्यक पहलू होता है. अपनी पसंद के अनुसार आरामदायक फर्नीचर का चुनाव करें. इस के लिए आप एक ऐसा स्टोरेज चुनें जिस में सामान रखने के लिए खाली बौक्स हों, एक बड़ा बुक सैल्व्ज बना हो साथ में नीचे वाले भाग में आप की छोटीमोटी चीजें रखने का कवर्ड बना हो. इस तरह का स्टोरेज वाला फर्नीचर आकर्षक भी लगेगा और आप के बहुत काम भी आएंगा. कुछ फर्नीचर ऐसा भी लें जो नए स्टाइल का और आकर्षक लुक वाला हो ताकि उस से घर का लुक बदल जाए.

आप एक ऐसा शोकेस या अलमारी भी खरीदें जिस में दिए गए खाली भाग में अपनी जरूरी चीजें रख सकती हों. बीच वाले भाग में दरवाजा लगवा कर उस में भी सामान जमा कर रख सकती हैं. उस में किताबें रखने के लिए भी एक बड़ा भाग होता है. इस के अलावा आप की आर्टिफिशियल ज्वैलरी और छोटामोटा सामान रखने के लिए नीचे की तरफ एक छोटा संदूक बना हो. ऐसा फर्नीचर एक पंथ दो काज का काम करता है.

शिमरी टच

आजकल लोग शिमरी फर्नीचर का इस्तेमाल करने लगे हैं. आप अपने कौफी टेबल और ऐंड टेबल में ब्रास शिमर का इस्तेमाल कर सकती हैं. प्लांटर्स का भी ब्रास स्टैंड हो सकता है और विंटेज क्रिस्टल झमर भी एक अच्छा एडिशन होगा. आप क्रिस्टल पैंडैंट लाइट और टेबल लैंप का इस्तेमाल कर सकती हैं. अपने कुशन या रग्स पर भी शिमर टैसल्स को शामिल करें. सीक्वैंस कुशन कवर से अपने लिविंगरूम को सजाएं. गोल्डन किनारों वाले डिनर पीस को अपनी टेबल पर सजाएं. आजकल ट्रैंड में इसी तरह की कटलरी चलन में है.

कलात्मक चीजें लगाएं

अपने घर की दीवारों को कलाकृतियों के सैट, चित्रों, पेंटिंगों, किसी समारोह के पोस्टर्स, अपनी मनपसंद तसवीरों और अन्य सज्जा की चीजों से सजाने से उस की शोभा में चार चांद लग जाते हैं. दीवारों को सजाने के लिए आप अपने फर्नीचर से मैच करते हुए कलर्स और थीम्स का चुनाव करें.

आप अपने जीवन की सब से खास यादों की एक बड़ी सी तावीर फ्रेम करवाएं और उस को बैठक की मुख्य दीवार पर लगाएं या फिर अपनी यादों की छोटीछोटी तसवीरें फ्रेम करवा कर सलीके से दीवार पर सजाएं. जब लोग आप के घर आएंगे तो वे आप की सुनहरी यादों की तसवीरों को देख कर खुश होंगे और आप भी जब मन चाहे अपने घर में बैठ कर उन तसवीरों को देख कर यादें ताजा कर सकते हैं.

घर को रोशनी से सजाएं

अपने घर की लाइट्स और शेड्स में कुछ बदलाव करें और कुछ डैकोरेटिव लाइट्स ले आएं. आप अपने घर में जगहजगह छोटी और आकर्षक लाइट या लैंप लटका सकती हैं जिन की ?िलमिल रोशनी से घर दमकने लगेगा. यदि आप एक ही कमरे में बहुत सी लाइट्स लगा रही हैं तो उन के लैंप के साइज, शेप और कलर अलगअलग प्रकार के रखें.

नए परदे लगाएं

खूबसूरत परदे लगा कर घर को सजाना एक पुराना मगर आसान तरीका होता है. इन्हें लगाने के लिए आप को बस थोड़ी देर कारपेंटर का काम करना होगा. घर में मौजूद फर्नीचर से मैच करते हुए परदे कमरे को सुंदर लुक देंगे. ऐसे परदे चुनें जिन में कई सारे कलर और पैटर्न बनें हों. इस से आप का कमरा चमकने लगेगा. आकर्षक परदे किसी भी घर की खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं. केवल परदे बदल कर और उन्हीं के अनुसार दीवान सैट बिछा कर भी घर को खूबसूरत बनाया जा सकता है.

आजकल कौटन के अलावा नैट, सिल्क, टिशू, ब्रासो, क्रश आदि के परदे पसंद किए जा रहे हैं. नैट के परदे सब से लेटैस्ट हैं. ये सभी परदे 200 से 500 की रेंज में मिल जाते हैं. जिस कमरे में कम रोशनी की जरूरत हो वहां गहरे कलर के परदे लगाएं जिन से रोशनी कम आएगी. यदि आप कमरे को बड़ा दिखाना चाहती हैं तो लाइट कलर के परदे लगाएं.

प्रकृति से जुड़ें

अगर हम थोड़ी देर प्रकृति को देखें तो वह कितनी अच्छी लगती है. जरा सोचिए प्रकृति का थोड़ा सा हिस्सा अगर घर में आ जाए तो आप का घर कितना सुंदर लगेगा. इस के लिए आप को घर की छत पर या फिर बरामदे में गार्डन बनाना होगा. आप घर के बाहर वाली खिड़कियों पर भी पौधे लगा सकती हैं. घर के अंदर भी कुछ इनडोर प्लांट्स लगा सकती हैं. आप का घर देखने में बहुत सुंदर लगेगा. टेबल पर छोटेछोटे रंगबिरंगे प्लास्टिक के फूल रख सकती हैं या फूल के वास रख सकती हैं. साथ ही आप घर के किसी कोने में खाली कांच के गिलास में रेत भर कर घर की किसी शांत जगह में रख सकती हैं.

एक बेहतर इंटीरियर डैकोरेशन के लिए सब से जरूरी है इस बात पर ध्यान देना कि घर की ज्यादा से ज्यादा जगह को कैसे इस्तेमाल किया जाए और सारा सामान व्यवस्थित तरीके से कैसे रखा जाए.

Diwali Special: कभी न करें 6 पेंट मिस्टेक्स

बात चाहे फैस्टिवल्स की हो या फिर अपने घर को हमेशा अपटूडेट रखने की, इस के लिए हम समयसमय पर घर के इंटीरियर को चेंज करने के साथसाथ दीवारों पर पेंट भी करवाते रहते हैं ताकि घर हमेशा चमकता व नए जैसा लगे. लेकिन कई बार हम दीवारों पर पेंट करवाते समय सिर्फ पेंट के कलर व डिजाइन पर ही विशेष ध्यान देते हैं और उस की सतह, कमरे के वातावरण इत्यादि चीजों को पूरी तरह से इग्नोर कर देते हैं, जिस की वजह से पेंट या तो पूरी तरह से खराब हो जाता है या फिर उस पर पैचेस आने लगते हैं.

कई बार पेंट करने के दौरान भी कई तरह की मिस्टेक्स कर दी जाती हैं, जिन की वजह से कई बार पेंट दीवारों की शोभा बढ़ाने के बजाय उसे और भद्दा दिखाने का काम करता है. इसलिए जरूरत है पेंट के दौरान इन बातों का ध्यान रखने की और यह जानना भी कि अगर पेंट करने के दौरान कुछ मिस्टेक्स हो जाएं तो उन्हें कैसे फिक्स किया जाए, आइए जानते हैं:

ब्लिस्टरिंग

अगर आप को दिखे कि दीवार पर पेंट करवाने के बाद उस की सतह से दानेदाने उभर रहे हैं यानी पेंट में बबल्स दिखने लगें तो उसे ब्लिस्टरिंग कहते हैं. यह समस्या अकसर तब आती है, जब दीवार पर पहले से सीलन या मौइस्चर होता है और उस पर ही बिना ध्यान दिए पेंट कर दिया जाता है या फिर पेंट के बिना सूखे ही उस पर दोबारा पेंट का रीकोट कर दिया जाता है, जिस की वजह से यह समस्या उत्पन्न होती है.

क्या है सौल्यूशन

दीवारों पर पेंट तभी करवाएं जब उन पर नमी या फिर मौइस्चर न हो. पहले एक कोट करें और जब तक वह सूख न जाए तब तक दूसरा कोट न करें वरना उस पर ब्लिस्टरिंग की प्रौब्लम आने के साथसाथ सारा पेंट खराब होने का भी डर बना रहता है. ऐसी दीवारों के लिए हमेशा सही अंडरकोट प्राइमर का चयन करें ताकि उन पर इस तरह की कोई दिक्कत न आए और पेंट को सैट होने में आसानी हो.

माउल्ड

माउल्ड एक तरह का फंगस होता है, जो दीवारों की सतह में ब्लैक, ग्रे, ब्राउन, ग्रीन जैसे धब्बों के रूप में उभरता है. यह समस्या ऐसी दीवारों पर उत्पन्न होती है, जहां दीवारों पर बहुत ज्यादा मौइस्चर, वैंटिलेशन न के बराबर और कमरे में सूर्य की रोशनी बिलकुल नहीं आती है. ऐसे में अगर अच्छे व क्वालिटी वाले पेंट का चयन नहीं किया जाता, तो यह समस्या और ज्यादा बढ़ जाती है. इसलिए ऐक्सपर्ट की सलाह लेना बहुत जरूरी है ताकि सही समय व सही पेंट का चयन किया जा सके.

क्या है सौल्यूशन

जिन दीवारों पर मोल्ड की समस्या हो, उन पर पेंट करवाने से पहले इस प्रौब्लम का सौल्यूशन करने की जरूरत होती है. इस के लिए स्टेन ब्लौकिंग प्राइमर का चयन कर सकते हैं. इस से दीवारों पर एक तो धब्बे नहीं पड़ते हैं और दूसरा मौइस्चर वाली दीवारों को इस से प्रोटैक्शन भी मिलता है. ऐसी दीवारों के लिए लो क्वालिटी पेंट व औयल पेंट का चयन करने से बचें. ऐसी दीवारों के लिए मोल्ड रिसिस्टैंट पेंट व प्राइमर का चयन करें. यह थोड़ा महंगा जरूर होगा, लेकिन ऐसी दीवारों पर बेहतर रिजल्ट के लिए इसी का चयन करना ठीक है.

पीलिंग

अकसर पेंट के बाद दीवार का निकल जाना बहुत ही आम समस्या है. इस का सीधा सा कारण या तो दीवार का कमजोर होना या फिर गंदी , मौइस्चर वाली दीवार पर बिना कोई ट्रीटमैंट किए उस पर सीधे पेंट कर देना या फिर सही व पूरी तैयारी से पेंट न करना, जिस वजह से दीवार जगहजगह से निकलने लगती है और सारी मेहनत पर पानी फिर जाता है. दीवार पहले से भी ज्यादा भद्दी दिखने लगती है.

क्या है सौल्यूशन

सब से पहले सैंडिंग मशीन से दीवार को स्मूद करें ताकि उस पर पेंट लगाने के लिए स्मूद बेस मिल सके. इस के बाद इस पर अंडरकोट अप्लाई कर के फिर उस पर अच्छी गुणवत्ता वाला पेंट अप्लाई करें. इस से दीवार नहीं निकलने यानी पीलिंग औफ की समस्या नहीं आती है.

मड क्रैकिंग

दीवारों पर मड क्रैकिंग की समस्या तब होती है, जब टैक्सचर या उभरी हुई सतहों पर बैलेंस्ड तरीके से पेंट न कर के मोटा, भारी या फिर पतला पेंट कर दिया जाता है और कई बार यह समस्या तब भी होती है, जब पेंट को रोलर की मदद से न कर के ब्रश से किया जाता है. इसलिए दीवार की कंडीशन को देख कर ही पेंट करना चाहिए ताकि बैस्ट से बैस्ट रिजल्ट मिल सके.

क्या है सौल्यूशन

इस के लिए सब से पहले क्रैक्स में 2-3 पतले कोट्स अप्लाई करें ताकि उस पर पेंट को फाइनल कोट देने में आसानी हो और अगर उस जगह पर वाल पेपर लगा हुआ है, तो उसे चेंज कर के फिर दीवार को अच्छे से फिल कर के उस पर दोबारा वाल पेपर सैट किया जा सकता है.

शाइन में कमी

जब दीवार की जरूरत के अनुसार पेंट का चुनाव नहीं किया जाता है, तब ऐसी स्थिति में दीवार पर कई जगह शाइन आने की जगह उस पर फीकाफीकापन लगने लगता है और कई बार यह अच्छी क्वालिटी के पेंट्स का इस्तेमाल नहीं करने की वजह से भी होता है.

क्या है सौल्यूशन

अगर दीवार की सतह ज्यादा खुरदरी है, तो पहले उसे एकसमान यानी बराबर करें. फिर उस पर सौफ्ट पेंट्स अथवा औयल पेंट का भी सहारा ले सकते हैं. कभी ऐसी दीवारों के लिए सस्ते पेंट्स का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि इस से उन की रौनक बढ़ने के बजाय उन की शाइन पर गलत असर पड़ता है, जिस से दीवारें फीकीफीकी लगने लगती हैं.

पेंटिंग में रन

दीवार की जिस जगह पर एक ही कोट में अधिक पेंट लग जाता है, उस की वजह से न सिर्फ दीवार बेकार लगने लगती है, साथ ही पेंट कई बार बहने भी लगता है, जिसे पेंट में रन कहते हैं.

क्या है सौल्यूशन

अगर किसी जगह पर ज्यादा पेंट लग जाए, तो उस पर और कोटिंग न करें, बल्कि उसे सूखने दें. सूखने के बाद उसे टूल की मदद से हटा दें ताकि दोबारा से उस जगह पर पेंट एकसमान होने के साथसाथ पेंट करने में भी आसानी हो.

Diwali Special: सामूहिक सैलिब्रेशन से खिल उठे मन

रोशनी का त्योहार दीवाली हो या कोई और उत्सव, जब तक 10-20 लोग मिल कर धूम न मचाएं आनंद नहीं आता. सैलिब्रेशन का मतलब ही मिल कर खुशियां मनाना और मस्ती करना होता है. पर मस्ती के लिए मस्तों की टोली भी तो जरूरी है.  आज बच्चे पढ़ाई और नौकरी के लिए घरों से दूर रहते हैं. बड़ेबड़े घरों में अकेले बुजुर्ग साल भर इसी मौके का इंतजार करते हैं जब बच्चे घर आएं और घर फिर से रोशन हो उठे. बच्चों से ही नहीं नातेरिश्तेदारों और मित्रों से मिलने और एकसाथ आनंद उठाने का भी यही समय होता है.

सामूहिक सैलिब्रेशन बनाएं शानदार

पड़ोसियों के साथ सैलिब्रेशन:  इस त्योहार आप अपने सभी पड़ोसियों को साथ त्योहार मनाने के लिए आमंत्रित करें. अपनी सोसाइटी या महल्ले के पार्क अथवा खेल के मैदान में पार्टी का आयोजन करें. मिठाई, आतिशबाजी और लाइटिंग का सारा खर्च मिल कर उठाएं. जब महल्ले के सारे बच्चे मिल कर आतिशबाजी का आनंद लेंगे तो नजारा देखतेही बनेगा.

इसी तरह आप एक शहर में रहने वाले अपने सभी रिश्तेदारों और मित्रों को भी सामूहिक सैलिब्रेशन के लिए आमंत्रित कर सकते हैं.

डांस पार्टी:  भारतीय वैसे भी डांस और म्यूजिक के शौकीन होते हैं तो क्यों न प्रकाशोत्सव के मौके को और भी मस्ती व उल्लास भरा बनाने के लिए मिल कर म्यूजिक डांस और पार्टी का आयोजन किया जाए.  पूरे परिवार के साथसाथ पड़ोसियों को भी इस में शरीक करें ताकि यह उत्सव यादगार बन जाए. बुजुर्गों, युवाओं और बच्चों के चाहें तो अलगअलग ग्रुप बना सकते हैं ताकि उन के मिजाज के अनुसार संगीत का इंतजाम हो सके. बुजुर्गों के लिए पुराने फिल्मी गाने तो युवाओं के लिए आज का तड़कताभड़कता बौलीवुड डांस नंबर्स, अंत्याक्षरी और डांस कंपीटिशन का भी आयोजन कर सकते हैं.

स्वीट ईटिंग कंपीटिशन

प्रकाशोत्सव सैलिब्रेट करने का एक और बेहतर तरीका है कि तरहतरह की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएं. मसलन, स्वादिष्ठ मिठाईयां बनाने की प्रतियोगिता, कम समय में ज्यादा मिठाई खाने की प्रतियोगिता, खूबसूरत रंगोली बनाने की प्रतियोगिता आदि. आप चाहें तो जीतने वाले को इनाम भी दे सकते हैं. इतना ही नहीं, कौन जीतेगा यह शर्त लगा कर गिफ्ट की भी मांग कर सकते हैं.

वन डे ट्रिप

आप त्योहार का आनंद अपने मनपसंद  शहर के खास टूरिस्ट स्थल पर जा कर भी ले सकते हैं. सभी रिश्तेदार पहले से बुक किए गए गैस्ट हाउस या रिजौर्ट में पहुंच कर अलग अंदाज में त्योहार मनाएं और आनंद उठाएं. त्योहार मनाने का यह अंदाज आप के बच्चों को खासतौर पर पसंद आएगा.

तनहा लोगों की जिंदगी करें रोशन  

आप चाहें तो त्योहार की शाम वृद्घाश्रम या अनाथालय जैसी जगहों पर भी बिता सकते हैं और अकेले रह रहे बुजुर्गों या अनाथ बच्चों की जिंदगी रोशन कर सकते हैं. पटाखे, मिठाई और कैंडल्स ले कर जब आप उन के बीच जाएंगे और उन के साथ मस्ती करेंगे तो सोचिए उन के साथसाथ आप को भी कितना आनंद मिलेगा. जरा याद कीजिए ‘एक विलेन’ फिल्म में श्रद्घा कपूर के किरदार को या फिर ‘किस्मत कनैक्शन’ फिल्म में विद्या बालन का किरदार. ऐसे किरदारों से आप अपनी जिंदगी में ऐसा ही कुछ करने की प्रेरणा ले सकते हैं. इनसान सामाजिक प्राणी है. अत: सब के साथ सुखदुख मना कर ही उसे असली आनंद मिल सकता है.

सामूहिक सैलिब्रेशन के सकारात्मक पक्ष

खुशियों का मजा दोगुना:  जब आप अपने रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों के साथ सामूहिक रूप से त्योहार मनाते हैं तो उस की खुशी अलग ही होती है. घर की सजावट और व्हाइटवाशिंग से ले कर रंगोली तैयार करना, मिठाई बनाना, शौपिंग करना सब कुछ बहुत आसान और मजेदार हो जाता है. हर काम में सब मिल कर सहयोग करते हैं. मस्ती करतेकरते काम कब निबट जाता है, पता ही नहीं चलता. वैसे भी घर में कोई सदस्य किसी काम में माहिर होता है तो कोई किसी काम में. मिल कर मस्ती करते हुए जो तैयारी होती है वह देखने लायक होती है.

मानसिक रूप से स्वस्थ त्योहारों के दौरान मिल कर खुशियां मनाने का अंदाज हमारे मन में सिर्फ उत्साह ही नहीं जगाता वरन हमें मानसिक तनाव से भी राहत देता है.  यूनिवर्सिटी औफ दिल्ली की साइकोलौजी की असिस्टैंट प्रोफैसर, डा. कोमल चंदीरमानी कहती हैं कि त्योहारों के समय बड़ों का आशीर्वाद और अपनों का साथ हमें ऊर्जा, सकारात्मक भावना और खुशियों से भर देता है. समूह में त्योहार मनाना हमारे मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है. इस से हमारा सोशल नैटवर्क और जीवन के प्रति सकारात्मक सोच बढ़ती है, जीवन को आनंद के साथ जीने की प्रेरणा मिलती है.  हाल ही में अमेरिका में हुए एक शोध में यह बात सामने आई है कि जिन लोगों का समाजिक जीवन जितना सक्रिय होता है उन के मानसिक रोगों की चपेट में आने की आशंका उतनी ही कम होती है. शोध के अनुसार,

15 मिनट तक किया गया सामूहिक हंसीमजाक दर्द को बरदाश्त करने की क्षमता को 10% तक बढ़ा देता है.

अपने होने का एहसास:

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में अकसर हमें अपने होने का एहसास ही नहीं रह जाता. सुबह से शाम तक काम ही काम. मिल कर त्योहार मनाने के दौरान हमें पता चलता है कि हम कितने रिश्तेनातों में बंधे हैं. हम से कितनों की खुशियां जुड़ी हैं. तोहफों के आदानप्रदान और मौजमस्ती के बीच हमें रिश्तों की निकटता का एहसास होता है. हमें महसूस होता है कि हम कितनों के लिए जरूरी हैं. हमें जिंदगी जीने के माने मिलते हैं. हम स्वयं को पहचान पाते हैं. जीवन की छोटीछोटी खुशियां भी हमारे अंदर के इनसान को जिंदा रखती हैं और उसे नए ढंग से जीना सिखाती हैं.

बच्चों में शेयरिंग की आदत:  आप के बच्चे जब मिल कर त्योहार मनाते हैं तो उन में मिल कर रहने, खानेपीने और एकदूसरे की परवाह करने की आदत पनपती है. वे बेहतर नागरिक बनते हैं.

बच्चे दूसरों के दुखसुख में भागीदार बनना सीखते हैं. उन में नेतृत्व की क्षमता पैदा होती है. घर के बड़ेबुजुर्गों को त्योहार पर इकट्ठा हुए लोगों को अच्छी बातें व संस्कार सिखाने और त्योहार से जुड़ी परंपराओं और आदर्शों से रूबरू कराने का मौका मिलता है.

गिलेशिकवे दूर करने का मौका  

उत्सव ही एक ऐसा समय होता है जब अपने गिलेशिकवों को भूल कर फिर से दोस्ती की शुरुआत कर सकता है. त्योहार के नाम पर गले लगा कर दुश्मन को भी दोस्त बनाया जा सकता है. सामने वाले को कोई तोहफा दे कर या फिर मिठाई खिला कर आप अपनी जिंदगी में उस की अहमियत दर्शा सकते हैं. सामूहिक सैलिब्रशन के नाम पर उसे अपने घर बुला कर रिश्तों के टूटे तार फिर से जोड़ सकते हैं.

कम खर्च में ज्यादा मस्ती

जब आप मिल कर त्योहार मनाते हैं, तो आप के पास विकल्प ज्यादा होते हैं. आनंद व मस्ती के अवसर भी अधिक मिलते हैं. इनसान सब के साथ जितनी मस्ती कर सकता है उतनी वह अकेला कभी नहीं कर सकता. एकल परिवारों के इस दौर में जब परिवार में 3-4 से ज्यादा सदस्य नहीं होते, उन्हें वह आनंद मिल ही नहीं पाता जो संयुक्त परिवारों के दौर में मिलता था. सामूहिक सैलिब्रेशन में मस्ती और आनंद ज्यादा व खर्च कम का फंडा काम करता है.

Diwali Special: लंच में परोसे फूलगोभी करी

लंच में परोसने के लिए अगर आप नई रेसिपी की तलाश कर रहे हैं तो फूलगोभी करी की ये रेसिपी ट्राय करें. ये आसान और हैल्दी रेसिपी है.

सामग्री

250 ग्राम फूलगोभी

2 टमाटर

1 छोटा चम्मच सौंफ

1/2 छोटा चम्मच जीरा

2-3 कालीमिर्चें

1/4 छोटा चम्मच सोंठ पाउडर

1 छोटा चम्मच तिल

1 छोटा चम्मच सूखा नारियल

1 साबूत लालमिर्च

1 छोटा चम्मच धनिया पाउडर

1/4 छोटा चम्मच हलदी पाउडर

1 हरी इलायची

1 लौंग

1 बड़ा चम्मच क्रीम

1 बड़ा चम्मच घी

थोड़ी सी धनियापत्ती कटी

नमक स्वादानुसार.

विधि

कड़ाही गरम कर जीरा, सौंफ, लौंग, कालीमिर्च, तिल, इलायची, सूखा नारियल व साबूत लालमिर्च भून लें. इस में हलदी, नमक, सोंठ पाउडर व धनिया पाउडर मिला कर पीस लें. कड़ाही में घी गरम कर मसाला भूनें. टमाटर की प्यूरी कर डालें व भूनें. अब इस में गोभी के टुकड़े कर डालें और धीमी आंच पर ढक कर पकाएं. फिर क्रीम डालें. धनियापत्ती से सजा कर परोसें.

Diwali Special: दीवाली की भेंट- कौनसा मलाल था उन्हें

मार्केटिंग के इस युग में दीवाली के आसपास उपहार लेना व देना अत्यंत स्वाभाविक प्रथा है. मेरे मन में कभी इस बारे में कोई संदेह उपजने का प्रश्न ही नहीं था. घर के बड़े छोटों को, सास बहू को, भाभी ननद को और भाई बहन को दीवाली पर भेंट उपहार देते ही हैं. पड़ोसी और दोस्त भी आपस में उपहार लेतेदेते हैं तो इस में अजीब कुछ नहीं लगता. हां, यह अवश्य कहना होगा कि हर साल इस का महत्त्व और आकार बढ़ता ही जा रहा है.

कारोबार के क्षेत्र में तो दीवाली में भेंट देने का महत्त्व और भी बढ़ जाता है. साल भर जिन से छोटामोटा संबंध बना रहता है उन्हें भेंट दे कर अपने संबंधों को अधिक मधुर बनाने का इस से अच्छा मौका और कब हो सकता है. दीवाली आने के कई दिन पहले ही हर व्यापारिक संस्थान में भेंट क्या और किसे देनी है, इस पर विचार होने लगता है. फिर वस्तुओं का चुनाव, मिठाई, सूखा मेवा या फल दिए जाएं इस पर विचार के साथ ही सजावट की कोई सुंदर वस्तु, डायरी, कैलेंडर, आदि पर भी चर्चा प्रारंभ हो जाती है.

भेंट की वस्तुएं बेचने वाले कई प्रकार के प्रस्ताव ले कर विभिन्न कंपनियों, दफ्तरों में आने लगते हैं. कई अत्यंत परंपरागत तो कई बहुत मूल्यवान किंतु बेमिसाल. क्या चुनें क्या न चुनें? निर्णय करना असंभव न कहें तो भी अतिशय जटिल हो जाता है. इस के अलावा मिठाइयां, आतिशबाजी तो खैर सामान्य हैं ही.

व्यापारिक प्रतिष्ठानों में किनकिन को क्याक्या और कितने मूल्य की भेंट देनी है इस बारे में कई सप्ताह पहले से ही लिस्ट बननी शुरू हो जाती है. खरीदारी के समय वही परंपरागत रूप से मोलभाव होता है. आदेश लेने वाला मन ही मन बहुत प्रसन्न होता है पर बोलता यही है कि आप तो हमारे पुराने ग्राहक हैं इसलिए आप को नाराज तो नहीं कर सकते. पर सच मानिए, कमाने के इस मौके पर ठोकबजा कर दाम वसूले जाते हैं. दीवाली के पहले ठीक समय पर सामान बिल के साथ आप के पास पहुंच जाता है.

ऐसे ही एक दीवाली पर हम ने भी अपनी यह कवायद पूरी की. कई परचेज अफसर, अकाउंट्स अफसर, क्वालिटी कंट्रोलर, सरकारी महकमों के कई अधिकारियों और छोटेमोटे रसूख वाले लोगों की सूची बनाई. सूची के अनुसार कौन किस व्यक्ति के यहां जाएगा यह निर्णय हुआ. प्रमुख लोगों के यहां तो मुझे और मेरे भागीदार को जाना था.

जब दीवाली की भेंट देने जाते हैं तो कई प्रकार के अनुभव होते हैं. प्रयत्न तो साहब लोगों से व्यक्तिगत रूप से मिलने का रहता है पर भेंट देने का यह कार्यक्रम तो कुछ ही दिन में निबटाना होता है अत: कई बार उन की गैरमौजूदगी में उन के परिवार के लोगों को ही भेंट दे कर आना पड़ता है. कुछ घर की महिलाएं स्वागत करते हुए यह कहती हैं कि भाई, इस की क्या जरूरत थी? किसी शालीन घर पर कभीकभार जलपान का भी आग्रह होता है, पर कुछ तेजतर्रार महिलाएं तो तिरस्कार करने से नहीं चूकतीं. मानो हमारा उन से मुकाबला ही नहीं.

हमारे जैसे कई ‘ऐरे गैरे नत्थू खैरे’ तो उन के दरवाजों पर आते ही रहते हैं, यह भाव साफतौर पर उन के चेहरे पर दिखाई पड़ता है. सरकारी अधिकारियों की बीवियां तो यह कहने से भी नहीं चूकतीं कि पिछली दीवाली पर आप का उपहार बहुत घटिया था. जो भी हो सब रंग देखते हुए हम वैसे के वैसे, चिकने घड़े की तरह सब सुन कर भी मुसकराते रहते हैं, मानो परंपरा का निर्वाह कर रहे हैं. भाई, है तो आखिर दीवाली. जिन्हें हम आज प्रसन्न रखेंगे वे साल भर हमें खुश रखेंगे. खुश न भी रखें तो क्या हम तो इसी आशा में ही सालोंसाल उन के दर पर दस्तक देते रहते हैं. किंतु पिछली दीवाली पर जो हुआ उस से तो मैं खुद ही सकते में आ गया. परंपरा की शुरुआत तो पहले से ही थी और देखने का एक नया नजरिया मिला.

सरकारी विभागों के साथ व्यवहार बनाना बड़ा ही कठिन काम है. निविदाएं खुलने के बाद यदि आप की निविदा में सब से कम भाव होते हुए भी आदेश आप को ही मिलेगा यह आवश्यक नहीं है. तो दूसरे दिन लगेगा कि आप हार रहे हैं और ऐसे होतेहोते कई दिन बीत जाते हैं. यानी आदेश आप के पक्ष में आने तक एड़ीचोटी का जोर लगाए बिना काम ही नहीं चलता.

रेलवे के तकनीकी विभाग के एक अधिकारी, जो पिछले साल ही मुंबई ट्रांसफर हो कर आए थे, के कार्यालय में निविदाओं का निबटारा बड़ी जल्दी होता था. प्राय: जहां कहीं भी हमारी कीमतें दूसरों से कम रहतीं, बिना माथापच्ची के आदेश मिल जाता था. व्यक्तिगत ढंग से मिलते तो भी वे दूसरे अधिकारियों की तरह अपना महत्त्व दिखाने का कोई प्रयत्न नहीं करते थे और प्राय: बड़ी ही शालीनता से मिलते थे.

थोड़े दिन में मैं उन के इस अच्छे व्यवहार का प्रशंसक बन गया था. अत: उन के कार्यालय के आसपास से भी निकलते समय रुक कर बिना काम के भी सलाम करने की इच्छा मन में रहती थी. पर मेरे दूसरे व्यापारी मित्र प्राय: उन के बारे में फब्तियां कसा करते थे. यानी उन्हें भारद्वाजजी पसंद नहीं थे. कई बार मिलने से भी भारद्वाज  के साथ हमारी निकटता भी बढ़ गई थी. कई बार मैं ने उन्हें अपने कार्यालय में आने का आग्रह किया पर वे अपने काम में ही व्यस्त रहते थे. मुझे याद नहीं आता कि मैं ने उन्हें कभी उन के कार्यालय के बाहर देखा हो.

दीवाली के 3 दिन पहले रविवार था. अत: अधिक से अधिक लोगों को निबटा देना ही बेहतर होगा यह मन में विचार ले कर निकला. अपनी भेंट यात्रा भारद्वाजजी के घर से ही प्रारंभ करने का निश्चय किया. सुबह 10 बजे ही उन के घर पर हाथ में कार्ड, कुछ मिठाई, नए साल की डायरी और एक अच्छा सा सूटपीस ले कर दस्तक दी. दरवाजा भाभीजी ने खोला. ‘नमस्कार’ कार्ड हाथ में देते हुए दीवाली की शुभकमानाएं दे कर मैं ने पूछा, ‘‘भारद्वाज साहब हैं?’’

‘‘जी हां, कुछ लिख रहे हैं, कुछ समय लगेगा. आइए, बैठिए,’’ सरकारी आवास के ड्राइंगरूम के बाईं ओर के सोफे की ओर इशारा करते हुए वे बोलीं.

मैं उन्हें धन्यवाद दे कर सोफे पर बैठ गया. मन में चिंता थी कि अभी तो शुरुआत है, कई जगह जाना है पर भारद्वाजजी से मिले बिना जाना मुझे भी गवारा नहीं था.

कमरा साफसुथरा, सादगी से सजाया हुआ था. कमरे का निरीक्षण कर ही रहा था कि भाभीजी पानी का गिलास ले कर आ गईं. पानी का एक घूंट पी कर ऐसे ही बात करने के विचार से पूछा, ‘‘घर में कोई नहीं है क्या?’’ मन में कौतूहल हुआ कि इतने बड़े अधिकारी के घर कोई नौकर नहीं है, जो पानी खुद मालकिन ही पिला रही हैं.

किंतु मेरा आशय न समझते हुए उन्होंने सरलता से उत्तर दिया, ‘‘नहीं, हम 3 ही तो हैं. ये कुछ लिख रहे हैं और बच्चे की तबीयत ऐसी ही रहती है इसलिए आराम कर रहा है.’’

उन के कहने के बाद ही मेरी नजर पास के दरवाजे के पार बैडरूम में गई जहां बिस्तर पर एक नवयुवक सो रहा था. अंदाजा लगाया कि वही उन का बीमार लड़का होगा. ‘‘क्या हुआ है इसे?’’ उत्तर में उन्होंने कुछ नहीं कहा बस, आंखें पोंछती हुई अंदर रसोई की ओर चली गईं.

कुछ मिनट बाद ट्रे में चाय तथा बिस्कुट ले कर आईं तब मैं ने कहा, ‘‘अरे, आप तो तकल्लुफ में लग गईं. घर में कोई बीमार है तो यह सब करने की आवश्यकता ही कहां है.’’

चाय पी ही रहा था कि भारद्वाजजी आ गए. मैं अभिवादन करता हुआ खड़ा हो गया. उन के हाथ में एक प्लेट में मखाने और मिश्री थी. बोले, ‘‘अरे, भाई बैठिए, चाय तो पी लीजिए,’’ और फिर मखाने की प्लेट आगे सरकाते हुए भाभीजी से मेरा परिचय कराया. सामने के सोफे पर बैठते हुए बोले, ‘‘कहिए, कैसे आना हुआ?’’

होंठों पर मुसकान बिखेरते हुए मैं ने दीवाली की शुभकामनाएं दीं और भेंट के लिए लाए हुए सभी पैकेट उन की ओर बढ़ा दिए.

उन्होंने हाथ जोड़े और ठंडी सांस भर कर कहा, ‘‘आप इस के लिए मुझे माफ करें.’’

‘‘अरे, साहब, यह तो दीवाली की हमारी तुच्छ भेंट है,’’ मैं ने कहा.

‘‘नहीं भाई, मैं यह स्वीकार नहीं कर सकता. आप मेहरबानी कर इसे ले जाइए,’’ वे बोले.

एक क्षण के लिए मैं भौचक्का रह गया. ऐसा पहली बार ही हुआ था, अत: तुरंत उत्तर सूझा ही नहीं. फिर कुछ क्षणों के बाद बोलने का प्रयत्न करने लगा, ‘‘यह तो साहब…हम…हर…’’

‘‘हां, मैं जानता हूं कि आप हर दीवाली पर सभी के यहां भेंट देने जाते हैं. सभी लेते भी होंगे, पर मैं नहीं लेता. कृपा कर के आप ले जाएं और आगे कभी भेंट देने न आएं. यह मेरा आप से नम्र निवेदन है. आप का शुभकामना कार्ड मैं ने स्वीकार कर लिया है. मेरी भी आप को दीवाली की शुभकामनाएं.’’

मैं ने कहा, ‘‘भारद्वाज साहब…मैं आप का बहुत आदर करता हूं, आप ने हमारे लिए जो कुछ भी किया उस के लिए हमारा यह छोटा सा…’’

भारद्वाजजी ने मुझे बीच में ही रोकते हुए जरा ऊंची आवाज में कहा, ‘‘देखिए, मैं सरकारी नौकर हूं. जो काम करता हूं उस के लिए सरकार मुझे वेतन देती है. मैं ने किसी के लिए कुछ अलग से नहीं किया है. जो करना चाहिए वही करता हूं. कृपया ये सब ले जाइए.’’

मैं भौचक सा खड़ा था. कुछ समझ नहीं पा रहा था कि क्या करना चाहिए? कुछ क्षण ऐसे ही खड़ेखड़े बीत गए, वातावरण शांत किंतु एकदम उत्तेजनापूर्ण था. परिस्थिति को भांपते हुए भारद्वाजजी ने ही शांति तोड़ी और गला खखारते हुए बोले, ‘‘मित्र, मैं किसी से कोई भेंट नहीं लेता. उस के पीछे कारण है. आप बैठिए, मैं आप को बताता हूं.’’

यह वही सामान्य भारद्वाजजी की आवाज थी जो मैं पिछले कुछ महीने से सुनता आ रहा था. कुछ मिनट पहले जो कठोर आवाज मेरे कान सुन रहे थे वह मानो किसी और की थी. भारद्वाजजी की शांत आवाज सुन मैं भी कुछ सामान्य हुआ और मैं धीरे से सोफे पर बैठ गया. भारद्वाजजी ने पत्नी को आवाज दे कर पानी पिलाने के लिए कहा. तो वे एक ट्रे में 2 गिलास पानी ले कर आईं.

दो घूंट पानी पीने के बाद जैसे ही मैं ने भारद्वाजजी की तरफ देखा तो वे बोले, ‘‘मैं भी एक सरकारी आदमी हूं. मुझे नौकरी करते हुए 32 साल हो गए हैं. मैं सामान्य अफसर था और वही सब करता था जो दूसरे अफसर करते थे. काम खूब करता था पर उस का मूल्य भी वसूलता था. वेतन के अलावा काफी अच्छी ऊपर की आवक होने लगी.

‘‘हमारे एक ही बेटा है और वह भी बहुत होशियार. उसे हम ने अपना सारा प्यार दिया या यों कहिए कि हम ने उसे प्यार की बरसात कर दी. स्कूल में वह हमेशा प्रथम रहता था इसलिए हम दोनों को बहुत गर्व भी था. ऊपर का पैसा बहुत था इसलिए वह जो मांगता था, वह तुरंत पूरा करते. यदि ऐसा लगता कि पैसा कम पड़ रहा है तो किसी भी सप्लायर को फोन करते, वह उस की मांग को पूरा कर देता. आसानी से कमाए हुए पैसे की यही कहानी हमारे लिए जहर बन गई. पैसे के उफान के कारण अमोल की यानी हमारे इकलौते बेटे की संगत गलत दोस्तों से हो गई. मैं भी ऊपर की कमाई के नशे में पार्टियों में जाजा कर शराब का आदी हो चुका था. पी कर घर लौटता तो बेहोशी में ही. कभी सुध ही न ली कि बेटा भी देख कर गलत रास्ते जा रहा है.

‘‘अमोल ने कोकीन पीनी शुरू कर दी. जब तक हमारी आंखें खुलीं बहुत देर हो चुकी थी. कोकीन खरीदने के लिए उसे अधिक पैसों की जरूरत रहने लगी थी. इसलिए उस ने घर में चोरी करना शुरू कर दिया. हमारी पत्नी ने 2-3 बार चोरी की मुझ से शिकायत भी की पर मैं ने बात को हलके ढंग से लिया और उलटे उन्हें ही हिदायत दी कि वे पैसे को सही ढंग से रखने की आदत डालें.

‘‘मेरी खुद की बेहिसाब कमाई के कारण मैं ने तो कभी हिसाब रखा ही नहीं था तो मेरी जेब से कुछ गया हो इस का मुझे भी कुछ पता नहीं. एक दिन जब मैं देर रात पार्टी से नशे की हालत में घर लौटा तब श्रीमतीजी ने बताया कि अमोल घर नहीं आया है. मैं खुद बेसुध था, परिस्थिति से अनभिज्ञ मैं ने पत्नी को यह कह कर कि कुछ देर में आ जाएगा, सो गया. पर मां बेटे की चिंता में रात भर सो न सकी. सुबह तक वह नहीं आया तब चिंता हुई. ढूंढ़ने पर वह घर के पास एक गार्डन के एक गंदे कोने में नशे की नींद में सोया मिला. आसपास की परिस्थिति सबकुछ बयान कर रही थी.

‘‘उसे नशामुक्ति केंद्र में भरती करवाया. 6 महीने बाद जब वह घर आया तब उस की कोकीन लेने की आदत छूट चुकी थी पर मैं अभी तक अपनी पुरानी जिंदगी में ही जी रहा था. उस के कालेज का 1 साल खराब हो चुका था. पत्नी मुझ से भी जीवन बदलने के लिए लगातार प्रार्थना करती रही पर मैं अपनी सरकारी अफसर की शान को छोड़ नहीं पाया. परिणाम, अमोल को 3 साल में 2 बार नशामुक्ति केंद्र भेजना पड़ा.

‘‘अमोल कालेज में आगे बढ़ ही न सका. मेरी आंख तो तब खुली जब नशामुक्ति केंद्र के डाक्टर ने मुझ से कहा कि अमोल का दिमाग कोकीन के कारण अब ऐसी स्थिति में पहुंच चुका है कि उस के सोचने की शक्ति करीबकरीब समाप्त हो चुकी है और अगर उसे यह लत दोबारा लगी तो वह पागल हो सकता है.

‘‘मैं उस दिन पास के गार्डन में गया और कई घंटे पेड़ के नीचे बैठ कर रोया. बाद में सोचने लगा यह सब कैसे हुआ? उस दिन मुझे लगा कि यह सब उस हराम की कमाई के चलते हुआ है जिस को मैं जीवन का स्वर्ग समझता था. उस दिन से मैं ने कसम खाई कि आगे से मैं सात्विक जीवन बिताऊंगा. आसपास के पेड़पौधों की देखभाल करना, आफिस से सीधे घर आना, अधिक समय हम तीनों साथ में बिताते हैं. अमोल धीरेधीरे सुधर रहा है. पहले जैसा तो नहीं पर शायद अपने पांव पर खड़ा होने लायक हो जाएगा.’’

मैं बड़े ध्यान से भारद्वाजजी कोे सुन रहा था. मैं उठा, माफी मांगते हुए उन को प्रणाम कर सभी पैकेटों को हाथ में लिए बाहर आ गया. भारी मन से सोच रहा था, कार का मुंह मैं ने घर की ओर मोड़ दिया. मेरी हिम्मत ही नहीं हो रही थी कि ये जहरीले उपहार और किसी को दूं.

Diwali Special: खुशियों की रोशनी फैलाएं दुखों का अंधेरा नहीं

दीवाली खुशियों का त्योहार है. दीवाली पर सब एकदूसरे को गिफ्ट और मिठाइयां दे कर खुशियां मनाते हैं. लेकिन आधुनिक परिवेश में धन की अधिकता के चलते लोगों ने खुशियों के इस त्योहार में कैक्टस बोने शुरू कर दिए हैं. अंधकार में दीपक जला कर रोशनी की ओर बढ़ने के बजाय कुछ स्त्रीपुरुष जुए और शराब के नशे के अंधेरे रास्ते पर चलते हुए दीवाली पर अपने खुशियों भरे जीवन में कटुता घोल रहे हैं. दीवाली पर जुआ खेलने की परंपरा किसी अंधविश्वास से शुरू हुई थी. आधुनिक परिवेश में धन की अधिकता, भौतिक साधनों की सुविधा के कारण जुआ घरघर में खेला जाने लगा है. दीवाली पर जुए की अधिकता देखी जाती है. अब फाइवस्टार होटलों और बड़ेबड़े फार्महाउसों में भी जुए के आयोजन होने लगे हैं. कार्ड पार्टियों के नाम पर हजारोंलाखों नहीं, करोड़ों रुपयों का जुआ खेला जाने लगा है. दीवाली पर शराब में डूब कर जुआ खेला जाता है.

पहले जुए और शराब का चलन पुरुषों तक ही सीमित था, लेकिन अब स्त्रियां भी इस में शामिल होने लगी हैं. यही नहीं शराब की पार्टियों में भी स्त्रियां बढ़चढ़ कर भाग ले रही हैं. दीवाली पर जुए में जीतने वाला व्यक्ति वर्ष भर जीतता रहता है. इस अंधविश्वास के चलते सभी वर्ग के लोग जुआ खेलते हैं. स्त्रियां भी जुआ खेलने में किसी से पीछे नहीं रहती हैं. धनी वर्ग की ही नहीं मध्यवर्ग की स्त्रियां भी जुए में बढ़चढ़ कर भाग लेती हैं. धनी वर्ग के स्त्रीपुरुषों में तो जुआ स्टेटस सिंबल बन चुका है. दीवाली की रात को ही नहीं, दीवाली के कुछ दिन आगेपीछे भी खूब जुआ खेला जाता है. कैसिनो, फार्महाउसों और बड़ेबड़े होटलों में हौल बुक करा कर जुए के आयोजन किए जाते हैं. इन आयोजनों में बड़ेबड़े दांव लगाए जाते हैं. क्व20 से 30 हजार हार जाने वाले की ओर कोई देखता भी नहीं. क्व5-10 लाख हारने वाले का ही नाम सब की जबान पर होता है.

लाखोंकरोड़ों दांव पर

कैसिनो में 10-20 लाख के दांव से 2-3 करोड़ दांव पर लगाने वाले बिजनैसमैन भी अब आगे आने लगे हैं. स्त्रियां बड़ीबड़ी रकमें हारने पर दुख के बजाय खुश होती देखी जाती हैं. रुपए हारना भी स्टेटस सिंबल बनता है. दीवाली पर क्व2-3 लाख हारने वाली महिला किट्टी पार्टी में बड़े गर्व से जुए में हारने की बात बताती है. तब सभी स्त्रियां उस की प्रशंसा करती हैं. उसे आदरणीय नजरों से देखा जाता है. जुए की परंपरा अब किट्टी पार्टियों में भी देखी जा सकती है. वैसे तो महिलाओं को किट्टी पार्टियों में कभी भी जुआ खेलते देखा जा सकता है, लेकिन दीवाली के आसपास बहुत जोरशोर से खेला जाता है. दीवाली के आसपास किट्टी पार्टी का आयोजन जिस कोठी या फ्लैट में किया जाता है उस पार्टी का आयोजन करने वाली महिला उस में ताश खेलने का कार्यक्रम भी रखती है. ताश के माध्यम से जुआ खेला जाता है. पार्टी में स्त्रियां अलगअलग समूह बना कर जुआ खेलती हैं. दीवाली पर जुए के आयोजन अब होटलों से अधिक फार्महाउसों में होने लगे हैं, क्योंकि दीवाली के अवसर पर बड़ेबड़े होटलों में जगह नहीं मिलती. फिर अधिकांश स्त्रीपुरुष होटलों में नहीं जा पाते. ऐसे लोगों ने फार्म हाउसों में कार्ड पार्टियों के नाम पर जुए और शराब की पार्टियां आयोजित करनी शुरू कर दी हैं. आयोजक अपने परिचितों को आमंत्रित करते हैं. यही नहीं, फेसबुक पर सूचना दे कर दूसरे लोगों को भी आमंत्रित करते हैं. दूसरे लोग फोन पर सीट बुक करा कर पार्टी में शामिल होते हैं. दीवाली पर जुआ खेलने और दूसरी मौजमस्ती करने के लिए अब कार्ड पार्टियों का आयोजन भी होने लगा है. कार्ड पार्टियां फार्महाउसों में आयोजित की जाती हैं. फार्महाउसों के मालिक कार्ड पार्टियों का आयोजन करते हैं लेकिन आजकल दूसरे लोग भी फार्म हाउस किराए पर ले कर कार्ड पार्टियां आयोजित करते हैं.

शराब के छलकते जाम

कार्ड पार्टियों में जुआ खुलेआम चलता है और शराब के जाम भी खूब छलकते हैं. इन फार्महाउसों में पुलिस का हस्तक्षेप भी बहुत कम होता है, क्योंकि फार्महाउस नगर के बड़ेबड़े बिजनैसमैनों के होते हैं और उन लोगों को बड़ेबड़े नेताओं का संरक्षण मिला होता है. नेताओं के संरक्षण मिले फार्महाउसों में जुए के साथसाथ शराब और शबाब की रंगीन पार्टियां भी खूब मजे से चलती हैं. ताश के पत्तों से जुआ खेला जाता है. ताश के पत्तों का जुआ स्त्रीपुरुष मिल कर खेलते हैं. ताश के पत्तों से जोड़े मिलाए जाते हैं. इस तरह नएनए जोड़े बना कर स्त्रीपुरुष खूब मौजमस्ती करते हैं. जुए के तरीके भी अलगअलग फार्महाउसों और होटलों में परिवर्तित होते रहते हैं. पार्टियों में अधिकतर स्त्रीपुरुष भाग लेते हैं. ऐसी पार्टियों में भाग लेने वाली नवयुवतियां घर या औफिस में किसी को नहीं बतातीं, लेकिन चोरीछिपे अधिकांश नवयुवतियां कार्ड पार्टियों में शामिल होती हैं. एक नवयुवती ने कार्ड पार्टी में जाने की बात बताई. वह पहले बौयफ्रैंड के साथ ‘लिव इन रिलेशन’ में रहती थी. तब अपने बौयफ्रैंड के साथ कार्ड पार्टियों में खूब जाती थी. पिछले वर्ष वह दीवाली पर जिस कार्ड पार्टी में गई थी उस में टैडीबियर का खेल खेला गया.

उस पार्टी में स्त्रीपुरुष पतिपत्नी के साथ शामिल हुए थे. कुछ लोग अपनी गर्लफ्रैंड के साथ आए थे. पार्टी में एक बड़ी टेबल पर एक टैडीबियर रखा गया था. दूर खड़े युवकयुवतियां एक गोल छल्ले (रिंग) को उछाल कर उस टैडीबियर पर फेंकते थे. पहले एक नवयुवती ने छल्ला फेंका. छल्ला टैडीबियर पर गिरा. अब युवक की बारी थी. एक नवयुवक ने छल्ला फेका. टैडीबियर बच गया. दूसरे नवयुवक ने छल्ला फेंका. वह भी टैडीबियर से दूर जा गिरा. कई नवयुवकों ने छल्ले फेंके. आखिर एक नवयुवक का छल्ला टैडीबियर पर गिरा. सभी उपस्थित स्त्रीपुरुषों ने जोरजोर से तालियां बजाईं और वह नवयुवक पहले छल्ला फेंकने वाली नवयुवती को बांहों में भर कर पास के कैबिन में ले गया. उस के बाद फिर टैडीबियर पर छल्ला फेंकने के लिए पहले एक नवयुवती आगे आई. इस तरह छल्ला फेंकने का कार्यक्रम देर तक चलता रहा.

मौजमस्ती का जरीया

दीवाली पर जुआ खेलने वालों के किस्से सुन कर महाभारत के युधिष्ठिर के जुआ खेलने और राजपाट के साथ द्रौपदी के हार जाने की बात भी छोटी लगने लगती है. आधुनिक परिवेश में तरहतरह से जुआ खेला जाता है. जुए में पुरुष अपनी पत्नी को हारने पर बहुत खुश होते हैं. पुरुषों का जुए में पत्नी हार जाने पर किसी दूसरी स्त्री के साथ मौजमस्ती करने का मौका जो मिलता है. जुए के कुकृत्यों के साथ दूसरे अनेक कुकृत्य भी शामिल होते जा रहे हैं. दीवाली अंधेरे में दीप जला कर खुशियां मनाने का त्योहार है. लेकिन लोग जुए और शराब में डूब कर अपने जीवन में अंधेरा कर लेते हैं. जुआ खेलने वाला व्यक्ति जुए में हारे धन की भरपाई के लिए किसी से उधार ले कर फिर जुआ खेलता है. लेकिन जब उधार के रुपए भी जुए में हार जाता है तब परिवार पर संकट के बादल छा जाते हैं. जुए में अधिक धन हार जाने वाले जब कर्ज से मुक्त नहीं हो पाते हैं तो वे डिप्रैशन का शिकार हो जाते हैं या फिर आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो जाते हैं.

खुशियों का मोल समझे

जुए और शराब की मस्ती में डूबने वाले होश आने पर खुद को खाली हाथ ही पाते हैं. ऐसे में उन के पास पछताने के अलावा कोई और रास्ता नहीं होता. आजकल की व्यस्त जिंदगी में अपनों के साथ बिताने के लम्हें हैं ही कितने? इस दीवाली परिवार से नहीं, खुद से ये वादा करें कि जुए या नशे में पैसा और समय बरबाद करने की बजाए परिवार के साथ खुशियों के हलकेफुलके पल बिताएंगे. फिर देखिए कि किस तरह ये पल हमेशा के लिए यादगार बन जाएंगे.     

Diwali Special: इन 11 टिप्स से कम खर्चे में घर को दें नया लुक

दीवाली पर घर की साफ सफाई करके भांति भांति की सजावटी चीजों से सजाया जाता है परन्तु हर दीवाली पर नई नई चीजें खरीदना न तो हर किसी के वश में होता है और न ही खरीदने में बुद्धिमानी है. नया सामान खरीदने से बेहतर है कि घर मे उपलब्ध सामान से ही घर को सजाने का प्रयास किया जाए इससे आपका अनावश्यक खर्चा भी नहीं होगा और आपके घर को भी नया लुक मिल जाएगा. आज हम आपको ऐसे ही कुछ टिप्स बता रहे हैं जिनकी मदद से आप कम से कम खर्चे में अपने थोड़े से प्रयास से ही अपने घर को आसानी से नया लुक दे पाएंगी-

1-यदि सम्भव है तो सर्वप्रथम अपने घर के फर्नीचर के स्थान को बदल लें मसलन डायनिंग टेबल और सोफे की दिशा को बदल दें इससे ही  आपके कमरे को नया लुक मिल जाएगा.

2-यदि आप सोफे पर अभी तक बड़े कुशन्स रखतीं आईं हैं और घर में छोटे कुशन्स हैं तो बड़े छोटे कुशन्स की मैचिंग करके रखें.

3-बेकार हो चुके कुशन्स को जोड़कर इसके किनारों पर किसी चमकीले दुपट्टे से पट्टियां काटकर लगाएं. इस शानदार कार्पेट को आप घर के किसी भी स्थान पर  डाल दें.

4-सुतली या गोटे को फेविकोल की मदद से चिपकाएं और इन्हें अपने ड्राइंग और डायनिंग रूम में रखें.

5-घर में प्रयोग न आने वाले कांच के ग्लासों के बीच में फेविकोल की मदद से चमकीली लेस लगाएं और इनमें दीवाली पर दिए रखकर घर में रखें.

6-प्लास्टिक की अनुपयोगी किसी भी आकार की डलिया या ट्रे पर साटन, बनारसी या कोई भी चमकीला कपड़ा चिपकाएं और फिर इसे मेहमानों को नाश्ता सर्व करने के लिए प्रयोग करें.

7-कांच के खाली जारों में रंग बिरंगी एल ई डी लाइट्स डाल दें और दीवाली वाले दिन इन्हें जलाएं.

8-घर की साफ सफाई के दौरान निकले बेकार कप्स, ग्लास और जारों को मनचाहे आयल पेंट से रंगे और फिर कन्ट्रास कलर से फूल पत्ती, पोल्का डॉट्स आदि से सजाकर मनी प्लांट, सिंगोनियम और कैक्टस जैसे कम पानी की आवश्यकता वाले पौधे लगाएं.

9-डायनिंग और सेंट्रल टेबल के पुराने कवर को काटकर अपनी कवर्ड और किचिन की ड्रॉअर का कवर बना लें.

10-डायनिंग टेबल पर नए कवर के स्थान पर घर मे उपलब्ध किसी खूबसूरत चादर को बिछाकर ऊपर से पारदर्शी कवर बिछाएं.

11-नए पर्दे खरीदने के स्थान पर अपनी अनुपयोगी साडियों को मिक्स एंड मैच करके पर्दे बनाएं. आप कमरों के पर्दों की अदला बदली करके भी अपने घर को नया लुक दे सकतीं हैं.

Diwali Special: तो त्योहार बन जाएगा यादगार

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में त्योहार ही हमें हंसीखुशी से सराबोर करते हैं पर आजकल त्योहारों पर महंगी चीजें खरीदने, महंगी चीजों से घर की सजावट करने और महंगे गिफ्टों के आदानप्रदान को ही अपनी शान समझा जाने लगा है. इन्हीं बेजान वस्तुओं में लोग अपनी खुशी ढूंढ़ने लगे हैं जबकि यह खुशी क्षणिक होती है. ऐसे में अपने परिवार के साथ त्योहार को कैसे मनाया जाए ताकि वह आप और आप के परिवार के लिए यादगार बन जाए और उस की अनुभूति हमेशा आप को गुदगुदाती रहे. आइए हम बताते हैं:

प्राथमिकताओं पर अमल

इस त्योहार पर आप यह जानने की कोशिश करें कि अब तक आप अपनी प्राथमिकताओं पर अमल करने में सफल रहे या नहीं. अगर नहीं तो इस त्योहार पर सब कुछ छोड़ कर अपने परिवार के साथ रहें. इस अवसर पर परिवार को ज्यादा से ज्यादा समय दें. परिवार की इस भावना को समझें कि वह बजाय किसी महंगी वस्तु के केवल और केवल आप का साथ चाहता है.

त्योहारों पर प्रियजनों के साथ समय बिताना बहुत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि अपने परिवार से प्यारा और कुछ नहीं होता है. जिन्हें हम दिल से प्यार करते हैं उन के साथ कनैक्ट होने का यह सब से बैस्ट समय होता है. जब हम सारे गिलेशिकवे भुला कर एकसाथ त्योहार मनाते हैं तो उस का आनंद ही कुछ और होता है.

पुरानी यादों को दें नया रंग

पेरैंट्स अपने बच्चों की बचपन की तसवीरों का अलबम बना कर इस त्योहार पर उन्हें भेंट करें. इस से वे अपनी पुरानी यादों से जुड़ेंगे. इस से उन्हें जो खुशी होगी वह आप को और खुशी प्रदान करेगी.

इसी तरह बच्चे भी अपने पेरैंट्स की पुरानी तसवीरों को खोजें. फिर उन्हें फ्रेम करवा कर उन्हें गिफ्ट करें. इस त्योहार पर पेरैंट्स के लिए इस से अच्छा और कोई उपहार नहीं. ऐसे उपहार ही एकदूसरे को भावनात्मक रूप से जोड़ते हैं.

यादों को संजोएं कुछ ऐसे

अपने बच्चों के पहले खिलौने से ले कर उन के रिपोर्ट कार्ड व कपड़ों तक को संजोएं. फिर उन्हें रैप करा कर बच्चों को गिफ्ट करें. माना कि गुजरा समय भले लौट कर न आता हो. पर आप इन छोटीछोटी चीजों से अपने बच्चों को फ्लैशबैक में पहुंचा कर सुखद अनुभूति दे सकते हैं कि वे बचपन में इन खिलौने से खेलते थे. ये कपड़े पहनते थे, उन के ऐसे मार्क्स आते थे.

बच्चों को उन के पूर्वजों से रूबरू करवाएं

आजकल एकल परिवारों के चलते बच्चे अपने पूर्वजों से अनजान रहते हैं. ऐसे में आप का फर्ज बनता है कि आप इस त्योहार पर उन्हें अपने पूर्वजों से रूबरू होने का मौका दें खास कर बेटा, बहू, दामाद, बेटी, पोतीपोते को कि वे कैसे दिखते थे, उन में क्या खासीयत थी. इस के लिए आप पुरानी तसवीरों को अपडेट कर के उन्हें दें और उन्हें उन की बातें बताएं. अगर कोई पूर्वज अभी जीवित है, तो उन से इन्हें मिलाएं. इस से बच्चे तो खुश होंगे ही. उन से मिल कर बुजुर्गों को भी बहुत खुशी होगी.

ऐसा करने से बच्चे भी परिवार के अन्य लोगों से मिल कर उन्हें जान सकेंगे कि हमारे परिवार में कौनकौन है.

ईट टुगैदर

अपने परिवार के साथ लंच या डिनर का प्रोग्राम ऐसी जगह बनाएं, जो परिवार के सभी सदस्यों को पसंद हो. ऐसे माहौल में हंसीखुशी के अलावा और कोई बात न हो. एकदूसरे की बातों को सुनें, समझें, रुचियों के बारे में जानें. ऐसा करने से अपनेपन की भावना तो जगेगी ही, साथ ही इन सब बातों के बीच खाने का मजा भी बढ़ जाएगा.

लौंगड्राइव पर जाएं

इस त्योहार पर अपनी खुशियों को आप अपने परिवार को लौंगड्राइव पर ले जा कर पूरी कर सकते हैं. इस से आप का भरपूर मनोरंजन होगा. पूरे परिवार का एकसाथ सफर करना यादगार ट्रिप बन जाएगा, क्योंकि ऐसे मौके कम ही आते हैं जब पूरी फैमिली एकसाथ कहीं जाए.

इस तरह यह त्योहार आप और आप के परिवार के लिए यादगार बन जाएगा और आप इन सुनहरी यादों में सालोंसाल खोए रहेंगे.

फेस्टिवल स्पेशल: जैसा फेस वैसी बिंदी

पहले के समय में हीरोइन तरहतरह के बिंदी लगाया करतीथीं जो किएक ट्रैंड बन जाया करता था.यहां तक की बौलीवुड में कई ऐसे गाने हैं जो सिर्फ बिंदी पर ही फिल्माया गया है. बिंदी की चमक वाकई चेहरे पर चार चांद लगा देती है.आज बिंदी का ट्रैंड फिर से लौट आया है. सिर्फ महिलाएं ही नहीं बल्कि लड़कियां भी बिंदी की बहुत शौकीन होती है. एथनिक हो या साड़ी दोनों पर ही बिंदी बहुत फबता है.लेकिनआप बिंदी फैशन और चेहरे के शेप के अनुसार लगाएंगी तो आप पर ज्यादा फबेगा. आइएजानते हैं, चेहरे के अनुसार कौन सी बिंदी ज्यादा अच्छी लगेगी.

बिंदी को सिलेक्ट करते वक्त हम सबसे सुंदर बिंदी ही चुनते हैं लेकिन यह सोचना भूल जाते हैंकि वह हमारे चेहरे पर कैसी लगेगी. बिंदी के सुंदर दिखने से ज्यादा जरूरी है आपका चेहरा खूबसूरत दिखे. इसलिए बिंदी हमेशा अपने फेस कट के अनुसार ही लगाएं.

1. जब चेहरा हो गोल

यदि आपका चेहरा गोल है तो गोल बिंदी न लगाएं. गोल चेहरा ज़्यादातर छोटा दिखता है. अगर इस पर आप गोल बिंदी लगाएंगी तो आपका चेहरा और छोटा दिखेगा. कई बार कई महिलाएं चेहरे को बड़ा दिखने के लिए बड़े आकार की गोल बिंदी लगा लेती हैंगोल चेहरे पर लंबी आकार की बिंदी लगा सकती हैं. इससे आपके चेहरे की गोलाई छिप जाएगी और चेहरा लंबा नजर आएगा.

2. ओवल फेस

ओवल फेस शेप में फोरहेड और चिन एक ही अनुपात के होते हैं. इस में गला उभर हुआ होता है.यदि आपका फेस ओवल यानी अंडाकार शेप में है तो आपको ज्यादा सोचनेकी जरूरत नहीं है. ओवल फेस कट वाली महिलाओंपर सभी आकार की बिंदी अच्छी लगती हैं.आप किसी भी फंक्शन या पार्टी में अपनी मनपसंद की बिंदी लगा सकती हैं. ओवल शेप वाली महिलाओं को एक बात ध्यान में रखना बहुत जरूरी है कि अगर आपका माथा चौड़ा है तो आप लंबी बिंदी न लगाएं.

3. जब चेहरा हो हार्ट शेप

चौड़ा माथा, उभरे हुए गाल और नुकीली चीन वाले फेस को हार्ट शेप कहा जाता है.यदि आपका चेहरा हार्ट शेप का है, तो आप छोटी बिंदी लगाएं. छोटी बिंदी आपकी खूबसूरती और बढ़ा देगी.बड़ी बिंदी को अवॉइड करें. इससे माथा बहुत बड़ा दिखाई देगा.

4. जब चेहरा हो त्रिकोण शेप

यदि चिन नुकीली और माथा छोटा हो तो उसे त्रिकोण यानी ट्राएंगल शेप वाला फेस कहते हैं.अगर आपका फेस शेप ट्राएंगल है तो आप पर बिंदी सिलेक्ट करने में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं. आप कोई भी आकार की अपनी मनपसंद बिंदी लगा सकती हैं.

5. जब चेहरा हो स्क्वेयर शेप (चौकोर शेप)

जब माथा, गालों की हड्डियां और जौ लाइन एक बराबर हो तो उसे स्क्वैयर शेप कहते हैं.इसे चौकोर चेहरा भी कहा जाता है.इस चेहरे पर गोल, अंडाकार शेप और वी शेप वाली बिंदी बहुत अच्छी लगती है. बस एक बात का ध्यान रखें कि बिंदी ज्यादा पतली या लंबी न हों.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें