दीवाली यानी धूमधड़ाका, हुड़दंग और ढेर सारी मौजमस्ती. बच्चे और युवा ब्रिगेड पूरे जोश में होती है. उसे काबू में करना काफी मुश्किल हो जाता है. मगर घर की परिस्थितियों और समय की नजाकत को देखते हुए युवा ब्रिगेड को भलाबुरा समझाना बड़ों का फर्ज बनता है. यदि आप अपने परिवार के साथ हैप्पी दीवाली मनाना चाहती हैं तो ये 9 भूलें न करें, जिन्हें हम अकसर कर बैठते हैं-
द्य दीवाली पर सब से ज्याद दुर्घटनाएं आतिशबाजी छोड़ते समय होती हैं. बच्चे जब अनार, फुलझडि़यां चलाते हैं तो बड़ों का उन के साथ होना बहुत जरूरी होता है ताकि उन्हें चलाने का सही तरीका बताया जा सके. फिर भी कुछ गलत घट जाए तो संभालने में सहूलियत रहती है. यदि कोई पटाखा या बम नहीं चल रहा है तो उसे पास जा कर न देखें और न ही उस में दोबारा आग लगाने की गलती करें. घर के अंदर, तंग गलियों आदि में आतिशबाजी न करें. आतिशबाजी करते समय देख लें कि पास में आग को पकड़ने वाली चीजें न हों. जैसे वाहन, सूखी लकड़ी, गैस आदि. आतिशबाजी छोड़ते समय रेशमी और ढीलेढाले कपड़े जैसे लहंगाचुन्नी आदि पहनने की गलती भी न करें.
– बीमार, बुजुर्गों, शिशुओं, पालतू जानवरों के आसपास पटाखे न छोड़ें. तेज आवाज और रोशनी से उन्हें परेशानी हो सकती है. जानवर बेकाबू हो कर किसी दुर्घटना का कारण बन सकते हैं.
– मुसीबत कभी दरवाजा खटखटा कर नहीं आती, बल्कि बिन बुलाए मेहमान की तरह हमारे सामने आ खड़ी होती है. तब किसी न किसी तरह हमें उस से निबटना पड़ता है. दीवाली पर दुर्घटना की संभावना का प्रतिशत काफी बढ जाता है. इन आपदाओं से निबटने के लिए प्राथमिक उपचार हेतु आप के घर में पर्याप्त दवा, भरी पानी की टंकी, फ्रिज में बर्फ आदि अवश्य होनी चाहिए. बुजुर्गों और बच्चों वाले घर में तो प्राथमिक उपचार की व्यवस्था बेहद जरूरी है.
– दीवाली की खुशियों को सब से ज्यादा प्रभावित करता है तलाभुना खाना और बाहर की मिठाई. अत: स्वादस्वाद में इन्हें ज्यादा खाने की गलती न करें. खासतौर पर यदि आप के घर में कोई बुजुर्ग, परहेजी खाना खाने वाला, डायबिटीज, अस्थमा आदि बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति हो तो उस का स्वास्थ्य बिगड़ सकता है. फिर अस्पताल के चक्कर में आप की सारी दीवाली का रंग फीका हो सकता है. साथ ही बजट भी बिगड़ सकता है.
– अकसर दीवाली की व्यस्तता में शौपिंग हम बाद में करने की गलती करते हैं. ऐन वक्त पर जरूरत का सामान हर हालत में खरीदने की मजबूरी होती है, जिस से महंगाई के इस दौर में बजट काफी बढ़ जाता है. यदि कुछ समय पहले ही उपहार, घर का सामान आदि की खरीदारी कर ली जाए तो काफी बचत हो सकती है. बाजार में भीड़भाड़ और भागदौड़ से होने वाली थकान से भी बचा जा सकता है और आप दीवाली पर तरोताजा महसूस कर सकती हैं.
– दीवाली पर बाजार में सेल और सस्ती चीजों की जैसे बाढ़ सी आ जाती है. 1 के साथ 1 फ्री के औफर से खुद को बचाना काफी मुश्किल होता है. ग्राहकों को ललचाने के लिए बाजार में बहुत कुछ होता है. दीवाली की बंपर सेल की भीड़भाड़ में तसल्ली से कुछ भी देखनासमझना मुश्किल होता है और अकसर हम लुट कर ही घर आते हैं. फिर त्योहार पर वैसे भी काफी अतिरिक्त खर्च हो जाता है. अत: बजट से बाहर खर्च करने की गलती न करें वरना महीनों हाथ तंग रह सकता है.
– दीयों को जला कर परदों, ज्लवलनशील चीजों आदि से दूर रखें.
– दीवाली पर शराब, जूआ आदि खेलने को धर्म से जोड़ कर न देखें. किसी भी धर्म में ऐसे बेकार के घर फूंकने, मनमुटाव पैदा करने वाले खेलों को कोई बढ़ावा नहीं दिया गया है. अत: अपनी मेहनत की कमाई को जूआ, शराब में बरबाद न कर के किसी योजना में लगाएं ताकि भविष्य में आय में बढ़ोतरी हो सके.
– आज इंसान ऊपरी चमकदमक में ज्यादा विश्वास करने लगा है. न चाहते हुए भी वही सब करता है, जो पड़ोसी कर रहा हो. कोई भी किसी से अपने को कम नहीं मानता. फिर चाहे इस के लिए जेब पर कितना ही दबाव क्यों न पड़े. अत: उपहारों के आदानप्रदान और सजावट, आतिशबाजी की खरीदारी वगैरह में अपने बजट से बाहर जाने की गलती न करें. वक्त का तकाजा यही है कि सादगी से परिजनों, पड़ोसियों, मित्रों के साथ मिलजुल कर ज्योतिपर्व मनाया जाए.