31 साल की कामकाजी महिला नीलम शादी के 3 वर्षों बाद भी बच्चा न होने से घबराई. वह डाक्टर के पास गई. शुरुआती जांच के बाद डाक्टर ने पाया कि सबकुछ ठीक है. सिर्फ औव्यूलेशन सही समय पर नहीं हो रहा है. उस की काउंसलिंग की गई, तो पता चला कि उस के मासिकधर्म का समय ठीक नहीं. इस की वजह जानने पर पता चला कि उस का कैरियर ही उस की इस समस्या की जड़ है. उस की चिंता और मूड स्विंग इतना ज्यादा था कि उसे नौर्मल होने में समय लगा और करीब एक साल के इलाज के बाद वह आईवीएफ द्वारा ही मां बन पाई.
आज की भागदौड़भरी जिंदगी में पूरे दिन का बड़ा भाग इंसान अपने मोबाइल फोन से चिपके हुए बिताता है. खासकर, आज के युवा पूरे दिन डिजिटल वर्ल्ड में व्यस्त रहते हैं. ऐसे में उन की शारीरिक अवस्था धीरेधीरे बिगड़ती जाती है, जिस में फर्टिलिटी की समस्या सब से अधिक दिखाई पड़ रही है.
वर्ल्ड औफ वूमन की फर्टिलिटी ऐक्सपर्ट डा. बंदिता सिन्हा का कहना है, ‘‘डिजिटल वर्ल्ड के आने से इस की लत सब से अधिक युवाओं को लगी है. वे दिनभर मोबाइल पर व्यस्त रहती हैं. 19 से 25 तक की युवतियां कुछ सुनना भी नहीं चाहतीं, मना करने पर वे विद्रोही हो जाती हैं. इस वजह से आज 5 में से एक लड़की को कोई न कोई स्त्रीरोग जनित समस्या है.’’
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वे आगे बताती हैं, ‘‘25 साल की लड़की मेरे पास आई जो बहुत परेशान थी, क्योंकि उस का मासिकधर्म रुक चुका था. उसे नींद नहीं आती थी. वह पौलिसिस्टिक ओवेरियन डिजीज की शिकार थी. जिस में उस का वजन बढ़ने के साथसाथ, डिप्रैशन, मूड स्विंग और हार्मोनल समस्या थी. इसे ठीक करने में 2 साल का समय लगा. आज वह एक अच्छी जिंदगी जी रही है. लेकिन यही बीमारी अगर अधिक दिनों तक चलती, तो उसे फर्टिलिटी की समस्या हो सकती थी.’’
यह समस्या केवल महिलाओं में ही नहीं, पुरुषों में भी काफी है. इस बारे में मनिपाल फर्टिलिटी के चेयरमैन और यूरो एंड्रोलौजिस्ट डा. वासन एस एस बताते हैं, ‘‘वैज्ञानिकों ने सालों से इलैक्ट्रोमैग्नेटिक रैडिएशन (ईएमआर) का मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में शोध किया है. यह हमारे आसपास के वातावरण और घरेलू उपकरणों ओवन, टीवी, लैपटौप, मैडिकल ऐक्सरे आदि सभी से कुछ न कुछ मात्रा में आता रहता है. लेकिन इन में सब से खतरनाक है हमारा मोबाइल फोन, जिसे इंसान ने आजकल अपने जीवन का खास अंग बना लिया है.
अध्ययन कहता है कि इलैक्ट्रोमैग्नेटिक के अधिक समय तक शरीर में प्रवेश करने से कैंसर, सिरदर्द और फर्टिलिटी की समस्या सब से अधिक होती है.’’
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गंभीर बीमारी की आहट
डा. वासन आगे बताते हैं, ‘‘ऐसा देखा गया है कि जिन पुरुषों ने अपने से आधे मीटर की दूरी पर सैलफोन रखा, उन के भी स्पर्मकाउंट पहले से कम हुए. इतना ही नहीं, 47 प्रतिशत लोग जिन्होंने मोबाइल फोन को अपनी पैंट की जेब में पूरे दिन रखा, उन का स्पर्मकाउंट अस्वाभाविक रूप से 11 प्रतिशत आम पुरुषों से कम था और यही कमी उन्हें धीरेधीरे इन्फर्टिलिटी की ओर ले जाती है.’’
रिसर्च यह भी बताती है कि पूरे विश्व में 14 प्रतिशत मध्यम व उच्च आयवर्ग के कपल, जिन्होंने मोबाइल फोन का लगातार प्रयोग किया है, को गर्भधारण करने में मुश्किल आई. सैलफोन पुरुष और महिला दोनों के लिए समानरूप से घातक है.
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इस के आगे डा. वासन कहते हैं, ‘‘मोबाइल के इस्तेमाल से फर्टिलिटी के कम होने की वजह को ले कर भी कई मत हैं. कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि मोबाइल से निकले इलैक्ट्रोमैग्नेटिक रैडिएशन स्पर्म के चक्र को पूरा करने में बाधित करता है या यह डीएनए को कम कर देता है, जबकि दूसरे मानते हैं कि मोबाइल से निकले रैडिएशन द्वारा उपजी हीट से स्पर्मकाउंट कम होता जाता है. 30 से 40 प्रतिशत फर्टिलिटी के मामलों में अधिकतर पुरुषों में ही पुअर क्वालिटी का स्पर्म देखा गया, जो चिंता का विषय है.’’