शीना ट्रिप के लिए निकल गई. बस में शीना मीताली के साथ ही बैठी थी. ट्रिप उदयपुर जा रही थी और सफर लंबा था. बस दिल्ली से निकली तो सभी गाने गाते हुए यहां से वहां बस में घूम रहे थे, इसी बीच अक्षत शीना के बगल में आ कर बैठ गया. शीना और अक्षत कभी ज्यादा बात कर ही नहीं पाए थे तो अब भी उन के पास कुछ खास था नहीं कहने के लिए. अक्षत ने शीना से पूछा कि क्या यह उस की पहली ट्रिप है जिस पर शीना ने बताया कि वह शूट्स के लिए बाहर जाती है मम्मी के साथ, लेकिन दोस्तों के साथ यह पहली बार है. दोनों में इसी तरह की बातें होने लगीं.
“तुम ने फ्रैंड्स शो देखा क्या ?” शीना ने अक्षत से पूछा.
“नहीं, मैं शोज कम देखता हूं.”
“अरे, थोड़ा बहुत तो देख सकते हो, कितनी अच्छी चीजें हैं दुनिया में.”
“और पढ़ाई कौन करेगा?” अक्षत ने पूछा.
“वो साथसाथ हो जाएगी न,” शीना ने बच्चों जैसी आवाज में कहा.
अक्षत शीना को देख हंसने लगा.
“इस में हंस क्या रहे हो, मजाक उड़ा रहे हो मेरा?” शीना ने मुंह बनाते हुए कहा.
“नहीं, सोच रहा हूं कि तुम्हें इंग्लिश औनर्स की जगह थिएटर औनर्स जैसा कुछ करना चाहिए था, और उस में भी बस बच्चों का रोल.”
“कुछ भी. बड़ी हूं में ठीक है न,” शीना बोली.
“बड़ी हूं मैं ठीक है न,” अक्षत ने दोहराया.
“मेरी नकल मत करो.”
“मेरी नकल मत करो,” अक्षत ने फिर शीना की मिमिक्री की.
“तुम न पिटोगे अब,” शीना ने बनावटी गुस्से से कहा.
“तुम न पिटोगे अब,” अक्षत के कहते ही शीना ने उसे हलके से धक्का दिया तो अक्षत हंसने लगा, उसे देख शीना मुट्ठी बना गालों पर हाथ रख कर बैठ गई.
“अच्छा सौरी,” अक्षत ने शीना के हाथों को हिलाते हुए कहा.
पूरे रास्ते शीना और अक्षत बातें करते हुए ही गए थे. उदयपुर पहुंचने पर अक्षत और शीना साथसाथ ही घूम रहे थे. शीना को बातें करते हुए इतना कम्फर्टेबल कभी किसी और के साथ नहीं लगा था. अगले दिन साइट सीन करने जाने पर शीना अपनी तस्वीरें खिंचाने में व्यस्त थी लेकिन अक्षत सब से काफी दूर जा कर एक चबूतरे पर बैठा हुआ था. शीना ने उसे देखा तो उस की तरफ जाने लगी.
“ओ शीना मैडम, अभी आप का फोटोशूट शुरु भी नहीं हुआ है, कहां जा रही हो?”
“अरे, मैं अक्षत को भी बुला लाती हूं.”
“उसे फोटो न खींचना पसंद है न ही खिंचवाना, वो नहीं आएगा.”
“आई मैं अभी,” कहते हुए शीना अक्षत की तरफ बढ़ गई.
अक्षत ने शीना को आते हुए देखा तो हाथ से इशारा करते हुए पास बैठने के लिए कहा और शीना के बैठने की जगह से मिट्टी हटाने लगा.
“कहां खोये हुए हो, चलो न पिक्चर्स क्लिक करते हैं,” शीना ने चहकते हुए कहा.
“मेरा मन नहीं है. तुम जाओ.”
“तुम नहीं जा रहे तो मैं भी नहीं जा रही,” शीना ने कहा और मुस्कराने लगी. उसे देख अक्षत के चेहरे पर भी हलकी मुस्कराहट आ गई.
शीना अक्षत के चेहरे को देखने लगी तो अक्षत ने ‘क्या हुआ’ के भाव में आंखें ऊंचीनीची कीं.
“तुम्हें न मोडलिंग करनी चाहिए, हैंडसम हो तुम.”
“नहीं, मैं प्रोफेसर बनने में ही खुश हूं,” अक्षत ने कहा.
“प्रोफेसर बन कर क्या करोगे?”
“बच्चों को पढ़ाऊंगा और समझाऊंगा कि खूबसूरती ही सब नहीं होती.”
“तुम मुझे ताना दे रहे हो?” शीना ने गंभीरता से पूछा.
“नहीं, पर मुझे कभीकभी लगता है तुम अपने चेहरे में, अपनी बौडी में इतनी खोयी हुई हो कि तुम्हें और कुछ नहीं दिखता. तुम किसी के साथ समय नहीं बिताती, बातें नहीं करती, इंग्लिश ओनर्स में होते हुए किताबी लड़की नहीं हो तुम, ऊपर से नीचे तक ब्रांड्स में लदालद हो, किसी के प्यार में नहीं पड़तीं, बचपन से ही काम कर रही हो और बस यही तुम्हारे दिमाग में है.”
“तुम मुझे जानते ही कितना हो?” शीना के चेहरे पर भावुकता थी.
“जानना चाहता हूं,” अक्षत ने शीना की आंखों में देखते हुए कहा.
“जानने के लिए कुछ है ही नहीं.”
“मुझे लगता है बहुत कुछ है.”
“मुझे बचपन से सिखाया गया है कि आंखें हमेशा जीत पर टिकी होनी चाहिए, सुंदर दिखने के लिए प्रोडक्ट्स लगाओ, मेकअप करो, कम खाओ और एकसरसाइज ज्यादा करो, सीधे चलो, कैटवौक करो, सभी को देख कर मुस्कराओ, कैमरा देखो और पोज करो. किसी दोस्त से ही ज्यादा घुलनेमिलने नहीं दिया गया तो बौयफ्रेंड तो दूर की बात है. और तुम्हें भी लगता है मैं खोखली हूं, है न?” शीना ने अक्षत से पूछा.
“नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता. वैसे, तुम अपनी मम्मी से इतना डरती क्यों हो?”
“पता नहीं. वे हमेशा से मेरे लिए दौड़भाग करती रही हैं, उन्हें खुश करना ही चाहा है मैं ने हमेशा बस. डरती हूं क्योंकि मेरा उन के बिना है ही कौन. पापा के पैसे देते रहने को प्यार और समय कह सकते हैं तो वह भी था मेरे पास. पर पैसो को प्यार और समय मान लेने से वह प्यार और समय बन नहीं जाता न. तो मम्मी से झगड़ कर क्या ही करूंगी.”
“अपने पैरों पर खड़ी हो सकती हो, आखिर जिंदगी तुम्हारी है अपनी खुशी के लिए नहीं जियोगे तो किस के लिए जियोगी. तुम्हारे अंदर जो मासूमियत है वह इस इंडस्ट्री में खत्म हो जाएगी और तुम अपने मन की नहीं सुनोगी तो डिप्रेशन और तनाव से हट कर कुछ हाथ नहीं लगेगा. अभी खोखली नहीं हो पर क्या पता हो जाओ,” अक्षत की बात सुन शीना सोच में पड़ गई थी.
शाम ढलने लगी और सभी को अब होटल की तरफ लौटना था. शीना और अक्षत भी चलने के लिए उठे. अक्षत ने शीना को हाथ पकड़ कर रोका और पौकेट से फोन निकाल लिया. “साथ में एक पिक्चर तो ले ही सकते हैं,” अक्षत ने कहा तो शीना चहक उठी.
होटल के रूम में बैठ शीना अक्षत और अपनी फोटो को देखदेख कर ही खुश हो रही थी. मीताली भी रूम में थी.
“तू अक्षत को पसंद करती है, है न?” मीताली के पूछने पर शीना ने आंखें बड़ी करते हुए कहा, “नहीं तो.”
“झूठ मत बोल, मुझे सब पता है. मुझे लगता है अक्षत को भी तू पसंद है.”
“सच?” शीना ने अपनी खुशी छिपाते हुए कहा.
“हां, आज सुबह ब्रेकफास्ट टेबल पर वो तुझे ही देखे जा रहा था बारबार, तू ने नोटिस नहीं किया.”
मीताली की बातें सुन शीना बेहद खुश हो गई थी. रात में डिनर के बाद सभी नीचे स्विमिंग पूल के पास बैठे थे. अक्षत भी वहीं था. शीना उस के पास जा कर बैठी तो सभी लड़के शीना को देखने लगे. सब उस के कायल पहले से थे. अक्षत ने शीना से कहा कि उस ने आने में देर कर दी क्योंकि वह वापस जा रहा है.
“क्या करोगे जा कर?” शीना पूछने लगी.
“यहां बैठने का मन नहीं है मेरा,” अक्षत ने बताया.
“मुझे तुम से कुछ बात करनी थी.”
“बोलो.”
“यहां नहीं, अंदर चलें?”
“ओके,” अक्षत ने कहा और वे दोनों शीना के रूम की तरफ बढ़ गए.
शीना, मीताली और नैना का एक ही रूम था, लेकिन इस वक्त न रूम में मीताली थी और न नैना. अक्षत और नैना रूम में बैठे तो शीना अपनी बात कहने के लिए हिम्मत जुटाने लगी और उस की झिझक अक्षत को भी दिख रही थी.
“अगर तुम मुझे प्रपोज करने वाली हो तो मेरा जवाब हां है,” अक्षत ने मजाक करते हुए कहा.
“तुम्हें कैसे पता,” शीना का मुंह खुला का खुला रह गया.
“तुम मुझे प्रपोज करने वाली हो?”
अक्षत अब हैरानी से कहने लगा.
“तुम्हें किस ने बताया?”
“तुम ने.”
“कब?”
“अभी.”
“हें? ओहह शिट,” शीना को अपनी बेवकूफी का एहसास हुआ तो उस ने अपने माथे पर हथेली दे मारी.
“आई लाइक यू,” आखिर अक्षत ने पहल करते हुए कहा.
“सच?”
“हां.”
“आई लाइक यू टू,” शीना का चेहरा लाल हो गया.
आगे पढ़ें- अक्षत ने शीना का हाथ पकड़ा और उसे किस…