रिश्ते को बिगाड़ने का काम करते हैं ये झूठ, ‘हैसियत के मामले में बढ़ाचढ़ा कर न बोलें’

मेहनती युवती सावी के साथ अजीब सी बात हुई. उस ने नए दफ्तर के अपने सहकर्मी सौनिक को अपने बारे में बस यही बताया था कि उस का किसी भी पुरुष से कोई संबंध नहीं रहा. न कोई मित्रता न कुछ और. मगर दफ्तर की ही एक पार्टी मे सब खुलासा हो गया. सावी का ऐक्स बौयफ्रैंड वहां किसी के संग आया और जरा सी पी कर बहक गया. बहुत कुछ कह गया.

यह सच सुन कर सौनिक को इतना सदमा लगा कि वह 2 दिन दफ्तर नहीं आया. सावी का झूठ उस से सहन न हुआ. सौनिक ने बाद में उस से कहा कि सावी हम सब इंसान हैं. महिला का अगर एक पुरुष मित्र है तो यह होना स्वाभाविक है. मगर ?ाठ बोलना नहीं. एक ?ाठ वह भी इतनी सफाई से. मैं तुम्हें अपनी अचछी दोस्त मानने लगा था. आगे की भी योजना थी. मन की बात कहनी थी. मगर अब नहीं. सावी खुद भी सौनिक को अपना हमसफर बनाना चाहती थी मगर ?ाठ ने सब बिगाड़ दिया.

तकि भविष्य में दिक्कत न हो

सावी की ही तरह अगर आप का किसी और के साथ अफेयर है तो अपने नए पार्टनर को इस के बारे में अवश्य बता दें और अगर आप शादी के बंधन में बंधने वाले हैं तो शादी से पहले जरूर बता दें वरना भविष्य में कोई बड़ी दिक्कत हो सकती है. आजकल सोशल मीडिया सब उगल देता है.

रिश्ते हमेशा विश्वास पर टिके होते हैं और अगर हम उस में झूठ बोलने लगते हैं तो रिश्तों में खटास आना शुरू हो जाती है, इसलिए कहा जाता है कि कभी भी रिश्ते में झूठ नहीं बोलना चाहिए. वैसे तो किसी भी रिश्ते को बनाने के लिए ?ाठ बोलना ठीक नहीं है लेकिन कई ऐसे झूठ होते हैं जोकि बिलकुल नहीं बोलने चाहिए. इस से एक बार तो रिश्ते बन जाते हैं, लेकिन बाद में बड़ी मुश्किल हो जाती है.

इसी तरह कभी भी पैसों को ले कर कोई ?ाठ न बोलें. वित्तीय हैसियत से संबंधित झूठ दिखाना भी गलत है. कई लोग पैसों को ले कर कहते हैं कि मैं बहुत अमीर हूं और मेरे पास इतना पैसा है कि मेरी 7 पीढि़यां बैठ कर खा सकती हैं. मोनिका ने अपने मंगेतर को अपनी तनख्वाह बढ़चढ़ कर बताई. मगर जब खुलासा हुआ कि मोनिका की क्व50 हजार नहीं क्व30 हजार ही कमाई है तो दोनों के बीच कड़वाहट बढ़ती गई.

हैसियत के मामले में झूठ न बोलें

युवकों को भी यह याद रखना चाहिए कि पैसों के जरीए लड़कियों को आकर्षित करना बेकार है और इस पैतरे से केवल लालची लड़कियां आप के करीब आएंगी. अगर आप सच में किसी से रिश्ता जोड़ना चाहते हैं तो हैसियत के मामले में ?ाठ न बोलें.

परिवार को ले कर ?ाठ. कई बार हम किसी से रिश्ते बनाने के लिए कुछ ज्यादा ही झूठ बोल देते हैं. परिवार से जुड़े सच के बारे में कुछ दिनों बाद तो पता चल ही जाता है, इसलिए कभी भी ऐसा न करें. जब किसी को बाद में पता चलता है तो पार्टनर के लिए विश्वास कम हो जाता है, जोकि बहुत गलत है.

बीमारी से जुड़ा ?ाठ भी बहुत बुरा है. अनुजा को विवाह से कुछ समय पहले टीबी हुई थी. मगर उस ने ससुराल में नहीं बताया. जब उस के पति को टीबी हुई तब उस का बीमारी से जुड़ा झूठ सामने आया.

यह बताना भी जरूरी

बीमारियां कभीकभी जिंदगीभर तक जुड़ी रहती हैं. अत: यदि आप किसी ऐसी बीमारी से पीडि़त हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है तो अपने पार्टनर को इस के बारे में बताना बेहद जरूरी है.

कभीकभी ?ाठ बोलना ठीक होता है. मान लीजिए किसी का भला हो रहा है तो फिर भी वह ?ाठ सहन किया जा सकता है लेकिन अगर आप हर बात पर झूठ बोलेंगे तो पार्टनर के मन पर गलत असर पड़ेगा.

धीरेधीरे शायद वह आप की किसी बात पर विश्वास न करे और हर बात की पहले पड़ताल करे. इसलिए कभी ऐसा न करें. जिस रिश्ते की बुनियाद झूठ पर रखी गई हो वह रिश्ता ज्यादा देर तक नहीं चलता है.

पार्टनर से फ्लर्ट करने के हैं बड़े फायदे, ‘रिश्ते में बना रहता है नयापन’

हुज़ूर इस कदर भी न इतरा के चलिये ….और सारे शहर में आपसा कोई नहीं….. कहने को तो हिंदी फिल्मों के लोकप्रिय गीत हैं पर ये फ्लर्टिंग का एक अच्छा उदाहरण हैं. इस दुनिया का हर व्यक्ति चाहता है कि लोग उसे नोटिस करें उस से आकर्षित हों और इसके लिए वो तमाम तरीके अपनाता है. दुनिया भर की सभी सभ्यताओं और संस्कृतियों में स्त्री पुरुष एक दूसरे को रिझाने का प्रयास करते आए हैं इसे सामान्य भाषा में हम फ्लर्टिंग कहते हैं.

 

लड़के लड़कियों का आपस मे फ्लर्ट करना एक आम बात है सबसे अच्छी बात ये है कि ये एक स्वस्थ्य तरीका है जिस से हम किसी मे अपने प्रति रुचि जगा सकते हैं. ये सेक्सुअल हैरासमेंट से एकदम अलग है. इसके लिए आपमे सेंस ऑफ ह्यूमर और बातचीत करने की कलात्मकता होनी चाहिए. कई लोग फ्लर्टिंग को खराब मानते हैं पर सच तो ये है कि इस से व्यक्ति का न सिर्फ़ मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहता है बल्कि अवसाद से बाहर आने में ही इस से मदद मिल सकती है. फ्लर्टिंग भी एक कला है और ये कहीं भी काम आ सकती है चाहे आपको कोई साथी ढूँढना हो या अपने साथी के साथ अपने रिश्ते में गर्माहट बनाये रखनी हो.

फ्लर्टिंग पर शोध

वाशिंगटन यूनिवर्सिटी में एक शोध में अध्ययन के दौरान ये देखा गया कि ऑफिस में काम करने वाले लोगों में फ्लर्टिंग से क्या असर होता है? क्या इस से काम करने वाले लोग तनाव मुक्त हो सकते हैं. इस शोध में सैकड़ों लोगों को शामिल किया गया मजे की बात ये थी कि शोध  स्वस्थ्य फ्लर्टिंग पर किया गया था न कि ऐसी फ्लर्टिंग पर जो सेक्सुअल हो क्योंकि वो फ्लर्टिंग जो सेक्सुअल हो वो लोगों में तनाव का कारण बनती है जबकि स्वस्थ्य फ्लर्टिंग लोगों को तनावमुक्त करती है.

अलग हैं फ्लर्टिंग और सेक्सुअल हैरासमेंट

स्वस्थ्य फ्लर्टिंग और सेक्सुअल हैरासमेंट में ज़मीन आसमान का अंतर होता है. एक शोध के दौरान जब लोगों से सेक्सुअल हैरासमेंट के बारे में पूछा गया तो वो तनावग्रस्त हो गए और चुप्पी छा गई पर जब फ्लर्टिंग के बारे में पूछा गया तो सब के चेहरे पर हँसी और मुस्कुराहट आ गई और लोगों ने बढ़ चढ़ कर प्रतिक्रियाएँ दीं.

फ्लर्ट करने वाले होते हैं पोसेटिव

अक्सर फ्लर्ट करने में माहिर लोग बहुत ही हँसमुख और सुलझे स्वभाव के होते हैं. ये लोग अपने बारे में स्पष्ट होते हैं और जहाँ कहीं भी जाते हैं अपने आस पास लोगों की भीड़ जमा करने का माद्दा रखते हैं. हर कोई इनसे बात करना चाहता है कुल मिलाकर ये स्वयं तो सकारात्मक होते ही हैं आस पास के माहौल को भी सकारात्मक बनाये रखते हैं.

रिश्ते में नयापन बनाये रखती है फ्लर्टिंग

ऐसा नहीं है कि सिर्फ दोस्तों या सहकर्मियों में ही फ्लर्टिंग की जाती है. अगर आप अपने साथी से भी फ्लर्टिंग करते रहते हैं तो आपके रिश्ते में खुशहाली बरक़रार राहती है. एक दूसरे की अहमियत जताने का ये एक अच्छा तरीका साबित होता है. इस से रिश्ते में नयापन बना रहता है और एक दूसरे के प्रति प्यार का अहसास भी मिलता रहता है. इस से शरीर में एड्रिनिलिन नामक हार्मोन का स्त्राव होता है जो हमे खुश रखता है. कुल मिलाकर फ्लर्टिंग आपके रिश्ते में गर्माहट बनाये रखने में मददगार होती है.

फ्लर्टिंग करने के कुछ और लाभ

ये आपको तनाव से दूर रखती है और आपका आत्मविश्वास भी बढ़ाती है. आपकी स्वयं के प्रति सोच भी बनाती है. फ्लर्टिंग करने से आप लोगों की आदतों के बारे में बेहतर जान पाते हैं. इस से हम एक दूसरे को ये बता पाते हैं कि हमारे उसके बारे में क्या विचार हैं. इस से आप लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं.

तो सीधी सी बात है फ़्लर्ट करिए और खुश  रहिए.

शादी जरूरी भी है और इस रिश्ते में सुकून भी नहीं मिलता !

शादी में ईमानदारी बुनियादी जरूरत है, लेकिन हम इस नींव के खिसकने के बाद भी शादी को बचाए रखने में यकीन रखते हैं. हमारी अदालतें, हमारा समाज सब शादी को बचाए रखने में यकीन रखते हैं, क्योंकि तमाम मतभेदों के बावजूद सुबह लड़तेझगड़ते पतिपत्नी शाम को फिर एक हो जाते हैं. कई जोड़े तो तलाक की सीमारेखा को छूने के बाद भी इस कदर एक हो जाते हैं कि मालूम ही नहीं पड़ता कि विच्छेद शब्द भी उन्हें कभी छू कर गया था.

महिमा के मातापिता उस के लिए लड़का देख रहे थे, लेकिन वह देखनेदिखाने की पारंपरिक रस्म से नहीं गुजरना चाहती थी. लेकिन वह यह भी सोचती कि विवाह 2 परिवारों, 2 व्यक्तियों का संबंध है. अत: बहुत सोचसमझ कर एक रिश्तेदार के शादी समारोह में मिलना तय हुआ. आगे ये मुलाकातें रेस्तरां और घर पर भी हुईं. दोनों के एकदूसरे को अच्छी तरह जानसमझ लेने के बाद पारंपरिक रिवाज से विवाह की रस्में भी पूरी हो गईं.

जीवनसाथी के चुनाव का आधार अब समान सोच, समान विचारधारा होने लगी है. युवा पीढ़ी अपनी पसंद और सोच के साथसाथ दोनों परिवारों की पसंद और उन के मेलजोल की अहमियत को भी समझने लगी है. भाग कर शादी कर लेने का विचार अब विकट परिस्थितियों में ही लिया जाता है.

जयपुर में मैट्रोमोनियल एजेंसी चलाने वाली श्वेता विश्नोई कहती हैं, ‘‘अपनी पसंद के जीवनसाथी के लिए दृढ़ता से खड़े रहना युवा पीढ़ी ने सीख लिया है. कई मानों में शादी अब अपनेआप को बदल रही है, जहां पतिपत्नी एकदूसरे के सखा, दोस्त, हमराज हैं. ऐसे बदलावों के साथ विवाह संस्था का वजूद सदा बना रहेगा तथा कोई और संबंध कभी इसे विस्थापित नहीं कर सकेगा.’’

राजेश की पत्नी का शादी के 8 साल बाद एक ऐक्सीडैंट में करीब पूरा शरीर लकवाग्रस्त हो गया. उस समय दोनों बच्चे छोटे थे. उन्हें मां की सख्त जरूरत थी. राजेश ने अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इलाज और सेवा से पत्नी की हालत में इतना सुधार कर लिया कि वह बच्चों से बतिया सके, उन की छोटीछोटी बातों का ध्यान रख सके. भले यहां राजेश की शारीरिक जरूरतें गौण हो गईं, लेकिन इस से साबित होता है कि पत्नी और बच्चों के प्रति इस जिम्मेदारी का भाव शादी संस्था में प्रवेश करते ही होने लगता है.

विवाह के जरीए पतिपत्नी की शारीरिक व मनोवैज्ञानिक लक्ष्यों की पूर्ति होती है, जो समाज में व्यवस्था और अनुशासन बनाए रखने के लिए जरूरी है. इस के बिना समाज मुक्त यौन संबंधों के बीहड़ में भटक गया होता. विवाह पतिपत्नी के रूप में स्त्री और पुरुष को यौन, आर्थिक और अन्य अधिकारों की सामाजिक व कानूनी मान्यता देता है. वैवाहिक संबंधों से पैदा संतान वैध और कानूनी मान्यता प्राप्त होती है, जिस से उस के अधिकार और कर्तव्य स्थापित होते हैं.

शादी संस्था का दूसरा पहलू

तलाक के अनेक मामले अदालतों में चल रहे हैं और पुलिस थाने दहेज के सामान से भरे पड़े हैं. यही वजह है कि शादी के साथ ही पतिपत्नी को अपनी प्रौपर्टी स्पष्ट करनी होगी. ये दस्तावेज ही शादी के बाद के विवाद से बचाएंगे. क्या एकनिष्ठ होने की सोच में कोई घुन लगा है या फिर परिवार की अनावश्यक दखलंदाजी रिश्तों को टिकने नहीं दे रही?

रीना और महेश की शादी को 3 साल हो चुके थे. महेश ने अपना बिजनैस जमा लिया, तब रीना ने अपनी जौब छोड़ दी. अचानक महेश को बिजनैस में घाटा हो गया. तब रीना ने फिर नौकरी ढूंढ़ने की कोशिश की, लेकिन उसे जौब नहीं मिली. पैसे की तंगी को ले कर दोनों के बीच तनाव बढ़ने लगा. चिकचिक रोज की बात हो गई. 3 साल साथ रहने के बावजूद वे एकदूसरे के प्रति जिम्मेदारी महसूस नहीं कर पा रहे थे. रीना का सोचना था कि उस का खूब शोषण हुआ है जबकि महेश का सोचना था कि रीना ने उस का भरपूर फायदा उठा कर खूब ऐश की. ऐसे में एक दिन दोनों ने तलाक ले कर अलगअलग रहने का फैसला कर लिया.

दरअसल, कितने बरसों का साथ रहा है, यह समझने से ज्यादा जरूरी यह समझना है कि वह साथ कितना सुंदर और मीठा था. शादी की सालगिरह मनाना, सामाजिक उत्सवों में ग्रुप फोटो में मुसकराते हुए नजर आना, फेसबुक पर अपने प्रेम के इजहार वाला फोटो चिपकाना अलग बात है और एक खुशनुमा, भरोसे और सम्मान से भरपूर एकदूसरे को समझने वाला रिश्ता जीना और बात है.

शादी जैसे भी हुई हो शुरुआती दौर में जोर से लहलहाती है, खिलखिलाती है, चहकती है, 2 जिस्म, विपरीत लिंग का आकर्षण, ढेर सारी आजादी मानों पंख लग जाते हैं. फिर धीरेधीरे कपूर सा उड़ने लगता है यह प्यार. एकदूसरे पर आरोपप्रत्यारोप, शिकायतें, नाराजगी, बेचैनी, जो किया और जो नहीं किया उस का हिसाबकिताब और अंत में सूखी टहनियों वाले पेड़ सा रिश्ता, जिस की टहनियों पर रस्मोंरिवाज, जिम्मेदारियां, चिड़चिड़ाहटें टंगे हुए उसे बदसूरत बनाते नजर आते हैं. प्रेम विवाह के मामले में भी ऐसा ही है.

जो जरा भी जिंदगी में, रिश्तों में डैमोके्रटिक होने पर यकीन करता है, जो सोचता है कि रिश्तों की खुशबू कपूर सी उड़ जाने वाली नहीं, ठहर जाने वाली होनी चाहिए, वह शादी के नाम पर घबराने लगता है. फिर चाहे वह लड़का हो या लड़की. शायद ऐसे ही सवालों, घबराहटों के बीच से लिव इन रिलेशनशिप की राह निकालने की कोशिश की गई होगी. मतलब साफ है, साथ रहने में दिक्कत नहीं, लेकिन शादी करने में दिक्कत है. क्यों है ऐसी शादी जो है भी जरूरी और जिस में सुकून भी नहीं? क्यों शादी होते ही 2 लोग एकदूसरे पर औंधे मुंह गिर पड़ते हैं, पूरी तरह अपने वजूद समेत ढह जाते हैं और दूसरे के वजूद को निगल जाने को आतुर हो उठते हैं?

राजस्थान विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र की प्रोफैसर रजनी कुंतल कहती हैं, ‘‘यह रिश्ता अगर समाज और रीतिरिवाजों की भेंट न चढ़ा होता और 2 व्यक्तित्वों में से एक समर्पण और दूसरा अधिकार की चाह लिए आगे न बढ़े होते और 2 लोगों के रिश्ते में उन के जीने के ढंग में हर वक्त कोई न कोई घुसा न रहा होता, तो शायद विवाह संस्था का रूप कुछ और ही होता. समानता और सम्मान की भावभूमि पर खड़ा रिश्ता ताउम्र महकता रहता. समाज ने विवाह संस्था की नकेल अपने हाथ में ले रखी है. वह 2 लोगों के बेहद निजी पलों की निजी भावनाओं को भी नियंत्रित करता रहता है. वह नकेल विवाह संस्था को तो बचा लेती है, लेकिन इस में पनपे प्रेम को खा जाती है.’’

निबाहने से निभती भी है शादी

उल्लेखनीय है कि शादी के बाद स्त्री और पुरुष दोनों का जीवन बदलता है, बावजूद इस के हमारे समाज में सारी सीखें लड़कियों के लिए ही होती हैं. लड़के को शायद ही कुछ बताया या मानसिक रूप से तैयार किया जाता हो. कुछ दशक पहले भले ही इस से कोई दिक्कत नहीं रही हो, क्योंकि तब लड़की को ही वधू के रूप में नए घर, परिवार और रिश्तों के अनुसार अनिवार्य रूप से ढलना पड़ता था और संयुक्त परिवार में लड़के का जीवन कमोवेश पूर्ववत ही रहता था, लेकिन अब जमाना बदल गया है. परिवार का स्वरूप और रिश्तों के समीकरण भी बदले हैं. परवरिश, महिलाओं की मानसिकता और उन के दर्जे में भी बदलाव आया है. इन सब के चलते यह अनिवार्य हो चला है कि पुरुष भी कुछ बातों को समझे और इस नई रोशनी में निबाहना सीखे. तभी विवाह संस्था की कामयाबी मुमकिन है.

प्रोफैसर रजनी कुंतल कहती हैं, ‘‘पति और पत्नी का रिश्ता प्राथमिक होता है. बाकी रिश्ते इस के जरीए ही बनते हैं. स्वाभाविक है कि पत्नी अपने जीवनसाथी से ही सहयोग और समर्थन की सब से ज्यादा उम्मीद कर सकती है. इसलिए पति के लिए जरूरी है कि उसे सुने, उस की भावनाओं को समझे.

‘‘बेटे की शादी के बाद परिवार का ढांचा बदलता है. व्यवस्था नए सिरे से बनती है. इस में थोड़ी खींचतान भी संभव है खासकर महिला सदस्यों के बीच. पुरुष को ऐसे मामलों में, जो अकसर शिकायत या उलाहने के रूप में आते हैं, उन्हें पहचानना और निष्पक्ष रहना सीखना चाहिए. यदि पुरुष समझाने की कोशिश करेंगे या एक की बात दूसरे तक पहुंचाएंगे तो मामला सुलझने के बजाय उलझ सकता है. ऐसे मुद्दों को अकसर महिलाएं ही आपस में समझ और सुलक्षा लेती हैं, आप वक्त का थोड़ा इंतजार करें.’’

मेरा बौयफ्रैंड दूसरी लड़की के साथ घूम रहा था, कहीं वह मुझे धोखा तो नहीं दे रहा?

अगर आप भी अपनी समस्या भेजना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें..

सवाल

मैं 3 सालों से रिलेशनशिप में हूं, मेरा बौयफ्रैंड जौब करता है, इसलिए वह शहर से बाहर रहता है. मैं पीजी में रहती हूं और वह पहले मुझसे हर हफ्ते मिलने आया करता था लेकिन इधर कुछ दिनों से वह अब मिलने भी नहीं आ रहा है. फोन पर भी हमारी बातें कम होने लगी हैं. मैंने इस बदलाव का कारण भी जानने की कोशिश की, लेकिन उसने यह कह कर मना कर दिया कि उसे औफिस के काम का ज्यादा प्रैशर है.

मैंने उसे बिना बताए दो दिनों की छुट्टी लेकर उससे मिलने उसके शहर गई, वहां उसके औफिस जा ही रही थी कि वह उधर एक लड़की के साथ घूमते दिखाई दिया. मैं वापस अपने शहर चली आई, अब मैं भी उससे कम ही बात करती हूं. लेकिन अंदर से टूटती जा रही हूं. मुझे कभीकभी ये लगता है कि वह कि कहीं वह दूसरे लड़की के साथ रिलेशनशिप में तो नहीं है या फिर वह मुझे धोखा दे रहा है, समझ नहीं आ रहा क्या करूं ? कृपया इस समस्या का कोई समाधान बताएं.

जवाब

कपल्स के बीच दूरियों का कारण है, एकदूसरे को अनदेखा करना.. ये रिश्ते कमजोर होने का सबसे बड़ा कारण है. देखिए आपके बौयफ्रैंड में ये बदलाव अचानक से आए हैं. जैसा कि आपने बताया कि आप अपने बौयफ्रैंड के औफिस तक गई थी, वहां आपने उन्हें एक लड़की के साथ देखा और फिर वापस आ गए. ये आपने गलती की. जब आप वहां गई थी, तो आपको अपने बौयफ्रैंड से मिलना चाहिए.

जरूरी नहीं है कि अगर कोई लड़कालड़की साथ में घूम रहे हैं, तो वो दोनों रिलेशनशिप में ही हों. आपका 3 साल का रिलेशनशिप है, तो आपको अपने बौयफ्रैंड के मूड के बारे में पता होगा, उसे क्या पसंद और क्या नहीं ? अगर आप अपने रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहते हैं , तो आप दोनों मिलकर बात करें, रोमांटिक डेट पर जाएं, अगर ये भी करने से बात नहीं बनती है, तो बेहतर है कि आप ब्रेकअप कर लें. किसी रिश्ते में बने रहने के लिए दोनों को प्रयास करना चाहिए. किसी रिश्ते में घुटघुट कर जीने से बेहतर है, उस रिश्ते को तोड़ देना…

जब बौयफ्रैंड अनदेखा करने लगे

  • अगर आपको लग रहा है कि आपका पार्टनर इग्नोर कर रहा है, तो उसे अपने प्यार का इजहार करें, सरप्राइज गिफ्ट्स दें या डेट पर जाएं.
  • रिश्ते में कम्यूनिकेशन गैप न आने दें.
  • अगर किसी बाते से साथी परेशान है, तो उससे कारण जानने की कोशिश करें और अपनी भी राय दें.
  • ये छोटेछोटे कन्सर्न रिश्ते को मजबूत बनाते हैं.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर पर 9650966493 भेजें.

Friendship Day Special: जानें कौन अच्छे और कौन हैं सच्चे दोस्त

सही कहा है अच्छा दोस्त वह नहीं होता जो मुसीबत के समय उपदेश देने लगे वरन अच्छा दोस्त वह होता है, जो अपने दोस्त के दर्द को खुद महसूस करे और बड़े हलके तरीके से दोस्त के गम को कम करने का प्रयास करे. यह एहसास दिलाए जैसे यह गम तो कुछ है ही नहीं. लोग तो इस से ज्यादा गम हंसतेहंसते सह लेते हैं.

वैसे भी सही रास्ता दिखाने के लिए किताबें हैं, उपदेश देने के लिए घर के बड़े लोग हैं और उलाहने दे कर दर्द बढ़ाने के लिए नातेरिश्तेदार हैं. ये सब आप को आप की गलतियां बताएंगे, उपदेश देंगे पर जो दोस्त होता है वह गलतियां नहीं बताता, बल्कि जो गलती हुई है उसे कुछ समय को भुला कर दिमाग शांत करने का रास्ता बताता है. आप के सारे तनाव को बड़ी सहजता से दूर करता है.

तभी तो कहा जाता है कि पुराना दोस्त वह नहीं होता जिस से आप तमीज से बात करते हैं वरन पुराना दोस्त तो वह होता है, जिस के साथ आप बदतमीज हो सकें. दोस्ती का यही उसूल होता है कि अपने दोस्त के गमों को आधा कर दे और खुशियों को दोगुना. केवल पुराने दोस्त ही ऐसे होते हैं, जो हमें और हमारे एहसासों को गहराई से सम झने और महसूस करने में सक्षम होते हैं.

सच है कि दोस्ती का रिश्ता बहुत ही प्यारा और खूबसूरत होता है. सच्चे दोस्त आप को भीड़ में अकेला नहीं छोड़ते, बल्कि आप की दुनिया बन जाते हैं. वे हमेशा आप के साथ होते हैं भले ही परिस्थितियां आप को दूर कर दें. वे आप से जुड़े रहने का कोई न कोई तरीका खोज निकालते हैं. वे आप का हौसला बनते हैं. एक समय आ सकता है जब आप के घर वाले आप को छोड़ दें, एक समय वह भी आ सकता है जब आप का बौयफ्रैंड/गर्लफ्रैंड या आप का जीवनसाथी भी आप की सोच को गलत ठहराने लगे, आप से दूरी बढ़ा ले? पर आप के सच्चे दोस्त ऐसा कभी नहीं करते. अगर दोस्तों को आप अपने मन की उल झन बताते हैं तो वे उन्हें सम झते हैं क्योंकि वे आप को गहराई से सम झते हैं, वे आप के अंदर  झांक सकते हैं.

किसी ने कितने पते की बात कही है: बैठ के जिन के साथ हम अपना दर्द भूल जाते हैं, ऐसे दोस्त सिर्फ खुश नसीबों को ही मिल पाते हैं…

आज वयस्कों को दोस्तों की और ज्यादा जरूरत है, क्योंकि रिश्तेदार तो कई शहरों में बिखरे रहते हैं. मौके पर वे कभी चाह कर भी काम नहीं आ पाते तो कभी मदद करने की उन की मंशा ही नहीं होती. वे बहाने बनाने में देर नहीं लगाते. मगर सच्चे दोस्त किसी भी तरह आप की मदद करने पहुंच ही जाते हैं. इसीलिए तो कहा जाता है कि दोस्ती का धन अमूल्य होता है. यही नहीं बातचीत करने और दिल का हाल बता कर मन हलका करने के लिए भी एक साथी यानी दोस्त की जरूरत सब को होती है.

क्यों जरूरी हैं दोस्त

दोस्त कुछ नया सीखने का अवसर देते हैं. नई भाषा, नई सोच, नई कला और नई सम झ ले कर आते हैं. हमें कुछ नया करने और सीखने का मौका और हौसला देते हैं. हमारे डर को भगाते हैं और सोच का दायरा बढ़ाते हैं. मान लीजिए आप का दोस्त एक कलाकार या लेखक है तो उस के साथसाथ आप भी अपनी कला निखारने का प्रयास कर सकते हैं. कुछ आप उसे सिखाएंगे तो कुछ उस से सीखेंगे भी. दोस्त आप को कठिनाइयों का सामना करने में मदद करते हैं, सही सलाह देते हैं, आप की भावनाओं को सम झते हैं, अवसाद से बचाते हैं. दोस्तों के साथ आप घरपरिवार के साथसाथ कार्यालय की समस्याओं पर भी चर्चा कर सकते हैं.

दोस्त कहां और कैसे खोजें

आप उन स्थानों पर दोस्तों की तलाश करें जहां आप की रुचियां आप को ले जाती हैं. मसलन, प्रदर्शनी, फिटनैस क्लब, संग्रहालय, क्लब, साहित्यिक मंच या फिर कला से जुड़ी दूसरी संस्थाएं. आप डांस अकादमी या स्विमिंग सेंटर भी जा सकते हैं और वहां अच्छे दोस्त पा सकते हैं. ऐसी जगहों पर आप को अपने जैसी सोच वाले लोग मिलेंगे. आप सोशल नेटवर्किंग साइट्स और ब्लौग्स पर भी अपनी अभिरुचि से जुड़े दोस्तों की तलाश कर सकते हैं.

पड़ोसी हो सकते हैं अच्छे दोस्त

अकसर हम अपनी सोसाइटी या अपार्टमैंट के लोगों को भी नहीं पहचानते. आसपास रहने वाले लोगों के साथ भी हैलोहाय से ज्यादा संबंध नहीं रखेते. कभी गौर करें कि आप अपने पास रहने वाले लोगों के साथ कितनी बार संवाद करते हैं? क्या त्योहारों के मौकों पर उन्हें तोहफे देने, खुशियां बांटने या कुशलमंगल जानने जाते हैं? सच तो यह है कि हम उन्हें इग्नोर करते हैं पर वास्तव में एक पड़ोसी अच्छा दोस्त बन सकता है और आप इस दोस्त से रोजना मिल सकते हैं, साथ घूमने जा सकते हैं, बातें कर सकते हैं, कठिन समय में ये तुरंत आप की मदद को हाजिर हो सकते हैं.

औफिस में ढूंढें दोस्त

औफिस में हम अपनी जिंदगी का सब से लंबा वक्त बिताते हैं. यहां आप को समान सामाजिकमानसिक स्तर के लोगों की कमी नहीं होगी. बहुत से औप्शंस मिलेंगे. कई बार हम औफिस के लोगों से केवल काम से जुड़ी बातें ही करते हैं और औपचारिक रिश्ता ही रखते हैं पर जरा इस से आगे बढ़ कर देखें. कुछ ऐसे दोस्त ढूंढें जिन के साथ काम के सिलसिले में आप की प्रतिस्पर्धा नहीं या फिर जो आप के साथ चलना जानते हैं. ऐसे दोस्त न केवल आप के मनोबल को बढ़ाएंगे, बल्कि दिनभर के काम के बीच आप को थोड़ा रिलैक्स होने का मौका भी देंगे. यदि आप अपने औफिस के दोस्तों के प्रति ईमानदार रहते हैं और उन के सुखदुख में काम आते हैं, तो यकीन मानिए वे भी हमेशा आप का साथ देंगे.

इंटरनैट

इंटरनैट के माध्यम से आप अच्छे दोस्त ढूंढ़ सकते हैं. यह आप पर निर्भर करता है कि आप उन के साथ सालों की घनिष्ठ मित्रता के बंधन में बंधे रहना चाहते हैं या सिर्फ चैट कर मजे करना चाहते हैं खासकर विपरीतलिंगी व्यक्ति के साथ अकसर दोस्ती आकर्षणवश हो जाती है. लोग जिंदगी का मजा लेना चाहते हैं, पर इस सोच से अलग दोस्ती में घनिष्ठता और ईमानदारी रखना आप की जिम्मेदारी है.

अब सवाल उठता है कि औनलाइन दोस्त कैसे ढूंढें़? आज के समय में आप के पास इंटरनैट पर बहुत से औप्शंस हैं. आप स्काइप, फेसबुक, ट्विटर, डेटिंग साइट््स आदि पर दोस्त खोज सकते हैं. इस के लिए सोशल नैटवर्क पर अपने पेज को ठीक से डिजाइन करने की आवश्यकता है. इस के अलावा आप अपने कुछ विचार या मैसेज भी पोस्ट कर सकते हैं. सामाजिक और राष्ट्रीय विषयों पर अपनी बात रख सकते हैं. दूसरों के पोस्ट पर अपने कमैंट्स दे कर समान सोच वाले लोगों से संपर्क बढ़ा सकते हैं.

पुराने दोस्त हैं कीमती

यदि आप बचपन में कुछ ऐसे दोस्त बनाने में कामयाब रहे जो अब भी आप के साथ हैं तो इस से अच्छा आप के लिए और कुछ नहीं हो सकता. यदि आप के अपने पूर्व सहपाठियों के साथ संबंध नहीं हैं तो उन्हें खोजने का प्रयास करें. आज सोशल नैटवर्क का उपयोग कर यह काम बड़ी आसानी से किया जा सकता है. कौन जानता है शायद आप भी आपसी विश्वास और स्नेह पर बने अपने पिछले दोस्ती के रिश्तों को पुनर्जीवित करने में सक्षम हो जाएं.

सब से विश्वसनीय दोस्त बचपन के दोस्त ही होते हैं. इन के साथ आप बिना किसी हिचकिचाहट अपने दुखदर्द, अपनी तकलीफें और सीक्रेट शेयर कर सकते हैं. लंगोटिया यार साधारणतया कभी धोखा नहीं देते, क्योंकि वे आप को सम झते हैं. वे परिस्थितियों को देख कर नहीं, बल्कि आप के दिल की सुन कर सलाह देते हैं.

दोस्त बनाने के लिए क्या है जरूरी

आप को अजनबियों के साथ भी एक आम भाषा में अपनी भावनाएं व्यक्त करना और दूसरों का ध्यान आकर्षित करना आना चाहिए. कुछ लोग जन्म से ही इस कला में निपुण होते हैं. सब से जरूरी है कि दूसरों में रुचि लीजिए. दूसरों के हक के लिए आवाज उठाएं. अपनी भावनाएं शेयर कीजिए तभी सामने वाला आप के आगे खुलेगा और आप को दोस्त बनाने के लिए उत्सुक होगा.

सलीकेदार कपड़े पहनें

अपने कपड़ों के प्रति सतर्क रहें. कपड़े ऐसे हों जो आप के आकर्षण को बढ़ाएं और व्यक्तित्व को उभारें. कपड़ों के साथ ही अपने अंदर से आ रही गंध के प्रति भी सचेत रहें. मुंह से बदबू या कपड़ों से पसीने की गंध न आ रही हो. हलकी खुशबू का इस्तेमाल करें. बालों को सही से संवारें. इंसान दोस्त उसे ही बनाना चाहता है जो साफसुथरा और सलीकेदार हो.

जानबू झ कर शेखी न बघारें

अकसर लोग शेखी बघारने के क्रम में  झूठ का ऐसा जाल बुनते हैं कि फिर खुद ही उस में उल झ कर रह जाते हैं. इसी तरह दूसरों की नजरों में आने के लिए कुछ ऐसा न बोल जाएं जो मूर्खतापूर्ण लगे.

झगड़ा जल्दी सुल झाएं

दोस्त के साथ आप का  झगड़ा हो गया है तो यह जानने की कोशिश में न उल झें कि आप में से कौन सही है और कौन दोषी है, बल्कि सुलह करने वाले पहले व्यक्ति बनें. दोस्ती को खत्म करना बहुत सरल है पर इसे बनाए रखना बहुत कठिन. लंबे और विश्वसनीय रिश्ते के लिए एक मजबूत नींव बनाना कठिन काम है, पर वह नींव आप को ही तैयार करनी है.

याद रखिए 2 लोग जिन के शौक और दृष्टिकोण विपरीत हैं कभी दोस्त नहीं बन सकते. इसलिए समान हित और सोच वालों को अपना दोस्त बनाएं और जीवन के एकाकीपन को दूर करें.

गहरी दोस्ती के राज

अपने दोस्त के लिए हमेशा खड़े रहें. यदि धन से उस की मदद नहीं कर सकते तो कोई बात नहीं, मन से उस का साथ दें. उस को मानसिक सपोर्ट दें. उस की परेशानियों को बांटें और समस्याओं को सुल झाने का प्रयास करें. जब भी उसे आप की सहायता की जरूरत पड़े तो तुरंत आगे आएं. हमेशा कोशिश करें कि सामने वाले ने आप के लिए जितना किया जरूरत पड़ने पर आप उस से बढ़ कर उस के लिए करें. इस से आप को भी संतुष्टि मिलेगी और उस के दिल में भी आप के लिए सम्मान और प्यार बढ़ेगा. तभी तो आप की दोस्ती ज्यादा गहरी और लंबी चल सकेगी.

पैसे के मामलों में थोड़ी तटस्थता रखें

पैसों के मामले में थोड़े तटस्थ रहें. जब भी आप साथ कहीं घूमने जाते हैं, कोई चीज खरीदते हैं या दोस्त आप के लिए कुछ ले कर आता है तो पैसों का हिसाबकिताब बराबर रखने का प्रयास करें. जब भी आप दोनों मिल कर कुछ खर्च कर रहे हों तो किसी एक पर अधिक भार न पड़ने दें. भले ही छोटेमोटे खर्च ही क्यों न हुए हों, कोशिश करें कि खर्च आधाआधा बांट लें. अगर आप 4-5 दोस्त हैं तो सब मिल कर रुपए खर्च करने की कोशिश करें.

जहां तक बात कुछ बड़ी परेशानियों के समय खर्च करने की आती है जैसे घर में बीमारीहारी हो जाए या आप का दोस्त किसी क्रिमिनल केस में फंस जाए और उसे आप की मदद की जरूरत हो जैसे बेल देनी हो या उस के लिए कोई काबिल वकील तलाश करना हो अथवा मैडिकल ट्रीटमैंट के लिए तुरंत पैसों की जरूरत हो तो इस तरह के मामलों में कभी भी रुपए खर्च करने में आनाकानी न करें. यानी जब बात जान पर आ जाए तो बिना कुछ सोचे दिल खोल कर खर्च करें, क्योंकि यह बात आप का दोस्त जिंदगीभर नहीं भूल सकेगा और समय आने पर आप के लिए वह भी जान की बाजी लगा देगा. इसलिए अपने दोस्त होने की जिम्मेदारी को ऐसे समय जरूर निभाएं.

घबराएं नहीं भरोसेमंद बनें

यदि आप दोनों की जीवनस्तर में काफी असमानताएं हैं यानी कोई अमीर है और दूसरा गरीब तो ऐसी स्थिति में भी आप की दोस्ती पर कोई फर्क न पड़े. दोस्ती के लिए सिर्फ एक भरोसा, एक विश्वास और एक अपनापन ही सब से अहम होता है. यदि आप सामने वाले के लिए भरोसेमंद साबित होते हैं, जरूरत के वक्त उस के साथ खड़े रहते हैं, उस के सीक्रेट्स किसी से शेयर नहीं करते और उसे भरपूर मानसिक सपोर्ट देते हैं तो यकीन मानिए आप दोनों की दोस्ती की नींव बहुत मजबूत और गहरी रहने वाली है. आर्थिक स्तर का कोई असर आप की दोस्ती पर नहीं पड़ेगा.

विवाहितों में दोस्ती

दोस्ती का एक खूबसूरत पहलू यह भी हो सकता है कि आप दोनों पतिपत्नी की दोस्ती किसी ऐसे कपल से हो जो बिलकुल आप के जैसे हों. ऐसी दोस्ती का अलग ही आनंद होता है. इस में ध्यान देने की बात यह है कि आप दोनों समान रूप से उस कपल के साथ जुड़े हों यानी आप की जीवनसाथी भी उस कपल के साथ दोस्ती ऐंजौय कर रही हो और किसी तरह की मिसअंडरस्टैंडिंग क्रिएट न हो रही हो. इस तरह 2 कपल्स की दोस्ती 2 परिवारों की दोस्ती जैसी हो जाती है. आप चारों मिल कर एक खूबसूरत परिवार जैसा रिश्ता बना लेते हैं. आप चारों मिलबैठ कर बातें करें. ऐसी दोस्ती महानगरों में बहुत उपयोगी है. इस से अकेलापन तो दूर होगा ही विश्वसनीय रिश्ते भी मिल जाते हैं.

इसी तरह पतिपत्नी आपस में भी एकदूसरे के दोस्त बने रहने चाहिए. जब तक जीवनसाथी को आप दोस्त नहीं मानते तब तक सही अर्थों में आप जीवन के सुखदुख में एकदूसरे का साथ नहीं दे पाएंगे. इसलिए हमेशा एकदूसरे को अपना दोस्त मानें. इस से रिश्ते में गहराई आती है.

रहस्य छिपा कर रखने की आदत डालें

दोस्ती का एक बहुत बड़ा उसूल होता है कि अपने दोस्त के राज कभी न खोलें. उन्हें किसी से शेयर न करें, क्योंकि सामने वाला आप को बहुत विश्वास के साथ अपना मान कर अपने सीक्रेट्स, फीलिंग्स या वीकनैस शेयर करता है. उन बातों को यदि आप किसी से कह देंगे तो फिर दोस्ती टूटने में एक पल का समय नहीं लगेगा. इसलिए सामने वाले को यह भरोसा दिलाएं कि आप किसी भी परिस्थिति में उस के राज किसी से नहीं कहेंगे. ऐसी दोस्ती में ही व्यक्ति दोस्त को अपना सबकुछ बता सकता है और अपना मन हलका कर सकता है.

क्या आपका पार्टनर रहता है चुपचुप सा, तो दिल की बात जानने के लिए अपनाएं ये टिप्स

पति के औफिस से घर आते ही नेहा बहुत ही उत्सुकता से उसे अपने दिनभर की बातें बताने लगती.वहीं उसका पति चुपचाप सब सुनता रहता. धीरेधीरे नेहा की उत्सुकता और जोश भी ठंडा हो गया. वह अपने पति का ये रवैया समझ नहीं पा रही थी. उसे लगने लगा कि उसका पति उसे पसंद नहीं करता. लेकिन जरूरी नहीं है कि ऐसा ही हो. दरअसल, नेहा का ​पति स्वभाव से चुप रहने वाला है. वह बहुत ही कम बोलता है. इसका मतलब ये नहीं है कि वह गुस्सा है या उससे प्यार नहीं करता. आइए जानते हैं क्या है साइलेंट पर्सनैलिटी-

क्या है साइलैंट पर्सनैलिटी

हर किसी की पर्सनैलिटी अलग होती है.कोई खुलकर बात करता है तो कोई चुप रहकर ही अपनी भावनाओं का एहसास करवाता है.लेकिन जब बात पार्टनरशिप यानी शादी की आती है तो चुप रहना कभीकभी अजीब स्थिति पैदा कर सकता है.अगर आपके पति अक्सर चुप रहते हैं तो स्थिति और भी विकट हो जाती है.पति का चुप रहना पत्नी के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है.कई बार पत्नी अपने आपको अलगथलग महसूस करने लगती है. नए माहौल में एडजस्ट करना उसके लिए और भी मुश्किल हो जाता है.अगर आपके पति भी अक्सर चुप रहते हैं या बहुत कम बोलते हैं तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

रिश्ता खराब कर सकती है चुप्पी

दरअसल, चुप रहने का मतलब सिर्फ कम बातें करना ही नहीं है.बल्कि ऐसे लोगों की भावनाओं को समझना भी काफी मुश्किल होता है.पति की चुप्पी को अक्सर पत्नी उदासीनता समझ लेती है.यह उसके लिए बहुत ही दुखी करने वाला एहसास होता है.कभी-कभी ये चुप्पी आपके रिश्ते को भी खराब कर सकती है.

चुप्पी के पीछे मनोवैज्ञानिक कारण

आपने देखा होगा कि चुप रहने का स्वभाव महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में अधिक होता है.इसका बहुत बड़ा कारण है हमारी सामाजिक कंडीशनिंग.भारत में खासतौर पर बच्चे को बचपन से ही अपनी भावनाएं दबाना सिखाया जाता है.आपने भी अक्सर सुना होगा, लड़के रोते नहीं हैं…, लड़के ऐसी बातें नहीं करते…, तुम लड़के हो क्या बात-बात पर इमोशनल होते हो…ये बातें बहुत ही आम हैं.लेकिन ये रूढ़िवादी सोच बच्चों को अपनी भावनाएं दबाना सिखा देती हैं.ऐसे में बच्चे बचपन से ही चुप रहना सीख जाते हैं.उन्हें लगता है कि अगर वे अपनी भावनाएं किसी को बताएंगे तो उसकी बेइज्जती होगी.यही उनके जीने का तरीका बन जाता है.कई शोध भी इस बात को स्वीकारते हैं कि कुछ पुरुष अपने विचारों और भावनाओं को बताने के लिए शब्द ही नहीं खोज पाते हैं और चुप रहने लगते हैं.इसका यह मतलब बिलकुल नहीं है कि वे किसी से प्यार नहीं करते.

ऐसे तोड़ें चुप्पी की दीवार

अगर आपके हसबैंड भी अक्सर चुप रहते हैं और अपनी भावनाएं बता नहीं पाते तो कुछ तरीके आपके काम आ सकते हैं.

1. बनाएं अपना संसार

मान लिया कि आपके पति चुप रहते हैं, लेकिन आप उन्हें बातें करने के लिए प्रोत्साहित करें.सबसे बेहतर है कि आप अपने पार्टनर को ऐसा माहौल दें जहां वो दिल खोलकर अपनी बातें आपसे कर सके.इस जगह पर उन्हें​ झिझक महसूस न हो.एक ऐसी जगह जहां उन्हें ये डर न हो कि कोई उन्हें सुनेगा तो क्या कहेगा.

2 . बिना बोले समझें बातें

सच्चा साथी वो है जो बिना बोले अपने पार्टनर की बात समझ जाए.अगर आपका पार्टनर चुप रहता है तो भी आप उनके चेहरे और हावभाव से उसकी फीलिंग्स समझने का प्रयास करें.उनके हर काम की सराहना करें.जिससे उनमें कौन्फिडेंस आएगा. धीरेधीरे ही सही वो आपसे बातें करने लगेंगा.

3. चमत्कार की उम्मीद न करें

बचपन से जो बातें बच्चों को बताई या सिखाई जाती हैं वो उनमें गहराई तक समाहित हो जाती हैं.दिल के किसी कोने में सालों से जमी इन जड़ों को हिलाने में समय लग सकता है.ऐसे में आप चमत्कार की उम्मीद न करें.धैर्य के साथ आप अपनी कोशिशे जारी रखें.एक न एक दिन आपके प्यार की जीत जरूर होगी.

रिश्ते निभाने के लिए जज्बात जरूरी या पैसा

रिश्ते को निभाने के लिए प्यार जरूरी है या पैसे? कई लोग प्यार में अपनी सारी दौलत लुटा देते हैं तो कुछ लोग अपने प्यार को ही लूट लेते हैं. कई लोग मानते हैं कि जीवन में मजबूत रिश्तों के लिए प्यार जरूरी है जबकि सच यह है कि पैसे की वजह से कई सालों के रिश्ते टूट जाते हैं.

हाल ही में मिशिगन और टैक्सास यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मिल कर रिश्ते निभाने के लिए प्यार या पैसा क्या ज्यादा जरूरी है इस विषय पर रिसर्च की. इस रिसर्च के अनुसार जो लोग पैसे को ज्यादा महत्त्व देते हैं यानी जो लोग अपनी कमाई पर फोकस रखते हैं वे रिश्तों को मजबूत नहीं बना पाते. ऐसे लोगों की अपने साथी से अच्छी बौंडिंग भी नहीं बन पाती. इस वजह से वे अपने पार्टनर से दूर हो जाते हैं.

इस स्टडी के लिए शोधकर्ताओं ने 434 ऐसे लोगों को शामिल किया जो शादीशुदा या रिलेशनशिप में थे और लंबे समय से एकदूसरे के साथ रह रहे थे. इस रिसर्च में इन जोड़ों से इस बारे में बात की गई कि ऐसी कौन सी बातें हैं जिन पर दोनों की नहीं बनती? ऐसा कबकब हुआ जब वे पार्टनर के साथ सहमत नहीं थे? इस स्टडी के लिए इन कपल्स को फाइनैंशियल सक्सैस के बारे में पढ़ने के लिए दिया गया.

शोध में खुलासा

शोध में यह बात सामने आई कि जो लोग पैसे पर ज्यादा ध्यान देते हैं वे अपने पार्टनर को कहीं न कहीं अनदेखा करते हैं यानी उन का फोकस साथी पर नहीं होता. इस वजह से दोनों में दूरी बन जाती है. दरअसल, जो लोग दिनभर पैसापैसा करते हैं वे अपने लाइफ पार्टनर से बात करते समय भी पैसे के हिसाबकिताब या सेविंग्स और इनवैस्टमैंट की ही बात उठाते हैं.

वैसे तो जिंदगी में पैसा भी जरूरी है लेकिन आप कमाते किस के लिए हैं? जब आप की जिंदगी में सुकून ही नहीं है, आप के पैसे की भूख मिटती नहीं है और इस आदत की वजह से आप का पार्टनर आप से चिढ़ने लगता है. आप दोनों में दूरी कब आ जाती है पता भी नहीं चलता. आप को पैसा चाहिए लेकिन आप के पार्टनर को आप का समय चाहिए. एक अच्छी जिंदगी के लिए आखिर कितना पैसा चाहिए होता है?

‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा’ फिल्म में ऋतिक रोशन ऐसा ही एक किरदार निभाता है जिस में वह पैसों के लिए जी रहा है. उस का पार्टनर से रिश्ता टूट जाता है और तब कैटरीना उस की लाइफ में आती है. वह ऋतिक को पैसों के बजाय रिश्तों और सुकून के महत्त्व का एहसास दिलाती है.

क्या जरूरी

पैसा या प्यार इस बारे में मिशिगन के असिस्टैंट प्रोफैसर और साइकोलौजिस्ट देबोराह ई वार्ड का कहना है कि आप का प्यार तब आप से दूर हो सकता है जब आप फाइनैंशियल सक्सैस को ही अपनी प्राथमिकता बना लेते हैं.

साधारण भाषा में कहा जाए तो जब प्यार से ज्यादा पैसे को अहमियत देते हैं तो रिश्ता तो वैसे ही टूट जाता है. कई बार देखने में आता है कि लोग पैसे के पीछे इतने पागल होते हैं कि अपने प्यार को ही छोड़ देते हैं.

कुछ लोग यह मानते हैं कि जो सुकून प्यार में है वह पैसे में कहां. आप पैसे से सबकुछ खरीद सकते हैं लेकिन प्यार नहीं. अगर आप का प्यार साथ है तो आप वह सब पा सकते हैं जो चाहते हैं. जबकि कुछ लोग यह मानते हैं कि जब पेट में भूख की आग लगती है तो इंसान सब से पहले प्यार को ही ठोकर मारता है. अगर जेब में पैसा हो तो आप की गर्लफ्रैंड बन सकती है. पैसे से कोई भी चीज खरीदी जा सकती है. वहीं कुछ लोग आज भी पैसे से ज्यादा प्यार और रिश्तों को तवज्जो देते हैं. दरअसल, कुछ लोग दिमाग से सोचते हैं तो कुछ दिल से.

हकीकत यही है कि प्यार जीवन में नई खुशियां ले कर आता है और जब आप दिल से रिश्ते निभाते हो तो जेब खाली हो या भरी इस का कोई फर्क नहीं पड़ता. प्यार से निभाए गए रिश्ते वर्षों बाद भी उतने ही जीवंत और मजबूत रहते हैं जबकि पैसों से खरीदे गए रिश्ते एक चोट से टूट जाते हैं.

मनोज कुमार और श्रद्धा का मजबूत प्यार

2023 में आई विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म ‘12वीं फेल’ दरअसल गरीबी को मात दे कर आईपीएस अधिकारी बने मनोज कुमार शर्मा और आईआरएस अधिकारी श्रद्धा जोशी के प्यार और सफलता की कहानी है. इस फिल्म के बाद आईपीएस मनोज शर्मा और उन की पत्नी श्रद्धा जोशी की जोड़ी दुनियाभर में मशहूर हो गई. इन की प्रेम कहानी ऐसी ही है जिस में खाली जेब के बावजूद रिश्ते को बड़ी खूबसूरती से निभाया गया.

दरअसल, मनोज कुमार शर्मा और श्रद्धा जोशी के परिवारों की आर्थिक स्थिति में जमीनआसमान का फर्क था. मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के रहने वाले मनोज 12वीं क्लास में फेल हो गए थे लेकिन खुद पर भरोसा था. पढ़ाई के दौरान उन्हें जीवन में चल रहे कई संघर्षों से लड़ना पड़ा था. इन में सब से बड़ा संघर्ष था आर्थिक संकट. उस दौरान उन के सिर पर छत तक नहीं थी, जिस वजह से उन्हें भिखारियों के साथ भी सोना पड़ा था. मनोज शर्मा की स्थिति इतनी खराब थी कि उन्हें चाय की दुकान से ले कर आटा चक्की पर काम करना पड़ा था.

पैसे कमाने के लिए उन्होंने ग्वालियर में टैंपो चलाने से ले कर दिल्ली में लाइब्रेरी के चपरासी तक का काम किया. लाइब्रेरी में काम करते हुए मनोज ने कई मशहूर लेखकों की किताबें पढ़ीं और उन की लिखी बातों पर अमल किया.

इन की जिंदगी ऐसी फिल्म की तरह रही जिस में प्यार की भी अहम भूमिका थी.

दरअसल, मनोज अपनी ही क्लास की लड़की श्रद्धा पर दिल हार बैठे थे. उन के  रास्ते पहली बार दिल्ली के मुखर्जी नगर में एक यूपीएससी कोचिंग सैंटर में मिले. मनोज शर्मा की स्थिति ऐसी थी कि वे मुश्किल से अपना गुजारा कर के दिल्ली में अपनी यूपीएससी की तैयारी के लिए रहते थे, जबकि श्रद्धा अल्मोड़ा के एक मध्यवर्गीय परिवार से आती थी.

मनोज शर्मा जानते थे कि श्रद्धा एक ‘टी लवर’ है. वह पहाड़ी इलाके की रहने वाली है और इसीलिए चाय में उस का दिल बस्ता है. अत: मनोज ने उस के लिए चाय बनानी सीखी और अकसर उस के लिए चाय बना कर उसे इंप्रैस करने की कोशिशें करते.

एक दिन उन्होंने अपने दिल की बात उस के सामने रख दी. उन्होंने उस से इस बात का वादा किया कि अगर वह उन का प्रेम प्रस्ताव स्वीकार कर लेती है और उन का साथ देती है तो वे पूरी दुनिया पलट देंगे. श्रद्धा जोशी ने आईपीएस मनोज शर्मा से न तो उन की हैसियत देख कर प्यार किया था और न ही उन का चेहरा देख कर. उन्हें मनोज शर्मा के गुणों से, उन की ईमानदारी से और उन के जनून से प्यार था. बाद में मनोज ने खूब मेहनत की और अपनी कही हर बात को सच कर दिखाया. यूपीएससी ऐग्जाम क्लीयर करने के बाद मनोज कुमार शर्मा 2005 बैच के महाराष्ट्र कैडर से आईपीएस बने.

मनोज और श्रद्धा की लव स्टोरी में कई बाधाएं थीं लेकिन उन सब के बावजूद इन दोनों ने कभी एकदूसरे का साथ नहीं छोड़ा जिस का परिणाम यह था कि दोनों के परिवार उन के रिश्ते के लिए मान गए और ये दोनों शादी के अटूट बंधन में बंध गए.

इस तरह यह एक छोटी सी प्रेम कहानी है जिस में नायक के पास पैसों का अभाव है फिर भी दिल से किए गए अपने छोटेछोटे प्रयासों के सहारे वह अपना प्यार उम्रभर के लिए पा लेता है.  इसीलिए कहते हैं रिश्ता निभाने के लिए पैसे नहीं सच्ची भावना की जरूरत होती है.

क्या है प्यार

प्यार क्या है? कुछ खूबसूरत पल साथ बिताना, किसी के लिए जबरदस्त आकर्षण महसूस करना, किसी पर पूरा भरोसा करना, उस का साथ देना, किसी भी हालत में उस का हाथ न छोड़ना, किसी को खुद से ज्यादा अहमियत देना, उस के साथ पूरी उम्र गुजारने के सपने देखना, उसे तकलीफ में देख कर दर्द महसूस करना, उसे हर मुसीबत से बचाना और उसे अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाना इन्हीं एहसासों को तो प्यार कहते हैं.

प्यार एक ऐसा एहसास है जिस से हर परिस्थिति में इंसान को सुकून पहुंचता है. प्यार में डूबे इंसान के लिए इस दुनिया में अगर कुछ हसीन और दिलचस्प होता है तो वह है सिर्फ उस का महबूब. इस की कैफियत ही ऐसी है जो हर किसी को दीवाना बना देती है. जब प्यार की ताकत आप के साथ है तो जमाने की परवाह या पैसों की कमी भी कोई खलल नहीं डाल पाती.

फिल्मी दुनिया में भी ऐसे कई सितारे हैं जिन्होंने जाति, धर्म या दौलत से परे हो कर बस रिश्ता निभाया. बौलीवुड के शाहरुख खान भी उन्हीं में से एक हैं. शाहरुख खान और गौरी खान की जोड़ी बौलीवुड इंडस्ट्री में सब से सफल जोडि़यों में एक है. उन्होंने अपने रिश्ते को निभाने के लिए कोई कोरकसर नहीं छोड़ी जबकि उस समय उन के पास इतनी दौलत भी नहीं थी. गौरी को अपनी जिंदगी में लाने के लिए शाहरुख को खूब पापड़ बेलने पड़े. शाहरुख ने गौरी से उस समय शादी की थी जब वे बौलीवुड इंडस्ट्री में नए आए थे और यहां अपने पांव जमाने के लिए संघर्ष कर रहे थे.

गौरी के प्यार में पड़े थे शाहरुख

शाहरुख की फिल्म ‘ओम शांति ओम’ का एक डायलौग है कि अगर किसी चीज को पूरी शिद्दत के साथ चाहो तो पूरी कायनात आप को उस से मिलाने की कोशिश में लग जाती है. यही बात शाहरुख के निजी जीवन में भी लागू होती है. गौरी को अपना बनाने के लिए शाहरुख ने पूरी शिद्दत से कोशिश की थी. जब शाहरुख खान गौरी के प्यार में पड़े थे तो उन की उम्र 18 साल थी और गौरी की उम्र 14 साल थी.

बात 1984 की है जब दिल्ली के पंचशील नगर के एक क्लब में पार्टी चल रही थी, जिस में शाहरुख की नजर गौरी पर पड़ी. उस के बाद वे उन्हें बस देखते ही रह गए, गौरी को देखते ही पहली नजर में शाहरुख को प्यार हो गया. बाद में शाहरुख गौरी का फोन नंबर पाने में सफल हुए और दोनों के बीच बातचीत शुरू हुई.

दोनों एकदूसरे के करीब आने लगे. साथ में समय बिताना उन्हें अच्छा लगने लगा. उन्होंने लौंग ड्राइव पर भी जाना शुरू कर दिया. एक दिन शाहरुख ने गौरी को प्रपोज भी कर दिया. उस समय शाहरुख के पास न तो ज्यादा काम था और न ही पैसा. कहा जाता है कि शाहरुख ने अपनी शादी के वक्त जो शूट पहना था उसे उन्होंने अपनी फिल्म ‘राजू बन गया जैंटलमैन’ के सैट से भाड़े पर लिया था. शाहरुख ने एक इंटरव्यू में बताया था कि शादी के वक्त वे काफी गरीब थे. गौरी भी मिडल क्लास फैमिली से आती थीं. हर किसी की तरह उन्होंने भी गौरी से कई वादे किए और कहा कि शादी के बाद मैं उन्हें पैरिस घुमाने के लिए ले जाऊंगा और ऐफिल टावर दिखाऊंगा. लेकिन उस समय शाहरुख के पास उन्हें घुमाने के लिए इतने पैसे नहीं थे कि वे टिकट खरीद पाते. मगर जज्बात जरूर सच्चे थे. यही सचाई गौरी को पसंद थी.

जब दोनों एकदूसरे के प्यार में पड़े तब गौरी शाहरुख के फिल्मी कैरियर को ले कर थोड़ा असमंजस की स्थिति में थीं. साथ ही उन्हें शाहरुख पर भरोसा भी था कि वे सफलता की ऊंचाइयों पर जरूर पहुंचेंगे. शादी से पहले उन के रिश्ते को कई उतारचढ़ाव का भी सामना करना पड़ा लेकिन इस से उन के प्यार पर कोई असर नहीं पड़ा. दोनों का प्यार आज तक कम नहीं हुआ.

प्यार ऐसा ही होता है. प्यार की भाषा आंखों से पढ़ी जाती है, दिल की बढ़ती धड़कनों से महसूस की जाती है और अपनेपन के स्पर्श से इस की सचाई का विश्वास दिलाया जाता है. जबान या पैसों की जरूरत ही नहीं होती. जज्बात सीधा दिल तक पहुंचते हैं. प्यार का एहसास दिलाने के लिए इंसान का बहुत धनी होना जरूरी नहीं. कम पैसों में भी इस की गरमाहट महसूस हो जाती है.

जरूरी नहीं कि मैक्डोनाल्ड या कैफे कैफिटेरिया में बैठ कर 2-3 सौ की कौफी ही पी जाए. गली के कौर्नर में लगी रेहड़ी से 5-10 रुपए की चाय पीते हुए भी आंखों से वही प्यार बरसता है और भीगे मौसम में अपने प्रिय के साथ गरम चाय की चुसकियों में भी वही आनंद आता है. अगर आप अपने घर में हैं और आप का साथी अपने हाथों से गरम चाय और पकौड़े बना कर लाए तो उस में जो प्यार भरा स्वाद होगा वह बड़े से बड़े रैस्टोरैंट में हजारों खर्च कर के भी नहीं मिल सकता.

प्यार के लिए जज्बात अहम

प्यार के लिए पैसे नहीं जज्बात अहम हैं. आप किसी के लिए क्या फील करते हैं, उस का कितना साथ देते हैं, उसे कैसे प्रोटैक्ट करते हैं, उसे कितना खुश रखते हैं, उस की छोटीबड़ी खुशियों की कितनी परवाह करते हैं, उस के बारे में कितना सोचते हैं. बस प्यार जताने का तरीका मालूम होना चाहिए.

चाय हो या कौफी अगर बिल आप दे रहे हैं, घर हो या होस्टल उन के लिए आप नाश्ता बना कर ला रहे हैं, भीड़ हो या तनहाई आप उन्हें सब से अलग महसूस करा रहे हैं, अमीर हों या गरीब आप अपना सबकुछ उन को देने को तैयार हैं, रात हो या दिन आप हर समय उन के लिए मौजूद हैं और जमाना हां कहे या न कहे आप उन के साथ ही जीने की तमन्ना रखते हैं तो फिर किसी को और क्या चाहिए? प्यार तो बस इन्हीं छोटीछोटी बातों में ?ालकता है.

जरा कल्पना कीजिए किसी छोटे से रिकशे या औटो में आप दोनों एकदूसरे का हाथ थामे बैठे बातें करने में मशगूल अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ रहे हों वह ज्यादा रोमांटिक है या फिर एक बड़ी सी गाड़ी में वह आगे और आप पीछे की सीट पर मोबाइल की स्क्रीन स्क्रौल कर रही हों वह रोमांटिक है? जाहिर है प्यार हो तो कोई भी सस्ता से सस्ता वाहन और कोई भी पथरीला रास्ता खूबसूरत हो जाता है. मगर इस के बिना केवल मन में सूनापन और आपस में बेगानापन ही आता है. भले ही आप के पास कितनी बड़ी गाड़ी क्यों न हो.

कुछ बातें जो किसी भी रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए जरूरी हैं:

भावनात्मक जुड़ाव: भावनात्मक जुड़ाव बनाना एक नई भाषा सीखने जैसा है जिसे आप दिल की भाषा भी कह सकते हैं. एक मजबूत रिश्ते में पार्टनर एकदूसरे के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं. वे खुद को और ज्यादा सुरक्षित मानने लगते हैं जहां प्रत्येक व्यक्ति अपनी भावनाओं को खुल कर व्यक्त कर सकता है और इस बात पर उसे भरोसा होता है कि सामने वाला उसे सम?ोगा और स्वीकार करेगा. यह भावनात्मक जुड़ाव रिश्ते को पोषित करता है.

रिश्ते में विश्वास: 2 इंसान जब आपस में मिलते हैं तो उन के बीच विश्वास ही ऐसी डोर होती है जो उन को आपस में जोड़े रखती है. इसी से रिश्ते में भरोसा कायम होता है और यह एहसास होता है कि हालात कैसे भी हों सामने वाला बदलेगा नहीं. इस का संबंध पैसों से नहीं बल्कि केवल व्यक्ति की फितरत से होता है. ऐसे कितने ही अच्छे से अच्छे पैसे वाले लोग हैं जो रिश्तों में विश्वास कायम नहीं रख सके और उन्हें तलाक की त्रासदी से गुजरना पड़ा. सुपर स्टार ऋतिक को ही लीजिए कहीं न कहीं उन के और सुजैन के रिश्ते में विश्वास की ही कमी थी जो उन्हें अलग होना पड़ा.

आपसी समझ: परिस्थिति कैसी भी हो आप को अपने पार्टनर को सम?ाना पड़ेगा. उस के व्यवहार में कोई बदलाव आया है तो उस की कोई वजह होगी. वह आप से कुछ नहीं कह रहा है मगर कोई बात उस के मन में हो सकती है. उसे कोई परेशानी है तो आप ही अपनी सम?ा से उस का निदान खोज सकते हैं. जो इंसान दिल से रिश्ते निभाते हैं वे पार्टनर के कहने से पहले उस की दिल की बातें सम?ा लेते हैं.

कंप्रोमाइज करने का जज्बा: रिश्ते तभी जिंदगीभर चलते हैं जब पार्टनर एकदूसरे के लिए कंप्रोमाइज करने से हिचकते नहीं. कई मौके ऐसे आते हैं जब आप को सम?ाते करने होते हैं. मसलन, प्रैगनैंसी के समय और उस के बाद पत्नी जौब छोड़ती है या छुट्टी लेती है. उस समय पति भी कंप्रोमाइज करते हुए 2-3 महीने की छुट्टी ले सकते हैं ताकि पत्नी को जौब न छोड़नी पड़े. इसी तरह अगर किसी पार्टनर का रिश्तेदार बीमार है तो दूसरे को इस दरम्यान सम?ाते करने चाहिए. पार्टनर के साथ सही रिश्ता बनाए रखने के लिए उस की पसंदनापसंद के अनुसार खुद को ढालना भी सम?ाता ही है.

हर हालत में मुहब्बत: जिंदगी में कब क्या हो इस का भरोसा नहीं होता. पार्टनर बीमार हो जाए, चोट लगने से चेहरा खराब हो जाए, उसकी नौकरी छूट जाए या कोई और समस्या आ जाए तो ऐसे में पार्टनर के साथ हिम्मत से खड़े रहने और साथ निभाने को प्यार कहते हैं. हालात कुछ भी हों मुहब्बत कम न हो. तभी पार्टनर भी आप के साथ उम्रभर के मजबूत रिश्ते से बंध जाएगा. बुरे दिनों में दिया गया यह साथ अच्छे दिनों में रिश्ते को अधिक सुकून और कौन्फिडैंस देता है.

दूरी से भी प्यार में कमी नहीं: कई दफा जौब के सिलसिले में पार्टनर्स के बीच दूरी आ जाती है. यह भी संभव है कि उन्हें अलगअलग शहरों में रहना पड़े. ऐसे में भी प्यार की कशिश कम न हो इस के लिए लगातार संपर्क में रहना और बेवफाई का विचार भी दिल में नहीं आने देना चाहिए क्योंकि आप दूर हों या पास कोई बात छिपती नहीं है.आजकल वैसे भी फोन और व्हाट्सऐप की दुनिया में कनैक्टेड रहना बहुत आसान है.

एक जनून जरूरी: प्यार जनून का ही दूसरा नाम है. इसलिए रिश्ते निभाने हैं तो अपनी चाहत को जनून में तबदील करें और पार्टनर की खातिर किसी से भी लड़ने को तैयार रहें. हमेशा अपने रिश्ते में जोश को जगाए रखने की जरूरत है. दीर्घकालिक रिश्ते ऐसे ही नहीं बन जाते. इस के लिए जनून, उत्साह और समर्पण की आवश्यकता होती है.

एक ही मंजिल हो: जब 2 लोग जीवन में एक ही चीज चाहते हैं यानी उन के जीने का मकसद और मंजिल समान होती है तो रिश्ते निभाने आसान हो जाते हैं. उन की सोच और चाहतें समान होती हैं.

जब आपका पार्टनर हो बहुत ज्यादा इमोशनल, तो रिश्ते को इस तरह संभालें

मेघा की नईनई शादी हुई थी. एक दिन जब वह औफिस से घर आई, तो देखा उस का पति रजत सोफे पर बैठा फूटफूट कर रो रहा है. मेघा की समझ में नहीं आया कि क्या हुआ. वह परेशान हो गई कि उस का पति ऐसे क्यों रो रहा है. मेघा के कई बार पूछने पर रजत ने बताया, ‘‘मैं ने तुम्हें फोन किया था, लेकिन तुम ने फोन नहीं उठाया. बस बिजी हूं का मैसेज भेज दिया.’’

मेघा हैरान हो गई. उसे समझ नहीं आया कि क्या जवाब दे. जिस समय रजत का फोन आया उस समय वह बौस के साथ मीटिंग में थी. उस समय तो मेघा ने रजत को सौरी कह कर किसी तरह मामला दफादफा कर दिया. लेकिन जब यह रोजरोज की बात बन गई, तो उस के लिए रजत के साथ रहना मुश्किल हो गया.

इस बाबत जब मेघा ने अपनी सास से बात की, तो वे बोलीं, ‘‘रजत बचपन से ही बहुत ज्यादा भावुक है. छोटीछोटी बातों का बुरा मान जाता है.’’

रजत की तरह बहुत सारे ऐसे लोग होते हैं, जो बेहद भावुक होते हैं. उन के साथ जिंदगी बिताना कांटों पर चलने के समान होता है. कब कौन सी बात उन्हें चुभ जाए पता ही नहीं चलता. पतिपत्नी का संबंध बेहद संवेदनशील होता है. संबंधों की प्रगाढ़ता के लिए प्यार के साथसाथ एकदूसरे की भावनाओं को समझने और अपने साथी पर भरोसा बनाए रखने की भी जरूरत होती है. सच तो यह है कि पतिपत्नी का रिश्ता तभी खूबसूरत बनता है, जब आप अपने साथी को पूरी स्पेस देते हैं. मशहूर लेखक खलील जिब्रान का कहना है कि रिश्तों की खूबसूरती तभी बनी रहती है, जब उस में पासपास रहने के बावजूद थोड़ी सी दूरी भी बनी रहे. आज रिश्तों की सहजता के लिए दोनों के बीच स्पेस बेहद जरूरी है.

आमतौर पर तो पतिपत्नी एकदूसरे को पूरा समय देते हैं, लेकिन कभीकभार स्थिति उलट हो जाती है. अगर आप का जीवनसाथी बेहद इमोशनल है, तो उस की यही डिमांड रहती है कि हर समय आप उस के आसपास ही घूमती रहें. आप की प्राइवेसी उस की भावनाओं के आहत होने का सबब बन जाती है. बहुत ज्यादा भावुक पति के साथ जीवन बिताना सच में बेहद मुश्किल होता है. आप समझ नहीं पाती हैं कि आप की कौन सी बात आप के पति को बुरी लग रही है.

इस संबंध में वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डाक्टर तृप्ति सखूजा का कहना है कि बेहद संवेदनशील या यों कहें भावुक व्यक्ति के साथ निर्वाह करने में दिक्कत होती है. अगर दूसरा साथी समझदार न हो, तो कई बार संबंध टूटने के कगार पर भी पहुंच जाते हैं. अगर आप के पति जरूरत से ज्यादा इमोशनल हैं, तो आप को उन के साथ बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है. उन की भावनाओं का खयाल रख कर ही आप उन्हें अपने प्यार का एहसास दिला सकती हैं. पति की भावनाओं को ठीक तरह से समझ न पाने के कारण संबंधों में दूरी आने लगती है. कारण यह है कि इमोशनल व्यक्ति की सब से बड़ी कमी यह होती है कि अगर आप उस से कोई सही बात भी कहेंगी, तो उसे ऐसा महसूस होगा कि आप उस की अवहेलना कर रही हैं. वह अपने संबंधों को ले कर हमेशा असुरक्षित रहता है, इसलिए उस के साथ रहने के लिए छोटीछोटी बातों का भी ध्यान रखना होगा ताकि आप उस के साथ अपने संबंधों को मजबूती दे सकें.

बात को तरजीह दें

आप के पति भावुक हैं, तो यह बेहद जरूरी है कि आप उन की कही सारी बातों को ध्यानपूर्वक सुनें. इस से आप को पता चलेगा कि उन के मन में क्या चल रहा है. पति की बातों को सुन कर आप यह निर्णय ले पाएंगी कि उन के साथ आप को कैसा व्यवहार करना है. जब भी आप के पास फुरसत हो, उन के साथ बैठ कर बातचीत करें. बात करते समय इस बात का ध्यान रखें कि जब वे कुछ कहें, तो आप बीच में टोकें नहीं. उन की बात को सुन कर आप को इस बात का एहसास हो जाएगा कि वे परेशान क्यों हैं.

सच जानने की कोशिश करें

अगर आप के पति हर समय भावुक बातें करते हैं और यह चाहते हैं कि आप हर समय उन के आसपास ही रहें, तो उन के पास बैठ कर उन के इस तरह के व्यवहार का कारण पूछें. अगर वे कोई तार्किक जवाब न दे पाएं, तो आप उन्हें प्यार से समझाएं कि आप उन के साथ हर समय हैं. जब भी उन्हें कोई दिक्कत होगी, तो वे आप को अपने करीब पाएंगे. आप के आश्वासन से आप के पति के मन में आप के साथ अपने रिश्ते को ले कर सुरक्षा का भाव आएगा. यकीन मानिए आप के प्रयास से धीरेधीरे उन की अनावश्यक भावुकता कम होने लगेगी.

उन के करीब आएं

आप पति के जितना ज्यादा करीब जाएंगी, आप को उन के व्यवहार के बारे में

उतना ही ज्यादा पता चलेगा. आप की नजदीकी से आप के पति को इस बात का एहसास होगा कि आप उन्हें प्यार करती हैं. जब वे आप के प्यार को महसूस करेंगे, तो उन की भावनात्मक असुरक्षा कम होगी. ऐसे में वे अपने मन की सारी बातें आप के साथ शेयर करेंगे. उस समय आप उन की भावुकता का कारण जान कर उन्हें उस से छुटकारा दिला सकती हैं. आप उन्हें हर समय इस बात का एहसास दिलाती रहें कि अच्छीबुरी हर स्थिति में आप उन के साथ हैं.

कारण जानने की कोशिश

आप के पति इतने ज्यादा इमोशनल क्यों हैं, इस के पीछे का कारण जानने की कोशिश करें. इस के लिए आप परिवार के सदस्यों मसलन, अपनी सासूमां और ननद की सहायता ले सकती हैं. कोई भी पुरुष विवाह पूर्व अपनी मां और बहन के सब से ज्यादा करीब होता है. अगर उन की यह भावुकता किसी लड़की के कारण है, जो उन्हें छोड़ कर चली गई है, तो आप उन्हें समझाएं कि उन के साथ जो हुआ अच्छा नहीं हुआ, लेकिन अब उन के जीवन में कुछ भी बुरा नहीं होगा. आप उन के साथ हमेशा रहेंगी. आजीवन उन्हें प्यार करेंगी.

स्थिति का धैर्यपूर्वक सामना करें

आप के पति भावुक हैं, तो उन के साथ अपने संबंधों को पटरी पर लाने के लिए आप को उत्तेजना नहीं धैर्य की जरूरत है. भले ही उन की बातों से आप को गुस्सा आता हो. उन्हें पलट कर जवाब देने की बजाय उन की बातों को ध्यानपूर्वक सुन कर उन्हें सांत्वना दें.

पति को प्यार का एहसास कराएं

भावुक पति को मानसिक तौर पर संतुष्ट और सुरक्षित रखने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप उन्हें इस बात का एहसास दिलाएं कि आप उन्हें बहुत प्यार करती हैं. उन की पसंदनापसंद आप के लिए बहुत माने रखती है. इस के लिए आप उन्हें समयसमय पर उपहार दें या फिर उन की पसंद का काम कर के उन्हें इस बात का एहसास दिला सकती हैं कि आप को उन की परवाह है और आप उन की भावनाओं का खयाल रखती हैं.

पतिपत्नी के बीच उम्र में कितना होना चाहिए गैप ?

कहा जाता है कि प्यार करने की कोई उम्र नहीं होती, किसी भी उम्र में प्यार हो सकता है, वैसे ही शादी की कोई उम्र नहीं होती, किसी भी उम्र में शादी की जा सकती है और पति-पत्नी में अंतर कितना सही है, इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि प्यार सबसे पहले होता है, जिसमे मानसिक और शारीरिक अट्रैक्शन शामिल होता है. इसमें आयु का अंतर किसी रिश्ते को कितना प्रभावित करता है, उसे समझ पाना काफी मुश्किल है, क्योंकि आयु के अंतर का असर सिर्फ सेक्स के समय होता है, अगर सेक्स जरुरी नहीं, तो शादी किसी भी आयु में कितने भी फर्क के साथ की जा सकती है और उसका असर रिश्ते की बोन्डिंग पर कभी नहीं पड़ता.

यही वजह है कि क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और अंजलि तेंदुलकर के बीच 6 साल का ऐज गैप है, जिसमे अंजलि 6 साल बड़ी है, प्रियंका चोपड़ा और निक जोनास के बीच 10 साल का एज गैप है, जिसमे प्रियंका निक से 10 साल बड़ी है. जबकि दिलीप कुमार और सायरा बानो के बीच 22 साल का एज गैप रहा और उनकी जोड़ी हिंदी सिनेमा इंडस्ट्री की मिसाल रही. धर्मेन्द्र और हेमामालिनी के बीच 13 वर्ष, राजेश खन्ना और डिंपल के बीच 16 वर्ष, कबीर बेदी और प्रवीण दुसांज के बीच 29 वर्ष, मिलिंद सुमन और अंकिता कुंवर के बीच 25 साल का एज गैप आदि कई उदहारण है. उन सभी की जोड़ी अच्छी चल रही है. हालांकि लम्बे समय से भारत में उम्र के गैप को शादी के लिए जरुरी माना गया है, जिसमे पति का पत्नी से बड़ा होना जरुरी माना गया है, लेकिन समय के साथ इसमें आज परिवर्तन आ रहा है और उम्र के गैप को जरुरी अब नहीं समझा जाता.

अटलांटा की यूनिवर्सिटी में हुई एक रिसर्च के हिसाब से पति-पत्नी के बीच 5 साल का एज गैप सही माना गया है. रिसर्च के अनुसार जिन कपल्स के बीच ऐज गैप 5 साल होता है, उनमें तलाक की संभावना 18% होती है. वहीं, जिन कपल्स के बीच ऐज गैप 10 साल है, उनमें तलाक की संभावना 39% है और यदि एज गैप 20 साल है तो तलाक की संभावना 95% होती है.

विवाह में एज गैप की नहीं होती परिभाषा

इस बारें में हीलिंग सर्कल की मैरिज काउंसलर आरती गुप्ता कहती है कि मैरिज में एज गैप की कोई परिभाषा नहीं होनी चाहिए, क्योंकि दो व्यक्ति के व्यक्तिगत भावनाएं अलग होती है, जिसमे उनके माहौल, शिक्षा, जॉब, रहन-सहन आदि कई बातें उससे जुडी हुई होती है. गैप की जरुरत भी क्यों चाहिए, पहले जमाने में लोग सोचते थे कि एक की अधिक उम्र होने पर वह अधिक परिपक्व रहेगा, सम्हालेगा, जिसमे लड़के को ही बड़ा होना जरुरी मानते थे. तब पुरुष डोमिनेट समाज की ये सोच थी. अब भी समाज पुरुष प्रधान रखना चाहती है, लेकिन वह अब नहीं है, क्योंकि ग्लोबलाईजेशन और वुमन एम्पावरमेंट की वजह से ये सब आज मायने नहीं रखती. अब दो लोगों का आपस में गठबंधन हो रहा है और उन दोनों का आपस में क्या कम्फर्ट लेवल है, उनकी परिपक्वता कितनी है, उनकी सोच क्या है, आदि, ये सब फ्लेक्सिबल चीजे है, जिसमे किसी को भी जज करने की जरुरत नहीं. अभी लडकियां कई जगहों पर लड़के से बड़ी होने पर भी शादियाँ हो रही है और उनकी जिंदगी अच्छी चल रही है. सभी मानते है कि लड़कियां लड़कों से अधिक मेच्योर होती है. पहले भी देखा गया है कि महिलाओं में जन्म से ये सारी बातें अंतर्निहित होती है, जिसमे घर, रिश्ते, बच्चे  सबको सम्हालते हुए पति के पैसे से परिवार चलाती थी. मेरे पास मेडिकली कोई प्रूव नहीं है कि लड़की की उम्र कम होने पर सेक्सुअली या रिप्रोडक्शन में वह बेहतर होती है. मैं उस बात से सहमत नहीं हूँ.

शिक्षित होना आवशयक  

भारत सरकार ने महिलाओं की शादी की न्‍यूनतम कानूनी उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का विधेयक संसद में पेश किया था. महिलाओं की शादी की उम्र 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव दिया था. जबकि पुरुषों के लिए उम्र 21 साल ही रहेगा, क्या इससे जनसंख्या कंट्रोल हो सकेगा? पूछने पर हंसती हुई अंजलि कहती है कि जनसँख्या कंट्रोल होगा या नहीं, ये कहना मुश्किल है, क्योंकि मैं अर्बन एरिया में रहती हूँ और ये भी सही है कि लड़कियों की शादी की उम्र बढाने पर जनसँख्या पर कुछ असर देखने को मिल सकता है, क्योंकि उनमे जागरूकता जनसँख्या को लेकर बढ़ सकती है. गांवों में बहुत कम उम्र में लड़कियों की शादी हो जाती है और बर्थ कंट्रोल की सुविधा नहीं है, ऐसे में कानून बनाकर और शिक्षित कर ही इस पर कंट्रोल किया जा सकता है. इसके साथ-साथ आकड़ों पर अधिक गौर करना होगा, जिससे जनसँख्या कंट्रोल के बारें में जानकारी मिल सकती है, लेकिन इन सबमे लड़कियां और लड़कों का शिक्षित होना सबसे अधिक जरुरी है.

हर उम्र में शादी की परिभाषा अलग  

अधिक उम्र में शादी करने वालों की संख्या आज बढ़ रही है, इसकी वजह के बारें में पूछने पर आरती कहती है कि आजकल लोग अधिक उम्र में भी शादियाँ कर रहे है, ये अच्छी बात है. इसमें वे सेक्स के लिए शादी नहीं कर रहे है. वे अपना एक साथी चाहते है, सेटल होना चाहते है, वे अपनी जिंदगी को किसी के साथ शेयर करना चाहते है और ये किसी भी रूप में गलत नहीं. उस रिलेशनशिप में शादी की परिभाषा अलग होती है. यंग एज में शादी करने का अर्थ है कि लड़के और लड़कियां मैच्योर हो चुके है, बच्चे पैदा करने की उम्र है और परिवार को आगे बढ़ाना है. इन सारी जरूरतों को पूरा करने के लिए दो परिवार एकसाथ होते है और उनकी शादी होती है.

वजह डोमिनेशन  

इसके आगे काउंसलर कहती है कि आयु का अंतर सिर्फ डोमिनेशन के लिए होता है, जहाँ पुरुष खुद को महिला से बड़े होने की वजह से अकलमंद, अधिक पढ़ा-लिखा समझते है और अपनी बातें पत्नी को मनवाने की कोशिश करते है. लकिन यहाँ यह समझना जरुरी है कि अब वे दिन रहे नहीं. यहाँ मैं अर्बन परिवेश की बात कर रही हूँ, क्योंकि मैं बड़े शहर में रहती हूँ, जबकि गांवों और छोटे शहरों में आज भी लड़के का लड़की से बड़े होने को सही मानते है. उसमे भी बदलाव आ रहा है और पूरी तरह से बदलाव आने में समय लगेगा. जितनी जल्दी समाज और परिवार इसे समझ लें, सोच को बदल लें और बहाव में बहने के लिए तैयार हो, उतना ही पारिवारिक सुख-शांति बनी रहेगी. जितना उसका विरोध करेंगे, परिवार टूटता चला जायेगा और आज कई घर, विरोध की वजह से टूट चुके है.

मेंटल और इमोशनल कम्पेटिबिलिटी जरुरी

आरती कहती है कि कई लोग मुझसे एज गैप को लेकर अपनी समस्या का जिक्र करते है और मुझे उन्हें समझाना पड़ता है, कि हर उम्र की सोच और जरूरतें अलग होती है. आज जमाना समानता का होता जा रह है, दोनों में परिपक्वता खुद को ही लाना पड़ता है, एज गैप से अधिक मेंटल और इमोशनल कम्पेटिबिलिटी का होना बहुत जरुरी है. मेरे और मेरे पति के बीच काफी एज गैप है, लेकिन उन्होंने मुझे शादी के बाद सारी शिक्षा लेने के लिए सहयोग दिया. रिलेशनशिप को निखारना पड़ता है. मेरा सभी यूथ से कहना है कि एक्सेप्टिंग, एडजस्टमेंट, कोम्प्रोमाईज़, लव, गिविंग एंड रिसीविंग आदि सभी चीजे ह्यूमन रिलेशनशिप को बनाए रखने में सहायक होती है, इसे अपनाने की कोशिश करें, ताकि एक मजबूत रिश्ता बनी रहे.

कहीं, पति उम्र में बड़ा है, तो कहीं पत्नी लेकिन फिर भी शादी अच्छी चल रही है. ऐसे में यह निष्कर्ष निकला जा सकता है कि सफल शादी के लिए पति-पत्नी में एज गैप से ज्यादा एक दूसरे के लिए प्यार, इज्जत और समझ होना जरूरी है.

फिट और खुश रहना है तो प्यार करें

शारीरिक रूप से फिट, दिल से कल्पनाशील और दिमाग से तरोताजा रहने के लिए न तो किसी जादू की जरूरत है और न ही किसी बहुत जटिल एक्सरसाइज से पसीना बहाने की. बस किसी से डूबकर प्यार करिये और ये तीनों मकसद हासिल कर लीजिए, बशर्ते आपकी किस्मत अच्छी हो यानी आपका प्यार एकतरफा न हो, उसे उतने ही गर्मजोशी से स्वीकारा जाए, जितनी गर्मजोशी से आपने पहल की होे. जी हां, यह कोई मजाक नहीं है. विज्ञान की कसौटी में बार बार कसा गया वह सच है, जिसे एक-दो नहीं लाखों लोगों ने आजमाकर देखा है और किसी ने धोखा नहीं खाया. दरअसल जब हम किसी से प्यार करते हैं तो दिल में, आसमान में उड़ने के लिए उमंगे मचलती हैं. ये उमंगें बहुत कुछ करती हैं मसलन- पेट में गुदगुदी करती हैं और हमारी ढेर सारी कैलोरी भी जलाती हैं. नतीजे में हम फिट रहते हैं, खुश रहते हैं और दिमागी रूप से चैतन्य रहते हैं.

रिसर्च बताती है कि जब हम जिसे प्यार करते हैं, उसे गर्मजोशी से चूमते हैं तो 90 कैलोरी जलती हैं. पता नहीं पिछली सदी के 70 के दशक में पश्चिमी दुनिया में धूम मचाने वाले म्यूजिक बैंड बीट्लस को यह बात पता थी या नहीं, लेकिन जब बीट्लस ने झूमकर गया ‘आई नीड समबडी टू लव’ और कुछ लोगों ने इस गीत को व्यवहार में आजमाया तो पाया कि हां, आश्चर्यजनक रूप से किसी को प्यार करना, खुश और सेहतमंद होने की गारंटी है. जब हम किसी के साथ एक बेहद नशीले रोमांस से गुजरते हैं तो दिल से लेकर दिमाग तक पोर पोर तरोताजा हो जाते हैं. इससे हमारे शरीर का अतिरिक्त बौडी फैट पिघलकर हमें सांचे में ढाल देता है. हालांकि यह सब कुछ इतना मशीनी भी नहीं है, इस मामले में सबके अनुभव अलग अलग हैं.

मानव संबंधों के विश्वकोश के सह-संपादक रहे पीएचडी हैरी रीस कहते हैं, ‘हमने बहुत से लोगों से इस संबंध में उनके निजी अनुभवों को जाना है कि एक दूसरे को बहुत गहराई से प्यार करने पर प्यार की भावनाएं दोनो पार्टनरों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के नजरिये से गहरे तक प्रभावित करती हैं. रिसर्च बताती है कि एक दूसरे को बहुत गहरे प्यार करने वाले जोड़े आमतौर पर डॉक्टर के पास बहुत कम जाते हैं. हजारों लोगों के निजी अनुभवों के जरिये यह जाना गया है कि ऐसे जोड़ों को किसी वजह से अगर डॉक्टर के पास जाना भी पड़ता है, तो अव्वल तो इन्हें अस्पताल में ठहरने की जरूरत नहीं पड़ती और रूकना भी पड़ा तो बाकी लोगों के मुकाबले यह अवधि बहुत कम होती है.’

हालांकि रीस कहते हैं विज्ञान इसके पीछे के अंतिम सच को यूनिवर्सल तथ्य के रूप में जान पाने में असमर्थ है. लेकिन जो ठोस अनुमान है, वो यही है कि जब हम किसी से प्यार करते हैं तो अपना और उसका अच्छे से ख्याल रखते हैं. एक दूसरे को अच्छा लगने की कोशिश करते हैं. साफ सुथरा और खुश रहते हैं. अवसाद से मुक्त रहते हैं. ऐसे में इस तरह के हार्मोन्स का स्राव नहीं होता या बहुत कम होता है, जो हमें थकाते और चिड़चिड़ा बनाते हैं. वास्तव में जब हम किसी के साथ दिल की गहराईयों तक प्रेम में डूबे होते हैं तो शराब कम पीते हैं, नकारात्मक बातें कम करते हैं, इस सबसे भी सेहत पर बहुत फर्क पड़ता है. प्यार की खुशी हमारे रक्तचाप को संतुलित रखती है. न यह इसे बहुत ज्यादा बढ़ने देती है और न ही डूबने की हद तक घटने देती है. जब हम किसी के साथ प्यार में डूबे होते हैं तो चिंताएं बहुत कम होती हैं, जरूरतें भी बहुत ज्यादा नहीं होतीं. किसी को डूबकर प्यार करने से हमें तमाम किस्म के प्राकृतिक दर्दों से छुट्टी मिल जाती है. 1 लाख 27 हजार ऐसे वयस्क लोगों के बीच यह सर्वे किया गया, जो किसी के प्यार में थे या उनकी कुछ ही दिन पहले शादी हुई थी.

ऐसे लोगों में महज 5 फीसदी सिरदर्द और कमरदर्द की शिकायतें पायी गईं. दरअसल जब हम किसी के प्यार में होते है तो हम तनाव में नहीं जाते. अगर कभी किसी वजह से तनाव में घिरे भी तो इसका बहुत बेहतर तरीके से प्रबंधन कर लेते हैं. तनाव का सोशल सपोर्ट से बहुत सीधा रिश्ता होता है यानी अगर हम तनाव में हों और कोई हमारे तनाव को बांटने के लिए कोई हो तो भले व्यवहारिक रूप से ये तनाव बंटे न, पर कम जरूर हो जाता है. जब हम किसी से गहरे प्यार में होते हैं तो हमें सर्दी जुकाम जैसी छोटी मोटी शारीरिक समस्याएं नहीं होती. एंजायटी और डिप्रेशन से भी हम बचे रहते हैं और अगर कभी ऐसी समस्याएं हो जाएं तो भी बहुत जल्द ही खत्म हो जाती हैं. इससे पता चलता है कि प्यार करने और फिट रहने का सिर्फ भावनात्मक रिश्ता ही नहीं है, इसका शारीरिक रिश्ता भी है. जब आपको दिल से प्यार करने वाला पार्टनर अंतरंगता के क्षणों में आपके कपड़े उतारता है, तो 80 कैलोरी तक बर्न होती हैं. यही फायदा मालिश से होता है और संभोग में 144 से 207 तक कैलोरी जलती है. जब आप अपने प्रेम करने वाले पार्टनर के साथ डांस करते हैं तो 200 कैलोरी जलती है. इस तरह हम प्यार में सिर्फ खुश नहीं रहते, फिट भी रहते हैं.

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