बदल रहे हैं नई पीढ़ी के पति-पत्नी

 ऋचा की सास उस के पास 1 महीने के लिए रहने आई थीं. उन के वापस जाते ही ऋचा मेरे पास आई और रोंआसे स्वर में बोली, ‘‘आज मुझे 1 महीने बाद चैन मिला है. पता नहीं ये सासें बहुओं को लोहे का बना क्यों समझती हैं, यार. हम भी इंसान हैं. खुद तो कोई काम करना नहीं चाहती और यदि उन का बेटा जरा भी मदद करे तो भी अपने जमाने की दुहाई दे कर तानों की बौछार से कलेजा छलनी कर देती हैं. वे यह नहीं समझतीं कि उन के जमाने में उन के कार्य घर तक ही सीमित थे, लेकिन अब हमें जीवन के हर क्षेत्र में पति का सहयोग करना पड़ता है. आर्थिक सहयोग करने के साथसाथ बाहर के अन्य सभी कार्यों में कंधे से कंधा मिला कर भी चलना पड़ता है. ऐसे में पति घर के कार्यों में अपनी पत्नी का सहयोग करे तो सास को क्यों बुरा लगता है? उन की सोच समय की मांग के अनुसार क्यों नहीं बदलती? बेटे भी अपनी मां के सामने मुंह नहीं खोलते.’’

उस के धाराप्रवाह बोलने के बाद मैं सोच में पड़ गई कि सच ही तो है कि पुरानी पीढ़ी की सोच में आज की पीढ़ी की महिलाओं की जीवनशैली में बदलाव के अनुसार परिवर्तन आना बहुत आवश्यक है.

1. पतिपत्नी की बदली जीवनशैली

नई टैक्नोलौजी के कारण एकल परिवार होने के कारण युवा पीढ़ी के पतिपत्नी की जीवनशैली में अत्यधिक बदलाव हो रहे हैं, लेकिन अधिकतर नई पीढ़ी की जीवनशैली के इस बदलाव को पुरानी पीढ़ी द्वारा नकारात्मक दृष्टिकोण से ही आंका जा रहा है, क्योंकि सदियों से चली आई परंपराओं के इतर उन्हें देखने की आदत ही नहीं है, इसलिए बदलाव को वे स्वीकार नहीं कर पाते, लेकिन समय के साथ हमारे शरीर में परिवर्तन आना अनिवार्य है. प्रकृति में भी बदलाव आता है, तो अपने आसपास के बदले नए परिवेश के अनुसार अपनी सोच में भी बदलाव को अनिवार्य क्यों नहीं मानते? क्यों हम पुरानी मान्यताओं का बोझ ढोते रहना ही पसंद करते हैं? जो हम देखते आए हैं, सुनते आए हैं, सहते आए हैं. वह उस समय के परिवेश के अनुकूल था, लेकिन आज के परिवेश के अनुसार बदलाव को हम क्यों पुराने चश्मे से ही धुंधला देख कर उन के क्रियाकलापों पर टिप्पणी कर रहे हैं? अफसोस है कि युवा पीढ़ी की अच्छी बातों की तारीफ करने के लिए न तो हमारे पास दृष्टि है न मन, है तो सिर्फ आलोचनाओं का भंडार.

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2. पुरानी पीढ़ी में कार्यों का विभाजन

पहले जमाने में लड़के और लड़की के कार्यों का विभाजन रहता था, क्योंकि लड़कियां घर से निकलती ही नहीं थी. इसलिए गृहकार्यों का भार पूर्णतया उन के जिम्मे रहता था और इस के लिए उन दोनों के बीच अच्छीखासी लक्ष्मण रेखा खींच दी जाती थी, लेकिन अब जब लड़कियां लड़कों के बराबर पढ़ाई के साथसाथ नौकरी भी कर रही है तो यह विभाजन समाप्त हो जाना चाहिए.

3. आधुनिक युवा पीढ़ी में कार्यविभाजन नहीं

युवा पीढ़ी की लड़कियों ने पढ़लिख कर आत्मनिर्भर हो कर जागरूकता के कारण कार्यविभाजन के लिए विद्रोह करना आरंभ किया ही था कि कब समय ने बदलाव की अंगड़ाई ली और यह सोच दबे पांव हमारे घरों में घुसपैठ करने लगी, कब पुरुष सोफे से उठ कर किचन में दखल देने पहुंच गया, पता ही नहीं चला, क्योंकि इस की चाल कछुए की चाल थी. निश्चित रूप से यह पश्चिमी सभ्यता की देन है, जहां कार्य विभाजन होता ही नहीं है.

4. स्त्रीपुरुष की बराबरी को लेकर शोध

स्त्रीपुरुष की बराबरी को ले कर शोधों में भले ही सकारात्मक नतीजे दिख रहे हों, लेकिन वास्तविकता थोड़ी अलग है. पिछले दिनों नेल्सन इंडिया द्वारा भारत के 5 अलगअलग शहरों में कराए गए एक सर्वे में लगभग दोतिहाई स्त्रियों ने माना कि उन्हें घर में असमानता का सामना करना पड़ता है. इस सर्वे में मुंबई, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद और बैंगलुरु जैसे बड़े शहर शामिल हैं. सर्वे में शिल्पा शेट्टी, मंदिरा बेदी और नेहा धूपिया जैसी सैलिब्रिटीज को भी शामिल किया गया. लगभग 70% स्त्रियों ने कहा कि उन का ज्यादातर समय घर के कामों में बीत जाता है और पति के साथ वक्त नहीं बिता पातीं.

दिलचस्प बात यह है कि 76% पुरुष भी यही मानते हैं कि खाना बनाने, कपड़े धोने या बच्चों की देखभाल जैसे कार्य स्त्रियों के हैं. छोटे शहरों में तो अभी भी पुरुष यदि स्त्रियों के घरेलू कार्यों में मदद करें तो उन का मजाक उड़ाया जाता है. नौकरी करने वाली औरतें दोगुनी जिम्मेदारी निभाने के लिए मजबूर हैं. वैसे एकल परिवारों का चलन बढ़ने से थोड़ा बदलाव भी दिख रहा है. पुरुष घरेलू कार्यों में सहयोग दे रहे हैं लेकिन इसे पूरी तरह बराबरी नहीं माना जा सकता.

5. इस बदलाव की शुरुआत अच्छी है

अभी यह बदलाव कुछ प्रतिशत तक ही सीमित है, लेकिन यह शुरुआत अच्छी है और पूरा विश्वास है कि यह सुखद बदलाव की आंधी पूरे भारत को अपनी गिरफ्त में ले लेगी. यह बदलाव पतिपत्नी के रिश्तों में भी सकारात्मक परिवर्तन ला रहा है. उन के बीच स्वस्थ दोस्ती का रिश्ता कायम हो रहा है. उन में आपस में एकदूसरे के लिए समर्पण की, त्याग की भावना और सहयोग की प्रवृत्ति बढ़ने के साथसाथ स्त्री का सामाजिक स्तर भी बढ़ रहा है.

6. पतिपत्नी के रिश्ते दोस्ताना

आरंभ में इस ने उच्चवर्गीय समाज में पांव पसारे, जहां समाज का हस्तक्षेप न के बराबर होता है. उस के बाद मध्यवर्गीय परिवारों में भी इस बदलाव के लिए क्रांति सी आ गई. अब पतिपत्नी मानने लगे हैं कि उन्हें एकदूसरे के साथ सहयोग करना चाहिए. समय के साथ पुराने मूल्यों, मान्यताओं, परंपराओं को बदलना आवश्यक है.

7. युवा पीढ़ी के पिता की भूमिका बदली

पहले जमाने के विपरीत पिता की भूमिका बच्चों के बाहरी कार्यों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि विदेशों की तरह अस्पतालों में प्रसव के समय मां के साथ पिता को भी बच्चों के पालनपोषण से संबंधित हर क्रियाकलाप करने की ट्रेनिंग दी जाने लगी है. औफिस वाले भी कर्मचारी की पत्नी के प्रसव के समय बच्चे और मां की देखरेख के लिए उसे छुट्टियों से भी लाभान्वित करते हैं. अब बच्चे का पालनपोषण करना केवल मां का ही कर्तव्य नहीं रह गया, बल्कि पति भी बराबर का भागीदार हो रहा है. पहले बच्चों के डायपर बदलना पुरुषों की शान के खिलाफ था, लेकिन अब वे सार्वजनिक रूप से भी ऐसा करने में संकोच नहीं करते. शोध यह भी कहते हैं कि चाइल्ड केयर के मामले में स्त्रियों की जिम्मेदारियां हमेशा पुरुषों से अधिक रही हैं. भले ही वे होममेकर हों या नौकरीपेशा.

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8. बदलाव के परिणाम परिवार के लिए सुखद

जौर्जिया यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र विभाग के शोधकर्ता डेनियल कार्लसन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘‘दृष्टिकोण को बदलना और एकदूसरे को सहयोग देना परिवार और रिश्तों की बेहतरी के लिए बहुत जरूरी है. यदि पतिपत्नी में एक खुश और दूसरा नाखुश होगा तो रिश्ते कभी बेहतर नहीं होंगे. पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों की नींव को मजबूत बनाए रखने के लिए भी ऐसा जरूरी होता है. दोनों परिवाररूपी गाड़ी के 2 पहिए हैं. परिवार को सुचारु रूप से चलाने के लिए दोनों में संतुलन होना आवश्यक है. नए परीक्षणों, शोधों के बाद समाजशास्त्री और मनोवैज्ञानिक इस नतीजे तक पहुंच रहे हैं कि पत्नी को बराबरी का दर्जा देने वाले पुरुष ज्यादा सुखी रहते हैं. ऐसे पुरुषों का सैक्स जीवन औरों के मुकाबले बेहतर होता है.

9. पुरानी पीढ़ी भी लाभान्वित

स्त्रीपुरुष में घरेलू कार्यों को ले कर तालमेल रहे तो पुरानी पीढ़ी को भी बहुत लाभ हैं. पुरुष भी रिटायरमैंट के बाद स्त्रियों की तरह घरेलू कार्यों में व्यस्त रह कर अपने खालीपन को भर सकते हैं. परिवार के बड़ेबूढ़ों को पूर्वाग्रहों से ग्रस्त होने के कारण आरंभ में उन्हें यह बदलाव अजीब सा लगा. लेकिन धीरेधीरे उन की आंखों को सब देखने की आदत सी पड़ रही है. रिटायरमैंट के बाद बेटेबहू द्वारा सारे कार्य सुचारू रूप से करने के कारण उन की जिम्मेदारी कम हो रही है और वे अपनी उम्र के इस पड़ाव को समय दे पा रहे हैं. इसलिए इस बदलाव को हितकर समझ कर स्वीकार करना ही उचित है और इस का स्वागत किया जाने लगा है. इस बदलाव को जिस पति और उस के परिवार वालों ने स्वीकार लिया, वे ही रिश्ते स्थाई होते हैं वरन तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाने में देर नहीं होती.

 8 टिप्स: जब पार्टनर हो शक्की

‘‘इतनी लेट नाइट किस से बात कर रहे थे? मेरा फोन क्या नहीं उठाया? वह तुम्हें देख कर क्यों मुसकराई? मेरी पीठ पीछे कुछ चल रहा है क्या?’’ यदि ऐसे सवालों से आप का रोज सामना होता है तो आप ठीक समझे आप का पार्टनर शक्की है.

यदि आप इन सवालों से थक गए हैं और यह रिश्ता नहीं निभा सकते, पर अपने बौयफ्रैंड या गर्लफ्रैंड को प्यार भी करते हैं और उसे इस शक की आदत पर छोड़ना भी नहीं चाहते, तो ऐसे शक्की पार्टनर से निबटने के लिए इन टिप्स पर गौर करें:

1. किसी भी रिश्ते में सब से बुरी चीज शक करना ही हो सकता है. इस से असुरक्षा, झूठ, चीटिंग, गुस्सा, दुख, विश्वासघात सब आ सकता है. रिश्ते की शुरुआत में एकदूसरे को समझने के लिए ज्यादा कोशिश रहती है. एकदूसरे पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है. एक बार आप दोनों में बौंडिंग हो गई तो आप जीवन की और महत्त्वपूर्ण बातों की तरफ ध्यान देने लगते हैं. इस का मतलब यह नहीं होता है कि पार्टनर में रुचि कम हो गई है. इस का मतलब है कि अब वह आप की लाइफ का पार्ट है और आप अब उस के साथ कुछ और बातों में, कामों में अपना ध्यान लगा सकते हैं.

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2. इस बदलाव को कभीकभी एक पार्टनर सहजता से नहीं ले पाता और वह अजीबअजीब सवाल पूछने लगता है, जिस से आप की लौयल्टी पर ही प्रश्न खड़ा हो जाता है. उस की बात ध्यान से सुनें उस के दिल में आप के लिए क्या फीलिंग्स है समझें, कई बार अनजाने में न चाहते हुए भी हमारी ही किसी आदत से उस के मन में शक आ जाता है, इसे समझें.

3. आप ने रिश्ते के शुरुआत के 3-4 महीने अपनी गर्लफ्रैंड पर पूरा ध्यान दिया है. वह आगे भी वही आशा रखती है, जबकि उतना फिर संभव नहीं हो पाता, पर उस में आप की गर्लफ्रैंड की इतनी गलती नहीं है, शुरू के दिनों में भी इतना बढ़ाचढ़ा कर कुछ न करें कि बाद में उतने अटैंशन की कमी खले.

4. पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम जरूर बिताएं. इस का मतलब यह नहीं कि एक बड़ी खर्चीली डेट ही हो, साथ बैठना, एकदूसरे की पसंद का कोई औनलाइन शो साथ देखना, एकदूसरे की बातें घर पर बैठ कर सुनना भी हो सकता है.

5. अपने गु्रप में उसे भी शामिल करें और उस का व्यवहार देखें कि वह सब से घुल मिल जाती है या अलगथलग रहती है. उसे महसूस करवाएं कि वह आप की लाइफ और आप के सोशल सर्कल का पार्ट है. उसे अपने फ्रैंड्स से मिलवाएं. उसे समझने का मौका दें कि वे आप के फ्रैंड्स हैं और आप के लिए महत्त्वपूर्ण है. जितना वह आप के फ्रैंड्स को समझेगी उतना कम शक करेगी.

6. उसे डबल डेट्स पर ले जाएं. अगर आप की लेडी फ्रैंड्स है और वे किसी को डेट कर रही हैं, तो अपनी गर्लफ्रैंड को उन के साथ ले कर जाएं. जिस से उसे अंदाजा होगा कि आप की फ्रैंड्स ही हैं और उन की आप से अच्छी दोस्ती ही है, कोई शक नहीं.

7. पार्टनर आप पर शक कर के बारबार कोई सवाल पूछती है और आप को गुस्सा आता है तो भी खुद को शांत रख कर जवाब दें, ढंग से बात कर के हर समस्या सुलझाई जा सकती है.

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8. पार्टनर को शक करने की आदत ही है और यह आदत कम नहीं हो रही है, आप ने सबकुछ कर लिया, क्वालिटी टाइम भी बिता लिया. अपनी लाइफ, अपने फ्रैंड्स में भी उसे शामिल कर लिया, बात भी कर ली, पर कुछ भी काम नहीं आ रहा है, पार्टनर बात खत्म करने, समझने को तैयार ही नहीं, इस रिश्ते से आप दोनों को दुख ही पहुंच रहा है तो पार्टनर को ही अब अपनी आदत पर ध्यान देना पड़ेगा. आप हर काम, हर बात पर हर समय सफाई देते नहीं रह सकते. जिसे आप पर विश्वास नहीं, उसे प्यार करना भी मुश्किल ही हो जाता है. अत: उसे क्लियर कर दें कि या तो वह इस रिश्ते में आप पर विश्वास करना सीखें या फिर दोनों अपनी राहें बदल लें.

औफिस की मुश्किल सिचुएशन

औफिस में कई बार कठिन परिस्थितियां आती हैं क्योंकि यहां आप को कैरियर के साथसाथ कलीग्स और बौस का भी खयाल रखना पड़ता है. इन मुश्किलों से निबटने के लिए काफी सावधानी और संयम बरतने की जरूरत पड़ती है. जानिए ऐसी ही कुछ मुश्किल सिचुएशंस और उन के समाधान के बारे में.

1. आप का पूर्व बौस आप का जूनियर बन जाए

आप जिस कंपनी में काम करते थे, वहां के बौस का आप बड़ा सम्मान करते थे. अचानक एक दिन आप को पता लगता है कि वही बौस आप की मौजूदा कंपनी में काम करने लगा है और अब वह आप को रिपोर्ट करेगा यानी अब वह आप का जूनियर है. ऐसी स्थिति में आप को सिचुएशन को बहुत ही आराम से हैंडिल करना होगा. इस बात का खयाल रखें कि पूर्व बौस को इंडस्ट्री में आप से ज्यादा अनुभव है और मौजूदा स्थिति में उसे कंफर्टेबल होना चाहिए. आप को उस से सलाह लेनी चाहिए. अगर आप अपने पूर्व बौस के साथ काम करने में सहज नहीं हैं तो आप प्रबंधन की मंजूरी से एक अलग टीम के साथ काम कर सकते हैं. अगर आप को मौजूदा स्थिति में ही काम करना है तो पूर्व बौस से काम की चुनौतियों को ले कर चर्चा करें. आप अब भी अपने पर्सनल स्पेस में पूर्व बौस का सम्मान करते रहें. अपने नियोक्ता को इस बारे में बता दें कि वह शख्स आप का बौस रह चुका है. अगर आप खुद ऐसे व्यक्ति को रिपोर्ट कर रहे हैं, जो पहले आप के जूनियर के तौर पर काम कर चुका है तो प्रोफैशनल की तरह व्यवहार करें.

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2. आप के बारे में गौसिप का माहौल

कई बार आप को पता चलता है कि औफिस में आप को ले कर काफी नैगेटिव बातें हो रही हैं जिन्हें सुन कर आप का मन दुखी भी हो जाता है और आप का औफिस जाने का भी मन नहीं करता. ऐसी स्थिति में आप को धैर्य से काम लेना होगा. अगर आप सब से उलझेंगे तो आप के रिश्ते सब के साथ और भी बिगड़ जाएंगे. वक्त के साथसाथ ऐसी बातों पर से लोग खुद ही अपना ध्यान हटा लेते हैं. वहीं, अगर आप को अफवाहें फैलाने वाले का पता चल जाए तो अलग से उस से बात जरूर करें और प्रेमपूर्वक मामला सुलझा लें.

3. आप का दोस्त काम में दक्ष नहीं है

औफिस में अगर आप को प्रमोशन दे कर टीम लीडर बनाया गया हो और आप के बैस्ट फ्रैंड को इग्नोर किया गया हो क्योंकि वह अपने काम में दक्ष नहीं है, यह भी हो सकता है कि नियोक्ता आप को यह जिम्मेदारी सौंप दें कि आप उस की परर्फौमैंस सुधारने के लिए काउंसलिंग करें, अगर वह खुद को इंप्रूव नहीं कर पाया तो उसे नौकरी से निकाल दिया जाएगा. ऐसी स्थिति में अपने दोस्त से किसी रैस्टोरैंट वगैरह में मिलें. उसे बताएं कि आप को क्या जिम्मेदारी दी गई है और आप उसे दोस्त के रूप में पहली प्राथमिकता देते हैं, लेकिन फिर भी आप को बौस की बात को फौलो करना पड़ेगा. ऐसी स्थिति में वह आप की स्थिति को जरूर समझेगा और इस से आप दोनों का रिलेशन भी खराब नहीं होगा.

4. बौस के साथ सार्वजनिक झगड़ा

कभीकभी जब बौस बुरी तरह चिल्लाने लगता है तो अधीनस्थ कर्मचारी भी धैर्य खो देता है और वह भी पलट कर ऊंचे स्वर में जवाब देने लगता है. इस से मामला बिगड़ जाता है. कभी ऐसा हो जाए तो उस वक्त तुरंत अपनी जगह पर जा कर बैठ जाएं. लेकिन कुछ समय बाद सब के सामने बौस से गंभीरतापूर्वक क्षमा मांग लें. उन्हें बेहद सधी हुई भाषा में बता दें कि उन के जोर से बोलने के कारण आप ने अपना संयम खो दिया था, जो आप को नहीं खोना चाहिए था. इस से बौस को अपनी गलती समझ में आ जाएगी और आप के द्वारा सब के सामने माफी मांगने से उन के सम्मान को लगी ठेस भी दूर हो जाएगी. आप के और बौस के रिश्ते फिर से पहले जैसे हो जाएंगे.

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5. सहकर्मी जीवनसाथी को प्रमोशन मिल गया

अगर आप का पति/पत्नी आप की कंपनी में ही काम करता है और उसे प्रमोशन मिलता है तो आप को खुशी के साथसाथ ईर्ष्या भी होगी. खुद को थोड़ा समय दें और पता करें कि क्या आप इस स्थिति को उस कलीग के रूप में ले सकते हैं, जिसे प्रमोशन मिला है और आप को नहीं. इस बात को पहचानें कि आप की पहली प्राथमिकता निजी संबंध होने चाहिए. अगर आप को लगता है कि इस घटना का सामाजिक और निजी प्रभाव बहुत ज्यादा चुनौतीपूर्ण है तो आप कंपनी बदल सकते हैं. अगर आप को लगता है कि आप अपने इमोशंस पर कंट्रोल कर सकते हैं तो वहीं काम करते रहें. आप चाहें तो अपनी फीलिंग्स को अपने जीवनसाथी के साथ भी शेयर कर सकते हैं और पता कर सकते हैं कि वह इस के बारे में क्या सोचता है. अगर आप ऐसे व्यक्ति हैं जिसे प्रमोशन मिला है और जीवनसाथी उसी कंपनी में काम करता है तो पहले अपने निजी जीवन पर फोकस करना चाहिए और पार्टनर के प्रति संवेदनशील बनना चाहिए.

6. दो बौस के बीच जिन की न बनती हो

एकदूसरे को पसंद न करने वाले दो सीनियर्स के बीच में फंस जाना वाकई खतरनाक स्थिति है. ऐसी स्थिति में हर बौस आप से दूसरे बौस के बारे में जानकारी जुटाने में लगा रहेगा. इस से आप का समय बरबाद होगा और आप अपना काम पूरा नहीं कर पाएंगे. वैसे इस अनुभव से आप को पता लग जाएगा कि अलगअलग स्वभाव के 2 बौस को एकसाथ किस तरह से साधना है. आप को दोनों की निगाहों में अच्छा बने रहना होगा. किसी भी बौस की बुराई करने के बजाय हां में हां मिलाना अच्छा रहेगा. कोशिश करें कि किसी भी नैगेटिव चर्चा का हिस्सा बनने से बचें. कुछ समय बाद आप के बौस आप की इस आदत से काफी खुश होंगे कि आप पीठपीछे किसी की भी बातें नहीं करते.

7. नौकरी छोड़ना चाहते हैं

अगर आप जौब छोड़ना चाहते हैं तो किसी से चर्चा न करें. अगर कोई ऐसा कलीग है जिसे आप बचपन से जानते हैं और उस के साथ हर बार जौब स्विच की है तो उस से बातें शेयर कर सकते हैं. इस के अलावा किसी से बात शेयर करना खतरनाक हो सकता है.

8. शिकायत करना चाहते हैं

किसी की भी शिकायत करने से पहले फैक्ट्स जांच लें. ईमेल या किसी विश्वसनीय गवाह की मदद लें. अगर आप किसी जांचपड़ताल के बिना ही शिकायत करेंगे तो नुकसान आप को ही होगा.

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9. किसी से लड़ना चाहते हैं

औफिस के किसी सहकर्मी के साथ अनबन हो गई है और आप उसे मजा चखाना चाहते हैं. ऐसे में विचार करें कि क्या आप उस के साथ लड़ाई में जीत सकते हैं या नहीं. अगर नहीं जीत सकते तो रहने दें. ऐसा न हो कि खुद ही लड़ाई से परेशान हो कर रह जाएं.

अगर मुझे अपनी बेटी ही बनाये रखना था तो मुझे किसी की पत्नी क्यों बनने दिया?

इस लेख के माध्यम से आपको यह बताना चाहती हूं कि लड़की की शादी के बाद उसके मायके वालों की उसके वैवाहिक जीवन में क्या भूमिका होनी चाहिए. ये बताने से पहले मै आपको ये कहानी सुनाना चाहती हूँ .शायद बहुत से लोगों ने ये कहानी सुनी होगी. मेरी आप सबसे गुज़ारिश है की आप मेरा ये लेख पढ़े और इस पर अमल भी करें-

दोस्तों भारत में नियमित सास-बहू गाथा सुनना आम है और उनमें से अधिकांश एक बहू की तरफ से होती है.  जिसकी सास हस्तक्षेप करती है. इस रिश्ते के टूटने और इसे सुधारने के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है. यह किस्सा एक दामाद के बारे में है जिसे अपनी सास से परेशानी है और वह उसके वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप करती है.

“रोमा और शोभित एक दूसरे को बहुत चाहते थे .उन दोनों के परिवारों ने भी ख़ुशी-ख़ुशी उनकी इस चाहत पर शादी की मुहर  लगा दी .दोनों शादी के बाद सुखी जीवन बिता रहे थे. रोमा शोभित के साथ खुश तो थी पर उसे अपने ससुराल में एडजस्ट होने में बहुत प्रॉब्लम हो रही थी.वो अपनी सारी बातें अपनी माँ को बताती थी.आज साँस ने क्या कहा….आज नन्द ने क्या comment किया….यहाँ तक की अपने और शोभित की छोटी छोटी बातें भी अपनी माँ को बताती थी.और उसकी माँ उसको समझाने के बजाय बहुत emotional सपोर्ट करती थी. वो उसकी हर गलत बात में अपनी सहमती दिखाती थी.

शादी को अभी 3  महीने  ही हुए थे ,की रोमा और शोभित के बीच किसी बात को लेकर बहसा-बहसी हो गयी.रोमा ने तुरंत अपनी माँ को phone किया और रो रोकर सारी बातें अपनी माँ को बताई .उसकी माँ ने कहा-की तुम तुरंत अपना सामान पैक करो और मेरे पास आ जाओ. तब इनको सबक मिलेगा और फिर  ये तुमसे कभी भी ऊँची आवाज़ में बात करने की कोशिश नहीं करेंगे.

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रोमा ने ऐसा ही किया.सब उसको रोकते रह गए ,यहाँ तक की शोभित की आँखों में आंसू भी आ गए .पर रोमा कहाँ रुकने वाली थी उसके दिमाग में तो अपनी माँ के कहे हुए शब्द गूँज रहे थे.उसने तो शोभित को सबक सिखाने की ठान रखी थी.

अब रोमा अपने मायके में थी . रोमा शोभित को छोड़कर अपने मायके  आ तो  गयी थी पर न जाने क्यूँ उसे एक बेचैनी सी हो रही थी .जिस शोभित से बात किये बगैर वो रह नहीं सकती थी आज वो उसे छोड़ कर आ गयी थी.वो बार -बार अपना phone उठाती .शोभित का नंबर डायल करती और फिर phone काट देती.

शोभित भी रोमा के बगैर रह नहीं पा रहा था. वो बहुत दुखी था उसके इस कदम से क्यूंकि ये कोई पहली बार नहीं हुआ था ,शादी से पहले भी वो एक दूसरे से रूठते रहते थे पर एक दूसरे के बिना रह भी नहीं पाते थे .पर उसको समझ नहीं आ रहा था की आखिर ऐसा क्या हो गया की रोमा ने इतना बड़ा कदम उठा लिया.

उधर रोमा की माँ की कुछ दोस्तों ने उन्हें सलाह दी की एक बार इन सबकी पुलिस में रिपोर्ट करा दो फिर सब अपनी लिमिट में रहेंगे और दोबारा  हिम्मत नहीं करेंगे रोमा से तेज़ आवाज़ में बात करने की.

रोमा की माँ  ने रोमा को अपने साथ पुलिस स्टेशन चलने को कहा .रोमा भौचक्की रह गयी .उसने पूछा -किसलिए?रोमा की माँ ने कहा की तुम्हारे पति और ससुराल वालों के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट करनी है .जब पुलिस स्टेशन आना पड़ेगा न तब उन्हें पता चलेगा .फिर वो अपनी लिमिट में रहेंगे .

रोमा का दिल बैठा जा रहा था वो सबकुछ छोड़ कर अपने शोभित के पास लौटना चाह रही थी.उसने अपनी माँ से कहा की माँ इसकी क्या जरूरत है?

उसकी माँ ने कहा –अगर तुझे नहीं चलना है तो ठीक है,फिर मत आना मेरे पास रोते हुए. देख क्या शोभित ने तुझे एक भी बार phone किया?उसे तेरी कोई पड़ी ही नहीं है.वो तो अपने माँ बाप के हाथों की कठपुतली है.तू इन लोगों को नहीं जानती .आज बहस हुई है कल को हाथ भी उठा सकते है.तू मेरी बेटी है .इतने नाजों से पाला है तुझको.मुझसे ज्यादा तेरा कोई ख्याल नहीं रखेगा.

रोमा न चाहते हुए भी  अपनी मां के साथ पुलिस स्टेशन जाने को तैयार हो गयी . रास्ते  भर रोमा का मन बेचैन था.पूरे रास्ते  उसका ध्यान सिर्फ अपने mobile पर था.वो सोच रही थी कि –काश !शोभित एक बार मुझे कॉल कर लो .मै तुम्हारे बिना नहीं रह सकती.

अब रोमा पुलिस स्टेशन पहुँच चुकी थी.उसकी दिल की धडकने बहुत तेज़ हो रही थी.वहां की ऑफिसर ने रोमा  से पूछा ….

क्या तुम्हारा पति तुम्हें मारता है ?

क्या वह तुमसे अपने मां- बाप से कुछ मांग कर लाने को कहता है ?

क्या वह तुम्हें खाने पहनने को नहीं देता ?

क्या तुम्हारे ससुराल वाले तुम्हे कुछ भला बुरा कहते हैं ?

क्या वह तुम्हारा ख्याल नहीं रखता?

इन सब सवालों का जवाब रोमा  ने नहीं में दिया !

इस पर रोमा  की मां बोली कि मेरी बेटी बहुत परेशान है !

इसके ससुराल वाले इसे  घर की हर छोटी-छोटी बातों पर टोका टोकी करते हैं .मोबाइल पर बात करने पर भी आपत्ति करते हैं. वह इसे टॉर्चर करते हैं !

पुलिस अफसर समझ गई! उसने रोमा  की मां से पूछा- क्या आप बेटी से दिन में 4-5 बार फोन पर बात करती  हैं?

मां ने कहा- हां, मैं अपनी बेटी का पराए घर में ध्यान तो रखूंगी न , कितने नाजों  से पाला है उसे!!

पुलिस अफसर सारा मामला समझ गई और फिर उसने पूछा -बहन जी क्या आप घर में दही जमातीं  हैं?

रोमा  की मां ने कहा -हां इसमें कौन सी बड़ी बात है!

अफसर बोली : तो जब आप दही जमाती हैं  तो बार-बार दही को उंगली मार कर जांचती है .

रोमा  की मां बोली: जी अगर मैं बार-बार उंगली मार करजाचूंगी   तो दही कैसे जमेगा? वो तो खराब हो जाएगा

तो बहन जी इस बात को समझिए शादी से पहले लड़की दूध थी! अब उसको जमकर दही बनना है ! आप बार-बार उंगली मारेगी तो  आपकी लड़की ससुराल में कैसे बसेगी  ?वहां के रहन-सहन को सीखेगी  कैसे? आप की लड़की ससुराल में परेशान नहीं है! आप की दखलअंदाजी ही उसके घर की परेशानी का कारण है!

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उसे उसके ससुराल में एडजस्ट होने की शिक्षा दीजिए ! उसको वहां के हिसाब से रचने -बसने दीजिए.

रोमा ये सब सुनकर पुलिस स्टेशन से बहार आ गयी .पीछे से उसकी माँ ने आकर कहा ,”चलो अन्दर रिपोर्ट नहीं लिखवानी है क्या? फिर मत आना मेरे …… ! ये शब्द पूरे होने से पहले ही रोमा ने कहा ,”नहीं आऊँगी  माँ… कभी नहीं आउंगी.

बस मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहती हूँ की ‘अगर मुझे अपनी लड़की ही बनाये रखना था तो मुझे किसी की पत्नी क्यों  बनने दिया’?

शायद रोमा की माँ ये बात समझ चुकी थी .रोमा की माँ रोमा को उसके ससुराल ले गयी . रोमा के दिल में एक सुकून का भाव था. अब वो अपने घर पहुँच चुकी थी.वो जाकर शोभित के गले लग गयी.शोभित बहुत खुश  था क्योंकि उसने जिसको दिल से चाहां था आज वो सही रूप में उसके पास थी….”

दोस्तों ये तो सिर्फ एक कहानी थी.शोभित और रोमा की तरह सभी लोग सौभाग्शाली नहीं होते हैं.

एक कहावत है कि “विवाह दो लोगों का मिलन नहीं है बल्कि दो परिवारों का मिलन  है”. जब एक लड़की  और एक लड़के  की शादी होती है, तो दोनों परिवारों के बीच एक नया बंधन बनता है. यह बंधन दूल्हा और दुल्हन दोनों के जीवन में नए अध्याय की शुरुआत का संकेत देता है, जिसमें एक-दूसरे के प्रति प्रतिबद्धता और जिम्मेदारी होती है. दुल्हन के लिए, यह उसके जीवन में  अपने साथी के साथ एक पूरी नई ज़िंदगी की शुरुआत है, जब वह दुल्हन अपने ससुराल की दहलीज़ पर  कदम रखती है न ,तब उसके नाज़ुक कंधो पर -एक बहू की – एक पत्नी की  और कुछ समय  बाद एक माँ की ज़िम्मेदारी आ जाती है. उसे एक साथ बहुत सारे रिश्ते निभाने होते है.

ऐसे में उस लड़की को उन रिश्तों की सबसे ज्यादा ज़रुरत होती है जो उसका आत्मविश्वास बढ़ाएं और उसको सही और गलत के बीच का फर्क बताये.

इसलिए आप न केवल  अपनी लड़की को  एक अच्छी पत्नी या बहू बनने के लिए सशक्त बनाएं, बल्कि एक समझदार दोस्त, एक साथी, एक अच्छी माँ के दायित्वों को भी समझाए.

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जानें क्या है इनसिक्योरिटी का कारण

अगर आप किसी रिलेशनशिप में हैं तो आपके पार्टनर का असुरक्षित महसूस करना एक आम बात है. लेकिन वह असुरक्षित क्यों महसूस कर रहा हैं ,कभी-कभी यह समझना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. और जब यही गलतफहमियां बढ़ने लगती हैंं तो रिश्ते को आगे बढ़ाने में मुश्किलेंं होती हैं.

अगर आपको लगता है कि इस  तरह की भावना के लिए केवल आपका पार्टनर जिम्मेदार है तो आप गलत सोच रही हैं. आपको भी अपने पार्टनर के मन में झांक उसे समझना होगा. आइए जानते हैं कैसे.

1. पुरुष मित्र की तारीफ

जब औरतें अपने पुरुष सहकर्मी की तारीफ करती हैं तब  मर्दों को इससे बहुत ज्यादा असुरक्षा का एहसास होता है. भले वह मुंह सेेे खुलकर  बोले लेकिन उनके मन में यह बात घर करने लगतीी है कि उनकी पत्नी या प्रेमिका अपने सहकर्मी से प्रभावित है. आप  उनको बात बात में बतायें कि जब आप उनके साथ  कमिटेड हैं तो वे इससे घबराएं नहीं. ये सिर्फ उनके काम  का कामयाबी  की सराहना है .जो काफी साधारण बात है.

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2. शारीरिक क्षमता नहीं भावनात्मक

अपने पार्टनर को बतायें कि सिर्फ शारीरिक संबंध ही नहीं आप उनसे भावनात्मक रिश्ते में भी उसी मजबूती से जुड़ना चाहती हैं. इस  तरह वे आप के प््रति मन से आप के लिए नकारात्मक भाव लाने के बजाय आपके साथ रोमांटिक पलों को एंजॉय करेंगे.

3. ब्रेकअप की कड़वाहट को भूलें

महिला हो या पुरुष जब एक बार धोखा खा चुके होते हैं तो नए सिरे से दूसरे रिश्तेके साथ एडजस्ट करने में समय लगता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप पुरानी कड़वाहट  को अपने नए रिश्ते के बीच में भी लाएं. जरूरी नहीं यदि पहले साथी ने धोखा दिया है तो, आपको  नया पार्टनर भी धोखा देगा. जो बीत गया उसे जाने दो आप अपना आज न खराब करें.

4. पति- पत्नी के बीच में स्टेटस सिंबल क्यों 

आज के समय में महिलाएं किसी से कम नहीं. वे आत्म निर्भर है और अच्छी पोस्ट पर कार्यरत भी .लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि पति पत्नी के बीच में स्टेटस सिंबल को लेकर रोज युद्ध का मैदान तैयार हो जाए.अगर किसी पुरुष के मुकाबले में उसकी पत्नी या गर्लफ्रेंड ज्यादा सफल है तो इसमें असुरक्षा की भावना क्यों? अपने पार्टनर को प्यार से समझाएं.

5. एक्स-पार्टनर हो आफिस में

यदि आपके पार्टनर ने आपको बोला भी हो  कि उसको आपके एक्स के आफिस में होने से फर्क नहीं पड़ता. मतलब सीधा और साफ है उनको फर्क पड़ता है .अब  आपको ये समझने की जरूरत है.  पार्टनर को कैसे समझाए.

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6. फ्रेंड सर्कल में पुरुष मित्र

यदि आपके सर्कल में पुरुष मित्र भी है तो कोई बात नहीं. बस जरूरी है कि आप अपने पति या बॉयफ्रेंड को अपने दोस्तों के बारे में सच सच बताएं. यदि आप छिपायेंगी तो उनको शक होगा.  पुरुष दोस्तों का होना गलत  नहीं , लेकिन इसके लिए अपने पार्टनर से झूठ बोलना या धोखे में रखना गलत है.

7. कहीं आप सीक्रेटिव तो नहीं

अगर आप चुप चुप रहती हैं और अपने पार्टनर से  खुलकर  नहीं बोलतीं. तो ये बात आपके पार्टनर को खलती होगी. उनको लगेगा कि आप उनके साथ खुश नहीं. अपने मन की बात शेयर करें और उनको समझायें कि ये आपका स्वभाव है न कि आप कुछ सीक्रेट रख रही हैं.

जिम्मेदारियों के बीच न भूलें जीवनसाथी को वरना हो सकता है ये अफसोस

घर से ऑफिस ,ऑफिस से घर ये रूटीन बन गया .2 से 3 साल और निकल गए. मेरी उम्र 25 की हो गयी और फिर शादी हो गयी. मेरे जीवन की कहानी शुरू हो गयी. अपने जीवनसाथी के हाथों में हाथ डालकर घूमना -फिरना ,रंग बिरंगे सपने  देखना ,जीवन से एक अलग सा ही लगाव महसूस होने लगा.पर ये दिन जल्दी ही उड़ गए .फिर बच्चे के आने की आहट  हुई.अब हमारा सारा ध्यान बच्चे पर केन्द्रित हो गया. उठाना-बैठाना ,खिलाना-पिलाना ,लाड-दुलार ,समय कैसे फटाफट निकल गया मुझे पता ही नहीं चला.

इस बीच कब मेरा हाथ उसके हाथ से निकल गया ,बातें करना ,घूमना -फिरना कब बन्द हो गया दोनों को पता ही नहीं चला. वो बच्चे में व्यस्त हो गयी और मैं अपने काम में.

घर और गाडी की क़िस्त ,बच्चे की पढाई लिखी और भविष्य की जिम्मेदारी और साथ ही साथ बैंक में शून्य बढ़ाने  की चिंता ने मुझे घेर लिया .उसने भी अपने आपको काम में पूरी तरह झोंक दिया और मैंने भी.

इतने में मै  35 साल का हो गया .इसी बीच दिन बीतते गए,समय गुजरता गया ,बच्चा बड़ा होता गया .एक नितांत, एकांत पल में मुझे वो गुज़रे दिन याद आये और मौका देखकर मैंने अपने जीवन साथी से कहा “अरे यहाँ आकर मेरे पास बैठो ,चलो हाथ में हाथ डालकर कहीं घूम कर आते है .” उसने अजीब नज़रों से मुझे देखा और कहा ‘आपको  घूमने की पड़ी है और यहाँ इतना सारा काम पड़ा है आप  भी हद करते हो ‘.मैं शांत हो गया .

बेटा उधर कॉलेज में था इधर बैंक में शून्य बढ़ रहे थे .देखते ही देखते उसका कॉलेज ख़त्म हो गया और वो परदेश चला गया.

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मैं भी बूढा हो गया वो  भी उम्रदराज़ लगने लगी .दोनों 55 से 60 की ओर बढ़ने लगे .बैंक में शून्य बढ़ रहे थे और हमारे जीवन के भी.

बाहर आने जाने के कार्यक्रम बन्द होने लगे.अब तो गोली ,दवाइयों के दिन और समय निश्चित होने लगे.जब बच्चे बड़े होंगे तब हम सब साथ रहेंगे ये सोचकर बनाया गया घर बोझ लगने लगा.बच्चे कब वापस आयेंगे यही सोचते-सोचते बाकी के दिन गुजरने लगे.

एक शाम ठंडी हवा का झोका चल रहा था .वो भी दिया- बाती कर रही थी और मैं अपनी  कुर्सी पर बैठा अपने अतीत के कुछ खुशनुमा पल याद कर रहा था . आज भी उस पल  को याद करके मेरे चेहरे पर मुस्कराहट आ जाती है जब हमारी शादी की बारहवी  सालगिरह पर उसने मुझसे सालगिरह का तोहफा माँगा. उसने मुझसे कहा की मैं  जो भी मांगूंगी आप मुझे दोगे . मैंने हाँ में सिर हिला दिया .वो अन्दर कमरे से जाकर 2 डायरी ले आई और मुझसे बोली कि मुझे आपसे बहुत कुछ कहना रहता है लेकिन हमारे पास एक दूसरे के लिए समय ही नहीं होता.इसलिए हमारी जो भी शिकायतें होंगी हम पूरा साल अपनी -अपनी डायरी में लिखेंगे और अगली सालगिरह पर हम एक दूसरे की डायरी पढेंगे .मैं भी सहमत हो गया की विचार तो अच्छा है.

देखते ही देखते साल बीत गए. शादी की अगली सालगिरह आई .हम दोनों ने एक दूसरे की डायरी ली.उसने कहा की पहले आप पढ़िए.मैंने पढना शुरू किया.पहला पन्ना,दूसरा पन्ना, तीसरा पन्ना शिकायते ही शिकायते “आज शादी की वर्षगांठ पर मुझे ढंग का तोहफा नहीं दिया ”.

“आज होटल में खाना खिलाने का वादा करके भी नहीं ले गए “.

“आज जब शौपिंग के लिए कहा तो जवाब मिला की मैं बहुत थक गया हूँ “ ऐसी अनेक रोज़ की छोटी छोटी फरियादें लिखी हुई थी.ये सब पढ़कर मेरी आँखों में आंसू आ गए. मुझे एहसास हुआ की वाकई में इन औरतों की ज़िन्दगी हमारे इर्द-गिर्द ही घूमती है.मैंने कहा की मुझे पता ही नहीं था मेरी गलतियों का .मै ध्यान रखूंगा की आगे से  ऐसा न हो.

अब बारी उसकी थी .उसने मेरी डायरी खोली .

पहला पन्ना कोरा? दूसरा पन्ना कोरा? अब उसने दो,चार पन्ने साथ में पलटे  वो भी कोरे? फिर पचास –सौ पन्ने साथ में पलटे  वो भी कोरे?

उसने कहा कि मुझे पता था की आप  मेरी इतनी सी इच्छा भी पूरी नहीं कर सकेंगे .मैंने पूरा साल इतनी मेहनत से आपकी सारी  कमियां लिखी ताकि आप  उन्हें सुधार सको.

मै मुस्कुराया और मैंने कहा की मैंने सबकुछ अंतिम पन्ने पर लिख दिया है.उसने उत्सुकता से अंतिम पन्ना खोला उसमे मैंने लिखा था;- “मैं तुम्हारे मुंह पर तुम्हारी जितनी भी शिकायत कर लूं लेकिन तुमने मेरे और मेरे परिवार के लिये जो  त्याग किये है मैं उनकी भरपाई कभी नहीं कर सकता.

मैं इस डायरी में लिख सकूं ऐसी कोई कमी मुझे तुममे दिखाई नहीं दी.ऐसा नहीं है की तुममे कोई कमी नहीं है, लेकिन तुम्हारा प्रेम,तुम्हारा समर्पण,तुम्हारा त्याग उन सब कमियों से ऊपर है.मेरी अनगिनत भूलों के बाद भी तुमने जीवन के हर समय में मेरी छाया  बनकर मेरा साथ निभाया है.अब अपनी ही छाया में कोई दोष कैसे निकाल सकता है.” अब रोने की बारी उसकी थी .वो मेरे गले लगकर  बहुत रोई .शायद अब उसके सारे गिले शिकवे दूर हो चुके थे.

तभी अचानक phone की घंटी बजी . मैं अपने अतीत के उस खुशनुमा पल से बाहर आ चुका था .मैंने लपक कर phone उठाया .बेटे का phone था जिसने कहा की उसने शादी कर ली है अब वो परदेश में ही रहेगा.उसने कहा’पिताजी आपके बैंक के शून्य आप दोनों के लिए पर्याप्त होंगे ,आप आराम से अपना जीवन बिता लीजियेगा और अगर जरूरत पड़े तो वृदाश्रम चले जाइएगा  वहां आप लोगों की देखभाल हो जाएगी.’ और भी कुछ ओपचारिक बातें करके उसने phone रख दिया.

मैं वापस आकर कुर्सी पर बैठ गया उसकी भी दिया- बाती ख़त्म होने को आई थी .मैंने उसे आवाज़ दी “चलो आज फिर हाथों में हाथ लेकर बातें करते है.” वो तुरंत बोली “अभी आई “.उसने शेष पूजा की और मेरे पास आकर बैठ गयी.”बोलो क्या कह रहे थे “लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा.उसने मेरे शरीर को छूकर देखा शरीर बिलकुल ठंडा पड़  गया था. “मैं उसकी ओर एक टक  देख रहा था “.

उसने मेरा ठंडा हाथ अपने हाथों में  लिया और बोली “चलो कहाँ घूमने चलना है तुम्हे?क्या बातें करनी है तुम्हे? “

बोलो !! ऐसा कहते हुए उसकी आँखे भर आई !! वो एकटक मुझे देखती रही.उसकी आँखों से आंसू बह निकले .मेरा सर उसके कंधे पर गिर गया . ठंडी हवा का झोका अब भी चल रहा था.

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जी हाँ दोस्तों ये तो सिर्फ एक कहानी है पर शायद ये बहुत से लोगों के जीवन ही हकीकत भी है . हम अपनी जिम्मेदारियों को निभाते -निभाते अपने जीवन साथी के लिए समय निकालना ही भूल जाते है .

पति पत्नी का रिश्ता बहुत ही प्यार भरा रिश्ता होता है. इसमें कई तरह की भावनाएँ होती हैं जैसे की प्यार, देखभाल, परवाह, लड़ना-मनाना व छोटी मोटी नोंक-झोंक. यह नोंक झोंक भी वहां होती हैं जहाँ प्यार होता है.

जीवनसाथी, जीवन की ऐसी आवश्यकता है, जिसे किसी भी कीमत पर नकारा नहीं जा सकता . वह आपको सहज महसूस कराने के लिए सब कुछ करेगा. आपका साथी हमेशा आपके मुश्किल समय में आपके साथ रहेगा . वो  हर कठिन परिस्थिति में आपके ठीक पीछे खड़ा होगा . आपका जीवनसाथी मृत्यु तक आपकी हर चीज का ख्याल रखेगा. सच्चाई ये है की जीवनसाथी के बिना जीवन बिलकुल अधूरा है

सब अपना अपना नसीब साथ लेकर आते हैं .इसलिए कुछ समय अपने लिए भी निकालो . जीवन अपना है ,जीने के तरीके भी अपने रखो .शुरुआत आज से करो क्यूंकि कल कभी नहीं आएगा.

“कभी कभी किसी से ऐसा रिश्ता बन जाता है कि हर चीज़ से पहले उसी का ख्याल आता  है”

ऐसे कराएं पति से काम

‘‘अरे सुनो मुझे चाय के साथ के लिए टोस्ट, बिस्कुट कुछ भी नहीं मिल रहा है. कहां रखे हैं?’’

‘‘वहीं गैस प्लेटफार्म के ऊपर वाली

दराज में देखो,’’ अनीशा ने पति अमन को फोन पर बताया.

15 मिनट बाद फिर अमन का फोन आया, ‘‘यार दूध लेने के लिए भगौना कहां है?’’

अपने मातापिता की इकलौती संतान अनीशा आज सुबह ही अपने मायके मुंबई पहुंची थी और सुबह 10 बजे तक उस के पति का 5-6 बार घर की विभिन्न वस्तुओं का पता करने के लिए फोन आ चुका है.

सुगंधा को अपनी कैंसर से ग्रस्त मौसी को देखने के लिए 2 दिन के लिए अहमदाबाद जाना था. जाने से पहले वह फ्रिज में सलाद काट कर नाश्ते के डब्बे टेबल पर रख कर, 2 दिन के लिए अपने पति के पहनने के कपड़े तक अलमारी में से निकाल कर बैड पर रख कर गई ताकि पति को उस की गैरमौजूदगी में कोई परेशानी न हो.

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अकसर इसी प्रकार महिलाएं अपने पति के सारे कामों को हाथोंहाथ कर के उन्हें इतना निष्क्रिय और अपाहिज सा बना देती हैं कि वे घर के छोटेमोटे कार्यों के अलावा अपने व्यक्तिगत जरूरत के कार्यों तक को करना भूल जाते हैं.

एक निजी कालेज में साइकोलौजी की प्रोफैसर और काउंसलर कीर्ति वर्मा कहती हैं, ‘‘विवाह के समय पतिपत्नी एकदूसरे के अगाध प्रेम रस में डूबे रहते हैं. ऐसे में लड़की अपने पति के सभी कार्यों को करने में अपार प्रेम अनुभव करती है परंतु यहीं से एक अनुचित परंपरा का प्रारंभ हो जाता है. पति इसे पत्नी का कर्तव्य समझने लगता है. कुछ समय बाद जब परिवार बड़ा हो जाता है तो समयाभाव के कारण पत्नी पति के उन्हीं कार्यों को करने में स्वयं को असमर्थ पाती है, तब पति को लगता है कि पत्नी उस की ओर ध्यान नहीं दे रही है और इस की परिणति पतिपत्नी के मनमुटाव, यहां तक कि पति के  भटकन यानी विवाहेतर संबंध बनने और कई बार तो परिवार के टूटने तक के रूप में होती है.’’

वास्तव में पति के साथ इस प्रकार का व्यवहार कर के महिलाएं अपने पति को तो अपाहिज सा बना ही देती हैं, स्वयं के पैरों पर भी कुल्हाड़ी मार लेती हैं.

आप चाहे कामकाजी हों या होममेकर जिस प्रकार आप अपने बच्चों को आवश्यक गृहकार्यों में दक्ष बनाती हैं उसी प्रकार पति को भी बनाएं ताकि आप की गैरमौजूदगी में उन्हें किसी का मुंह न ताकना पड़े, वे अपना और बच्चों का कार्य सुगमता से कर सकें.

पति को बनाएं अपना सहयोगी

तैयार होने के लिए अपने कपड़े स्वयं निकालना या अपने जूते साफ करना, औफिस बैग में से लंच बौक्स निकाल कर सिंक में रखना जैसे अपने कार्य स्वयं ही करने की आदत डालें. इस से आप का काम का भार भी कम होगा, साथ ही उन्हें काम करने की आदत भी होगी.

अणिमा के यहां पारिवारिक मित्र डिनर पर आने वाले थे. उस के पति और बच्चों ने डाइनिंग टेबल तैयार कर दी. वह कहती है कि उस ने बच्चों और पति में प्रारंभ से ही मिलजुल कर कार्य करने की आदत डाली है. पति और बच्चों की मदद के कारण ही वे अपना पूरा ध्यान किचन पर केंद्रित कर पाती हैं.

किचन के कार्य सिखाएं

चाय, कौफी, दालचावल, पुलाव आदि बनाना उन्हें अवश्य सिखाएं. यद्यपि पहले की अपेक्षा आज सामाजिक ढांचे में काफी बदलाव आया है और लड़के भी किचन के कार्यों में रुचि लेने लगे हैं, परंतु फिर भी कई परिवार ऐसे हैं जहां लड़कों से काम नहीं करवाया जाता है और जब यही लड़के पति बनते हैं तो अपनी पत्नियों के लिए सिरदर्द बन जाते हैं. ऐसे पति यदि आप के भी जीवनसाथी हैं तो उन्हें किचन के छोटेमोटे कार्यों में कुशल बनाना आप की ही जिम्मेदारी है.

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बच्चों की देखभाल करना

यदि आप कामकाजी हैं तो बच्चे की पढ़ाई, होमवर्क आदि मिल कर कराएं और हाउसवाइफ हैं तो अवकाश के दिनों में बच्चे की जिम्मेदारी पति को सौंपें. इस से जहां आप को थोड़ा सा सुकून मिलेगा, वहीं बच्चे का अपने पिता से भावनात्मक लगाव भी मजबूत होगा और पति को भी बच्चे को संभालने की आदत रहेगी.

बागबानी में लें मदद

सीमा अपने बीमार पिता को देखने के लिए 4 दिनों के लिए घर से गई. लौटी तो देखा भरी गरमी के कारण उस के सारे पौधे झुलस गए हैं.

उस ने अपने पति सोमेश से कहा, ‘‘तुम ने पौधों को पानी ही नहीं दिया, देखो सारे कैसे झुलस गए हैं.’’

‘‘मुझे क्या पता था इन्हें पानी देना है. तुम ने तो कहा ही नहीं था. अगर तुम कह जातीं तो मैं दे देता,’’ सोमेश बोला.

सही भी था, सीमा ने अपने पति से कभी गार्डन में मदद ली ही नहीं थी, इसलिए सोमेश को समझ ही नहीं आया कि पौधों को पानी की आवश्यकता है. पति की व्यस्तता के चलते भले ही आप उन से रोज काम न करवाएं परंतु अवकाश के दिन गार्डन में मदद अवश्य लें ताकि उन्हें भी पौधों की जानकारी रहे और आप की गैरमौजूदगी में पौधे आईसीयू में पहुंचने से बचे रहें.

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मार्केटिंग करवाएं

अक्षता चाहे कितनी भी थकी हो, कैसी भी स्थिति हो, सब्जी लाने का कार्य उसे ही करना होता है. वह कहती है कि आर्यन को सब्जी लेना ही नहीं आता. जब भी लाता है बासी और उलटीसीधी सब्जी ले आता है. इस प्रकार के पतियों को आप अपने साथ ले जाएं उन्हें ताजा और बासी का फर्क बताएं और समयसमय पर उन से मंगवाएं भी ताकि आवश्यकता पड़ने पर वे आप की मदद कर सकें. इस के अतिरिक्त उन से छोटामोटा किराने का सामान आदि भी मंगवाती रहें.

कुछ खामोशियों को खामोश ही रहने दो…

एक औफिस में दो लोग वैभव और दिव्या काम करते थे. काम तो कई लोग करते थे लेकिन मैं उन दो लोगों की बात कर रहीं हूं जो ऑफिस में साथ काम करते-करते अच्छे दोस्त बन गए, लेकिन दिव्या को पता ही नहीं चला कि वैभव उसे पसंद करने लगा था. वैभव उसे रोज़ फोन करता था…उससे प्यार-प्यारी बातें करता था लेकिन उसकी कभी कहने की हिम्मत नहीं हुई कि वो दिव्या को पसंद करता है. वो कहते हैं न कि कुछ खामोशियां…अगर खामोशियां ही बनकर रहें तो रिश्ता बना रहता है…शायद वैभव भी ऐसा ही सोचता था.

वैभव को दिव्या से बात करना बहुत पसंद था.उसे अच्छा लगता था खुशी होती थी जब वो दिव्या से बात करता था हर बार वो कुछ कहने की कोशिश करता था लेकिन वही खामोशी सामाने आ जाती थी. औफिस में मिलना –जुलना तो लगा ही रहता था लेकिन फोन किए बिना भी रह नहीं पाता था.एक दिन की बात है वैभव ने दिव्या को फोन किया और बोला कि मैं तुम्हें याद कर रहा हूं…बहुत मिस कर रहा हूं तब दिव्या को थोड़ा अटपटा सा लगा और उसने सवाल कर लिया कि आप मुझे क्यों याद कर रहें हैं? वैभव ने तुरन्त पलटकर जवाब दिया कि काश तुम ये कह देती कि अरे वैभव आज ही तो मिले थे हम औफिस में फिर क्यों याद आ रही है तो ज्यादा अच्छा लगता. दिव्या थोड़ा घबराई उसके हांथ-पांव ठंडे हो रहे थें. उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं.उसे ये तो समझ आ चुका था कि कुछ तो है वैभव के दिल में… वो अबतक ये समझ चुकी थी कि वैभव क्या चाहता है और उसके दिल में उसके लिए क्या है, लेकिन फिर वही बात आड़े आती है कि कुछ खामोशियों को खामोश ही रहने दें.

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वैभव ने एक दिन दिव्या को फोन करके कहा कि तुम सफेद शर्ट और ट्राउज़र पहन कर आना दिव्या चाहती तो मना कर सकती थी लेकिन शायद वो खुद भी उसकी तरफ अट्रैक्ट हो रही थी और उसने वैभव का कहना मान लिया. वो वही कपड़ा पहन कर गई जिसमें वैभव ने उसे बुलाया था. उसी दिन की बात है…रात के करीब साढ़े बारह बज रहे थे… दोनों की बात हो रही थी और बात ही बात में वैभव ने कुछ कहा जिसपर दिव्या ने पूछा की आप इनता मेरे बारे में क्यों सोचते हो? वैभव ने कहा कि क्यूं तूम मुझे सफेद कपड़ों में अच्छी लगती हो? क्यूं मैं तुमसे आधी रात को भी मिलने के लिए तैयार रहता हूं? तुम जो भी सोचती हो मैं उसे पूरा करना चाहता हूं क्यूं ? क्यूं तुमसे मिलना मुझे अच्छा लगता है? और क्यूं तुम्हारी याद आती है?शायद इसका जवाब मैं तुम्हें दे सकता हूं लेकिन मैं खामोश रहना चाहता हूं……

दिव्या अबतक सब कुछ समझ चुकी थी और उसने धीमी सी आवाज में बस इतना ही कहा कि कुछ खामोशियों को खामोश ही रहने दों…..वो खामोशियां अच्छी होती हैं…. वैभव आज भी बात करता है, दिव्या भी उसे शायद चाहने लगी थी लेकिन इन सबके बीच एक मोड़ ऐसा था जिसपर दिव्या दोराह में खड़ी थी और जिंदगी में उसके कश्मकश थी..जानते हैं क्यूं? क्योंकि वो पहले से ही एक रिलेशनशिप में थी शायद इसलिए ही उसने कहा था कि कुछ खामोशियों को खामोश ही रहने दों…..अब ये रिश्ता गुमनाम ही रहेगा या आगे कुछ होगा ये तो वक्त ही बताएगा….

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सीसीटीवी और प्राइवेसी  

युवाओं को प्राइवेसी की बहुत जरूरत होती है, लेकिन आधे से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे व बायोमीट्रिक सिस्टम युवाओं की प्राइवेसी को खत्म कर रहे हैं. भोपाल के एक होस्टल ने सुरक्षा के नाम पर सीसीटीवी लगाने शुरू किए हैं. जाहिर है कि वहां कौन कब आ रहा है, किस के साथ आ रहा है, यह अब पकड़ में रहेगा. कहने को चाहे यह अच्छा लगे कि सब सुरक्षित हैं पर यह इलैक्ट्रौनिक जेल है.

युवाओं को बहुत से काम गुपचुप करने होते ही हैं चाहे पढ़ाई का मामला हो, प्रेम का हो या पार्टियों का. युवाओं को नए प्रयोग करने की छूट होनी चाहिए, हुड़दंग मचाने की छूट होनी चाहिए. युवाओं पर रैजिमैंटेड रिजीम थोप कर आप उन से कुछ नया करने की उम्मीद नहीं कर सकते. हमेशा से युवा शैतानी भी करते रहे हैं और नएनए प्रयोग भी.

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स्कूलों, कालेजों में छात्रों को अनुशासन में रखने के नाम पर आजकल क्लासरूमों में, कौरीडोरों, खेल के मैदानों व चारदीवारी पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं, जो पलपल को रिकौर्ड कर रहे हैं. इस से चाहे अपराध कम हो रहे हों पर युवाओं की आजादी भी कम हो रही है. वैसे ही, सैल्फी और वीडियो आजकल फटाफट बनाए जाने लगे हैं और कब वे वायरल कर दिए जाएं पता नहीं. सो, अपराधी प्रवृत्ति के लोग सीसीटीवी की फुटेज खंगाल कर उस की रिकौर्डिंग को बेचने का धंधा भी कर सकते हैं.

जब हर तरफ कोनोंकोनों पर सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे तो हर कदम किसी न किसी कैमरे में कैद हो जाएगा और युवाओं को गुपचुप प्यार करने का एक भी मौका न मिलेगा. आज की तकनीक, असल में, अब आम आदमी पर भारी पड़ने लगी है. आप का मोबाइल हर समय औन रहता है और स्क्रीन बंद हो तो भी रिकौर्डिंग चालू रहती है.

आप की हर हरकत आज विशाल डेटा सैंटरों में बंद हो रही है. सीसीटीवी अगर सिमकार्ड से जुड़े हैं तो वह फुटेज न जाने कहां जमा हो रही है. फेस रिकौग्नीशन टैक्निक और आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस के सहारे आप का भूत और वर्तमान एक जगह जमा किया जा सकता है.

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रमा और रमेश का प्रेमप्रसंग कैसे परवान चढ़ रहा है, यह एकसाथ जमा करना अब कंप्यूटरों के लिए मुश्किल नहीं है. युवाओं को अब इस ओवर प्रोटैक्शन का विरोध करना चाहिए. टैक्निक के दीवानों को समझना चाहिए कि मोबाइल और सीसीटीवी के तारबेतार न जाने कहांकहां से जुड़े हैं और वे खुद अपनेआप को इलैक्ट्रौनिक जंजीरों से बांध रहे हैं. इस से आजादी पाना एक बड़ा मुद्दा है इस का मुकाबला करना जरूरी है.

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