रिश्ते में आ गई है तलाक की नौबत,अपनाएं ये बातें बच सकता है रिश्ता

शादी एक ऐसा पवित्र बंधन हैं जिसके जरिए दो अजनबी एक दूसरे के साथ ऐसे अट्टु रिश्ते में बंध जाते हैं जिसमे एक दूसरे की खुशी,अपनी ख़ुशी बन जाती है और दुख दर्द अपने गम बन जाते हैं .यह दोनों पार्टनर्स के लिए एक नए जीवन की शुरुआत होती है. कामयाब शादी का एक मूल मंत्र हैं कि यदि पति की आदतों में पत्नी अपनी खुशी और पत्नी की आदतों में पति अपनी खुशी खोज ले तो जीवन खुशनुमा हो जाता है. शादी ब्याह का बंधन एक विश्वास के धागे पर टिका होता है और जिस रिश्ते  में एक दूसरे के प्रति केयर  और रिस्पांसिबिलिटी का भाव होता है उस रिश्ते में हमेशा प्यार बना रहता है ऐसा रिश्ता एक सम्पूर्ण व कामयाब रिश्ते कि पहचान बन जाता है और जिस रिश्ते में बात बात पर ईगो आने लगता है रेस्पेक्ट व बराबरी का भाव खत्म होने लगता है तो वह रिश्ता टिक नहीं पाता. इसीलिए रहीम जी ने अपने दोहे में लिखा हैं ‘रहीमन धागा प्रेम का मत तोड़ो चटकाय टुटे तो फिर ना जुड़े जुड़े गांठ पड़ जाए ‘ तो जरूरी है कि छोटी मोटी बातों को राई का पहाड़ ना बनाएँ व एक दूसरे के  प्रति प्रेम व विश्वास बनाए रखें.

एक दूसरे की रेस्पेक्ट है जरूरी 

किसी भी रिश्ते को निभाने के लिए एक दूसरे के प्रति बराबरी, शेयर एंड केयर का  भाव होना अति आवश्यक है यह पति पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए रामबाण का कार्य करता है यदि आपका पार्टनर आपसे किसी भी क्षेत्र में कम है तो उसे कभी भी निचा ना दिखाएं बल्कि उसकी अच्छाईयों को तब्बजो दें. और उसको एहसास दिलाएं कि वह आपके जीवन में कितना जरूरी है और वो जैसा भी हैं वैसा ही आपके लिए खास है.

 मुसीबत में ना छोड़े साथ

मुश्किल समय में भी आप अपने पार्टनर को दोष न देकर उसके साथ खड़े होते हैं तो आप एक आदर्श पार्टनर कहलाते हैं जब भी कभी आपके पार्टनर पर कोई विपदा आए तो उसका साथ ना छोड़े बल्कि उसकी ढाल बनकर उसका हौसला बढ़ाएं क्योंकि मुसीबत कितनी भी बड़ी क्यों ना हो लेकिन यदि आपका पार्टनर साथ है तो आप हर मुसीबत का सामना आसानी से कर सकते हैं. और इससे आपकी लव बॉन्डिंग मजबूत होती है.

 उसकी खूबियों को आंके

आप अपने पार्टनर के बाहरी रंग- रूप को ध्यान न देते हुए उसकी आंतरिक सुंदरता से प्रेम करें. हमेशा ध्यान रखें कि यदि आप अपने पार्टनर कि खामियों पर ही फोकस करते रहते हैं तो यह एक बड़े टकराव कि वजह बन सकती हैं लेकिन यदि आप उसकी कमियों पर कम बल्कि खूबियों पर फोकस ज्यादा करते हैं तो वह खुद ही अपने अंदर कि कमियों को खूबियों में बदलने कि कोशिश करता है इसीलिए खूबियों का आकलन आपके रिश्ते को मजबूती देता है जब भी आपको लगे कि आपका रिश्ता कमजोर पड़ने लगा है तो अपने पार्टनर कि खूबियों पर अधिक से अधिक ध्यान दें आपके गिले शिकवे अपने आप कम होने लगेंगे.

पार्टनर की इच्छाओं को दें महत्व

अपनी इच्छा अपने पार्टनर पर बिलकुल भी थोपने की कोशिश ना करें पति-पत्नी को चाहिए कि वो एक दूसरे की इच्छाओं की हमेशा कद्र करें. अगर आप कोई भी काम करने जा रहें है तो अपने पार्टनर की सलाह जरूर लें. और हमेशा अपने पार्टनर कि इच्छाओं को भी समझने कि कोशिश करें.

तुलना ना करें

यह हर रिश्ते में जरूरी हैं कि अपने रिश्ते में किसी और की तुलना को बीच में ना आने दे. कई लोग ऐसे होते हैं कि अपने करीबियों के रिश्तो कि तुलना करते रहते हैं जो कि सबसे गलत है. इस बात को समझें कि आप दोनों का जो रिश्ता हैं वह सबसे बेहतर है और हमेशा रहेगा.

शेयर केयर रिलेशनशिप रिपेयर

दृष्टि रावत 34 साल की है. वह फरीदाबाद में रहती है. देखने में ब्यूटीफुल और कौन्फिडैंट दृष्टि एक वौइस आर्टिस्ट है. 4 साल पहले उस ने विक्रम संवत के साथ लव मैरिज की थी. विक्रम एक बिजनेसमैन है. उस का क्रौकरी का बिजनैस है. बिजनैसमैन होने के नाते विक्रम बहुत बिजी रहता है. लेकिन इस के बावजूद वह घर और बाहर दोनों के काम में दृष्टि की हैल्प करता है.

कभीकभी तो वह खुद अकेले ही घर का सारा काम कर लेता है तो कभीकभी मार्केट जा कर राशन ले आता है. इतना ही नहीं विक्रम कई बार अकेले ही लंच और डिनर भी बना लेता है क्योंकि वह सम?ाता है कि असल माने में पार्टनर की यही परिभाषा है कि वह अपने पार्टनर की हर समय सपोर्ट करे.

दृष्टि और विक्रम दोनों हाउस होल्ड प्रौडक्ट भी साथ जा कर लाते हैं. चाहे घर के कामों से जुड़े टूल्स हों या फिर होम गैजेट हों दृष्टि और विक्रम उन्हें खरीदने साथ ही जाते हैं. इस का एक फायदा यह रहता है कि ये टूल्स और गैजेट कैसे काम करते हैं यह वे दोनों एकसाथ जान लेते हैं. ऐसे में जब दृष्टि घर में नहीं होती या अपने औफिस के काम में बिजी होती है तो विक्रम इन  टूल्स और गैजेट की हैल्प से घर को अच्छी तरह मैनेज कर लेता है.

एक लड़की क्या चाहती है

एक अच्छे हसबैंड की सारी खूबी विक्रम के अंदर है. किस तरह पार्टनर को खुश रखा जा सकता है, किस तरह अपने काम और मैरिड लाइफ को बैलेंस किया जाता है. इन सब बातों से विक्रम पूरी तरह अवगत है. तभी तो उस की मैरिड लाइफ में वे दिक्कतें नहीं हैं जो उन कपल्स के बीच होती हैं जहां घर के कामों को वाइफ या हसबैंड में से सिर्फ कोई एक संभाल रहा होता है.

जब विक्रम दृष्टि की हैल्प करता है तो वह बहुत खुश हो जाती है. यह सच भी है कि एक लड़की यही चाहती है कि उस का पार्टनर उस के सभी कामों में मदद करे. वह सही मानों में उस का हमसफर हो न सिर्फ कहने भर को.

क्लाउड किचन चलाने वाली रति अग्निहोत्री रिलेशनशिप पर अपनी राय देते हुए कहती है, कोई भी रिलेशन बिना केयर के नहीं चलता. ‘‘आप का पार्टनर भी आप से यही केयर चाहता है. आजकल हसबैंडवाइफ दोनों ही वर्किंग हैं. ऐसे में उन्हें अपने लिए बिलकुल समय नहीं मिलता है क्योंकि वाइफ औफिस के साथसाथ घर भी संभालती है. इस की वजह से वह हर वक्त थकान में चूर रहती है. ऐसे में उस में चिड़चिड़ापन आना स्वाभाविक है. लेकिन वहीं जहां आप का पार्टनर भी काम का कुछ भार अपने ऊपर ले ले तो यह भार कुछ कम हो सकता है. मैं भी अपना बिजनैस इसलिए कर पा रही हूं क्योंकि मेरे पार्टनर मेरे घर के कामों में मेरी हैल्प करते हैं.’’

ऐसे निभाएं रिश्ता

आंकड़े भी यही बताते हैं कि हैल्पिंग पार्टनर वाली मैरिज ज्यादा समय तक टिकती है. वहीं उन की रोमांटिक लाइफ भी उन कपल्स के मुकाबले ज्यादा हैप्पी होती है जहां सिर्फ फीमेल पार्टनर ही घर के सभी कार्यों का बोझ उठाती हैं.

अगर आप भी अपनी वाइफ या पार्टनर की हैल्प करना चाहते हैं लेकिन आप के पास इन सब के लिए बहुत कम समय है तो आप कुछ स्मार्ट होम ऐप्लायंसिस और गैजेट की हैल्प ले सकते हैं. इन के इस्तेमाल से आप कम समय में ही अपने घर के कामों को जल्दी निबटा पाएंगे और अपने पार्टनर के साथ समय बिता पाएंगे. आप की छोटी सी हैल्प से आप की रिलेशनशिप खुशियों से भर जाएगी.

मार्केट में ऐसे बहुत से प्रौडक्ट्स हैं जिन की हैल्प से आप अपने काम को जल्दी से जल्दी निबटा सकते हैं. इस के बाद बाकी बचे समय में आप अपने पार्टनर के साथ समय बिता सकते हैं. आप चाहे तो अपने रिलेटिव्स और फ्रैंड्स को उन के घर जा कर सरप्राइज भी दे सकते हैं.

अगर बात करें गैजेट की तो एक गैजेट है स्मार्ट रोबोट वैक्यूम क्लीनर. इस क्लीनर का इस्तेमाल फ्लोर की साफसफाई के लिए किया जाता है. इस का इस्तेमाल कर के आप चंद मिनटों में झड़ूपोंछा का काम निबटा सकते हैं. आप इसे अपने फोन से भी कनैक्ट कर सकते हैं.  इसी तरह आप ढो मेकर और रोटी मेकर का यूज कर के भी कम समय में रोटियां बना सकते हैं.

इसी तरह दही मेकर है जो आप को दही जमाने के झंझट से छुटकारा दिलाता है. इन कामों से बचे हुए टाइम को आप अपने क्वालिटी टाइम के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. इस तरह से आप की फीमेल पार्टनर भी आप का साथ पा कर खुश हो जाएंगी.

सोचो अगर आप और आप की पार्टनर डिनर के बाद साथ में कुछ क्वालिटी टाइम स्पैंड करना चाहते हैं लेकिन सिंक में बरतन धोने के लिए पड़े हुए हैं. सुबह आप दोनों को औफिस जाने की जल्दी होती है ऐसे में आप डिशवौशर का इस्तेमाल कर के क्वालिटी टाइम स्पैंड कर सकते हैं.

वहीं अगर आप के रिश्ते में किसी कारणवश खटास आ गई है तो आप उसे अपने पार्टनर की हैल्प और उन की केयर कर के दूर कर सकते हैं. यही वह समय है जब आप अपने उलझे रिश्ते को शेयरिंग और केयरिंग के जरीए सुलझ सकते हैं.

जब फीमेल पार्टनर घर का बोझ उठाएं

अगर बात करें उन लोगों की मैरिड लाइफ कैसी होती है जहां सिर्फ फीमेल पार्टनर ही घर का सारा भार उठाती हैं. यह बात हम श्रेया और अंकुश की कहानी से जानेंगे.

श्रेया और अंकुश दोनों ही वर्किंग हैं. ऐसे में श्रेया घर और औफिस दोनों का काम संभालती है. वहीं अंकुश सोफे पर बैठेबैठे और्डर देता रहता है. इतना ही नहीं अंकुश खाने में भी नुक्स निकालता है. अकसर खाने में वैराइटी और घर के कामों को ले कर उन के बीच बहस होती रहती है. श्रेया इन सब से बहुत परेशान हो गई है. वह इस रिश्ते से अब थक गई है. उस का ऐसा फील करना गलत भी नहीं है. जब एक ही पर्सन जिम्मेदारियों का निर्वाह कर रहा हो तो वह एक समय बाद तंग हो ही जाता है. ऐसा ही अभी श्रेया के साथ हो रहा है.

असल में जब एक ही व्यक्ति घर और बाहर दोनों के ही काम करता है तो वह फ्रस्ट्रेटिंग फील करता है. उसे बातबात पर गुस्सा आता है. इस से उस की रिलेशनशिप में भी प्रौब्लम होती है. वहीं अगर दोनों पार्टनर मिल कर सारी जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हैं तो उन का रिलेशन खुशनुमा रहता है.

ऐसे बनाएं खुशहाल जिंदगी

ऐसा नहीं है कि पार्टनर के साथ मिल कर काम करने से आप सिर्फ उन की हैल्प कर रहे हैं. पार्टनर के साथ मिल कर काम करने से आप अपनी मैरिड लाइफ को ज्यादा समय दे पाते हैं. इस से मनमुटाव भी नहीं होता है और आप की लाइफ स्मूथली मूव करती है, साथ ही आप मैंटली और फिजिकली हैप्पी भी फील करती हैं.

अगर दोनों पार्टनर मिल कर घर और बाहर दोनों के काम को संभालते हैं तो यह किसी एक पर बोझ नहीं बनता. ऐसा करने से दोनों ही अपने वर्क और स्किल्स पर ध्यान दे पाते हैं, साथ ही उन की लव लाइफ भी अच्छी और खुशहाल रहती है. दोनों पार्टनर के साथ मिल कर काम करने से आप अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को भी ज्यादा समय दे पाते हैं. वहीं किसी एक को भी ऐसा नहीं लगता कि उसे अपना रिश्ता बचाने के लिए ऐक्स्ट्रा ऐर्फ्ट करना पड़ रहा है न ही उस का पार्टनर उसे टेक फौर गरांटेड ले रहा है.

कोई भी रिश्ता तभी बेहतर होता है जब आप अपने पार्टनर और उस की फैमिली को रिस्पैक्ट देते हैं. यहां यह बात समझनी बहुत जरूरी है कि सिर्फ मेल पार्टनर या हसबैंड के मांबाप को मांबाप न समझ जाए बल्कि फीमेल पार्टनर या वाइफ के मांबाप को भी मांबाप समझ जाए. आप अपनी फीमेल पार्टनर या वाइफ के मांबाप को भी वह सम्मान दें जो आप अपनी पार्टनर से अपने मांबाप के लिए चाहते हैं.

आखिर इज्जत का हक सिर्फ लड़के के मां बाप तक ही क्यों सीमित रहे. जब 2 लोग 1 रिश्ते में आ रहे हों तो सम्मान भी तो दोनों के मांबाप का होना चाहिए.

अगर आप भी अपने रिश्ते में शांति और सुकून चाहते हैं तो अपने पार्टनर की पूरी मदद करें, साथ ही उस के मां बाप को भी पूरा सम्मान दें. वहीं अगर आप के रिश्ते में तनाव या मनमुटाव चल रहा है तो इस बार अपने रिश्ते को केयरिंग से रिपेयर करें.

ज्वाइंट फैमिली में रहने के कारण मैं परेशान हो गई हूं?

सवाल-

मैं 26 वर्षीय विवाहिता हूं. हमारा संयुक्त परिवार है. शादी से पहले ही हमें यह बता दिया गया था कि मु झे संयुक्त परिवार में रहना है. वैसे तो यहां किसी चीज की दिक्कत नहीं है पर ससुराल के अधिकतर लोग खुले विचारों के नहीं हैं, जबकि मैं काफी खुले विचार रखती हूं. इस वजह से मु झे कभीकभी उन की नाराजगी भी सहनी पड़ती है और खुलेपन की वजह से मेरी ननदें व जेठानियां मु झे अजीब नजरों से भी देखती हैं. पति को कहीं और फ्लैट लेने को नहीं कह सकती. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

घरपरिवार में कभीकभी कलह, वादविवाद,  झगड़ा आम बात है. मगर परिवार फेसबुक अथवा व्हाट्सऐप की तरह नहीं है जिस में आप ने सैकड़ों लोगों को जोड़ कर तो रखा है, मगर आप को कोई पसंद नहीं है तो आप उसे एक ही क्लिक में एक  झटके में बाहर कर दें.

इस बात की कतई परवाह न करें कि परिवार के कुछ सदस्य आप को किन नजरों से देखते हैं और कैसा व्यवहार करते हैं. अच्छा यही होगा कि अपनेआप को इस तरीके से व्यवस्थित करें कि आप हमेशा खूबसूरत इंसान बनी रहें. कोई कैसे देखता है यह उस पर है.

आजकल जहां ज्यादातर लोग एकल परिवारों में रहते हुए तमाम वर्जनाओं के दौर से गुजरते हैं, वहीं आज के समय में आप को संयुक्त परिवार में रहने का मौका मिला है, जिस में अगर थोड़ी सी सू झबू झ दिखाई जाए तो आगे चल कर यह आप के लिए फायदेमंद ही साबित होगा.

बेहतर यही होगा कि छोटीछोटी बातों को नजरअंदाज करें और सब को साथ ले कर चलने की कोशिश करें. धीरेधीरे ही सही पर वक्त पर घर के लोग आप को हर स्थिति में स्वीकार कर लेंगे और आप सभी की चहेती बन जाएंगी.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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जब सताने लगे बेवफाई

लास एंजिल्स में छपी एक खबर के अनुसार पीटरसन नामक एक पति ने अपनी 8 माह से गर्भवती पत्नी लकी की हत्या कर दी. कई दिनों तक उस के न दिखने पर लकी के सौतेले पिता ने पुलिस में रिपोर्ट कराई. उस के तहत एक लड़की से पता चला कि पीटरसन का उस लड़की के साथ अफेयर था. वह उस लड़की के साथ शादी करना चाहता था. और वह लड़की पीटरसन को अभी तक अविवाहित सम?ा रही थी.

पीटरसन की सास रोचा कहती है कि अपनी बेटी के कत्ल के बावजूद उसे अपने दामाद से तब तक हमदर्दी थी जब तक उसे यह पता नहीं था कि पीटरसन का किसी अन्य लड़की के साथ अफेयर है. लेकिन जब से उसे पीटरसन के अपनी बेटी से बेवफाई के बारे में पता चला है उस ने अदालत में चीखचीख कर यह गुहार की कि उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए. पीटरसन के मातापिता को भी उस के शादीशुदा अफेयर के बारे में सुन कर अच्छा नहीं लगा.

राजामहाराजाओं के जमाने में पुरुषों को बेवफाई का जन्मसिद्ध अधिकार था, जबकि किसी स्त्री के ऐसा करने पर गांव, महल्ले, सगेसंबंधी कुलटा आदि कह कर सभी उस का जीना हराम कर देते थे.

रामायण की धोबन का हश्र याद होगा जिस के कारण मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने भी सारी मर्यादाओं को लांघ कर सीता को वन में छुड़वा दिया था. धोबी को उस धोबन पर शक केवल इसलिए हुआ कि वह रात को घर पर नहीं थी. भले ही बेवफाई हुई हो या न हुई हो. राम ने धोबन को बचाने की या उस की सुनने की भी कोशिश की हो, ऐसा रामायण में कहीं जिक्र नहीं है. धोबन और सीता दोनों ही अकारण घर से निकाल दी गईं.

मगर जब से स्त्री के अधिकारों की बात शुरू हुई तब से पुरुषों के इस अधिकार पर थोड़ा सा अंकुश लगा तो दूसरी तरफ स्त्रियों ने इस तरह के रिलेशंस बनाने शुरू कर दिए. अमेरिका में हुई एक रिसर्च के अनुसार 70% शादीशुदा पुरुष और 50% शादीशुदा महिलाएं विवाहेतर संबंध बनाती हैं, जिन में कुछ बन नाइट स्टैंड होते हैं यानी एक रात भर सोए और फिर भूल गए.

यहां भावनाओं का कोई मतलब नहीं. वहीं कुछ ऐसे भी होते हैं जो बनाए ही भावनात्मक सुरक्षा के लिए जाते हैं जोकि घनिष्ठ और लंबे समय तक चलते हैेें. बहरहाल चाहे लंबे समय के लिए हो या 1-2 घंटों के लिए ही सही बेवफाई बेवफाई होती है.

सगेसंबंधियों पर प्रभाव: हमारे देश में इस संबंध का न सिर्फ पतिपत्नी, बच्चों पर बल्कि आप के मातापिता, सगेसंबंधी, अविवाहित भाईबहनों आदि पर भी पड़ता है. उन्हें व्यर्थ सजा मिलती है.

  •   बाहर वालों के तानों की शर्मिंदगी परिवार में सभी को उठानी पड़ती है.
  • अगर बेवफाई स्त्री ने की है तो अविवाहित बहन या भतीजी की तुलना उस के साथ की जाने लगती है और शादीविवाह में कठिनाई पैदा हो जाती है.
  • बच्चों को मातापिता के बीच चल रहे मनमुटाव के साथसाथ बाहर वालों की अजीब नजरों का भी सामना करना पड़ता है जिस के काफी गंभीर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ते हैं.

बेवफाई करने वाले पर प्रभाव

  •  बेवफा व्यक्ति घर वालों और बाहर वालों की नजरों में गिर जाता है.
  • घर वालों के सहयोग की उम्मीद इस मामले में कभी नहीं कर सकते.
  • हर वक्त अनुचित रिश्ते को छिपाने के लिए नएनए झूठ बोलने पड़ेंगे.
  • इन अवैध संबंधों में अगर बच्चे भी हैं तो जायज के साथसाथ नाजायज बच्चे भी इज्जत से नहीं देखेंगे.

दूर से देखनेसुनने में भले ही लगे कि पश्चिमी देशों में इस तरह के रिश्तों पर कोई आपत्ति नहीं होती जबकि सचाई यह है कि विवाहेतर संबंध कहीं भी किसी भी समाज में उचित नहीं माने गए हैं. इस का बहुत बड़ा उदाहरण अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और मोनिका लेवेंस्की के संबंध जिन की आलोचना दुनियाभर में की गई.

भले ही कितनी ही स्त्रियों के साथ क्लिंटन के संबंध रहे हों लेकिन देश और समाज में सिर उठा कर चलने के लिए उन्हें अपनी पत्नी हिलेरी क्लिंटन की ही जरूरत थी. हिलेरी क्लिंटन को भी इस जहर को पीना पड़ा पर उन्हें राष्ट्रपति पद जनता ने नहीं दिया. वे राष्ट्रपति का चुनाव हार गई थीं.

थेरैपिस्ट या काउंसलर भी विवाहेतर संबंधों के बारे में यही राय देते हैं कि अगर इन के बिना नहीं रह सकते तो तलाक ले लें.

असलियत में कोई भी बेवफा व्यक्ति न तो अपनी शादी को तोड़ना चाहता है क्योंकि सगेसंबंधी इस की इजाजत कभी नहीं देते और न ही इस विवाहेत्तर रिश्ते को खत्म करना चाहता है. दूसरा घर बसाना और सगेसंबंधियों को छोड़ना कोई आसान काम नहीं. फिर यह भी जरूरी नहीं कि जिस के साथ आप के संबंध हैं वह आप से विवाह के लिए राजी ही हो क्योंकि उस के लिए भी घर तोड़ना, सगेसंबंधियों के खिलाफ जाना आसान नहीं. इस तरह के रिश्ते आमतौर पर खतरनाक साबित होते हैं. बेवफाई खतरनाक होती है. इस समस्या का मैसेज एक वैबसाइट पर एक काउंसलर के पास आया-

डियर आंट वैबी मैं जानती हूं कि इस शर्मनाक गलती के लिए मुझे चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए, फिर भी आप की राय चाहती हूं. मैं ने अपनी 6 साल की शादीशुदा जिंदगी में पहली बार एकदूसरे पुरुष के साथ संबंध बनाए हैं और उस के प्रेम में बेहद पागल हूं. मेरे पति जोकि मुझे बेहद प्यार करने वाले, अच्छे और आदर्श पुरुष हैं, उन्हें इस बारे में कुछ नहीं पता. मैं जानती हूं कि जिस दिन उन्हें इस बात का पता चलेगा उन का विश्वास टूट जाएगा.

इस दूसरे पुरुष के लिए मैं अपने बेहद अच्छे पति को छोड़ने के लिए भी तैयार हूं. लेकिन यह नहीं जानती कि वह भी मुझ से शादी करेगा या नहीं. वह एक बहुत अच्छे, भरेपूरे परिवार से है और 4 बच्चों का बाप है. मेरे अपना कोई बच्चा नहीं है. मैं यह भी जानती हूं कि एक बेहद अच्छा पति होने के बावजूद किसी दूसरे शादीशुदा मर्द के चक्कर में पड़ना समाज कभी स्वीकार नहीं करेगा. प्लीज, आप मुझे इस अफेयर को खत्म करने की सलाह न दें बल्कि यह बताएं कि मैं इस अफेयर को कंटीन्यू क्यों रखना चाहती हूं.

वोदका गर्ल इस अजीब समस्या का अंजाम परिवार के टूटनेबिखरने के अलावा कुछ नहीं हो सकता क्योंकि बीवी परपुरुष के साथ अपने संबंधों को खत्म नहीं करना चाहती और ऐडवाइजर को भी यही कह रही है कि इस रिश्ते को खत्म करने की सलाह न दें. यानी जानबू?ा कर आग से खेलने का शौक है मैडम को.

इन्हीं मैडम की तरह कुछ लोग पति या पत्नी की बेवफाई के बावजूद अपने पजैसिव नेचर की वजह से छोड़ना नहीं चाहते और बेवफाई से भी बाज नहीं आते यानी उन्हें दोनों हाथों में लड्डू चाहिए.

हौंगकौंग में लिऊयांग नामक एक व्यक्ति ने अपनी सास का सिर काट डाला और उसे ले कर पुलिस स्टेशन पहुंच गया. चीन के स्थानीय समाचारपत्र साउथ मौर्निंग पोस्ट में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार इस व्यक्ति ने अपनी सास की हत्या इसलिए की क्योंकि पतिपत्नी के बीच चल रही बेवफाई के कारण सास अपनी बेटी को तलाक के लिए भड़का रही थी.

बेवफा व्यक्ति अपने विवाहित जीवन के साथ विवाहेतर संबंधों को सहेजने की लाख कोशिश करे लेकिन इन सब का एक ही अंत होता है, जो कभी सुखद नहीं होता. इस तरह के संबंधों से बेवफा व्यक्ति थोड़े समय के लिए भले ही मानसिक या शारीरिक सुख प्राप्त कर ले लेकिन बोनस में जीवन भर की टैंशन भी ले लेता है.

मैं अपने रिलेशनशिप को एक लेवल आगे बढ़ाना चाहता हूं, मैं क्या करुं?

सवाल-

गलफ्रैंड के साथ मेरी फ्रैंडशिप हुए अभी  6 महीने हुए हैं. हम आपस में खूब मिलते हैं, बातें करते हैं. वह मु झ से और मैं उस से सैक्सी बातें भी करता हूं. लेकिन मैं पता नहीं लगा पा रहा कि वह मेरे साथ सैक्स करने में कितनी इंट्रैस्टैड है. मैं उस से सैक्स के लिए पूछूं और वह मना कर दे, ऐसा मैं हरगिज नहीं चाहता. ऐसा क्या करूं कि वह मेरी फीलिंग्स सम झे,  मु झे गलत न सम झे और फिजिकल होने में उस की रजामंदी शामिल हो?  उस की रजामंदी मेरे लिए बहुत माने रखती है.

जवाब-

यह अच्छी बात है कि आप अपने पार्टनर की फीलिंग्स का ध्यान रखते हैं और सैक्स के लिए उस की रजामंदी आप के लिए उतनी ही माने रखती है जितनी खुद की.

फिलहाल कुछ तरीके अपना कर देखें जिन के जरिए आप अपनी गर्लफ्रैंड से अपनी ख्वाहिश जाहिर कर सकते हैं, जैसे कि साथसाथ चलते हुए, बातें करते हुए आप उस का हाथ अपने हाथ में ले सकते हैं. उंगलियों को आपस में उल झा सकते हैं. इस से वह महसूस करेगी कि आप ज्यादा नजदीकी चाहते हैं.

उस की तारीफ करते हुए आंखों में आंखें डाल कर उस के हावभाव देखें. उस की कमर पर हाथ रख कर देखें कि उस का क्या रिऐक्शन है. उस का अच्छा मूड देखते हुए एसएमएस या व्हाट्सऐप  भेजें, ‘आई वांट यू.’ इंतजार कीजिए वह क्या जवाब देती है या कोई उत्तर देती है भी या नहीं.

सरप्राइज में इनरवियर सैट गिफ्ट में दें लेकिन उस से कह दें कि अकेले में खोल कर देखे. गर्लफ्रैंड आप की इच्छा जरूर समझ जाएगी.

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प्यार, रोमांस फिर शादी ये चलन सदियों से चला आ रहा है. दो युगलों के बीच प्यार एक पराकाष्ठा को पार तब करता है जब दोनों का मिलन आत्मा से होता है. प्यार का समागम आत्मा और शरीर दोनों से ही होता है. जब नवविवाहिता आती है तो धारणा यह बनती है कि अब दोनों का शारीरिक मिलन तय है, पर यह गलत है. हालांकि, शारीरिक मिलन यानि कि सेक्स जीवन का एक आधार है एक नई पीढ़ी को तैयार करने का. पर नवविवाहित जोड़ों को सेक्स से संबंधी कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है. या यूं कहें कि कुछ मतभेद जो उनके दिलों में कई सवाल बनकर खड़े हो जाते हैं. सेक्स से जुड़े वो कौन-से मतभेद हैं जो उनको एक-दूसरे के करीब नहीं आने देते –

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लव रिलेशनशिप: फोटो खींचें या नहीं

किसी भी रिश्ते में यादें इंपौर्टेंट रोल प्ले करती हैं और हरकोई चाहता है कि उन यादों को संजो कर रखे. कुछ यादें लमहों के रूप में होती हैं तो कुछ चीजों के रूप में. वहीं कुछ यादें तसवीरों के रूप में भी होती हैं. ये तसवीरें ही हैं जो हमारे चाहने वालों के हमारे पास न होने पर हम उन की तसवीरों से बातें करते हैं.

इसी तरह रिलेशनशिप में भी फोटोज बहुत इंपौर्टेंट होती हैं. रिलेशनशिप में कपल तरहतरह की फोटोज लेते हैं. ये सभी फोटो वे यादों के रूप में अपने साथ रखना चाहते हैं और यह भी चाहते हैं कि समयसमय पर इन्हें देख कर वे अपने पुराने दिनों को जी सकें. आजकल तो फोटोज से बनने वाले तरहतरह के गिफ्ट भी काफी डिमांड में हैं.

कई लोग डेटिंग के दिनों में ही अपनी फोटोज सोशल साइट पर अपलोड कर देते हैं जबकि वे यह नहीं जानते कि ये डेटिंग आगे चल कर रिलेशनशिप में बदलेगी भी या नहीं. ऐसे में उन का इतनी जल्दी रोमांटिक फोटोज अपलोड करना सही नहीं है. उन्हें अपने रिश्ते को वक्त देना चाहिए.

ताकि कोई प्रौब्लम न हो

अपना ऐक्सपीरियंस शेयर करते हुए प्रियंका बताती है कि एक लड़के को 3 महीने डेट करने के बाद वह उस के साथ रिलेशनशिप में आ गई लेकिन करीब 2 साल के बाद उन का रिलेशन टूट गया. तब तक वह उस के साथ अपनी कई फोटोज सोशल साइट पर अपलोड कर चुकी थी. वह कहती है कि जब उन का ब्रेकअप हुआ तो उस ने वे सारी फोटोज डिलीट कर दीं लेकिन अपने दोस्तों के सवालों का जवाब देदे कर वह परेशान हो गई.

प्राइवेट फोटो ही दिक्कत में न डाल दे

मधु श्रीवास्तव बताती है कि शादी के 5 साल बाद जब उन के हसबैंड ने उन की इंस्टाग्राम आईडी पर उन की और उन के एक्स बौयफ्रैंड की रोमांटिक फोटोज देखीं तो वे गुस्से से तिलमिला उठे. वे यह समझने के लिए तैयार नहीं थे कि फोटो वाला लड़का उन का पास्ट था और वे उस का प्रैजेंट हैं. वह कहती है कि काफी सम?ाने के बाद वे इस बात को समझे कि ये सब अतीत की बातें हैं.

अपनी गलती से सीख लेते हुए मधु कहती है, ‘‘ब्रेकअप होने के बाद सभी को सोशल साइट से अपने पार्टनर की फोटोज डिलीट कर देनी चाहिए ताकि बाद में आप को इस से कोई प्रौब्लम न हो.’’

गवर्नमैंट जौब की तैयारी करने वाली दिव्या शर्मा कहती है, ‘‘रिलेशनशिप में फोटोज लेना जरूरी है लेकिन एक हद तक. आज के दौर में लोगों ने फोटोज खींच कर सोशल मीडिया पर अपलोड करने का ट्रैंड बना लिया है. यह, बस, शो-औफ है.’’

कई बार जल्दबाजी में हम अपनी प्राइवेट फोटोज अपने लव वन को भेजने के बजाय किसी और को भेज देते हैं. ऐसे में हमें अजीब स्थिति का सामना करना पड़ता है और उस पर्सन के मन में कुछ गलत हो तो वह हमें इस के लिए ब्लैकमेल भी कर सकता है और किसी पोर्न साइट पर न डाल सकता है. इन सब से बचने के लिए फोटो भेजने में जल्दबाजी न करें.

बातचीत के दौरान वीडियो, फोटो शेयर करना एक सामान्य बात है. इस में कोई नई बात नहीं है और न ही कुछ गलत. लेकिन कई बार लड़की या लड़का सैक्स के दौरान खींचे गए फोटोज या वीडियोज रिकौर्ड कर के एकदूसरे को शेयर करते हैं, जिन में न्यूड फोटो, सैक्स वीडियो टेप, कौल रिकौर्डिंग जैसी कई चीजें भी होती हैं. जब रिलेशन टूटता है तो जो व्यक्ति रिवैंज लेना चाहता है वह इन फोटोज का गलत इस्तेमाल करता है. ऐसा कर के वह दूसरे पार्टनर को बदनाम करना चाहता है.

सोशल मीडिया साइट है खतरनाक

यूपी में एक 20 वर्षीय युवती ने अपने पूर्व प्रेमी पर रेप और ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया. पूर्व प्रेमी उस की दूसरी जगह शादी होने के बाद उसे और उस के पति को ब्लैकमेल कर रहा था. पुलिस ने युवती की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी को गिरफ्तार कर लिया.

जब कोई प्रेमी अपने पार्टनर की न्यूड फोटो या शारीरिक संबंध के दौरान ली गई प्राइवेट फोटो, वीडियो, औडियो को उस की परमिशन के बिना किसी सोशल मीडिया साइट या किसी अन्य पब्लिक साइट पर अपलोड करता है इस इरादे से कि पार्टनर को बदनाम किया जा सके तो इसे रिवैंज पोर्न कहते हैं. रिवैंज पोर्न को नौन कंसोलेशन पोर्न इमेज बेस्ड पोर्नोग्राफी भी कहते हैं. यह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के तहत अपराध है.

रिवैंज लेने के कई कारण होते हैं, जैसे फीमेल पार्टनर का शादी से इनकार, लड़की की लाइफ में किसी और का आ जाना या उस का दूसरा बौयफ्रैंड बन जाना जिस की वजह से वह पुराने बौयफ्रैंड को इग्नोर करने लगती है. कई बार लड़के अपना ईगो हर्ट करने पर भी रिवैंज लेते हैं. वहीं कई केस ऐसे भी आते हैं जिन में लड़की शादी से पहले सैक्स करना नहीं चाहती, ऐसे में उस का बौयफ्रैंड फोटो के साथ छेड़छाड़ कर के उसे वायरल कर देता है.

रिवैंज पोर्न के तहत लड़कियों या महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जैसे अनिद्रा, डिप्रैशन, माइग्रेन आदि.

पहले तो नियति डर गई लेकिन जब उस ने अपनी दोस्त मुक्ति को इस बारे में बताया तो उस ने इस की शिकायत पुलिस में दर्ज कराने को कहा. अब अक्षय जेल की हवा खा रहा है और नियति बिना डरे अपने कैरियर पर फोकस कर पा रही है.

यहां कर सकते हैं शिकायत

ब्लैकमेलिंग करने का तरीका औफलाइन या औनलाइन कुछ भी हो सकता है. इस की शिकायत भी उसी आधार पर दर्ज होती है जिस परिस्थिति में ब्लैकमेलिंग या उत्पीड़न हुआ होता है.

सरकार की साइबर क्राइम विभाग की वैबसाइट द्धह्लह्लश्चर्//ष्4ड्ढद्गह्म्ष्द्बद्वह्म्द्ग.द्दश1.द्बठ्ठ/ पर महिलाएं और बच्चे बिना नाम दिए भी अपनी शिकायत रजिस्टर करवा सकते हैं. उन्हें, बस, यह सुबूत देना होगा कि उन के साथ क्राइम हुआ है. अगर किसी को समाज का डर लग रहा है या फिर वह सोच रहा है कि शिकायत दर्ज करवाने पर बदनामी होगी या उसे खतरा होगा तो वह इस वैबसाइट पर जा कर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है.

अगर किसी लड़की को फोटो वायरल करने की धमकी दी जाती है तो पुलिस आरोपी के खिलाफ साइबर क्राइम की धारा 66, 67 का अपराध दर्ज कर सकती है. इस के अलावा आईपीसी की धारा 320, 34, 170, 465, 468, 469, 120, 425 समेत कई दूसरी धाराओं में भी मामला दर्ज किया जा सकता है.

वहीं आईटी एक्ट की धारा 66 ई कहती है कि अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य महिला या पुरुष के प्राइवेट पार्ट की तसवीर उस की अनुमति के बगैर लेता है और उसे औनलाइन कहीं अपलोड करता है या प्रिंट करता है तो ऐसा करने वाला व्यक्ति दोषी कहलाया जाएगा. ऐसे केस में उसे 3 साल तक की कैद और 2 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.

यह बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए कि डरने से बात और ज्यादा बिगड़ सकती है, इसलिए अगर कुछ गलत हो रहा है तो उस की शिकायत जरूर दर्ज होनी चाहिए. चाहे क्राइम औनलाइन हो या औफलाइन, शिकायत करनी बहुत जरूरी है ताकि आरोपी को सजा मिल सके. डरने से जुर्म करने वालों की हिम्मत बढ़ती है और जुर्म को बढ़ावा मिलता है.

लड़कियों को अपने अंदर से यह डर निकालना होगा कि शिकायत कराने से उन की बदनामी होगी. कई लड़कियां सोचती हैं कि अगर उन्होंने ब्लैकमे?िलंग के बारे में घर में बताया तो उन की पढ़ाई या नौकरी छूट जाएगी. लड़कियों को इस से डरना नहीं चाहिए. वे यह सम?ों कि यह उन के अस्तित्व की लड़ाई है और अगर उन्होंने यह लड़ाई लड़ ली तो वे सोसाइटी के लिए एक मिसाल बनेंगी.

11 टिप्स: टीनऐज युवा से दोस्ती के

टीनऐज युवा बहुत सारे बदलावों से गुजरते हैं. इस का सब से बड़ा कारण है हारमोंस. एक तरफ जहां शरीर में तेजी से बदलाव आते हैं, वहीं ये हारमोंस उन की फीलिंग्स और भावनाओं में भी कई तरह के बदलाव लाते हैं. प्यार, अट्रैक्शन, गुस्सा, हर्ट होने जैसी फीलिंग्स अब युवाओं में बढ़ने लगती हैं. जहां एक तरफ वे इन फीलिंग्स और बदलावों को सम  झने की कोशिश कर रहे होते हैं, वहीं स्कूल में पढ़ाई का प्रैशर भी बढ़ने लगता है. यह प्रैशर और हारमोंस बच्चे के बदलते स्वभाव के लिए जिम्मेदार होते हैं.

सकारात्मक रिश्ता बनाए रखने के लिए इन टिप्स को अपनाएं:

  1. जानकारी रखें

भले ही युवा चाहते हैं कि उन पर भरोसा रखा जाए और उन्हें आजादी भी दी जाएं, लेकिन मांबाप इस बात की जानकारी जरूर रखें कि युवा या किशोर कहां जा रहे हैं, किस से मिल रहे हैं, क्या कर रहे हैं या दोस्त कौन हैं.

2. लक्ष्य तक पहुंचने में करें मदद

हर टीनऐजर अपना एक लक्ष्य बनाता है और उसे पूरा करना चाहता है. ऐसे में मांबाप उस की मदद चाहता है और उसे बताया जाए कि उस के इस लक्ष्य को प्राप्त करने में बड़े उस के साथ हैं, साथ ही असफल होने पर उस के आत्मविश्वास को बनाए रखने में हरसंभव उस की मदद भी करेंगे.

3.दोस्त बनें

टीनऐजरों की बेहतर परवरिश के लिए पेरैंट्स बनने के साथसाथ एक दोस्त का रिश्ता भी बनाना होगा जिस से किशोर व युवा अपनी परेशानियां या हर तरह की बातें उन के साथ खुल कर सा  झा कर सकें ताकि वे किसी तरह की गलत चीजों में फंसने से बचे रहें. उन का दोस्ताना व्यवहार टीनऐजरों को करीब रखेगा तभी बड़े उन्हें सहीगलत की जानकारी बेहतर तरीके से बता सकेंगे.

4.कुछ समय साथ में गुजारें

यह जरूरी है कि बड़े दिनभर में कम से कम 1 घंटा जरूर साथ गुजारें. यह समय साथ खाना खाने का, कुकिंग का या सफाई का हो सकता है या कुछ और. रात में सोने से पहले आप साथ में 20-25 मिनट की वाक कर सकते हैं और दिनभर की बातों को सा  झा कर सकते हैं. टीनऐजरों के साथ वीडियो गेम्स, बोर्ड गेम्स खेले जा सकते हैं. उन से राजनीति पर गंभीर चर्चा की जा सकती है. बुक्स या पत्रिकाओं में लिखी बातों की चर्चा की जा सकती है.

5.धैर्य रखें

टीनऐजरों को एक बेहतर परवरिश देने का तरीका है कि मांबाप धैर्य रखें. टीनऐजर खुद इतने बदलावों से गुजर रहा है कि बड़ों से सहयोग की जरूरत होती है. यहां बड़े सम  झें कि उन का बच्चा या बच्ची अजीब तरीके से व्यवहार क्यों कर रहा है. उस के मूड स्विंग्स को ले कर उस पर चिल्लाएं नहीं. ऐसे में एक पेरैंट होने के नाते बड़े उस की परेशानियों को अच्छी तरह से सम  झें. इस के लिए थोड़ा धैर्य रखें. डांटडपट और गुस्सा न करें. याद रखें कि टीनऐज तक आतेआते टीनऐजर खुद जोर से बोलना, गुस्सा करना सीख चुके होते हैं. उन्हें बहुत सी ऐसी बातें भी मालूम होती हैं जो बड़ों को नहीं मालूम होती.

टीनऐजरों से उस के मन का हाल पूछें. लेकिन अगर वह बड़ों को अपनी कोई बात नहीं बताना चाहता तो उस पर जवाब देने की जबरदस्ती न की जाए. बस उसे यह भरोसा दिलाएं कि बड़े उस के साथ हैं. जब भी वह बात करने के लिए आए तो बड़े उसे पूरा समय दें. उसे कुरेदने के बजाय खुद बोलने का मौका दें. इस से वह किसी भी तरह का दबाव का प्रैशर महसूस नहीं करेगा और बड़ों से खुल कर अपनी बात कह पाएगा.

6. सिखाएं बड़ों का आदरसम्मान करना 

कई बार अपने गुस्से और   झुं  झलाहट में टीनऐजर अपनी हदें पार कर जाते हैं और मातापिता को भलाबुरा बोल देते हैं. ऐसे में बड़े संयम बनाए रखें. मां उन से कहे कि वह उन का गुस्सा या परेशानी सम  झ सकते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें मां से इस तरह से बात नहीं करनी चाहिए.

उन्हें प्यार से सम  झाया जाए कि उन के शरीर और मन में जो बदलाव आ रहे हैं बड़े उन्हें अच्छी तरह से सम  झ रहे हैं. लेकिन फिर भी कुछ चीजें हैं जिन्हें बिलकुल बरदाश्त नहीं किया जाएगा जैसे   झूठ बोलना, गालीगलौच, बड़ों की बेइज्जती, बड़ों से तेज आवाज में बात करना. यदि किशोर या युवा ये चीजें करता है तो बड़े उसे बिना डांटे उस की गलती का एहसास दिलाएं और आगे से ध्यान रखने के लिए कहें.

7. उन पर भरोसा करें

इस उम्र में किशोर व युवा अपने दोस्तों के बहुत करीब होते हैं. वे परिवार वालों से ज्यादा अपने दोस्तों को अपनी पर्सनल बातें बताते हैं. ऐसे में बड़े टीनऐजरों के दोस्तों के बारे में बातें करें, पर उन की गलतियां जानने की कोशिश न करें. बस, यह जानने की कोशिश करें कि कहीं उन की कोई सहेली या दोस्त ऐसा तो नहीं जो कुछ गलत करने के लिए उकसा रहा हो?

यदि बड़ों को ऐसा लगता है तो युवा को आगाह करें और समझाएं. अगर युवा इस आयु में नई बातें जानने में उत्सुक होते हैं कि वह कोई गलत काम नहीं कर रहा है, तो उस की जासूसी न की जाए उस पर भरोसा किया जाए. कई बार वे खुद गलतियां करने के बाद ही सीखते हैं इसलिए उन्हें हक है अपनी गलतियों से सीखने का एक मौका जरूर मिले.

8. तुलना न करें

किशोर युवाओं को कोई भी गलत काम करते हुए देख कर मांबाप तुरंत उसे उस की क्लास के टौपर, अपने दोस्त के बच्चे या किसी पड़ोस के बच्चे से कंपेयर करने लगते हैं, ‘देखो, मडानाजी का लड़का तुम्हारी क्लास में ही है और स्कूल और कोचिंग दोनों जगह टौप करता है,’ ‘तुम से अच्छा तो तुम्हारा छोटा भाई है, खेलने पर कम और पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान लगाता है’ जैसी बातें लगभग सभी मातापिता जानेअनजाने में करते ही हैं. ऐसा भूल कर भी न कहें. उस में हीनभावना भी आ सकती है जो उस के लक्ष्य में आगे बढ़ने में बाधा बन सकती है. इस से आप अपने बच्चे को खुद से दूर कर लेंगे.

मांबाप को भी सम  झना होगा कि हर टीनऐजर अपनी अलग खासीयत और क्षमता के साथ बिलकुल अलग होते हैं. टीनऐजर मांबाप का पैदा किया होता है पर वह इंडीपैंडेंट ईकाई है, यह समझ लें. जरूरी नहीं है कि हरकोई टौप ही करे क्योंकि कोई बच्चा पढ़ाई में अच्छा होता है, कोई ड्राइंगपेंटिंग में, कोई खेलकूद में तो कोई और किसी फील्ड या गतिविधि में. इसीलिए बड़े हरेक की खासीयत यानी उस का टेलैंट पहचानें और उसे उसी की गति और सुविधा से आगे बढ़ने दें.

9.खुश रहें

यदि कोई किशोर युवा अपनी समस्याएं ले कर मांबाप के पास आता है तो उन को खुश होना चाहिए कि वह चाहता है कि उस की बात ध्यान से सुनी जाए. इस के लिए पर्याप्त समय दिया जाए. यह कह कर पीछा न छुड़ाया जाए कि अभी नहीं बाद में बताना, यह क्या बारबार तुम अपनी हर समस्या को ले कर आ जाते हो, अपनी समस्या खुद हल करना सीखो वगैरहवगैरह.

10. बनाएं कुछ रूल्स

हो सकता है कि वे ओवर स्मार्ट बनने के चक्कर में आप को या आप की बोली हुई चीजों को नजरअंदाज करने लगे. घर में बहुत ज्यादा सख्ती अच्छी नहीं लगती है, लेकिन पूरी तरह ढील देना भी ठीक नहीं है. घर में माहौल को बैलेंस बनाए रखने के लिए कुछ रूल्स बनाए जाएं तो युवा सहर्ष उन्हें अपना लेंगे. अगर रूल्स बताने के साथसाथ इन्हें बनाए जाने की वजह भी बताएं साथ ही इस से क्या फायदा होगा यह भी बताएं. ऐसे में वह यह सम  झ पाएगा कि उसे कब और कहां, कैसे, क्यों व्यवहार करना है.

11. हर सिचुएशन में रहें शांत

टीनऐजर खुद स्मार्ट होते हैं पर उन्हें लगता है कि पेरैंट्स का दिया हुआ ज्ञान पुराने जमाने का है. वे अपनी हर परेशानी या समस्या या कोई भी जानकारी मातापिता से पूछने के बजाय अपने दोस्तों या गूगल से पूछते हैं. तब कई बार पेरैंट्स और बच्चे का ईगो बीच में आने लगता है और यह   झगड़े या नैगेटिविटी का कारण बनने लगता है. इस सिचुएशन में आप को एक मैच्योर पर्सन की तरह व्यवहार करना चाहिए. शांत रह कर सिचुएशन को संभालने की कोशिश करें.

टीनऐज पेरैंट्स और टीनऐजर दोनों के लिए  एक कठिन दौर है लेकिन एक अच्छे मातापिता बन कर निश्चित रूप से वे जीवन के उम्र के इस पड़ाव को आसान बनाने में आप मदद कर सकते हैं. अपने व्यवहार और आदतों में बदलाव से यदि वे कूल पेरैंट्स रहेंगे तो इस बात की बहुत संभावना है कि किशोर व युवा मांबाप की बात मानें या सुनें और उन्हें बड़ों के साथ कुछ भी शेयर करने में किसी तरह की हिचक या संकोच न हो.

इसीलिए टीनऐजर को एक समझदार पेरैंट की सख्त जरूरत होती है. उस के साथ ही बड़ों को भी अपने व्यवहार में बदलाव लाने की जरूरत है.

न खोलें शिकायतों का पिटारा

शिकायत करना मानव स्वभाव का एक स्वाभाविक हिस्सा है और यह एक बहुत ही नकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है इसलिए यदि कोई समस्या है तो उस की दोस्तों एवं अपने परिवार वालों से शिकायत करना स्वाभाविक है, लेकिन इसे मौडरेशन में या एक लिमिट में रह कर ही करें तो यह आप के तनाव को कम करने के लिए बेहतर होगा.

मैं और मेरी एक फ्रैंड एक ही औफिस में काम करते हैं और जब भी थोड़ा ब्रेक होता है तो उस से पूछो कि चलो थोड़ा ब्रेक ले लें, आओ चाय पी कर आते हैं तो बस उस का शिकायतों का पिटारा खुल जाता है…

अरे अभी मुझे फुरसत नहीं है, अरे यह काम करना है वह काम करना है. हर समय हैरानपरेशान रहती है. उस से जब भी मिलो और पूछो और भई क्या हाल है, क्या चल रहा है तो वह किसी प्रश्न का सही जवाब दिए बिना बस यही कहने में लगी रहती है बिलकुल भी फुरसत नहीं है. वह हमेशा यह कहने से दूर भागती है कि वह खुश है और सबकुछ ठीक चल रहा है.

उस का ऐसा करना कहीं उस की आदत में तो शुमार नहीं हो गया क्योंकि जो भी काम हम बारबार करते हैं या जो भी हम बारबार कहते हैं या सबकुछ ठीक ही क्यों न हो वह हमारी आदत में शामिल हो जाता है फिर चाहे हमारे पास समय हो या न हो, कितना ही कम काम क्यों न हो हम हर समय परेशान बने रहते हैं.

यदि आप के साथ भी ऐसा ही कुछ हो रहा है और आप जानना चाहते हैं कि इन शिकायतों के पिटारे को कैसे कम किया जाए, इस से कैसे बाहर निकला जाए तो आइए हम बताते हैं:

आखिर क्यों करते हैं हम शिकायत

आजकल की भागदौड़ वाली जिंदगी में हम अकसर गंभीर प्रोफैशनल और व्यक्तिगत तनाव से गुजरते हैं, जोकि हमें हर समय थका हुआ महसूस कराता है और हमारी नींद को भी प्रभावित करता है इसलिए हमारी यह कोशिश रहती है कि अपनी समस्याएं या शिकायतें ज्यादातर समय हम अपने करीबी दोस्तों एवं अपने परिवार वालों से ही करते हैं. शिकायत करना बिलकुल बुरा नहीं है, लेकिन जब आप इसे लगातार करती/करते हैं, तो यह टौक्सिक बन सकता है और ऐसा इसलिए है क्योंकि शिकायत करना यह दर्शाता है कि आप अपने जीवन में जो हो रहा है उसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं.

ऐसा संभव नहीं कि आप को कभी कोई शिकायत ही न हो लेकिन सीमा तय करना आप के लिए फायदेमंद हो सकता है और रोजमर्रा की शिकायतों को कम करने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं.

आप की कुछ आदतें जो बताती हैं कि आप बहुत अधिक शिकायत कर रहे हैं:

  •  आप नकारात्मक चीजों पर ज्यादा ध्यान देते हैं और साथ ही उन का कोई समाधान निकालने की कोशिश नहीं करते हैं.
  •  आप अकसर पिछली घटनाओं के बारे में सोचते हैं और चाहते हैं कि चीजों को बदल सकें.
  •  आप अकसर चिंता की भावनाओं का अनुभव करते हैं.
  • आमतौर पर शिकायत करने के बाद आप चिड़चिड़े हो जाते हैं.
  • समस्याओं के बारे में बात करने से आप असहाय या निराश महसूस करते हैं.
  • कई बार ऐसे लोगों को दूसरों की जिंदगी अच्छी क्यों चल रही है इस से भी शिकायत होती है अकसर यह माना जाता है कि शिकायत करने से आप को तनाव दूर करने में मदद मिलती है, लेकिन ऐसा नहीं है.

इस के नुकसान

  •  बारबार शिकायत करना आप के दिमाग को नैगेटिव यानी नकारात्मक बना देता है.
  • हम अपने आसपास की सभी अच्छी चीजों पर ध्यान देने के बजाय उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो सही नहीं चल रहा हैं और हमारे सोचने का नजरिया ही नकारात्मक हो जाता है.
  • निर्णय लेना या समस्याओं को हल करना कठिन लगता है क्योंकि तनाव के कारण आप का दिमाग चकरा जाता है.
  • आप को समाधान की तुलना में अधिक समस्याएं दिखाई देती हैं. कुछ महिलाएं हमेशा अपनी जिंदगी और परिस्थितियों से नाराज दिखती या आती हैं और अपने हालात को ले कर शिकायत करती रहती हैं फिर धीरेधीरे उन की यह आदत इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि उन्हें अपने आसपास कुछ भी अच्छा नजर नहीं आता. चाहे कुछ अच्छा भी घटित हो रहा हो, उन्हें उस के नकारात्मक पहलू पहले नजर आते हैं.

जब भी आप शिकायत करने वाली हों तो पहले यह सोचें कि क्या आप जिस बात की शिकायत करने वाली हैं उस से अगले 5 मिनट या 5 महीने या फिर 5 साल में कुछ बड़ा बदलाव आएगा क्या? अगर ऐसा नहीं है तो शिकायत न करें.

डालें लिखने की आदत

लिखने की आदत भी हर समय शिकायत करने की आदत को बदलने का एक बेहतरीन, प्रभावशाली तरीका है. इस के लिए आप एक डायरी बनाएं और फिर उस में अपनी सभी समस्याओं और भावनाओं के बारे में पहले लिखें. उस के बाद आप उन के लिए सकारात्मक समाधानों के बारे में लिखें. यह तो आप भी जानती हैं कि सिर्फ शिकायत करने से समस्या नहीं सुल?ाने वाली. उस के लिए आप को हल भी खुद ही तलाशने होंगे.

बातचीत करें

अगर आप को किसी से शिकायत है तो किसी और से उस की शिकायत करने के बजाय अपनी शिकायत उस व्यक्ति को ही दर्ज कराएं जिस से आप को शिकायत है और उस व्यक्ति के साथ बातचीत करें और उस का हल निकलने की कोशिश करें.

यदि आप अपने पार्टनर से अपनी फीलिंग्स के साथ अच्छा महसूस नहीं कर रही हैं, तो इस के बारे में बात करें, लेकिन शिकायत भरे तरीके से नहीं बल्कि सकारात्मक तरीके से जब आप सकारात्मक रूप से बात करेंगी तो इस से आप का मन भी हलका होगा, साथ ही आप के रिश्तों की गरमाहट में भी कोई कमी नहीं आएगी. इतना ही नहीं, बातचीत का तरीका बदलने मात्र से ही आप को अपनी समस्या का समाधान भी मिल जाएगा.

सोचें अच्छी बात

कई बार ऐसा होता है कि जब हमें अपने किसी करीबी की कोई गलती नजर आती है या जब हम किसी की शिकायत करते हैं तो हम उस समय केवल उस की कमियों पर ही पूरा ध्यान केंद्रित कर देते हैं उस की अच्छाइयों पर ध्यान ही नहीं देते.

यहां आप शिकायत की जगह यह सोचना शुरू करें कि इन की वजह से आप के जीवन में क्या अच्छा हुआ है. जब आप अपने जीवन में हो रही अच्छी घटनाओं और सभी आशीर्वादों को गिनना शुरू करती हैं तो शिकायत करना मुश्किल हो जाता है.

लेकिन का प्रयोग करें

यदि आप शिकायत करने की आदत को  एक सीमा में रखना चाहती हैं तो ‘लेकिन’ का प्रयोग अकसर उपयोग करना सुनिश्चित करें. इस का मतलब यह है कि आप कह सकती हैं कि आज मेरे पास बहुत काम है लेकिन फिर भी उसे जल्दी खत्म कर अभी भी अपने दोस्तों के साथ बाहर जाने में खुश हूं. इस से आप को सकारात्मकता मिल सकती है.

हर छोटी बात की शिकायत से बचें

अपनी शिकायत को गंभीरता से लेते हुए एक बार सोचें कि जिस बात को ले कर आप परेशान हो रही हैं क्या वह आप के जीवन के किसी गंभीर मुद्दे का प्रतिनिधित्व करती है? अगर वाकई यह इतनी बड़ी बात नहीं है तो शिकायत से बचें.

कहावत है कि शिकायत करने वालों को चांद में भी दाग ही नजर आता है तो आप को  अपनी इस आदत को आज ही बदल लेना चाहिए. शिकायत से पहले एक बार जरूर सोचें या अपनी शिकायतों का पिटारा जितना कम कर सकें उतना अच्छा अन्यथा आप को अपने जीवन में सिर्फ दुख ही दुख मिलेगा.

फिल्मों में बदलते प्यार के अंदाज

कहते हैं फिल्में समाज का आईना हैं. इन में वही दिखाया जाता है, जो समाज में हो रहा होता है. फिर चाहे वह प्यार हो, तकरार हो, अपराध हो अथवा आज के समय में फिल्मों में दिखाया जाने वाला बदलता हुआ प्यार ही क्यों न हो. एक समय था जब प्यार का मतलब लैलामजनूं, हीररांझा और सोनीमहिवाल की प्रेम कहानी हुआ करती थी, लेकिन उस के बाद समय बदला, सोच बदली, तो ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे,’ ‘कुछकुछ होता है,’ ‘हम आप के हैं कौन,’ ‘मैं ने प्यार किया,’ जैसी फिल्मों का दौर आया, जिस में प्यार के अंदाज अलग थे, शादी के माने भी काफी अलग थे, लेकिन एक बात कौमन थी कि लड़कियां प्यार के मामले में शाहरुख खान, सलमान खान, आमिर खान, रितिक रोशन जैसे प्रेमी की कल्पना करती थीं. वे अपने पति में भी शाहरुख जैसे प्यार करने वाले प्रेमी को देखती थीं.

फिर जैसेजैसे वक्त बदला, लोगों की सोच बदली वैसेवैसे शादी और प्यार को ले कर भी लोगों का नजरिया बदलने लगा.जैसाकि कहते हैं ‘यह इश्क नहीं आसान बस इतना समझ लीजिए एक आग का दरिया है और डूब के जाना है…’ ऐसा ही कुछ आजकल मुहब्बत का पाठ पढ़ाने वाली फिल्मों में अलग तरीके से देखने को मिल रहा है. आज के प्रेमीप्रेमिका या पतिपत्नी प्यार में अंधे नहीं हैं, बल्कि वे अपने प्रेमी और उस के साथ गुजारे जाने वाले जीवन को ले कर पूरी तरह से आजाद खयाल रखते हैं.

आज के प्रेमी झूठ में जीने के बजाय प्यार के साथ सच को कबूलने में विश्वास रखते हैं.मगर इस का मतलब यह बिलकुल नहीं है कि आज के समय में प्यार मर गया है या लोगों का प्यार पर विश्वास नहीं रहा बल्कि आज भी लोगों में अपने प्रेमी या पति के लिए उतना ही प्यार है जितना कि लैलामजनूं के समय में था. लेकिन फर्क बस इतना है कि आज लोग प्यार और शादी के मामले में प्रैक्टिकल हो गए हैं क्योंकि जिंदगीभर का साथ है इसलिए दिखावा तो बिलकुल मंजूर नहीं है.

प्यार वही सोच अलगप्यार वही है बस सोच अलग है, जो आज की रोमांटिक फिल्मों में भी दिखाई दे रहा है. पेश है इसी सिलसिले पर एक नजर हालिया प्रदर्शित फिल्मों में दिखे प्यार के बदलते अंदाज के.हाल ही में प्रदर्शित करण जौहर की आलिया भट्ट और रणवीर सिंह द्वारा अभिनीत फिल्म ‘रौकी रानी की प्रेम कहानी’ में ऐसे 2 किरदारों को दिखाया है. आलिया भट्ट और रणवीर सिंह जिन के बीच प्यार हो जाता है, लेकिन दोनों ही एकदूसरे से एकदम विपरीत हैं, सिर्फ ये दोनों ही नहीं बल्कि इन के परिवार भी स्वभाव से एकदम विपरीत होते हैं.

लेकिन चूंकि ये दोनों एकदूसरे से प्यार करते हैं इसलिए परिवार से और अपनेआप से 3 महीने का समय मांगते हैं. इस के तहत ये दोनों प्रेमी तभी शादी करेंगे जब दोनों ही एकदूसरे के परिवार के बीच अपना सम्मान और प्यार बना पाएंगे. कहानी दिलचस्प और अलग भी है इसलिए दर्शकों ने इसे स्वीकारा.जरूरी है एकदूसरे का साथइसी तरह वरुण धवन और जाह्नवी कपूर द्वारा अभिनीत फिल्म ‘बवाल’ एक ऐसी पतिपत्नी की कहानी है जहां पति अपनी पत्नी को इसलिए स्वीकार नहीं करता क्योंकि उसे मिर्गी के दौरे पड़ते हैं.

पत्नी को शादी के दिन ही मिर्गी का दौरा पड़ जाता है इसलिए बवाल में पति बना वरुण धवन अपनी पत्नी को स्वीकारने से मना कर देता है और उस से दूरी बना लेता है. लेकिन पत्नी हार मानने के बजाय पति के सामने यह साबित करने में कामयाब होती है कि भले ही उसे मिर्गी के दौरे आते हैं, लेकिन हर मामले में वह अपने पति से कहीं ज्यादा होशियार है. वह पति से नाराजगी दिखाने के बजाय अपनी काबिलीयत दिखा कर पति के दिल में अपनी जगह बनाने में कामयाब हो जाती है.

इसी तरह ‘जरा हट के जरा बच के’ फिल्म की कहानी भी एक ऐसे ही पतिपत्नी की कहानी है जो प्यार में पड़ कर शादी तो कर लेते हैं, लेकिन खुद का मकान न होने की वजह से दुखी हो जाते हैं और मकान पाने की जुगाड़ में पतिपत्नी अपनी शादी को भी ताक पर रख देते हैं. लेकिन बाद में उन्हें एहसास होता है कि मकान से भी ज्यादा जरूरी उन के लिए एकदूसरे का साथ है. लिहाजा अपनी गलती सुधार कर एक हो जाते हैं.

एक अनोखी कहानी

हाल ही में प्रदर्शित रणबीर कपूर और श्रद्धा कपूर की फिल्म ‘तू ?ाठी मैं मक्कार’ की कहानी ऐसे 2 प्रेमियों की कहानी है जो आपस में प्यार तो बहुत करते हैं लेकिन प्रेमिका संयुक्त परिवार का हिस्सा नहीं बनना चाहती क्योंकि उस का मानना है कि जौइंट फैमिली में रहने से घर वालों की बहुत ज्यादा दखलंदाजी से पतिपत्नी की प्राइवेसी खत्म हो जाती है. लेकिन बाद में अपनी ससुराल वालों का प्यार देख कर प्रेमिका की सोच बदल जाती है और वह शादी के लिए मान जाती है.

इसी तरह शराबी प्रेमी पर आधारित फिल्में अमिताभ बच्चन की ‘शराबी,’ शाहिद कपूर की ‘कबीर सिंह,’ आदित्य राय कपूर की ‘आशिकी-2’ में ऐसे प्रेमियों को दिखाया गया जो अपनी प्रेमिका से प्यार तो बहुत करते हैं परंतु शराब नहीं छोड़ना चाहते, जिस वजह से काफी मुश्किलों के बाद उन्हें अपना प्यार मिलता है.

प्यार के लिए त्याग

संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ की कहानी भी एक ऐसी प्यार करने वाली गंगुबाई यानी आलिया भट्ट की कहानी है जो यह बात अच्छी तरह जानती है कि कोई भी प्रेमी वैश्या से प्यार तो कर सकता है परंतु समाज उस प्रेमी को जो वैश्या को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार लेगा समाज चैन से जीने नहीं देगा और बहुत ज्यादा तकलीफ देगा.

लिहाजा, गंगूबाई अपने प्रेमी को समाज में सम्मानीय बनाए रखने के चक्कर में अपने प्यार का बलिदान दे देती है और अपने प्रेमी की शादी खुद किसी और से करवा देती है.हाल ही में प्रदर्शित ‘गदर-2’ की कहानी भी एक ऐसे प्रेमीप्रेमिका की कहानी है जिस में प्रेमिका अपने प्यार के लिए पाकिस्तान से हिंदुस्तान आ जाती है और हिंदुस्तान में ही अपना परिवार बसाती है. इस से यही निष्कर्ष निकलता है कि आज के हालात के चलते प्यार करने का अंदाज भले ही बदल गया हो परंतु प्यार वही है जो आज से 100 साल पहले था. बस इस का स्वरूप बदल गया है.

 

किस को न करें मिस

भारत में ‘किस’ सिर्फ रील लाइफ में ही देखने को मिलती है, रियल लाइफ में नहीं. इस किस सीन को परदे पर देख कर हम खुश तो होते हैं, लेकिन जब इस पर अमल की बात आती है तो खुलेपन की बात तो छोडि़ए, बैडरूम में भी ज्यादातर दंपती एकदूसरे को सपोर्ट नहीं करते हैं. जबकि, किस पर हुए कई सर्वे बता चुके हैं कि इस से कोई नुकसान नहीं, बल्कि फायदा ही होता है.

कई महिलाएं और पुरुष अकसर यह बहाने बनाते देखे जा सकते हैं कि सुनो न, आज मन नहीं है, बहुत थक गया हूं/गई हूं. कल करेंगे, प्लीज. जब आप अपने पार्टनर के साथ चंद प्यारभरे लमहे गुजारना चाहें और ऐसे में आप का पार्टनर कल कह कर बात टाल दे तो आप को बुरा लगना स्वाभाविक है. लेकिन क्या आप ने कभी यह सोचा है कि ऐसा कह कर आप अपना रिश्ता तो खराब नहीं कर रहे हैं? अगर ऐसा है तो सावधान हो जाएं. बहुत से ऐसे शादीशुदा जोड़े हैं जो एकदूसरे की फीलिंग्स को इसी तरह हर्ट कर अपना रिश्ता बिगाड़ लेते हैं.

सभी को प्यार को ऐक्सप्रैस करने का हक है. ऐसे में पार्टनर जब इस तरह से संबंध को रोकेगाटोकेगा तो इस से न सिर्फ आप का रिश्ता प्रभावित होगा बल्कि मन में भी खटास आएगी. इतना ही नहीं, ऐसा करना आप के शारीरिक व मानसिक संतुलन पर भी बुरा असर डालेगा. आप को मालूम होना चाहिए कि किस थेरैपी दे कर आप का पार्टनर पलभर में आप की सारी थकान को गायब कर सकता है. इसलिए इसे मना करने से पहले थोड़ा सोच लें. आइए, अब जानें किस की खूबियों को :

  1. रिश्ता मजबूत बनाता है किस 

यह तो हम सभी जानते हैं कि लिपलौक करने से रिश्ता अधिक मजबूत बनता है. एकदूसरे के साथ लिपलौक करने से एकदूसरे के प्रति ऐक्स्ट्रा प्यार का एहसास मिलता है. ऐसा लगता है कि मेरा पार्टनर मुझ से बेहद प्यार करता है. किस करने से औक्सीटौसिन हारमोन बनता है, जो रिश्तों को ज्यादा मजबूत बनाता है.

2. सैक्सुअल प्लैजर को बढ़ाता है 

सैक्स करने से जहां दिनभर की थकान या किसी भी तरह का तनाव तो कम होता ही है, आप का रिश्ता भी ज्यादा स्ट्रौंग बनता है. लेकिन किसी भी किस के बिना आप की सैक्स ड्राइव अधूरी रहती है. सैक्स से पहले किस आप का सैक्सुअल प्लैजर बढ़ाता है. आसान शब्दों में कहें तो सैक्स करने से पहले अपने पार्टनर के साथ एक किस सैशन जरूर करें. ऐसा करना आप के प्लैजर को न सिर्फ बढ़ावा देगा, बल्कि आप के पार्टनर को भी पूरी तरह से संतुष्ट करेगा.

3. स्पिट स्वैपिंग भगाए बीमारी 

चुंबन करते समय जब तक स्पिट स्वैपिंग न हो तब तक किस करना बेमानी सा है. किस या लिपलौक करते समय अपने पार्टनर के साथ बेझिझक हो पूरा मजा लें और स्पिट यानी थूक आने पर पोंछें नहीं, बल्कि उस की स्वैपिंग करें, क्योंकि यह कई संक्रमणों को दूर करता है. सैक्स के दौरान किए जाने वाले किस से इम्यूनिटी भी बढ़ती है.

4. मिलती हैं जहां की खुशियां 

किस करते वक्त एंडोफिंस नाम का तत्त्व निकलता है जो आप को खुश रखने में मदद करता है. अगर आप टैंशन में हैं या गहन सोचविचार में तो पार्टनर को किस करना आप के लिए दवा का काम करेगा.

5. दवा का काम करे किसिंग सैशन 

हौट किसिंग सैशन के दौरान आप का शरीर एक ऐड्रेनलीन हारमोन रिलीज करता है, जो किसी भी तरह के दर्द को कम करने में मददगार होता है. अब दर्द को कम करने के लिए भी आप यह सैशन कई बार ट्राई कर सकते हैं. अगर आप के सिर में दर्द है तो लिपलौक जरूर ट्राई करें और इस का असर देखें और फिर इस का कोई साइड इफैक्ट भी नहीं होता है.

6. तनाव भगाए किस

दिन के ढलतेढलते इंसान भी काफी थकाथका सा महसूस करने लगता है, इसलिए सिर्फ अपने काम का दबाव या अपने हारमोनल बदलावों को ब्लेम करना गलत होगा. थके होने पर आप घर जा कर बस अपने पार्टनर के साथ एक किस थेरैपी लीजिए. यकीन मानिए, आप की थकान पलक झपकते छूमंतर हो जाएगी और आप फ्रैश महसूस करेंगे. दरअसल किसिंग करने से कार्टिसोल नामक हार्मोन लैवल कम होता है जो आप के इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है. एंडोक्राइन सिस्टम से दिमाग भी स्वस्थ रहता है.ऐक्स्ट्रा

7. कैलोरीज करता है कम 

अपनी हैल्थ के प्रति सचेत लोग अपनी अति कैलोरी को कम करने के लिए या तो ट्रेडमिल पर रनिंग करते हैं या फिर डाइट पार्ट फौलो करते हैं. अगर आप कभी जिम जाना भूल जाएं या पार्टी का मौका देख डाइट चार्ट को एक दिन के लिए फौलो न कर पाएं तब भी आप अपने पार्टनर के साथ किसिंग सैशन कर के अपनी कैलोरी बर्न कर सकते हैं. जी हां, जितनी कैलोरी आप की जिम सैशन में कम नहीं होगी उतनी आप की किसिंग सैशन में हो जाएगी. इतना ही नहीं, कैलोरी बर्न करने के अलावा किस करने से आप के चेहरे की भी ऐक्सरसाइज होती है. किस आप की स्किन मसल्स को भी टाइट करता है, जिस से आप दिखेंगे जवांजवां.

8. डैंटिस्ट को भी रखे दूर 

किस मुंह, दांतों और मसूड़ों की बीमारी से भी आप को दूर रखता है. मुंह में लार कम बने तो भी किसिंग फायदेमंद हो सकता है.

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