कसौटी जिंदगी की, कहानी घर-घर की, उतरन, जमाई राजा, कवच, दो हंसों का जोड़ा आदि कई सीरियल में काम कर नाम कमा चुकी अभिनेत्री प्रणिता पंडित 6 साल की शादीशुदा जिंदगी बिताने के बाद कुछ ही दिनों में मां बन गई हैं. लॉक डाउन और कोरोना संक्रमण के दौरान उन्हें अपने परिवार से मिलने और गले लगने का समय नहीं मिल रहा है, पर वह अपनी होने वाली इस नयी पहचान से बेहद खुश है और बहुत उतावलेपन से बच्चे के आने का इंतजार कर रही है. उसके हिसाब से मां बनना किसी भी महिला के लिए वरदान है, जिसका सुख उन्हें मिला है. वह अपने पति शिवी पंडित के साथ इन दिनों मुंबई में रह रही है, जो उनका बहुत ख्याल रख रहे है. क्या कहती है प्रणिता अपने इस नयी अनुभव के बारें में आइये जाने उन्ही से.
सवाल- मां बनना आपके लिए कितना सुखद रहा?
मां बनना वाकई बहुत सुखद एहसास होता है और मैंने सुना था कि मां बनने के बाद बहुत अच्छा लगता है. अच्छा लगने के साथ-साथ कई समस्याएं भी है. 9 वें महीने में तो मुझे 30 दिन नहीं 1500 दिन लग रहे थे. किसी भी दिन वह हमारी जिंदगी में आ सकती थी. ख़ुशी के साथ-साथ नर्वसनेस भी बहुत थी. सारे मिक्स्ड इमोशन है. आसपास के सभी कह रहे थे कि बेबी के आते ही मां अपने सारे कष्टों को भूल जाती है. इस समय मेरी मां, सास सभी लोग मेरी डांट सुन लेते है. सब मुझे हैंडल कर ले रहे है. अभी मैं मां की हर बात को समझ सकती हूं, जब तक आप उस दौर से गुजरते नहीं, उसे समझ नहीं सकते.
सवाल- अभिनय में आना एक इत्तफाक था या सोचा था?
अभिनय में आना मेरे लिए एक इत्तफाक ही था. मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं एक्ट्रेस बनूँगी. बालाजी ने मुझे अभिनय करने का मौका दिया. मुझे एक्टिंग आती भी नहीं थी. मैं पूणे में पढाई करने के दौरान मुझे ये ऑफर मिला .मैंने काम किया और लगा कि यही मेरा कैरियर है, क्योंकि मुझे पसंद है. इसके बाद से मुझे पीछे मुड़कर देखना नहीं पड़ा. इसमें मेरे माता-पिता का पूरा सहयोग रहा है, इसलिए मैं यहाँ तक पहुँच पाई.
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सवाल- पहली बार जब पेरेंट्स से अभिनय की बात कही तो उनकी प्रतिक्रिया कैसी थी?
उनकी प्रतिक्रिया अच्छी नहीं थी. मेर पिता राजेश कुमार साहू खुश नहीं थे, क्योंकि कोई भी इस क्षेत्र से जुड़े नहीं है. अलग वातावरण परिवार का रहा है, उन्होंने भी कभी नहीं सोचा था कि मैं इस क्षेत्र में अपना कैरियर बनाउंगी. धीरे-धीरे वे मान गए. इसके अलावा मैं कभी भी अपने काम को लेकर असुरक्षित नहीं थी. मेरा प्लान बी भी था. इससे मुझे काम मिलता गया और मैं हमेशा अपने काम को लेकर खुश रही.
सवाल- दिल्ली से मुंबई आना कैसे हुआ?
मैं काम के साथ मुंबई आई थी, क्योंकि उस समय मैं पुणे में बी बी ए की पढाई कर रही थी. निर्माता, निर्देशक एकता कपूर ने मेरी फोटो कही देखी थी और मुझसे कांटेक्ट किया और मुझे काम मिला.
सवाल- आपके मां बनने के सफ़र में पति आपका कितना ध्यान रखा?
वे मेरा बहुत ध्यान रखते है. अभी वे काफी रेस्पोंसिबल और धैर्यवान बन गए है, क्योंकि अभी कोरोना संक्रमण का समय है, ऐसे में बाहर की पूरी दायित्व वे सम्हाल रहे है. हर चीजे साफ़ सुथरी और हायजिनिक तरीके से मेरे पास पहुंचे इसका ख्याल रख रहे है. मेरे सास ससुर भी इसका पूरा ध्यान रख रहे है.
सवाल- कोरोना में डिलीवरी की प्लानिंग कैसे कर रही है?
अभी तो हॉस्पिटल में किसी भी परिवारजन का जाना संभव नहीं है. मेरे पति साथ जायेंगे और 3 दिन तक मेरे साथ ही रहेंगे और जिस दिन डिस्चार्ज मुझे मिलेगा. उस दिन ही मेरे साथ बाहर आयेंगे. कोविड टेस्ट होगा. इसके अलाव हायजिन की सारी प्रक्रिया फोलो करनी पड़ेगी. मास्क जरुरी है. मैंने अभी तक गायनोकोलोजिस्ट की शक्ल तक नहीं देखी है, क्योंकि वह मास्क में रहती है. मैं टच एंड फील को बहुत मिस कर रही हूं. मैं अपने माता-पिता से मिल नहीं सकती उनसे गले नहीं मिल सकती. बहुत ही अलग अनुभव हो रहा है. उस गैप को भरना है और कोशिश कर रही हूं.
सवाल- पति शिवी पंडित से कैसे मिली थी?
वे मेरे क्षेत्र से नहीं है वे एक व्यवसायी है और मेरी रिश्तेदारी में है. इसलिए उनसे मिलना हुआ.ये शादी एरेंज्ड कम लव है.
सवाल- कौन सी धारावाहिक आपके दिलके करीब है और क्यों?
धारावाहिक ‘कसम तेरे प्यार की’ मेरे दिल के बहुत करीब है, उसमें मैंने कृतिका के साथ काम किया था उसके 10 साल बाद भी मैंने उसके साथ काम किया. उसमें मैंने पॉजिटिव और उसने निगेटिव भूमिका निभाई थी, पर रियल लाइफ में हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त है. इसमें पहले मेरा काम बहुत कम था, पर बाद में बहुत लम्बा चला और पैरेलल लीड भी रहा. उससे बहुत प्रोत्साहन मिला.
सवाल- आजकल इंडस्ट्री में लोग मायूस बहुत हो रहे है, अभिनेता शमीर शर्मा ने भी आत्महत्या कर ली है, क्या होता है ऐसे कलाकारों के साथ, जो सफल होने के बाद भी डिप्रेशन के शिकार होकर अपना जीवन ख़त्म कर लेते है? आप क्या सोचती है?
मैंने उनके साथ धारावाहिक ‘कहानी घर-घर की’ और कही किसी एपिसोड में भी काम किया है. वे एक जेंटल इंसान थे. असल में कलाकार अधिकतर इमोशनल और सेंसेटिव होते है. कई बार सारे इमोशन स्क्रीन पर दिखा देते है, पर रियल लाइफ में उसे किसी के आगे रख नहीं पाते. ये दुःख की बात है, ऐसे कलाकार को कोई नहीं मिलता जो उसकी रियलिटी को समझ सकें. मेरे हिसाब से ये बहुत सारा पारिवारिक और इमोशनल सपोर्ट का होता है. काम करते हुए व्यक्ति अपनी जिंदगी में इतने व्यस्त हो जाता है कि अपने परिवार को उतना महत्व नहीं दे पाता, उनसे जुड़े नहीं रहते जितना जुड़े रहने की जरुरत होती है, ऐसे में अकेलापन, जो उनकी ख़ास बीमारी हो जाती है, जिससे उसे अकेले ही जूझना पड़ता है. आजकल लोग बनावटी अधिक होते है, वे अपने असली समस्या को किसी के आगे ज़ाहिर करना नहीं चाहते. वे उपर से खुश नजर आते है, पर अंदर से दुखी होते है. साथ ही ऐसे किसी भी व्यक्ति की बात कोई सुनना नहीं चाहता. सुनने वाला आज कोई नहीं है, सुनने से पहले ही जज करने लगते है. बाते बनने लगती है. कुछ लोग तो ‘कुछ नहीं होता, ठीक हो जायेगा’ कहकर बात को टाल देते है. किसी भी बात को सुनने का धैर्य व्यक्ति में होने की आज जरुरत है, भले ही बात मामूली हो. इसके अलावा आजकल शादियों में, रिलेशनशिप में भी समस्या आती रहती है. इंडस्ट्री में प्लेटफॉर्म बढ़ने के बावजूद संघर्ष बहुत अधिक है. काम मिलना आसान नहीं होता. चीजे आसान लगती है, पर जब आप काम ढूंढने जाते है तो वह मुश्किल से मिलता है.
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सवाल- कोरोना संक्रमण की वजह से लोग घरों में कैद है, लेकिन इससे सबको सीख क्या मिली है?
(हंसती हुई) सीख सबको कुछ न कुछ अवश्य मिली है. मैं अपने लिए ये कहना चाहूंगी कि हम सभी ने बिना जरुरत की चीजों को बहुत मूल्य दिया है, जबकि अब सब कुछ बेसिक में चला गया है. हर इंसान अब बेसिक के साथ जी रहा है, जिसमें उसे अपना परिवार के महत्व को समझ में आ रहा है. असल में अबतक परिवार हमारे घर में होती है और हम बाहर दोस्तों के साथ होते थे. इस समय कोई दोस्त नहीं है, कोई आपको नहीं मिलेगा. बाहर दोस्त नहीं, सिर्फ कोरोना वायरस है, जिससे आपको बचना है. कोई फिजूलखर्ची नहीं. लाइफ आसान हो गयी है. पैसे कमाने की होड़ में पैसे तो मिले पर इमोशन नहीं. लोग अकेले होते जा रहे है. ये अजीब बात अवश्य है, पर कोरोना ने इमोशनली रिच अवश्य बनाया है पर मटेरियलिस्टिक हम सब गरीब हो गए है. अब मैं हर चीज को खरीदते समय उसकी जरुरत को अपनी जिंदगी में अवश्य देखूंगी. मैं हमेशा पहले अधिक बीमार पड़ती थी, पर अब ठीक हूं, क्योंकि घर का खाना खा रही हूं.