लेखिका- रेणु सिंह
’कोई न कोई चाहिए प्यार करने वाला…’
‘‘यार, तू पिटवाए बिना मानेगा नहीं क्या? जहां भी कोई लड़की पास से गुजरती है तू बेहूदे गाने बुदबुदाने लगता है. कल जब उस द्वितीय वर्ष की शीला ने कालर पकड़ लिया था तो कैसे घिग्घी बंध गई थी तेरी. तू अपनी आदत सुधार ले, वरना मैं तेरे साथ उठनाबैठना भी बंद कर दूंगा. तेरे साथ रहने के कारण मुझे भी लोग ब्लैक लिस्ट में डाल देंगे. लफंगा समझेंगे मुझे. ’’ कुंदन को धीमे से गाते सुन कर सुनील झल्ला गया तो वह ढिठाई से मुसकरा दिया.
‘‘अरे यार, ब्लैक नहीं स्मार्ट लिस्ट में आ जाएगा तू. अब कालेज में आ गया है, बड़ा हो गया है. क्या अभी भी स्कूल जाने वाले बच्चे की तरह नजरें नीची किए नाक की सीध में क्लास में आताजाता है? ऐसे तो लोग तुझे बबुआ समझेंगे. जमाना स्टाइल का है यार, यहां स्मार्ट लोगों की कद्र होती है. तेरे जैसे सीधेसादे लड़कों को देख लड़कियां मुंह दबा कर हंसती हैं और पीठ पीछे खिल्ली उड़ाती हैं. शीला ने मेरा कालर झगड़ा करने के इरादे से नहीं, बल्कि मुझे गौर से देखने के लिए पकड़ा था, वरना सोच उस ने फिर अपनेआप कालर छोड़ कैसे दिया? वापस जाते समय शरमा कर मुसकराई भी थी वह.’’
‘‘बस, वह मुसकराना तुझे ही दिखाई दिया था, वरना सारे कालेज ने उसे जलती नजरों से तुझे घूरते हुए ही देखा था. उस का भाई बौक्सर है. अगर उसे पता चल गया तो फिर तुझे भी शरमाना पड़ेगा.’’
‘‘ऐसा कुछ नहीं होगा मेरे भाई, तू शर्त लगा ले. अब ब्लैक ऐंड व्हाइट फिल्मों का जमाना नहीं है. अब लड़कियां बोल्ड होती हैं और उन्हें बोल्ड माचोमैन टाइप के लड़के अच्छे लगते हैं. देखा है, अजीत, कुणाल और संजय को? कपड़ों की तरह गर्लफ्रैंड बदलते रहते हैं. स्टाइल से चश्मा लगाए बाइक धड़धड़ाते आते हैं तो सारी लड़कियों की नजरें उधर ही घूम जाती हैं.’’
‘‘और तुम्हारे जैसे नकलची बंदरों की नजरें भी उठ जाती हैं. उन का रिपोर्ट कार्ड देखा है कभी? हर क्लास में डबल शिफ्ट लगाते हैं.’’
‘‘उफ, तुम्हें समझाना नामुमकिन है. यार, यही तो दिन हैं मस्ती करने के. अब हम बच्चे नहीं रहे, जवान हो रहे हैं. पढ़ाईलिखाई अपनी जगह सही है, पर ये सुनहरे दिन भी तो लौट कर दोबारा नहीं आने वाले. अभी इन का मजा नहीं लिया तो कब लेंगे? साथ में अगर एक हसीन स्मार्ट गर्लफ्रैंड हो, तब देखो, पूरे कालेज में तुम्हारा दबदबा कैसे बनता है. बस, इसी इंतजार में हूं कि उन मोटरसाइकिल सवार हीरो लड़कों की तरह मेरी भी गोटी फिट हो जाए कहीं. पापा को हाथपैर जोड़ कर एक बाइक के लिए मना भी लिया है मैं ने,’’ सरसरी नजर से सीढ़ी पर बैठ कर गप्पें मार रही लड़कियों को देख कर वह बोला.
‘‘तुझे गर्लफ्रैंड की क्या जरूरत है. मैं तो हूं ही तेरी फ्रैंड और गर्ल भी हूं,’’ स्नेहा पास आ कर बोली.
‘‘तेरे जैसी गर्लफ्रैंड हों तो लड़के जेब में राखियां ले कर घूमेंगे. तुम कपड़े ऐसे पहनती हो जैसी हमारी मांएं अपने जमाने में पहना करती होंगी. क्लास में पूरे वक्त किताब में नजरें गड़ाए बैठी रहोगी. अरे यार, एक पल नजरें उठा कर अगर आसपास के लोगों को एक स्माइल दे दोगी तो कोई भयंकर पाप हो जाएगा और यदि गलती से किसी लड़के ने कंधे पर हाथ रख दिया तो सीधे चप्पल निकाल लोगी.’’
‘‘साले, तेरी पिटाई तो पक्की होगी मेरे हाथ से किसी दिन,’’ स्नेहा बुदबुदाते हुए अपनी क्लास में चली गई.
कुंदन मुसकराते हुए स्टाइल से पास खड़ी लड़की की ओर बढ़ा, जो अपने मोबाइल पर बारबार कहीं फोन लगाने की कोशिश कर रही थी और फोन कट जा रहा था. उस ने जेब से फोन निकाल कर उस की ओर बढ़ाया, ‘‘नैटवर्क नहीं मिल रहा होगा, मेरा फोन ट्राइ करो. कहीं से भी कभी भी लग जाएगा.’’
‘‘ओह, थैंक्यू. ऐक्चुअली मां को बताना था कि मुझे घर आने में देर हो जाएगी, अचानक आर्ट गैलरी जाने का प्रोग्राम बन गया.’’
‘‘वह हाईफाई मौल वाली? बहुत अच्छी है, यू शुड गो. आज तो मैं भी वहां जाने वाला था. तुम्हारा तो लड़कियों का ग्रुप होगा…’’
‘‘नहीं… निखिल और रवि भी हैं.’’
सुनते ही कुंदन का मुंह उतर गया. अगले दिन जब वह काला चश्मा लगाए बाइक धड़धड़ाता हुआ आया तो स्नेहा ने उसे देख कर मुंह बिचका लिया.
‘‘उंह, लंगूर के मुंह में अंगूर.’’
‘‘मैं जानता था कि तू जलभुन जाएगी. नजर मत लगा, तुझे भी लिफ्ट दे दूंगा कभी.’’
‘‘ऐक्सक्यूज मी, तुम्हारे पास ऐक्स्ट्रा पैन है? मेरे पैन का रिफिल खत्म हो गया है और मेरी क्लास है अभी,’’ एक खूबसूरत लड़की ने कैंटीन में कुंदन के पास आ कर पूछा.
‘‘हांहां, है न…’’ कुंदन ने जेब से पैन निकाल कर झट से उस की तरफ बढ़ा दिया.
‘‘थैंक्स, मैं क्लास के बाद लौटा दूंगी. तुम्हें अर्थशास्त्र की क्लास में देखा है मैं ने.’’
‘‘मैं ने भी देखा है तुम्हें… बाइ द वे मेरा नाम कुंदन है, तुम…’’
‘‘मैं रोमा हूं,’’ उस ने मुसकरा कर कहा और अपनी क्लास में चली गई.
‘‘कमाल है, इतनी सारी सहेलियां हैं इस की, उन के पास पैन नहीं मिला इसे, जो कैंटीन में तुझे खोज कर तेरे से मांगने आई है?’’ सुनील ने अचरज से कहा.
‘‘जल गए न? यह सब स्टाइल का कमाल है मेरे दोस्त. मेरी बाइक देख कर वह इंप्रैस हो गई होगी.’’
‘‘और तू उसे देख कर इंप्रैस हो गया. पैन निकाल कर तू ने एकदम पेश कर दिया. अब क्लास में क्या नाखून से लिखेगा?’’ स्नेहा ने मुंह बना कर पूछा.
‘‘तुम दोनों अपनी बकवास बंद करो.’’
‘‘कुंदन तुझे पता भी है कि वह कौन है? हमारे सीनियर संजीव की बहन है वह. तू उसे अपनी बाइक पर बिठाने का ख्वाब भूल जा. सारा कालेज जानता है कि वह रोहित की गर्लफ्रैंड है,’’ सुनील ने बताया.
‘‘हाय, कुंदन घर जा रहे हो?’’ 2 दिन बाद कालेज की सीढि़यां उतरते कुंदन को रोमा ने टोका.
‘‘हां.’’
‘‘तुम यहां किस का इंतजार कर रही हो?’’
‘‘रिकशे का, घर जाना है न, पर अब सोचती हूं क्यों न तुम्हारे साथ ही चलूं. बड़ी शानदार बाइक है. मुझे एक राइड दोगे?’’
‘‘हां… हां… रोहित नहीं दिख रहा है कहीं,’’ उस ने इधरउधर देखते हुए पूछा.
‘‘नाम मत लो उस का. मेरा उस से ब्रेकअप हो गया है. एक नंबर का फ्लर्ट है वह. भैया ठीक कहता था कि वह लड़का मेरे लिए ठीक नहीं था. वैसे तुम्हारे बारे में उस की राय सही है.’’
‘‘मेरे बारे में?’’ कुंदन चौंक गया.
‘‘हां, ऐडमिशन के दिन उस ने मुझे तुम्हारे साथ बातें करते देखा था. कह रहा था कि तुम स्कूल में उस के जूनियर थे. मुझे घर ड्रौप कर दो, इसी बहाने भैया से भी मिल लेना.’’
‘‘हांहां… आओ, बैठो,’’ कुंदन की तो बांछें खिल गईं. उस की मनचाही मुराद पूरी हो रही थी. कालेज की सब से हसीन और स्मार्ट लड़कियों में गिनी जाने वाली रोमा उस की बाइक पर, उस की कमर में हाथ डाले हुए थी.
उस दिन के बाद दोनों कभी कैंटीन तो कभी लाइब्रेरी में साथसाथ दिखते. कभीकभी वह उसे घर भी ड्रौप कर देता. पूरे कालेज में दोनों बौयफ्रैंड गर्लफ्रैंड के रूप में मशहूर हो गए.
‘‘कमाल है उस के घर वाले कुछ नहीं कहते तुझे उस के साथ देख कर?’’ एक दिन सुनील ने कुंदन से पूछा.
‘‘कहेंगे क्या, वे तो खुश हैं कि उस लफंगे रोहित से उस का पीछा छूटा. मैं ने खुद सुना था, संजीव अपनी मां से कह रहा था, ‘अच्छा हुआ रोमा ने कुंदन से दोस्ती कर ली. मैं उसे स्कूल से जानता हूं. घर भी देखा है उस का. अच्छे लोग हैं. उस के साथ रहेगी तो उस लफंगे रोहित की बुराइयां खुद ही समझ में आने लगेंगी इसे और वह भी दूसरे लड़के के साथ देख कर इस के पीछे नहीं पड़ेगा. एकदम से छोड़ देने पर वह लफंगा क्या कर दे कुछ भरोसा नहीं. कम से कम एक लड़के को साथ देख कर उस की रोमा को नुकसान पहुंचाने की हिम्मत नहीं होगी.’’
‘‘बहुत अच्छा. और अगर उस ने तुम्हें नुकसान पहुंचाने का इरादा कर लिया तो क्या करोगे?’’ स्नेहा ने पूछा.
‘‘वह कुछ नहीं करेगा. आजकल अपने लिए नई गर्लफ्रैंड ढूंढ़ने में बिजी है. मेरी या रोमा की तरफ देखने की तो फुरसत ही नहीं है उसे. आजकल तो दूसरी लड़कियों के आसपास चक्कर लगाता रहता है वह.’’
‘‘तब तो तेरी पांचों उंगलियां घी में हैं. बैठेबिठाए एक अदद गर्लफ्रैंड मिल गई. कहां तो लड़कियों को फंसाने के लिए एक से एक पैंतरे बदल रहा था और कहां मछली खुद ही आ कर जाल में फंस गई.’’
‘‘बस, सब स्टाइल का खेल है मेरे भाई. तुझ से भी कहता हूं कि इस स्कूलबौय वाली इमेज से बाहर निकल. यही तो दिन हैं दुनिया की रंगीनियों के मजे लेने के,’’ सुनील ने छेड़ा तो कुंदन ने गरदन टेढ़ी कर प्रवचन दे डाला.
‘‘अब बाकी रंगीनी क्लास में चल कर करना. वैसे भी रोमा तो तुम्हारे बगल में ही बैठती है,’’ स्नेहा ने कहा.
‘‘आज क्लास अटैंड करने का मूड नहीं है. मैं और रोमा इंगलिश मूवी देखने जा रहे हैं,’’ कुंदन ने कहा.
‘‘अच्छा, अगले साल अपनी गर्लफ्रैंड के साथ ये क्लास कर लेना, क्योंकि तुम दोनों को देख कर लगता तो नहीं कि इस साल पास करने का इरादा है. दोनों क्लास में कम और कैंटीन में ज्यादा दिखते हो.’’
‘‘हैलो कुंदन, क्या तुम अभी फ्री हो?’’ रोमा का फोन आया.
‘‘तुम्हारे लिए तो चौबीसों घंटे फ्री हूं मेरी जान, तुम बस हुक्म करो.’’
‘‘आज मेरी सहेली नर्मदा की सगाई है. भैया बैंकिंग की परीक्षा देने दूसरे शहर गया है. नर्मदा का घर काफी दूर है. शाम को रिकशे या आटो से उतनी दूर अकेले जाने में डर लगता है. क्या तुम मुझे वहां ले जाओगे? मां ने भी कह दिया है तुम साथ रहोगे तभी मुझे जाने देंगी.’’
‘‘अरे, मेरे होते हुए तुम अकेली कैसे हो गई. तैयार हो जाओ, मैं 15 मिनट में पहुंचता हूं.’’
‘‘अरे, तुम तैयार नहीं हुई, सगाई में जींस पहनोगी,’’ रोमा को सादे कपड़ों में देख कुंदन ने पूछा.
‘‘डोंट बी रिडिकुलस कुंदन. वैसी भड़कीली ड्रैस पहन कर बाइक पर चलूंगी तो सारे रास्ते लोग घूरेंगे मुझे. मैं ने अपनी ड्रैस रख ली है, वहीं जा कर तैयार हो जाऊंगी,’’ रोमा ने अपने हाथ में पकड़ा बड़ा सा बैग दिखा कर कहा और बाइक पर उस के पीछे बैठ गई.
‘‘आप बेफिक्र रहिए आंटी. मैं इसे सेफली ले जाऊंगा और वापस भी पहुंचा दूंगा,’’ उस ने रोमा की मां से कहा और बाइक स्टार्ट कर चल दिया.
‘‘बसबस, यहीं रोक दो. यहां से मैं पैदल ही चली जाऊंगी,’’ रोमा ने दयाल कालोनी के पास पहुंचते ही कहा तो उस ने मोटरसाइकिल रोक दी.
‘‘यहां? यहां सुनसान जगह पर क्यों उतर रही हो? कालोनी तो आगे है.’’
‘‘तुम नहीं समझोगे, नर्मदा की फैमिली बड़ी कंजरवेटिव है. उन्हें पता चल गया कि मैं अपने बौयफ्रैंड के साथ आई हूं तो अजीबोगरीब सवाल पूछ कर मुझे पागल कर देंगे. मैं पैदल चली जाऊंगी. तुम चले जाओ.’’
‘‘जो हुक्म सरकार का. लेने कब आ जाऊं?’’
‘‘लेने आने की जरूरत नहीं है. मैं ने बताया न कि वे कंजरवेटिव लोग हैं. नर्मदा के पापा मुझे घर छोड़ने जाएंगे. देर हुई तो रात को यहीं रुक जाऊंगी.’’
‘‘पर मैं ने तो तुम्हारी मां को कहा था…’’
‘‘ओ… तुम उन की चिंता मत करो स्वीटहार्ट, उन्हें पता है,’’ रोमा ने फ्लाइंग किस दे कर कहा और अपना बड़ा सा बैग ले कर पैदल कालोनी की ओर चल दी. देर तक कुंदन उसे जाते देखता रहा फिर जब वह कालोनी में चली गई तब वापस लौट आया.
‘कैसे दकियानूसी लोग हैं. आज के जमाने में भी लड़केलड़की को साथ देखा कि कानाफूसी करने लगेंगे. समझते नहीं जमाना बदल गया है. आज के जमाने में जिस लड़के की गर्लफ्रैंड न हो या जिस लड़की का बौयफ्रैंड न हो उसे लल्लू समझते हैं लोग. सुनील और स्नेहा की तरह. कोई स्टाइल नहीं, कोई खूबी नहीं, तभी तो कोई ध्यान नहीं देता.
‘इस उम्र में लड़कालड़की में एकदूसरे के लिए आकर्षण होना तो आम बात है. सभी जानते हैं इस फैक्ट को, पर मान नहीं सकते. रोमा का परिवार ही समझदार है, वरना यहां मां को पता लग गया तो कल ही घर में तूफान खड़ा कर देंगी, कालेज में लड़के नहीं जाते, जो लड़की से दोस्ती कर ली?’ रात बिस्तर पर लेटेलेटे कुंदन ने सोचा.
‘‘कुंदन, अरे ओ कुंदन… घोड़े बेच कर सो रहा है? उठ पुलिस आई है,’’ सुबह पापा ने गुस्से से उसे झिंझोड़ कर जगाया.
‘‘क्या… पुलिस हमारे घर… क्यों… क्या हुआ?’’
‘‘क्या हुआ? नाक कटा दी तू ने हमारी और भोला बन कर पूछ रहा है क्या हुआ? कहां है वह लड़की?’’ पापा ने जोर से एक थप्पड़ मार कर पूछा.
‘‘क… कौन लड़की? क्या किया है मैं ने?’’
‘‘नाटक कर रहा है? मैं ने क्या समझा था तुझे और तू क्या निकला. रोमा कहां है? कहां छिपाया है तू ने उसे?’’ तूफान की तरह कमरे में संजीव घुसा और उसे घसीटते हुए कमरे से बाहर ले गया. बाहर का दृश्य देख कर कुंदन के पैरों तले जमीन खिसक गई.
बरामदे में इंस्पैक्टर 2 सिपाहियों के साथ खड़ा था. रोमा की मां जलती नजरों से उसे घूर रही थी. उस का परिवार घबरायासहमा सा खड़ा था और पूरा महल्ला उस के गेट पर खड़ा अंदर झांक रहा था.
‘‘इंस्पैक्टर साहब, गिरफ्तार कर लीजिए इसे. इस ने मेरी बेटी को फुसला कर घर से भगा लिया है. जाने कहां छिपा दिया है उसे. रात को वह घर नहीं लौटी. मोबाइल भी बंद है उस का और जिस सहेली के घर जाने के बहाने यह उसे ले गया, वह कहती है कि रोमा उस के घर आई ही नहीं. जाने किस हाल में है मेरी बेटी. कहां रखा है तू ने उसे?’’ रोमा की मां गरजी.
‘‘म… मैं ने कहीं नहीं रखा. मैं तो कल उसे नर्मदा के घर दयाल कालोनी छोड़ कर वापस आ गया था.’’
‘‘झूठ बोलता है ये. नर्मदा दयाल कालोनी नहीं इंद्रपुर में रहती है. कहीं इस ने गहनों और पैसों के लालच में उसे मार तो नहीं दिया?’’ संजीव ने पूछा.
‘‘गहने, पैसे? कैसे पैसे? मैं ने कुछ नहीं लिया,’’ घबरा कर कुंदन बोला.
‘‘कैसे पैसे? वही जो रोमा तेरे साथ भागते समय साथ ले गई थी. इंस्पैक्टर साहब, घर से मां के गहने और 25 हजार रुपए कैश गायब है. इस ने रोमा को बेवकूफ बना कर घर में चोरी कराई और माल हथिया कर उसे ठिकाने लगा दिया.’’
‘‘यह झूठ है… मैं ने कुछ नहीं किया. रोमा ने बताया था कि वह सहेली की सगाई में पहनने के लिए कपड़े ले जा रही है. मैं ने देखा भी नहीं, आंटी, आप के सामने ही तो कहा था उस ने,’’ कुंदन ने गिड़गिड़ा कर रोमा की मां से कहा.
‘‘और तुम ने क्या कहा था? सुरक्षित वापस ले आऊंगा? बता कहां है मेरी बेटी?’’
‘‘मैं… मैं नहीं जानता. मुझे तो उस ने यही कहा था कि वह नर्मदा के घर जा रही है और उस के पापा उसे घर छोड़ देंगे. उस के बाद वह कहां गई, मुझे नहीं मालूम.’’
‘‘नहीं मालूम? 17-18 साल उम्र होगी और यह करतूत? लड़की भगाता है. चल हवालात, बेटा, 2 डंडे तबीयत से मारूंगा न तो सब याद आ जाएगा,’’ इंस्पैक्टर उसे घसीट कर जीप की ओर ले जाता हुआ बोला. उस के लाख रोनेपीटने और घर वालों की मिन्नतों का पुलिस पर कोई असर नहीं हुआ और वे कुंदन को पुलिस स्टेशन ले गए. 2 दिन हवालात में बंद रहने के बाद उसे छोड़ दिया गया. रोमा रोहित से शादी करने के बाद घर वापस आ गई थी.
‘‘पर… पर यह कैसे हो सकता है? उस का तो रोहित से ब्रेकअप हो गया था. वे दोनों तो एकदूसरे से बात तक नहीं करते थे, फिर शादी… कहीं रोहित ने जबरदस्ती तो नहीं की उस के साथ?’’ स्नेहा और सुनील के मुंह से समाचार सुनते ही कुंदन तैश में आ गया.
‘‘शांत हो जा रोमियो, तुझे बेवकूफ बनाया गया है. गर्लफ्रैंड के चक्कर में तू ऐसा अंधा हुआ है कि सीधीसादी बात समझ में नहीं आती तुझे. नर्मदा दयाल कालोनी में नहीं रहती, फिर भी रोमा झूठ बोल कर तुझे वहां ले गई. अपने साथ वह घर के गहने और सारे पैसे लपेट कर ले गई और तुझे बताया गया कि चेंज करने के लिए ड्रैस रखी है. इतनी मोटी अक्ल है तेरी कि समझ नहीं रहा. उस ने रोहित के साथ मिल कर इस्तेमाल किया है तेरा. भागी रोहित के साथ और अंदर तुझे करा दिया. वह कमीना वहीं कहीं छिपा होगा. तेरी बाइक से उतर कर वह उस के साथ चली गई.
हर कोई तेरे पीछे हैरानपरेशान था और वह आराम से रोहित के साथ शादी कर रही थी. रोहित तो सारी घटना में कहीं था ही नहीं, इसलिए किसी ने उसे खोजने की कोशिश नहीं की और उन दोनों ने बिना किसी बाधा के आराम से मंदिर में और फिर अगले दिन कोर्ट में शादी कर ली,’’ स्नेहा ने झल्ला कर कहा तो कुंदन सिर पकड़ कर बैठ गया.
‘‘तुम ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया रोमा?’’ एक दिन रोमा को कालेज आया देख कुंदन ने मौका पाते ही उस से पूछा.
‘‘आई एम वैरी सौरी कुंदन. मेरे पास और कोई रास्ता ही नहीं था. मेरे घर वालों को मेरे और रोहित के बारे में पता चल गया था. वे रोहित को बिलकुल पसंद नहीं करते थे.
भैया मेरे ऊपर नजर रखने लगा था ताकि मैं उस से न मिलूं. मेरे कहीं आनेजाने पर रोक लग गई थी. मेरा फोन भी ले लिया गया था. एक दिन रोहित ने तुम्हें अपने दोस्तों से बातें करते सुन कर अंदाजा लगाया कि तुम्हें गर्लफ्रैंड का बड़ा क्रेज है तो हम ने यह प्लान बनाया. सहेलियों से बातें करने के बहाने तुम्हारे ही फोन से मैं उस से बातें कर प्लानिंग करती थी. मेरे घर वाले भी मुझे तुम्हारे साथ देख कर निश्चिंत थे कि अब मैं रोहित के साथ नहीं हूं.
‘‘उन्हें मेरे स्वभाव से पता था कि तुम्हारे साथ मैं कोई रिलेशनशिप नहीं बनाऊंगी. इस का फायदा उठा कर मैं तुम्हारे साथ घर से भाग गई. तुम नहीं होते तो मां किसी भी तरह भैया के न रहने पर मुझे जाने नहीं देती और भैया ने मेरी सारी सहेलियों के घर देख रखे हैं.
‘‘उसे मैं बेवकूफ नहीं बना सकती थी. फिर मेरे भागते ही भैया पुलिस को ले कर रोहित के घर आ धमकता और जो तुम्हारे साथ हुआ वह उस के साथ होता. तब हमारा शादी करना असंभव था. इसलिए हम ने तुम्हारी मदद ली. मैं तुम्हारे साथ गई तो किसी ने रोहित पर शक तक नहीं किया. आई एम सौरी कुंदन, बट एज यू नो एवरी थिंग इज फेयर इन लव ऐंड वार.’’
‘‘रिलैक्स यार, तुम्हें तो खुश होना चाहिए तुम ने 2 प्रेमियों को मिलवाने में मदद की है. अपनी गर्लफ्रैंड को इस से अच्छा मैरिज गिफ्ट कोई दे सकता है क्या?’’ रोहित ने पीछे से आ कर उस के कंधे पर हाथ रख कर कहा तो वह उसे आंखें तरेर कर देखने लगा और चुपचाप वहां से चला गया.
‘सालों ने लड़की भगाने और चोरी के इल्जाम में मुझे अंदर करा दिया और बेशर्मी से कहते हैं कि गर्लफ्रैंड को मैरिज गिफ्ट दिया है,’ अपनी सीट पर बैठ कर भुनभुनाता हुआ कुंदन बोला.
‘‘वैसे ठीक ही तो कह रहे हैं, तेरे जैसा बौयफ्रैंड मिलना आसान है क्या, जिस ने लड़की भी भगाई, पुलिस के डंडे भी खाए और लड़की भी नहीं मिली,’’ सुनील के कहने पर स्नेहा खिलखिला कर हंस दी.
‘‘और ताने देने की जरूरत नहीं, मुझे सबक मिल गया है. आज से दूसरों की देखादेखी गर्लफ्रैंड बनाने के चक्कर में किसी भी लड़की के पीछे आंख मूंद कर नहीं चलूंगा,’’ सिर झुका कर कुंदन बोला.
‘‘इतना निराश होने की जरूरत नहीं. लड़केलड़कियों में दोस्ती में कुछ गलत नहीं. गलती तब होती है जब तुम स्टाइल और दिखावे के चक्कर में इसे दोस्ती की हद से बाहर ले जाने की कोशिश करते हो.’’
‘‘हां, अब मैं भी समझ गया हूं. यह मेरी अपनी बेवकूफी का नतीजा था. दूसरों के सामने खुद को मौर्डन दिखाने के चक्कर में मैं ने बिना सोचेसमझे खुद को मुसीबत में डाल दिया. अब से ऐसा नहीं होगा,’’ स्नेहा के समझाने पर कुंदन ने मुसकरा कर कहा.