आप जब भी किसी दोस्त या रिश्तेदार के घर में प्रवेश करते हैं, तो सब से पहले आप की नजर उस कमरे की दीवारों पर पड़ती है. और अगर दीवारों का रंग अच्छा लगता है तो उसे ऐप्रिशिएट भी करते हैं.
दरअसल, रंग हमारी आंखों को सब से पहले प्रभावित करते हैं, इसलिए घर में रंगरोगन करवाते वक्त सही रंगों का चुनाव बहुत जरूरी होता है. रंग न सिर्फ व्यक्तित्व को उजागर करते हैं, घर में एक सुकून भरा वातावरण भी बनाते हैं. दिन भर की भागदौड़ के बाद व्यक्ति जब घर लौटता है, तो उसे पूरी तरह से रिलैक्स होना जरूरी होता है ताकि वह अगले दिन के लिए अपनेआप को तैयार कर सके. ऐसे में अगर घर की दीवारों का रंग अच्छा और सुकून देने वाला होता है तो उस से बहुत चैन और आराम मिलता है.
सफेद रंग का क्रेज
मुंबई की नाबार प्रोजैक्ट्स की इंटीरियर डिजाइनर मंजूषा नाबार कहती हैं कि मैं पिछले 24 सालों से इस क्षेत्र में हूं. पहले 90 के दशक में अधिकतर लोग औफ व्हाइट या सफेद रंग ही पसंद करते थे, लेकिन धीरेधीरे लोगों का टेस्ट बदला. उन का ध्यान सफेद से हट कर ब्राइट कलर्स पर ध्यान गया.
रंगों के ट्रैंड में बदलाव पेंट की कंपनियों की वजह से आता है. बड़ीबड़ी कंपनियां हर बार नएनए रंग और उन्हें प्रयोग करने के तरीके बाजार में उतारती हैं, जिन्हें देख कर उपभोक्ता उत्साहित हो कर वैसे ही रंग अपने कमरों में करवाने लगते हैं. लेकिन सफेद रंग का के्रज हमेशा रहा है और रहेगा भी. समयसमय पर कुछ फेरबदल अवश्य होते हैं पर सीलिंग पर सफेद रंग हमेशा सही रहता है.
सफेद रंग से घर बड़ा और खुला दिखता है क्योंकि इस रंग से रोशनी रिफ्लैक्ट होती है. गहरे रंग से तो रोशनी के साथसाथ जगह भी कम दिखती है.
सभी रंगों का महत्त्व
आमतौर पर घरों में रंग उस के क्षेत्र के अनुसार कराए जाते हैं. अगर मुंबई और दिल्ली की हम तुलना करें तो मुंबई के मौसम में नमी अधिक होती है, इसलिए वहां थोड़ा डार्क कलर चलता है, जबकि दिल्ली का मौसम ऐसा नहीं रहता, इसलिए वहां हलके रंग अधिक पसंद किए जाते हैं. लेकिन सभी रंगों का अपना महत्त्व तो होता ही है.
आप अपने घर में रंग करवाते वक्त कुछ बातों पर अवश्य ध्यान दें:
– गहरे रंग डिप्रैशन लाते हैं, इसलिए हमेशा लाइट औरेंज, ग्रीन, सफेद आदि रंगों का प्रयोग करें.
– नई तकनीक के अंतर्गत रिफाइंडमैंट टैक्सचर, वालपेपर, फैब्रिक पेंट, ग्लौसी पेंट और मैट फिनिश आदि अधिक लगाना अच्छा होता है.
– बच्चों के कमरे में प्राइमरी रैड, ग्रीन, यलो और ब्लू कलर अच्छा लगता है, तो बुजुर्गों के कमरे के लिए लाइट पिंक, लाइट ब्लू व लाइट औरेंज कलर अच्छे होते हैं, क्योंकि ये रंग रिलैक्सेशन का एहसास कराते हैं. यंगस्टर्स और नवविवाहितों के लिए वाइब्रैंट कलर अधिक अच्छे रहते हैं. इन में रैड, ग्रीन व औरैंज कलर काफी लोकप्रिय हैं, क्योंकि वे ऐक्टिव होने का एहसास कराते हैं.
रंगों का चयन
रंगों का चयन तो व्यक्ति के व्यक्तित्व, प्रोफैशन और स्थिति वगैरह को ध्यान में रख कर करना चाहिए, क्योंकि रंगों का व्यक्ति के जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है.
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कौरपोरेट क्षेत्र के अधिकतर लोग लाइट कलर अधिक पसंद करते हैं तो अध्यापक वर्ग अधिकतर लोग यलो व ग्रीन कलर पसंद करते हैं. व्यवसायी अपने स्टेटस के हिसाब से रंग चुनते हैं, तो अधिकतर फिल्मी लोग सफेद रंग ही पसंद करते हैं. बुद्धिजीवी लोग अधिकतर ‘अर्थ कलर’ करवाते हैं.
रंगों की पसंदनापसंद के अलावा जरूरी बात यह है कि घर को घर के जैसा ही रहने देना चाहिए. उसे आर्टिफिशियल नहीं बनाना चाहिए. घर को हमेशा वैलकमिंग होना चाहिए.