रोशनलाल का बंगला रंगबिरंगी रोशनी से जगमगा रहा था. उन के घर में उन के जुड़वे बच्चों का जन्मोत्सव था. बंगले की बाउंड्री वाल के अंदर शामियाना लगा था जिस के मध्य में उन की पत्नी जानकी देवी सजीधजी दोनों बेटों को गोद में लिए बैठी थीं. उन की चारों तरफ गेस्ट्स कुरसियों पर बैठे थे. कुछ औरतें गीत गा रही थीं. गेट के बाहर हिजड़ों का झुंड था, मानो पटना शहर के सारे हिजड़े वहीँ जुट गए थे. उन में कुछ ढोल बजा रहे थे और कुछ तालियां. सभी मिल कर सोहर गा रहे थे- “ यशोदा के घर आज कन्हैया आ गए…”
रोशनलाल के किसी गेस्ट ने उन से कहा, “अरे यार, इन हिजड़ों को कुछ दे कर भगाओ.”
“भगाना क्यों? आज ख़ुशी का माहौल है, मैं देखता हूं.” रोशनलाल लाल ने कहा, फिर बाहर आ कर उन्होंने कहा, “अरे भाई लोग, कुछ फ़िल्मी धुन वाले सोहर गाओ.”
हिजड़ों ने गाना शुरू किया- “सज रही गली मेरी मां सुनहर गोटे में… अम्मा तेरे मुन्ने की गजब है बात, चंदा जैसा मुखड़ा किरण जैसे हाथ…“
किसी गेस्ट ने कहा, “जुड़वां बेटे हैं, एक और हो जाए.“
हिजड़ों ने दूसरा गीत गाया- “गोरेगोरे हाथों में मेहंदी रचा के, नैनों में कजरा डाल के,
चली जच्चा रानी जलवा पूजन को, छोटा सा घूंघट निकाल के…“
रोशनलाल ख़ुशी से झूम उठे और 500 रुपए के 2 नोट उन के लीडर को दिया. उस ने नोट लेने से इनकार किया और कहा, “लालाजी, जुड़वां लल्ला हुए हैं, इतने से नहीं चलेगा.“
रोशनलाल ने 2,000 रुपए का एक नोट उसे देते हुए कहा, “अच्छा भाई, लो आपस में बांट लेना. अब तो खुश.“
उस ने ख़ुशीख़ुशी नोट लिया और वे सभी दुआएं दे कर चले गए.
रोशनलाल को पैसे की कमी न थी. अच्छाख़ासा बिजनैस था. पतिपत्नी दोनों अपने जुड़वां बेटों अमन और रमन का पालनपोषण अच्छे से कर रहे थे. खानपान, पहनावा या पढ़ाईलिखाई किसी चीज में कंजूसी का सवाल ही न था. अमन मात्र 15 मिनट पहले दुनिया में आया, इसीलिए रोशनलाल उसे बड़ा बेटा कहते थे.
अमन और रमन दोनों के चेहरे हूबहू एकदूसरे से मिलते थे, इतना कि कभी मातापिता भी दुविधा में पड़ जाते. अमन की गरदन के पीछे एक बड़ा सा तिल था, असमंजस की स्थिति में उसी से पहचान होती थी. दोनों समय के साथ बड़े होते गए. अमन सिर्फ 15 मिनट ही बड़ा था, फिर भी दोनों के स्वभाव में काफी अंतर था. अमन शांत और मैच्योर दिखता और उस का ज्यादा ध्यान पढ़ाईलिखाई पर होता था. इस के विपरीत, रमन चंचल था और पढ़ाईलिखाई में औसत से भी बहुत पीछे था.
फिलहाल दोनों प्लस टू पूरा कर कालेज में पढ़ रहे थे. अमन के मार्क्स काफी अच्छे थे और उसे पटना साइंस कालेज में एडमिशन मिल गया. रमन किसी तरह पास हुआ था. उसे एक प्राइवेट इवनिंग कालेज में आर्ट्स में एडमिशन मिला.
रमन फोन और टेबलेट या लैपटौप पर ज्यादा समय देता और फेसबुक पर नएनए लड़केलड़कियों से दोस्ती करता. अकसर नएनए पोज, अंदाज और ड्रैस में अपने फोटो पोस्ट करता. रमन को इवनिंग कालेज जाना होता था. दिन में अमन कालेज और पिता अपने बिजनैस पर जाते, इसलिए रमन दिनभर घर में अकेले रहता था. वह अपने फेसबुक दोस्तों से चैट करता और फोटो आदि शेयर करता. पढ़ाई में उस की दिलचस्पी न थी. देखतेदेखते दोनों भाई फाइनल ईयर में पहुंच गए.
इधर कुछ महीनों से रमन को फेसबुक पर एक नई दोस्त मिली थी. उस ने अपना नाम रीता बताया था. वे दोनों काफी घुलमिल गए थे और फ्री और फ्रैंक चैटिंग होती थी. एक दिन वह बोली, “मैं बायोलौजी पढ़ रही हूं. मुझे पुरुष के सभी अंगों को देखना और समझना है. इस से मुझे पढ़ाई और प्रैक्टिकल में मदद मिलेगी. तुम मेरी मदद करोगे?“
“हां क्यों नहीं. मुझे क्या करना होगा?“
“तुम अपने न्यूड फोटो पोस्ट करते रहना.“
कुछ शर्माते हुए रमन बोला, “नहीं, क्या यह ठीक रहेगा?“
“मेरी पढ़ाई का मामला है, जरूरी है और मेरे नजदीकी दोस्त हो, इसीलिए तुम से कहा था. खैर, छोड़ो, मैं कोई प्रैशर नहीं दे रही हूं. तुम से नहीं होगा तो मैं किसी और से कहती हूं,“ कुछ बिगड़ने के अंदाज़ में रीता ने कहा.
“ठीक है, मुझे सोचने के लिए कुछ समय दो.“
कुछ दिन और बीत गए. इसी बीच अमन और रमन के ग्रेजुएशन का रिजल्ट आया. अमन फर्स्ट क्लास से पास हुआ पर रमन फेल कर गया. रोशनलाल ने अपने दोनों बेटों को बुला कर कहा, “मैं सोच रहा था कि तुम दोनों अब मेरा बिजनैस संभालो. इस के लिए मुझे तुम्हारी डिग्री की जरूरत नहीं है. अगर तुम दोनों चाहो तो मैं अभी से बंटवारा भी कर सकता हूं.“
अमन बोला, “नो पापा, अभी बंटवारे का कोई सवाल नहीं है. मैं मैनेजमैंट पढ़ूंगा, उस के बाद आप जो कहेंगे वही करूंगा. रमन चाहे तो बिजनैस में आप के साथ रह कर कुछ काम सीख ले.“
रमन ने कहा, “अभी मैं ग्रेजुएशन के लिए कम से कम एक और प्रयास करूंगा.“
अमन मैनेजमैंट की पढ़ाई करने गया. रमन का फेसबुक पर वही सिलसिला चल रहा था. उस की फेसबुक फ्रेंड रीता ने कहा, “अब तुम ने क्या फैसला किया है? जैसा कहा था, मेरी मदद करोगे या मैं दूसरे से कहूं? मेरे एग्जाम निकट हैं.“
“नहीं, मैं तुम्हारे कहने के अनुसार करूंगा. पर तुम ने तो अपने प्रोफ़ाइल में अपना कोई फोटो नहीं डाला है.“
“तुम लड़के हो न और मैं लड़की. मैं ने अपना फोटो जानबूझ कर नहीं डाला है. लड़कियों को लोग जल्द बदनाम कर देते हैं. तुम बिहार की राजधानी से हो और मैं ओडिशा के एक छोटे कसबे से हूं.“
रमन ने अपने कुछ न्यूड फोटो रीता को पोस्ट किए. रीता ने फिर उस से कुछ और फोटो भेजने को कहा तब रमन ने भी उस से कहा, “तुम भी तो अपना कोई फोटो भेजो. मैं न्यूड फोटो नहीं मांग रहा हूं.“
रीता ने कहा, “फोटो तो मैं नहीं पोस्ट कर सकती पर जल्द ही मेरे पटना आने की उम्मीद है. पापा सैंट्रल गवर्नमैंट में हैं, उन का प्रमोशन के साथ ओडिशा के बाहर दूसरे राज्य में तबादला हो रहा है और पापा ने पटना का चौइस दिया है. वैसे भी, अकसर हर 3 साल पर पापा का ट्रांसफर होता रहता है. इस बार प्रमोशन के साथ दूसरे स्टेट में ट्रांसफर की शर्त है, अब तुम्हारे शहर में मैं जल्द ही आ रही हूं.“
“मतलब, हम लोग जल्द ही मिलने वाले हैं?“
“हां, कुछ दिन और धीरज रखो.“
इधर अमन और उस के पिता समझ चुके थे कि रमन का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है. वह दिनभर फोन और कंप्यूटर पर लगा रहता है हालांकि रीता के बारे में उन्हें कुछ पता न था. सेठ ने दोनों बेटों को बुला कर कहा, “मैं सोच रहा हूं, तुम दोनों की शादी पक्की कर दूं. सेठ जमुनालाल ने अपनी इकलौती बेटी दिया के लिए रमन में दिलचस्पी दिखाई है. हालांकि, दिया ट्वेल्फ्थ ड्रौपआउट है पर उस में अन्य सराहनीय गुण हैं. मैं देख रहा हूं कि रमन का जी पढ़ाई में नहीं लग रहा है. अमन के लिए भी एक लड़की है मेरी नजर में, कल ही उस के पिता से बात करता हूं. उसे तुम भी जानते हो, शालू, जो कुछ साल तुम्हारे ही स्कूल में पढ़ी थी. वह बहुत अच्छी लड़की है, मुझे तो पसंद है.“
अमन बोला, “हां, मैं शालू को जानता हूं पर पापा मेरी पढ़ाई अगले साल पूरी हो रही है, इसलिए तब तक मैं शादी नहीं करूंगा.“
“मैं ने शालू के पिता को भरोसा दिया है कि अमन मेरी बात नहीं टालेगा. उन्हें इनकार कर मुझे बहुत दुख होगा.“
“पापा, आप का भरोसा मैं नहीं टूटने दूंगा, न ही आप उन्हें इनकार करेंगे. बस, आप उन से कहिए कि चाहें तो सगाई अभी कर सकते हैं और शादी मेरे फाइनल एग्जाम के बाद होगी.”
“बहुत अच्छी बात कही है तुम ने बेटा, सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे वाली बात हुई. ठीक है, मैं उन्हें बता दूंगा.“
“ठीक है, शादी अगले साल ही होगी. इसी साल किसी अच्छे मुहूर्त देख कर तुम दोनों भाइयों की सगाई कर देता हूं.“
“ओके पापा.“
एक महीने के अंदर दोनों भाइयों की सगाई होने वाली थी. रमन ने यह सूचना अपनी फेसबुक फ्रैंड रीता को बता दी. रीता ने उसे बधाई दी. अगले दिन से रीता के अकाउंट्स से रमन को धमकियां मिलने लगीं- “तुम ने एक नाबालिग लड़की से फेसबुक पर अश्लील हरकतें की हैं. मैं तुम्हारे सारे फोटो तुम्हारी मंगेतर, तुम्हारे पापामम्मी और सारे फ्रैंड्स व रिश्तेदारों को फौरवर्ड कर दूंगी और साथ ही, सोशल मीडिया पर भी.“
“तुम कैसी फ्रैंड हो… मैं ने तुम्हारी मदद की और अब तुम मुझे बेइज्जत करने की सोच रही हो?“ रमन ने कहा.
“मैं कुछ नहीं जानती, एक नाबालिग लड़की से ऐसी गंदी हरकतें करने के पहले तुम्हें सोचना चाहिए था. अगर तुम अपने परिवार को बेइज्जती और बदनामी से बचाना चाहते हो तो तुम को मुझे 10 लाख रुपए देने होंगे. सेठ रोशनलाल के बेटे हो और सेठ जमुनालाल के इकलौते दामाद बनने जा रहे हो. इतनी रकम जुटाना कोई बड़ी बात नहीं है.“
“इतनी बड़ी रकम मैं नहीं दे सकता.“
“अगर तुम नहीं मानते, तब मुझे भी मजबूर हो कर सख्त कदम उठाना होगा. सभी को तुम्हारी गंदी और अश्लील हरकतों की जानकारी देनी होगी. दोनों परिवारों की बदनामी तो होगी ही और तुम दोनों भाइयों की शादी का क्या होगा, वह तुम समझ सकते हो.“
कुछ दिनों तक दोनों के बीच ऐसा ही चलता रहा. रमन बहुत परेशान और दुखी रहने लगा. घरवालों के पूछने पर कुछ बताता भी नहीं था. अब सगाई में मात्र 10 दिन रह गए थे. रीता ने रमन से कहा, “ब मैं और इंतजार नहीं कर सकती. तुम्हें, बस, 3 दिन का समय दे रही हूं. तुम रुपए ले कर जहां कहूं वहां आ जाना. कब और कहां, मैं थोड़ी देर में बता दूंगी. वरना, अंजाम तुम समझ सकते हो.“
एक रात अमन छोटे भाई रमन के कमरे के सामने से गुजर रहा था. रमन का कमरा अधखुला था. उस ने रमन को कमरे में तकिए में मुंह छिपा कर सिसकते देखा. वह रमन के पास गया और उस से रोने का कारण पूछा. रमन अपने भाई के गले लग कर रोने लगा. अमन ने उसे चुप कराया और कहा, “अपने भाई से अपने दुख का कारण शेयर करो. अगर मैं तुम्हारा दुख कम नहीं कर सका, तब भी शेयर करने से कम से कम मन का बोझ कम हो सकता है. चुप हो जाओ और अब शेयर करो अपनी बात.“
रमन ने रोते हुए अपने और रीता के बीच हुई सारी बातें बताईं. रमन की बातें सुन कर अमन बोला, “बस, इतनी सी बात है. तुम अब इस की चिंता छोड़ दो. हम दोनों मिल कर उस रीता की बच्ची को छठी के दूध की याद दिला देंगे. इतना ही नहीं, हम दोनों की भावी पत्नियां भी रीता को सबक सिखाने में हमारी मदद करेंगी.“
“पर क्या शालू भाभी और दिया को यह बताना सही होगा?“
“अगर सही नहीं है तो इस में कुछ गलत भी नहीं है. तुम्हारी गलती इतनी है कि तुम अपनी नादानी और बेवकूफी के कारण रीता के ब्लैकमेल के जाल में फंस चुके हो. तुम्हें शायद पता नहीं है कि शालू को आईटी की अच्छी जानकारी है. दिया तुम्हारी भावी पत्नी है, उसे तुम सचाई बता सकते हो. इतना ही नहीं, दिया ताइक्वांडो में ब्लैक बेल्ट ले चुकी है. इन दोनों को अपने जैसा कमजोर न समझो. हम चारों मिल कर इस स्थिति से निबटने का कोई उपाय निकाल लेंगे. तुम दिया को कौन्फिडैंस में लो और रीता से बात करते रहो कि पैसों का इंतजाम कर रहा हूं, कुछ समय दो.“
“क्या हमें पुलिस की मदद लेनी होगी?“ रमन ने पूछा.
“नहीं, अगर लेनी भी पड़ी तो रीता को पकड़ने के बाद. आखिर तुम्हारी तसवीरें तो उस के मोबाइल या अन्य सिस्टम में स्टोर हैं और वह तुम्हें गलत साबित कर सकती है.”
दोनों भाई और उन की भावी पत्नियों ने मिल कर रीता से निबटने का प्लान बनाया. रमन ने रीता को फोन कर कहा, “देखो 10 लाख रुपए का इंतजाम तो मैं नहीं कर सकता, 5 लाख रुपए तो तैयार ही समझो. इतने से तुम्हारा काम हो जाना चाहिए.“
फोन की बातें अमन, दिया और शालू भी सुन रहे थे. रीता ने कहा, “नहीं, 5 लाख से काम नहीं चलेगा.“
रमन बोला, “तब ठीक है, कल के पेपर में मेरे सुसाइड करने की खबर पढ़ कर तुम्हारा काम हो जाना चाहिए.“
“अरे नहीं यार, मैं उतनी जालिम नहीं हूं. तुम्हारे मरने से मुझे क्या हासिल होगा. ऐसा करो, 2 लाख और दे देना. बस, फुल एंड फाइनल,“ रीता बोली.
रमन अपने भाई की ओर सवालिया निगाहों से देखने लगा. अमन ने उसे इशारों से रीता को हां कहने को कहा.
“ठीक है, तब परसों संडे को शाम ठीक 5 बजे मेरे कहे समय और पते पर 7 लाख कैश ले कर मिलो. इस के बाद भी हम अच्छे दोस्त बने रहेंगे, यह मेरा वादा है. मुझे अच्छे कालेज में एडमिशन के लिए पैसों की सख्त जरूरत है.“
“ओके, मैं पैसे ले कर आ जाऊंगा.“
“याद रखना, यह बात सिर्फ तुम्हारे और मेरे बीच रहनी चाहिए वरना मैं तुम्हारे फोटो की कौपी किसी दूसरे दोस्त को फौरवर्ड कर दूंगी. कुछ ऐसावैसा किया तो वह तुम्हें एक्सपोज कर देगा. हां, एक जरूरी बात, अगर मैं घर से बाहर नहीं निकल सकी तो मेरा बड़ा भाई जा सकता है. उस के पास सौ रुपए का यह नोट होगा, इस का नंबर नोट कर लो.“
“नहीं, मैं किसी को नहीं बताऊंगा और तुम्हारे दिए समय व पते पर आ जाऊंगा. पर कोई दूसरा आए तो उस के पास तुम्हारा ही फोन होना चाहिए जिस में मेरी तसवीरें हैं,“ रमन ने कहा.
“डोंट वरी, मुझे आम खाने से मतलब है, गुठली गिनने से नहीं. मुझे मेरी रकम चाहिए और कुछ नहीं.“
अगले दिन रीता ने फोन कर रुपयों के साथ आने के समय और स्थान का पता बता दिया. रमन को शहर के पूर्वी छोर पर एक जगह बुलाया. वह जगह अभी डैवलप्ड नहीं थी. कुछ घर बन चुके थे जिन में इक्केदुक्के लोग रह रहे थे और काफी घर बन रहे थे. वहां अभी सड़कें भी पक्की नहीं बन सकी थीं. रीता ने रमन को एक निर्माणाधीन घर का पता दे कर वहां आने को कहा. अमन ने अपनी कंपनी के एक स्टाफ को वहां जा कर उस जगह को देखने को कहा. उस ने स्टाफ को सिर्फ इतना बताया कि वहां उसे कुछ प्लौट खरीदना है. अमन के स्टाफ ने आ कर बताया कि उस मकान के 3 ओर अभी गन्ने के खेत थे. यह जानने के बाद अमन बहुत खुश हुआ और उस ने रमन, शालू और दिया को भी इस की जानकारी दे दी.
अमन ने बाकी तीनों लोगों के साथ मिल कर एक प्लान बनाया और सख्त हिदायत दी कि और किसी को इस प्लान की भनक न लगे. उस ने कहा, “रीता अपने ही बने जाल में फंसने जा रही है. उस ने जगह ऐसी चुनी है कि हम लोग मिल कर उस की घेराबंदी कर लेंगे.
एक ब्रीफकेस में कुछ असली रुपए रख कर उन के नीचे सिर्फ सफ़ेद पेपर के टुकड़े डाल दिए गए. फैसला हुआ कि अमन, शालू और दिया तीनों रीता के बताए गंतव्य स्थान पर पूर्व नियोजित समय से काफी पहले से ही निकट के खेत में छिप जाएंगे. उस दिन कंस्ट्रक्शन वर्कर की छुट्टी थी. इलाका लगभग वीरान था. रमन का फोन अमन के पास रहेगा और रीता का मैसेज मिलते ही रमन ब्रीफकेस ले कर रीता के पास जाएगा. रमन के पास अमन का फोन होगा और जब रीता का फोन आएगा, अमन कौल रिसीव करेगा और रमन, बस, होंठ चलाते हुए बात करने का उपक्रम करते हुए रीता की और बढ़ेगा. अगर दिशानिर्देश आदि कोई विशेष जानकारी देनी होगी, तो अमन या शालू उसे रमन को मैसेज कर देंगी.
रीता ने अपनी समझ में पूरी होशियारी बरती. उस ने खुद न जा कर किसी दूसरे लड़के को भेजा जिसे रीता ने अपना भाई कहा था. रमन ने उस से 100 रुपए के नोट का नंबर मिलाया. फिर कुछ देर तक उसे इधरउधर की बातों में उलझाए रखा. उस ने रमन से जल्द ही ब्रीफकेस देने को कहा. रमन ने भी उस से रीता का फोन देने को कहा ताकि वह फोटो डिलीट कर दे. उस ने रीता का फोन रमन को दिया, तभी अचानक अमन और दिया को अपनी तरफ आते देखा. वह घबरा कर भागने लगा पर दिया के ट्वाइकांडों के एक झटके से वह जमीन पर औंधेमुंह गिर पड़ा.
दिया, अमन और शालू ने मिल कर उस पर काबू पा लिया. अमन बोला, “तुम रीता के भैया हो न, अपनी बहन को कौल कर यहां बुलाओ. जैसा मैं कहूं, वैसा ही उसे बोलना होगा.“
“काहे का भैया? मैं तो उस का प्रेमी हूं. भैया नहीं, होने वाला सैंया हूं. रीता भी यहां से ज्यादा दूर नहीं है.“
“तुम उस के जो भी हो, उसे जल्द यहां आने को कहो.“
रीता के प्रेमी ने फोन कर उस से कहा, “रीता, यह कौन सी जगह तुमने चुनी है? रुपए तो पूरे मिल गए पर मुझे सांप ने काट लिया है. मैं अब और चल नहीं सकता हूं. पता नहीं सांप जहरीला था या नहीं पर बहुत दर्द और जलन हो रही है . जल्दी से मुझे ले चलो यहां से.“
तभी रीता एक पुरानी कार चलाते हुए वहां आई. वहां रमन के अलावा अन्य लोगों को देख वह डर गई. उसे देख कर प्रेमी बोला, “घबराओ नहीं, ये लोग हमारी मदद कर रहे हैं.“
रीता के आते ही दिया के दूसरे पैतरे ने उसे भी चारो खाने चित कर दिया. रीता के पास से दूसरा फोन भी ले लिया गया. रीता और उस के प्रेमी ने कहा, “हम दोनों भाग कर शादी करने जा रहे थे. अपनी नई जिंदगी की शुरुआत के लिए रुपयों की जरूरत थी, इसीलिए हम ने ऐसा किया है. अमन ने ऐसा एक कुबूलनामा लिखवा कर दोनों के साइन ले लिए.“
अमन बोला, “तुम ने रमन के फोटो कहांकहां भेजे हैं?“
“अभी तक कहीं नहीं भेजे हैं. रमन रुपए न देता, तो फिर मजबूर हो कर भेज देती.“
शालू बोली, “आप लोग उस की चिंता न करें. मैं ISP से सब पता कर लूंगी. वैसे भी, इस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है और कुबूलनामा पर साइन भी किए हैं. कुछ गड़बड़ होने पर दोनों जेल की हवा खाएंगे.“
फिर रमन और उस के साथ आए लोगों ने निर्माणाधीन मकान से रस्सियां ला कर दोनों के हाथ, पैर और मुंह बांध कर कार में बैठा दिया. ब्रीफकेस से असली रुपए निकाल कर अपने पास रख लिए. अमन कार ड्राइव कर रहा था, उस ने रीता के घर के सामने कार रोकी और रीता के फोन से ही उस के पापा को फोन किया, “आप की बेटी का कार ऐक्सीडैंट हो गया था. हम उसे ले कर आए हैं. हम नीचे कार में हैं. चोट ज्यादा नहीं लगी है, फिर भी उसे हौस्पिटल ले जाना जरूरी है.”
तब तक शालू और दिया भी दूसरी कार में आ गए थे. अमन और रमन ने रीता और उस के प्रेमी को वहीँ छोड़ दिया. उन्होंने दोनों के फोन अपने पास रख लिए. चारों अपनी कार में सवार हो कर चल दिए. उन लोगों ने बड़ी चालाकी से बिना एक धेला खर्च किए और बिना पुलिस की मदद से ब्लैकमेलर जोड़ी को उन की औकात बता दी.