ऐसे बनाएं रिश्ता अटूट

शादी के कई साल बाद जब हनीमून फेज यादों में सिमट चुका होता है, कुछ मैरिटल इशूज सिर उठाने लगते हैं. ऐसे में रिश्ते की मजबूती के लिए जरूरी है कि समय रहते उन पर ध्यान दिया जाए.

जब आप पार्टनर कम रूममेट अधिक लगने लगें: शादी के काफी समय बाद एक समय आता है जब आप रोमांटिक पार्टनर्स कम और रूममेट्स की तरह ज्यादा व्यवहार करने लगते हैं. आप लंबे समय तक मजबूत रिश्ते में बंधे रहें, इस के लिए जरूरी है परस्पर आकर्षण कायम रखना.

इस के लिए प्रयास करने पड़ते हैं. कभी-कभी रोमांटिक ड्राइव पर जाएं. एकदूसरे को सरप्राइज दें. शारीरिक हावभाव द्वारा समयसमय पर एकदूसरे के प्रति प्यार प्रकट करें. जरूरत पड़ने पर काउंसलिंग के लिए जाते रहें. ऐसे प्रयास एकदूसरे से जोड़े रखते हैं.

इस के विपरीत यदि आप अपना पूरा फोकस एकदूसरे के बजाय जिंदगी से जुड़ी दूसरी बातों पर करते हैं, तो समझिए कि वह दिन दूर नहीं जब आप पार्टनर कम रूममेट्स ज्यादा लगने लगेंगे.

1. एक-दूसरे से बोरियत

विवाह के कई साल बाद यह सोचना बेमानी है कि आप का हर दिन परियों की कहानियों जैसा खूबसूरत गुजरेगा. यदि आप अपनी वैवाहिक जिंदगी से बोर होने लगें तो इस का मतलब है कि आप ने एकदूसरे को फौर ग्रांटेड ले लिया है. आप एक रूटीन लाइफ जीने लगे हैं और किसी भी तरह का रिस्क लेने से बचने लगे हैं. सैक्स, एजिंग, इनलौज से जुड़े विषयों पर डिस्कशन करने या फिर अपनी दिनचर्या में परिवर्तन लाने से भी हिचकिचाने लगे हैं, तो जरूरी है कि आप खुद को बदलें. हर विषय पर बात करें और जीवन में विविधता लाएं.

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2. रोमांस और फिजिकल क्लोजनैस की कमी

अकसर शादी के कुछ साल बाद कपल्स की सैक्स लाइफ कम होती जाती है. इस के कई कारण हो सकते हैं जैसे फिजिकल और मैंटल हैल्थ इशूज, स्लीप इशूज, बच्चों का जन्म, दवा का असर, रिलेशनशिप से जुड़ी समस्याएं वगैरह.

शादी के कुछ सालों के बाद ऐसा होना अकसर स्वाभाविक माना जाता है. मगर यह स्थिति लंबे समय तक चले और दूरी बढ़ती जाए तो रिश्ते की मजबूती के लिए खतरा पैदा हो सकता है. ऐसे में जरूरी है कि कभीकभी पार्टनर को किस और हग कर के अपने प्यार का इजहार करें और उन्हें फिजिकली दूर न जाने दें.

3. मकसद से दूरी

शादी के 10-15 साल बाद आप के अंदर यह सोच कर असंतोष पैदा हो सकता है कि आप जिंदगी में कोई खास मकसद नहीं पा सके. जब आप की शादी होती है तो जिंदगी की प्राथमिकताएं बदल जाती हैं. आप का जीवनसाथी और बच्चे आप के लिए सब से ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं. शादी के बाद हर किसी को छोटेमोटे त्याग और समझौते करने पड़ते हैं, जिन की वजह से कई दफा खासकर महिलाओं को अपने कैरियर और जिंदगी से जुड़े दूसरे मकसद जैसे अपना बिजनैस शुरू करना, टै्रवलिंग, मौडलिंग या दूसरी हौबीज को समय देना जैसी बातों से वंचित रहना पड़ता है.

अकसर कपल्स शादी के शुरुआती सालों में रिश्ते को मजबूत बनाने और परिवार आगे बढ़ाने के दौरान अपने सपनों की उड़ान पर बंदिशें लगा देते हैं ताकि वैवाहिक जिंदगी में स्थिरता कायम कर सकें. मगर 10-15 साल बीततेबीतते उन्हें इस बात का मलाल होने लगता है कि उन्होंने अपने सपनों से दूरी क्यों बनाई? उन्हें लगता है जैसे जिंदगी वापस बुला रही है.

सच तो यह है कि सही मानों में कपल्स को इस बारे में कुछ करना है तो उन्हें मिल कर कदम बढ़ाने होंगे, एकदूसरे को पूरी सपोर्ट देनी होगी.

4. सहनशक्ति का घटना

शादी के शुरुआती सालों में जब आप का पार्टनर कुछ इरिटेटिंग या डिस्टर्बिंग काम करता है तो आप उसे इग्नोर कर देते हैं. मगर जैसेजैसे समय बीतता जाता है ज्यादातर पार्टनर्स में एकदूसरे के द्वारा की गई गलतियों के प्रति सब्र बनाए रखने और माफ करने की प्रवृत्ति घटती जाती है. शुरुआत में वे जिन बातों को हंस कर टाल देते थे बाद में उन्हीं बातों पर एकदूसरे से नाराज रहने लगते हैं.

जरूरी है कि जैसे आप शादी के शुरुआती समय में एकदूसरे के प्रति जो प्यार और केयर दिखाते हैं, गलतियों को नजरअंदाज कर देते हैं वैसे ही बाद में भी इस प्रवृत्ति को कायम  रखना चाहिए.

5. छोटे-बड़े सैलिब्रेशन

शादी के शुरुआती दिनों में आप छोटे से छोटे मौके को भी सैलिब्रेट करते हैं. 6 माह की मैरिज ऐनिवर्सरी हो या फर्स्ट डेट ऐनिवर्सरी, वैलेंटाइनडे हो या बर्थडे सैलिब्रेशन हर मौके को खास बनाने का प्रयास करते हैं. मगर शादी के 10-12 साल बीततेबीतते सैलिब्रेशन कम होते जाते हैं.

जरूरी है कि हर छोटीबड़ी खुशी का आनंद उठाया जाए. सैलिब्रेशन का कारण बदले पर मिजाज नहीं. जैसे वर्क प्रमोशन, बच्चे का बर्थडे, बच्चे द्वारा ग्रैजुएशन डिग्री हासिल करने का सैलिब्रेशन, शादी के 10 साल गुजरने का सैलिब्रेशन आदि. कभी भी इन से बचने का प्रयास न करें. ऐसे मौके ही आप दोनों को करीब लाएंगे.

आप अपने दोस्तों और परिवार वालों के साथ गैटटुगैदर कर सकते हैं या फिर आपस में ही सैलिब्रेट कर सकते हैं. हर मौके को यादगार बनाएं. यह सैलिब्रेशन खर्चीला होना नहीं, बल्कि इस में दोनों ऐंजौय करें यह माने रखता है.

अपने प्यार को सैलिब्रेट करने के लिए कभीकभी लौंग ड्राइव पर जाएं, कंसर्ट अटैंड करें, मूवी देखें या फिर घर पर ही स्पा नाइट का आनंद लें. कभी डेट पर जाना बंद न करें.

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6. बड़ी-बड़ी इच्छाएं पूरी करने का दबाव

शादी को 10-15 साल तक पहुंचतेपहुंचते कपल्स बड़ीबड़ी जिम्मेदारियों का बोझ उठा लेते हैं. बड़ेबड़े लक्ष्य बना लेते हैं. अपना घर, बच्चों की ऊंची शिक्षा जैसी बहुत सी योजनाएं उन के दिमाग में चल रही होती हैं. इन्हें पूरा करने की जद्दोजहद में अपने रिश्ते पर ध्यान देना कम कर देते हैं, जबकि ऐसे मामलों में संतुलन बना कर चलना बहुत जरूरी है. यदि आप एकदूसरे के साथ मिल कर अपनी योजनाओं पर काम करेंगे तो इस से रिश्ता भी प्रगाढ़ बनता है और लक्ष्य भी आसानी से हासिल हो जाता है.

जब शादी पर हावी होने लगे दोस्ती तो हो जाएं सावधान

हफ्ते के 5 दिन का बेहद टाइट शेड्यूल, घर और आफिस के बीच की भागमभाग. लेकिन आने वाले वीकेंड को सेलीब्रेट करने का प्रोग्राम बनातेबनाते प्रिया अपनी सारी थकान भूल जाती है. उस के पिछले 2 वीकेंड तो उस के अपने और शिवम के रिश्तेदारों पर ही निछावर हो गए थे. 20 दिन की ऊब के बाद ये दोनों दिन उस ने सिर्फ शिवम के साथ भरपूर एेंजौय करने की प्लानिंग कर ली थी. लेकिन शुक्रवार की शाम जब उस ने अपने प्रोग्राम के बारे में पति को बताया तो उस ने बड़ी आसानी से उस के उत्साह पर घड़ों पानी फेर दिया.

‘‘अरे प्रिया, आज ही आफिस में गौरव का फोन आ गया था. सब दोस्तों ने इस वीकेंड अलीबाग जाने का प्रोग्राम बनाया है. अब इतने दिनों बाद दोस्तों के साथ प्रोग्राम बन रहा था तो मैं मना भी नहीं कर सका.’’ऐसा कोई पहली बार नहीं था. अपने 2 साल के वैवाहिक जीवन में न जाने कितनी बार शिवम ने अपने बचपन की दोस्ती का हवाला दे कर प्रिया की कीमती छुट्टियों का कबाड़ा किया है. जब प्रिया शिकायत करती तो उस का एक ही जवाब होता, ‘‘तुम्हारे साथ तो मैं हमेशा रहता हूं और रहूंगा भी. लेकिन दोस्तों का साथ तो कभीकभी ही मिलता होता है.’’

शिवम के ज्यादातर दोस्त अविवाहित थे, अत: उन का वीकेंड भी किसी बैचलर्स पार्टी की तरह ही सेलीब्रेट होता था. दोस्तों की धमाचौकड़ी में वह भूल ही जाता था कि उस की पत्नी को उस के साथ छुट्टियां बिताने की कितनी जरूरत है.

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बहुत से दंपतियों के साथ अकसर ऐसा ही घटता है. कहीं जानबू कर तो कहीं अनजाने में. पतिपत्नी अकसर अपने कीमती समय का एक बड़ा सा हिस्सा अपने दोस्तों पर खर्च कर देते हैं, चाहे वे उन के स्कूल कालेज के दिनों के दोस्त हों अथवा नौकरीबिजनेस से जुड़े सहकर्मी. कुछ महिलाएं भी अपनी सहेलियों के चक्कर में अपने घरपरिवार को हाशिए पर रखती हैं.थोड़े समय के लिए तो यह सब चल सकता है, किंतु इस तरह के रिश्ते जब दांपत्य पर हावी होने लगते हैं तो समस्या बढ़ने लगती है.

यारी है ईमान मेरा…

दोस्त हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा होते हैं, इस में कोई शक नहीं. वे जीवनसाथी से कहीं बहुत पहले हमारी जिंदगी में आ चुके होते हैं. इसलिए उन की एक निश्चित और प्रभावशाली भूमिका होती है. हम अपने बहुत सारे सुखदुख उन के साथ शेयर करते हैं. यहां तक कि कई ऐसे संवेदनशील मुद्दे, जो हम अपने जीवनसाथी को भी नहीं बताते, वे अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं, क्योंकि जीवनसाथी के साथ हमारा रिश्ता एक कमिटमेंट और बंधन के तहत होता है, जबकि दोस्ती में ऐसा कोई नियमकानून नहीं होता, जो हमारे दायरे को सीमित करे. दोस्ती का आकाश बहुत विस्तृत होता है, जहां हम बेलगाम आवारा बादलों की तरह मस्ती कर सकते हैं. फिर भला कौन चाहेगा ऐसी दोस्ती की दुनिया को अलविदा कहना या उन से दूर जाना.

लेकिन हर रिश्ते की तरह दोस्ती की भी अपनी मर्यादा होती है. उसे अपनी सीमा में ही रहना ठीक होता है. कहीं ऐसा न हो कि आप के दोस्ताना रवैए से आप का जीवनसाथी आहत होने लगे और आप का दांपत्य चरमराने लगे. विशेषकर आज के व्यस्त और भागदौड़ की जीवनशैली में अपने वीकेंड अथवा छुट्टी के दिनों को अपने मित्रों के सुपुर्द कर देना अपने जीवनसाथी की जरूरतों और प्यार का अपमान करना है. अपनी व्यस्त दिनचर्या में यदि आप को अपना कीमती समय दोस्तों को सौंपना बहुत जरूरी है तो उस के लिए अपने जीवनसाथी से अनुमति लेना उस से भी अधिक जरूरी है.

ये दोस्ती…

कुछ पुरुष तथा महिलाएं अपने बचपन के दोस्तों के प्रति बहुत पजेसिव होते हैं तो कुछ अपने आफिस के सहकर्मियों के प्रति. श्वेता अपने स्कूल के दिनों की सहेलियों के प्रति इतनी ज्यादा संवेदनशील है कि अगर किसी सहेली का फोन आ जाए तो शायद पतिबच्चों को भूखा ही आफिस स्कूल जाना पड़े. और यदि कोई सहेली घर पर आ गई तो वह भूल जाएगी कि उस का कोई परिवार भी है. दूसरी ओर कुछ लोग किसी गेटटूगेदर में अपने आफिस के सहकर्मियों के साथ बातों में ऐसा मशगूल हो जाएंगे कि उन की प्रोफेशनल बातें उन के जीवनसाथी के सिर के ऊपर से निकल रही हैं, इस की उन्हें परवाह नहीं होती.

इस के अलावा आफिस में काम के दौरान अकसर लोगों का विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण और दोस्ती एक अलग गुल खिलाती है. इस तरह का याराना बहुधा पतिपत्नी के बीच अच्छीखासी समस्या खड़ी कर देता है. कहीं देर रात की पार्टी में उन के साथ मौजमस्ती, कहीं आफिशियल टूर. कभी वक्तबेवक्त उन का फोन, एस.एम.एस., ईमेल अथवा रात तक चैटिंग. इस तरह की दोस्ती पर जब दूसरे पक्ष को आब्जेक्शन होता है तो उन का यही कहना होता है कि वे बस, एक अच्छे दोस्त हैं और कुछ नहीं. फिर भी दोनों में से किसी को भी इस ‘सिर्फ दोस्ती’ को पचा पाना आसान नहीं होता.

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दोस्ती अपनी जगह है दांपत्य अपनी जगह

यह सच है कि दोस्ती के जज्बे को किसी तरह कम नहीं आंका जा सकता, फिर भी दोस्तों की किसी के दांपत्य में दखलअंदाजी करना अथवा दांपत्य पर उन का हावी होना काफी हद तक नुकसानदायक साबित हो सकता है. शादी से पहले हमारे अच्छेबुरे प्रत्येक क्रियाकलाप की जवाबदेही सिर्फ हमारी होती है. अत: हम अपनी मनमानी कर सकते हैं. किंतु शादी के बाद हमारी प्रत्येक गतिविधि का सीधा प्रभाव हमारे जीवनसाथी पर पड़ता है. अत: उन सारे रिश्तों को, जो हमारे दांपत्य को प्रभावित करते हैं, सीमित कर देना ही बेहतर होगा.

कुछ पति तो चाहते हुए भी अपने पुराने दोस्तों को मना नहीं कर पाते, क्योंकि उन्हें ‘जोरू का गुलाम’ अथवा ‘बीवी के आगे दोस्तों को भूल गए, बेटा’ जैसे कमेंट सुनना अच्छा नहीं लगता. ऐसे पतियों को इस प्रकार के दोस्तों को जवाब देना आना चाहिए, ध्यान रहे ऐसे कमेंट देने वाले अकसर खुद ही जोरू के सताए हुए होते हैं या फिर उन्होंने दांपत्य जीवन की आवश्यकताओं का प्रैक्टिकल अनुभव ही नहीं किया होता.

सांप भी मरे और लाठी भी न टूटे

जरूरत से ज्यादा यारीदोस्ती में बहुत सारी गलतफहमियां भी बढ़ती हैं. साथ ही यह जरूरी तो नहीं कि हमारे अपने दोस्तों को हमारा जीवनसाथी भी खुलेदिल से स्वीकार करे. इस के लिए उन पर अनावश्यक दबाव डालने का परिणाम भी बुरा हो सकता है. अत: इन समस्याओं से बचने के लिए कुछ कारगर उपाय अपनाए जा सकते हैं :

अपने बचपन की दोस्ती को जबरदस्ती अपने जीवनसाथी पर न थोपें.

अगर आप के दोस्त आप के लिए बहुत अहम हों तब भी उन से मिलने अथवा गेटटूगेदर का वह वक्त तय करें, जो आप के साथी को सूट करे.

बेहतर होगा कि जैसे आप ने एकदूसरे को अपनाया है वैसे एकदूसरे के दोस्तों को भी स्वीकार करें. इस से आप के साथी को खुशी होगी.

जीवनसाथी के दोस्तों के प्रति कोई पूर्वाग्रह न पालें. बेवजह उन पर चिढ़ने के बजाय उन की इच्छाओं पर ध्यान दें.

‘तुम्हारे दोस्त’, ‘तुम्हारी सहेलिया’ के बदले कौमन दोस्ती पर अधिक जोर दें.

अपने बेस्ट फ्रेंड को भी अपनी सीमाएं न लांघने दें. उसे अपने दांपत्य में जरूरत से ज्यादा दखलअंदाजी की छूट न दें.

आफिस के सहकर्मियों की भी सीमाएं तय करें.

अपने दांपत्य की निजी बातें कभी अपने दोस्तों पर जाहिर न करें.

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जब पति लगें बदले-बदले तो अपनाएं ये 8 टिप्स

जिंदगी का सफर उन पतिपत्नी के लिए और भी आसान बन जाता है, जो एकदूसरे को समझ कर चलते हैं. कई बार दिनबदिन बढ़ती जिम्मेदारियों व जीवन की आपाधापी की वजह से पति पारिवारिक जीवन में सही तालमेल नहीं रख पाते. जिस के कारण उन के व्यवहार में चिड़चिड़ापन व बदलाव आना स्वाभाविक होता है. ऐसी स्थिति में पत्नी ही पति के साथ सामंजस्य बैठा कर दांपत्य की गाड़ी को पटरी पर ला सकती है.

1. पति का सहयोग लें

पति की अहमियत को कम न आंकें. वैवाहिक जीवन से जुड़ी समस्याओं में उन की सलाह जरूर लें. परिवार की समस्याओं का समाधान अकेले न कर के उन का भी सहयोग लें. यकीनन उन के व्यवहार में बदलाव आएगा.

2. जब उम्मीदें पूरी नहीं होतीं

कई बार पति चाहते हैं कि घरेलू कामों में उन की साझेदारी कम से कम हो. लेकिन पत्नियां अगर कामकाजी हैं तो वे पति से घरेलू कामों में हाथ बंटाने की अपेक्षा करती हैं. इस स्थिति से उपजा विवाद भी पति के स्वभाव में बदलाव का कारण बनता है. ऐसे में कार्यों का बंटवारा आपसी सूझबूझ व प्यार से करें. फिर देखिएगा, पति खुशीखुशी आप का हाथ बंटाएंगे.

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3. छोटी पोस्ट को कम न आंकें

एक प्राइवेट फर्म में मार्केटिंग मैनेजर की पोस्ट पर कार्यरत आराधना को यह शिकायत रहती थी कि उन के पति एक फैक्टरी में सुपरवाइजर की छोटी पोस्ट पर हैं. इसे ले कर दोनों में गाहेबगाहे तकरार भी होती थी, जिस से पति चिड़चिड़े हो उठे. घर में अशांति रहने लगी. हार कर आराधना को साइकोलौजिस्ट के पास जाना पड़ा. उन्होंने समझाया कि पत्नी को पति के सुपरवाइजर पद को ले कर हीनभावना का शिकार नहीं बनना चाहिए और न ही पति की पोस्ट को कम आंकना चाहिए.

4. नजरिया बदलें

परिवार से जुड़ी छोटीछोटी समस्याओं का निबटारा स्वयं करें. रोज शाम को पति के सामने अपने दुख का पिटारा न खोलें. इस का सीधा असर पति के स्वभाव पर पड़ता है. वे किसी न किसी बहाने से ज्यादा समय घर के बाहर बिताने लगते हैं या स्वभाव से चिड़चिड़े हो जाते हैं.

संयुक्त परिवारों में रह रहे कपल्स में यह समस्या आम है. छोटीछोटी घरेलू समस्याओं का हल स्वयं निकालने से आप का आत्मविश्वास तो बढ़ेगा ही, पति भी आप जैसी समझदार पत्नी पर नाज करेंगे.

5. ज्यादा पजेसिव न हों

पति के पत्नी के लिए और पत्नी के पति के लिए जरूरत से ज्यादा पजेसिव होने पर दोनों में एकदूसरे के प्रति चिड़चिड़ाहट पैदा हो जाती है. अत: रिश्ते में स्पेस देना भी जरूरी है. पति की महिला मित्रों या पत्नी के पुरुष मित्रों को ले कर अकसर विवाद पनपता है, जिस का बुरा असर आपसी रिश्तों पर व पतिपत्नी के व्यवहार पर पड़ता है. जीवनसाथी को हमेशा शक की निगाहों से देखने के बजाय उन पर विश्वास करना आवश्यक है.

6. ईर्ष्यालु न बनने दें

कभीकभी ऐसा भी होता है कि कैरियर के क्षेत्र में पत्नी पति से आगे निकल जाती है. इस स्थिति में पति के स्वभाव मेंबदलाव आना तब शुरू होता है, जब पत्नी अपने अधिकतर फैसलों में पति से सलाहमशवरा करना आवश्यक नहीं समझतीं. ऐसे हालात अलगाव का कारण भी बन जाते हैं. अपनी तरक्की के साथसाथ पति की सलाह का भी सम्मान करें. इस से पति को अपनी उपेक्षा का एहसास भी नहीं होगा और रिश्ते में विश्वास भी बढ़ेगा.

7. खुल कर दें साथ

खुशहाल वैवाहिक जीवन जीने के लिए सैक्स संबंध में खुलापन भी बेहद जरूरी है. रोजरोज बहाने बना कर पति के आग्रह को ठुकराते रहने से एक समय ऐसा आता है कि पति आप से दूरी बनाने लगते हैं या कटेकटे से रहने लगते हैं, जिस से दांपत्य में नीरसता आने लगती है.

कभीकभी ऐसा हो सकता है कि आप पति का सहयोग करने में असक्षम हों. ऐसे में पति को प्यार से समझाएं. सैक्स में पति का खुल कर साथ दें, क्योंकि यह खुशहाल दांपत्य की ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य की भी कुंजी है.

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8. घर का बजट

घर का बजट संतुलित रखने की महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी पत्नी के कंधों पर होती है. अनापशनाप खर्चों का बोझ जब पति पर पड़ने लगे तो वे चिड़चिड़े होने लगते हैं. इस समस्या से निबटने का सब से सरल उपाय है महीने भर के बजट की प्लानिंग करना व खर्चों को निर्धारित करना. समझदार गृहिणी की तरह जब आप अपने बजट के अलावा बचत भी करेंगी, तो आप के पति की नजरों में आप के लिए प्यार दोगुना हो जाएगा.

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