मेरी समस्या यह है कि पिछले 1 साल से पति ने मेरे साथ सैक्स नहीं किया, बताएं मैं क्या करूं?

सवाल

मैं शादीशुदा गृहिणी हूं. पति स्मार्ट व हैंडसम हैं और अपनी उम्र से काफी छोटे दिखते हैं. वे सरकारी महकमे में अधिकारी हैं. 2 बेटे हैं जो अपनेअपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन जी रहे हैं. मेरी समस्या यह है कि पिछले 1 साल से पति ने मेरे साथ सैक्स नहीं कियाहालांकि हमारे में कोई विवाद नहीं है. 1-2 लोगों ने मुझे बताया है कि उन के अपनी सहकर्मी से संबंध हैं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

जैसाकि आप ने बताया कि आप दोनों के बीच कोई विवाद नहीं है पर पति सैक्स में दिलचस्पी नहीं लेते तो आप को इस की वजह जानने की कोशिश करनी होगी.

संभव है कि वे बतौर अधिकारी काम के बो?ा तले दबे हों और तनाव में रहते हों या फिर उन्हें कोई अंदरूनी परेशानी हो. वक्त और मूड देख कर आप को पति से बात करनी चाहिए.

रही बात उन का अपनी सहकर्मी से संबंध कीतो सुनीसुनाई बातों पर भरोसा करना दांपत्य जीवन में जहर ही घोलता है. दूसरों की कही बातों पर भरोसा न करें.

वैसे भी विवाहेतर संबंध ज्यादा दिनों तक नहीं टिकते. देरसवेर इस रिश्ते पर विराम लग ही जाता है.

बावजूद इस के अगर आप अपने रिश्ते में जान फूंकना चाहती हैं तो पति के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताएंउन्हें भरपूर प्यार देंकामकाज के बारे में पूछेंसाथ घूमने जाएं.

हांअगर उन में किसी शारीरिक विकार के लक्षण दिखें तो डाक्टर से परामर्श लें.    

जीवनसाथी के प्रति यह कैसी जिम्मेदारी

‘‘बीमार पत्नी को सहानुभूति और सहयोग चाहिए. पत्नी केवल सेवा करने के लिए नहीं होती. वह भी इंसान है. वह भी बीमार पड़ सकती है. पत्नी की बीमारी क्रूरता नहीं है. इस के आधार पर तलाक नहीं दिया जा सकता,’’ भोपाल के फैमिली कोर्ट के जज आर. एन. आनंद ने बीते 10 अक्तूबर को एक मामले में न केवल सटीक फैसला दिया, बल्कि खुदगर्ज यानी मतलबी हो चले उन पतियों को यह नसीहत भी दी है कि वे पत्नी को प्रोडक्ट न समझें. इस रिश्ते की गंभीरता और संवेदनशीलता को प्राथमिकता में रखें.

इस मामले में पति राजेश (बदला नाम) ने अपने आवेदन में यह तर्क दिया था कि उस की पत्नी बीमार रहती है, इसलिए उसे दांपत्य सुख नहीं दे पा रही है. यह क्रूरता है इसलिए उस से तलाक दिलाया जाए.

राजेश की शादी सीमा (बदला नाम) से 2012 में हुई थी. 2014 में दोनों को एक बेटी भी हुई थी, लेकिन इस के बाद सीमा को पैरालिसिस हो गया. राजेश के मुताबिक वह सीमा का इलाज करवाता रहा. इस दौरान बीमारी के चलते वह कई सालों से दांपत्य सुख से वंचित रहा. इसी आधार पर उस ने तलाक चाहा था, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया.

सीमा ने न केवल अपने फिट होने की दलील दी थी, बल्कि उसे साबित करते हुए राजेश पर यह आरोप भी लगाया था कि उस का एक लड़की से अफेयर है और अब वह उस की बीमारी का बहाना बना कर तलाक चाहता है. अदालत ने सीमा की बीमारी और फिटनैस के लिए काउंसलर शैल अवस्थी को नियुक्त किया, जिन्होंने अपनी जांच में पाया कि पत्नी पूरी तरह फिट है.

क्रूरता किसकी

राजेश को लगा यह था कि अदालत उस की दलील से सहमत होते हुए सहानुभूति रखेगी और तलाक दिला देगी, लेकिन हुआ उलटा. इस की अपनी वजह भी है कि क्रूरता वह खुद कर रहा था. इस मामले और अदालत के फैसले ने साफ कर दिया कि पतिपत्नी दोनों एक गाड़ी के 2 पहिए हैं और इन में से अगर कोई एक कमजोर पड़ जाए तो उसे निकाल कर फेंका जाना न्याय नहीं है, बल्कि दूसरे को ज्यादा ताकत लगाते हुए घरगृहस्थी चलानी चाहिए.

ऐसे पतियों की कमी नहीं है जो पत्नी के बीमार होते ही उसे बोझ समझ छुटकारा पाने की कोशिश करने लगते हैं. वे वाकई भूल जाते हैं कि पत्नी को इस वक्त उन की सब से ज्यादा जरूरत होती है और यह वही पत्नी है जो बुरे से बुरे वक्त में भी उस का साथ नहीं छोड़ती. फिर पति यह क्रूरता क्यों दिखाता है कि बीमार पत्नी से वैधानिक रूप से छुटकारा पाने के लिए अदालत जा पहुंचता है.

ये हैं मिसाल

भोपाल के एक सरकारी कालेज के एक प्राध्यापक की पत्नीप्रेम की मिसाल पूरे उच्च शिक्षा विभाग में दी जाती है, जिस से दूसरों को भी प्रेरणा मिलती है. इस मामले में भी पत्नी लकवाग्रस्त है, लेकिन प्राध्यापक पत्नी का खयाल बच्चों की तरह रखते हैं. उस के पूरे काम करते हैं. कालेज के बाद बचा वक्त उस के साथ गुजारते हैं और कभी यह रोना नहीं रोते कि उन्हें दांपत्य या फलां सुख नहीं मिल रहा.

यह जान कर तो और हैरानी होती है कि पत्नी ने उन्हें यह कह रखा है कि वे चाहें तो अन्यत्र शादी कर लें या संबंध स्थापित कर लें उसे कोई एतराज नहीं होगा. लेकिन प्राध्यापक का यह जवाब काबिल ए गौर है कि शादी तुम से की है, तुम मेरी जिम्मेदारी हो और अगर जरा सा लकवा इस पर भारी पड़ता है तो शादी और इस रिश्ते का मतलब क्या रह जाएगा? अगर मैं तुम्हारी जगह होता तो क्या तुम ऐसा करतीं?

एक और मामले में एक इंजीनियर की पत्नी को शादी के 5 साल बाद ही ब्रैस्ट कैंसर हो गया, लेकिन इस इंजीनियर ने अपना सबकुछ दांव पर लगा दिया और 2 साल में ही पत्नी ठीक हो गई. अब अगर कैंसर की पहचान होने के साथसाथ ही यह इंजीनियर पत्नी कैंसर को क्रूरता बताते हुए अदालत जा पहुंचता तो उसे भी वही फटकार मिलती जो हैदराबाद के एक पति को सुप्रीम कोर्ट से मिली थी.

अदालत ने बताई जिम्मेदारी

हैदराबाद के इस मामले में भी पत्नी को स्तन कैंसर था. पति ने तलाक की अर्जी लगाई, लेकिन दिलचस्प बात यह थी कि पत्नी पति की परेशानी और मंशा को देखते हुए परस्पर सहमति से तलाक देने को राजी भी हो गई. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो 1 सितंबर, 2018 को आए फैसले का देशभर में स्वागत हुआ.

जस्टिस एम. वाय. इकबाल और जस्टिस बी. नारायणन की बैंच ने इस मामले में फैसला देते हुए पति को पत्नी की जिम्मेदारियों का जिस तरह एहसास कराया वह वाकई प्रशंसनीय था.

फैसले में न्यायाधीशों ने कहा था कि कठिन समय व बीमारी की हालत में पत्नी की सेवा करना पति का फर्ज है. यह पति का पूर्वनिर्धारित कर्तव्य है. पतिपत्नी की आपसी सहमति के बावजूद पहले से अलग रह रहे पति को तलाक की इजाजत नहीं दी जा सकती. मामले में चूंकि पत्नी स्तन कैंसर से पीडि़त है, इसलिए हो सकता है कि उस ने महंगे इलाज की जरूरत को देखते हुए तलाक के लिए सहमति दे दी हो.

प्रतिवादी पति का यह कर्तव्य है कि वह याचिकाकर्ता पत्नी के स्वास्थ्य व सुरक्षा का ध्यान रखे. वह पत्नी का इलाज कराए. मामले में पति तलाक की सहमति के साथ यह वादा कर रहा है कि वह मदद करेगा जबकि ऐसा करने के लिए वह पहले से ही कर्तव्यबद्ध है. इसलिए यह तलाक के आधार का वैध विचार नहीं हो सकता.

अदालत ने शादी को पवित्र गठबंधन बताते हुए कहा था कि पत्नी को ऐसी मुश्किलों से निबटने के लिए अकेला नहीं छोड़ा जा सकता. पत्नी एक तरह से अपने पति के घर प्रस्थापित होती है और नया जन्म लेती है. पतिपत्नी न केवल प्यार, बल्कि सुखदुख भी साझा करते हैं.

अदालत ने यह व्यवस्था भी दी थी कि पति बीमार पत्नी को तलाक के मुआवजे के क्वसाढ़े बारह लाख में से क्व5 लाख तत्काल दे और जब पत्नी बीमारी से उबर जाए, तब विचार हो. अदालत ने यह शंका जाहिर की थी कि पत्नी अपनी बीमारी के इलाज के लिए पैसा पाने के लिए तलाक के लिए राजी हो गई ताकि वह अपना जीवन बचा सके.

अदालत का शक या अंदाजा गलत नहीं कहा जा सकता, लेकिन पति को जो नसीहतें उस ने दीं अगर वही समाज और परिवार देता तो अदालत जाने की नौबत ही नहीं आती. लगता ऐसा है कि पति कैंसरग्रस्त पत्नी के इलाज, देखभाल व जिम्मेदारी से बचने के लिए उसे मामूली रकम दे कर उस से छुटकारा पाना चाह रहा था.

समाज भी खुदगर्ज

अकसर दूसरों के मामलों में टांग अड़ाते रहने वाला समाज ऐसे गंभीर मामलों में इसलिए खामोश रहता है कि वह परंपरावादी और पुरुषवादी सोच का है, जहां बीमार पत्नी बोझ समझी जाती है, क्योंकि वह घर के सामान्य कामकाज या झाड़ूपोंछा वगैरह भी नहीं कर सकती और पति को सहज शारीरिक संतुष्टि नहीं दे सकती. इसलिए हरकोई इस बात पर सहमत दिखाई देता है कि कुछ लेदे कर बीमार पत्नी से छुटकारा पाओ और फिर दूसरी शादी कर मौज की जिंदगी जीयो.

इस मानसिकता के पीछे धार्मिक और पौराणिक कारण भी हैं कि स्त्री भोग्या और पैर की जूती है जब वह चुभने लगे तो उसे बदल दो. यह सोच नए परिष्कृत लेकिन बीमार और अमानवीय रूप से इस तरह के मामलों के जरीए सामने आती रहती है.

ये मामले और यह मानसिकता बताती है कि औरत की हालत दयनीय है. वह हर लिहाज से पति पर निर्भर है और उस की खुशी के लिए तलाक तक देने को तैयार हो जाती है. ऐसे में कोसा उन पतियों को जाना चाहिए, जिन के लिए पत्नी डिस्पोजल गिलास की तरह यूज ऐंड थ्रो चीज है.

जानें सिंगल रहने के 10 फायदे

सक्सैसफुल कैरियर वूमन आजकल सिंगल रहना पसंद कर रही हैं. उन के फ्यूचर प्लान में शादी शब्द के लिए जैसे कोई स्थान ही नहीं रह गया है. लड़कियां अपनी सक्सैस, पावर, पैसा और आजादी को खुल कर ऐंजौय कर रही हैं. बेशक युवतियों में लेट मैरिज या नो मैरिज वाले सिंड्रोम से समाज या परिवार पर पड़ने वाले नकारात्मक असर को ले कर मातापिता, समाजशास्त्री, मनोवैज्ञानिक व डाक्टर चिंतित हैं, लेकिन युवतियां खुश हैं. वाकई बड़े फायदे हैं सिंगल रहने के. यकीन न हो तो आगे पढ़ लीजिए:

1. कैरियर में ऊंचा मुकाम

अपनी रिलेशनशिप को बरकरार रखने के लिए काफी प्रयास, ऊर्जा व समय खर्च करने की जरूरत होती है. जाहिर सी बात है कि अगर आप सिंगल हैं तो आप को ये सब करने की जरूरत नहीं है और आप अपनी सारी ऐनर्जी, समय, अटैंशन, काबिलीयत को अपने प्रोफैशन, कैरियर पर फोकस करती हैं, जिस से आप की प्रोडक्टिविटी बढ़ती है. साथ ही, आप लेट नाइट मीटिंग, बिजनैस डिनर और औफिशियल टूर के लिए भी हमेशा तत्पर रहती हैं. अपनी कंपनी, औफिस के लिए भी पूरी तरह समर्पित रहती हैं. तो जाहिर सी बात है कि आप के लिए प्रमोशन की राह आसान हो जाती है.

2. जो चाहें वह करें

चूंकि आप को हर पल यह नहीं सोचना पड़ता कि आप का पार्टनर क्या पसंद करता है और क्या नहीं, आप बड़ी आसानी से वह सब कर सकती हैं, जो आप करना चाहती हैं. जिंदगी के हर पल को जी भर कर जी सकती हैं और वह भी बिना किसी अपराधबोध के. जैसे आप कालेज गर्ल की तरह अपने गर्ल गैंग को घर बुला कर पाजामा पार्टी कर सकती हैं, अपनी मरजी से ड्रैसअप हो सकती हैं, अपने पेरैंट्स, रिलेटिव्स को अपने घर अपने साथ रख सकती हैं. इस मेरी मरजी वाले टौनिक से आप ज्यादा खुश, रिलैक्स रहेंगी और यह सब जानते ही हैं कि एक खुश, संतुष्ट व्यक्ति ही औरों की दुनिया में खुशियां बिखेर सकता है.

3. फिट, यंग व खूबसूरत

आप अपने आप पर ज्यादा ध्यान देती हैं. आप का खयाल रखने वाला दूसरा कोई नहीं होने से अपनी डाइट, हैल्थ, ब्यूटी ऐंड बौडी केयर सब आप की जिम्मेदारी हो जाती है और आज कैरियर गर्ल के लिए फिट, ग्लैमरस व प्रेजैंटेबल बने रहना जरूरी भी है व फायदेमंद भी. इसीलिए सिंगल गर्ल अन्य के मुकाबले लंबे समय तक न सिर्फ यंग नजर आती है, बल्कि बौडी भी शेप में रखती है और प्रभावशाली व्यक्तित्व की मालकिन होती है.

4. पूरी तरह से इंडीपैंडैंट

किसी रिलेशनशिप में न होने का मतलब है कि आप को अपनी जिंदगी के हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की जरूरत है. आप को पैंपर करने के लिए, डेली रूटीन को आसान बनाने के लिए किसी मर्द का कुशन न होने से आप की सीखने की क्षमता बढ़ती जाती है. हालात का मुकाबला आप अन्य महिलाओं से बेहतर करती हैं. यह आत्मनिर्भरता आप का आत्मविश्वास भी बढ़ाती है.

5. हर चुनौती स्वीकारती हैं

सिंगलहुड आप को मानसिक रूप से मजबूत बनाती है. दिनबदिन आप यह सीखती हैं कि स्ट्रैसफुल सिचुएशन में और अचानक आ पड़ी मुसीबत का सामना कैसे करना है. अलगअलग शख्सीयत, मिजाज वाले व्यक्तियों व कौंप्लैक्स पर्सनैलिटी वाले लोगों से आप को कैसे डील करना है, बिना उन के ईगो को ठेस पहुंचाए, यह आप बेहतर समझती हैं. और जबजब आप यह करने में कामयाब होती हैं तबतब आप अलौकिक खुशी और संतुष्टि पाती हैं.

6. ब्यूटी स्लीप भरपूर

आप के पास भरपूर मी टाइम होता है, जिस के लिए विवाहित महिलाएं तरसती हैं. आप अपने डेली रूटीन, स्लीपिंग रूटीन अपनी बौडी, वर्क और जरूरत के मुताबिक सैट कर सकती हैं, साथ ही पार्टनर का रुठनामनाना, बच्चों व ससुराल की चिंता भी आप के सिर पर नहीं होती है. इसी वजह से आप के लिए हर रोज प्रौपर, स्ट्रैसफ्री ब्यूटी स्लीप को प्राप्त करना आसान हो जाता है. रातभर की अच्छी नींद न सिर्फ आप की खूबसूरती, फिजिकलमैंटल हैल्थ के लिए बेहद आवश्यक होती है, बल्कि इस से आप का दिमाग भी सक्रिय होता है और आप की कार्यक्षमता, एकाग्रता, स्किल में इजाफा होता है.

7. खुद का लाइफस्टाइल

आप किसी और के प्रति जवाबदेह नहीं हैं, इस वजह से आप के पास काफी समय, ऊर्जा और रिर्सोसेज होते हैं कि आप हैल्दी रूटीन फौलो कर सकें. अपने लाइफस्टाइल, ईटिंग हैबिट्स, ऐक्सरसाइज शैड्यल में बदलाव ला सकती हैं और अपनी लाइफ को बोरिंग होने से बचा सकती हैं.

8. मनी रिलेटेड इश्यू कम

आज के वर्किंग कपल के बीच मेरा पैसा, तेरा पैसा यानी मनी को ले कर होने वाले वादविवाद काफी स्ट्रैस पैदा करते हैं. खासतौर पर पत्नियां अपने पैसे का क्या करती हैं या उन को क्या करना चाहिए, यह अकसर पति तय करते देखे जाते हैं. लेकिन सिंगल होने का मतलब है कि आप को अपनी मनी को कहां, किस तरह से खर्च करना है, किस पर करना है या कितनी सेव करनी है, इन सब बातों को ले कर किसी को जवाब नहीं देना है. आप का पैसा पूरी तरह आप का है. आप शौपिंग करें, स्पा जाएं या इन्वैस्ट करें, आप की मरजी. यही फाइनैंशियल इंडीपैडैंस और फाइनैंशियल सिक्युरिटी आप को मजबूत बनाती है, आप का कौन्फिडैंस बढ़ाती है और सच्चे अर्थों में आप को मर्द के बराबर ला खड़ा करती है.

9. अलग पहचान बना सकती हैं

कैरियर में सैट होने के बाद अपनी हौबी को पुनर्जीवित कर सकती हैं, जो वक्त या पैसे की कमी के चलते अधूरी रह गई थी. जौब से लौटने के बाद बचे वक्त में थिएटर, स्क्रिप्ट राइटिंग, क्ले पेंटिंग या संगीत के प्रति अपने पैशन को नई दिशा दे सकती हैं. अपनी खुद की एक अलग पहचान बना सकती हैं. किसी भी तरह का रचनात्मक कार्य, क्रिएटिविटी आप के दिलदिमाग को सुकून पहुंचाएगी.

10. जब चाहें हौलिडे पर जाएं

सिंगल होने का एक और बड़ा फायदा यह है कि आप अपनी मरजी, मूड और पसंद के मुताबिक हौलिडे प्लान कर सकती हैं. वह डैस्टिनेशन चुन सकती हैं जहां जाना आप की हमेशा ख्वाहिश रही है. पार्टनर की मरजी के हिसाब से कंप्रोमाइज करना, अपना मन मारना, जोकि अमूमन महिलाएं करती हैं, ये सब आप को नहीं करना पड़ेगा. चाहें तो बर्फीली पहाडि़यों की ऊंचीऊंची चोटियों को निहारें या फिर समंदर किनारे रेत पर नंगे पैर चलें, आप ताजा दम हो कर सकारात्मक ऊर्जा में सराबोर हो कर ही घर लौटेंगी.

जब बीवी कमाए, पति उड़ाए

आमतौर पर पुरुषों का कार्यक्षेत्र घर की चारदीवारी के बाहर होता है और घरगृहस्थी की जिम्मेदारी महिलाएं ही संभालती हैं. लेकिन अब इस का उलटा भी हो रहा है. पत्नी नौकरी करती है और पति बेरोजगार हो कर घर के काम करता है. कुछ आलसी किस्म के पति आर्थिक दृष्टि से पत्नी की कमाई पर निर्भर रहते हैं ‘खुदा दे खाने को तो कौन जाए कमाने को’ के सिद्धांत पर चलने वाले पति ताउम्र निठल्ले पड़े रहते हैं. वे घरेलू कामकाज और बच्चों की देखभाल तो कर सकते हैं, पर कोई कामधंधा नहीं.

ऐसे पतियों को और उन की पत्नियों को सावधान हो जाना चाहिए क्योंकि घर पर रहने वाले पतियों को होती है दिल की बीमारियां, जो उन्हें असमय ही मौत के मुंह में धकेल देती हैं.

घर पर रह कर बच्चों की देखभाल करने वाले पतियों को दिल की बीमारियां होने की संभावना बढ़ जाती है. यह बात अमेरिका में किए गए एक अध्ययन के बाद सामने आई है. घर में रह कर बच्चों की जिम्मेदारी संभालने वाले पतियों को दिल की बीमारी होने और उन की जल्दी मौत होने की संभावना बढ़ जाती है.

यह बात कार्य से संबंधित तनाव और कोरोनरी बीमारी के बारे में किए गए एक अध्ययन के दौरान भी सामने आई थी. घर पर रहने वाले पतियों के स्वास्थ्य को इस तरह का खतरा इसलिए होता है क्योंकि उन्हें अपने परिजनों, मित्रों और साथियों का समर्थन या सहयोग नहीं मिलता है, जबकि घर के लिए काम छोड़ने वाली अकेली कमाऊ महिलाओं को हर तरह से वाहवाही मिलती है.

हमेशा तनाव में रहना

फिर पुरुषों पर यह भी सिद्ध करना होता है कि वे महिला से बेहर काम कर सकते हैं, इसलिए भी वे सदैव तनाव में रहते हैं. एक अध्ययन लगातार 10 वर्ष तक 18 वर्ष से ले कर 77 साल तक के 2,682 पतियों पर किया गया. इस अध्ययन से यह भी पता चला कि घर पर ही रहने वाले पति अपने अन्य हमउम्र लोगों की अपेक्षा 10 वर्ष पहले मर जाते हैं. अध्ययनकर्ताओं ने इन पतियों की उम्र, रक्तचाप कोलैस्ट्रौल, वजन, मधुमेह और धूम्रपान करने की आदत को जब आधार बनाया, तब भी इस अध्ययन के परिणाम सही निकले.

कम आय प्राप्त करने वाले या पढ़ाई बीच में ही छोड़ने को मजबूर होने वाले पुरुषों को भी दिल की बीमारी होने और समय से पूर्व का ग्रास बन जाने की संभावना अधिक होती है. अच्छी आय प्राप्त करने वाले पुरुषों जैसे डाक्टरों, वकीलों, इंजीनियरों, आर्किटैक्ट और शिक्षकों को दिल की बीमारी होने का खतरा तो होता है, पर अधिक नहीं.

आसान नहीं तलाक लेना

पत्नियों को यह याद रखना चाहिए कि वे निठल्ले पति से तलाक नहीं ले सकती क्योंकि भारतीय अदालतें हिंदू औरतों को पति सेवक आज भी मानती हैं और उन के लिए पति तो जन्मों का साथी होता है चाहे कोढ़ी हो, वेश्यागासी हो. निठल्ले पति का आवरण भी पत्नी के लिए अच्छा रहता है क्योंकि न से तो वह है और दूसरे हाथ मारते हुए डरते हैं. यही सामाजिक परंपराएं कई निठल्ले पतियों को उग्र बना देती हैं. वे मारपीट का सहारा भी लेने लगते हैं.

निठल्ले पतियों की मौत जल्दी भी इसलिए होती है कि न पत्नी, न बच्चे ऐसे जने की देखभाल ढंग से करते हैं. जरूरत पड़ने पर उन्हें इग्नोर किया जाता है. हां एक बार मद्रास उच्च न्यायालय ने हिम्मत दिखा कर बेरोजगार पति को कमाऊ पत्नी से गुजाराभत्ता दिलाने से इनकार कर दिया था जो पत्नी से अलग रहता था. ऐसे पति छोटी बीमारी भी कई बार नहीं बता पाते.

एक्स बौयफ्रैंड बन न जाए मुसीबत

नेहा की शादी बड़ी धूमधाम से हुई थी. पति के नए घरपरिवार में नेहा को स्पैशल ट्रीटमैंट मिल रहा था. अक्षय अपने मातापिता का इकलौता बेटा था, ऐसे में उस की पत्नी नेहा की आवभगत भला क्यों न होती. 3 महीने हो गए थे, सास ने उसे रसोई में घुसने नहीं दिया था. नेहा 15 दिन के हनीमून के बाद लौटी तो जरूरत की हर चीज उस के कमरे में ही पहुंच जाती थी. घर के तीनों नौकर हर वक्त उस की खिदमत में हाजिर रहते थे.

किट्टी पार्टी, रिश्तेदारों और महल्ले में उस की सास उस की खूबसूरती और व्यवहार के कसीदे सुनाते घूमती थी. शाम को नेहा अकसर सजधज कर हसबैंड के साथ घूमने निकल जाती. दोनों फिल्म देखते, रैस्तरां में खाना खाते, शौपिंग करते. जिंदगी मस्त बीत रही थी. मगर अचानक एक दिन नेहा के सुखी वैवाहिक जीवन का महल भरभरा कर गिर पड़ा.

उस दिन उस की सास पड़ोसी के यहां बैठी थी. जब पड़ोसी के बेटे ने अपने कंप्यूटर पर नेहा के अश्लील चित्र उस की सास को दिखाए. ये चित्र उस ने नेहा के फेसबुक अकाउंट से डाउनलोड किए थे, जहां वह अपनी अर्र्द्धनग्न तसवीरें पोस्ट कर के सैक्स के लिए युवकों को आमंत्रित करती थी. शर्म, अपमान और दुख से भरी नेहा की सास ने बेटे को फोन कर के तुरंत घर बुलाया. पड़ोसी के कंप्यूटर पर बैठ कर नेहा का फेसबुक अकाउंट चैक किया गया तो अक्षय के भी पैरोंतले धरती डोल गई.

तसवीरें देख कर इस बात से इनकार ही नहीं किया जा सकता था कि यह नेहा नहीं थी और इस अकाउंट से यह साफ था कि वह एक प्रौस्टिट्यूट थी. उस ने वहां पर बाकायदा घंटे के हिसाब से अपने रेट डाल रखे थे. अपनी अश्लील कहानियां तसवीरों के साथ डाल रखी थीं. बड़ा हंगामा खड़ा हो गया. नेहा के परिवार वालों को बुलाया गया. खूब कहासुनी हुई. नेहा मानने को ही तैयार नहीं थी कि वह फेसबुक अकाउंट उस का था, मगर जो तसवीरें सामने थीं वे उसी की थीं. नेहा के मातापिता भी हैरान थे.

नेहा का कहना था कि वह फेसबुक पर कभी थी ही नहीं. उस ने लाख मिन्नतें कीं, लाख सफाई दी, लाख कहा कि यह फर्जी अकाउंट है, मगर सब बेकार. उस को उसी दिन उस के मातापिता के साथ मायके वापस जाना पड़ा. उस की ससुराल वाले ऐसी बहू को एक पल के लिए भी अपने घर में नहीं रखना चाहते थे जिस के चरित्र के बारे में महल्ले वालों को भी पता चल चुका था. अक्षय के परिवार के लिए यह घटना शर्म से डूब मरने जैसी थी. जैसे उन के मुंह पर भरे बाजार किसी ने कालिख पोत दी थी. इस परिवार का महल्ले में बड़ा आदरसम्मान था.

उधर नेहा का रोरो कर बुरा हाल था. मायके लौटते वक्त उसे बारबार अपने ऐक्स बौयफ्रैंड नितिन का खयाल आ रहा था. हो न हो, यह काम उसी का हो सकता है. उसी ने बदला लेने के लिए उस की ऐसी तसवीरें सोशल मीडिया पर अपलोड की हैं. मगर ये तसवीरें उस ने कब और कैसे खींचीं, यह बात नेहा को परेशान कर रही थी.

नितिन के साथ वह 3 साल प्रेम में रही. कालेज खत्म होने के बाद उस ने पाया कि नितिन शादी या अपने फ्यूचर को ले कर बिलकुल चिंतित नहीं है. न तो वह जौब ढूंढ़ रहा था, न किसी कंपीटिशन की तैयारी कर रहा था. वह, बस, सैरसपाटा, मौजमस्ती में ही जी रहा था. ज्यादातर समय उस की जेब खाली होती थी. यहां तक कि जब वे घूमने जाते या फिल्म देखने जाते तो सारा खर्चा नेहा ही करती थी क्योंकि उस को कालेज खत्म करते ही जौब मिल गई थी.

एक साल तक तो नेहा ने नितिन के इस लापरवाह व्यवहार को बरदाश्त किया मगर फिर उस ने फ्यूचर प्लानिंग को ले कर उस से सवाल पूछने शुरू कर दिए. आखिर उस की भी जिंदगी का सवाल था. उस के सवालों से नितिन खी?ा उठता. उस से लड़ने लगता. नेहा को एहसास हो गया कि नितिन पति लायक मैटीरियल नहीं है. वह घरगृहस्थी की जिम्मेदारी नहीं उठाना चाहता है. जबकि नेहा अब सैटल होना चाहती थी. नेहा के मातापिता को उस की शादी की जल्दी थी. एक से एक रिश्ते आ रहे थे. अच्छे पढ़ेलिखे और बढि़या जौब वाले हैंडसम पुरुषों के रिश्ते थे, जिन्हें नजरअंदाज करना बेवकूफी थी.

आखिरकार तंग आ कर नेहा ने नितिन के साथ अपने रिश्ते को खत्म करने का फैसला कर लिया. नितिन को उस का दूर होना काफी अखरा था.

ब्रेकअप की बात पर वह उस से काफी लड़ा?ागड़ा भी. मगर, कब नौकरी करोगे? कब शादी करोगे? कब अपने मांबाप से मिलवाओगे? नेहा के ऐसे सवालों का उस के पास कोई जवाब न था. नितिन से अलग होने के सालभर के अंदर ही नेहा की शादी अक्षय से हो गई. इस बीच वह न तो नितिन से मिली और न ही उस से फोन पर कोई बात हुई. इतना वक्त गुजरने के बाद नितिन इस तरह नेहा के नाम से फर्जी फेसबुक अकाउंट बना कर बदला लेगा, उसे बदनाम करने की कोशिश करेगा, ऐसा उस ने सपने में भी नहीं सोचा था.

नेहा के कहने पर उस के मातापिता ने पुलिस के साइबर सैल में नितिन के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया, मगर पुलिस की लेटलतीफी के चलते 6 महीने बीत चुके हैं, नितिन अभी तक उन के हत्थे नहीं चढ़ा है. इधर अक्षय के वकील की ओर से नेहा को तलाक का नोटिस मिल चुका है. ऐक्स बौयफ्रैंड की जलन और बदले की भावना ने नेहा की अच्छीभली खुशहाल जिंदगी खत्म कर दी है.

मेरठ की रागिनी भी अपने ऐक्स बौयफ्रैंड की हरकतों से परेशान है. पेशे से टीचर रागिनी को उस का ऐक्स बौयफ्रैंड मधुर आएदिन रास्ते में रोक कर डरानेधमकाने की कोशिश करता है. रागिनी 5 साल तक मधुर के साथ रिलेशनशिप में थी. मधुर की मोहक छवि ने रागिनी के दिलोदिमाग पर जैसे कब्जा कर लिया था. वह अपनी आधी से ज्यादा सैलरी उस पर लुटाने लगी थी. मगर शादी की बात पर मधुर भी चुप लगा जाता था.

रागिनी के मातापिता ने भी कई बार मधुर से शादी के बारे में पूछा, मगर उस ने कोई पक्का जवाब नहीं दिया. आखिरकार तंग आ कर रागिनी ने उस से संबंध तोड़ लिए. कोलकाता के एक बड़े बिजनैसमैन प्रकाश के साथ जब से रागिनी का रिश्ता तय हुआ है, वह खुश तो बहुत है मगर दिल में मधुर का भय भरा हुआ है. यह डर इतना हावी है कि वह न तो शादी की खरीदारी के लिए घर से बाहर निकल रही है, न किसी से अपने रिश्ते की बात शेयर कर रही है. उसे और उस के मातापिता को डर है कि जैसे ही मधुर को पता चलेगा कि उस की शादी तय हो गई है, वह जरूर कोई न कोई गलत हरकत करेगा. हो सकता है वह उस के होने वाले पति की जानकारी प्राप्त कर के वहां कोई ऐसी बात पहुंचा दे जिस से यह रिश्ता टूट जाए. हो सकता है वह रागिनी के साथ मारपीट करे या उसे शारीरिक नुकसान पहुंचाए. ये तमाम बुरे खयाल रागिनी की खुशियों पर ग्रहण की तरह चस्पां हो गए हैं.

इस डर से रागिनी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट भी डिलीट कर दिए हैं, अपना मोबाइल फोन का नंबर भी बदल दिया है, मगर डर है कि, जाता ही नहीं है. मधुर के कारण ही रागिनी के मातापिता बेटी की शादी कोलकाता जा कर कर रहे हैं. लड़के वालों को पहले तो यह बात अटपटी लगी थी, मगर इस में उन्हें ही सहूलियत नजर आई कि चलो, भारीभरकम बरात ले कर मेरठ नहीं जाना पड़ेगा. काफी खर्चा बच जाएगा, यह सोच कर वे राजी भी हो गए.

मेरठ में रागिनी के मातापिता ने बेटी की शादी की बात बहुत नजदीकी रिश्तेदारों को बताई है. कुछ गिनेचुने लोग ही शादी अटैंड करने के लिए कोलकाता जा रहे हैं. सबकुछ बेहद गुपचुप तरीके से प्लान हो रहा है. ऐक्स बौयफ्रैंड रागिनी के लिए ऐसा हौआ बन गया है कि वह अपनी खुशियां तक एंजौय नहीं कर पा रही है.

‘प्यार’ शब्द किसी के भी मन में उमंग जगा देता है. 2 लोग जब प्यार में होते हैं तो उन के लिए एकदूसरे की खुशी सब से ज्यादा जरूरी होती है. लेकिन हर लव स्टोरी सक्सैसफुल हो, ऐसा होता नहीं है. रिश्ते टूटते भी हैं और यहीं से पैदा होती है नफरत. जरूरी नहीं कि हर केस में ऐसा हो, लेकिन ज्यादातर में ऐसा होता है. ब्रेकअप होने पर कुछ लोग अपनी जिंदगी में मस्त हो जाते हैं या दूसरा साथी ढूंढ़ लेते हैं, वहीं कुछ लोग बदला लेने की ठान लेते हैं. सोचते हैं कि वह मेरी नहीं हुई तो किसी और की कैसे हो सकती है?

शाहरुख खान की फिल्म ‘डर’ आप को याद होगी. ‘क…क….क… किरण’ वाली. यह भी दिल टूटे आशिक की कहानी है, जो ऐसा ही सोचता कि तू मेरी न हुई तो तु?ो किसी और का होने न दूंगा. खैर, वह तो फिल्म थी जिस में जूही चावला एक पगलाए आशिक से बच जाती हैं, मगर नेहा और रागिनी की जिंदगी कोई फिल्म नहीं है, हकीकत है. वे अपने ऐक्स बौयफ्रैंड की गलत हरकतों, साजिश और बदले का शिकार बन गई हैं.

रिश्ता तोड़ते वक्त रखें सावधानी

एक मशहूर गीत के बोल हैं, ‘वो अफसाना जिसे अन्जाम तक लाना न हो मुमकिन, उसे एक खूबसूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा…’ किसी के साथ रिश्ते में होना बेहद खूबसूरत एहसास है, मगर यह सुंदर सपना जब टूटता है तो बड़ी चोट पहुंचती है.

प्रेम संबंध टूटने की कुछ वजहें होती हैं, जैसे दोनों में से किसी एक का शादी के लिए राजी न होना, घरवालों का दबाव होना, धर्मजाति का अलगअलग होना, लड़के का नौकरी न करना, कोई फ्यूचर प्लानिंग न होना वगैरहवगैरह. जब आप को लगे कि आप का रिश्ता किसी मंजिल तक नहीं पहुंच सकता तो ठीकठीक वजहें सामने रख कर अलगअलग राह चुनने के लिए अपने पार्टनर से खुल कर बात करें. अगर वह आप से सचमुच प्यार करता है तो वह आप की बात को जरूर सम?ोगा.

ऐसे में आप आपसी सम?ाते के साथ एकदूसरे से खुशीखुशी अलग हो सकते हैं. यदि आप का बौयफ्रैंड आप से किसी मतलब से जुड़ा हुआ है तो वह आप को धमकी देने की या डराने की कोशिश करेगा. हो सकता है वह आप को ब्लैकमेल भी करे. ऐसे में तुरंत अपने मातापिता को उस के बारे में बताएं और उस की पुलिस कंपलैंट करें. ऐसे लोगों से डरने की कतई जरूरत नहीं है. डरने से उन के हौसले बुलंद होंगे और आप ठगी व ब्लैकमेलिंग का शिकार बन सकती हैं.

इस के अलावा, ब्रेकअप के वक्त और उस के बाद कुछ बातें आप को ध्यान में रखनी चाहिए ताकि भविष्य में जिस से भी आप की शादी हो, उस के साथ आप खुश रह सकें और कभी अपने ऐक्स बौयफ्रैंड की किसी साजिश का शिकार न बनें.

बौयफ्रैंड से धीरेधीरे दूरी बनाएं

अगर आप की शादी तय हो गई है तो जरूरी नहीं कि आप एक ?ाटके में अपने प्रेमी से रिश्ता तोड़ दें. जब रिश्ता बनने में वक्त लगता है तो उसे खत्म करने में भी लगेगा. इसलिए दूरी धीरेधीरे बनाएं. उसे उन बातों का एहसास दिलाएं कि वे क्या मजबूरियां हैं जिन के कारण आप उस से दूर हो रही हैं. आप उस को इस बात के लिए तैयार करें कि वह उन मजबूरियों को सम?ो और अपनी उन कमियों को माने जिन के कारण आप उस से दूर हो रही हैं.

खुल कर सारी बात करें. अपनी परेशानी और अपनी इच्छाएं बताएं. एक पल में सबकुछ खत्म करने की कोशिश न करें, क्योंकि हो सकता है कि सामने वाला अचानक हुए खालीपन को बरदाश्त न कर पाए. उसे समय दें और धीरेधीरे सारे कौन्टैक्ट खत्म करें. अगर आप के फोटोज या अन्य चीजें उस के पास हों तो उन्हें वापस लेने की कोशिश करें.

बौयफ्रैंड के दिए गिफ्ट नष्ट कर दें

जब हम किसी के साथ रिलेशनशिप में होते हैं तो हमारे बीच तमाम चीजों का आदानप्रदान होता है. हम बर्थडे, वैलेंटाइन डे या अन्य कई मौकों पर अपने प्रिय को गिफ्ट देतेलेते हैं. आप के बौयफ्रैंड ने भी आप को गिफ्ट, कार्ड या कपड़े इत्यादि दिए होंगे. उन्हें आप जितनी जल्दी खुद से दूर कर देंगी, उतनी जल्दी आप उस की यादों से मुक्त हो पाएंगी. बौयफ्रैंड के दिए गिफ्ट को संभाल कर रखना कोई सम?ादारी नहीं है और उन्हें अपने साथ अपने पति के घर ले जाना तो महाबेवकूफी कहलाएगी. इसलिए उन तमाम चीजों को या तो लौटा दें या नष्ट कर दें. कोशिश करें कि आप ने भी उसे जो गिफ्ट या कार्ड्स वगैरह दिए हैं, वे सब उस से वापस मिल जाएं. उन चीजों को भी नष्ट कर दें. नए जीवन में पुरानी चीजों की छाया नहीं पड़नी चाहिए.

ब्रेकअप के बाद खुद को समय दें

ब्रेकअप के बाद अकसर यह एहसास होता है कि यह कुछ वक्त की दूरी है, हम फिर एक हो जाएंगे. इस एहसास से निकलना आसान नहीं होता है. ज्यादातर लोग ब्रेकअप के बाद उत्पन्न हुए खालीपन को भरने के लिए तुरंत कोई दूसरा दोस्त ढूंढ़ लेते हैं या शादी के लिए तैयार हो जाते हैं, यह ठीक नहीं है. बौयफ्रैंड के साथ बिताए पलों को भूलने के लिए और सचाई को पूरी तरह स्वीकार करने के लिए खुद को समय दें, चिंतन करें और अपनेआप को सम?ाएं कि आप ने जो कदम उठाया है वह बिलकुल ठीक है. नया दोस्त या जीवनसाथी चुनने में हड़बड़ी न करें. ठंडे दिमाग से अच्छे भविष्य की आशा संजो कर, ठोंकबजा कर नए रिश्ते में जाएं ताकि दोबारा आप को जुदाई का दर्द न सहना पड़े. इस के लिए अगर ब्रेकअप के बाद आप को सालदोसाल का वक्त लेना पड़े तो गलत नहीं है. इस बीच आप अपनी पसंदीदा चीजें करें. ध्यान, व्यायाम, खानपान आदि पर ध्यान दें.

चाहें तो कहीं फुलटाइम या शौर्टटाइम नौकरी कर लें. इस से आप को पुरानी बातें भूल कर भविष्य की योजनाएं बनाने में आसानी होगी.

शादी में बौयफ्रैंड को भूल कर भी न बुलाएं

भले आप आपसी सम?ाते के तहत अपने बौयफ्रैंड से अलग हुई हों और हो सकता है आप शादी के बाद भी अपने लवर को दोस्त की हैसियत से अपने करीब रखना चाहें तो इस में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन कोशिश करें कि आप उसे अपनी शादी पर न बुलाएं क्योंकि उस वक्त एकदूसरे का सामना करना मुश्किल होगा और आप खुद उस की मौजूदगी में किसी और से शादी करने में असहज महसूस करेंगी.

वहीं, आप का ऐक्स बौयफ्रैंड उस व्यक्ति से जलन महसूस करेगा जिस के गले में आप वरमाला डाल रही हैं. यह जलन कब बदले की भावना में बदल जाए, कहा नहीं जा सकता. अपनी शादी की फोटोज भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर न डालें, न दोस्तों को व्हाट्सऐप वगैरह करें. इन फोटोज के सामने आने पर आप के ऐक्स के मन में जलन पैदा होगी, जो भविष्य में आप के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है.

हसबैंड को सबकुछ न बताएं

यह गलत होगा कि आप अपने जीवनसाथी से अपने पिछले रिश्ते की बात छिपाएं, लेकिन जरूरी यह भी नहीं कि अपने अतीत के बारे में ‘सबकुछ’ बताया जाए. आजकल स्कूलकालेज में बौयफ्रैंडगर्लफ्रैंड बनना आम बात है. इस को ले कर अकसर पति अपनी पत्नी से सवाल नहीं करते हैं. जवानी में अपोजिट सैक्स के प्रति आकर्षण होना एक स्वाभाविक क्रिया है. लोग यह मानने को तैयार ही नहीं होते कि स्कूलकालेज में आप का कोई प्रेमी या प्रेमिका नहीं रहा होगा. यह आम चलन है. इसलिए पति से यह बताना कि हां, आप का प्रेमी था, कोई गजब ढाने वाली बात नहीं होगी.

हां, अगर आप अपने प्रेमी के बेहद करीब थीं और उस से आप के शारीरिक संबंध थे, या आप उस से कभी प्रैग्नैंट हुईं या आप का अबौर्शन हुआ तो जरूरी नहीं कि आप अपने पति को ये सारी बातें बताएं, क्योंकि यह कन्फेशन आप के रिश्ते में कड़वाहट भर देगा. इसलिए भावुकता में बह कर अतीत को पति के सामने खोल कर रख देना कोई सम?ादारी नहीं होगी. कोई भी पुरुष भले खुद को बेहद आधुनिक या खुले विचारों का बताए मगर यह बात कतई बरदाश्त नहीं कर सकता कि उस की पत्नी पहले किसी के साथ सो चुकी है.

पैसों का हिसाबकिताब खत्म करें

ऐसे कई प्रेमी जोड़े होते हैं जो जौइंट अकाउंट, इंश्योरैंस पौलिसी, प्रौपर्टी इंवैस्टमैंट मिल कर करते हैं शायद यह सोच कर कि उन दोनों को रिश्ते को साथ आगे ले कर जाना है. लेकिन अगर ब्रेकअप हो रहा है तो यह सुनिश्चित कर लें कि आप पैसेप्रौपर्टी से जुड़े सारे हिसाबकिताब निबटा लें ताकि अन्य व्यक्ति से आप की शादी के बाद कोई परेशानी पैदा न हो.

शादी दूसरे शहर में करें

बौयफ्रैंड से ब्रेकअप के बाद जब आप नए रिश्ते में नया जीवन शुरू करें तो कोशिश करें कि किसी नए शहर में करें. अपने शहर में वही जगहें, वही पिक्चर हौल, वही बाजार, वही पार्क जहां आप अपने बौयफ्रैंड की बांहों में बांहें डाले घूमा करती थीं, जहां आप ने अपने जीवन के सब से सुखद पल बिताए थे. ऐसे में पुरानी यादें हर वक्त आप के दिल पर तारी रहेंगी और आप को अपने नए जीवनसाथी के रंग में कभी रंगने न देंगी. जब आप पति के साथ उन्हीं जगहों पर होंगी तो मन ही मन पति की तुलना अपने बौयफ्रैंड से भी करती रहेंगी. बौयफ्रैंड की हर हरकत आप को याद आएगी. दिल में टीस उठेगी और आप अपने पति के साथ अपना वैवाहिक जीवन कभी एंजौय नहीं कर पाएंगी. इसलिए कोशिश करें कि शादी के लिए किसी अन्य शहर में रहने वाले पुरुष को चुनें. यदि ऐसा संभव न हो और शादी अपने ही शहर के लड़के से हो जाए तो अन्य शहर में नौकरी करने के लिए उन्हें प्रेरित करें. पुरानी जगह छोड़ने पर पुरानी यादें भी पीछे छूट जाती हैं और आने वाला वक्त हर घाव भर देता है.

पति की तुलना बौयफ्रैंड से न करें

हर शख्स की अपनी पर्सनैलिटी, आदतें, चाहतें और काम करने के तरीके होते हैं. हमारी दोस्ती किसी व्यक्ति से तब होती है जब उस की बातें, आदतें, पसंदनापसंद हम से मिलतीजुलती होती हैं. आप के बौयफ्रैंड की बहुत सी बातें शायद आप से मिलती होंगी, तभी आप की दोस्ती हुई और हो सकता है जिस व्यक्ति से आप की शादी हुई है, उस की आदतें आप से कतई न मिलती हों. उस हालत में आप को अपने बौयफ्रैंड का खयाल आ सकता है.

सुमन को गाने का शौक था. उस का बौयफ्रैंड भी गाता था. इस हौबी के चलते ही दोनों एकदूसरे के करीब आए थे. मगर किसी कारणवश दोनों शादी नहीं कर पाए. सुमन की शादी एक चार्टर्ड अकाउंटैंट से हुई है, जो गीतसंगीत में जरा भी रुचि नहीं रखता. ऐसे में सुमन को हर वक्त अपने बौयफ्रैंड की याद आती है और वह अकसर अपने रूखे पति की तुलना उस से करती है. यही वजह है कि उस का वैवाहिक जीवन सुखी नहीं है.

वह हर वक्त अनमनी सी रहती है. हालांकि उस के पति में और कई खूबियां हैं, मगर सुमन ने उन खूबियों की ओर अब तक नजर नहीं डाली है. याद रखें कि आप ने जिस व्यक्ति से शादी की है वह आप के ऐक्स से बहुत बेहतर है, क्योंकि उस ने आप को स्थायित्व दिया है, आप को आर्थिक सुरक्षा दी है, समाज के सामने आप को अपना बनाया है, आप पर विश्वास किया है और अपना घर आप के हवाले किया है.

क्या आप का बौयफ्रैंड आप को कभी इतना सब दे सकता था? शायद नहीं. तो इसलिए कभी भी अपने पति की तुलना उस व्यक्ति से न करें जो बेहद कमजोर था, जिस के अंदर आप को अपनाने की ताकत नहीं थी, जिस ने आप को प्रेम में धोखा दिया, आप के भोले मन को छला और आप को पीड़ा पहुंचाई.

अपनी पहली डेट को बनाएं मीठी याद

पहली डेट वो पल होता है जिसे हम अपनी वृद्धावस्था में भी याद करें तो होठों पर मुस्कान छोड़ जाए क्योंकि यही वो पल होता है जिस समय हम अपने जीवन में ऐसे खास व्यक्ति से मिलते है जिसके साथ हम सारी ज़िंदगी बिताने के सपने संजोना चाहते हैं. इस मुलाकात का अर्थ सिर्फ यह नहीं है कि आप अपनी पसंद के लड़के या लड़की से पहली बार मिलने जा रहे है बल्कि यह आपके माता पिता या मैट्रिमोनियल साइट से प्रोफाइल पसंद आए हुए व्यक्ति से भी हो सकती है.  आजकल जब लड़का लड़की एक दूसरे को पसंद करते हैं तभी अपनी रिलेशनशिप को आगे बढ़ाने की सोचते हैं ऐसे में दोनों के मन में उत्सुकता और उलझन के साथ साथ सवालों की जैसे झरी लगी होती है डेट पर क्या होगा?क्या वो बिलकुल ऐसा होगा या होगी जैसा जीवन साथी मुझे चाहिए ? क्या उसे मैं पसंद आऊगा या आऊंगी? जैसे सवाल आपके मन में हिडोले ले रहे होते हैं, तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर पहली डेट को आप किस प्रकार बिना गलतियां करे बेहद खास और यादगार बना सकते हैं.

कंफर्ट का रखें ध्यान

पहली डेट पर जा रहे हैं तो दोनों का एक दूसरे के साथ कंफर्ट होना बहुत जरूरी है इसके लिए ऐसी जगह जाएं जहां आप एक दूसरे से आराम से बैठ कर बात कर सकें, या अगर कुछ खा पी रहे हैं तो उनकी इच्छाओं को जानें और उनका सम्मान करें। अच्छे से तैयार होकर जाएं.  भड़कीले या ऐसे कपड़े पहन कर ना जाए जिसमें आप कंफर्टेबल महसूस ना करें. औपचारिक न बने , दोस्ताना रवैया रखें जिससे की आप दोनों सहजता पूर्वक बातें कर सकें और एक दूसरे को समझ सके.
घबराहट से बचें- घबराहट और हिचकिचाहट से बचें.  आत्मविश्वास बनाए रखे. बहुत ज्यादा या इधर-उधर की बातें न करते हुए खुद को खुली किताब बनने से बचे क्योंकि धोड़े रहस्यमयी लोगों को जानने की उत्सुकता हमेशा लगी रहती है तो कुछ बातें दूसरी डेट के लिए भी छोड़ देनी चाहिए.  हड़बड़ाहट के बजाय आराम से अपनी भावनाएं व्यक्त करें और पार्टनर की बातों को ध्यान से सुनें और समझें.
परिवार को दे वैल्यू -यदि आप किसी से रिश्ता बनाने जा रहे हैं तो उसके परिवार के बारे में जानना भी बहुत जरूरी है इससे सामने वाले पर अच्छा इम्प्रेशन भी पड़ता है।रिश्ते-नाते आदि से संंबंधित नकारात्मक बातें करने से बचें. सामने वाले को जताएँ की आप परिवार के वैल्यूज को महत्व देते हैं .

एक्स बौयफ्रेंड न बन जाए मुसीबत

नेहा की शादी बड़ी धूम-धाम से हुई थी. पति के नये घर-परिवार में नेहा को स्पेशल ट्रीटमेेंट मिल रहा था. अक्षय अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था, ऐसे में उसकी पत्नी नेहा की आव-भगत भला क्यों न होती? तीन महीने हो गये थे, सास ने उसे रसोई में घुसने भी नहीं दिया था. नेहा 15 दिन के हनीमून के बाद लौटी, तो जरूरत की हर चीज उसके कमरे में ही पहुंच जाती थी. घर के तीनों नौकर हर वक्त उसकी खिदमत में हाजिर रहते थे. किट्टी पार्टी, रिश्तेदारों और मोहल्ले भर में उसकी सास उसकी खूबसूरती और व्यवहार के कसीदे काढ़ते घूमती थी. शाम को नेहा अक्सर सजधज कर हसबैंड के साथ घूमने निकल जाती. दोनों फिल्म देखते, रेस्ट्रां में खाना खाते, शॉपिंग करते. जिन्दगी मस्त बीत रही थी. मगर अचानक एक दिन नेहा के सुखी वैवाहिक जीवन का महल भरभरा कर गिर पड़ा.

उस दिन उसकी सास पड़ोसी के वहां बैठी थी, जब पड़ोसी के बेटे ने अपने कम्प्यूटर पर नेहा के अश्लील चित्र उसकी सास को दिखाये. ये चित्र उसने नेहा के फेसबुक अकाउंट से डाउनलोड किये थे, जहां वह अपनी अर्द्धनग्न तस्वीरें पोस्ट करके सेक्स के लिए युवकों को आमंत्रित करती थी. शर्म, अपमान और दुख से भरी नेहा की सास ने बेटे को फोन करके तुरंत घर बुलाया. पड़ोसी के कम्प्यूटर पर बैठ कर नेहा का फेसबुक अकाउंट चेक किया गया तो अक्षय के भी पैरों तले धरती डोल गयी. तस्वीरें देखकर इस बात से इनकार ही नहीं किया जा सकता था कि यह नेहा नहीं थी और इस अकाउंट से यह साफ था कि वह एक प्रॉस्टीट्यूट थी. उसने वहां पर बकायदा घंटे के हिसाब से अपने रेट डाल रखे थे. अपनी अश्लील कहानियां तस्वीरों के साथ डाल रखी थीं. बड़ा हंगामा खड़ा हो गया. नेहा के परिवार वालों को बुलाया गया. खूब कहा-सुनी हुई. नेहा मानने को ही तैयार नहीं थी कि वह फेसबुक अकाउंट उसका था, मगर जो तस्वीरें सामने थीं वह उसी की थीं. नेहा के माता-पिता भी हैरान थे.

नेहा का कहना था कि वह फेसबुक पर कभी थी ही नहीं. उसने लाख मिन्नतें कीं, लाख सफाईयां दीं, लाख कहा कि ये फर्जी अकाउंट है, मगर सब बेकार. उसको उसी दिन उसके माता-पिता के साथ मायके वापस जाना पड़ा. उसके ससुराल वाले ऐसी बहू को एक पल के लिए भी अपने घर में नहीं रखना चाहते थे, जिसके चरित्र के बारे में मोहल्ले वालों को भी पता चल चुका था. अक्षय के परिवार के लिए यह घटना शर्म से डूब मरने जैसी थी. जैसे उनके मुंह पर भरे बाजार किसी ने कालिख पोत दी थी. इस परिवार का मोहल्ले में बड़ा आदर-सम्मान था.
उधर नेहा का रो-रोकर बुरा हाल था. मायके लौटते वक्त उसे बार-बार अपने एक्स बौयफ्रैंड नितिन का ख्याल आ रहा था. हो न हो, यह काम उसी का हो सकता है. उसी ने बदला लेने के लिए उसकी ऐसी तस्वीरें सोशल मीडिया पर अपलोड की हैं. मगर यह तस्वीरें उसने कब और कैसे खींचीं, यह बात नेहा को परेशान कर रही थी. नितिन के साथ वह तीन साल प्रेम में रही. कॉलेज खत्म होने के बाद उसने पाया कि नितिन शादी या अपने फ्यूचर को लेकर बिल्कुल चिन्तित नहीं है. न तो वह जौब ढूंढ रहा था, न किसी कौम्पटिशन की तैयारी कर रहा था. वह बस सैर-सपाटा, मौज-मस्ती में ही जी रहा था. ज्यादातर समय उसकी जेब खाली होती थी. यहां तक कि जब वे घूमने जाते या फिल्म देखने जाते तो सारा खर्चा नेहा ही करती थी क्योंकि उसको कॉलेज खत्म करते ही जॉब मिल गयी थी.

एक साल तक तो नेहा ने नितिन के इस लापरवाह व्यवहार को बर्दाश्त किया मगर फिर उसने फ्यूचर प्लैनिंग को लेकर उससे सवाल पूछने शुरू कर दिये. आखिर उसकी भी जिन्दगी का सवाल था. उसके सवालों से नितिन खीज उठता. उससे लड़ने लगता. नेहा को अहसास हो गया कि नितिन पति लायक मिटीरियल नहीं है. वह घर-गृहस्थी की जिम्मेदारी नहीं उठाना चाहता है. जबकि नेहा अब सेटेल होना चाहती थी. नेहा के माता-पिता को उसकी शादी की जल्दी थी. एक से एक रिश्ते आ रहे थे. अच्छे पढ़े-लिखे और बढ़िया जॉब वाले हैंडसम पुरुषों के रिश्ते थे. जिन्हें नजरअंदाज करना बेवकूफी थी.
आखिरकार तंग आकर नेहा ने नितिन के साथ अपने रिश्ते को खत्म करने का फैसला कर लिया. नितिन को उसका दूर होना काफी अखरा था.

ब्रेकअप की बात पर वह उससे काफी लड़ा-झगड़ा भी. मगर, कब नौकरी करोगे? कब शादी करोगे? कब अपने मां-बाप से मिलवाओगे? नेहा के ऐसे सवालों का उसके पास कोई जवाब नहीं था. नितिन से अलग होने के साल भर के अन्दर ही नेहा की शादी अक्षय से हो गयी. इस बीच वह न तो नितिन से मिली और न ही उससे फोन पर कोई बात हुई. इतना वक्त गुजरने के बाद नितिन इस तरह नेहा के नाम से फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाकर बदला लेगा, उसे बदनाम करने की कोशिश करेगा, ऐसा तो उसने सपने में भी नहीं सोचा था.
नेहा के कहने पर उसके माता-पिता ने पुलिस के साइबर सेल में नितिन के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया, मगर पुलिस की लेट-लतीफी के चलते छह महीने बीत चुके हैं, नितिन अभी तक उनके हत्थे नहीं चढ़ा है. इधर अक्षय के वकील की ओर से नेहा को तलाक का नोटिस मिल चुका है. एक्स बौयफ्रैंड की जलन और बदले की भावना ने नेहा की अच्छी-भली खुशहाल जिन्दगी खत्म कर दी है.

मेरठ की रागिनी भी अपने एक्स बौयफ्रैंड की हरकतों से परेशान है. पेशे से टीचर रागिनी को उसका एक्स बौयफ्रैंड मधुर आये दिन रास्ते में रोक कर डराने-धमकाने की कोशिश करता है. रागिनी पांच साल तक मधुर के साथ रिलेशनशिप में थी. मधुर की मोहक छवि ने रागिनी के दिलो-दिमाग पर जैसे कब्जा कर लिया था. वह अपनी आधी से ज्यादा सैलरी उस पर लुटाने लगी थी. मगर शादी की बात पर मधुर भी चुप लगा जाता था. रागिनी के माता-पिता ने भी कई बार मधुर से शादी के बारे में पूछा, मगर उसने कोई पक्का जवाब नहीं दिया. आखिरकार तंग आकर रागिनी ने उससे सम्बन्ध तोड़ लिये. कोलकाता के एक बड़े बिजनेसमैन प्रकाश के साथ जबसे रागिनी का रिश्ता तय हुआ है, वह खुश तो बहुत है, मगर दिल में मधुर का भय भरा हुआ है. यह डर इतना हावी है कि वह न तो शादी की खरीदारी के लिए घर से बाहर निकल रही है, न किसी से अपने रिश्ते की बात शेयर कर रही है. उसे और उसके माता-पिता को डर है कि जैसे ही मधुर को पता चलेगा कि उसकी शादी तय हो गयी है, वह जरूर कोई न कोई गलत हरकत करेगा. हो सकता है वह उसके होने वाले पति की जानकारी प्राप्त करके वहां कोई ऐसी बात पहुंचा दे, जिससे यह रिश्ता टूट जाएगा. हो सकता है वह रागिनी के साथ मारपीट करे या उसे शारीरिक नुकसान पहुंचाये. यह तमाम बुरे ख्याल रागिनी की खुशियों पर ग्रहण की तरह चस्पा हो गये हैं.

इस डर से रागिनी ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट भी डिलीट कर दिये हैं, अपना मोबाइल फोन का नम्बर भी बदल दिया है, मगर डर है कि जाता ही नहीं है. मधुर के कारण ही रागिनी के माता-पिता बेटी की शादी कोलकाता जाकर कर रहे हैं. लड़के वालों को पहले तो यह बात अटपटी लगी थी, मगर इसमें उन्हें ही सहूलियत नजर आयी कि चलो, भारी-भरकम बारात लेकर मेरठ नहीं जाना पड़ेगा. काफी खर्चा बच जाएगा, यह सोच कर वे राजी भी हो गये. मेरठ में रागिनी के माता-पिता ने बेटी की शादी की बात बहुत नजदीकी रिश्तेदारों को बतायी है. कुछ गिने-चुने लोग ही शादी अटेंड करने के लिए कोलकाता जा रहे हैं. सबकुछ बेहद गुपचुप तरीके से प्लान हो रहा है. एक्स बौयफ्रैंड रागिनी के लिए ऐसा हौव्वा बन गया है कि वह अपनी खुशियां तक इन्जौय नहीं कर पा रही है.

‘प्यार’, ये शब्द किसी के भी मन में उमंग जगा देता है. दो लोग जब प्यार में होते हैं, तो उनके लिए एक-दूसरे की खुशी सबसे ज्यादा जरूरी होती है. लेकिन हर लव स्टोरी सक्सेसफुल हो, ऐसा होता नहीं है. रिश्ते टूटते भी हैं, और यहीं से पैदा होती है – ‘नफरत’. जरूरी नहीं कि हर केस में ऐसा हो, लेकिन ज्यादातर में ऐसा होता है. ब्रेकअप होने पर कुछ लोग अपनी जिन्दगी में मस्त हो जाते हैं या दूसरा साथी ढूंढ लेते हैं, वहीं कुछ लोग बदला लेने की ठान लेते हैं. सोचते हैं कि वो मेरी नहीं हुई तो किसी और की कैसे हो सकती है?
शाहरुख खान की फिल्म ‘डर’ आपको याद होगी. ‘क…क….क… किरण’ वाली. ये भी दिल टूटे आशिक की कहानी है, जो ऐसा ही सोचता कि तू मेरी न हुई तो तुझे किसी और का होने न दूंगा. खैर, वो तो फिल्म थी, जिसमें जूही चावला एक पगलाये आशिक से बच जाती हैं, मगर नेहा और रागिनी की जिन्दगी कोई फिल्म नहीं है, हकीकत है. जिसमें वे अपने एक्स बौयफ्रैंड की गलत हरकतों, साजिश और बदले का शिकार बन गयी हैं.

रिश्ता तोड़ते वक्त रखें सावधानी

एक मशहूर गीत के बोल हैं – वो अफसाना जिसे अन्जाम तक लाना न हो मुमकिन, उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा…. किसी के साथ रिश्ते में होना बेहद खूबसूरत अहसास है, मगर यह सुन्दर सपना जब टूटता है तो बड़ी चोट पहुंचती है. प्रेम सम्बन्ध टूटने की कुछ वजहें होती हैं – जैसे दोनों में से किसी एक का शादी के लिए राजी न होना, घरवालों का दबाव होना, धर्म-जाति का अलग-अलग होना, लड़के का नौकरी न करना, कोई फ्यूचर प्लैनिंग न होना वगैरह, वगैरह. जब आपको लगे कि आपका रिश्ता किसी मन्जिल तक नहीं पहुंच सकता तो ठीक-ठीक वजहें सामने रखकर अलग-अलग राह चुनने के लिए अपने पार्टनर से खुल कर बात करें. अगर वह आपसे सचमुच प्यार करता है तो वह आपकी बात को जरूर समझेगा.

ऐसे में आप आपसी समझौते के साथ एक दूसरे से खुशी-खुशी अलग हो सकते हैं. यदि आपका बौयफ्रैंड आपसे किसी मतलब से जुड़ा हुआ है तो वह आपको धमकी देने की या डराने की कोशिश करेगा. हो सकता है वह आपको ब्लैकमेल भी करे. ऐसे में तुरंत अपने माता-पिता को उसके बारे में बताएं और उसकी पुलिस कम्प्लेंट करें. ऐसे लोगों से डरने की कतई जरूरत नहीं है. डरने से इनके हौंसले बुलंद होते हैं और आप ठगी और ब्लैकमेलिंग का शिकार बन सकती हैं.
इसके अलावा ब्रेकअप के वक्त और उसके बाद कुछ बातें आपको ध्यान में रखनी चाहिएं ताकि भविष्य में जिससे भी आपकी शादी हो, उसके साथ आप खुश रह सकें और कभी अपने एक्स बौयफ्रैंड की किसी साजिश का शिकार न बनें.

बौयफ्रैंड से धीरे-धीरे दूरीं बनाएं

अगर आपकी शादी तय हो गयी है, तो जरूरी नहीं कि आप एक झटके में अपने प्रेमी से रिश्ता तोड़ दें. जब रिश्ता बनने में वक्त लगता है, तो उसे खत्म करने में भी लगेगा. इसलिए दूरी धीरे-धीरे बनाएं. उसे उन बातों का अहसास दिलाएं कि वह क्या मजबूरियां हैं, जिनके कारण आप उनसे दूर हो रही हैं. आप उनको इस बात के लिए तैयार करें कि वह उन मजबूरियों को समझे और अपनी उन कमियों को माने जिसके कारण आप उनसे दूर हो रही हैं. खुल कर सारी बात करें. अपनी परेशानी और अपनी इच्छाएं बताएं. एक पल में सबकुछ खत्म करने की कोशिश न करें, क्योंकि हो सकता है कि सामने वाला अचानक हुए खालीपन को बर्दाश्त न कर पाए. उसे समय दें और धीरे-धीरे सारे कॉन्टैक्ट खत्म करें. अगर आपके फोटोज या अन्य चीजें उसके पास हों तो वह वापस लेने की कोशिश करें.

बौयफ्रैंड के दिये गिफ्ट नष्ट कर दें

जब हम किसी के साथ रिलेशनशिप में होते हैं तो हमारे बीच तमाम चीजों का आदान-प्रदान होता है. हम बर्थडे, वैलेंटाइन डे या अन्य कई मौकों पर अपने प्रिय को गिफ्ट देते-लेते हैं. आपके बौयफ्रैंड ने भी आपको गिफ्ट, कार्ड या कपड़े इत्यादि दिये होंगे. इन्हें आप जितनी जल्दी खुद से दूर कर देंगी, उतनी जल्दी आप उसकी यादों से मुक्त हो पाएंगी. बौयफ्रैंड के दिये गिफ्ट को संभाल कर रखना कोई समझदारी नहीं है और इन्हें अपने साथ अपने पति के घर ले जाना तो महाबेवकूफी कहलाएगी. इसलिए इन तमाम चीजों को या तो लौटा दें या नष्ट कर दें. कोशिश करें कि आपने भी उन्हें जो गिफ्ट या कार्ड्स वगैरह दिये हैं, वो सब उससे वापिस मिल जाए. इन चीजों को भी नष्ट कर दें. नये जीवन में पुरानी चीजों की छाया नहीं पड़नी चाहिए.

ब्रेकअप के बाद खुद को समय दें

ब्रेकअप के बाद अक्सर यह अहसास होता है कि यह कुछ वक्त की दूरी है, हम फिर एक हो जाएंगे. इस अहसास से निकलना आसान नहीं होता है. ज्यादातर लोग ब्रेकअप के बाद उत्पन्न हुए खालीपन को भरने के लिए तुरंत कोई दूसरा दोस्त ढूंढ लेते हैं, या शादी के लिए तैयार हो जाते हैं, यह ठीक नहीं है. बौयफ्रैंड के साथ बिताये पलों को भूलने के लिए और सच्चाई को पूरी तरह स्वीकार करने के लिए खुद को समय दें. चिन्तन करें और अपने आपको समझाएं कि आपने जो कदम उठाया है, वह बिल्कुल ठीक है. नया दोस्त या जीवनसाथी चुनने में हड़बड़ी न करें. ठंडे दिमाग से, अच्छे भविष्य की आशा संजो कर, ठोंक-बजा कर नये रिश्ते में जाएं ताकि दोबारा आपको जुदाई का दर्द न सहना पड़े. इसके लिए अगर ब्रेकअप के बाद आपको साल-दो साल का वक्त लेना पड़े, तो गलत नहीं है. इस बीच आप अपनी पसंदीदा चीजें करें. ध्यान, व्यायाम, खानपान आदि पर ध्यान दें. चाहें तो कहीं फुल टाइम या शॉर्ट टाइम नौकरी कर लें. इससे आपको पुरानी बातें भूल कर भविष्य की योजनाएं बनाने में आसानी होगी.

शादी में बौयफ्रैंड को भूलकर भी न बुलाएं

भले आप आपसी समझौते के तहत अपने बौयफ्रैंड से अलग हुई हों और हो सकता है आप शादी के बाद भी अपने लवर को दोस्त की हैसियत से अपने करीब रखना चाहें, तो इसमें कोई हर्ज नहीं है, लेकिन कोशिश करें कि आप उन्हें अपनी शादी पर न बुलाएं, क्योंकि उस हालात में एक दूसरे का सामना करना मुश्किल होगा और आप खुद उनकी मौजूदगी में किसी और से शादी करने में असहज महसूस करेंगी. वहीं आपका एक्स बौयफ्रैंड उस व्यक्ति से जलन महसूस करेगा, जिसके गले में आप वरमाला डाल रही हैं. यह जलन कब बदले की भावना में बदल जाए, कहा नहीं जा सकता है. अपनी शादी की फोटोज भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर न डालें, न दोस्तों को वॉट्सेप वगैरह करें. इन फोटोज के सामने आने पर आपके एक्स के मन में जलन पैदा होगी, जो भविष्य में आपके लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है.

पैसों का हिसाब-किताब खत्म करें

ऐसे कई प्रेमी जोड़े होते हैं, जो ज्वॉइन्ट अकाउंट, इंश्योरेंस पॉलिसी, प्रॉपर्टी इंवेस्टमेंट मिलकर करते हैं. शायद ये सोचकर कि उन दोनों को रिश्ते को साथ आगे लेकर जाना है. लेकिन अगर ब्रेकअप हो रहा है, तो ये सुनिश्चित कर लें कि आप पैसे-प्रॉपर्टी से जुड़े सारे हिसाब-किताब निपटा लें ताकि अन्य व्यक्ति से आपकी शादी के बाद कोई परेशानी पैदा न हो.

हसबैंड को ‘सबकुछ’ न बताएं

ये गलत होगा कि आप अपने जीवनसाथी से अपने पिछले रिश्ते की बात छुपाएं, लेकिन जरूरी ये भी नहीं कि अपने अतीत के बारे में ‘सबकुछ’ बताया जाए. आजकल स्कूल-कॉलेज में बौयफ्रैंड-गर्लफ्रेंड बनना आम बात है. इसको लेकर अक्सर पति अपनी पत्नी से सवाल नहीं करते हैं. जवानी में औपोज़िट सेक्स के प्रति आकर्षण होना एक स्वाभाविक क्रिया है. लोग यह मानने को तैयार ही नहीं होते कि स्कूल-कौलेज में आपका कोई प्रेमी या प्रेमिका नहीं रहा होगा. यह आम चलन है. इसलिए पति से यह बताना कि हां, आपका प्रेमी था, कोई गजब ढाने वाली बात नहीं होगी. हां, अगर आप अपने प्रेमी के बेहद करीब थीं, और उससे आपके शारीरिक सम्बन्ध थे, या आप उससे कभी प्रेगनेंट हुईं या आपका अबॉर्शन हुआ, तो जरूरी नहीं कि आप अपने पति को यह सारी बातें बताएं, क्योंकि यह कन्फेशन आपके रिश्ते में कड़वाहट भर देगा. इसलिए भावुकता में बह कर अतीत को पति के सामने खोल कर रख देना कोई समझदारी नहीं होगी. कोई भी पुरुष भले खुद को बेहद आधुनिक या खुले विचारों का बताये मगर यह बात कतई बर्दाश्त नहीं कर सकता कि उसकी पत्नी पहले किसी के साथ सो चुकी है.

शादी दूसरे शहर में करें

बौयफ्रैंड से ब्रेकअप के बाद जब आप नये रिश्ते में नया जीवन शुरू करें तो कोशिश करें कि किसी नये शहर में करें. अपने शहर में वही जगहें, वही पिक्चर हॉल, वही बाजार, वही पार्क जहां आप अपने बौयफ्रैंड की बाहों में बाहें डाले घूमा करती थीं. जहां आपने अपने जीवन के सबसे सुखद पल बिताये थे. ऐसे में पुरानी यादें हर वक्त आपके दिल पर तारी रहेंगी और आपको अपने नये जीवनसाथी के रंग में कभी रंगने नहीं देंगी. जब आप पति के साथ उन्हीं जगहों पर होंगी, तो मन ही मन पति की तुलना अपने बौयफ्रैंड से भी करती रहेंगी. बौयफ्रैंड की हर हरकत आपको याद आएगी. दिल में टीस उठेगी और आप अपने पति के साथ अपना वैवाहिक जीवन कभी एन्जॉय नहीं कर पाएंगी. इसलिए कोशिश करें कि शादी के लिए किसी अन्य शहर में रहने वाले पुरुष को चुनें. यदि ऐसा सम्भव न हो और शादी अपने ही शहर के लड़के से हो जाए तो अन्य शहर में नौकरी करने के लिए उन्हें प्रेरित करें. पुरानी जगह छोड़ने पर पुरानी यादें भी पीछे छूट जाती हैं और आने वाला वक्त हर घाव भर देता है.

पति की तुलना बौयफ्रैंड से न करें

हर शख्स की अपनी पर्सनेलिटी, आदतें, चाहतें और काम करने के तरीके होते हैं. हमारी दोस्ती किसी व्यक्ति से तब होती है, जब उसकी बातें, आदतें, पसन्द-नापसन्द हमसे मिलती-जुलती होती है. आपके बौयफ्रैंड की बहुत सी बातें शायद आपसे मिलती होंगी, तभी आपकी दोस्ती हुई और हो सकता है जिस व्यक्ति से आपकी शादी हुई है, उसकी आदतें आपसे कतई न मिलती हों. उस हालत में आपको अपने बौयफ्रैंड का ख्याल आ सकता है. सुमन को गाने का शौक था. उसका बौयफ्रैंड भी गाता था. इस हॉबी के चलते ही दोनों एक दूसरे के करीब आये थे. मगर किसी कारणवश दोनों शादी नहीं कर पाये. सुमन की शादी एक चार्टर्ड अकाउंटेंट से हुई है, जो गीत-संगीत में जरा भी रुचि नहीं रखता. ऐसे में सुमन को हर वक्त अपने बौयफ्रैंड की याद आती है और वह अक्सर अपने रूखे पति की तुलना उससे करती है. यही वजह है कि उसका वैवाहिक जीवन सुखी नहीं है.

वह हर वक्त अनमनी सी रहती है. हालांकि उसके पति में और कई खूबियां हैं, मगर सुमन ने उन खूबियों की ओर अब तक नजर नहीं डाली है. याद रखें कि आपने जिस व्यक्ति से शादी की है वह आपके एक्स से बहुत बेहतर है, क्योंकि उसने आपको स्थायित्व दिया है, आपको आर्थिक सुरक्षा दी है, समाज के सामने आपको अपना बनाया है, आप पर विश्वास किया है और अपना घर आपके हवाले किया है. क्या आपका बौयफ्रैंड आपको कभी इतना सब दे सकता था? शायद नहीं. तो इसलिए कभी भी अपने पति की तुलना उस व्यक्ति से न करें जो बेहद कमजोर था, जिसके अन्दर आपको अपनाने की ताकत नहीं थी, जिसने आपको प्रेम में धोखा दिया, आपके भोले मन को छला और आपको पीड़ा पहुंचायी.

क्या बहू-बेटी नहीं बन सकती

लेखक- डा. अर्जनिबी युसुफ शेख

कमरे से धड़ाम से प्लेट फेंकने की आवाज आई. बैठकरूम में टीवी देख रहे भाईबहनों के बीच से उठ कर आसिम आवाज की दिशा में कमरे में चला गया. आसिम के कमरे में जाते ही उस की बीवी रजिया ने फटाक से दरवाजा बंद कर दिया. यह आसिम की शादी का दूसरा ही दिन था.

आसिम की बीवी रजिया देखने में बड़ी खूबसूरत थी. उस की खूबसूरती और बातों पर फिदा हो कर ही आसिम ने उस से शादी के लिए हां भर दी थी. वैसे वह आसिम की भाभी की बहन की बेटी थी. बड़ी धूमधाम से दोनों की शादी हुई. घर में नई भाभी के आ जाने से आसिम के भाई और आसिम के मामू के बच्चे यानी मुमेरे भाईबहन भी बहुत खुश थे.

आसिम के घर में सगे और ममेरे भाईबहनों के बीच कोई भेद नहीं था. एक बाड़े में भाईबहन के अलगअलग घर थे परंतु साथ ऐसे रहते थे जैसे सब एक ही घर में रहते हों.

सब साथ खाना खाते, साथ खेलते, साथ मेले में जाते थे. फूप्पी भाई के बच्चों को भी अपने बच्चों की तरह संभाला करती और भाभी भी ननद के बच्चों को अपने बच्चों जैसा ही प्यार करती. वास्तव में बच्चों ने भेदभाव देखा ही नहीं था. इसलिए उन्हें यह कभी एहसास हुआ ही नहीं

कि वे सगे भाईबहन नहीं बल्कि मामूफूप्पी के बच्चे हैं.

अगले दिन शाम के समय जब फिर सब भाईबहन टीवी देखने बैठे तो आसिम कमरे में ही रहा. वह सब के बीच टीवी देखने नहीं आया. इस के अगले दिन फिर सब एकत्रित अपनी पसंद का सीरियल देखने साथ बैठे ही थे कि आसिम की बीवी दनदनाती आई और रिमोट से अपनी पसंद की मूवी लगा कर देखने बैठ गई.

आसिम की अम्मीं ने जब यह देखा तो वे बहू से कहने लगीं, ‘‘बेटा, सब जो सीरियल देख रहे हैं वही तू भी थोड़ी देर देख ले. सीरियल देखने के बाद चले जाते हैं बच्चे.’’

बातबात पर लड़ाई

दरअसल, आसिम के मामू के यहां टीवी नहीं था और न ही उन्हें अलग से टीवी लेने की जरूरत महसूस हुई कभी. एक टीवी के ही बहाने अपना पसंदीदा सीरियल या कोई खास मूवी देखने सब एक समय बैठक में नजर आते थे. अगले दिन फिर जब सब उसी वक्त टीवी देखने बैठे तो आसिम की बीवी रजिया ने आ कर टीवी बंद कर दिया. सब चुपचाप बाहर निकल गए. धीरेधीरे सब की समझ में आ गया कि रजिया भाभी को सब का बैठना अखरता है.

दोपहर के समय पार्टी मामू के यहां जमती थी. रजिया को आसिम का मामू के यहां बैठना भी अखरता. वह बुलाने चली जाती. आसिम उठ कर नहीं आता तो उस की बड़बड़ शुरू हो जाती. सुबह देर तक सोना, उठ कर सास द्वारा बना कर रखा हुआ खाना खाना और कमरे में चले जाना. न 2 देवरों की उसे कोई फिक्र थी न सासससुर से कुछ लेनेदेने की परवाह.

कुछ समय बाद छोटे भाई की शादी हुई. नई बहू ने धीरेधीरे घर को संभाल लिया. हर काम में सब की जबान पर छोटी बहू अमरीन का ही नाम रहता. अमरीन के साथ घर के सदस्यों का हंसनाबोलना रजिया को अखरने लगा. वह बातबात पर अमरीन से झगड़ने लगती.

सास को लगा समय के साथ या औलाद होने पर रजिया सुधर जाएगी. वह 3 साल में 2 बेटियों की मां बन गई, लेकिन उस के व्यवहार में कोई उचित परिवर्तन नहीं हुआ. किसी न किसी बात से रोज किसी न किसी से लड़ना, इस की बात उस से कहना और तिल का पहाड़ बना देना उस की आदत बन चुकी थी. झगड़ा भी खुद करती और अपनी मां को घंटों फोन पर जोरजोर से सुनाने बैठ जाती. पूरा घर उस की बातबात पर लड़ाई से परेशान हो चुका था.

अच्छी है समझदारी

अयाज एक पढ़ालिखा लड़का है. औनलाइन वर्क में वह थोड़ाबहुत कमा लेता है. घर में 2 भाभियां हैं. दोनों के 3-3 बच्चे हैं. छोटी बहू का छोटा बच्चा बहुत छोटा है, इसलिए वह सासससुर को चायनाश्ता जल्दी दे नहीं पाती. बड़ी बहू अपने 3 बच्चों के साथ सासससुर और देवर का भी ध्यान करती है. वालिदैन ने चाहा अब छोटे की शादी करवा देनी चाहिए ताकि बड़ी बहू के काम में कुछ आसानी हो जाए. काफी लड़कियां अयाज को दिखाई गईं. लेकिन उसे एक भी पसंद नहीं आई.

2 महीने बाद एक दोस्त ने फिर एक लड़की दिखाई. वह गांव में बेहद गरीब परिवार से थी. अयाज को वह पसंद आ गई. अयाज ने लड़की को एक मोबाइल दिला दिया. दोनों घंटों बातें करते. रिश्ता पक्का हुआ ही था कि कोरोना के चलते लौकडाउन लग गया. अयाज जल्दी शादी के लिए उत्सुक था. लौकडाउन में जरा सी ढील मिलते ही अयाज के साथ मां और दोनों भाई गए और दुलहन को निकाह पढ़ा कर ले आए. दुलहन के वालिदैन गरीब थे, इसलिए कुछ भी साथ न दे सके. रस्मों और विदाई का छोटा सा खर्च भी अयाज को ही करना पड़ा.

अयाज के वालिदैन यह सोच कर खुश थे कि अयाज की बीवी रेशमा गरीब घर से होने के कारण यहां खातेपीते घर में खुश रहेगी. वैसे भी घर में है ही कौन? 2 बड़ी बहुएं, वे भी अलगअलग. तीनों बेटियां अपनेअपने घर. इस छोटी बहू से उम्मीद थी कि उस के आने से काम में थोड़ी आसानी हो जाएगी.

अयाज का निकाह होना था कि वह जैसे सब को भूल गया. दूसरे दिन से अयाज के कमरे का दरवाजा अकसर लगा रहने लगा. अयाज आवाज देने पर बाहर आता. भाभी का बनाया हुआ खाना कमरे में ले जाता और दोनों बड़ी बैठ कर खाना खाते.

बात का बतंगड़

15 दिन बीत चुके थे. अयाज ने भाभी से कह दिया कि उन दोनों का खाना न बनाए. वह दोनों के लिए बाहर से खाना ले आता और सीधा  कमरे में चला जाता. वालिदैन बड़ी बहू के भरोसे बैठे रहते, लेकिन अयाज पूछता तक नहीं.

शायद अयाज की बीवी रेशमा को डर था  कि वह सब से छोटी बहू होने के कारण सासससुर की जिम्मेदारी उसी पर न पड़ जाए. वह कमरे के बाहर भी नहीं निकलती. एक बार सास ने जरा सा कह दिया कि ऐसे तौरतरीके नहीं होते. खानदानी बेटियां ससुराल में अपने मांबाप का नाम रोशन करती हैं. यह सुनना था कि रेशमा ने बड़बड़ शुरू कर दी. अयाज के सामने सास की मुंहजोरी करने लगी.

अयाज ने उसे चुप करने की कोशिश की, लेकिन रेशमा को यह बुरा लग रहा था कि अपनी मां को कुछ कहने की जगह अयाज उसे चुप बैठने का बोल रहा है.

सास चुप हो गई थी, लेकिन रेशमा और अयाज में ठन गई. अयाज ने गाली देते हुए रेशमा को चुप होने के लिए कहा. लेकिन रेशमा ने उसी गाली को दोहराते हुए कह दिया, ‘‘होंगे तुम्हारे मांबाप.’’

गाली को प्रत्युत्तर में सुनते ही अयाज ने रेशमा को तमाचा जड़ दिया. थप्पड़ बैठते ही रेशमा गुस्से से लालपीली हो गई. उस ने तपाक से दरवाजा बंद किया और फल काटने के लिए रखा चाकू उठा कर खुद के हाथ की नस काटने की कोशिश करने लगी. अयाज चाकू छीनने लगा.

रेशमा गुस्से में बड़बड़ा रही थी, ‘‘अब एक को भी नहीं छोड़ूंगी. सब जाएंगे जेल.’’ बाहर भाभियां, दोनों भाइयों, सासससुर को कुछ सूझ नहीं रहा था कि क्या करें. अंदर से छीनाझपटी की आवाजें उन्हें परेशान कर रही थीं. छोटे बच्चे रोने लगे. दोनों भाइयों ने दरवाजा तोड़ दिया.

अयाज ने रेशमा के हाथ से चाकू छीन लिया, लेकिन इस छीनाझपटी में हलका सा चाकू उस के हाथ पर लग गया था जिस से खून निकल रहा था. सब ने राहत की सांस ली कि शुक्र है उस के हाथ की नस नहीं कटी. शादी के 20 ही दिन में इस हादसे से पूरा परिवार सहम और डर गया था. ऐसा झगड़ा उन्होंने अपने जीवन में कभी नहीं देखा था.

मन में डर

समीर बड़ी मेहनत व मशक्कत से अपने परिवार को संभाल रहा था. दोनों बड़े भाई उसी के पास काम करते थे. वालिदैन, 3 भाई, 2 बड़ी भाभियां, उन के 4 बच्चे और 4 बहनों से परिपूर्ण परिवार में गरीबी थी पर सुकून था. अब तक 3 बहनों की शादी वे कर चुके थे. बड़ी बहन घर की जिम्मेदारी निभा रही थी, इसलिए उसे पहले अपनी छोटी बहनों की शादी करनी पड़ी. समीर हर एक काम बहन से सलाह ले कर करता. दिनबदिन तरक्की करते हुए वह अब ग्रिल वैल्डिंग ऐंड फिटिंग का बड़ा कौंट्रैक्टर बन गया.

रोज रात में सोने से पहले वह आंगन में जा कर किसी से बात करता है यह सब जानते थे. धीरेधीरे पता चला कि समीर किसी काम के सिलसिले में नहीं बल्कि किसी लड़की से बात करता है. समीर समझदार है वह किसी में यों ही नहीं फंसेगा, यह सोच कर किसी ने समीर से कुछ नहीं पूछा.

3 साल बीत गए. समीर के वालिद समीर की शादी के पीछे पड़ गए. समीर ने यह बात लड़की को बता दी. अब उस के फोन घर के नंबर पर भी आने लगे. वह दूर प्रांत से थी. घर के लोग चाहते थे समीर यहीं कि किसी अच्छी लड़की से शादी कर ले. समीर निर्णय नहीं ले पा रहा था. उसे डर था कि उस लड़की को वह करीब से जानता नहीं.

अगर उस की बात मान कर उस से शादी कर ले और बाद में वह इस से खुश न रहे तो? यह एक सवाल था जो समीर के मन को सशंकित किए हुए था और उसे उस लड़की से शादी करने से रोक रहा था. घर के लोग लड़की देख रहे थे और समीर हर किसी में कमी बताते हुए रिजैक्ट करता जा रहा था.

समीर की बड़ी बहन समीर के दिलोदिमाग को जानती थी. वह जानती थी कि किसी अन्य लड़की से शादी कर के समीर खुश नहीं रह पाएगा. 3 साल तक जिस से सुखदुख की हर बात शेयर करता रहा, उसे भुला देना आसान नहीं होगा समीर के लिए. उस ने फरहीन नामक उस लड़की से बात की और उसे साफतौर से कह दिया कि हमारे यहां और तुम्हारे यहां के माहौल में बहुत अंतर है. हमारे यहां लड़की जल्दी घर से बाहर नहीं निकलती. एक खुले माहौल में रहने के बाद बंद वातावरण में रहना तुम्हारे लिए मुश्किल होगा.

मगर फरहीन रोरो कर गिड़गिड़ाती रही, ‘‘बाजी मैं सब एडजस्ट कर लूंगी. किसी को शिकायत का मौका नहीं दूंगी.’’

तब समीर की बहन ने उस से कह दिया, ‘‘मैं कोशिश करती हूं घर के लोगों को समझने की, लेकिन वादा नहीं करती.’’

2 दिन बाद समीर की बहन ने समीर को समझने की कोशिश की और कहा उसी लड़की से शादी करनी होगी तुझे, जिसे तू ने अब तक आस में रखा. घर के सभी सदस्यों को राजी कर समीर के घर से 4 बड़े लोगों ने जा कर शादी की तारीख तय की.

हां और न की मनोस्थिति में समीर ने शादी कर ली. फरहीन दुलहन बन घर आ गई. लेकिन समीर फिर भी खुश नहीं था. फरहीन ज्यादा खूबसूरत नहीं थी और वह जानता था इस से भी अच्छी लड़की उसे आसानी से मिल सकती थी. किंतु यह भी तय था कि अगर फरहीन किए वादे निभाती है तो वह अपने दिमाग से यह सोच निकाल देगा.

समीर बाहर से आ कर थोड़ी देर बहन के पास बैठता था. यह उस की हमेशा की आदत थी. फरहीन को यह अखरने लगा. घर में किसी से भी जरा सी बात कर लेने पर उस का मुंह फूल जाता. बड़ी भाभी काम करती और वह आराम फरमाती. उसे सब में कमियां दिखाई देतीं और किसी न किसी की बात को पकड़ कर बड़बड़ाती रहती. जरा सी बात का बतंगड़ बना देती और इतनी जोरजोर से बोलती कि घर की खिड़कियां और दरवाजे बंद करने पड़ते.

अपने ही घर में पराए

घर के लोग अपने ही घर में पराए हो गए. उन्हें आपस की बात भी उस से छिप कर करनी पड़ती. इन हालात से तंग आ समीर ने तय कर लिया कि उसे मायके भेज कर फिर वापस नहीं लाना. लेकिन फरहीन के मायके जाने से पहले मालूम हुआ कि वह प्रैगनैंट है. समीर इस गुड न्यूज से खुश नहीं हुआ बल्कि उसे लगा कि वह फंस चुका है. ससुराल के लोगों को समीर से दूर रखने की कोशिश में फरहीन समीर के दिल से दूर होती जा रही थी.

वह नाममात्र के लिए ससुराल में थी दिलदिमाग उस का मायके में ही रहता. वह अपने भाईभाभियों को वालिदैन की ओर ध्यान देने की हिदायत करती. उन की समस्याएं सुनती, उन्हें समझती. अकसर वहां की खुशी और दुख उस के चेहरे से साफ समझे जा सकते थे.

समय के साथ फरहीन मां बन गई. लेकिन उस की आदतें नहीं बदलीं. बच्चे की जिंदगी बरबाद न हो यह सोच कर उसे सहना समीर

की जिंदगी का हिस्सा बन गया. वह ये सब अकेले सह भी लेता, किंतु खुद की बीवी द्वारा अपने घर के लोगों का चैनसुकून बरबाद होते देखना उस की मजबूरी बन चुकी थी. फरहीन

को एक शब्द कहना मतलब बड़े तमाशे के लिए तैयार होना था.

सवाल अहम है

सवाल यह है कि बेटी को क्या यही सीख मायके से मिलती है? ससुराल में आते ही घर की एकता को तोड़ने की कोशिश से क्या वह बहू अपना दर्जा और सम्मान पा सकती है? शौहर पर सिर्फ और सिर्फ मेरा अधिकार है यह समझना यानी शादी कर के क्या वह बहू शौहर को खरीद लेती है? क्या एक बेटी अपनी ससुराल में किए गए गलत व्यवहार से अपने पूरे गांव, गांव की सभी बेटियों को बदनाम नहीं करती?

जो बेटी ससुराल में रहते हुए अपने भाईभाभियों को वालिदैन का खयाल रखने की ताकीद करती है वह खुद अपने कर्मों की ओर ध्यान क्यों नहीं देती? एक बेटी जिस तरह निस्स्वार्थ रुप से परिवार के प्रत्येक सदस्य का सुखदुख समझ लेती है, घर को एकजुट और आनंदित रखने का प्रयास करती है तो क्या बेटी बहू बन ससुराल के घर में बेटी सा वातावरण

नहीं रख सकती? ससुराल में पदार्पण करते ही बेटी स्वार्थी बन अपना कर्तव्य, अपनी सार्थकता क्यों भूल जाती है? क्या बहू बेटी नहीं बन सकती?

13-14 साल की उम्र में प्यार, क्या करें पेरैंट्स

कहते हैं प्यार किसी को किसी भी उम्र में हो सकता है. दिल ही तो है, कब किस पर आ जाए. किस्सेकहानियां कितनी पढ़ी हैं कि फलां को फलां से प्यार हो गया और इस के बाद ये हुआ, वो हुआ वगैरहवगैरह.

प्यार चीज ही ऐसी है. इंसान क्या, जानवर तक प्यार को पहचान जाते हैं. प्यार की अनुभूति से 60 साल का बूढ़ा दिल किशोरों के समान कुलांचें मारने लगता है. ऐसे में आप क्या कहेंगे यदि यही प्यार किशोरावस्था की पहली सीढ़ी पर कदम रखने वाले 14-15 साल के लड़केलड़की के बीच हो जाए तो?

तौबातौबा, उस लड़केलड़की के घर में तूफान आ जाता है जब उन के प्यार की भनक घर वालों को लग जाती है. बहुत ही कम सुनने में आता है कि 13-14 साल का प्यार परवान चढ़ता हुआ जवानी तक पहुंच गया हो और विवाह बंधन के सूत्र में उन के प्यार को घर व समाज वालों की स्वीकृति मिल जाए. क्या सोचा है कभी आप ने कि क्यों टीनएज लव सफल नहीं हो पाता. स्कूल के दिनों में हुआ यह प्यार किताबों के पन्नों में सिमट कर रह जाता है. परिपक्व प्यार या रिलेशनशिप में आने वाले विवादों को कपल्स सुल झाने की कोशिश करते हैं लेकिन अगर टीनएज में ऐसा कुछ होता है तो कपल्स एकदूसरे से किनारा करने के तरीके ढूंढ़ने शुरू कर देते हैं. ज्यादातर टीनएज लव असफल हो जाता है.

यह सही है कि शुरुआत में टीनएज लव चरम पर होता है. न जमाने की परवा, न समाज की बंदिशों का डर. शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो इस से बच पाया हो. हर इंसान के अपने स्कूलटाइम में कोई न कोई क्रश रहा होगा. जिन में हिम्मत होती है वे अपने क्रश को प्यार में बदल लेते हैं और कुछ अपनी हसरत दिल में दबाए बैठे रहते हैं.

टीनएज लव एक सामान्य व स्वाभाविक प्रक्रिया है. हार्मोनल चेंजेस के कारण बच्चे में शारीरिक व मानसिक दोनों तरह के बदलाव आते हैं. जननांग विकसित होने के कारण सैक्स के प्रति इच्छाओं का बढ़ना स्वाभाविक हो जाता है. यह वह अवस्था होती है जब न वह बच्चा रह जाता है और न वयस्क. विपरीत सैक्स के प्रति आकर्षण होने लगता है और यह आकर्षण किसी भी किसी के प्रति हो सकता है. अपनी हमउम्र के साथ या अधिक उम्रवाले के साथ भी.

साल 2002 में एक फिल्म आई थी- ‘एक छोटी सी लव स्टोरी’. इस में इस विषय को बारीकी से दिखाने की कोशिश की गई थी. एक 15 साल का लड़का कैसे अपने सामने वाले दूसरे फ्लैट में रहने वाली बड़ी उम्र की औरत के प्रति आकर्षित हो जाता है. वह रातदिन दूरबीन लगाए उस की हर गतिविधि देखता है. जब उस औरत का प्रेमी उस के घर आता है और जब वह प्रेमी और वह औरत सैक्स करते हैं,  तो उसे वह भी देखता है और गुस्सा भी आता है आखिरकार वह हिम्मत कर के उस महिला को बता देता है कि वह उस से प्यार करता है.

वह महिला उस लड़के को सम झाने की कोशिश करती है कि वह उस के लिए ठीक लड़की नहीं है. लेकिन वह कहता है कि उसे कोई फर्क नहीं पड़ता, वह तो उसे सिर्फ प्यार करता है.

आखिर में वह महिला उसे साफसाफ सम झाने की कोशिश करती है कि यह सिर्फ एक आकर्षण है अपोजिट सैक्स के प्रति. प्यारव्यार नहीं. सिर्फ 2 मिनट प्लेजर होता है. वह महिला अपने हाथों से उस का मास्टरबेशन कर के उसे भ्रम से निकाल कर वास्तविकता से रूबरू कराने की कोशिश करती है.

फिल्म में लड़के को भावुक दिखाया गया है और दिखाया गया है कि 15 साल की उम्र में दिमाग परिपक्व नहीं होता. बहुत बातें उस की सम झ से परे होती हैं. महिला द्वारा ऐसा करने पर वह बुरी तरह से हर्ट होता है और अपने हाथ की नस काट लेता है.

यह फिल्म थी, लेकिन हकीकत में भी ऐसा होता है. यह उम्र ही ऐसी होती है कि दिमाग में एक जनून सा छा जाता है प्यार को ले कर. सम झाने पर भी बात सम झ नहीं आती. दिमाग में प्यार का नशा छा जाता है. इस उम्र वालों के लिए यह एक मुश्किलभरा समय होता है जब वे न खुद को सम झ पाते हैं न यह जान पाते हैं कि आखिर उन की चाहत क्या है और वे चाहते क्या हैं? किस मंजिल तक जाना चाहते हैं?

स्टैप्स सिंबल बन रहा है बौयफ्रैंड-गर्लफ्रैंड बनाना

आज की आधुनिक जीवनशैली व बदलते लाइफस्टाल ने इस बात को और अधिक बढ़ावा दिया है. बीबीपीएम स्कूल में 7वीं क्लास की नम्रता ने बताया, ‘‘मेरी ज्यादातर सभी फ्रैंड्स के बौयफ्रैंड या गर्लफ्रैंड हैं. सभी आपस में उन की बातें करते हैं. ऐसे में मेरा कोई बौयफ्रैंड न होना कई बार मु झे एम्बैरस फील कराता था. इसलिए मैं ने भी बौयफ्रैंड बना लिया. अब मैं भी बड़ी शान से कहीं घूमनेफिरने और फ्रैंड्स की पार्टियों में अपने बौयफ्रैंड के साथ जाती हूं.’’

इस में कोई अचरज की बात नहीं. आज गर्लफ्रैंड या बौयफ्रैंड स्टेटस सिंबल हो गया है और जो इस से परे है वह दकियानूसी सम झा जाता है. लड़कियां सोचती हैं मु झ में कोई आकर्षण नहीं, इस कारण लड़के मेरी तरफ नहीं देख रहे.

वजह क्या हैं

– घरवालों का बच्चों को पर्याप्त समय न देना. अकसर मातापिता दोनों वर्किंग होते हैं और न्यूक्लिर फैमिली होने के कारण घर में बच्चा अकेला रहता है. बच्चे में अतृप्त जिज्ञासाएं उभर आती हैं.

बच्चे उन जिज्ञासाओं का जवाब चाहते हैं लेकिन मातापिता के पास न वक्त होता है और न जवाब और न ही उन में धैर्य होता है कि वे बच्चे की बात सुनें.

– बदलती जीवनशैली ने बच्चों को तनावग्रस्त बना दिया है. ऐसे में अपनेआप को तनावमुक्त करने के लिए वे अपनेपन का सहारा ढूंढ़ने लगते हैं.

– इस उम्र में जोश और उत्साह बहुत अधिक होता है, ऊपर से खानपान की बिगड़ती आदत और अधिक ऊर्जा उन में सैक्स इच्छा को बढ़ा देती है.

टीनएज लव कोई असामान्य बात नहीं. स्वाभाविक क्रिया है और एकाध को छोड़ कर सभी लोग इस दौर से गुजरते हैं. टीनएज लव बुरी बात नहीं लेकिन भटकना जरूर चिंतनीय विषय है.

मातापिता हैंडल कैसे करें

– मातापिता ही हैं जो अपने बच्चों को अच्छी परवरिश, अच्छे संस्कार दे सकते हैं. बच्चों के प्रति लापरवाह न रहें, बल्कि बच्चों के जीवन में क्या चल रहा है, उस से वे अवगत रहें.

– बच्चों के आगे सिर्फ ज्ञान न  झाड़ें. जरूरत होती है उन्हें सम झने और सम झाने की. ज्ञान की बातें तो वे किताबों से भी सीख लेंगे, इसलिए उन्हें सम झाने के लिए उपदेशात्मक रवैया न अपनाएं.

– मातापिता यह न भूलें कि वे भी इसी उम्र से गुजरे थे. ऐसे में उन्हें आप से ज्यादा भला कौन सम झेगा.

– उन के प्यार करने पर सजा देने के बजाय उन्हें माफ करना सीखें. उन्हें सम झाएं.

– मातापिता अपनी व्यस्तता के कारण बच्चों की हरकतों को नजरअंदाज न करें. उन के मूड, स्वभाव, इच्छाओं व अनिच्छाओं को जानें.

– बच्चे के प्रति आप का विश्वास ही उन्हें गलत रास्ते पर जाने से बचाएगा.

– परवरिश और संस्कार ही बच्चों के चरित्र का निर्माण करते हैं. उन्हें नैतिक मूल्यों से अवगत कराएं.

– कई बार भावुकता में टीनएजर्स परिणाम की फ्रिक किए बगैर तुरंत निर्णय ले कर कौन सा कदम कब उठा ले, कुछ कह नहीं सकते. कभीकभी बच्चे प्यार में धोखा खाना या दिल टूट जाना सहन नहीं कर पाते और वे मानसिक रूप से टूट जाते हैं. ऐसे में वे आत्महत्या या मानसिक संतुलन खो बैठें, उस से पहले उन्हें संभाल लें. इस के लिए उन की हर हरकत पर नजर रखना जरूरी है.

– बच्चा यदि गलत राह पर चलने लगा है तो उसे प्यार से सम झाया जा सकता है कि यह समय उस के लिए कितना जरूरी है. यदि यह समय गंवा दिया या कैरियर में रुकावट आ जाए तो वह अपने सब साथियों से पीछे रह जाएगा और जिंदगी में कुछ नहीं बन पाएगा. बच्चे पर आप की बातों का प्रभाव अवश्य पड़ेगा. बस, उस के साथ बने रहिए और एहसास दिलाते रहें कि आप उस के साथ हमेशा खड़े हैं. वे उन से अपनी कोई बात न छिपाएं.

– जब पता चल जाए कि आप के बच्चे को किसी से प्यार हो गया है तो उसे सम झाएं कि यह कच्ची उम्र का प्यार है. महज आकर्षण है जो शायद वक्त के साथ खत्म हो जाए.

– इस उम्र में बच्चे काफी संवेदनशील और भावुक होते हैं, इसलिए उन की भावनाओं को सम झना बहुत जरूरी है. प्यार में दिल टूटने पर उन का तिरस्कार न करें. उन्हें दोस्त की तरह सम झाएं. उन के गम को अपना गम सम झ कर उन्हें गले से लगा लें.

– बच्चे के गर्लफ्रैंड या बौयफ्रैंड के बारे में पूरी जानकारी हासिल करें और घर पर बुला कर उन से बातचीत का रवैया अपनाएं, जिस में आप के बच्चे को आप से कुछ छिपाने की आवश्यकता न पड़े और वह अपनी हर बात शेयर करे.

आखिर में यही कहना चाहेंगे कि मातापिता की थोड़ी सी कोशिश बच्चों को सही राह दिखा सकती है. यह बच्चों की नाजुक उम्र का मोड़ है. ऐसे में जरूरत है कि मातापिता उन पर ध्यान दें, उन का मार्गदर्शन करें और उन्हें सम झें.

मुझे एक युवती से प्यार हो गया है, लेकिन मेरी फैमिली पुराने खयालों की है?

सवाल-

मुझे एक युवती से प्यार हो गया है. वह भी मुझ से प्यार करती है पर वह बहुत बोल्ड है. हमारी फैमिली पुराने खयालों की है. मैं चाहता हूं कि वह शादी के बाद मेरे परिवार के अनुसार चले. क्या करें?

जवाब

आप की प्रेमिका बोल्ड है यह तो अच्छी बात है, लेकिन आप भौंदुओं वाली बात क्यों करते हैं. अपनी आजादी हरेक को प्यारी होती है क्या आप को नहीं? फिर पुराने खयालों में ही जीते रहने का क्या फायदा, रही बात संस्कार की तो बोल्ड होने का मतलब संस्कारहीन होना नहीं.

आजकल युवतियां समय अनुसार चलने, आगे बढ़ने पर जोर देती हैं, जो अच्छी बात है फिर आप तो उस से प्यार करते हैं. उस के लिए खुद को बदलिए, पेरैंट्स को पुराने खयालों से नए विचारों की ओर मोडि़ए. वह युवती आप के घर आ कर आप की व आप के परिवार की तरक्की की राह ही खोलेगी, हां, उस की रिस्पैक्ट जरूर कीजिए, क्योंकि वह जमाने के अनुसार ताल से ताल मिला कर चलने वाली है, तो तरक्की के रास्ते खोलेगी.

जब प्रेमिका हो बलात्कार की शिकार

फिल्म ‘काबिल’ में सुप्रिया यानी गौतम जब बलात्कार का शिकार होती है तब रोहन यानी रितिक रोशन फटाफट उसे पुलिस स्टेशन व जांच के लिए हौस्पिटल ले जाता है ताकि सुप्रिया के गुनहगारों को सजा मिल सके. लेकिन पुलिस के अजीबोगरीब सवालों से वह इतना परेशान हो जाता है कि सुप्रिया की शारीरिक व मानसिक स्थिति पर ध्यान नहीं दे पाता. वह सुप्रिया को संभालने के बजाय उस से बात ही नहीं करता. वह यह सोचसोच कर खुद को दोषी मानने लगता है कि वह इस काबिल भी नहीं है कि सुप्रिया की रक्षा कर पाए? रोहन को इस तरह शांत देख कर सुप्रिया को लगने लगता है कि रेप की घटना की वजह से रोहन उस के साथ ऐसा व्यवहार कर रहा है जिस का परिणाम यह होता है कि सुप्रिया रोहन मेरे कारण और परेशान न हो इसीलिए वह आत्महत्या कर लेती है.

यह तो कहानी है फिल्म की, लेकिन वास्तविक जीवन में भी जब प्रेमिका बलात्कार की शिकार होती है तो रिश्ते में कई तरह के बदलाव आने लगते हैं. कुछ प्रेमी सोचते हैं काश, मैं ने उसे अकेला न छोड़ा होता, काश, मैं ने डिं्रक करने से मना किया होता, मैं उस के साथ होता तो ऐसा कभी नहीं होता और खुद को दोषी मानने लगते हैं.

कुछ प्रेमी प्रेमिका को इस का दोषी मान कर ब्रेकअप तक कर लेते हैं, जबकि यह समय ऐसा होता है जिस में पार्टनर को एकदूसरे के साथ की जरूरत होती है इस गम से बाहर निकालने में.

प्रेमिका बलात्कार की शिकार हो तो क्या करें

– मोरली सपोर्ट करें :  इस वक्त प्यार व सपोर्ट की खास जरूरत होती है, इस से लगता है कि कोई है जिस के साथ जिंदगी गुजारी जा सकती है, क्योंकि इस तरह की घटना के बाद लड़की को ऐसा लगने लगता है कि कोई उस के साथ नहीं रहेगा. अब वह किसी काबिल नहीं है और वह खुद को दोषी मानने लगती है. इसलिए जब भी आप की प्रेमिका ऐसा कुछ कहे तो कुछ सकारात्मक बातें कहें ताकि उस का मनोबल बढ़े. इस वक्त परिवार को भी काफी सपोर्ट की जरूरत होती है, उन का भी साथ दें. जब जांचपड़ताल के मामले में उन्हें कहीं जाना हो तो साथ जाएं ताकि उन का हौसला बरकरार रहे.

– हर गम की दवा प्यार :  गम कितना भी गहरा क्यों न हो, लेकिन प्यार से निभाया जाए तो कुछ भी मुश्किल नहीं होता, इसलिए प्यार से इस स्थिति से प्रेमिका को बाहर निकालें. ऐसा भी हो सकता है कि प्रेमिका के घर वाले उस का साथ न दें उसे भलाबुरा सुनाएं, लेकिन यह आप की जिम्मेदारी है कि आप उस के परिवार वालों को समझाएं कि इस में किसी का दोष नहीं है. उन की बेटी ने ऐसा कुछ भी नहीं किया कि आप उस के साथ ऐसा व्यवहार करें बल्कि आप अपनी बेटी का साथ दें, ताकि वह इस गम से बाहर निकल सके.

– स्मार्ट माइंड से लें स्मार्ट ऐक्शन : जब आप की प्रेमिका के साथ रेप हो रहा है तब आप हाथ पर हाथ रखे न बैठे रहें बल्कि स्मार्ट माइंड से स्मार्ट ऐक्शन लें. जैसे तुरंत पुलिस को कौल करें, फोन से पुलिस की गाड़ी का हौर्न बजाएं, वीडियो बना लें ताकि अपराधियों के खिलाफ सुबूत मिल सके.

– प्रीकौशन पिल्स दें : रेप हो गया है अब क्या करें, कितनी बदनामी होगी, ऐसी बातें ही न सोचते रहें बल्कि थोड़ा स्मार्ट बनें ताकि आप की प्रेमिका के साथ और बड़ा हादसा न हो. इसलिए प्रेमिका को प्रीकौशन पिल्स दें ताकि गर्भ न ठहरे, क्योंकि पता चला आप दोनों रेप के गम में डूबे रहें और कोई बड़ा हादसा हो जाए.

– दोषी को मीडिया से करें हाईलाइट :  खुद से हीरो बनने की कोशिश न करें बल्कि दोषी को हाईलाइट करने के लिए मीडिया का सहारा लें. अगर मीडिया मामले को उजागर करता है तो पुलिस भी तुरंत ऐक्शन लेती है. आप चाहें तो किसी एनजीओ की मदद भी ले सकते हैं. ऐसे कई एनजीओ हैं जो इस तरह के मामलों में सहायता करते हैं.

– गम से उभरने का वक्त दें :  ऐसी उम्मीद न कर बैठ जाएं कि कुछ दिन बाद वह नौर्मल हो जाएगी. अगर वह नौर्मल नहीं होती तो आप उसे डांटने न लगें कि क्या ड्रामा कर रखा है, इतने दिन से समझा रहा हूं, लेकिन तुम्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है, बल्कि उसे इस गम से उभरने का वक्त दें. बारबार न कहते रहें कि जो हुआ भूल जाओ, ऐसा कर के आप उसे और गम में धकेलते हैं.

– काउंसलिंग न करें मिस : इस दौरान मैंटल और इमोशनल कई तरह की समस्याएं होती हैं. इन्हें काउंसलिंग द्वारा कंट्रोल किया जा सकता है. काउंसलिंग से न केवल गम से उभरने में मदद मिलती है बल्कि जीने की एक नई राह भी मिलती है, इसलिए काउंसलिंग कभी मिस न करें. संभव हो तो आप भी साथ जाएं ताकि ऐसा न लगे कि आप जबरन भेज रहे हैं.

– दूसरों के लिए मिसाल बनें : ऐसा न करें कि दब्बू बन कर चुपचाप बैठ जाएं और प्रेमिका को भी भूल जाने को कहें बल्कि इस के खिलाफ कठोर कदम उठाएं ताकि आप को देख कर बाकी युवाओं को हिम्मत व प्रेरणा मिले.

क्या न करें

– रिश्ता तोड़ने की गलती न करें : आप की प्रेमिका का बलात्कार हुआ है, आप उस के साथ रहेंगे तो लोग आप के बारे में भी तरहतरह की बातें करेंगे, ऐसी बातें सोचसोच कर रिश्ता तोड़ने की गलती न करें. जरा सोचिए, अगर आप की बहन का बलात्कार हुआ होता, तो क्या आप अपनी बहन से रिश्ता तोड़ लेते नहीं न? तो फिर इस रिश्ते में ऐसा क्यों? इसलिए रिश्ता तोड़ने के बजाय अपनी सोच का दायरा बढ़ाएं और पार्टनर का साथ दें.

– प्रेमिका को दोषी न मानें : इस हादसे के लिए कभी भी अपनी प्रेमिका को दोष न दें कि रात में बाहर घूमने व छोटे कपड़े पहनने की वजह से ऐसा हुआ है बल्कि उस पर विश्वास करें, उस की बातें सुनें. हो सकता है आप की प्रेमिका उस वक्त कुछ अजीब तरह की बातें करे, लेकिन आप उन बातों पर गुस्सा करने के बजाय सुनें और प्यार से समझाएं कि इस में उस की कोई गलती नहीं है.

– मरजी के बिना न करें सैक्स : यह ठीक है कि आप अपना प्यार प्रदर्शित करने के लिए प्रेमिका के करीब जाना चाहते हैं ताकि उसे इस बात का एहसास करा सकें कि वह आप के लिए अब भी वैसी ही है जैसी पहले थी, लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि वह इस घटना से इतनी डिस्टर्ब हो कि आप की इस भावना को समझ ही न पाए और आप पर गुस्सा करने लगे, जोरजोर से चिल्लाने लगे कि आप उस का रेप कर रहे हैं. इसलिए कभी भी खुद से सैक्स का प्रयास न करें.

अगर प्रेमिका सहमति से संबंध बनाना चाहती है तो उस का साथ दें, मना न करें. आप के ऐसा करने से प्रेमिका को लग सकता है कि उस का रेप हुआ है. इसलिए आप मना कर रहे हैं.

कभी ऐसा भी हो सकता है कि वह खुद पहल कर संबंध बनाए, लेकिन बाद में सारा दोष आप पर डाल दे और चिल्लाने लगे. ऐसी स्थिति के लिए भी खुद को तैयार रखें. ऐसा न करें कि आप भी उलटा चिल्लाने लगें कि तुम ही आई थी संबंध बनाने, मैं तो नहीं चाहता था, बल्कि धैर्य से काम लें.

– गलत कदम न उठाएं और न उठाने दें : कई बार युवा जोशजोश में ऐसे कदम उठा लेते हैं जिस का खमियाजा बाद में भुगतना पड़ता है इसलिए न तो आप गलत कदम उठाएं और न ही प्रेमिका को उठाने दें.

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