शादी के बाद से ही पति मेरे साथ सैक्स संबंध को लेकर संतुष्ट नहीं रहते हैं? क्या करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मैं 23 साल की महिला हूं. मेरा डेढ़ साल का एक बच्चा है. शादी के बाद से ही पति मेरे साथ सैक्स संबंध को ले कर संतुष्ट नहीं रहते हैं. वे नियमित सैक्स करना चाहते हैं जबकि घर और बच्चे की देखभाल से मैं बेहद थक जाती हूं और रात में जल्द ही मुझे नींद आ जाती है. पति मु झे बहुत प्यार करते हैं, इसलिए मैं उन्हें नाराज भी नहीं देख सकती. कृपया बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

बच्चे पैदा होने के बाद सैक्स संबंध को ले कर महिलाएं आमतौर पर उदासीन हो जाती हैं, जबकि बच्चों की परवरिश के साथसाथ पति के साथ सैक्स संबंध दांपत्य जीवन को खुशहाल बनाता है.

इस में कोई दोराय नहीं कि एक गृहिणी घर और बच्चों की देखभाल में इतनी व्यस्त रहती है कि खुद के लिए भी समय नहीं निकाल पाती. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि आप घर के कामों को पति के साथ बांट लें.

घर की साफसफाई, कपड़े धोना आदि कार्य प्यार से पति से करा सकती हैं. इस से आप पर काम का बो झ ज्यादा नहीं पड़ेगा. इस से न केवल आप खुद के लिए वक्त निकाल पाएंगी, बल्कि पति के साथ भी ज्यादा समय बिताने को मिलेगा. फिर जैसाकि आप ने बताया कि आप का बच्चा अब डेढ़ साल का हो चुका है और अब आप शारीरिक रूप से फिट भी हो चुकी हैं, तो ऐसे में सैक्स संबंध का लुत्फ उठा सकती हैं.

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कोरोना काल में सेक्स सबसे बडी परेशानी का सबब बन गया है. बिना तैयारी के सेक्स से गर्भ ठहरने लगाहै. उम्रदराज लोगों के सामने ऐसी परेशानियां खडी हो गई है. स्कूल बंद होने से बच्चों के घर पर रहने से पति पत्नी को अपने लिये समय निकालना मुश्किल होने लगा. बाहर आना जाना बंद हो गया. कभी पति के पास समय है तो कभी पत्नी का मूड नहीं. कभी पत्नी का मूड बना तो पति को औनलाइन वर्क से समय नहीं. ऐसे में आपसी तनाव, झगडे और जल्दी सेक्स की आदत आम होने लगी है. जिस वजह से आपसी झगडे बढने लगे है. ऐसे में जरूरी है कि आपस में समय तय करके सेक्स करे. जिससे आपसी झगडे कम होगे तालमेल बढेगा.

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गर्लफ्रैंड मेरे दोस्त के बहुत क्लोज हो गई है, मैं क्या करूं ?

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सवाल

मैं एक युवती से बेहद प्यार करता हूं लेकिन अब वह मुझे घास नहीं डालती. दरअसल, पिछले महीने मैं ने उसे अपने एक दोस्त से मिलवाया था. हम तीनों उस दोस्त की गाड़ी से घूमने गए थे. उस के बाद से वह मुझ में कम रुचि लेती है और उस में ज्यादा. मुझे किसी से पता चला कि वह मेरे उसी दोस्त के साथ घूमतीफिरती भी है?

जवाब

आप जिस से प्यार करते हैं लगता है वह आप के बजाय पैसे से प्यार करती है, इसी कारण वह आप के गाड़ी वाले दोस्त से जल्दी इंप्रैस हो गई और उस से दोस्ती कर ली. पहले तो इस बात का पता कर लें कि क्या वाकई उन में दोस्ती हो गई है? अगर हां, तो उसे भूलने में ही भलाई है और अगर नहीं तो जानने की कोशिश करें कि अब वह आप से क्यों नहीं मिलती? अगर आप का साथ उसे प्यारा है तो आप से अवश्य मिलेगी. अगर पैसे का साथ प्यारा है तो आप तो क्या किसी भी अमीर को देख कर उस की ही हो जाएगी.

आप इसे दिल पर न लें बल्कि अपनी आर्थिक स्थिति सुधारें और आगे बढ़ें. आप भी गाड़ी लें. जब उसे यह पता लगेगा तो अवश्य आप के पास आएगी. तब आप भी उसे घास मत डालिएगा और एहसास करवा दीजिएगा कि प्यार और पैसे में बहुत अंतर है.

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मात्र 24 साल की छोेटी सी उम्र में वह 2 बड़े हादसे झेल चुकी थी. पहली घटना उस के साथ 20 वर्ष की उम्र में घटी थी. तब वह बीकौम कर रही थी. उम्र के इस पड़ाव में युवाओं का किसी के प्यार में पड़ना आम बात होती है. आधुनिक शिक्षा व पाश्चात्य सभ्यता के अंधानुकरण और समाज की बेडि़यों में ढीलापन होने के कारण युवा आपस में बहुत जल्दी घुलमिल जाते हैं. उन के  संबंध जितनी तीव्रता से परवान चढ़ते हैं, उतनी ही तेजी से टूटते भी हैं. कच्ची उम्र की सोच भी कच्ची होती है और इस उम्र में युवाओं के लिए सही निर्णय लेना लगभग असभंव होता है.

मिलिंद उस का पहला प्यार था. वह भी उसी के कालेज में पढ़ता था और एक साल सीनियर था. पढ़ाई के दौरान होने वाला प्यार मात्र मौजमस्ती के लिए होता है. यह सारे युवा जानते हैं. एकदूसरे को भरोसे में लेने के लिए वे बड़ेबड़े वादे करते हैं, लेकिन जब उन के बीच शारीरिक संबंध कायम हो जाते हैं, तो उस के बाद सारे वादे धरे के धरे रह जाते हैं. तब प्यार के बंधन ढीले पड़ने लगते हैं. फिर प्यार में कटुता पनपती है, दूरियां बढ़ती हैं और कई बार इस की परिणति बहुत दुखद होती है.

मिलिंद के साथ शारीरिक संबंध बनाने के बाद उसे पता चला कि वह एक बदमाश किस्म का युवक है. छोटीमोटी लूटपाट, मारपीट ही नहीं, वह युवतियों के साथ जोरजबरदस्ती भी करता था. जो युवती उस के झांसे में नहीं आती, उसे वह अपने मित्रों के माध्यम से अगवा कर उस की अस्मिता के साथ खिलवाड़ करता. कालेज में वह बहुत बदनाम था, लेकिन किसी युवती ने अभी तक उस पर कोईर् दोष नहीं मढ़ा था, इसीलिए उस की हिम्मत दिनोदिन बढ़ती जा रही थी.

शादीशुदा होने के बावजूद मैं किसी दूसरी लड़की के साथ रिलेशनशिप में हूं…

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सवाल

26 वर्षीय विवाहित युवक हूं. विवाह को 5 वर्ष हो चुके हैं. 3 वर्ष का बेटा और 8 महीने की बेटी है. मेरी पत्नी के घर वालों ने उस की शिक्षा को ले कर झूठ बोला था. हम से कहा गया था कि लड़की बीए पास है, जबकि वह सिर्फ 10वीं कक्षा पास है. वह न तो मुझे ठीक से प्यार करती है और न ही बच्चों की परवरिश ठीक से कर पाती है. जिस रिश्ते की बुनियाद ही झूठ पर रखी गई हो वह रिश्ता कितने दिन टिक सकता है? मैं पत्नी को नहीं चाहता. एक और लड़की है जो हर तरह से मेरे लिए उपयुक्त है. मैं उस से शादी करना चाहता हूं. बताएं कि यह कैसे संभव है?

जवाब

रिश्ता तय होने से पहले आप को लड़की के बारे में सारी तहकीकात करनी चाहिए थी पर आप ने ऐसा नहीं किया. अब शादी के 5 साल बीत जाने और 2 बच्चों का पिता बनने के बाद पत्नी की खामियां देख रहे हैं. आप मानते हैं कि आप की बीवी अपने बच्चों की सही परवरिश नहीं कर सकती. ऐसे में बच्चों के प्रति आप की जिम्मेदारी बढ़ गई है. मगर बजाय इस ओर ध्यान देने के आप किसी लड़की के प्रेम में पड़े हैं और उस से शादी के सपने देख रहे हैं. आप को समझना चाहिए कि एक पत्नी के होते हुए दूसरा विवाह गैरकानूनी होगा. अत: किसी मुगालते में न रहें. पत्नी से तालमेल बैठाने और घरपरिवार को संभालने का प्रयास करें.

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शादी के बाद धोखा देने के क्या होते हैं कारण

धोखा देना इंसान की फितरत है फिर चाहे वह धोखा छोटा हो या फिर बड़ा. अकसर इंसान प्यार में धोखा खाता है और प्यार में ही धोखा देता है. लेकिन आजकल शादी के बाद धोखा देने का एक ट्रेंड सा बन गया है. शादी के बाद लोग धोखा कई कारणों से देते हैं. कई बार ये धोखा जानबूझकर दिया जाता है तो कई बाद बदले लेने के लिए. इतना ही नहीं कई बार शादी के बाद धोखा देने का कारण होता है असंतुष्टि. कई बार तलाक का मुख्‍य कारण धोखा ही होता है. लेकिन ये जानना भी जरूरी है कि शादी के बाद धोखा देना कहां तक सही है, शादी के बाद धोखे की स्थिति को कैसे संभालें. क्या करें जब आपका पार्टनर आपको धोखा दे रहा है.

शादी के बाद धोखा देने के कारण

असंतुष्टि- कई बार पुरूष को अपनी महिला साथी से संभोग के दौरान असंतुष्टि होती है जिसके कारण वह बाहर की और जाने पर विविश हो जाता है और जल्दी ही वह दूसरी महिलाओं के करीब आ जाता है, नतीजन वो चाहे-अनचाहे अपनी महिला साथी को धोखा देने लगता है.

खुलापन- समाज में आ रहे खुलेपन के कारण भी पुरूष अपनी महिला साथी को धोखा देने से नहीं चूकता. दरअसल, समाज में खुलापन आने के कारण लोग खुली मानसिकता के हो गए हैं जिससे उन्हें विवाहेत्तर संबंध बनाने में भी कोई दिक्कत नहीं होती और महिलाएं भी बहुत बोल्ड हो गई हैं. इस कारण भी पुरूष अपनी महिला साथी का धोखा देते हैं.

संभावनाओं के कारण- आजकल विवाहेत्तर संबंध बनने की संभावनाएं अधिक हैं यानी विवाहेत्तर संबंध आसानी से बन जाते हैं. जिससे पुरूष अपनी पत्नी को धोखा देने लगते हैं, यह सोचकर कि उन्हें कुछ पता नहीं चलेगा.

आपसी वार्तालाप ना होना- पुरूष अकसर चाहते हैं कि वो अपनी पत्नी से खूब बातें करें और उनकी पत्नी भी अपनी बातें शेयर करें लेकिन जब आपसी वार्तालाप या संवाद की स्थिति खत्म हो जाती है तो रिश्तों में दरार आने और धोखा देने की संभावना अधिक बढ़ जाती है.

प्रयोगवादी होना- लोग आजकल नए-नए एक्सपेरिमेंट करते हैं. जब कोई पुरूष रिश्तों से उबने लगता है तो वह एक्सपेरिमेंट करने से नहीं चूकता. लेकिन जब पत्नी इसमें सहयोग नहीं देती तो पुरूष धोखा देने लगते हैं.

महिलाओं का शादी के बाद धोखा देने के कारण

अफेयर होना- आमतौर पर महिलाएं शादी के बाद पुरूषों को इसीलिए धोखा देने लगती हैं, क्योंकि उनका शादी से पहले किसी से अफेयर होता है या फिर उनका पहला प्रेमी उन्हें परेशान और ब्लैकमेल करता है जिससे वे धोखा देने पर मजबूर हो जाती हैं.

विश्वास ना होना- इसीलिए कुछ महिलाएं धोखा देने लगती हैंक्योंकि उनका पति उन पर विश्वास नहीं करता या फिर बिना किसी वजह शक करता है.

बोरियत होना- कई बार महिलाएं घर में रहकर या फिर एक ही तरह के रूटीन से बोर हो जाती हैं और अकेले रहते-रहते वे बाहर की और आकर्षित होती हैं. नतीजन कई बार उनके इससे विवाहेत्तर संबंध भी बन जाते हैं.

साथी से विचार ना मिलना- कई बार पति से विचार ना मिलना या फिर हर समय घर के झगड़े के कारण भी महिलाएं बाहर की ओर आकर्षित होती हैं.

इसके अलावा भी बहुत से कारण हैं जिससे महिलाएं और पुरूष शादी के बाद भी अपने साथी को धोखा देने लगती हैं.

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वाइफ की प्रैग्नेंसी का असर मैरिड लाइफ पर पड़ रहा है, मैं क्या करूं?

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सवाल

मेरी बीवी पेट से है और 7वां महीना चल रहा है. मेरा हमबिस्तरी करने का मन करता है, पर बीवी मना करती है. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

आप को खुद पर काबू रखना चाहिए. ऐसी हालत में बिना बीवी की इच्छा के हमबिस्तरी करना बच्चे के भी लिए नुकसानदेह हो सकता है.

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प्रेगनेंसी में इन 6 उपायों से लें सेक्स का आनंद

पत्नी के प्रेगनेंट होते ही दोनों के मन में ये सवाल आने स्वाभाविक हैं कि क्या इस अवस्था में सेक्स करना ठीक है, क्या इससे गर्भस्थ शिशु को कोई हानि हो सकती है या गर्भवती स्त्री को कोई तकलीफ हो सकती है?

जैसे-जैसे गर्भावस्था बढ़ती जाती है महिला की शारीरिक परेशानी बढ़ने लगती है और सेक्स के सामान्य तरीके अपनाना इसलिए कठिन हो जाता है. प्रेगनेंसी में गर्भवती महिला के उदर पर किसी प्रकार का दबाव उसके तथा भ्रूण दोनों के लिए कष्टदायी तथा नुकसानदेह हो सकता है.

वैसे छठे या सातवें माह तक की गर्भावस्था में सेक्स किया जा सकता है, लेकिन विशेष सावधानी के साथ. इसके लिए डॉक्टर की सलाह पर विशेष प्रकार के आसन अपनाए जा सकते हैं.

गर्भावस्था में सेक्स के उपाय

पत्नी के गर्भावती होने का पता चलते ही प्रथम दो माह तक सम्बन्धों का त्याग करने का प्रयास करें. अन्तिम एक माह में भी सेक्स से दूर रहने का प्रयास करें. प्रसव के पश्चात् लगभग चार सप्ताह तो वैसे ही निकल जाते हैं. इसमें अधिकांश व्यक्ति सेक्स के प्रति इच्छुक भी नहीं रहता है.

  1. गर्भ की स्थिति के प्रथम तथा अन्तिम सप्ताह में योनि प्रवेश से बचना चाहिए. हां सप्ताह में 2-3 बार शारीरिक छेड़छाड़ द्वारा आनन्द प्राप्त किया जा सकता है. ऐसे समय पत्नी अपनी हथेलियों द्वारा स्खलन में मदद कर सकती है. अनेक स्थितियों में व्यक्ति को इसमें शारीरिक सम्बन्धों जितना आनन्द प्राप्त हो जाता है. यहां इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि पत्नी पर दबाव नहीं डालें. पति को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि गर्भ के समय पत्नी के साथ ऐसा कोई व्यवहार नहीं करें जिससे उसके मन-मस्तिष्क पर विपरीत प्रभाव पड़ें.
  2. लिंग प्रवेश पूरी तरह न करके सिर्फ आधा प्रवेश करें. कोहनियों को नीचे टिकायें और बहुत धीरे-धीरे घर्षण करें. शिश्न मुण्ड सबसे ज्यादा संवेदनशील होता है. स्खलन में लिंग मुण्ड की संवेदनशीलता प्रमुख भूमिका निभाती है. इसलिए केवल शिश्न मुण्ड ही प्रवेश करके धीरे-धीरे घर्षण किये जायें तो भी व्यक्ति पूर्ण आनन्द प्राप्त कर सकता है. ध्यान रहे कि लिंग का पूरा प्रवेश नहीं होना चाहिए और न घर्षणों में तीव्रता होनी चाहिए. अपने शरीर का भार कोहनियों पर रखें. स्त्री शरीर पर बोझ नहीं पड़ना चाहिए.
  3. गर्भावस्था के अन्तिम तीन महीनों मे स्थिति को थोड़ा बदलें. अभी भी लिंग का प्रवेश पूरा नहीं करना है. केवल शिश्न मुण्ड ही प्रवेश करायें. हथेलियों को नीचे टिकायें और हाथ एकदम सीधे रखें. ऐसा करने से आपका शरीर स्त्री शरीर से काफी ऊंचा रहेगा. इस अवस्था में गर्भ अपने समय की पूर्णता को प्राप्त कर रहा होता है. पेट का उभार काफी बढ़ जाता है, ऐसे में अपने शरीर जितना सम्भव हो, उतना दूर रखने का ही प्रयास करें. हथेलियां नीचे टिकाकर हाथों को एकदम सीधा करने से पुरुष का शरीर पर्याप्त रूप से ऊंचा उठा रहेगा. इस स्थिति में भूलकर भी लिंग को पूरी तरह से प्रविष्ठ नहीं करना है.
  4. गर्भावस्था में करवट बदल कर भी सम्बन्ध बनाए जा सकते हैं. ऐसे में कुछ व्यक्तियों के साथ समस्या हो सकती है, लिंग प्रवेश में कठिनाई हो सकती है, फिर भी आधा अथवा केवल शिश्न मुण्ड का प्रवेश किया जा सकता है. ऐसी स्थिति में पुरुष शरीर का भार स्त्री पर नहीं पड़ता है.
  5. कुछ विद्वानों का मानना है कि लिंग प्रवेश से बचने के लिए उत्तेजित लिंग को योनि पर रगड़ने मात्र से भी स्खलन किया जा सकता है. स्त्री की वेजाइना को हाथों द्वारा सहलाकर उसे भी आनन्दित किया जा सकता है. विद्वानों का ऐसा भी मानना है कि गर्भावस्था में सम्बन्ध बनाने का मुख्य उद्देश्य मात्र स्खलन होता है. यह स्खलन योनि पर रगड़कर किया जा सकता है. बहुत से व्यक्ति ऐसे समय में हस्तमैथुन को भी सहीं मानते हैं किन्तु विवाह के बाद हस्तमैथुन के लिए व्यक्ति तुरन्त तैयार नहीं हो पाता. खासकर उस समय तो बिल्कुल नहीं जब पत्नी उपस्थित हो.
  6. इसके अलावा व्यक्ति यदि उचित समझे तो अपने चिकित्सक से राय ले सकता है. सम्भव है कि वह कुछ अन्य सही आसनों के बारे में राय दे सके अथवा व्यक्ति स्वयं अपनी सूझ-बूझ एवं विचार कर रास्ता निकाल सकता है.

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Married Life में दरार के क्या हैं संकेत, ‘एकदूसरे को स्पेस न देना’

आजकल शादी (Married Life) के 2-3 साल के भीतर ही तलाक होने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. व्यवहार विशेषज्ञों, मनोवैज्ञानिकों और समाजशास्त्रियों की मानें तो सगाई से शादी के बीच के 2-3 महीनों और विवाह के शुरुआती 3 महीनों में भावी दंपती या विवाहित जोड़े की कंपैटिबिलिटी का पता चल जाता है. भावी या हो चुके पतिपत्नी अपने इस गोल्डन पीरियड में आपस में कैसे बातें करते हैं और एकदूसरे के साथ कैसे पेश आते हैं, इस पर रिश्ते के सफल या असफल होने का दारोमदार होता है.

विशेषज्ञों के मुताबिक ये निम्न बातें यह संकेत बहुत जल्दी दे देती हैं कि यह रिश्ता टिकने वाला नहीं और यदि टिक भी गया, तो इस में सिवा कड़वाहट के कुछ नहीं रहने वाला:

व्यक्तित्व को कम कर के आंकना:

साइकोथेरैपिस्ट एवं लेखिका एबी रोडमैन का मानना है कि जब भावी पति या पत्नी एकदूसरे के व्यक्तित्व को कम कर के आंकते हैं, उन के पेशे या व्यवसाय को घटिया या दोयम दर्जे का समझते हैं या फिर किसी दूसरे को उस के बारे में बताने में संकोच महसूस करते हैं, तो ये लक्षण रिश्ते के लिए अच्छे नहीं माने जाते. ऐसे जोड़े जिंदगी भर अपने पार्टनर को कमतर समझ कर उस से खराब व्यवहार करते हैं. बारबार पार्टनर को घटिया पेशे में होने का एहसास करा कर उस का जीना दूभर कर देते हैं, उस के मन में हीनभावना भर देते हैं. नतीजतन घर में आए दिन कलह रहने लगती है और फिर जल्द ही संबंधों के तार ढीले पड़ जाते हैं.

सोच और शौक हैं अलगअलग:

लड़का और लड़की हर बात पर अलग राय रखते हैं, उन के शौक अलग हैं, पहनावे का अंदाज अलग है, सोच अलग है, तो शुरूशुरू की छिटपुट तकरार और छींटाकशी के धीरेधीरे मनमुटाव और फिर बडे़ झगड़े में तबदील होने में ज्यादा देर नहीं लगती. जहां लड़की का जरूरत से ज्यादा मौडर्न और बिंदास होना लड़के को अखरता है, वहीं लड़के की सरल जीवनशैली लड़की की नजर में उसे भोंदू और बैकवर्ड समझने के लिए काफी है. लड़का या लड़की में से कोई एक मांसाहारी हो और दूसरा शुद्ध शाकाहारी, तो भी इस गाड़ी के रास्ते में अटकने का खतरा बढ़ जाता है. पौलिटिकल सोच और मतभेद भी अनबन की वजह बन सकते हैं.

एकदूसरे को स्पेस न देना:

मनोविज्ञानी डा. अमरनाथ मल्लिक कहते हैं, ‘‘लड़का और लड़की जब एकदूसरे के साथ शादी के बंधन में बंधने का निर्णय लेते हैं, तो आपसी प्यार जताना, एकदूसरे पर अधिकार जमाना आदि सामान्य बातें हैं. लेकिन जब लड़का या लड़की एकदूसरे के मिनटमिनट का हिसाब चाहने लगें, दिन भर खुद से ही बातें और खुद पर ही ध्यानाकर्षण की चाह करने लगें और ऐसा न हो पाने पर ताने कसें, उलाहने दें, झगड़ा करने लगें, तो समझ जाना चाहिए कि इस संबंध का लंबा खिंचना मुश्किल है. कई बार तो देखा जाता है कि लड़का या लड़की सवाल पूछ कर नाक में दम कर देती है. कहां थे, क्या कर रहे थे, फोन क्यों नहीं किया आदि. अगर पिंड छुड़ाने के लिए कोई जवाब दे दिया जाए, तो उस की क्रौस वैरीफिकेशन करते हैं, जिस से मामला और बिगड़ जाता है.’’

रूखा और अशिष्ट व्यवहार:

मैरिज ऐंड फैमिली थेरैपिस्ट कैरिल मैकब्राइड कहते हैं, ‘‘सगाई के बाद लड़का और लड़की घूमनेफिरने भी जाते हैं और रेस्तरां में डिनर या लंच भी करते हैं. ऐसे में लड़के या लड़की का दूसरे लोगों के साथ व्यवहार, उस के स्वभाव का सही परिचायक होता है. कोई व्यक्ति खुद से आर्थिक, सामाजिक रूप से कमजोर लोगों के साथ कैसा व्यवहार करता है यह देख कर आप आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं कि लौंगटर्म में वह आप के साथ और होने वाले बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करेगा. अगर लड़का या लड़की रेस्तरां में वेटर के साथ, टैक्सी ड्राइवर या रिकशाचालक के साथ, किसी हौकर या सेल्समैन के साथ बेअदबी से बात करे, तो समझ जाएं कि यही उस का असली व्यवहार है.’’

डेटिंग ऐक्सपर्ट मरीना सबरोची इस बात की पुष्टि करते हुए कहती हैं, ‘‘रिश्ते के शुरुआती चरण में लड़का और लड़की एकदूसरे का दिल जीतने की कोशिश करते हैं, इसलिए बढ़चढ़ कर एकदूसरे के साथ कृत्रिम व्यवहार भी कर सकते हैं, लेकिन दूसरों के साथ उन के व्यवहार को देख कर ही उन का वास्तविक स्वभाव सामने आता है.’’

हर बात की आलोचना:

‘मैरिड पीपल: स्टेइंग टुगैदर इन द ऐज औफ डाइवोर्स’ की लेखिका फ्रांसिन क्लैग्सब्रुन ने अपनी किताब के रिसर्च वर्क के दौरान ऐसे 87 जोड़ों से बातचीत की जो 15 या ज्यादा साल से सुखी और सफल वैवाहिक जीवन जी रहे थे. फ्रांसिन ने उन से विवाह की सफलता के महत्त्वपूर्ण तत्त्व जानने के लिए सवाल किए तो जवाब में जो सब से महत्त्वपूर्ण तत्त्व सामने आया वह था- एकदूसरे का आदर करना और पार्टनर को उस की आदतों के साथ स्वीकार करना.

फ्रांसिन कहती हैं, ‘‘आदर करना प्यार की एक कला है, जो हर दंपती को आनी चाहिए. समझदार और व्यावहारिक दंपती एकदूसरे की कमियां नहीं, बल्कि खूबियां खोजते हैं, जबकि नासमझ जोड़े बातबात में एकदूसरे की आलोचना करते हैं, आदतों में खोट निकालते हैं और जानेअनजाने अपने पार्टनर की भावनाओं को आहत करते हैं. जाहिर है ऐसे जोड़ों का रिश्ता ज्यादा समय तक नहीं टिक पाता.’’

घर के दूसरे सदस्यों को महत्त्व न देना:

मनोविज्ञान सलाहकार डा. रूपा तालुकदार बताती हैं, ‘‘शादी होने पर पत्नी को पति के घर के दूसरे सदस्यों से तालमेल भी बैठाना होता है और उन्हें मानसम्मान भी देना पड़ता है. इसी प्रकार पति को भी पत्नी के मायके के सदस्यों के प्रति सम्मान भी जताना चाहिए और उन की भावनाओं की कद्र भी करनी चाहिए. लेकिन पति या पत्नी अगर एकदूसरे के परिवार के सदस्यों की चर्चा से चिढ़ते हों, उन के लिए सम्मानसूचक शब्दों का इस्तेमाल न करते हों और बातबात में उन के विचारों, पहनावे और आदतों का मखौल उड़ाते हों, तो यह समझना कठिन नहीं है कि यह रिश्ता लंबे समय तक निभना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि शादी के बाद सिर्फ पतिपत्नी तक ही दुनिया सीमित नहीं रहती.’’

हाइजीन मैंटेन न करना:

डा. अमरनाथ मल्लिक बताते हैं, ‘‘जो लड़केलड़कियां साफसुथरे नहीं रहते और हाइजीन मैंटेन नहीं करते उन के अलगाव की संभावनाएं बहुत ज्यादा होती हैं. वजह साफ है कि जो शुरुआती दौर इंप्रैशन जमाने का होता है उसी में अगर यह हाल है, तो आगे चल कर तो इस से भी ज्यादा लापरवाही झलकने वाली है. जरा सोचिए कि जिस व्यक्ति के पास आप को चौबीसों घंटे रहना है, उस के साथ बिस्तर शेयर करना है और शारीरिक संबंध स्थापित करने हैं, वह अगर साफसुथरा नहीं रहता, शरीर से बदबू आती है, कपड़े बेतरतीब रहते हों, तो आप उस के साथ कैसे जीवन निर्वाह कर सकते हैं? आखिर सैक्स संबंध और निकटता तो वैवाहिक जीवन की महत्त्वपूर्ण धुरी है.’’

महत्त्वपूर्ण बातें शेयर न करना:

डा. अमरनाथ मल्लिक के अनुसार, ‘‘भावी पतिपत्नी के जीवन की कोई महत्त्वपूर्ण घटना हो, जैसे नौकरी छूट गई, नई जौब मिली,

बिजनैस में बड़ा नुकसान हुआ, घर में किसी का जन्मदिन है या ऐसी ही कोई और बात जिस के बारे में आप को अपने पति या पत्नी से पता न चले, बल्कि उस के फेसबुक स्टेटस या म्यूचुअल फ्रैंड्स से पता चले, तो भावनाओं का आहत होना तय है. इस से यह भी पता चलता है कि पार्टनर की नजर में आप बहुत महत्त्वपूर्ण नहीं हैं या आप पर खास कौन्फिडैंस नहीं है.’’

ध्यान रखें, इन्हीं खामियों की वजह से रिश्तों की नींव बुरी तरह हिल जाती है.

मेरे पति सैक्स के दौरान हिंसक हो जाते हैं, क्या करूं?

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सवाल-

28 वर्षीय विवाहित महिला हूं. शादी हुए 2 साल हो गए हैं. ससुराल में किसी चीज की कमी नहीं है. पति सरकारी सेवा में हैं और ओहदेदार हैं. वे स्कूल में टौपर स्टूडैंट थे तो कालेज में यूनिवर्सिटी टौपर. अपने कार्यालय में भी उन के कामकाज पर कभी किसी ने उंगली नहीं उठाई. मगर समस्या मेरी व्यक्तिगत जिंदगी को ले कर है और ऐसी है जिस का अब तक सिर्फ मेरी मां को और मेरी सासूमां को पता है. दरअसल, पति सैक्स संबंध बनाने के दौरान हिंसक व्यवहार करते हैं. वे मुझे पोर्न मूवी साथ देखने को कहते हैं और फिर सैक्स संबंध बनाते हैं. इस दौरान वे मेरे कोमल अंगों को जोरजोर से मसलते हैं और उन पर दांत भी गड़ा देते. कभी-कभी तो मेरी ब्रैस्ट से खून तक निकलने लगता है. इस असहनीय पीड़ा के बाद मेरा बिस्तर पर से उठना मुश्किल हो जाता है. पति मेरी इस हालत को देख कर अफसोस करते हैं और बारबार सौरी भी बोलते हैं. कभीकभी तो मन करता है आत्महत्या कर लूं. हालांकि पति मेरी जरूरत की हर चीज का खयाल रखते हैं और मेरा उन से दूर होना उन्हें इतना अखरता है कि वे मेरे बिना एक पल भी नहीं रह पाते. अगर पति सिर्फ मानसिक पीड़ा पहुंचाते और प्यार नहीं करते तो कब का उन्हें तलाक दे देती पर लगता है शायद वे किसी मानसिक रोग से ग्रस्त हैं और यही सोच कर मैं भी पति का साथ नहीं छोड़ पाती. मैं ने अपनी सासूमां, जो मुझे अपनी बेटी से बढ़ कर प्यार करती हैं, से यह बात बताई तो वे खामोश रहीं. सिर्फ इतना ही कहा कि धीरेधीरे सब नौर्मल हो जाएगा. उधर मां से बताया तो वे आगबबूला हो गईं और सब के साथ बैठ कर इस विषय पर बात करना चाहती हैं. अभी इस की जानकारी मेरे पिता को नहीं है, क्योंकि मैं जानती हूं कि वे इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेंगे. पति, ससुराल और मायके का रिश्ता पलभर में खत्म हो सकता है. कुछ समझ नहीं आ रहा कि क्या करूं? कृपया सलाह दें?

जवाब-

आप की समस्या को देखते हुए ऐसा लगता है कि आप के पति को सैक्सुअल सैडिज्म का मनोविकार है. ऐसे मनोरोगी सामान्य जिंदगी में तो नौर्मल रहते हैं, इन के आचरण पर किसी को शक नहीं होता पर सैक्स क्रिया के दौरान ये हिंसक हो जाते हैं और इन्हें परपीड़ा मसलन, दांत गड़ाना, नोचना, संवेदनशील अंगों पर प्रहार करना, तेज सैक्स करने में आनंद आता है. कभीकभी तो ऐसे मनोरोगी सैक्स पार्टनर को इतनी अधिक पीड़ा पहुंचाते हैं कि संबंधों पर विराम लग जाता है. हालांकि अपने किए पर इन्हें बाद में पछतावा भी होता है और फिर से ऐसी गलती न करने का वादा भी करते हैं, मगर सैक्स के दौरान सब भूल जाते हैं. आप के साथ भी ऐसा है और आप ने यह अच्छा किया कि अपनी मां और सासूमां को इन सब बातों की जानकारी दे दी. ऐसे मनोरोगी को भावनात्मक सहारे की जरूरत होती है. सामान्य व्यवहार के समय आप पति से इस बारे में बात करें. पति के साथ अधिक से अधिक वक्त बिताएं. साथ घूमने जाएं, शौपिंग करें, अच्छा साहित्य पढ़ने को प्रेरित करें. बेहतर होगा कि किसी अच्छे सैक्सुअल सैडिज्म के विशेषज्ञ से पति का उपचार कराएं. फिर भी उम्मीद की कोई किरण नजर नहीं आती दिखे तो पति से तलाक ले कर दूसरी शादी कर लें.

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क्या मैरिड लाइफ में खुश रहने के लिए दवाई खाना ठीक है?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 39 साल का हूं और मेरी बीवी 20 साल की है. मेरी सेहत अच्छी है, पर बीवी को पूरा मजा देने के लिए 7 दिनों में एक बार सैक्स की गोली खाता हूं. क्या यह ठीक है?

जवाब

बेवजह सैक्स की दवाएं खाना सेहत के लिए घातक होता है. 19 साल छोटी बीवी को बगैर दवा के भी खुश किया जा सकता है.

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पुरुष ही नहीं, महिलाएं भी लें सेक्स का आनंद

‘‘और्गेज्म क्या होता है? क्या यह सैक्स से जुड़ा है? मैं ने तो कभी इस का अनुभव नहीं किया,’’ मेरी पढ़ीलिखी फ्रैंड ने जब मुझ से यह सवाल किया तो मैं हैरान रह गई.‘‘क्यों, क्या कभी तुम ने पूरी तरह से सैक्स को एंजौय नहीं किया?’’ मैं ने उस से पूछा तो वह शरमा कर बोली, ‘‘सैक्स मेरे एंजौयमैंट के लिए नहीं है, वह तो मेरे पति के लिए है. सब कुछ इतनी जल्दी हो जाता है कि मेरी संतुष्टि का तो प्रश्न ही नहीं उठता है, वैसे भी मेरी संतुष्टि को महत्त्व दिया जाना माने भी कहां रखता है.’’

यह एक कटु सत्य है कि आज भी भारतीय समाज में औरत की यौन संतुष्टि को गौण माना जाता है. सैक्स को बचपन से ही उस के लिए एक वर्जित विषय मानते हुए उस से इस बारे में बात नहीं की जाती है. उस से यही कहा जाता है कि केवल विवाह के बाद ही इस के बारे में जानना उस के लिए उचित होगा. ऐसा न होने पर भी अगर वह इसे प्लैजर के साथ जोड़ती है तो पति के मन में उस के चरित्र को ले कर अनेक सवाल पैदा होने लगते हैं. यहां तक कि सैक्स के लिए पहल करना भी पति को अजीब लगता है. इस की वजह वे सामाजिक स्थितियां भी हैं, जो लड़कियों की परवरिश के दौरान यह बताती हैं कि सैक्स उन के लिए नहीं वरन पुरुषों के एंजौय करने की चीज है.

यौन चर्चा है टैबू

भारत में युगलों के बीच यौन अनुभवों के बारे में चर्चा करना अभी भी एक टैबू माना जाता है, जिस की वजह से यह एक बड़ा चिंता का विषय बनता जा रहा है. दांपत्य जीवन में सैक्स संबंध जितने माने रखते हैं, उतनी ही ज्यादा उन की वर्जनाएं भी हैं. एक दुरावछिपाव व शर्म का एहसास आज भी उन से जुड़ा है. यही वजह है कि पतिपत्नी न तो आपस में इसे ले कर मुखर होते हैं और न ही इस से जुड़ी किसी समस्या के होने पर उस के बारे में सैक्स थेरैपिस्ट से डिस्कस ही करते हैं. पुरुष अपनी कमियों को छिपाते हैं. भारत में लगभग 72% स्त्रीपुरुष यौन असंतुष्टि के कारण अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं हैं.

मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि जब भी महिलाएं अपनी किसी समस्या को ले कर उन के पास आती हैं और वजह जानने के लिए उन के सैक्स संबंधों के बारे में पूछा जाता है तो 5 में से 1 महिला इस बारे में बात करने से इनकार कर देती है. यहां तक कि अगली बार बुलाने पर भी नहीं आती. कानूनविद मानते हैं कि 20% डाइवोर्स सैक्सुअल लाइफ में संतुष्टि न होने की वजह से होते हैं. पुरुष अपने साथी को यौनवर्धक गोलियां लेने के बावजूद संतुष्ट न कर पाने के कारण तनाव में रहते हैं. पुरुष अपने सैक्सुअल डिस्फंक्शन को ले कर चुप्पी साध लेते हैं और औरतें अपनी शारीरिक इच्छा को प्रकट न कर पाने के कारण कुढ़ती रहती हैं. वैवाहिक रिश्तों में इस की वजह से ऐसी दरार चुपकेचुपके आने लगती है, जो एकदम तो नजर नहीं आती, लेकिन बरसों बाद उस का असर अवश्य दिखाई देने लगता है.

सैक्स से जुड़ा है स्वास्थ्य

एशिया पैसेफिक सैक्सुअल हैल्थ ऐंड ओवरआल वैलनैस द्वारा एशिया पैसेफिक क्षेत्र में 12 देशों में की गई एक रिसर्च के अनुसार एशिया पैसेफिक क्षेत्र में 57% पुरुष व 64% महिलाएं अपने यौन जीवन से संतुष्ट नहीं हैं. इस में आस्ट्रेलिया, चीन, हांगकांग, भारत, इंडोनेशिया, जापान, मलयेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, ताइवान आदि देशों को शामिल किया गया था. यह रिसर्च 25 से ले कर 74 वर्ष के यौन सक्रिय स्त्रीपुरुषों पर की गई थी. सब से प्रमुख बात, जो इस रिसर्च में सामने आई, वह यह थी कि पुरुषों में इरैक्टाइल हार्डनैस में कमी होने के कारण पतिपत्नी दोनों ही सैक्स संबंधों को ले कर खुश नहीं रहते हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि इरैक्टाइल हार्डनैस का संबंध सैक्स के साथसाथ प्यार, रोमांस, पारिवारिक जीवन व जीवनसाथी की भूमिका निभाने के साथ जुड़ा है. जीवन के प्रति देखने का उन का नजरिया भी काफी हद तक सैक्स संतुष्टि के साथ जुड़ा हुआ है.

सिडनी सैंटर फौर सैक्सुअल ऐंड रिलेशनशिप थेरैपी, सिडनी, आस्ट्रेलिया की यौन स्वास्थ्य चिकित्सक डा. रोजी किंग के अनुसार, ‘‘एशिया पैसेफिक के इस सर्वेक्षण से ये तथ्य सामने आए हैं कि यौन जीवन संतुष्टिदायक होने पर ही व्यक्ति पूर्णरूप से स्वस्थ रह सकता है. आज की व्यस्त जीवनशैली में जबकि यौन संबंध कैरियर की तुलना में प्राथमिकता पर नहीं रहे, पुरुष व महिलाओं दोनों में ही यौन असंतुष्टि उच्च स्तर पर है. इस की मूल वजह अपनी सैक्स संबंधित समस्याओं के बारे में न तो आपस में और न ही डाक्टरों से बात करना है. चूंकि सैक्स संबंधों का प्रभाव जीवन के अन्य पहलुओं पर भी पड़ता है, इसलिए सैक्स के मुद्दे पर बोलने के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.’’ जीवन के इस महत्त्वपूर्ण पक्ष को नजरअंदाज कर के युगल जहां एक तरफ तनाव का शिकार होते हैं, वहीं संतुष्टिदायक सैक्स संबंध न होने के कारण उन के जीवन के अन्य पहलू भी प्रभावित होते हैं. स्वास्थ्य के साथसाथ उन की सोच व जीवनशैली पर भी इस का गहरा असर पड़ता है. यौन संतुष्टि संपूर्ण सेहत के साथसाथ प्रेम व रोमांस से भी जुड़ी है.

कम होती एवरेज

कामसूत्र की भूमि भारत में, जहां की मूर्तियों तक पर सदियों पहले यौन क्रीडा से जुड़ी विभिन्न भंगिमाओें को उकेरा गया था, अभी भी अपने यौन अनुभव के बारे में बात करना एक संकोच का विषय है. भारतीय पुरुष के जीवन में सैक्स जीवन की प्राथमिकताओं में 17वें नंबर पर आता है और औरतों के 14वें नंबर पर. आज अगर हम शहरी युगलों पर नजर डालें तो पाएंगे कि वे दिन में 14 घंटे काम करते हैं, 2 घंटे आनेजाने में गुजार देते हैं और सप्ताहांत यह सोचते हुए बीत जाता है कि सफलता की सीढि़यां कैसे चढ़ें. इन सब के बीच सैक्स संबंध बनाना एक आवश्यकता न रह कर कभीकभी याद आ जाने वाली क्रिया मात्र बन कर रह जाता है. लीलावती अस्पताल, मुंबई के ऐंड्रोलोजिस्ट डा. रूपिन शाह का इस संदर्भ में कहना है, ‘‘प्रत्येक 2 में से 1 भारतीय शहरी पुरुष में पर्याप्त इरैक्टाइल हार्डनैस नहीं होती, फिर भी 40 से कम उम्र के पुरुष अपनी कमजोरी मानने को तैयार नहीं हैं. 40 से कम उम्र की औरतों की सैक्स की मांग अत्यधिक होने के कारण वे एक तरफ जहां अपनी सैक्स संतुष्टि को ले कर सजग रहती हैं, वहीं वे पार्टनर के सुख न दे पाने के कारण परेशान रहती हैं. नीमहकीमों के पास जाने के बजाय डाक्टर व काउंसलर की मदद से यौन संबंधों में व्याप्त तनाव को दूर किया जा सकता है.’’

ड्यूरैक्स सैक्सुअल वैलबीइंग ग्लोबल सर्वे के अनुसार भारतीय पुरुष व महिलाएं अपने सैक्स जीवन से संतुष्ट नहीं हैं. और्गेज्म तक पहुंचना प्रमुख लक्ष्य होता है और केवल 46% भारतीय मानते हैं कि उन्हें वास्तव में और्गेज्म प्राप्त हुआ है, जबकि ऐसी महिलाएं भी हैं, जो यह भी नहीं जानतीं कि और्गेज्म होता क्या है, क्योंकि एक महिला को इस तक पहुंचने में पुरुष से 10 गुना ज्यादा समय लगता है. पुरुष 3 मिनट में संतुष्ट हो जाता है, ऐसे में वह औरत को और्गेज्म प्राप्त होने का इंतजार कैसे कर सकता है. वैसे भी आज भी भारतीय पुरुष के लिए केवल अपनी संतुष्टि माने रखती है.

संवाद व सम्मान आवश्यक

असंतुष्टि की वजह कहीं न कहीं पतिपत्नी के बीच मानसिक जुड़ाव का न होना भी है. आपस में निकटता को न महसूस करना, सम्मान न करना भी उन की संतुष्टि की राह में बाधक बनता है. सैक्स के बारे में खुल कर बात न करना या किस तरह से उस का भरपूर आनंद उठाया जा सकता है, इस पर युगल का चर्चा न करना या असहमत होना भी यौन क्रिया को मात्र मशीनी बना देता है. अपने साथी से अपनी इच्छाओं को शेयर कर सैक्स जीवन को सुखद बनाया जा सकता है, क्योंकि यह न तो कोई काम है और न ही कोई मशीनी व्यवस्था, बल्कि यह वैवाहिक जीवन को कायम रखने वाली ऐसी मजबूत नींव है, जो प्लैजर के साथसाथ एकदूसरे को प्यार करने की भावना से भी भर देती है.

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38 की उम्र में मेरी शादी हुई, मेरी पति को लगता है कि पहले किसी के साथ मेरा अफेयर था…

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 42 वर्षीय महिला हूं. मेरे विवाह को अभी 4 साल हुए हैं. मेरी परेशानी यह है कि हमारी सैक्सुअल लाइफ सही नहीं चल रही है. मेरे पति को लगता है कि मेरे देरी से विवाह का कारण मेरा विवाह से पूर्व कोई लव अफेयर है. जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है. विवाह से पूर्व मेरा किसी के साथ कोई प्रेम संबंध नहीं था. क्या ऐसा कोई टैस्ट है जिस से मैं अपने पति को साबित कर सकूं कि विवाह से पूर्व मेरा किसी के साथ कोई शारीरिक संबंध नहीं था. मैं अपना वैवाहिक रिश्ता कैसे सुधारूं?

जवाब
आप के पति को ऐसा क्यों लगता है कि विवाह पूर्व आप के किसी के साथ शारीरिक संबंध थे. कहीं ऐसा तो नहीं उन्होंने आप से विवाह किसी पारिवारिक दबाव में मजबूरीवश किया हो और वे आप से दूरी बनाने के लिए आप पर आरोप लगा रहे हों? जहां तक आप के पति के सामने आप के वर्जिन साबित करने वाले टैस्ट की बात है तो यह टैस्ट होता है लेकिन इस टैस्ट का कोई औचित्य नहीं है. इसे टू फिंगर टैस्ट भी कहा जाता है. इस टैस्ट में जांच की जाती है कि महिला की हाइमन झिल्ली बरकरार है या नहीं. लेकिन वास्तव में यह झिल्ली इतनी लचीली होती है कि मात्र खेलतेकूदते समय ही यह टूट जाती है. इस के अलावा हाइमनोप्लास्टी द्वारा भी आर्टिफिशियल हाइमन की तरह के टिशूज भी बनाए जा सकते हैं. इसलिए इस टैस्ट के कोई माने नहीं हैं.

वैवाहिक रिश्ते विश्वास पर चलते हैं न कि टैस्ट पर. इस बात की क्या गारंटी है कि आप के वर्जिनिटी टैस्ट में पास होने के बाद भी वे आप पर शक नहीं करेंगे और आप के संबंध सुधर जाएंगे और यह भी हो सकता है कि टैस्ट में पता चले कि आप की झिल्ली खेलकूद या किसी शारीरिक गतिविधि के कारण टूट गई हो तो उन का शक और गहरा हो जाएगा. इसलिए कोई टैस्ट वर्जिनिटी को साबित नहीं कर सकता.

अगर आप अपने पति के साथ वैवाहिक रिश्ते को सुधारना चाहती हैं तो उन के मन से शक का बीज हटा कर विश्वास की जड़ें पैदा करें. अपनी सैक्सुअल लाइफ को बेहतर बनाने के लिए नएनए तरीके अपनाएं. उन्हें अपनी ओर आकर्षित करने के लिए खुद को फिट रखें. लेटेस्ट फैशन व ब्यूटी अपडेट्स के लिए पत्रिकाएं पढें.

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सुरेश को अपनी एक साथी के साथ शारीरिक संबंध बनाना भारी पड़ेगा, यह उस ने सपने में भी नहीं सोचा था.

दरअसल, उस साथी से सैक्स संबंध बनाते समय सुरेश ने कंडोम का इस्तेमाल नहीं किया था.

कुछ दिनों बाद सुरेश को अपने अंग में जलन सी महसूस होने लगी. छोटेछोटे दाने भी निकल आए. डाक्टर ने बताया कि यह असुरक्षित यौन संबंध बनाने की वजह से हुआ है. वह कंडोम का इस्तेमाल कर के सैक्स का मजा उठाता तो बाद में उसे यह परेशानी नहीं होती.

सबलोक क्लिनिक के यौन रोग विशेषज्ञ डाक्टर बिनोद सबलोक बताते हैं कि चाहे मर्द हो या औरत एचआईवी  समेत यौन संक्रामक रोगों को रोकने के लिए कंडोम एक आसान और बेहतर तरीका है. कंडोम न सिर्फ असुरक्षित गर्भधारण से, बल्कि यौन रोगों से भी शरीर की हिफाजत करता है.

शर्म क्यों

बाजार में आसानी से मिलने वाला कंडोम खरीदना अब शर्म वाली बात भी नहीं रही है. कंडोम खरीदने के लिए डाक्टर की परची की जरूरत भी नहीं होती है. इस की कीमत भी बहुत कम होती है. कई सरकारी व गैरसरकारी योजनाओं के तहत कंडोम मुफ्त में भी बांटे जाते हैं.

अब तो अलगअलग फ्लेवर व कई बनावटों में मिलने वाले कंडोम सैक्स संबंध बनाने के दौरान भरपूर मजा भी देते हैं.

कंडोम का इस्तेमाल कर खुले दिमाग से सैक्स का मजा लिया जा सकता है. अब तो बाजार में ऐसे भी कंडोम हैं जिन से लंबे समय तक सैक्स किया जा सकता है.

बेहतर साथी है कंडोम

कंडोम आप के लिए इस तरह एक बेहतर साथी साबित हो सकता है:

* यह बच्चा ठहरने से रोकने का सब से आसान और महफूज तरीका है.

* कंडोम का इस्तेमाल बिना किसी झिझक के कर सकते हैं.

* कोई साइड इफैक्ट नहीं होता.

* कंडोम यौन रोगों से बचाव में कारगर हथियार है.

ऐसे बढ़ाएं रोमांच

बाजार में वनीला, स्ट्राबेरी, केला, चौकलेट, बबलगम, कौफी वगैरह फ्लेवर में भी कंडोम मिलते हैं. मुंह से सैक्स के शौकीनों के लिए ये कंडोम सैक्स के दौरान ज्यादा मजा देते हैं और कोई बीमारी भी नहीं होती है.

जो लोग सैक्स का मजा लंबे समय यानी देर तक नहीं उठा पाते हैं उन के लिए लौंग लास्टिंग कंडोम इस्तेमाल करना बेहतर रहेगा.

सैक्स बनाएं मजेदार

अगर आप सैक्स का मजा उठाना चाहते हैं तो बाजार में डौटेड कंडोम भी आते हैं. डौटेड कंडोम में अपनी साथी का जोश बढ़ाने के लिए इस की बाहरी सतह पर बिंदीनुमा छोटेछोटे उभरे हुए दाने होते हैं. यह चिकनाई वाला होता है.

इन बातों पर ध्यान दें

* कंडोम खरीदते समय उस की ऐक्सपायरी डेट जरूर देख लें.

* ज्यादा तेजी से सैक्स का मजा उठाते समय कंडोम फट भी सकता है. इस का ध्यान रखें और कंडोम को तुरंत बदल दें.

* इस्तेमाल करने से पहले कंडोम के सामने वाले भाग को चुटकी से दबा कर हवा को बाहर निकाल दें, फिर धीरेधीरे अंग पर चढ़ाएं.

* कंडोम खरीदते समय दुकानदार से खुल कर बात करें. बात करते समय जरा भी न शरमाएं.

* सैक्स कुदरत का दिया एक अनमोल तोहफा है. इस का जम कर मजा उठाएं, पर सावधानी और एहतियात भी बरतें.

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थोड़ा सा फ्लर्ट करके जगाएं बोरिंग लाइफ में जादू

‘‘कैसी हो निधि? तुम्हारी तबीयत कैसी है? जल्दी से ठीक हो जाओ…मैं तुम्हारी पसंद की सब्जी बना कर लाई हूं. तुम्हें परवल पसंद हैं न?’’ निधि की पड़ोसिन चित्रा ने घर में घुसते हुए कहा.

‘‘यार, तुम कब तक मेरी पसंद की चीजें बना कर लाती रहोगी. अब मैं ठीक हूं, खाना बना लूंगी. तुम अब मेरे लिए और परेशान मत हो,’’ निधि ने बिस्तर से उठते हुए मुसकरा कर कहा.

‘‘नहीं चित्राजी, मैं तो तुम्हारी सहेली के हाथ का बेस्वाद खाना खाखा कर बोर हो गया  हूं. कृपया 2 दिन निधि को और आराम करने दो ताकि मैं आप के हाथों का बना स्वादिष्ठ खाना और खा सकूं,’’ निधि के पति निर्मल ने चित्रा को बैठने के लिए इशारा करते हुए कहा.

‘‘कैसी बात करते हैं निर्मलजी, सुबह से कोई मिला नहीं क्या? जैसे मैं ने निधि के हाथों का बना खाना कभी खाया नहीं.. इस के हाथों का खाना खा कर किट्टी पार्टी में सब अपनी उंगलियां चाटती रह जाती हैं.’’

इतना सुनते ही निर्मल खिलखिला कर हंस पड़ा. चित्रा ने निधि के चेहरे के कठोर भाव पढ़ लिए थे. जब भी निर्मल चित्रा के साथ इस तरह की चुहल करता तो निधि के चेहरे के भाव ऐसे ही हो जाते थे, यह वह पिछले 10 दिनों में भांप चुकी थी और यह देख कर उसे महसूस हुआ कि वह निर्मल के इस व्यवहार से अपनेआप को असुरक्षित महसूस करती है.

थोड़ी देर इधरउधर की बातें होती रहीं, उस के बाद चित्रा अपने घर लौट आई. आज उस का मन निधि के चेहरे के तने हुए भाव को देख कर कुछ कसैला सा हो गया था. उस ने सोचा कि अब तो निधि काफी ठीक हो गई है और थोड़ाबहुत खाना बना सकती है. फिर निधि भी तो यही चाहती थी, इसलिए उस ने उस के लिए खाना न देने में ही भलाई समझी.

उस के जाते ही निधि ने अपने पति को आड़े हाथों लेते हुए कहा, ‘‘क्यों मेरी बीमारी का फायदा उठा कर चित्रा से बहुत फ्लर्ट करने की कोशिश हो रही है. दूसरे की बीवी सब को प्यारी लगती है, लेकिन काम मेरा बेस्वाद खाना ही आएगा, उस का स्वादिष्ठ खाना नहीं,’’ निधि ने एक ही सांस में सारा आक्रोश उगल दिया.

‘‘अरे यार, तुम तो बुरा मान गईं. मैं ने तो उस की इसलिए बटरिंग की ताकि वह खाना देती रहे और तुम्हें 2 दिन और आराम मिल जाए, कितनी संकीर्ण सोच है तुम्हारी. तुम औरतों की ईर्ष्या की भावना का कोई जवाब नहीं…’’ निर्मल ने निधि से प्रतिवाद करते हुए उसे ही अपराधी साबित किया. हमेशा की तरह निधि के इस रवैए से उस का मन कड़वा हो गया.

अगले दिन चित्रा खाना ले कर निधि के घर नहीं आई तो निधि को जैसे सुकून मिला. लेकिन निर्मल का माथा ठनका कि जरूर निधि के बरताव से बुरा मान कर ही चित्रा नहीं आई होगी. उस ने निधि से कुछ नहीं कहा, क्योंकि वह जानता था कि उस के बारे में पूछते ही वह व्यंग्यात्मक रूप से बोल कर उसे आहत करेगी.

कितना जरूरी है सकारात्मक सोच

निधि और चित्रा दोनों के विवाह को अभी 2 साल ही हुए थे और दोनों परिवार विवाह होते ही बैंगलुरु में आ कर बस गए थे. पड़ोसी और समान परिस्थितियां होने के कारण दोनों में बहुत जल्दी दोस्ती हो गई थी. लेकिन उन के पतियों का मिलनाजुलना बहुत कम होता था, क्योंकि जहां निधि का पति बहुत बातूनी और सहज था, वहीं चित्रा का पति अंतर्मुखी और उदासीन स्वभाव का था.

उन का अपने पतियों के औफिस जाने के बाद ही मिलना होता था. अकसर बाजार के काम के लिए या कहीं भी जाना होता था तो वे साथसाथ जाती थीं, लेकिन इन दिनों निधि की बीमारी के कारण चित्रा का निधि के घर में समयअसमय आना होने लगा. उस ने निधि को डेंगू बुखार से ग्रस्त होने के बाद पूरा आराम देने के लिए सुबहशाम खाना देना आरंभ कर दिया. निर्मल के भी औफिस से छुट्टी ले कर घर पर रहने के कारण और उन दोनों के स्वभाव एकजैसे होने से वे बहुत जल्दी घुलमिल गए और अकसर उन में नोकझोंक होने लगी.

निर्मल को निधि के विपरीत उस का बिंदास स्वभाव बहुत अच्छा लगता था. छोटीछोटी बातों पर खुल कर हंसना और जीवन के प्रति उस की सकारात्मक सोच वातावरण को खुशनुमा बना देती थी, निधि के डेंगू से पीडि़त होने के बाद घर पर एक सन्नाटा सा छाया रहता था. चित्रा ने उस समय उन लोगों की बहुत मदद की और उस के प्रतिदिन आने से वे लोग थोड़ी देर के लिए उस से बातें करने में बीमारी को भूल जाते थे.

असुरक्षा की भावना क्यों

लेकिन निधि को यह सब नहीं सुहाता था. वैसे भी वह निर्मल की औरतों से फ्लर्ट करने की आदत से उस के प्रति हमेशा आशंकित ही रहती थी. वह था भी सुदर्शन और सुगठित व्यक्तित्व का मालिक. कोई उस की तारीफ करता तो निधि उसे ले कर असुरक्षा की भावना से घिर जाती थी, जबकि वह निधि को बहुत प्यार करता था और एक अच्छे पति की तरह उस का ध्यान भी रखता था.

निर्मल निधि की इस शक करने वाली आदत से कई बार आहत हो जाता था. उस ने उसे कई बार समझाने की कोशिश भी की कि वह अपनी संकीर्ण सोच से बाहर निकले. लेकिन निर्मल के समझाने का उस पर रत्ती भर भी प्रभाव नहीं होता था. निर्मल भी बिना कारण अपना स्वभाव बदलने में कोई औचित्य नहीं समझता था, इसलिए आए दिन उन दोनों में मनमुटाव हो जाता था.

उदासीन बरताव

15 दिन हो गए. चित्रा ने उस से कोई संपर्क नहीं किया. निर्मल भी अपनी औफिस की दिनचर्या के कारण व्यस्त हो गया था. निधि की तबीयत तो ठीक हो गई थी, लेकिन कमजोरी बहुत महसूस हो रही थी. घर में अकेले होेने के कारण सारा दिन बिस्तर पर पड़ेपड़े वह ऊब जाती थी, इसलिए उसे चित्रा की बहुत कमी महसूस होने लगी थी.

उस की अनुपस्थिति से उसे एहसास हुआ कि उस के साथ समय कब बीत जाता था, पता ही नहीं चलता था. इतना तो वह समझ गई थी कि उदासीन बरताव के कारण ही उस ने उस के घर आना छोड़ा था. वह सोचने पर मजबूर हो गई कि निर्मल सही कहता है कि उस की इस संकीर्ण सोच के चलते वह अकेली रह जाएगी.

आखिरकार उसे अपनी गलती पर पश्चात्ताप होने लगा कि उस ने अपने शक्की स्वभाव के कारण एक अच्छी सहेली को खो दिया. एक दिन निर्मल के औफिस जाते ही उस ने चित्रा के घर जाने का मन बना लिया. निधि को अचानक अपने घर के बाहर देख कर चित्रा हत्प्रभ रह गई.

अंदर दाखिल होते हुए निधि ने कहा, ‘‘यार, तुम नाराज हो जाओगी तो मेरा क्या होगा? इतने दिन तुम नहीं आईं तो मुझे तुम्हारी अहमियत पता चली. प्लीज, मुझे माफ कर दो,’’ कहते हुए वह चित्रा के गले से लग कर फफक पड़ी.

चित्रा ने उस की पीठ थपथपाते हुए कहा, ‘‘मैं तुम जैसी सहेली से कभी नाराज कैसे हो सकती हूं भला? जितना तुम्हें मुझ से दूर रह कर बुरा लगा, उतना ही मुझे भी लगा. एक तुम ही तो हो, जिस के साथ के कारण इस अनजान शहर में मैं जी पा रही हूं. चिंतन तो हर समय अपने औफिस के काम में व्यस्त रहते हैं. आए दिन टूअर पर जाते हैं या घर पर रहते हैं तो लैपटौप से चिपके रहते हैं, लेकिन यह निश्चित है कि मैं जानबूझ कर तुम्हारे घर नहीं आई, क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि तुम दोनों पतिपत्नी के रिश्ते में मेरे कारण कोई वादविवाद हो, दूसरा तुम्हें मेरी कमी का एहसास हो. मैं तुम्हारी जिंदगी में इतनी घुसपैठ करने की अधिकारिणी तो हूं नहीं कि तुम्हें समझा सकूं कि कोई भी रिश्ता विश्वास की नींव पर ही टिकता है, खासकर पतिपत्नी का.

‘‘तुम अपने पति पर शक कर के अपने वैवाहिक जीवन में जहर घोलने का काम कर रही हो. पति यदि अपनी पत्नी की बहन से या भाभी से मजाक करे तो सामाजिक रूप से स्वीकार्य है, चाहे इन रिश्तों की आड़ में कितने भी अनैतिक संबंध कायम हो जाएं, लेकिन यदि किसी ऐसी महिला से मजाक करे, जिस से उस का कोई रिश्ता नहीं है तो क्यों उसे शक के घेरे में कैद कर लिया जाता है? तुम्हें तो खुश होना चाहिए कि तुम्हारा पति इतने खुले विचारों का स्वामी है. एक चिंतन है, जो किसी से बात ही नहीं करता और घर में सन्नाटा सा पसरा रहता है.

‘‘एक बात और है, जिन पतियों की नीयत खराब होती है, वे अपनी पत्नी के सामने तो बहुत शरीफ रहते हैं और उन के पीछे औरतों से फ्लर्ट करते हैं. मुझे लगता है वैवाहिक जीवन में थोड़ाबहुत फ्लर्ट करना मिठास घोल देता है, नहीं तो पतिपत्नी आपस में एकदूसरे के साथ ही चिपके रह कर बोर होने लगते हैं और जीवन नीरस हो जाता है.’’

चित्रा के इतना कहते ही निधि ने प्रत्युत्तर में कहा, ‘‘तुम सच कहती हो चित्रा. कितना अच्छा घर का वातावरण हो जाता था, जब निर्मल तुम से नोकझोंक करता था. अब तो घर काटने को दौड़ता है. तुम ने मेरी आंखें खोल दीं.’’

‘‘सोच लो. ऐसा न हो कि मैं तुम्हारे पति को पटा लूं और तुम देखती रह जाओ,’’ चित्रा ने जैसे ही आंखें बड़ीबड़ी कर के यह कहा, दोनों खिलखिला कर हंस पड़ीं और वातावरण खुशनुमा हो गया.

मैं प्रेमी के साथसाथ पति को भी नहीं खोना चाहती… मैं क्या करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं 28 साल की महिला हूं. मैं और मेरे पति एकदूसरे का बहुत खयाल रखते हैं, मगर इधर कुछ दिनों से मैं किसी दूसरे के प्रेम में पड़ गई हूं. हमारे बीच कई बार शारीरिक संबंध भी बन चुके हैं. मुझे इस में बेहद आनंद आता है. मैं अब पति के साथसाथ प्रेमी को भी नहीं खोना चाहती हूं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

आप के बारे में यही कहा जा सकता है कि दूसरे के बगीचे का फूल तभी अच्छा लगता है जब हम अपने बगीचे के फूल पर ध्यान

नहीं देते. आप के लिए बेहतर यही होगा कि आप अपने ही बगीचे के फूल तक ही सीमित रहें. फिर सचाई यह भी है कि यदि पति बेहतर प्रेमी साबित नहीं हो पाता तो प्रेमी भी पति के रहते दूसरा पति नहीं बन सकता. विवाहेतर संबंध आग में खेलने जैसा है जो कभी भी आप के दांपत्य को  झुलस सकती है.

ऐसे में बेहतर यही होगा कि आग से न खेल कर इस संबंध को जितनी जल्दी हो सके खत्म कर लें. अपने साथी के प्रति वफादार रहें. अगर आप अपनी खुशियां अपने पति के साथ बांटेंगी तो इस से विवाह संबंध और मजबूत होगा.

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