Travel Special: मुक्तेश्वर में लें नेचुरल खूबसूरती का मजा

उत्तराखंड के कुमाऊं प्रभाग के नैनीताल जिले में मुक्तेश्वर सब से सुंदर स्थानों में से एक है. यह नैनीताल से 45 कि.मी. की दूरी पर बसा है. मुक्तेश्वर में प्राकृतिक खूबसूरती तो जैसे बिखरी हुई है. क्योंकि यहां पर जंगल, झील, झरने व वन्यजीव खूब हैं. यह समुद्र तल से 2,290 मीटर की ऊंचाई पर है.

यहां के जंगलों में रेसस बंदर, लंगूर, हिरन, दुर्लभ पर्वतीय पक्षी, चीते, काले भालू आदि मिलते हैं. यहां पर सब के लिए कुछ न कुछ है. अगर आप साहसिक खेलों के शौकीन हैं, तो आप रौक क्लाइंबिंग, रैपलिंग, नेचर वाक और जंगल वाक भी कर सकते हैं.

मुक्तेश्वर की खूबसूरत वादियों में बसा है क्लब 10 पाइन लौज. यहां आप को घर के बाहर घर जैसा सुकून और आनंद प्राप्त होगा. यहां पर कमरे बड़े और हवादार हैं. अधिकतर कमरों की बालकनी पहाड़ों की तरह खुलती है. पहाड़ों में अकसर कमरों में सीलन रहती है, लेकिन क्लब 10 पाइन लौज के कमरे सीलन रहित हैं. लौज में आप आराम से गाड़ी पार्क कर सकते हैं. लौज चारों ओर से पाइन के पेड़ों से घिरा हुआ है. लौज के ठीक सामने स्थानीय निवासियों के खेत हैं, जो बेहद खूबसूरत दिखते हैं. अगर आप शांति और सुकून चाहते हैं तो यह जगह आप को बेहद आकर्षित करेगी.

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हर कमरे में एलसीडी टीवी और डिश कनैक्शन है. हर कमरे की लाइटिंग इस तरह से हुई है कि वह न सिर्फ आप को रूमानी लगती है, बल्कि आप को अंदर तक एक सुकून से भर देती है. बाथरूम काफी बड़े हैं और सब में गीजर है जहां आराम से आप गरम पानी का उपयोग कर सकते हैं.

लौज की एक और विशेषता यह है कि यहां आप को तरहतरह के फेसमास्क मिलेंगे. इन मास्क को नाइजीरिया से मंगवाया गया है. क्लब 10 पाइन लौज का अपना एक डाइनिंग एरिया भी है और यहां का कुक बेहद स्वादिष्ठ भोजन बनाता है. आप को यहां शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह का भोजन मिलेगा. अगर आप कुछ हलका घर जैसा खाना चाहते हैं तो आराम से कुक से बोल कर बनवा सकते हैं.

क्लब 10 पाइन लौज का गाइड आप को करीबी जंगलों, झरनों की भी सैर कराने ले जाएगा. अगर आप तरहतरह के पक्षी और वन्यजीव देखना चाहते हैं, तो यह गाइड टूर आप के लिए बहुत अच्छा रहेगा. लौज से थोड़ी दूर पर झरने भी हैं, जहां पर आप सैर करते हुए जा सकते हैं.

लौज के गार्डन में बैठ कर पहाड़ों को देखते हुए आप अपने प्रिय पेय को ऐंजौय कर सकते हैं. लौज में एक गेम रूम भी है जहां पर आप कैरम, लूडो, चैस, टेबलटैनिस जैसे गेम खेल सकते हैं. अगर आप शाम को बाहर न जा कर लौज में समय बिताना चाहते हैं, तो आप आराम से गेम रूम का आनंद उठा सकते हैं.

सीजन के समय पर यहां सुइट का रेट 3,750 होता है और नौर्मल कमरों की 2,750. पर औफ सीजन में ये दोनों आप को डिस्काउंट रेट पर मिल सकते हैं.

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Travel Special: धर्मशाला की ये हसीन वादियां

घूमने या सैरसपाटे की जब भी बात आती है तो शहरी आपाधापी से दूर पहाड़ों की नैसर्गिक सुंदरता सब को अपनी ओर आकर्षित करती है. इन छुट्टियों को अगर आप भी हिमालय की दिलकश, बर्फ से ढकी चोटियों, चारों ओर हरेभरे खेत, हरियाली और कुदरती सुंदरता के बीच गुजारना चाहते हैं तो हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा के उत्तरपूर्व में 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित धर्मशाला पर्यटन की दृष्टि से परफैक्ट डैस्टिनेशन हो सकता है. धर्मशाला की पृष्ठभूमि में बर्फ से ढकी छोलाधार पर्वतशृंखला इस स्थान के नैसर्गिक सौंदर्य को बढ़ाने का काम करती है. हाल के दिनों में धर्मशाला अपने सब से ऊंचे और खूबसूरत क्रिकेट मैदान के लिए भी सुर्खियों में बना हुआ है. हिमाचल प्रदेश के दूसरे शहरों से अधिक ऊंचाई पर बसा धर्मशाला प्रकृति की गोद में शांति और सुकून से कुछ दिन बिताने के लिए बेहतरीन जगह है.

धर्मशाला शहर बहुत छोटा है और आप टहलतेघूमते इस की सैर दिन में कई बार करना चाहेंगे. इस के लिए आप धर्मशाला के ब्लोसम्स विलेज रिजौर्ट को अपने ठहरने का ठिकाना बना सकते हैं. पर्यटकों की पसंद में ऊपरी स्थान रखने वाला यह रिजौर्ट आधुनिक सुविधाओं से लैस है जहां सुसज्जित कमरे हैं जो पर्यटकों की जरूरतों को ध्यान में रख कर बनाए गए हैं. बजट के अनुसार सुपीरियर, प्रीमियम और कोटेजेस के औप्शन मौजूद हैं. यहां के सुविधाजनक कमरों की खिड़की से आप धौलाधार की पहाडि़यों के नजारों का लुत्फ उठा सकते हैं. यहां की साजसजावट व सुविधाएं न केवल पर्यटकों को रिलैक्स करती हैं बल्कि आसपास के स्थानों को देखने का अवसर भी प्रदान करती हैं. इस रिजौर्ट से आप आसपास के म्यूजियम, फोर्ट्स, नदियों, झरनों, वाइल्ड लाइफ पर्यटन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद ले सकते हैं.

धर्मशाला चंडीगढ़ से 239 किलोमीटर, मनाली से 252 किलोमीटर, शिमला से 322 किलोमीटर और नई दिल्ली से 514 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इस स्थान को कांगड़ा घाटी का प्रवेशद्वार माना जाता है. ओक और शंकुधारी वृक्षों से भरे जंगलों के बीच बसा यह शहर कांगड़ा घाटी का मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यताप्राप्त धर्मशाला को ‘भारत का छोटा ल्हासा’ उपनाम से भी जाना जाता है. हिमालय की दिलकश, बर्फ से ढकी चोटियां, देवदार के घने जंगल, सेब के बाग, झीलों व नदियों का यह शहर पर्यटकों को प्रकृति की गोद में होने का एहसास देता है.

कांगड़ा कला संग्रहालय: कला और संस्कृति में रुचि रखने वालों के लिए यह संग्रहालय एक बेहतरीन स्थल हो सकता है. धर्मशाला के इस कला संग्रहालय में यहां के कलात्मक और सांस्कृतिक चिह्न मिलते हैं. 5वीं शताब्दी की बहुमूल्य कलाकृतियां और मूर्तियां, पेंटिंग, सिक्के, बरतन, आभूषण, मूर्तियां और शाही वस्त्रों को यहां देखा जा सकता है.

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मैकलौडगंज : अगर आप तिब्बती कला व संस्कृति से रूबरू होना चाहते हैं तो मैकलौडगंज एक बेहतरीन जगह हो सकती है. अगर आप शौपिंग का शौक रखते हैं तो यहां से सुंदर तिब्बती हस्तशिल्प, कपड़े, थांगका (एक प्रकार की सिल्क पेंटिंग) और हस्तशिल्प की वस्तुएं खरीद सकते हैं. यहां से आप हिमाचली पशमीना शाल व कारपेट, जो अपनी विशिष्टता के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचलित हैं, की खरीदारी कर सकते हैं. समुद्रतल से 1,030 मीटर की ऊंचाई पर स्थित मैकलौडगंज एक छोटा सा कसबा है. यहां दुकानें, रेस्तरां, होटल और सड़क किनारे लगने वाले बाजार सबकुछ हैं. गरमी के मौसम में भी यहां आप ठंडक का एहसास कर सकते हैं. यहां पर्यटकों की पसंद के ठंडे पानी के झरने व झील आदि सबकुछ हैं. दूरदूर तक फैली हरियाली और पहाडि़यों के बीच बने ऊंचेनीचे घुमावदार रास्ते पर्यटकों को ट्रैकिंग के लिए प्रेरित करते हैं.

कररी : यह एक खूबसूरत पिकनिक स्थल व रैस्टहाउस है. यह झील अल्पाइन घास के मैदानों और पाइन के जंगलों से घिरी हुई है. कररी 1983 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. हनीमून कपल्स के लिए यह बेहतरीन सैरगाह है.

मछरियल और ततवानी : मछरियल में एक खूबसूरत जलप्रपात है जबकि ततवानी गरम पानी का प्राकृतिक सोता है. ये दोनों स्थान पर्यटकों को पिकनिक मनाने का अवसर देते हैं.

कैसे जाएं

धर्मशाला जाने के लिए सड़क मार्ग सब से बेहतर रहता है लेकिन अगर आप चाहें तो वायु या रेलमार्ग से भी जा सकते हैं.

वायुमार्ग : कांगड़ा का गगल हवाई अड्डा धर्मशाला का नजदीकी एअरपोर्ट है. यह धर्मशाला से 15 किलोमीटर दूर है. यहां पहुंच कर बस या टैक्सी से धर्मशाला पहुंचा जा सकता है.

रेलमार्ग : नजदीकी रेलवे स्टेशन पठानकोट यहां से 95 किलोमीटर दूर है. पठानकोट और जोगिंदर नगर के बीच गुजरने वाली नैरोगेज रेल लाइन पर स्थित कांगड़ा स्टेशन से धर्मशाला 17 किलोमीटर दूर है.

सड़क मार्ग : चंडीगढ़, दिल्ली, होशियारपुर, मंडी आदि से हिमाचल रोड परिवहन निगम की बसें धर्मशाला के लिए नियमित रूप से चलती हैं. उत्तर भारत के प्रमुख शहरों से यहां के लिए सीधी बससेवा है. दिल्ली के कश्मीरी गेट और कनाट प्लेस से आप धर्मशाला के लिए बस ले सकते हैं.

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कब जाएं

धर्मशाला में गरमी का मौसम मार्च से जून के बीच रहता है. इस दौरान यहां का तापमान 22 डिगरी सैल्सियस से 38 डिगरी सैल्सियस के बीच रहता है. इस खुशनुमा मौसम में पर्यटक ट्रैकिंग का आनंद भी ले सकते हैं. मानसून के दौरान यहां भारी वर्षा होती है. सर्दी के मौसम में यहां अत्यधिक ठंड होती है और तापमान -4 डिगरी सैल्सियस के भी नीचे चला जाता है जिस के कारण रास्ते बंद हो जाते हैं और विजिबिलिटी कम हो जाती है. इसलिए धर्मशाला में घूमने के लिए जून से सितंबर के महीने उपयुक्त हैं.

Travel Special: भारत के इस महल में हैं 1000 दरवाजें

किसी महल की यात्रा हमें उस समय में ले जाती है जब शाही खानदानों का बोलबाला था. भारत में तो कई ऐसे महल आज भी मौजूद हैं पर कोई समय के हाथों बर्बाद हो रहा है तो किसी पर सरकार निगेहबान है. इन्हीं सबके बीच शाही ठाठ-बाट के साथ आज भी अपनी ऐतिहासिक चमक को लिए हुए पश्चिम बंगाल में स्थापित हजारद्वारी महल खड़ा है.

जैसा कि आपको नाम से ही पता चल रहा होगा कि हजारद्वारी ऐसा महल है जिसमें हजार दरवाजे हैं. इस महल का निर्माण 19वीं शताब्दी में नवाब निजाम हुमायूं जहां के शासनकाल में हुआ जिन्होंने बंगाल. इनका राज्य बिहार और ओड़िशा तीनों तक फैला हुआ था. पुराने जमाने में इसे बड़ा कोठी के नाम से जाना जाता था. यह महल पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में स्थित है जो कभी बंगाल राजधानी हुआ करती थी. इस कृति को प्रसिद्ध वास्‍तुकार मैकलिओड डंकन द्वारा ग्रीक (डोरिक) शैली का अनुसरण करते हुए बनवाया गया था.

महल को कौन सी चीजें खास बनाती हैं?

– भागीरथी नदी के किनारे बसे इस तीन मंजिले महल में 114 कमरे और 100 वास्तविक दरवाजे हैं और बाकि 900 दरवाजे आभासी(हूबहू मगर पत्थर के बने हुए हैं). इन दरवाजों की वजह से इसे हजारद्वारी महल कहा जाता है.

– महल की रक्षा के लिए ये दरवाजे बनवाये गए थे.

– दरवाजों की वजह से हमलावर भ्रमित हो जाते थे और पकड़े जाते थे.

– लगभग 41 एकड़ की जमीन पर फैले हुए इस महल में नवाब अपना दरबार लगाते थे.

– अंग्रेजों के शासनकाल में यहां प्रशासनिक कार्य भी किये जाते थे.

– इस महल का इस्तेमाल कभी भी आवासीय स्थल के रूप में नहीं किया गया.

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महल के दीवार को निजामत किला या किला निजामत कहा जाता है. महल के अलावा परिसर में निजामत इमामबाड़ा, वासिफ मंजिल, घड़ी घर, मदीना मस्जिद और बच्चावाली तोप भी स्थापित हैं. 12-14 शताब्दी में बनी इस 16 फीट की तोप में लगभग 18किलो बारूद इस्तेमाल किया जा सकता था. कहते हैं कि इसे सिर्फ एक ही बार इस्तेमाल किया गया है और उस समय धमाका इतना बड़ा और तीव्र हुआ था कि कई गर्भवती महिलाओं ने समय से पूर्व ही बच्चों को जन्म दे दिए था, इसलिए इसे बच्चावाली तोप कहते हैं.

भागीरथी नदी के तट से लगभग 40 फीट के दूरी पर बने इस महल की नींव बहुत गहरी रखी गई थी, इसलिए आज भी यह रचना इतनी मजबूती से खड़ी है. महल की ओर जाती भव्य सीढ़ियां और भारतीय-यूरोपियन शैली इस संरचना के अन्य मुख्य आकर्षण हैं.

महल का संग्रहालय

यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का सबसे बड़ा स्थल संग्रहालय है. सन् 1985 में इस महल के बेहतर परिक्षण के लिए इसे भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण को सौंप दिया गया. यह संग्रहालय भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण का सबसे बड़ा स्‍थल संग्रहालय माना जाता है और इसमें बीस दीर्घाएं प्रदर्शित हैं जिनमें 4742 पुरावस्‍तुएं मौजूद हैं जिनमें से जनता के लिए 1034 पुरावस्‍तुएं प्रदर्शित की गई हैं.

पुरावस्‍तुओ के संग्रह में विभिन्‍न प्रकार के हथियार, डच, फ्रांसिसी और इतालवी कलाकारों द्वारा बनाए गए तैल चित्र, संगमरमर की मूर्तियां, धातु की वस्‍तुएं, चीनी मिट्टी और गचकारी की मूर्तियां, फरमान, विरल पुस्‍तकें, पुराने मानचित्र, पाण्‍डुलिपियां, भू-राजस्‍व के रिकॉर्ड, पालकी आदि शामिल हैं जिनमें से अधिकतर 18वीं और 19वीं शताब्‍दियों से सम्‍बंधित हैं.

इस संग्राहलय में पर्यटक 2700 से अधिक हथियारों को देख सकते हैं. इन हथियारों में नवाब अलीवर्दी खान, सिराजुद्दौला और उनके दादाजी की तलवारें प्रमुख हैं. यहां घूमने के बाद पर्यटक विन्टेज कारों का अद्भुत संग्रह भी देख सकते हैं. इन कारों का प्रयोग शाही घराने के सदस्य किया करते थे.

संग्राहलय और पैलेस देखने के बाद पर्यटक यहां पर बने पुस्तकालय में भी घूमने जा सकते हैं. पुस्तकालय में घूमने के लिए पर्यटकों को पहले विशेष अनुमति लेनी पड़ती है. अकबरनामा की मूल प्रति भी यहीं रखी हुई है.

महल संग्रहालय के पुरावशेष में शाही परिवार के कई सामान मौजूद हैं, जिनमें दरबार हॉल में लगा हुआ खूबसूरत झूमर भी शामिल है. यह झूमर दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा झूमर है, पहला बकिंघम महल में है. यह झूमर नवाब को रानी विक्टोरिया द्वारा तोहफे के रूप में भेंट किया गया था.

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संग्रहालय की गैलरियों में शस्त्रागार विंग, राजसी प्रदर्शनी, लैंडस्केप गैलरी, ब्रिटिश पोर्ट्रेट गैलरी, नवाब नाज़िम गैलरी, दरबार हॉल, समिति कक्ष, बिलबोर्ड कक्ष, पश्चिमी ड्राइंग कक्ष और धार्मिक वस्तुओं वाली गैलरी शामिल हैं. इस महल को देखने के लिए कुछ प्रवेश शुल्क भी निर्धारित है. शुक्रवार के दिन यह महल पर्यटकों के लिए बंद रहता है.

यहां आने का सही समय

महल के भ्रमण के लिए सबसे अच्छा समय सितम्बर से मार्च तक का महीना है.

Travel Special: नैनीताल की खूबसूरती के दीवाने हैं हजारों

दोस्तों के साथ घूमने-फिरने का प्लान बने तो सबसे पहले नैनीताल का नाम ही जहन में आता है. जहां गर्मियों में नैनीताल की खूबसूरती और ठंडा मौसम सैलानियों को अपनी ओर खींच लाता है वहीं सर्दियों में बर्फबारी और विंटर स्पोर्ट्स के दीवानों के लिए नैनीताल स्वर्ग बन जाता है.

कहा जाता है कि एक समय में नैनीताल जिले में 60 से ज्यादा झीलें हुआ करती थीं. यहां चारों ओर खूबसूरती बिखरी है. सैर-सपाटे के लिए दर्जनों जगहें हैं, जहां जाकर पर्यटक मंत्र-मुग्ध हो जाते हैं.

एनएच 87 नैनीताल को पूरे देश से जोड़ता है. नैनीताल में रेल और हवाई सेवाएं नहीं हैं, लेकिन यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन यहां से सिर्फ 34 किमी दूर काठगोदाम में है. काठगोदाम से नैनीताल के लिए राज्य परिवहन की गाड़ियां दिन में हर समय उपलब्ध रहती हैं. अगर आप हवाई मार्ग से नैनीताल जाना चाहती हैं तो यहां का नजदीकी पंतनगर एयरपोर्ट करीब 55 किमी दूर है.

नैनीताल की खोज सन् 1841 में एक अंग्रेज चीनी (शुगर) व्यापारी ने की. बाद में अंग्रेजों ने इसे अपनी आरामगाह और स्वास्थ्य लाभ लेने की जगह के रूप में विकसित किया. नैनीताल तीन ओर से घने पेड़ों की छाया में ऊंचे-ऊंचे पर्वतों के बीच समुद्रतल से 1938 मीटर की ऊंचाई पर बसा है. यहां के ताल की लंबाई करीब 1358 मीटर और चौड़ाई करीब 458 मी‍टर है. ताल की गहराई 15 से 156 मीटर तक आंकी गई है, हालांकि इसकी सही-सही जानकारी अब तक किसी को नहीं है.

ताल का पानी बेहद साफ है और इसमें तीनों ओर के पहाड़ों और पेड़ों की परछाई साफ दिखती है. आसमान में छाए बादलों को भी ताल के पानी में साफ देखा जा सकता है. रात में नैनीताल के पहाड़ों पर बने मकानों की रोशनी ताल को भी ऐसे रोशन कर देती है, जैसे ताल के अंदर हजारों बल्ब जल रहे हों.

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ताल में बत्तखों के झुंड, रंग-बिरंगी नावें और ऊपर से बहती ठंडी हवा यहां एक अदभुत नजारा पेश करते हैं. ताल का पानी गर्मियों में हरा, बरसात में मटमैला और सर्दियों में हल्का नीला दिखाई देता है.

नैनीताल में सैर-सपाटे की जगह

तल्लीताल और मल्लीताल

नैनीताल का मल्ला भाग (ऊपरी हिस्सा) मल्लीताल और नीचला भाग तल्लीताल कहलाता है. मल्लीताल में एक फ्लैट खुला मैदान है और यहां पर खेल तमाशे होते रहते हैं. इस फ्लैट पर शाम होते ही सैलानी इकट्ठे हो जाते है. भोटिया मार्केट में गर्म कपड़े, कैंडल और बेहतरीन गिफ्ट आइटम मिलते हैं.

मल्लीताल से तल्लीताल को जोड़ने वाली सड़क को मॉल रोड कहा जाता है. मॉल रोड पर जगह-जगह लोगों के बैठने और आराम करने के लिए बेंच लगे हुए हैं. सैर-सपाटे के लिए यहां आने वाले सैलानी पैदल ही करीब डेढ़ किमी की इस दूरी को शॉपिंग करते हुए तय कर लेते हैं. वैसे दोनों ओर से रिक्शों की अच्छी व्यवस्था है.

चाइना पीक या नैनापीक

नैनीताल की सात चोटियों में 2611 मीटर ऊंची चाइना पीक सबसे ऊंची चोटी है. चाइना पीक की दूरी नैनीताल से लगभग 6 किलोमीटर है. इस चोटी से हिमालय की ऊंची-ऊंची चोटियों के दर्शन होते हैं. यहां से नैनीताल झील और शहर के भी भव्य दर्शन होते हैं. यहां एक रेस्तरां भी है.

लड़ियाकांटा

इस पर्वत श्रेणी की ऊंचाई 2481 मीटर है और यह नैनीताल से लगभग साढ़े पांच किलोमीटर दूर है. यहां से नैनीताल के ताल को देखना अपने आप में एक अनूठा अनुभव है.

किलवरी

2528 मीटर की ऊंचाई पर दूसरी पर्वत चोटी है और इसे किलवरी कहते हैं. यह पिकनिक मनाने के लिए शानदार जगह है.

डेरोथी सीट और टिफिन टॉप

एक अंग्रेज ने अपनी पत्नी डेरोथी की याद में इस पहाड़ की चोटी पर उसकी कब्र बनाई और उसका नाम डेरोथी सीट रख दिया. तभी से यह डेरोथी सीट के नाम से जाना जाता है. नैनीताल से चार किलोमीटर की दूरी पर 2290 मीटर की ऊंचाई पर यह चोटी है. टिफिन टॉप से हिमालय के खूबसूरत नजारे दिखते हैं, यहां से नेपाल की ऊंची-ऊंची हिमालय पर्वत श्रृंखलाएं भी नजर आती हैं.

देवपाटा और केमल्स बैक

देवपाटा और केमल्स बैक नाम की ये दोनों चोटियां साथ-साथ हैं. देवपाटा की ऊंचाई 2435 मी‍टर है जबकि केमल्स बैक 2333 मीटर ऊंची है. इस चोटी से भी नैनीताल और उसके आसपास के इलाके के बेहद सुंदर नजारे दिखते हैं.

स्नोव्यू और हनी-बनी

नैनीताल से केवल ढाई किलोमीटर और 2270 मीटर की ऊंचाई पर हवाई पर्वत चोटी है. मल्लीताल से रोपवे पर सवार होकर यहां आसानी से जाया जा सकता है. यहां से हिमालय का विहंगम दृश्य दिखाई देता है. स्नोव्यू से लगी हुई दूसरी चोटी हनी-बनी है, जिसकी ऊंचाई 2179 मीटर है, यहां से भी हिमालय का सुंदर नजारा दिखता है.

नैनीताल का चिड़ियाघर

नैनीताल का चिड़ियाघर बस अड्डे से करीब 1 किमी दूर है. इसका नाम उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री और स्वतंत्रता सेनानी गोविंद बल्लभ पंत के नाम पर रखा गया है. चिड़ि‍याघर में बंदर से लेकर हिमालय का काला भालू, तेंदुए, साइबेरियाई बाघ, पाम सिवेट बिल्ली, भेड़िया, चमकीले तितर, गुलाबी गर्दन वाले प्रकील पक्षी, पहाड़ी लोमड़ी, घोरल, हिरण और सांभर जैसे जानवर हैं.

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राजभवन

इंग्लैंड के बकिंघम पैलेस की तर्ज पर बनाए गए राजभवन का निर्माण अंग्रेजों ने उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के गवर्नर के रहने के लिए किया था. अब यहां उत्तराखंड के राज्यपाल का निवास है और राज्य के अतिथि‍ भी यहां आकर ठहरते हैं. दो मंजिला इमारत में 113 कमरे हैं. यहां शानदार गार्डन, गोल्फ लिंक, स्वीमिंग पुल, झंडीदार मोदी हाइट्स, मुंशी हाइट्स जैसी जगहें राजभवन में देखने योग्य हैं.

घुड़सवारी

नैनीताल आने वाले सैलानियों के लिए हॉर्स राइडिंग एक और आकर्षण है. यहां बारापत्थर से घोड़े किराए पर लेकर सैलानी नैनीताल की अलग-अलग चोटियों की सैर करते हैं. शहर के अंदर घुड़सवारी अब पूरी तरह से प्रतिबंधित है.

इन जगहों पर ना भूलें जाना

1. इको केव

इको केव यहां के सबसे मशहूर जगहों में से एक है . इसमें कई सारी गुफाएं हैं. इस गुफा की सबसे खास बात ये है कि बाहर चाहे जैसा भी मौसम हो लेकिन इस गुफा में हमेशा ठंड ही रहती है. यहां से स्नो व्यू पौइंट भी देखा जा सकता है.  इस गुफा के आसपास कई सारी बौलिवुड फिल्मों की शूटिंग भी हुई है.

2. नैनी झील

नैनीताल के दिल में बसी है खूबसूरत नैनी झील. नैनी झील में आसपास के सारे पहाड़ों का रिफ्लेक्शन पड़ता है जिससे इसका पानी बिल्कुल हरा दिखता है और यह दृश्य काफी मनोरम लगता है. इस झील में आप बोटिंग का भी लुत्फ उठा सकती हैं, इससे आप झील की खूबसूरती को करीब से महसूस कर पाएंगे.

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3. नौकुचिया ताल

जैसा कि आप जानती हैं कि नैनीताल को झीलों का शहर कहा जाता है. यहां आप घूमते-घूमते थक जाएंगी लेकिन झीलों का सिलसिला खत्म नहीं होगा. यहां की नौकुचिया ताल काफी मशहूर है, भीमताल से 11 किमी. की दूरी पर स्थित नौकुचिया ताल की खूबसूरती देखते ही बनती है. इस झील की गहराई तकरीबन 160 फीट है. यहां आप सूकून के पल बिता सकती हैं.

कश्मीर में है एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन

कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है. आप किसी भी हिलस्टेशन पर घूम लीजिए, लेकिन यहां घूमने का एक अलग ही क्रेज होता है. अगर आप अभी तक कश्मीर घूमने नहीं गए हैं, तो अप्रैल के आसपास कश्मीर घूमने की प्लानिंग कर लीजिए. आइए, जानते हैं और भी खास बातें.

सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन है यहां

कश्मीर का ट्यूलिप गार्डन एशिया का सबसे बड़ा ट्यूलिप गार्डन है. 3 लेवल पर बना यह ट्यूलिप गार्डन 46 प्रकार के ट्यूलिप्स का घर है. इस ट्यूलिप गार्डन के बीचों-बीच गार्डन की खूबसूरती में चार चांद लगाने के लिए कई फाउन्टेन्स भी लगाए गए हैं. गार्डन में आने वाले लोगों की सुविधा का पूरा ख्याल रखा गया है. इसलिए यहां एक छोटा-सा फूड पौइंट भी है, जहां आप कश्मीर के खास पकवान जैसे बाकरखानी, चौकलेट केक और कश्मीरी कहवा का आनंद ले सकती हैं.

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यहां ले सकती हैं नेचर का मजा

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कोकरनाग

कोकरनाग श्रीनगर से 80 और अनंतनाग से 25 किमी की दूरी पर है. यहां कश्मीर की सबसे बड़ी झील है. इसके अलावा यहां पर कई खूबसूरत मंदिर है, जिसमें से हनुमान मंदिर,सीता मंदिर,नीला नाग,गणेश मंदिर, शिव मंदिर खास है.

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हेमिस

हेमिस लद्दाख से 40 किमी की दूरी पर स्थित है, जो पर्यटकों के बीच हेमिस मठ और हेमिस नेशनल पार्क के लिए लोकप्रिय है. हेमिस का राष्ट्रीय उद्यान जो सिंधु नदी के तट पर स्थित है. यहां का एक और लोकप्रिय आकर्षण है. हेमिस राष्ट्रीय उद्यान, दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा नेशनल पार्क है, जहां बर्फ में पाए जाने वाली लिओपार्ड, हिरण, मकाऊ, लाल भेड़िया जैसे कई जानवर देखने को मिलते हैं.

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युसमर्ग

युसमर्ग श्रीनगर से लगभग 50 किमी की दूरी पर बडगाम जिले में स्थित है जो अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है. यहां पर्यटकों को घाटी के मनोरम दृश्य, बर्फ से ढकी पहाड़ की चोटियां और घास के मैदान देखने का अवसर मिलता है. पर्यटक यहां विभिन्न प्रकार की गतिविधियां जैसे ट्रेकिंग, स्कीइंग और घुड़सवारी का भी लुत्फ उठा सकती हैं.

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हाउसबोट

घरनुमा बोट यानी हाउसबोट से भरी डल झील की अपनी ही एक खूबसूरती है. रात के समय डल झील की खूबसूरती देखते ही बनती है. श्रीनगर के चिनार के पेड़ और कश्मीरी शौल और लाल चौक खासे चर्चित हैं.

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कब जाएं

वैसे तो कश्मीर कभी भी जा सकती हैं लेकिन ठंड के मौसम में यहां बर्फबारी बहुत ज्यादा होती है इसलिए उस वक्त जाने से बचें. इसके अलावा गर्मी के मौसम के लिए कश्मीर परफेक्ट चौइस है. वैसे अगर आप ट्यूलिप फेस्टिवल का आनंद भी लेना चाहती हैं, तो फेस्टिवल की तारीख जानकर ही अपनी ट्रिप प्लान करें.

कैसे पहुंचे

जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर हवाई और सड़क मार्ग से देशभर के सभी बड़े शहरों से जुड़ी हुई है. अगर आप रेल से यात्रा करना चाहती हैं तो जम्मू तक रेल सुविधा है, उसके आगे सड़क मार्ग से जाना होगा.

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Monsoon Special: इस मौनसून में लें Waterfall का मजा

भारत में  ऐसी बहुत सारे प्लेसेस मौजूद हैं, जिनकी खूबसूरती को देखना अपने आप में एक अनूठा अनुभव होता है. वाटर फॉल्स नेचर के ही एक क्रिएशन हैं जिन्हें देखकर आपको शान्ति और सुकून मिलेगा. अगर आप प्रकृति की गोद से खूबसूरत बहते पानी के धारा को देखना चाहते हैं तो इस मौसम में भारत के इन खूबसूरत वाटर फॉल्स को जरूर देखें. जानिए भारत के कुछ वाटर फॉल्स के बारें में .

1. जोग वाटर फॉल,महाराष्ट्र

जोग वाटर फॉल महाराष्ट्र और कर्नाटक की सीमा पर शरावती नदी पर है. यह चार छोटे-छोटे प्रपातों राजा, राकेट, रोरर और दाम ब्लाचें से मिलकर बना है. इसका जल 250 मीटर की ऊंचाई से गिरकर बड़ा सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है. इसका एक अन्य नाम जेरसप्पा भी है.

2. दूधसागर वाटर फॉल, गोवा

गोवा के पास स्थित दूधसागर फॉल एक शानदार परतदार वाटरफॉल है, जो मनडोवी नदी से बनता है. इस फॉल की ऊंचाई 1020 फीट है. ये भारत का सबसे ऊंचा वाटरफॉल है जबकि दुनिया में इसका नाम 227वें स्थान पर आता है. इस वाटरफॉल को ‘सी ऑफ मिल्क’ यानी दूध का समुद्र भी कहा जाता है. यह वाटरफॉल हरे-भरे घने जंगलों से घिरा हुआ है.

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3. चित्रकूट वाटर फॉल, छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में स्थित चित्रकूट वाटरफॉल देश के सबसे बड़े झरनों में से एक है. यह वाटरफॉल छत्तीसगढ़ में जगदलपुर के पास गिरता है. इसे नाइग्रा फॉल्स ऑफ इंडिया भी कहा जाता है. यह खूबसूरत वाटरफॉल 29 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि इसकी चौड़ाई मौसम के अनुरूप बदलती रहती है.

4. वज़हाचल वाटर फॅाल, केरल

केरल के चालकुंडी नदी से निकला वज़हाचल वाटर फॅाल चारों तरफ से घने जंगलों से घिरा है. यह घने जंगल केरल के प्रसिद्ध वर्षा वनों के कारण है. इसमें वनस्पति की 319 प्रजातियों मौजूद हैं. इस नदी में मछली की लगभग 90 प्रजातियां हैं. यह नदी अपनी विविधता के लिए जानी जाती है.

5. तालकोना वाटर फॉल, आंध्र प्रदेश

यह वाटरफॉल आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में श्रीवेंकटेश्वर नेशनल पार्क में स्थित है. यह वाटरफॉल तिरुमाला पर्वत श्रेणियों के शुरुआत में है. इसकी ऊंचाई 270 फीट है. तालकोना का पानी चंदन की लकड़ी और जड़ी-बूटियों से घिरे होने की वजह से चिकित्सा में काम आता है.

6. अब्बे वाटर फॉल, कर्नाटक

अब्बे वाटर फॉल कर्नाटक के कोडगु जिला के मुख्यालय मदिकेरी के निकट स्थित है. यह खूबसूरत जलप्रपात मदिकेरी से लगभग 5 किमी. की दूरी पर है. एक निजी कॉफी बागान के भीतर यह झरना स्थित है. पर्यटक बड़ी संख्या में इस स्थान पर आते हैं. मॉनसून के दिनों में यहां की सुंदरता देखते ही बनती है.

7. केंपटी फॉल, उत्तराखंड

केंपटी भारत के उत्तराखंड में स्थित है. इसकी ऊंचाई 40 फुट है. केंपटी फॉल देहरादून से 20 किमी एवं मसूरी से 15 किमी दूर है.

8. अरूविक्कुजी वाटर फॉल, केरल

अरूविक्कुजी केरल के कोट्टायम नगर से 18 किमी की दूरी पर जलप्रपात स्थित है. कुमारकोम से मात्र 2 किमी. की दूरी पर यह खूबसूरत पिकनिक स्थल है. 100 फीट की ऊंचाई से गिरते इस झरने का संगीत पर्यटकों को बहुत भाता है. पर्यटक यहां रबड़ की वनस्पतियों की छाया का भी आनंद ले सकते हैं.

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9. धुआंधार वाटर फॉल, मध्य प्रदेश

धुआंधार फॉल मध्य प्रदेश के जबलपुर के निकट एक बहुत ही सुंदर फॉल है. भेड़ा घाट में जब नर्मदा नदी की ऊपरी धारा विश्व प्रसिद्ध संगमरमर के पत्थरों पर गिरती है, तो जल की सूक्ष्म बूंदों से एक धुए जैसा झरना बन जाता है, इसी कारण से इसका का नाम धुआंधार फॉल रखा गया है. यह नर्मदा नदी का झरना है, जो जबलपुर से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

ट्रैकिंग के शौकीन हैं, तो हिमाचल जरूर जायें

ट्रैवलिंग और ट्रैकिंग के शौकीन लोगों के लिए हिमाचल जाना बेहतरीन ऑप्शन साबित हो सकता है. यहां आप अपने पैशन को पूरा कर सकते हैं. बर्फ से ढ़के ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ना, वहां से आसपास के नजारों को देखना बहुत ही अच्छा एक्सपीरिएंस होता है. हिमाचल जाकर आप बहुत ही कम समय में बहुत सारी जगहें घूम सकते हैं.

1. पिन पार्वती पास

ऊंचाई- 5319 मीटर

यह एक चैलेजिंग ट्रैक है. इस ट्रैकिंग में ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के जंगली रास्ते, बिना पुल के नदिओं को पार करना और ग्लेशियर का सामना करना पड़ता है. इस ट्रैकिंग में शामिल जोखिम भी सुकून देने का काम करता है, क्योंकि ट्रैकर को हिमालय के दो पूरी तरह से विभिन्न रूप देखने को मिलते हैं.

रिओ पुरगयिल पर्वत

ऊंचाई- 6816 मीटर

2. ट्रैकिंग टाइम– 6 दिन

यह पर्वत हिमाचल प्रदेश का सबसे ऊंचा पर्वत है. यह पर्वत हिमाचल प्रदेश और तिब्बत की सीमा पर है, जहां जाने के लिए विदेशी पर्यटकों को इनर लाइन परमिट लेनी पड़ती है. इस ट्रैक की शुरुआत किन्नौर जिले के नाको गांव से होती है. यहां से 5500 मीटर तक लगातार चढ़ाई देखने को मिलती है.

किन्नौर कैलाश पर्वत

ऊंचाई- 6349 मीटर

ट्रैकिंग टाइम– 7 दिन

किन्नौर कैलाश हिमाचल के उत्तर पूर्व हिस्से में पड़ता है. इस पर्वत के लिए सबसे सही ट्रैक शिमला से शुरू होती है, जहां से पर्यटक सांगला जा सकते हैं. सांगला से थांगी जाकर ट्रैकिंग की शुरुआत होती है. कुछ दिनों की ट्रेकिंग के बाद छरंग ला पास (5300 मीटर) तक पहुंचने के बाद गहरी घाटियां देखने को मिलती है.

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3. मनी महेश ट्रैक

ऊंचाई– 4,080 मीटर

ट्रैकिंग टाइम– 5 दिन

मनी महेश लेक को डक लेक के नाम से भी जाना जाता है. जो हिमालय के पिर पंजाल रेंज के पास चंबा जिले में स्थित है. मनी महेश, मानसरोवर लेक के भी काफी पास है इसलिए इसकी अपनी एक धार्मिक मान्यता भी है. इसकी ट्रैकिंग के लिए भानलौर-हड़सर मनी महेश रूट को फॉलो किया जाता है जिसके लिए 13 किमी का रास्ता तय करना होता है. वैसे लाहौल और स्पीती रूट को भी इस ट्रैकिंग के लिए फॉलो किया जा सकता है. कांगड़ा और मंडी से आने वाले लोगों के लिए करवारसी पास और जलसू पास रूट ज्यादा सुविधाजनक है.

4. चन्द्रतल ट्रैक

ऊंचाई– 14,1000 फीट

ट्रैकिंग टाइम– 4 दिन

चंद्रतल यानि चांद पर चलना, और सच में यहां ट्रैकिंग करने पर ऐसा ही अहसास होता है. स्पीती वैली के पास स्थित है. बीन्स के आकार का ये लेक 2.8 किलोमीटर में फैला हुआ है. जिसका पानी क्रिस्टल जैसा क्लियर है और इसे ब्लू रंग के कई शेड्स में भी देखा जा सकता है. लेक के आसपास ट्रैकिंग के दौरान कैंप लगाकर यहां के खूबसूरत नजारों का भी आनंद लिया जा सकता है. ट्रैकिंग के लिए मई से अक्टूबर तक का टाइम बेस्ट होता है. कुंजुम पास और बातल पास रूट को ट्रैकिंग के लिए फॉलो किया जाता है.

5. त्रिउंड ग्लेशियर

ऊंचाई– 2827 मीटर

ट्रैकिंग टाइम– 4 दिन

त्रिउंड, भागसू नाग(बाहर से आने वाले टूरिस्ट की फेवरेट जगह) से महज 9 किमी की दूरी पर है. मैकलोड़गंज से यहां पहुंचने में पूरी 4 घंटे का समय लगता है. यहां ट्रैकिंग करते वक्त धौलाधार रेंज और कांगड़ा घाटी के बहुत सारे खूबसूरत नजारे देखने को मिलते हैं. बिना गाइड के भी यहां ट्रैकिंग पॉसिबल है. पहाड़ों पर चलने के दौरान यहां स्नो बर्ड्स और कस्तूरी और काले हिरणों को आसानी से देखा जा सकता है.

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वुमन ट्रेवलर्स के लिए सबसे सेफ हैं ये 8 शहर

भ्रमण के शौकीन लोग किसी पर्यटन स्थल पर जाने से पहले कुछ बातों को सुनिश्चित जरूर करना चाहते हैं, जिनमें सबसे पहले आता है महिलाओं की सुरक्षा. हमारे देश में कई ऐसे शहर है जो महिला पर्यटकों के लिए सुरक्षित माने जाते हैं. यहां पर अकेली महिला पर्यटक भी बिना किसी दिक्कत के यात्रा कर सकती है.

1. लद्दाख

यह सोलो ट्रेवलिंग के लिए सबसे बेहतरीन जगहों में से एक है और जहां तक संभव हो यहां अकेले ही जाना चाहिए. कहीं बाइकर्स के ग्रुप तो कहीं अकेले यात्रा करते लोग भी आपको यहां मिल जाएंगे. मगर यहां अकेले जाने से पहले एक बात का ध्यान जरूर रखें कि यहां से जुड़ी हर जानकारी पहले से जुटा लें. यहां के स्थानीय लोग भी पर्यटकों के लिए बहुत मददगार होते हैं.

2. उदयपुर

राजस्थान के लोगों की खास बात होती है कि वो बहुत फ्रेंडली और हेल्पफुल नेचर के होते हैं और उदयपुर में ऐसे लोगों की कमी नहीं है. बस उदयपुर की एक बात आपको बोर कर सकती है वो ये कि यहां की ज्यादातर जगहें कपल डेस्टिनेशन के तौर पर जानी जाती है तो अकेले वहां जाना थोड़ा अजीब लग सकता है. लेकिन अगर आप एडवेंचर के शौकीन हैं तो बिना किसी फ्रिक के यहां घूम सकते हैं.

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3. नैनीताल

उत्तराखंड की ये जगह अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के साथ यहां के लोगों की खास आवभगत और दोस्ती भरे मिजाज के लिए जानी जाती है. इस कारण से ही देश के अनेक स्थानों से आने वाली लड़कियों या महिलाओं के अकेले घूमने के लिए यह बेहतर जगह है. यहां लोगों की अच्छी-खासी तादाद मिल जाती है, जिससे आप खुद को कभी अकेला महसूस नहीं करेंगी.

4. मैसूर

अगर आप प्राचीन इमारतों व इतिहास की शौकीन हैं तो ये जगह आपके लिए परफेक्ट रहेगी. यहां समय-समय पर कई राजाओं का शासन रहा, जिसके सबूत के तौर पर किले आज भी जीवित हैं. यहां के लिए माना जाता है कि महिलाएं और लड़कियां रात में भी अकेले घूम सकती हैं.

5. सिक्किम

नार्थ ईस्ट की ज्यादातर जगहें आपको अट्रैक्ट करने का कोई मौका नहीं छोड़ेंगी खासतौर से सिक्किम. चारों ओर ऊंची-ऊंची पहाड़ियां, गहरी घाटियां और बौद्ध मोनेस्ट्रीज यहां की खूबसूरती को दोगुना करते हैं. यहां के लोग बहुत ही फ्रेंडली होते हैं इसलिए यहां आप बेफ्रिक होकर ट्रिप को एन्जॉय कर सकती हैं. यहां खाने-पीने के भी ढेरों ऑप्शन्स मौजूद हैं.

6. काजीरंगा

महिलाओं के लिए आसाम के काजीरंगा नेशनल पार्क में घूमना बहुत ही यादगार और शानदार ट्रिप साबित हो सकता है. वाइल्ड लाइफ का एक्सपीरियंस लेने के लिए ये बहुत अच्छा ऑपशन है. अकेले घूमना हो या ग्रूप, महिलाओं के लिए हर लिहाज से सेफ है.

7. शिमला

हिल स्टेशन टूरिस्ट्स की सबसे फेवरेट जगह होते हैं और लगभग पूरे साल यहां आनों वालों की भीड़ लगी रहती है इसलिए ये जगह महिलाओं की लिए ज्यादा सुरक्षित होते हैं. शिमला ऐसी ही जगहों में से एक है. सबसे अच्छी और खास बात इन जगहों की होती है कि यहां देर रात को भी सैलानियों को घूमते, खाते-पीते, मौज-मस्ती करते हुए देखा जा सकता है.

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8. खजुराहो

यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल खजुराहो के मंदिर की खूबसूरती वाकई देखने लायक है. यहां टूरिस्ट गाइड से बचने के लिए आपको ट्रिक्स आनी चाहिए वरना ये अच्छे खासे पैसे वसूलते हैं इन मंदिरों की सैर कराने की. लक्ष्मण मंदिर, लक्ष्मी मंदिर, मातंगेश्वर महादेव मंदिर, पार्श्वनाथ मंदिर और आदिनाथ मंदिर बहुत ही खूबसूरत है.

उमस के मौसम में घूमें तमिलनाडू का यरकौड, जानिए क्या है खासियत

गरमियों में लोग ठंडी जगहों पर घूमना बहुत पसंद आता है. जिसके लिए वह भारत से बाहर दूसरे देशों में जाते हैं, लेकिन भारत में भी हिल स्टेशन्स की कमी नहीं है. जैसे तमिलनाडु के छोटे और अनगिनत नज़ारों को समेटे यरकौड, जो फैमिली वेकेशन के लिए बेहतरीन जगह है. मसालों के बगीचे से आती खुशबू और दूर-दूर तक फैले संतरे के पेड़ इस जगह को और भी खास बनाते हैं.

हरियाली से ढका है यरकौड लेक

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शहर के बीचों-बीच में यरकौड लेक को एमरल्ड लेक और बिग लेक के नाम से भी जाना जाता है. चारों ओर फैली हरियाली यरकौड की इस लेक को और ज्यादा ब्यूटीफुल बनाती है. अगर आप पहाड़ों पर घूमकर थक जाएं या फिर धूप से परेशान हो तो यहां बोटिंग का औप्शन भी है. लेक के आसपास बहुत सारी दुकानें हैं जिनमें आप यहां के ट्रैडिशनल और टेस्टी फूड को खाने के साथ ही गिफ्ट आइटम्स की भी खरीददारी कर सकते हैं.

पैगोडा प्वाइंट के बिना अधूरा है यरकौड का सफर

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अगर आप सोशल मीडिया पर कोई ऐसी फोटो पोस्ट करने की सोच रहे हैं जिससे आपके फौलोअर्स तुरंत बढ़ जाए तो पैगोड़ा प्वाइंट है बेस्ट प्लेस. यरकौड का सफर पेगोडा प्वाइंट को देखे बिना अधूरा है. यरकौड पहाड़ी के पूर्व में बसे इस प्वाइंट से पूरे शहर का नज़ारा बड़ा ही सुंदर नज़र आता है. इस जगह के ऐसे नाम के पीछे वजह यहां पत्थरों से बनी एक ऐसी संरचना है जो देखने में बिल्कुल पेगोडा लगता है.

यरकौड़ के नज़ारों जितना ही पौप्युलर है बियर केव

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नज़ारों के जितना ही पौपुलर है यरकौड की ये जगह. बियर केव बहुत ही अच्छी जगह है जहां जाकर अपना अच्छा टाइम बिता सकते हैं. एक जमाने में ये गुफा भालुओं का घर था. इतना ही नहीं ये गुफा 18वीं शताब्दी में महाराजा टीपू सुल्तान का गुप्त जगहों में शामिल थी. जिसे बाद में आम लोगों के लिए खोल दिया गया था.

लेडीज़ सीट में अग्रेजों की पत्नियां करती थीं किटी पार्टी

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ये यरकौड की ऐसी जगह है जो ब्रिटिश काल से जुड़ी हुई है और इस नाम के पीछे की कहानी भी बड़ी मज़ेदार है. दरअसल अंग्रेज शासकों की पत्नियां इस जगह का इस्तेमाल अपनी किटी पार्टीज़ के लिए किया करती थी. यहां से ढ़लते सूरज का नज़ारा बड़ा ही खूबसूरत होता है. जहां टूरिस्टों सुकून के पल बिताने आते हैं.

हरी-भरी वादियों से घिरा हिल स्टेशन लोनावला

महाराष्ट्र में बसा एक छोटा सा हिल स्टेशन लोनावला अपनी नेचुरल ब्यूटी के लिए जाना जाता है. सुंदर झील और झरनों का ये शहर टूरिस्टों के दिल को जीतने के लिए पूरे साल स्वागत को तैयार रहता है. पुणे से 64 किमी तथा मुंबई से 96 किमी दूर ये शहर एक अच्छे वीकेंड के लिए बेस्ट ओपशन है.

समुद्रतल से 624 मीटर की ऊंचाई पर बसे हरी-भरी पहाडियों से घिरे लोनावला की सुंदरता देखते ही बनती है. यहां घूमने लायक बहुत सारी जगहें हैं. ट्रेकिंग का मन हो तो पहाड़ पर चढ़ने की सुविधा भी मौजूद है. ट्रेकिंग करते समय पहाड़ों के नजारों का लुत्फ अलग ही एक्सपीरियंस देता है. इस छोटे से शहर में घूमने के लिए कई जगहें हैं. राजमची पाइंट, लोनावला झील, कारला केव्स, लोहागढ़ फोर्ट, बुशी डैम, रईवुड पार्क तथा शिवाजी उद्यान प्रमुख हैं. परिवार के साथ घूमने जाना हो या दोस्तों के साथ मस्ती करनी हो, यह जगह सभी के लिए है.

राजमची पाइंट

लोनावला से लगभग 6 किमी की दूरी पर खूबसूरत वादियों से सजी एक दूसरी जगह है राजमची. इसका यह नाम यहां के गांव राजमची के कारण पड़ा है. यहां का खास अट्रैक्शन शिवाजी का किला और राजमची वाइल्ड लाइफ सेंक्चुअरी है. इस जगह की सुंदरता टूरिस्ट्स को बहुत लुभाती है.

रईवुड पार्क

यह स्थल पूरी तरह से हरियाली से भरा रहता है. खूब सारे पेड़ और धरती पर बिछी हरी घास का इलाका सबका मन मोह लेता है. बड़ों के साथ बच्चे भी यहां खूब मस्ती करते हैं. पार्क में एक प्राचीन शिव मंदिर भी है.

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लोहागढ़ किला

लोनावला से 20 किलोमीटर की दूरी पर समुद्रतल से 1,050 मीटर की ऊंचाई पर बसा लोहागढ़ किला बेहद ही दर्शनीय स्थल है. इस किले की बनावट और इसकी ऐतिहासिकता अपनी ओर खींचती है. यह किला शिवाजी का युद्धस्थल भी था. विशाल चट्टान पर स्थित इस किले में कैदियों के लिए लोहे के दरवाजे लगाए गए थे.

बुशी डैम

लोनावला से 6 किलोमीटर की दूरी पर बसा बुशी डैम एक फेमस पिकनिक स्पॉट है. बरसात के दिनों में जब यह पानी से लबालब भर जाता है तो इसकी सुंदरता देखने लायक होती है.

कब जाएं

लोनावला का मौसम ज्यादातर सुहावना ही रहता है. यहां किसी भी मौसम में जा सकते हैं. लेकिन मार्च से लेकर अक्टूबर के बीच यहां जाएंगे तो मजा कई गुना बढ़ जाएगा. बरसात का मौसम यहां की झीलों और झरनों को निहारने का सबसे अच्छा समय है.

क्या खाएं

लोनावला चिक्की के लिए मशहूर है. तिल, काजू, बादाम, मूंगफली, पिस्ता, अखरोट जैसे मेवों को शक्कर या गुड़ में मिलाकर बनाई जाने वाली चिक्की का स्वाद जबरदस्त होता है. यहां के फज भी बहुत फेमस हैं. लोनवला की यादगार के तौर पर आप यहां से चिक्की, चॉकलेट, मैंगो फज साथ ले जा सकते हैं.

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कैसे जाएं

मुंबई से लोनावला 96 किमी है. लोनावला के लिए नजदीक का रेलवे स्टेशन लोनावला तथा नजदीक का हवाई अड्डा पुणे है. मुंबई और पुणे से सड़क मार्ग से भी लोनावला जा सकते हैं.

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