किरण की बातें सुन सुमन की आंखें भर आईं. बोली,“हर व्यक्ति के साथ कितना कुछ गोपनीय होता है. सतह के ऊपर किसी से मिलते हुए, उस के बारे में बहुत कुछ जानते हुए भी हम उसशके अंतर्मन के गहन कोने से कितने अनजान रहते हैं न दी और हमें इस का भान भी नहीं होता,” एक उदास मुस्कान के साथ सुमन बोली.
“हूं…” एक गहरी सांस छोड़ते हुए किरण बोली, “सही कह रही हो तुम. अच्छा छोड़ो अब यह सब बातें. यह बताओ वह लड़का…अरे वही जो औफिस में तुम्हारे साथ काम करता है, क्या नाम है उस का… हां, सत्यम… कैसा लगता है तुम्हें?” सुमन की आंखों में झांकते हुए किरण ने पूछा तो शरमा कर सुमन ने अपनी नजरें झुका ली.
“न न… ऐसे शरमाने से थोड़े ही चलेगा, बताना पड़ेगा बहन कि चक्कर क्या चल रहा है तुम दोनों के बीच?”
“दी आप भी न, ऐसी कोई बात नहीं है सच में,”नजरें झुकाए सुमन मुसकराई.
“अच्छा, मुझ से झूठ बोलोगी? मैं उड़ती चिड़िया के पंख गिन लेती हूं तो तुम क्या हो? अरे भई मैं ने भी प्यार किया है, तो क्या समझ नहीं सकती तुम्हारी आंखों की भाषा?”
“प्यारव्यार कुछ नहीं, बस दोस्ती है हमारे बीच. एकदूसरे का साथ अच्छा लगता है हमें और कुछ नहीं दी,” सुमन बोली.
“और कुछ नहीं दी… मुंह बनाते हुए किरण बोलीं,“अरे पागल इसे ही तो प्यार कहते हैं. एकदूसरे का साथ अच्छा लगना, एकदूसरे के खुशी में खुश होना, एक दिन भी न मिलने पर बेचैन हो जाना, यही तो प्यार है पगली।”
सुमन के गालों पर शर्म की लाली देख किरण को एक शरारत सूझी,“वैसे, सुना है वह बंदा शादीशुदा है और उसशका एक बेटा भी है?”
“क्या…” सुमन भयंकर तरीके से चौंकी, “पर आप को कैसे पता यह सब?” उसे लगा शादीशुदा होते हुए भी कहीं वह लड़का उसे अपने जाल में तो नहीं फंसा रहा है?
“अरे, कल तुम ही तो नींद में बड़बड़ा रही थी यह सब बातें बोल कर,” किरण ठठा कर हंस पड़ी, “मज़ाक कर रही हूं।”
“ओह दी, आप ने तो मेरी जान ही ले ली,” अपने दिल पर हाथ रख सुमन बोली.
“अरे वाह, अभी तो कह रही थी कोई प्यारव्यार नहीं है तुम दोनों के बीच, तो फिर यह क्या है?”
किरण की बात पर वह लजा गई.
“वैसे, एक रोज उसे खाने पर बुलाओ. देखें तो बंदा है कैसा? मेरी बहन के लायक है भी या नहीं,” सुमन के गालों पर प्यार की थपकी देते हुए किरण बोली.
किरण को सुमन के लिए सत्यम एकदम सही लड़का लगा. ‘हां, दोनों की उम्र में अंतर जरूर है, लेकिन प्यार में सब जायज है और आजकल के लड़के तो अपनी उम्र से बड़ी लड़कियों को पसंद करने लगे हैं’ किरण ने सोचा.
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सत्यम को पूरी और आलू की भाजी बहुत पसंद है इसलिए आज उस के ही पसंद का खाना बन रहा था. सुमन ने पूरी बेल कर किरण को दी, तो उसे कङाही में छोड़ते हुए किरण बोली, “यह अच्छा है सुमन जो तुम्हें सत्यम जैसा जीवनसाथी मिला. देखा मैं ने उस की आँखों में तुम्हारे लिए प्यार. लेकिन क्या सत्यम के मातापिता भी तैयार हैं तुम दोनों के रिश्ते के लिए?”
“सत्यम के पापा नहीं हैं, मां हैं और एक बड़ी बहन है, जिन की शादी हो चुकी है. मिल चुकी हूं मैं उन सब से. कोई दिक्कत नहीं है उन्हें हमारे रिश्ते से,” पूरी बेल कर किरण के हाथों में पकड़ाते हुए सुमन बोली.
“फिर तो ठीक है, कोई समस्या नहीं है. लेकिन एक समस्या है. कहीं सूरज ने तुम्हें तलाक देने से मना कर दिया, तो क्या करोगी फिर?” सुमन की तरफ देख कर किरण बोली.
मगर उस दिन सत्यम के साथ सुमन को देख कर सूरज ने कैसे रिएक्ट किया था, यह नहीं बताई थी दी को।
गुस्से से उबलते हुए कहने लगा कि उसे क्या लगता है. वह उसे तलाक दे देगा? ताकि वह इस सत्यम से शादी कर सके. कभी नहीं, कभी वह उसे तलाक नहीं देगा.
उस पर सुमन बोली थी,“जैसा तुम ठीक समझो. लेकिन यह भी जान लो,:तुम ने मुझ पर जितने भी जुल्म किए हैं न सूरज, उस का एकएक सुबूत है मेरे पास और वह आसपड़ोस के लोग जिन्होंने रोज मुझे तुम्हारे हाथों मारगालियां खाते देखा है, क्या वे गवाही नहीं देंगे तुम्हारे खिलाफ? शादीशुदा होने के बाद भी तुम्हारे कई औरतों से संबंध हैं, वह भी बताऊंगी मैं पुलिस को. फिर तो तुम्हें जेल जाने से कोई रोक नहीं सकता. नौकरी तो जाएगी ही समझ लो और तलाक तो मुझे वैसे भी मिल जाएगा. तो सोच लो, फायदा किस का ज्यादा है, मेरा या तुम्हारा? और जब हमारे बीच अब कुछ बचा ही नहीं, तो फिर नाम के रिश्ते को क्यों ढोना?” बोल कर सुमन लौट आई थी और वह देखता रह गया था.
शायद उसे भी सुमन की बात समझ में आ गई थी कि इस में ही उस की भलाई थी.
“देगा वह मुझे तलाक, आप चिंता मत करो दी, क्योंकि उसे भी मुझ से छुटकारा चाहिए,” सलाद काटते हुए सुमन बोली.
खानापीना खत्म होने के बाद किरण ने ही कहा वह सत्यम को उस के घर तक छोड़ आए. मन तो सुमन का भी था जाने का, पर बोलने में उसे शर्म आ रही थी. जब किरण ने कहा तो वह झटपट तैयार हो गई जाने के लिए.
मौसम आज बहुत सुहाना था इसलिए दोनों घूमतेघूमते एक पार्क में बेंच पर जा कर बैठ गए और अपने भविष्य के सपने बुनने लगे.
“कैसा लगा मैं तुम्हारी दीदी को? पसंद आया या नहीं?” सत्यम ने पूछा.
“क्यों पूछ रहे हो ?” सुमन बोली.
“मतलब, उन्हें मैं पसंद आया या नहीं?” सत्यम बोला.
“तो क्या? शादी मुझे करनी है तुम से, और तुम मुझे बहुत पसंद हो,” जब अपनी आंखें बंद कर सुमन बोली, तब एकटक से सत्यम उसे निहारने लगा.
अचानक से उसे सुमन पर बहुत प्यार आने लगा. सुरक्षित एकांत जगह देख कर एकायक सत्यम मुड़ा और सुमन को अपने आलिंगन में भर कर उस के अधरों को चूम लिया. गहरी मुसकान के साथ सुमन भी उसे प्यार से देखने लगी. पुरुष के साथ उस का यह पहला भरपूर आलिंगन था, इसलिए सुमन की रीढ़ में हलकी सी झुरझुरी पैदा हो गई. सूरज ने कभी उसे इस तरह से बांहों में भर कर प्यार नहीं किया था. उसे तो सिर्फ सुमन के शरीर से प्यार था, जिसे वह जबतब रौंदता रहता था.
जब सत्यम ने सुमन के होंठों पर दबाव बढ़ाया, तो यौवन वेग के अनेक लहरें अचानक देह में गहराने लगीं.
सत्यम ने कहा कि आज रात वह उसशके घर ही रुक जाए. उसकी मां एक रिश्तेदार की शादी में गई हुई हैं, तो कोई समस्या नहीं है.
“हां, लेकिन दी को क्या कहूंगी?”
सुमन बोली. मन तो उस का भी तड़प रहा था अपने शरीर के ताप को बुझाने के लिए.
“ठीक है, मैं कोई बहाना बना देती हूं,” बोल कर सुमन मुसकराई.
आज उन के दरमियान कोई नहीं था सिवाय खामोशी के. चुंबन के दौरान सुमन ने महसूस किया कि उस की कमीज के बटन खोले जा रहे हैं. अब दृढ़ आलिंगन में सुमन की नग्न पीठ पर सत्यम के चपल हाथ का स्पर्श था. जैसेजैसे सत्यम का हाथ फिसलता जा रहा था, सुमन रोमांचित होती जा रही थी. सत्यम के स्पर्श और चुंबनों ने सुमन के पूरे शरीर में थरथराहट भर दी. सुमन ने अपने भीतर ऐसी तप्त नमी कभी महसूस नहीं की थी. जब सत्यम ने उसे अपने आगोश में भरा, तो सुमन की सांस रुक गई और आंखें बंद हो गईं.
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समागम के पहले सुमन जितनी मुखर थी, बाद में उतनी ही मौन हो गई. आज जीवन में पहली बार सुमन ने खुद को परिपूर्ण पाया था. अपनत्व और सुरक्षा की ऐसी अनुभूति पहले कभी नहीं हुई थी उसे. उसे लग रहा था अपने सत्यम के साथ वह दुर्गम पर्वत के शिखर पर पहुंच गई हो, जहां सिर्फ मौन, शांति और सुकून था.
बहुत ऊंचाई से उसे बाहरी संसार का शोर और अंधड़ याद आया, जो अब बहुत पीछे छूट गया था. वह अब अपने सत्यम की मजबूत बांहों में सुरक्षित थी.