खेलने का शौक पूजा को कुछ ज्यादा ही था, वह फुटबौल और बौलीबौल की कालेज टीम की कप्तान थी और कालेज की तरफ से खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने, दूसरे शहरों में आयाजाया करती थी. शारीरिक खेल की लत भी उसे इन खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने के दौरान ही लगी. सीमा पूजा की तरह कप्तान तो नहीं थी पर खेल में वह भी रुचि रखती थी और पूजा के साथ दोस्ती गांठ कर कई फायदे उठाती थी. सीमा पूजा की अच्छी प्रशंसक थी और पूजा का अनुकरण भी करती थी. शौर्ट्स और टीशर्ट्स पहन कर खेलने वाली लड़कियों को तो मेल टीचर्स तक खा जाने वाली निगाहों से देखा करते हैं तो उन हमउम्र लड़कों का क्या जो कालेज की खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने सिर्फ इसलिए जाते हैं कि उन्हें लड़कियों का संसर्ग
प्राप्त हो सके. नतीजतन, छोटे शहरों की परंपरानुसार विवाह के पहले शारीरिक संबंध बनाने वाली लड़कियों का जो होता है वही हुआ. पूजा धीरेधीरे बदनाम होने लगी और यही बदनामी की बात सोनी को समझ में नहीं आती थी. पूछने पर उसे कुछ बताया भी नहीं जाता था. लिहाजा, वह चुप रहती थी.
सोनी की समस्या तब शुरू हुई जब वह इंतजार करना छोड़ कर एक दिन अचानक उस कमरे में घुस गई जहां पूजा अपने प्रेमी के साथ हमबिस्तर थी. उस दिन सीमा के एक दूर के रिश्तेदार के खाली पड़े घर में 3 लड़के थे, जिन में वीरेंद्र भी एक था जो एकएक कर अपना काम निबटाने में लगे थे. सोनी भी वहीं थी, एक आता, दूसरा जाता, यद्यपि सोनी अनजान थी परंतु जिज्ञासा उसे हो ही रही थी कि आखिर एकएक कर लड़के अंदर जाते हैं जहां पूजा है और थोड़ी देर बाद बाहर आ जाते हैं. सीमा का उस दिन देह सुख का प्रोगाम नहीं था इसलिए वह घर के बगीचे में चली गई थी और पेड़ों के साए में आहिस्ताआहिस्ता चहलकदमी कर रही थी. सोनी से रहा नहीं गया, तीसरा लड़का जब कमरे में दाखिल हुआ तो सोनी ने सोचा कि इस बार वह जा कर उन लोगों की बातें सुनेगी. लौट कर आए 2 लड़के उतनी मुस्तैदी से उस की निगरानी कर भी नहीं रहे थे और ऐसा करना स्वाभाविक भी था, क्योंकि वे लोग निबट चुके थे. बस, फिर क्या था सोनी निढाल पड़े दोनों लड़कों
की आंख बचा कर कमरे में अचानक घुस गई और जो देखा उस के लिए बिलकुल अचंभित करने वाला था. इस से पहले न सोनी ने ऐसा कुछ देखा था और न ही ऐसा कुछ सोच सकी थी लेकिन निर्वस्त्र तो वह खुद को भी नहीं देख सकती थी, तो फिर अपनी सहेली पूजा को. वह बाहर भागी लेकिन उस की आंखों में एक खौफ था, नंगेपन का खौफ, बाहर कमरे में लड़के उसे दबोच चुके थे और इस से पहले कि वह कुछ कहती या करती, पूजा कपड़े पहन कर आ गई थी और बिना कुछ कहे उस का हाथ पकड़ कर बाहर की ओर चल दी थी.
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पूजा थकी हुई जरूर लग रही थी लेकिन लंबे, कसरती, खिलाड़ी बदन से अभी भी एकदो लड़कों से वह बिस्तर पर निबट सकती थी. लंबे समय के अभ्यास से उस ने अच्छा स्टैमिना प्राप्त कर लिया था. रास्ते में सोनी कुछ बोल नहीं रही थी और न ही पूजा से आंखें मिला पा रही थी. गलती पूजा ने की थी, शर्म सोनी को आ रही थी. न जाने सोनी में कैसे यह एहसास जाग गया था कि वह कुछ ऐसा देख चुकी है जो उसे नहीं देखना चाहिए था. नहीं जानते हुए भी वह उतने बेबाक ढंग से अपनी सहेली पूजा की ओर नहीं देख पा रही थी. जैसी उस की आदत थी लेकिन पूजा के पास वक्त कम था, थोड़ी ही देर में सोनी का घर आ जाता और न जाने सोनी अपने पापामम्मी के सामने अपनी कैसी प्रतिक्रिया व्यक्त करती इसलिए उसे रास्ते में ही समझा देना जरूरी था.
बात की शुरुआत करते हुए पूजा ने कहा, ‘‘तुम ने जो भी देखा वह किसी को बताना, नहीं क्योंकि कोई इस बात को सही ढंग से समझेगा नहीं और हम लोगों का होस्टल से निकलना बंद हो जाएगा. जो लड़के मेरे साथ थे उन में से कोई भी कुछ नहीं पूछेगा लेकिन अगर तुम ने मुंह खोला, तो प्रश्नों की बौछार लगा दी जाएगी. चरित्र पर प्रश्न उठेगा, समाज की मर्यादा का प्रश्न उठेगा, घरपरिवार की इज्जत का प्रश्न उठेगा. इन सभी प्रश्नों के उत्तर सिर्फ हम लोगों को ही देने हैं, वीरेंद्र, गोपी व राजू को नहीं. उन से कोई कुछ नहीं पूछेगा,’’ सोनी सिर्फ सुने जा रही थी, कुछ बोल नहीं रही थी.
सोनी घर पर भी चुप ही रही परंतु पूरे वाकये में कुछ न कुछ गलत होते उस ने देखा था, ऐसा उसे लग रहा था. दिन बीतने के साथसाथ अब पूजा के लिए एक नई मुसीबत शुरू हो गई थी कि सोनी उस किस्से के बारे में बारबार पूछती रहती थी और नहीं बताने की सूरत में उसे एक दबी हुई धमकी दे डालती थी कि वह अपने मातापिता से कह कर इसे समझने की कोशिश करेगी. एक दिन पूजा ने झल्ला कर पूछ डाला, ‘‘क्या समझने की कोशिश करेगी अपने मांबाप से,’’ पूजा ने थप्पड़ उठाया था मारने को पर रुक गई.
सोनी सहम गई थी परंतु उस ने कहा, ‘‘पूछूंगी कि तुम्हारे ऊपर वह लड़का क्यों सोया हुआ था और एक भी कपड़ा नहीं था तुम दोनों के बदन पर.’’
पूजा कांप गई थी यह सोच कर कि सोनी अपने मातापिता से अगर ऐसी बातें पूछेगी तो वे लोग फिर हमारे मातापिता से इस संबंध में बात करेंगे. फिर सीमा के मातापिता तक भी बात पहुंचेगी. इतना सब सोच कर पूजा का गुस्सा ठंडा हो गया. उस ने सोनी को समझाया और रेस्तरां ले गई.
सोनी को इतना तो समझ में आ गया कि इस तरह के सवाल पूजा से पूछने पर वह उसे होटल या रेस्तरां जरूर ले जाएगी. सोनी के लिए यह वाकेआ एक खेल बनता जा रहा था पर वह नहीं समझ रही थी कि यह खेल कितना खतरनाक हो सकता है. अब सोनी के दिमाग में यह बात आने लगी कि जब पूजा नहीं चाहती कि उस ने जो देखा है, किसी से कहे, तो सीमा और वे लड़के जो उस दिन कमरे में थे, भी नहीं चाहेंगे कि उस ने जो देखा है वह किसी से कहे. इस बात को आजमाने के लिए सोनी कभी सीमा से और कभी उन लड़कों से यही कहती और बदले में रेस्तरां या होटल जाती, बाइक पर घूमती. अनजाने में सोनी ब्लैकमेलिंग का खतरनाक खेल खेलने लगी थी.
पूजा और सीमा अब सोनी की धमकियों से तंग आ चुकी थीं. इस बीच उस दृश्य से भी ज्यादा रोमांचक दृश्यों को अंजाम दे चुकी थीं पूजा और सीमा अनेक कमरों में. फिर उसी एक खास दृश्य का उन लोगों के लिए क्या अर्थ रह जाता था, लेकिन सोनी ने तो सिर्फ एक ही दृश्य देखा था इसलिए वह उसी से चिपकी थी. पूजा से ज्यादा नजदीक थी सोनी, सीमा के साथ बातचीत हुआ करती थी सोनी की पर सीमा पूजा की सहेली थी. पूजा सोचती थी, कोई अन्य इस तरह उसे ब्लैकमेल कर रहा होता तो उसे समझाती पर अपनी सहेली सोनी का वह क्या करे. अपने तथाकथित प्रेमियों से भी इस का जिक्र उस ने किया था और एक दिन वह हादसा हुआ जो उस ने सपने में भी नहीं सोचा था.
पूजा ने अपने तथाकथित प्रेमियों से कहा कि वे लोग सोनी को किसी भी तरह से मनवा लें कि वह अब कभी भी इस बात का जिक्र नहीं करेगी परंतु सोनी इस बात को उतनी गंभीरता से नहीं ले रही थी. पूजा को इस बात के लीक होने से डर था कि उसे मिली हुई आजादी छिन जाएगी जो उसे कतई मंजूर नही था. वह स्वच्छंद रहना चाहती थी, साधारण लड़की की तरह जिंदगी जीना उसे पसंद नहीं था. सोनी को पूजा इसलिए एक असाधारण लड़की में तबदील कर देना चाहती थी. बस क्या था पूजा के प्रेमियों ने मतलब यही निकाला कि सोनी को सबक सिखाना है किसी भी कीमत पर.
एक दिन शाम को वह लड़के सोनी को चौकलेटस्नैक्स वगैरा दे कर समझाने की कोशिश करते रहे परंतु सोनी न समझी. उसे समझ में नहीं आया कि जिन लड़कों के साथ वह बाइक पर घूमती है, वे उस को किसी भी तरह से नुकसान पहुंचा सकते हैं. पूजा के प्रेमियों को किसी नासमझ लड़की को सैक्स संबंधों के बारे में समझाने, समाज पर उस का असर, मांबाप पर उस का प्रभाव, को तफसील से समझाने की सलाह तो थी नहीं, उजड्ड गंवार की तरह उन का व्यवहार था.
सोनी बारबार यह जानना चाहती थी कि पूजा और सीमा के साथ उन्होंने होटल के बंद कमरे में ऐसा क्या किया कि आज उसे यहां सुनसान जगह पर बुला कर इतना समझायाबुझाया जा रहा है. बहुत मुमकिन था कि अगर पूजा और सीमा उन लड़कों के साथ जो जिस्मानी रिश्ता कायम करती थीं, उसे सोनी को खुल कर समझा दिया जाता तो शायद सोनी को बहुत कुछ खुदबखुद समझ आ जाता और वह इतनी भी नासमझ नहीं थी, आखिर सयानी हो चुकी थी. एक मनोवैज्ञानिक तरीका होना चाहिए सैक्स से अनभिज्ञ ऐसी लड़कियों को समझाने का और खासकर ऐसी स्थिति में तो बहुत ही सावधानी की जरूरत होती है परंतु वे मूढ़मगज लड़के क्या जानें, बस, एक ही भाषा वे जानते थे, शक्ति प्रदर्शन और डराने की भाषा.
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इधर सोनी जो उन लोगों से हिलीमिली हुई थी उन लोगों की बात को गंभीरता से नहीं ले रही थी और साथ ही साथ सोनी जैसे यह नहीं समझ पाई थी कि 2 नंगे जिस्म एकदूसरे से लिपटे हुए क्यों थे, उसी तरह यह भी नहीं समझ पाई थी कि उसे भी नंगा किया जा सकता है और पूजा और सीमा के साथ जो वे लड़के करते आ रहे हैं वह उस के साथ भी हो सकता है. इसी तरह वह यह भी नहीं समझ पा रही थी कि सैक्स अगर गहराई तक उतर जाए तो फर्क पड़ता है, लड़के और लड़की दोनों को. लड़कों को बहुत ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी सोनी से, वह तो चूंकि पूजा ने कहा था कि सोनी को सबक सिखा दें इसलिए इतनी मशक्कत की जा रही थी.
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