मुंबई में जन्मी और आगरा में पली-बड़ी हुई अभिनेत्री आयशा सिंह ने लॉ की पढाई पूरी कर अभिनय के क्षेत्र में उतरी. अभिनय की शुरुआत उन्होंने कई विज्ञापनों में मॉडलिंग कर की है, उनकी पहली टीवी शो ‘डोली अरमानों की’ है, इसके बाद उन्हें स्टार प्लस की धारावाहिक ‘गुम है किसी के प्यार में’ सई जोशी की भूमिका मिली, जिससे वह हर घर में पहचानी गई. अभिनय की इच्छा उन्हें बचपन से ही थी, लेकिन उनके पेरेंट्स चाहते थे कि आयशा अपनी शिक्षा पूरी कर कुछ आगे सोचे. चुलबुली और हंसमुख आयशा से टेलीफोनिक बात हुई, जिसमे उन्होंने अपनी जर्नी के बारें में बात की पेश है कुछ खास अंश.
सवाल- इस शो में खास बात क्या थी, जिससे आप आकर्षित हुई?
जब मैंने ऑडिशन दिया तो ये पता नहीं चला था कि ये शो दर्शकों को इतनी पसंद आएगी, लेकिन मेरी भूमिका सई जोशी बहुत ही वाईव्रेंट, पॉजिटिव, फुल ऑफ एनर्जी, जीवन के प्रति आशावादी और फाइटर स्प्रिट की है, यही बात मुझे शो को करने के लिए प्रेरित की और मैंने हाँ कर दी.
सवाल- इसमें आपकी भूमिका कैसी है?
इसमें मेरा विवाह आई पी एस ऑफिसर विराट चौव्हाण के साथ हो जाती है, जो बहुत ही मजबूत दिमाग की है और अपनी बातों पर पूरा विश्वास रखती है, किसी बात से डरती नहीं. वह एक शेरनी है. समस्याएं कितनी भी हो, वह उससे एक प्यारी सी मुस्कान के साथ निकल जाती है.
सवाल- शो की हिट होने से आपको कितना कितना फायदा हो रहा है? कितना ग्रो कर रही है?
शुरू में पता नहीं था कि ये शो हिट होगी, लेकिन मुझे दर्शकों का बहुत सारा प्यार मिला है और मैं हर घर में पहुँच चुकी हूं. यहाँ मुझे हर दिन कुछ सीखने और देखने को मिलता है. कलाकार चाहे अभिनेत्री हो या एंकर हर चीज से उसे कुछ न कुछ शिक्षा अवश्य मिलती है, जिससे आगे कई रास्ते खुल जाते है, क्योंकि अभी मैं सीख रही हूं.
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सवाल-पहला ब्रेक कब मिला?
पहला ब्रेक मुझे ‘डोली अरमानों की’ से मिला,जिसमें मेरी भूमिका घर की सबसे छोटी बेटी की थी. मुझे अधिक संघर्ष नहीं करना पड़ा, मैंने करीब 6 महीने ऑडिशन दिया, जिसमें कुछ विज्ञापनों और मॉडलिंग एसाइनमेंट कर रही थी. शो के लिए एक ऑडिशन दिया और उन्हें मेरा ऑडिशन पसंद आया, क्योंकि शो आगे बढ़ रही थी, सबकुछ बहुत जल्दी-जल्दी हो रहा था. लीड रोल के लिए मेहनत अवश्य करनी पड़ी.
सवाल- पहली बार परिवार से अभिनय की इच्छा जाहिर करने पर उनकी प्रतिक्रिया क्या थी?
मेरे बड़े भाई को एनिमेशन के क्षेत्र में जाना था, जब उन्होंने इच्छा पेरेंट्स से जाहिर की, तो उन्हें मना कर दिया गया, क्योंकि किसी को इस फील्ड से कोई जानकारी नहीं थी. फिर उन्होंने अपनी पढ़ाई मनेजमेंट में करने लगे. ऐसे में मुझे चिंता हुई कि मैं अपनी अभिनय की बात कैसे कहूं? फिर मैंने उन्हें बिना कुछ कहे लॉ की पढाई की. उन दिनों मुझे किसी की मिमिक्री, डांस या अभिनय करना पसंद था. ये सब अधिकतर मैंने अपनी फ्रेंड्स के सामने किया करती थी. मेरी एक सहेली गरिश्मा ने मुझे एक्टिंग की ओर कोशिश करने की सलाह दी और मैंने साहस जुटाकर अपने पेरेंट्स से पढाई पूरी करने के बाद अभिनय के क्षेत्र में जाने की इच्छा जाहिर की और आसपास के कई जगहों पर मॉडलिंग के लिए ऑडिशन देने लगी, घर पर किसी ने मना नहीं किया. तब मैंने अपना फूलप्रूफ प्लान के साथ पिता को अनुपम खेर की एक्टिंग क्लास में ज्वाइन करने की इच्छा बताई, वे राज़ी हो गए और वही से मैं एक्टिंग में आ गयी. पहले वे मुझे एक्टिंग में देखकर आश्चर्य में पड़ गए थे, क्योंकि उन्हें लग रहा था कि मुझे काम नहीं मिलेगा, लेकिन मुझे मिला. मेरी माँ ने मेरा एडमिशन लॉ में मास्टर करने के लिए फीस भी दे दी थी. मैंने मना किया और पढने नहीं गयी, लेकिन अभी वे मेरी ख़ुशी से खुश है.
सवाल- आपने वकालत की पढाई की है,ऐसे में एक्टिंग की प्रेरणा कहाँ से मिली?
मैं बचपन में फिल्में और थिएटर देखने पेरेंट्स के साथ जाती थी. कई बार मेरे दिमाग में आती थी कि ये दृश्य पर्दे पर कैसे आती है? क्या होता होगा ? आदि कई सवाल बचपन में उठते थे और भारतीय सिनेमा का प्रभाव मेरे ऊपर रहा है, जिसमे चुपके-चुपके मेरी पसंदीदा फिल्म है. गर्मियों की छुट्टी में मैं अधिकतर माँ के साथ फिल्में देखती थी और बहुत अच्छा भी लगता था. इसमें धर्मेन्द्र, नूतन, रानी मुखर्जी, अमिताभ बच्चन आदि की अभिनय ने मुझे बहुत प्रेरित किया. इसके अलावा जब आप शिक्षित होते है,तो आप अपनी बुद्धि से सही, गलत का फैसला कर सकते है और अपने भविष्य को सही रास्ते पर ले जा सकते है.
सवाल- इतनी पढ़ी-लिखी होने के बाद क्या संघर्ष करना आसान था?
मैं शिक्षित हूं और किसी नई चीज को सीखने में कभी पीछे नहीं हटती. इसमें अगर संघर्ष हो भी, तो मैं उसे सही समझती हूं. बिना संघर्ष के कुछ भी मिलने पर उसकी अहमियत कम हो जाती है. शिक्षा मुझे सफलता और असफलता दोनों में बैलेंस करना सिखाती है. संघर्ष को भी आसान बना देती है.
सवाल- ये सुनने में आ रहा है कि आपको सपनों का राजकुमार मिल गया है, क्या ये सही है?
सही तो बिलकुल भी नहीं है, क्योंकि मैं अभी अपने काम पर फोकस्ड हूं.
सवाल- आगे की योजनायें क्या है?
अभी कुछ योजना नहीं है, क्योंकि मैं इस धारावाहिक में पूरा समय दे रही हूं, लेकिन मुझे अच्छे निर्देशक और अच्छी टीम के साथ काम करने की इच्छा है. फिर चाहे वह फिल्म, थिएटर, धारावाहिक, म्यूजिक एल्बम या वेब सीरीज कुछ भी हो सकता है. मैं हर प्रोजेक्ट के साथ ग्रो करना चाहती हूं. इससे मुझे अधिक ख़ुशी मिलती है.
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सवाल- हिंदी फिल्मों और वेब सीरीज में आप कब आने वाली है?
अच्छी प्रोजेक्ट और अच्छी कहानी के साथ मुझे जुड़ना है, उसका इंतजार कर रही हूं.
सवाल- क्या कोई सोशल वर्क करना चाहती है?
कानून की पढाई करते हुए मैं कई बार ओल्ड होम और अनाथालय गयी हूं. वहां मैंने उनकी दुर्दशा देखकर बहुत आहत हुई, इसलिए मैं एक ऐसा शेल्टर होम बनाना चाहती हूं, जिसमें बुजुर्ग, प्रताड़ित व्यक्ति, बच्चे आदि सभी रह सकते है, इससे बच्चों को बड़ों का और बड़ों को बच्चों का प्यार मिले, जिससे उनका मानसिक स्वास्थ्य भी सही रहेगा. ऐसी कॉमन छत, जिन्हें देखने वाला कोई भी न हो.