बुनाई की एबीसीडी

लेखिका-सरिता वर्मा 

निटिंग का मौसम फिर से लौट आया है और इस बार अपने साथ बुनाई के नए ट्रैंड भी साथ लाया है. लेकिन बुनाई शुरू करने से पहले यदि कुछ बुनियादी बातों की जानकारी न हो तो कहीं बुनाई में सफाई नहीं आती तो कहीं किनारा सिकुड़ जाता है. ऐसा न हो, इस से बचने के लिए अगर आप बुनाई की बुनियादी तकनीकी बातें जान लेंगी तो जो भी बुनेंगी, जिस डिजाइन में बुनेंगी उस में जान आ जाएगी.

ऊन की किस्में

जानवरों के बालों से बनने वाला ऊन: प्योर वूल, अंगोरा, मोहार, सिल्क अलपाका.

सब्जियों से बनने वाला ऊन:  कौटन लाइनन.

मैन मेड वूल: नायलौन व एक्रीलिक ऊन कई फाइबर्स से बनता है.

ऊन में एक सिंगल धागे को प्लाई कहते हैं और कई प्लाई को आपस में ट्विस्ट कर के धागा बनता है. धागा जितना मोटा बनाना होता है, उतनी ही प्लाई का प्रयोग होता है.

ऊन खरीदते समय

– हमेशा अच्छी कंपनी का ऊन खरीदें.

– ऊन हमेशा दिन में खरीदें और शेडकार्ड देख कर रंग का चयन करें. रंगों की विशाल रेंज बाजार में मौजूद हैं.

– बच्चों के लिए नरममुलायम बेबी वूल खरीदें, ताकि त्वचा को नुकसान न हो.

– ऊन ज्यादा ही खरीदें ताकि स्वैटर बुनते वक्त वह कम न पड़े. ऊन कम पड़ने पर व दोबारा खरीदने पर रंग में फर्क आ सकता है.

– स्वैटर बनाने के लिए हमेशा अच्छी कंपनी की सलाई लें. मोटे ऊन के लिए मोटी सलाई व पतले ऊन के लिए पतली सलाई का प्रयोग करें.

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बौर्डर व डिजाइन

– 2 प्लाई महीन ऊन, 12 नंबर की सलाई,

11 नंबर की सलाई.

– 3 प्लाई बीच की, 11 नंबर की सलाई, 10 नंबर की सलाई.

– 4 प्लाई सामान्य, 10 नंबर की सलाई, 9 या 8 नंबर की सलाई.

– 6 प्लाई मोटी या डबल निट, 6 या 7 नंबर की सलाई.

बुनाई करने से पहले: बुनाई करने से पहले निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखें:

– जिस के लिए स्वैटर बुनना है, उस की उम्र, पसंद व रंग का खयाल रख कर ही ऊन खरीदें.

– यदि स्वैटर बनाते समय सही सलाई का प्रयोग नहीं करेंगी तो स्वैटर अच्छा नहीं बनेगा.

– जब भी 2 रंगों के ऊन का प्रयोग करें, उन की मोटाई और किस्म एक समान होनी चाहिए.

– जब आप एकसाथ कई रंगों के ऊन का प्रयोग करें, तो बुनाई ढीले हाथों से करें.

– जब भी आप हलके रंग, जैसे सफेद, क्रीम या किसी भी ऊन का प्रयोग करें, हाथों में टैलकम पाउडर अवश्य लगा लें.

– स्वैटर हमेशा एक ही व्यक्ति द्वारा बुना जाना चाहिए क्योंकि हर किसी की बुनाई में फर्क होता है.

– जब भी बुनाई करें कभी भी आधी सलाई पर फंदे न छोड़ें, नहीं तो बुनाई में छेद आ जाते हैं. हमेशा सलाई पूरी कर के छोड़ें.

– अगर कोई फंदा गिर गया हो तो क्रौस हुक का प्रयोग करें.

– फंदा हमेशा डबल ऊन से ही डालें.

– हर सलाई शुरू करने से पहले पहला फंदा बिना बुनें उतारें. इस प्रकार स्वैटर के दोनों तरफ एक जाली सी बन जाएगी, जिस से स्वैटर सिलने में आसानी रहेगी.

– स्वैटर बनाते समय गांठ हमेशा किनारे पर लगाएं. इस से स्वैटर पीछे की तरफ साफ रहेगा.

– स्वैटर को एक फंदा सीधा, एक फंदा उलटा बुनते हुए बंद करें.

– स्वैटर की सिलाई हमेशा इकहरे ऊन से करें.

– अपने हाथ के खिंचाव को जांच लें. उसी हिसाब से सलाई का प्रयोग करें.

– सही नाप का स्वैटर बनाने के लिए सही फंदों का पता होना आवश्यक है. जो भी डिजाइन डालना चाहती हैं, उस का 4×4 इंच का चौकोर टुकड़ा बुनें. अगर नमूना साफ नजर आ रहा हो, तो 4 इंच लंबाई में बुनी हुई सलाइयों के अनुसार पूरा स्वैटर बन जाएगा.

सही डिजाइन का चुनाव: डिजाइन का चुनाव व्यक्ति की उम्र को देखते हुए करें. बच्चों के लिए और बड़ों के लिए डिजाइन अलगअलग होती हैं. साथ ही, समय के साथ डिजाइन का चुनाव करें. बहुत पुरानी डिजाइन का स्वैटर न बना कर नए डिजाइनों की तलाश करें. थोड़ी सी सूझबूझ और परिश्रम से आप नए और लेटैस्ट स्वैटर बना सकती हैं.

ऐसे भी कला का कोई अंत नहीं है. आप केबल, कढ़ाई ग्राफ का डिजाइन, बीड्स, सीक्वैंस, मोटिफ लगा कर डिजाइन को नए तरीके से सजा सकती हैं. बस एक बात का ध्यान रखें. बच्चों के स्वैटर हमेशा बेल, जानवर वाले डिजाइन, केबल या ग्राफ से बना कर उन्हें आकर्षक रूप प्रदान करें और बड़ों के स्वैटर में बहुत ज्यादा जाल वाले डिजाइन डालने से बचें. जब केबल डालें तो 10-12 फंदे ज्यादा लें, नहीं तो स्वैटर टाइट बनेगा.

स्वैटर पर कढ़ाई के लिए क्रौस स्टिच, लेजीडेजी, डंडी स्टिच (स्टैम स्टिच) भरवां आदि से कढ़ाई करें. कढ़ाई हमेशा हलके हाथों से करें. कढ़ाई करते समय स्वैटर के नीचे की तरफ कागज या पेपर फोम का इस्तेमाल करें.

इसी तरह स्वैटर पर बीड्स या नग, सीक्वैंस लगाते समय हमेशा बारीक सूई का इस्तेमाल करें. जब भी बीड्स या नग लगाएं, स्वैटर के रंग का धागा इस्तेमाल करें. अगर दूसरे रंग का धागा लगाएंगी तो धागा चमकेगा और स्वैटर की खूबसूरती खराब हो जाएगी.

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गला बनाने के लिए: स्वैटर बना कर गला बनाने के लिए एक तरफ का कंधा सिल कर दूसरी तरफ के फंदा धागे में डाल लें. सलाई पर गला बना कर पहले गले की पट्टी को सिल कर इन फंदा को आपस में जोड़ लें.

‘वी’ गले को 2 सलाइयों पर बनाने के लिए व ‘वी’ शेप देने के लिए जैसे सीधा तरफ से

3 फंदा का 1 करते हैं, वैसे ही उलटी तरफ से भी 3 फंदा का 1 करें. इस से गले में सफाई रहेगी.

– छोटे बच्चों के लिए गोल गले के व सामने से खुले स्वैटर बनाएं, जिस से बच्चों को उन्हें पहनने में आसानी हो.

– टीनएजर्स के लिए बोट नैक, वी नैक, कैमल नैक अच्छे लगते हैं.

– बड़ी उम्र वालों के लिए गोल या वी नैक बनाएं.

– सूट के नीचे पहने जाने वाले स्वैटर ‘वी’ नैक के बनाएं.

– महिलाओं के लिए गोल गले वाले या सामने से खुले स्वैटर सुविधाजनक होते हैं. जिन की गरदन लंबी हो, उन पर पोलोनैक (हाईनैक) अच्छी लगती है.

स्वैटर की सिलाई: सिलाई करते समय निम्न बातों का ध्यान अवश्य रखें:

– जब भी सिलाई करें स्वैटर के दोनों पल्लों को पकड़ कर बखिया सिलाई से सिल लें.

– स्वैटर के दोनों पल्लों को आमनेसामने रख कर सूई से दोनों तरफ का 1-1 फंदा उठाते हुए जोड़ती चली जाएं.

– जब भी स्वैटर बनाएं उस का ऊन संभाल कर रख लें ताकि स्वैटर की सिलाई खुलने पर फिर से सिलने के काम आ सके.

इन बातों को जान कर स्वैटर की बुनाई की बुनियादी बातों से परिचित हो गई होंगी. अब आप जो भी स्वैटर बनाएंगी तारीफ जरूर पाएंगी, तो फिर देर किस बात की, झटपट शुरू हो जाइए.

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5 Tips: Emergency Funds भी है जरूरी

मुसीबतें किसी को बताकर नहीं आती. इसके लिए जरूरी है कि आप पहले से तैयार रहें. भविष्य की जरूरतों के लिए आप जैसे काफी सारे लोग एक बड़ी राशि इंश्योरेंस, यूलिप, फिक्स डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड जैसे इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते रहते हैं. लेकिन इन सब के बाद भी अक्सर आप कई बार ऐसी मुसीबत से निपटने में असमर्थ हो जाते हैं. पैसों की अचानक जरूरत के लिए हम अपनी एफडी और यूलिप का प्रीमैच्योर विड्रॉल कर लेते हैं, नतीजन पूरी रकम भी नहीं मिल पाती. ऐसे गलतियां लोग इमर्जेंसी फंड न बनाकर करते हैं.

1. तुरंत जरूरतों के लिए इमर्जेंसी फंड बनाएं

आजकल बढ़ती महंगाई के साथ हमारी अन्य जरूरतें भी उसी तेजी से बढ़ रही हैं. ऐसे में बीमारी, नौकरी छूटने या अन्य वजह से अचानक सामने आने वाले बड़े खर्चों से हमारा सारा बजट खराब हो जाता है. ऐसी ही समस्याओं से निपटने के लिए इमरजेंसी फंड बहुत जरूरी होता है. यह फंड ऐसी सेविंग होती है, जिसे तुरंत जरूरत के समय में आप खर्च कर सकते हैं.

2. कितना होना चाहिए इमर्जेंसी फंड

इमर्जेंसी फंड की राशि उतनी होनी चाहिए जो आपके 6 महीनों के खर्चों को पूरा कर सके. यदि आपके पास हैल्थ इंश्योमरेंस पहले से है तो तीन से चार महीने का इमर्जेंसी फंड भी पर्याप्त है. इसके लिए हर महीने अपनी सेविंग का 10 फीसदी हिस्साए इमर्जेंसी फंड के लिए तैयार करें. एक तय सीमा से अधिक बचत होने पर अपनी शेष राशि को अन्य विकल्प में निवेश कर सकते हैं.

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3. लिक्विड फंड में निवेश करें

इमरजेंसी फंड के लिए बैंक बचत खाता और लिक्विड म्युचुअल फंड में भी निवेश किया जा सकता है. इन फंड्स में लॉक-इन पीरिएड नहीं होता और विड्रॉल में भी ज्यादा समय नहीं लगता. बचत खाते में इमर्जेंसी फंड के तौर पर जमा राशि किसी भी समय एटीएम की मदद से निकाल सकते हैं. इमर्जेंसी के लिए कोशिश करें कि बैंक एफडी या म्यूचुअल फंड में निवेश न करना पड़े.

4. इमरजेंसी में क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर सकते हैं

इमर्जेंसी के लिए आपका क्रेडिट कार्ड भी सहायक बन सकता है. क्रेडिट कार्ड के साथ 50 से 60 दिनों तक का क्रेडिट पीरिएड मिलता है. ऐसे में अस्पताल के खर्चों का भुगतान और दूसरे खर्चों के लिए क्रेडिट कार्ड से भुगतान कर सकते हैं. लेकिन आपको बता दें कि क्रेडिट कार्ड का इस्तेामाल विड्रॉल के लिए न करें. क्योंकि इससे ब्याज काफी बढ़ जाएगा.

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5. जरूर करवाएं हेल्थ इंश्योसरेंस

बीमारी या दुर्घटना के दौरान इमर्जेंसी फंड की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है. ऐसे में किसी भी अनिश्चितता से सुरक्षा के लिए अपने और परिवार के लिए एक हेल्थि इंश्योररेंस पॉलिसी होना बहुत जरूरी है. हेल्थ पॉलिसी की मदद से अस्पताल और इलाज के खर्च से बच जाते हैं. कैशलैस प्लान की स्थिति में इलाज के दौरान कोई भी धन राशि देने की जरूरत नहीं होती. लेकिन यदि कैशलैस नहीं है तो कुछ समय के लिए पैसों की जरूरत अवश्य पड़ सकती है.

नन्हे मुन्नों के कपड़ों का रखरखाव

मातापिता जब अपनी नन्ही सी जान को अस्पताल से घर ला रहे होते हैं तो उन की खुशियों की कोई सीमा नहीं होती. बच्चे के आने से पहले ही खूबसूरत रंगबिरंगे क्यूट कपड़ों से घर भरा होता है. मगर इन की खरीदारी और धुलाई करते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि कपड़ों के साथ जुड़ी होती है बच्चे की सेहत और सुरक्षा.

कपड़े खरीदते समय सावधानियां

फैब्रिक: बच्चे के लिए हमेशा मुलायम और आरामदायक कपड़े खरीदें, जिन्हें धोना आसान हो. फैब्रिक ऐसा हो जिस से बच्चे की त्वचा को कोई नुकसान न पहुंचे. बच्चों के लिए कौटन के कपड़े सब से अच्छे रहते हैं. लेकिन ध्यान रहे कि कौटन के कपड़े धुलने के बाद थोड़े सिकुड़ जाते हैं.

साइज: बच्चों के कपड़े 3 माह के अंतराल के आते हैं. ये 0-3 माह, 3-6 माह, 6-9 माह और 9-12 माह के होते हैं. बच्चों को ओवर साइज कपड़े न पहनाएं. ऐसे कपड़े गरदन और सिर पर चढ़ सकते हैं, जिस से दम घुटने का खतरा हो सकता है.

सुरक्षा: बीएल कपूर सुपर स्पैश्यलिटी हौस्पिटल के कंसल्टैंट न्यूनेटोलौजी, डा. कुमार अंकुर कहते हैं कि छोटे बच्चों के लिए हमेशा सिंपल कपड़े खरीदने चाहिए. फैंसी और डैकोरेटिव कपड़े खरीदने से बचें. ऐसे कपड़े खरीदें जिन में बटन, रिबन और डोरियां न हों. बच्चे बटन निगल सकते हैं, जिस से उन का गला चोक हो सकता है. ऐसे कपड़े भी न खरीदें जिन में खींचने वाली डोरियां हों. वे किसी चीज में फंस कर खिंच सकती हैं और बच्चे का गला घुट सकता है.

आराम: ऐसे कपड़े खरीदें जो आसानी से खुल जाएं ताकि कपड़े चेंज कराते वक्त दिक्कत न हो. सामने से खुलने वाले और ढीली आस्तीन के कपड़े अच्छे रहते हैं. ऐसे फैब्रिक के कपड़े लें जो स्ट्रैच हो जाएं ताकि उन्हें पहनाना और उतारना आसान हो, ऐसे कपड़े न खरीदें जिन में जिप लगी हो.

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कपड़े धोने के टिप्स

डा. कुमार अंकुर कहते हैं कि बच्चों की त्वचा संवेदनशील होती है, इसलिए सामान्य डिटर्जैंट का इस्तेमाल न करें. रंगीन और खुशबू वाले डिटर्जैंट तो बिलकुल भी न लगाएं. बेहतर होगा ऊनी कपड़े धोने वाले माइल्ड डिटर्जैंट का इस्तेमाल करें. छोटे बच्चों के कपड़ों को पानी से अच्छी तरह खंगालें ताकि डिटर्जैंट पूरी तरह निकल जाए. अगर बच्चे की त्वचा अधिक संवेदनशील है तो विशेषरूप से छोटे बच्चों के कपड़ों के लिए मिलने वाले डिटर्जैंट का ही इस्तेमाल करें.

बच्चों के कपड़े छोटे और मुलायम होते  हैं, इसलिए उन्हें वाशिंग मशीन के बजाय हाथ  से धोएं तो ज्यादा अच्छा रहता है. अगर आप मशीन में धो रही हैं तो ड्रायर में न सुखाएं. खुले स्थान पर ताजी हवा और सूर्य की रोशनी में सुखाएं. अगर आप फैब्रिक सौफ्टनर का इस्तेमाल करना चाहती हैं तो बेबी स्पैसिफिक सौफ्टनर का प्रयोग करें.

कपड़े धोने के अन्य टिप्स

आइए, जानते हैं कि बच्चों के कपड़ों की साफसफाई किस तरह करें कि उन्हें त्वचा या अन्य किसी तरह का रोग न हो:

  1. कपड़े पर लगे लेबल को ध्यान से पढ़ें. बच्चे के डौलिकेट बेबी क्लोथ्स पर लिखे निर्देशों के हिसाब से चलें.
  2. ज्यादातर कपड़े ज्यादा तापमान से खराब हो जाते हैं. इसलिए कपड़े धोते समय ज्यादा गरम पानी का इस्तेमाल न करें. कुनकुने या ठंडे पानी से ही धोएं.
  3. बच्चों के कपड़ों को रंग, फैब्रिक और दागदब्बों के आधार पर 2-3 हिस्सों में बांट लें. एक तरह के कपड़ों को एकसाथ धोएं. इस से धोने में सुविधा होगी और कपड़े भी सुरक्षित रहेंगे.
  4. बच्चे के कपड़ों में यदि दागधब्बे लग गए हैं तो उन पर बेबी फ्रैंडली माइल्ड डिटर्जैंट लगा कर हलके से रगड़ें, इस से दाग हलके हो जाएंगे. बाद में सामान्य तरीके से धो लें.
  5. डौक्स ऐप की डा. गौरी कुलकर्णी कहती हैं कि जब बच्चे के लिए नए कपड़े खरीदें तो उन्हें पहनाने से पहले धो लें. इस से कपड़े बनाते वक्त काम में लिए गए रसायन शिशु को हानि नहीं पहुंचा पाएंगे. यही नहीं, कपड़ों पर यदि किसी तरह की गंदगी या धूलमिट्टी लगी होगी तो वह भी धुल जाएगी. सिर्फ कपड़े ही नहीं,  केट, चादर, बिस्तर आदि जो शिशु की त्वचा के सीधे संपर्क में आते हैं, प्रयोग से पहले धो लें. ऐसा न करने पर संभव है कि बच्चे की कोमल त्वचा पर खुजली या रैशेज की समस्या पैदा हो जाए.
  6. बच्चे के कपड़ों को कीटाणुओं से मुक्त रखने के लिए कुछ महिलाएं उन्हें ऐंटीसैप्टिक सौल्यूशन में भिगोती हैं. यह उचित नहीं. इस से बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है.
  7. कपड़ों को फर्श पर रख कर रगड़ने के बजाय हाथ या रबड़ शीट अथवा मशीन के ढक्कन पर रख कर साफ करें.
  8. बच्चों के कपड़ों को घर के दूसरे सदस्यों के कपड़ों से अलग धोएं. अकसर बड़ों के कपड़ों में गंदगी ज्यादा होती है. सभी कपड़े साथ धोने पर उन के कीटाणु बच्चों के कपड़ों में आ सकते हैं.
  9. कपड़े सूख जाएं तो उन्हें प्रैस कर लें ताकि रहेसहे कीटाणु भी मर जाएं.
  10. कपड़ों को तह लगा कर कवर में या कौटन के कपड़े में लपेट कर रखें.

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क्या आप ऑनलाइन खरीदती हैं कॉस्मेटिक्स? पढ़ें खबर

कॉस्मेटिक शॉपिंग करते वक्त आपके दिमाग में अपनी त्वचा को लेकर कई सवाल आने लगते हैं जैसे, क्या यह क्रीम मेरी स्किन के लिए सही है, कहीं इस लिप्सटिक से कोई ऐलर्जी तो नहीं हो जाएगी, और फिर अगर ऑनलाइन कॉस्मेटिक शॉपिंग हो तो यह रिस्क और बढ़ जाती है, इस रिस्क को कम करने के लिए इन 4 बातों का ध्यान जरूर रखें.

हमेशा विश्वसनीय ऑनलाइन ब्राण्ड से ही शॉपिंग करें

आप हमेशा अच्छे और विश्वसनीय ऑनलाइन ब्राण्ड से ही कॉस्मेटिक सामान की शॉपिंग करें, हो सकता है कॉस्मेटिक सामान एक अच्छे ऑनलाइन ब्राण्ड की तुलना में किसी और ऑनलाइन साइट पर कम दामों में मिल रहा हो पर, एक अच्छे ऑनलाइन ब्राण्ड की क्वालिटी ही अच्छी और विश्वसनीय होती है.

वही चीजे इस्तेमाल करें जिसे आप पहले इस्तेमाल कर चुके हैं

हर ब्राण्ड के लिप्सटिक, मॉश्चराइजर और ब्लश में अलग अलग कैमिकल इस्तेमाल होते हैं, तो जब आप ऑनलाइन कॉस्मेटिक शॉपिंग करें तो उसी ब्राण्ड का सामान खरीदें, जिसे आप पहले भी लगा चुके हैं और जो आपकी त्वचा के लिए सही और अच्छा है.

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कैसे चुनें सही शेड्स और रंग

ऑनलाइन कॉस्मेटिक शॉपिंग करते वक्त ज्यादातर महिलाओं को यह चिंता होती है कि लिप्सटिक, फाउंडेशन, क्रीम, आईलाइनर का कौनसा रंग और शेड स्किन को सूट करेगा, ऑनलाइन शॉपिंग में टैस्टर भी इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं, इसलिए जो सामान आपको लेना है, तो आप किसी दुकान में जाकर उसके अलग अलग शेड आजमाकर देखें, और जो आपको पसंद हो उस चीज का ब्राण्ड और शेड नंबर लिख लें अगर वही सामान आपको ऑनलाइन कम दाम में मिल रहा है, तो उसे ऑनलाइन ऑर्डर करके खरीद लें.

अगर आपका ऑर्डर सील नहीं है, तो उसे रिजेक्ट करें

आप अपना ऑनलाइन कॉस्मेटिक शॉपिंग ऑर्डर लेते समय ध्यान से देखें कि आपका सामान अच्छे से सील है या नहीं, अगर सील खुली है या फिर नहीं है, तो ऑर्डर किया हुआ सामान बिल्कुल न लें.

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नई नवेली दुल्हन के लिए ट्राय करें ये 28 किचन टिप्स

शादी के बाद हर लड़की की एक ही चिंता होती है कि कहीं खाना बनाने में कोई ऐसी गड़बड़ न हो जाए, जिस से ससुराल वाले नाराज हो जाएं.

आप की इस टेंशन को दूर करने में ये टिप्स मददगार साबित होंगे:

1. दही पतला करना हो तो उस में पानी की जगह दूध मिलाएं.

2. कसूरीमेथी को तवे पर हलका भून कर डालें.

3. घर पर पनीर बनाएं तो बचे पानी का इस्तेमाल मठरी, भठूरे, नान का मैदा गूंधने में करें.

4. सरसों का साग बनाते समय उस में एक शलगम डालें. स्वाद दोगुना हो जाएगा.

5. कोफ्ते बनाते समय सूखा आलूबुखारा या इमली डाल कर रोल करें.

6.  अचार के मसाले को छलनी से छान लें. मसाले में स्वाद अनुसार नमक डाल कर हरीमिर्चों में भर कर खाने के साथ सर्व करें.

7. डोसा बनाने वाले तवे पर रात को ही तेल लगा कर रखें. डोसा चिपकेगा नहीं.

8. परांठे की हर परत पर घी लगा कर सूखा आटा बुरकें.

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9. खीर ज्यादा पतली हो गई हो तो थोड़ा कस्टर्ड पाउडर मिलाएं.

10. कमलककड़ी को उबालें. घी में बेसन भून कर उस में नमकमिर्च, अमचूर, हरीमिर्च डालें. कमलककड़ी के गीले टुकड़े बेसन में डाल कर चलाएं. बेसन चिपक जाएगा. परांठों के साथ सर्व करें.

11. तंदूरी रोटियां बच गइ हों तो सुबह तवे पर घी लगा कर गरम करें. परांठों का स्वाद देंगी.

12. पिसे अनारदाने में नमक मिला कर रखें. कीड़ा नहीं लगेगा.

13. राजमा, लोबिया, काले चने, छोले अगर एक कटोरी बना रही हैं, तो उस में 1 कटोरी टोमैटो प्यूरी डालें. ग्रेवी अच्छी बनेगी.

14. सब्जी में कच्चा पनीर डाल रही हैं तो उसे हलदी मिले पानी में 15 मिनट भिगो कर डालें.

15. राजमा उबाल कर पानी छान कर अलग करें. मसाला भूनें, राजमा डाल कर 5 मिनट तक चलाएं, मसाला राजमा में रच जाएगा. बचा पानी डाल कर पकाएं.

16. पुलाव के लिए नमक डाल कर चावल उबालें. सब्जियां फ्राई करें. मिक्स कर लें. पुलाव खिलाखिला बनेगा.

17. आटा गूंधने का समय न हो तो आटे को भिगो कर रख दें. 15 मिनट बाद घी का हाथ लगा कर मसलें. 2 मिनट में आटा तैयार हो जाएगा.

18. आलू का बोंडा, गोभी, पनीर के पकौड़े बनाते समय बेसन के घोल में चुटकी भर मीठा सोडा डालें. पकौड़े क्रिस्पी बनेंगे.

19. आलू उबाल कर फ्रिज में रखें. मनपसंद आकार में काट कर सुनहरा तल लें. मीठीखट्टी चटनी के साथ परोसें.

20. पोहा पानी में भिगो दें. दूध उबालें उस में पोहा, चीनी और ड्राईफ्रूट्स डालें. झटपट खीर तैयार है.

21. मीठी चटनी में कृत्रिम रंग न डालें. थोड़ी देगीमिर्च डाल दें.

22. गोंद का पाउडर बना लें. जब आटा भुन जाए तो उस में गोंद डाल कर मिक्स करें. वह सूजी के दानों की तरह फूल जाएगी. बूरा मिला कर लड्डू बना लें.

23. गुड़ की डिश बनाने से पहले उसे कूट कर थोड़े पानी में मिला कर गरम करें. मिट्टी, कचरा नीचे बैठ जाएगा. छान कर इस्तेमाल करें.

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24. कुल्फी बनाते समय चुटकी भर मीठा सोडा दूध में डालें. मलाई नहीं आएगी.

25. कपड़ों पर घी या तेल गिर जाए तो झट से आटा, मैदा, टैलकम पाउडर जो मिले उस पर बुरकें. कुछ देर बाद ब्रश से साफ कर साबुन से धो लें.

26. गैस स्टोव पर घी की परत जम जाए तो उस पर मीठा सोडा बुरकें और रगड़ कर साफ कर लें.

27. रसोई का काम निबटाने के बाद गीले हाथों पर आटा या बेसन मलें. सारा मैल उतर जाएगा.

28. मीठी चटनी बनाएं तो उस में चुटकी भर नमक डालें. चटपटी चटनी बनाएं तो 1/2 चम्मच चीनी डालें.

Savings Tips in Hindi: हाउसवाइफ हैं आप तो ध्यान दें…

भारत में ऐसी हाउसवाइव्स की तादाद बहुत ज्यादा है जो पूरी तरह अपने पति पर निर्भर हैं और किसी भी तरह के वित्तीय फैसलों में उनकी भागीदारी न के बराबर हैं. इसके बावजूद वह घर की मैनेजर होती हैं और उनकी जिम्मेदारी अपने घर के बजट को मैनेज करने की होती है.

पिछले कुछ सालों में महंगाई तो बढ़ी है लेकिन उस अनुपात में लोगों की सैलरी नहीं बढ़ी है. लेकिन कई बार जब घर में कोई इमर्जेंसी आती है जैसे, पति की जॉब छूट जाना या कोई हेल्थ प्रॉब्लम तो ऐसे वक्त में महिलाओं को फाइनेंशियल प्लानिंग ही काम आती है.

1. मनी फ्लो मैनेजमेंट

ज्यादातर घरों में हाउसवाइव्स केवल ग्रॉसरी की खरीदारी तक ही सीमित हो जाती हैं. लेकिन हाउसवाइव्स को इसके आगे बढ़ते हुए फाइनेंस को मैनेज करने का तरीका पता होना चाहिेए. इससे पता चलेगा कि कहां आपको ज्यादा खर्च करना है और कहां बचाना है. और यह कोई रॉकेट साइंस नहीं और न ही इसके लिए किसी एक्सपर्ट की सलाह की जरूरत है. आप इसे खुद से या अपने पति के सलाह से भी कर सकती हैं.

2. खर्च कंट्रोल करना

अब जब आप मनी फ्लो मैनेजमेंट करना जान गईं हैं तो अब बारी है खर्चों पर कंट्रोल करने की, जैसे- अगर आपके घर का बिजली का बिल 2 हजार हर महीने आता है तो आपको सोचने की जरूरत है कि कैसे आप इसे कम कर सकती हैं. अगर आप हर रोज वॉशिंग मशीन का इस्तेमाल करती हैं तो हफ्ते में 3-4 दिन ही इस्तेमाल करें. ऐसी ही कई चीजों का ध्यान रखकर आप खर्चों में कटौती कर सकती हैं.

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3. बचत, बचत और सिर्फ बचत

हमेशा पैसों की बचत के बारे में सोचें. इसके लिए सबसे पहला कदम है एक अकाउंट खोलना. इसके अलावा आप सरकार की ओर से चलाई जा रही जीवन ज्योति जैसी तमाम तरह की योजनाओं में भी अपना रजिस्ट्रेशन करवा कर फायदा उठा सकती हैं. आप चाहें तो महंगी ब्रांडेड दवाओं की जगह सस्ती जेनेरिक दवाओं का इस्तेमाल करके भी पैसे बचा सकती हैं.

4. घर बैठे कमाएं पैसे

अगर आप पढ़ी लिखी हैं इसके बावजूद घर की जिम्मेदारियों के चलते आप अपने पति की कोई मदद नहीं कर पा रही हैं तो घर बैठे पैसे कमाने की तरकीब ढूंढना शुरू कर दें. आप फ्रीलांसर की तरह काम कर सकती हैं. इसके अलावा अगर आपकी पेंटिंग, डांसिंग, टीचिंग जैसी कोई हॉबी है तो आप इसके लिए अलग से क्लास चला सकती हैं और घर में क्लास लेकर पैसे कमा सकती हैं.

5. निवेश करें

निवेश की पहली सीढ़ी है बचत. अगर आप हर महीने पैसे बचाती हैं तो आपको सोचना चाहिए कि महंगाई को काटते हुए कैसे आप अपने पैसे को बढ़ा सकती हैं. कभी भी पैसे को अकाउंट में या घर पर भी खाली पड़े नहीं देना चाहिए. उसे फिक्स या फिर रिकरिंग डिपॉसिट में निवेश करना चाहिए. अगर आपका पैसा 10 हजार से बढ़कर 11 हजार भी हो जाता है तो यह एक फायदे का सौदा है.

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जल्दी खत्म हो जाती है सैलरी…

महंगाई ज्यादा है और सैलरी कम. ऐसे में बचत और निवेश करें, तो कैसे करें. यहां दो जून की रोटी जुगाड़ने में सारा पैसा जा रहा है. हममें से ज्यादातर लोगों की सैलरी महीना पूरा होने से पहले ही खत्म हो जाती है.

फिर शुरू होता है वो दौर जब अगली सैलरी का बेसब्री से इंतजार किया जाता है. सैलरी, बचत और निवेश के कई ऐसे आंकड़े सामने आए हैं जिन्हें जानकर आप दंग रह जाएंगे.

रोजाना की जरूरत में खर्च होती सैलरी

आपको जानकर हैरानी होगी कि 10 में से 9 परिवार अपनी सारी कमाई रोजाना की जरूरत पूरा करने में खर्च कर देते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारे देश में 94% परिवार ऐसे हैं जो 70-100% सैलरी खर्च कर देते हैं. अब इसी से अंदाजा लगा लीजिए कि भारत के लोग बचत को लेकर कितने अलर्ट हैं.

भारतीयों को लोन का बोझ नापसंद

भले ही सबका सपना घर खरीदने का हो, लेकिन ज्यादातर लोग इसके लिए लोन लेने में सहज महसूस नहीं करते. शायद इसलिए क्योंकि हम भारतीयों की एक खासियत है कि हम किसी के बोझ तले दबे रहने में सुकून महसूस नहीं करते. यही कारण है कि 20 में से 17 परिवारों पर होम लोन का कोई बोझ नहीं है.

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खाली जेब

देश के आधे परिवार की तनख्वाह महीने के अंत तक खत्म हो जाती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक 47 प्रतिशत परिवार ऐसे हैं जो अपनी इनकम का 1-29 फीसदी हिस्सा बचा लेते हैं. वहीं हैरानी वाली बात यह है कि सिर्फ 1.3 फीसदी परिवार ऐसे हैं जो हर महीने 50-100 फीसदी की बचत करते हैं.

ठन-ठन गोपाल

चौंकाने वाली बात है कि 10 में से 8 परिवार ऐसे हैं, जिनके पास निवेश के लिए कोई बचत नहीं होती. 84 फीसदी परिवार ऐसे हैं जो 1-29 फीसदी के बीच निवेश करते हैं. वहीं, 50 फीसदी से ज्यादा निवेश करने वालों की लिस्ट में एक फीसदी परिवार भी शामिल नहीं हैं.

बैंक में भागीदारी

करीब आधे भारतीय आज भी बचत के लिए पुराने फिक्स डिपॉजिट पर कायम हैं. वहीं, 5 में से 1 आदमी का पैसा टैक्स बचत वाले देशों के बैंकों में रखा है.

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बचत के लिए अच्छी जगह

भारत में 56.2 फीसदी लोग बैक डिपॉजिट में निवेश करते हैं. वहीं, 9.5 फीसदी (रियल स्टेट), 6.3 फीसदी (बीमा,) 3.8 फीसदी (सोना) और 2.1 फीसदी दूसरी चीजों में. बता दें कि 20.7 फीसदी लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने इस बात का जवाब देने से ही इनकार कर दिया.

भविष्य की चिंता

हमारे देश में दो तिहाई लोग ऐसे हैं, जो नौकरी जाने के खौफ से बचत करते हैं. आपको जानकर हैरानी ऐसे लोगों की तादाद 70.6 फीसदी है.

सपनों को दें नई उड़ान

हाल ही में रुचि शाह से मिलना हुआ तो वे कहने लगीं, ‘‘क्या करें बेटी को समय ही नहीं मिलता.’’

‘‘कहां व्यस्त रहती है इतनी वह?’’ मैं ने पूछा.

‘‘क्या बताऊं आजकल औनलाइन पर्सनैलिटी डैवलपमैंट और सैल्फ ग्रूमिंग कोर्सेज जौइन किया है. उस के अलावा 1 घंटा सुबह जिम जाती है. पढ़ाई तो है ही सही,’’ इतना कुछ आखिर क्यों?

‘‘अब जिंदगी में कुछ करना है तो मेहनत तो अभी से ही करनी होगी न,’’ रुचि शाह का जवाब सुन मैं चुप रह गई, किंतु मन ही मन सोचने लगी कि ऐसा भी क्या करना है इन्हें. मेरी बेटी भी तो उसी के साथ पढ़ती है, उसे तो बहुत समय मिलता है. बहुत कुछ है इंटरनैट पर… घर आ कर मैं और मेरी बेटी जब रसोई में एकसाथ काम कर रहे थे तो बातों ही बातों में मैं ने कहा, ‘‘आज रुचि शाह मिली थीं. बता रही थीं कि उन की बिटिया मायरा पूरा दिन कुछ न कुछ सीखती रहती है. बहुत व्यस्त रहती है और तुम हो कि इंस्टा, यूट्यूब में समय गंवा रही हो.’’

‘‘ऐसा क्यों सोचती हैं आप मौम? मैं क्या सारा समय इंस्टा और यूट्यूब पर फालतू समय बिताती? हां, इंटरनैट पर भी बहुत सारे इंफौर्मेटिव वीडियो आते हैं उन्हें देखती. हां, इंस्टा पर अपने पहचान के लोगों से मिलती. आखिर मुझे भी तो अपनी जिंदगी जीनी है या टाइम मशीन बन कर रह जाऊं? उफ, मौम आप कंपेयर क्यों कर रही हैं?

‘‘यह कोई नई बात नहीं कि मायरा हर समय व्यस्त रहती हैं, पर उस की जिंदगी कोई जिंदगी है? न तो वह किसी से मिलती है और न ही किसी से कभी बात करने की फुरसत है उस के पास और सब से जरूरी बात यह कि क्या वह स्वयं खुश है ऐसी जिंदगी से?

जिंदगी में क्या करना है

‘‘खुश होगी तभी तो इतना कुछ कर लेती

है वह.’’

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‘‘नहीं मौम आप को कुछ भी नहीं पता. वह तो चक्की के 2 पाटों में पिस रही है. उस के डैड तो उसे सीए, एमबीए करवा कर अफसर बनाना चाहते हैं और उस की मौम उसे मौडल बनाना चाहती हैं. वह अपना पूरा समय उन की आकांक्षाओं को पूरा करने में बिताती है. जैसे उस की तो कोई लाइफ ही नहीं.’’

‘‘उस के पेरैंट्स भी तो उसी के भले के लिए सोचते हैं.’’

हां, सोचते होंगे, पर पहले वे दोनों आपस में मिलबैठ कर बातचीत कर तय कर लें कि उन्हें अपनी बेटी को क्या बनाना है. बेचारी 2 नावों की  सवार न तो हंसबोल पाती है और न ही कुछ तय कर पाती है कि आखिर उसे अपनी जिंदगी में क्या करना है. जरा वजन बढे़ तो उस की मौम उस के खानपान पर प्रतिबंध लगा देती हैं.

‘‘आखिर कब तक वह अपने मातापिता के अरमानों के बोझ तले दब कर ऐसी जिंदगी जी सकेगी? अभी तो समय कम पड़ रहा है वरना उस की मौम उसे कत्थक डांस क्लास और जौइन करवाएंगी. माधुरी दीक्षित और ऐश्वर्या राय की छवि देखती हैं उस की मौम उस में.’’

‘‘तो तुम्हारे हिसाब से उसे ये सब नहीं करना चाहिए? अपने मातापिता से विद्रोह करना चहिए?’’

‘‘हां, बिलकुल करना चाहिए. माना उस के मातापिता पढ़ेलिखे हैं, अच्छा कमाते हैं, दोनों वर्किंग हैं, किसी चीज की कोई कमी नहीं, लेकिन वे अपने सपनों का बोझ अपनी बेटी पर नहीं लाद सकते. मैं तो यही कहूंगी कि वे पढ़ेलिखे हैं, पर समझदार नहीं.’’

‘‘यह क्या कह रही हो तुम?’’ मैं ने कहा.

अपनी भी तो मरजी है

‘‘मैं ठीक कह रही हूं मौम. यदि वे समझदार होते तो अपनी बेटी की खूबियों को पहचानते. मालूम है वह फ्री पीरियड में लाइब्रेरी जाती है और वहां अफ्रीका के जंगलों और जानवरों के बारे में पढ़ती है, हम लोगों से फोन ले कर इंटरनैट पर वाइल्ड लाइफ मिस करती है. वे सब करते समय उस के चेहरे पर अलग ही मुसकराहट होती है. हम सभी सहेलियां उस की इस मामले में बहुत मदद करती हैं.

हम अपने फोन उसे दे देती हैं ताकि वह इंटरनैट का इस्तेमाल कर सके. उस के पेरैंट्स ने उस के फोन पर तो रैकर लगा रखा है ताकि वह उन की मरजी के खिलाफ कुछ देखपढ़ न ले. उफ, यह तो बहुत गलत है. आखिर वह भी तो फ्री पीरियड में अपनी मरजी का कुछ तो करना चाहती होगी.’’

‘‘तो तुम क्या कहती हो उसे अपने मातापिता से झगड़ा करना चाहिए?’’

नहीं मौम, उसे झगड़ा नहीं करना चाहिए, लेकिन उन के सपनों के बोझ तले अपने जीवन को भी नष्ट नहीं करना चाहिए बल्कि अपने पसंद के क्षेत्र की पूरी जानकारी ले कर अपने मातापिता से बातचीत करनी चाहिए. वह जंगलों और जानवरों से प्रेम करती है. माना यह फील्ड नई है जिस की जानकारी उस के मातापिता को नहीं. शायद हम जैसे लोग आमतौर पर इस फील्ड में नहीं जाते, पर हर फील्ड में कुछ न कुछ स्कोप तो होता ही है. फिर आजकल तो टूरिज्म इंडस्ट्री खूब फूलफल रही है.

नैशनल जियोग्राफिक चैनल, डिस्कवरी चैनल पर ये सब कितना आता है. वह किसी खास विषय या जानवर पर रिसर्च भी कर सकती है. किंतु आप लोगों को ये सब बताना फुजूल है. आप लोग तो लकीर के फकीर बने रहना चाहते हैं जैसे जो सब आप ने किया या सोचा उस के अलावा दुनिया में कुछ और अच्छा है ही नहीं. मुझे तो डर है कि मायरा कहीं स्ट्रैस और फ्रस्ट्रेशन में पढ़नालिखना ही न छोड़ दे.’’

‘‘नहीं वह अच्छी लड़की है. वह ऐसा नहीं करेगी कभी.’’

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निरंतर प्रयासरत

‘‘अच्छी लड़की माई फुट. मौम बस पेरैंट्स कहें वही करो तब ही अच्छी लड़की होती है? मैं क्या बुरी लड़की हूं. लेकिन मेरी अपनी ओपिनियन होती है, मैं रिस्पैक्ट करती हूं अपनी ओपिनियन और अपनी चौइस कीं. मैं अपने सपनों को साकार करने के लिए जब आंखें मूंदती तो हूं मन ही मन कहती हूं कि यस आई विल डू इट और उस के लिए निरंतर प्रयासरत हूं, लेकिन आप लोगों ने अपने सपने मुझ पर लादे नहीं. मैं जो पढ़ना चाहती हूं उस की छूट दी.

हकीकत तो यह है कि सबकुछ मैं ने ही तय किया. जो मुझे कालेज में पढ़ाया जाता है मैं उसे एक दिन पहले ही घर में पढ़ लेती हूं क्योंकि मुझे वह सब अच्छा लगता है. मुझे अपने विषय में ज्यादा सिर नहीं खपाना पड़ता. इसीलिए आप को मेरी मेहनत नजर भी नहीं आती और मैं समय निकाल कर मौजमस्ती भी कर लेती हूं.’’

‘‘हां, बात तो तुम्हारी सही है. तुम अपनी सहेली को क्यों नहीं समझाती कि वह अपने मातापिता से बात करे और उन्हें बताए कि वह अपनी पसंद का कैरियर चुनना चाहती है?’’

‘‘उन्हें समझा कर कोई फायदा नहीं मौम क्योंकि उस के मातापिता दोनों ही एकदूसरे को नहीं समझा पाए. बस दोनों अपनी जिद पर अड़े हैं कि एक के अनुसार बेटी मौडलिंग करे और दूसरे के अनुसार हर वक्त किताबों में सिर घुसाए रखे. पहले उन्हें आपस में समझना जरूरी है और यह जानना जरूरी है कि उन की बेटी क्या करना चाहती है पर वे दोनों इतने नासमझ हैं कि इस विषय पर बेटी से बातचीत ही नहीं करते.

‘‘बस उस के लिए एक पगडंडी बना दी है और जैसे घोड़े की आंखों पर कनपटा बांध दिया जाता है कि वह साइड में न देखे बस आगे देखे वैसे ही उसे अपने मातापिता की आंखें ले कर उस पगडंडी पर चलना है.’’

‘‘हां, बात तो तुम सही कहती हो,’’ मैं ने कहा.

सपनों को जिओ

‘‘आप को लगता है कि मैं सही कह रही हूं तो आप ही समझाओ उस की मौम व डैड को वरना किसी दिन वह कुछ गलत न कर बैठे. उस ने विद्रोह कर दिया तो फिर वह उन दोनों से बहुत दूर चली जाएगी. हो सकता है वह मौडल या अफसर बन जाए, किंतु उस के मातापिता की आंखें कब तक उसे राह दिखाएंगी. वह तो वाइल्ड लाइफ सफारी को मिस करती है और सोचती है एक बार मांबाप का सपना पूरा कर दे, फिर अपना सपना पूरा करेगी.

एक बार मौडलिंग में चली भी जाएगी तो छोड़ देगी या फिर किसी बड़ी कंपनी में अफसर बन गई तो नौकरी छोड़ देगी और यदि यह भी न हुआ तो पूरी जिंदगी कसमसाती रहेगी अपने अधूरे ख्वाबों के साथ. अपने सपनों को जिओ. आखिर जिंदगी उस की है और उसे ही जीनी है. उसे अपने सपने को पूरा करने के लिए प्रयास करना चाहिए न कि अपने मातापिता के अरमानों को जीना चाहिए.’’

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DIWALI 2021: इस दीवाली ट्राय करें ये 9 रंगोली

बाजार में मिलने वाली पाउडरनुमा रंगोली से आप ने कई बार रंगोली बनाई होगी, लेकिन इस बार कुछ नया ट्राई करें ताकि घर आए मेहमानों की नजर आप की रंगोली पर ठहर जाए. आइए, जानें तरह-तरह की रंगोली बनाना:

1. कुंदन रंगोली

डिजाइनर कपड़ों की तरह अगर आप डिजाइनर रंगोली से अपने आंगन को सजाना चाहती हैं तो बाजार में उपलब्ध रैडीमेड कुंदन रंगोली से बढि़या विकल्प और कोई नहीं. चूंकि इसे बनाने के लिए रंगबिरंगे कुंदन इस्तेमाल किए जाते हैं, इसलिए यह देखने में काफी आकर्षक नजर आती है.

2. फ्लोटिंग रंगोली

पानी में तैरती रंगोली भी इन दिनों डिमांड में है, लेकिन घबराएं नहीं इसे आप को बनाने की जरूरत नहीं है. यह बाजार में रैडीमेड मिलती है. इसे घर ला कर पानी से भरे बाउल में बस डालना होता है. यह पानी में तैरने लगती है. मुख्यद्वार, आंगन के साथ ही ऐसी रंगोली टेबल डैकोरेशन के भी काम आती है. इस के लिए पानी से भरा बाउल टेबल पर रख कर उस में फ्लोटिंग रंगोली डाल दें.

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3. स्टीकर रंगोली

अगर आप के पास रंगोली बनाने का समय नहीं है या आप को रंगोली बनानी नहीं आती है, तो चिंता करने की जरूरत नहीं है. आप स्टीकर रंगोली का चुनाव कर सकती हैं. इस के लिए ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं होती. बस जगह के अनुसार छोटीबड़ी जैसी चाहें वैसी रंगोली का स्टीकर खरीद कर घर ले जाएं और उसे मुख्यद्वार के सामने या आंगन में चिपका दें. दूसरी रंगोली जहां अगले दिन ही बिखर जाती है वहीं स्टीकर रंगोली कई महीनों तक ज्यों की त्यों रहती है.

4. चौक से बनी रंगोली

अगर आप की ड्राइंग अच्छी है तो आप फर्श पर चौक से भी रंगोली बना सकती हैं. इस के लिए अलगअलग रंग की चौक खरीदें और प्रयोग से पहले पानी में कुछ देर के लिए भिगो दें. फिर धीरेधीरे रंगोली बनाती जाएं. जैसेजैसे भारी चौक से बनी डिजाइन सूखेगी वैसेवैसे रंगोली का रंग और भी गहरा नजर आएगा.

5. ग्लास पेंटिंग रंगोली

ग्लास पर पेंटिंग ब्रश से बनाई गई रंगबिरंगी रंगोली भी काफी खूबसूरत नजर आती है. इन दिनों ग्लास पेंटिंग रंगोली काफी डिमांड में है. आप चाहें तो इसे अपनी पहली पसंद बना सकती हैं. बाजार में यह छोटी, बड़ी और मध्यम हर आकार और कई रंगों में मिलती है.

6. फूलों की रंगोली

मेहमानों का ध्यान आकर्षित करने के लिए रंगबिरंगे फूलों की रंगोली बनाई जा सकती है. इसे बनाने के लिए खासकर गुलाब, कमल, गेंदा, एस्टर के फूलों की पंखुडि़यों का इस्तेमाल किया जाता है. फूलों के साथ पत्तों का इस्तेमाल कर और भी आकर्षक बनाया जा सकता है. रंगों के साथ खुशबू भी फूलों की रंगोली की खासीयत है. इन दिनों पानी में तैरती फूलों की रंगोली भी काफी पसंद की जा रही है.

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7. वुडन रंगोली

लकड़ी के बेस पर स्टोन, मोती, स्पार्कल आदि की सहायता से बनाई गई रंगोली पहली नजर में ही सब का मन मोह लेती है. बाजार में यह अलगअलग भागों (पत्ते अलग, फूल अलग) में रैडीमेड मिलती है. बस इसे घर ला कर सैट करने की जरूरत होती है. वुडन रंगोली वुडन फ्लोरिंग वाले कमरे में ज्यादा जंचती है. दीवाली के बाद इसे दीवार पर टांग कर वाल डैकोरेशन भी की जा सकती है.

8. अनाज की रंगोली

दाल, चावल, गेहूं, सूजी के अलावा आटे से भी रंगोली बनाई जा सकती है. इस के लिए अलगअलग रंग की साबूत दाल जैसे मूंग, मसूर, तुअर, चना, मटर का प्रयोग करें. इसी तरह चावल को हलदी से रंग कर या कुमकुम लगा कर पीला और लाल रंग दें और फिर चावल का इस्तेमाल करते हुए रंगोली बनाएं. बेसन, मैदा, गेहूं और चावल के आटे से भी रंगोली बनाई जा सकती है.

9. मिलीजुली रंगोली

चाहें तो फूल, अनाज और दीयों का प्रयोग कर के भी बेहद खूबसूरत रंगोली बना सकती हैं. इस के लिए पहले चौक की सहायता से जमीन पर बड़ी डिजाइन बना लें. अब इस के कुछ हिस्सों में फूलों की पंखुडि़यां, कुछ में पत्ते, कुछ में रंगे चावल तो कुछ में हरीपीली दालें डाल कर इसे सुंदर रूप दें. जब रंगोली तैयार हो जाए, तो उस पर जलते हुए कुछ दीए रख दें.

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6 Tips: सुकुन भरे रिटायरमेंट के लिए शुरू करें प्लानिंग

हम पूरी जिंदगी डटकर काम करते हैं जिससे हम अपने परविार के साथ सुकून भरी लाइफ जी सकें. लेकिन हम तब तक ही कमा सकते हैं कि जब तक हमारा शरीर साथ देता है. सरकारी नौकरी में हम 58 या 60 साल पर रिटायर हो जाते हैं. लेकिन प्राइवेट जॉब में अक्‍सर लोग तब तक काम करते हैं, जब तक उनकी हेल्‍थ उन्‍हें काम करने देती है. ऐसे में सिक्‍योर्ड फ्यूचर के लिए समय रहते रिटायरमेंट की प्‍लानिंग करना बेहद समझदारी भरा कदम है. लेकिन अक्‍सर रिटायरमेंट के लिए किसी भी सरकारी या निजी कंपनी की स्‍कीम में अंधाधुंध निवेश कर डालते हैं. लेकिन इसके लिए प्रोपर प्‍लानिंग के साथ समझदारी पूर्ण निवेश करना बहुत जरूरी है.

1. पब्लिक प्राविडेंट फंड

पब्लिक प्राविडेंट फंड यानि कि पीपीएफ पैसा बचाने के लिए बेहतरीन विकल्पों में से एक है. इसमें न सिर्फ पैसा जमा करने से टैक्‍स बचता है बल्कि इस पर ब्याज भी टैक्‍स फ्री होता है. पीपीएफ डेट में सबसे अच्छा विकल्प है और इसका रिटर्न पूरी तरह टैक्स फ्री होता है. आप बैंक ऑर पोस्ट ऑफिस से पीपीएफ खोल सकते हैं. यह सुरक्षित निवेश का जरिया है.

2. इंप्‍लॉई प्रोविडेंट फंड

इंप्‍लॉई प्रोविडेंट फंड यानि कि ईपीएफ भी बेहतर रिटायरमेंट फंड है. सैलरी में से 12 फीसदी ईपीएफ में जाता है. इसकी ब्याज दर 8.75 फीसदी है. ये रिटयरमेंट सेविंग्स स्कीम है. सैलरी पाने वाले ही इसका फायदा उठा सकते हैं. लेकिन आप पूरी रिटायरमेंट प्लानिंग नहीं कर सकते हैं.

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3. न्‍यू पेंशन स्‍कीम

न्‍यू पेंशन स्‍कीम यानि की एनपीएस खासतौर पर रिटायरमेंट के लिए डिजाइन की गई है. न्यू पेंशन स्कीम इसमें 80 सी के तहत 10 फीसदी टैक्स बचत हो सकती है. इसमें 6 अलग अलग फंड में निवेश की सुविधा है. इसमें निवेश की कोई ऊपरी सीमा नहीं है. इसमें सालाना न्यूनतम निवेश 6,000 रुपये का होता है. 30 फीसदी टैक्स स्लैब में आते हैं तो एनपीएस में सालाना 15,000 रुपये बचा सकते हैं. इसमें 18 साल से 55 साल की उम्र तक के लोग निवेश कर सकते हैं.

4. इंश्योरेंस

आप भविष्‍य की जरूरतों के लिए यूलिप, पेंशन प्रोडेक्ट, ट्रेडिशनल पॉलिसी के जरिए निवेश कर सकते हैं. लंबी अवधि में यूलिप के जरिए निवेश कर सकते हैं. 58 साल से पहले पेंशन प्रोडेक्ट से पैसे निकालने पर एक्जिट लोड लगता है. पेंशन प्लान, रिटायरमेंट प्लान जैसे कई इंश्योरेंस विकल्प चुन सकते हैं.

5. म्यूचुअल फंड

अगर लंबी अवधि के लिए निवेश करना है तो म्यूचुअल फंड में एसआईपी कर सकते हैं. इसमें भी 2 विकल्प हैं. चाहें तो आप म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं और चाहे तो इक्विटी में सीधा निवेश भी कर सकते हैं.

6. टैक्स फ्री बॉन्ड

जब आपके रिटायरमेंट के लिए 1-2 साल बचें और आपके पास कुछ कोष इकट्ठा हो जाए तो आप टैक्स फ्री बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं. इसमें 10-20 साल का लॉक इन पीरियड होता है और ये सुरक्षिच निवेश का जरिया होता है. इसके ब्याज पर कोई टैक्स नहीं होता है.

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