होली में रसायन वाले रंगों के बीच ऐसे रखें अपना ख्याल

होली का इंतजार सभी को रहता है, विशेषकर बच्चों में इस त्वहार का खासा उल्लास रहता है. पर जरूरी है कि इस दौरान हम कुछ खास बातों का ख्याल रखें नहीं तो हमें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. बाजार में मिलने वाले होली के ज्यादातर रंग हमारी त्वचा, बालों और आंखों के लिए काफी हानीकारक होते हैं. इससे जलन, रैशेज और एलर्जी की समस्याएं होती हैं.

होली के इस खास मौके पर आपको कोई भी परेशानी का सामना ना करना पड़े, होली की मौज मस्ती फीकी ना पड़ जाए इसलिए हम आपको कुछ खास टिप्स देने वाले हैं, जिनको ध्यान में रख कर आप अपनी होली को और ज्यादा इंजौय कर पाएंगी.

बरतें सावधानियां

होली से एक दिन पहले अपने पूरे शरीर पर सरसो का तेल लगा लें. खास कर के हाथ और पैरों में, क्योंकि ये अंग रंगों से सीधे संपर्क में आते हैं. तेल से आपकी त्वचा सुरक्षित रहेगी. रंग भी इससे आसानी से हट जाते हैं.

तेल के अलावा आप लोशन का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. त्वचा को साफ रखने में ये बेहद कामगर होते हैं.  इसके इस्तेमाल से मुश्किल रंग भी छूट जाते हैं. इसके अलावा बालों में आप बहुत सारा नारियल का तेल लगाएं. ये एक संरक्षक एजेंट के रूप में काम करता है और रंगों को बालों की गहराइयों में जाने से रोकता है.

क्या करें जब रंग आंखों में या मुंह में चला जाए

अगर आपकी आंखों या मुंह में सूखा रंग चला जाए तो उसे पानी से अच्छे से धोएं. आंखों को साफ करने के बाद उसमें गुलाब जल डालें और थोड़ी देर तक आराम करें. ससे आपकी आंखों को ठंडक मिलेगी.

ये मसाले रखेंगे आपके दिल का ख्याल

मसालों का सेवन केवल स्वाद के लिए नहीं किया जाता है बल्कि स्वास्थ की बेहतरी में भी इनका योगदान बेहद अहम होता है. मसालों में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं जो आपके दिल के लिए काफी फायदेमंद होते हैं.

इस खबर में हम आपको उन पांच मसालों के बारे में बताएंगे जिनके सेवन से आप अपने दिल को हेस्दी रख सकेंगी.

लहसुन

दिल का काफी नुकसान होता है बढ़े हुए कौलेस्ट्रोल से. लहसुन दिल की बीमारियों में काफी कारगर होता है. बढ़े हुए कौलेस्ट्रोल को कम करने में ये बेहद फायदेमंद होता है. आपको बता दें कि लहसुन में एलिसिन नाम का एक एंटीऔक्सिडेंट पाया जाता है, इसका काम होता है कौलेस्ट्रोल को नियंत्रण में रखना. इसके अलावा ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में भी लहसुन काफी असरदार होता है.

काली मिर्च

काली मिर्च कौर्डियोप्रोटेक्ट‍िव एक्शन को सक्रिय करने का काम करती है. ये औक्सीडेटिव डैमेज से हमे सुरक्षा देता है इसके साथ ही कार्डियक फंक्शन को भी सही रखता है.

धनिया के बीज

धनिया के बीजों में एंटीऔक्सिडेंट की मात्रा अधिक होती है. इसमें मौजूद तत्व हमारे दिल को फ्री रेडिकल्स से सुरक्षित रखते हैं. कौलेस्ट्रोल को कंट्रोल करने के लिए और ब्लड फ्लो बढ़ाने के में धनिए का बीज बेहद कामगर होता है.

दाल चीनी

खाने में दालचीनी का इस्तेमाल शरीर में खून के बहाव को बोहतर बना कर रखता है. इससे शरीर में ब्लड क्लौटिंग का खतरा काफी कम हो जाता है. दिल की परेशानियों को दूर रखने के लिए जरूरी है कि आप रोज एक चुटकी दालचीनी का सेवन करें.

हल्दी

आपको बता दें कि हल्दी में एंटीऔक्सिडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं. ये तत्व हमारे शरीर में ब्लड कौलेस्ट्रोल को कम करने में बेहद असरदार होते हैं. डायबिटिज से बचाव करन के लिए ये काफी प्रभावशाली उपाय है.

बेहद फायदेमंद है नारियल का तेल, आज ही से इस्तेमाल शुरू करें

हेल्दी लाइफ सबकी चाहत होती है. सभी लोग चाहते हैं कि वो रोग मुक्त रहें, स्वस्थ रहें. पर क्या मौजूदा रहन सहन में, खास कर के शहरी लाइफस्टाइल में हेल्दी रहना एक बड़ी चुनौती नहीं है? इस माहौल में खुद को स्वस्थ रखने के लिए लोग तरह तरह के पैंतरे आजमाते हैं. ऐसे में हम आपको हेल्दी और खुद को फिट रखने का एक आसान तरीका बताने वाले हैं.

नारियल के तेल की खूबी से ज्यादातर लोग वाकिफ हैं. बालों की सेहत के लिए ये बेहद लाभकारी होता है. पर अपने किचन में इसके इस्तेमाल से होने वाले फायदों के बारे में पता है आपको? इस खबर में हम आपको बताएंगे कि नारियल के तेल को अपनी डाइट में शामिल करने से किस तरह के फायदे हो सकते हैं. तो आइए शुरू करें.

मजबूत होता है मेटाबौलिज्म

नारियल के तेल के इस्तेमाल से शरीर का मेटाबौलिज्म मजबूत होता है. जब आपका मेटाबौलिज्म मजबूत रहेगा तो आपका वजन जल्दी कम होगा. खाने में नारियल के तेल के इस्तेमाल से पेट की चर्बी भी कम होती है.

हड्डियों को बनाए मजबूत

नारियल के तेल से बना खाना खाने से हड्डियां और दांत मजबूत होते हैं. इसके सेवन से शरीर में मैग्निशियम और कैल्शियम सही से सोख लिए जाते हैं. इसके साथ ही जुकाम की शिकायत में भी ये असरदार है.

दिल के लिए होता है लाभकारी

आज के वक्त में बहुत से लोग दिल की बीमारियों से ग्रसित हैं. इन लोगों के लिए नारियल का तेल काफी फायदेमंद होता है. इसमें शामिल लौरिक एसिड शरीर के गुड कैलेस्ट्रौल को बढ़ाता है और दिल को स्वस्थ रखता है.

बीमारियों से रखे सुरक्षित

नारियल का तेल काफी गुणकारी होता है. इसमें एंटी बैक्टीरियल, एंटी वायरल, एंटी माइक्रोबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं. इसमें मौजूद ये गुण शरीर के सारी गंदगियों को बाहर कर देता है, जिससे आप सुरक्षित रहती हैं.

पेट के लिए है फायदेमंद

जिन लोगों को डाइजेशन में परेशानी होती है उनके लिए नारियल का तेल बेहद लाभकारी होता है. डाइट में इसे शामिल करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है. पेट के इंफेक्शन के लिए जिम्मेदार बहुत सी बैक्टीरिया से सुरक्षित रहने में भी ये काफी कामगर है.

वजन कम करने के लिए खाएं चीज

भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों किसी चीज पर समबसे कम ध्यान दे पाते हैं तो वो है अपना खानपान. लोगों का खानपान को सबसे कमतर आंकते हैं. अनहेल्दी खानपान, जंक फूड, फास्ट फूड जैसी चीजों के प्रति लोगों का आकर्षण उनकी खराब हो रही सेहत का प्रमुख कारण है. इन खाद्य पदार्थों में मौजूद चीज से लोगों का तेजी से वजन बढ़ता है, जिसके बाद लाख कोशिशों के बाद भी ये कम नहीं होता.

पर क्या आपको पता है कि चीज से केवल वजन बढ़ता नहीं है, बल्कि वजन कम करने में भी चीज काफी कारगर होता है. इसमें मौजूद हाई कैल्शियम आपके शरीर के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. पनीर में मौजूद प्रोटीन और फास्फोरस व्यक्ति की पाचन क्रिया को दुरुस्त बनाए रखने का काम करता है. पर वजन कम करने के लिए किसी भी प्रकार के चीज का सेवन करना ठीक नहीं है. वजन कम करने के लिए चीज का सेवन करना है तो आप ऐसे चीज का चुनाव करें जिसमें सारे जरूरी न्यूट्रिएंट्स मौजूद हों पर फैट की मात्रा कम हो.

आइए जाने चीज के ऐसे तीन प्रकार जिनके सेवन से आप अपना वजन कम कर सकती हैं.

पारमेसान चीज

take cheese to reduce weight

चीज का ये प्रकार सेहत के लिए तो अच्छा है ही साथ में इसका स्वाद भी लाजवाब है. इसमें कई तरह के प्रोटीन्स, कैल्शियम और मिनरल्स पाए जाते हैं. आपको बता दें कि 1 चम्मच पारमेसान चीज में लगभग 21 कैलोरी मौजूद होती हैं. आप अपनी पसंद के मुताबिक इसे सलाद या सूप बनाते समय इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.

कौटेज चीज

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स्लिम रहने के लिए कौटेज चीज एक बेहतर विकल्प है. इसमें करीब 50 फीसदी प्रोटीन पाया जाता है. वहीं कौटेज चीज से भरे एक कप पनीर में लगभग 163 कैलोरी मौजूद होती हैं.

फेटा चीज

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आपको ये जान कर हैरानी होगी कि फेटा चीज को भेड़ और बकरी की दूध से बनाया जाता है. इसमें अधिक मात्रा में सोडियम की मात्रा पाई जाती है. अगर आप इसका सेवन करने की सोच रही हैं तो आपको बता दें कि इसे खाने के बाद अधिक पानी का सेवन करना चाहिए. फेटा पनीर में काफी कम कैलोरी होती है, इसलिए यह वजन घटाने में मददगार होती है. 28 ग्राम फेटा चीज में लगभग 75 कैलोरी मौजूद होती है.

दवाइयों से डिप्रेशन का इलाज संभव नहीं

आज की लाइफस्टाइल के कारण लोगों में डिप्रेशन का खतरा तेजी से बढ़ रहा है. इसके इलाज के लिए बहुत से लोग तरह तरह के उपाय करते हैं. बहुत से लोगों का मानना है कि केवल डाइट बदल देने से ये परेशानी दूर हो सकती है. कई लोग दवाइयों पर ज्यादा भरोसा करते हैं और कई तरह की दवाइयां लेने लगते हैं. इन सब के बाद भी उनकी स्थिति में सुधार नहीं होता तो उनकी मानसिक हालत और खराब होने लगती है. हाल ही में एक नई स्टडी में दावा किया गया कि दवाइयों से डिप्रेशन को ठीक नहीं किया जा सकता है.

अमेरिका के एक जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट की माने तो न्यूट्रिशनल सप्लिमेंट आपने डिप्रेशन को ठीक नहीं कर सकता. इस नतीजे पर पहुंचने के लिए एक शोध किया गया, जिसमें उन लोगों को शामिल किया गया जिन्हें डिप्रेशन है नहीं पर भविष्य में हो सकता है. स्टडी में करीब 1000 लोगों को शामिल किया गया. इस स्टडी को करीब एक साल तक किया गया. इसमें कुछ लोगों को न्यूट्रिशनल सप्लीमेंट दिया गया. जबकि कुछ को प्लेसबो और कुछ लोगों को लाइफस्टाइल कोचिंग दी गई.

स्टडी का परिणाम किसी भी तरह से सकारात्मक नहीं था पर इसका नीचोड़ ये जरूर था कि डाइट में परिवर्तन और बिहेवियरल थेरेपी डिप्रेशन को कुछ हद तक कम करने में सक्षम है. जानकारों की माने तो डिप्रेशन अब एक बेहद समान्य सी परेशानी बन गई है. बहुत से लोग इसके चपेट में हैं. न्यूट्रिशनल सप्लिमेंट लेने से लोगों में डिप्रेशन कम तो नहीं होता पर ये जरूर है कि डाइट में परिवर्तन करने से इसे कुछ हद तक कम जरूर किया जा सकता है. इस पर अभी और अधिक शोध करने की जरूरत है.

डाइट में फल, ताजी सब्जियां, दाल मछली और डेरी उत्पादों को डाइट में शामिल कर इस परेशानी से नीजात पाई जा सकती है. जो लोग मोटापे से परेशान हैं, वो अपना वजन कम कर के डिप्रेशन की तीव्रता कम कर सकते हैं.

इन बीमारियों के कारण होते हैं चेहरे के ये बदलाव

हमारे शरीर में क्या कमी है, किस चीज की अधिकता है, सेहत संबंधित सारी चीजें हमारे चेहरे पर उभर आती हैं. किसी भी व्यक्ति के चेहरे को देख कर बताया जा सकता है कि उसे किस तरह की बीमारी है. आपका चेहरा कई तरह की बीमारियों का संकेत देता है.

इस खबर में हम आपको बताएंगे कि चेहरे पर आने वाले कौन से बदलाव किस बीमारी के लक्षण होते हैं. किसी भी तरह के बदलाव के क्या मायने होते हैं.

चेहरे पर बाल आना

हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ने से इस तरह की परेशानियां महिलाओं में देखी जाती है. इससे बहुत परेशान ना हों. डाक्टर को दिखाएं, परामर्श लें. जल्दी आपको राहत मिलेगी.

शरीर पर लाल धब्बों का आना

जब आपके पेट में किसी तरह की परेशानी हो रही है तो शरीर पर लाल बड़े धब्बे उभर आते हैं.

बालों का झड़ना

बालों का झड़ना एक आम सी परेशानी है. पर अगर आपके सिर के बालों के साथ पलकें और आईब्रो भी झड़ रहें हैं तो सावधान हो जाइए. इसे नजरअंदाज ना करें. जानकारों की माने तो ये औटोइम्‍यून बीमारी के कारण होता है.

होंठ का सूखना

अगर आपके शरीर में पानी की कमी रह रही है तो आपके होंठ सूखेंगे. सारे मौसमों में अगर आपके होंठ खुश्क रहते हैं तो आपको डायबिटीज और हाइपोथाइरौडिज्म की भी जांच करा लेनी चाहिए.

चेहरे का पीला पड़ना

जब आपके शरीर में खून की कमी होती है तो आपके चेहरे का रंग बदलता है. चेहरे का पीला होना खून की कमी का सूचक है. अपने खानपान पर ध्यान दें.

समय पर होना है प्रेग्नेंट तो इस बात का ख्याल रखें

खराब खानपान का सेहत पर तुरंत असर नहीं होता, बल्कि एक लंबे समय के बाद इनका असर समझ आता है. हाल ही में हुए एक स्टडी में ये बात सामने आई कि जंकफूड का अधिक प्रयोग करने वाली महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान बहुत परेशानी होती है. शोध में पाया गया कि हफ्ते में तीन चार बार से अधिक जंकफूड का सेवन करने वाली महिलाओं को प्रेग्नेंट होने में ज्यादा वक्त लगता है. वहीं जो महिलाएं जंकफूड का सेवन कम करती है वो ज्यादा सहूलियत और आसानी से प्रेग्नेंट होती हैं.

औस्ट्रेलिया में हुए इस शोध में ये बात सामने आई कि जो महिलाएं हेल्दी फूड खाती हैं वो ज्यादा फिट रहती हैं और सही वक्त पर गर्भवती भी होती हैं. फर्टिलिटी में भी हेल्दी फूड बेहद लाभकारी होते हैं. इसके अलावा ये बात भी सामने आई कि जिन खाद्य पदार्थों में जिंक और फोलिक एसिड की मात्रा प्रचुर होती है उनके सेवन से गर्भधारण की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है. हरे पत्तेदार सब्जियों, मछली, बीन्स और नट्स में ये तत्व पाए जाते हैं.

पाचन की है समस्या तो इन 5 चीजों से बना लें दूरी

जैसा हमारा खानपान हो गया है धिकतर लोगों को पेट की समस्याएं होने लगी हैं. बहुत से लोगों को परेशानी रहती है कि उनका पेट साफ नहीं रहता. अगर आपका पेट साफ नहीं रहता है तो पूरा दिन खराब जाता है. इसके अलावा आपको कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं.

इस खबर में हम आपको पांच चीजों के बारे में बताएंगे जिनसे दूरी बना कर आप अपने पेट को हेल्दी रख सकती हैं.

चिप्स

जो लोग चिप्स का सेवन अधिक करते हैं उन्हें अपच की समस्या होती है. जिन लोगों को पहले से अपच की परेशानी है उन्हें इससे दूरी बनानी चाहिए. आलू में वसा की मात्रा अधिक होती है, जिसके कारण इसे पचने में काफी वक्त लगता है. पेट की अच्छी सेहत के लिए जरूरी है कि तली और भुनी हुई चीजों का अधिक सेवन करने से बचें.

दूध से बने उत्पाद

दूध से बना उत्पाद गरिष्ठ भोजन की श्रेणी में आते हैं. इसके पाचन में काफी समय लगता है. इन उत्पादों में  फाइबर की मात्रा बेहद कम होती है और वसा की मात्रा अधिक होता है. यही कारण है कि इसका अधिक सेवन करने से पेट की बहुत सी समस्याएं होती हैं.

केला

आमतौर पर पाचन में केला काफी मददगार होता है पर कच्चा केला इसके ठीक उलट प्रभाव डालता है. पेट की सेहत के लिए जरूरी है कि कच्चे केले से दूर रहें.

फ्रोजन खानों से रहें दूर

फ्रोजन खानों से दूर रहें. ज्यादा दिनों तक रखें खाद्य पदार्थ आपकी पेट की सेहत के लिए अच्छे नहीं होते. कोशिश करें कि हरी साग सब्जियों का सेवन करें.

बिस्कुट

बिस्कुट और कुकिड में मैदा की मात्रा अधिक होती है. पेट के लिए ये काफी हानिकरक होता है. पेट की सेहत के लिए जरूरू है कि इनके अधिक सेवन से बचें.

लिवर के कैंसर में फायदेमंद होता है टमाटर

अनहेल्दी फूड्स, जंक फूड्स, फास्ट फूड्स जैसी चीजों का अधिक सेवन करने से लिवर का बहुत नुकसान होता है. जिससे लिवर कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है. हाल ही में एक स्टडी में ये बात सामने आई कि अधिक टमाटर का सेवन करने से लिवर कैंसर का खतरा कम होता है.

आपको बता दें कि इस स्टडी को चूहों पर किया गया. स्टडी की रिपोर्ट्स के मुताबिक टमाटर लाइकोपीन नाम का एंटीऔक्सिडेंट, एंटी इंफ्लामेट्री और कैंसर को नष्ट करने वाले गुण पाए जाते हैं. टमाटर में मौजूद ये सारे जरूरी तत्व लिवर की सूजन, कैंसर जैसी गंभीर समस्याओं को कम करते हैं.

अमेरिका में हुए इस शोध में ये बात सामने आई कि कच्चे टमाटर के अलावा केचअप, जूस या टमाटर से बने प्रोटक्ट्स में लाइकोपीन की मात्रा अधिक होती है. जानकारों की माने तो लिवर कैंसर में टमाटर का पाउडर भी काफी अहम भूमिका निभाता है. इसके अलावा कच्चा टमाटर भी काफी फायदेमंद होता है. कच्चे टमाटर में  विटामिन-ई, विटामिन-सी, फोलेट, मिनरल्स, फिनोलिक कंपाउंड और डायट्री फाइबर पाए जाते हैं.

चूहो पर हुए इस स्टडी में ये बात सामने आई कि उन्हें टमाटर खिलाने से उनके शरीर में सूजन पैदा करने वाले बैक्टीरिया की ग्रोथ काबू में रही. आपको बता दें कि टमाटर के अलावा अमरूद, तरबूज और पपीते में भी लाइकोपीन की मात्रा अधिक होती है.

सर्वाइकल कैंसर से कैसे बचें

महत्त्वपूर्ण तथ्य

सरल शब्दों में समझें तो अगर दुनिया के विकसित देशों में 100 में से एक महिला को जिंदगी में सर्वाइकल कैंसर होता है तो भारत में 53 महिलाओं में से एक को यह बीमारी होती है यानी भारतीय दृष्टिकोण में करीब आधे का फर्क है.

अन्य कारण

  • छोटी उम्र में संभोग करना.
  • एक से ज्यादा पार्टनर के साथ यौन संबंध बनाना.
  • ऐक्टिव और पैसिव स्मोकिंग.
  • लगातार गर्भनिरोधक दवाइयों का इस्तेमाल.
  • इम्यूनिटी कम होना.
  • बंद यूरेटर.

किडनी

  • भारतीय महिलाएं माहवारी से जुड़ी बातों पर आज भी खुल कर बात करने से बचती हैं. शायद इसलिए भारतीय महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर के बाद सर्वाइकल कैंसर दूसरा सब से आम कैंसर बन कर उभर रहा है.
  • कैसे होता है सर्विक्स गर्भाशय का भाग है, जिस में सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (एचपीवी) संक्रमण की वजह से होता है.
  • यह संक्रमण आमतौर पर यौन संबंधों के बाद होता है और इस बीमारी में असामान्य ढंग से कोशिकाएं बढ़ने लगती हैं.
  • इस वजह से योनि में खून आना, बंद होना और संबंधों के बाद खून आने जैसी समस्याएं हो जाती हैं.

लक्षण

आमतौर पर शुरुआत में इस के लक्षण उभर कर सामने नहीं आते, लेकिन अगर थोड़ी सी सावधानी बरती जाए तो इस के लक्षणों की पहचान की जा सकती है:

  • नियमित माहवारी के बीच रक्तस्राव होना, संभोग के बाद रक्तस्राव होना.
  • पानी जैसे बदबूदार पदार्थ का भारी डिस्चार्ज होना.
  • जब कैंसर के सैल्स फैलने लगते हैं तो पेट के निचले हिस्से में दर्द होने लगता है.
  • संभोग के दौरान पैल्विक में दर्द महसूस होना.
  • असामान्य, भारी रक्तस्राव होना.
  • वजन कम होना, थकान महसूस होना और एनीमिया की समस्या होना भी लक्षण हो सकते हैं.

कंट्रोल करने की वैक्सीन व टैस्ट

वैसे तो शुरुआत में सर्वाइकल कैंसर के लक्षण दिखाई नहीं देते लेकिन इसे रोकने के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, जिस से तकरीबन 70 फीसदी तक बचा जा सकता है.

नियमित रूप से स्क्रीनिंग की जाए तो सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों की पहचान की जा सकती है.

बीमारी की पहचान करने के लिए आमतौर पर पैप स्मीयर टैस्ट किया जाता है. इस टैस्ट में प्री कैंसर सैल्स की जांच की जाती है.

बीमारी की पहचान करने के लिए नई तकनीकों में लगातार विकास किया जा रहा है. इस में लिक्विड बेस्ड साइटोलोजी (एलबीसी) जांच बेहद कारगर साबित हुई है.

एलबीसी तकनीकों के ऐडवांस इस्तेमाल से सर्वाइकल कैंसर की जांच करने में सुधार  आया है.

इलाज

अगर सर्वाइकल कैंसर का पता शुरुआती स्टेज में चल जाता है तो बचने की संभावना 85% तक होती है.

वैसे सर्वाइकल कैंसर का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर किस स्टेज पर है. आमतौर पर सर्जरी के द्वारा गर्भाशय निकाल दिया जाता है और अगर बीमारी बिलकुल ऐडवांस स्टेज पर होती है तो कीमोथेरैपी या रेडियोथेरैपी भी दी जाती है.

बचाव है जरूरी

डाक्टर से सलाह ले कर ऐंटीसर्वाइकल कैंसर के टीके लगवाएं.

महिलाओं को खासतौर से व्यक्तिगत स्वच्छता का भी ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि जननांगों की साफसफाई बहुत महत्त्वपूर्ण है.

माहवारी में अच्छी क्वालिटी का सैनेटरी नैपकिन इस्तेमाल करना चाहिए.

समय पर डाक्टर से संपर्क करना कैंसर के इलाज का सब से अहम कदम है, इसलिए शारीरिक बदलावों को नजरअंदाज न करें.

-डा. अंजलि मिश्रा, लाइफलाइन लैबोरेटरी

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