शादी के बाद मुझे किसी और से प्यार हो गया है?

सवाल-

मैं कालेज टाइम में किसी लड़के से बहुत प्यार करती थी. मगर कभी उस से अपने प्यार का इजहार नहीं कर सकी. बाद में मेरी अरेंज्ड मैरिज हो गई. पति काफी अंडरस्टैंडिंग और केयरिंग नेचर के हैं. मैं अपनी जिंदगी में काफी खुश थी, मगर एक दिन अचानक जिंदगी में तूफान आ गया. दरअसल, फेसबुक पर उसी लड़के का मैसेज आया कि वह मु  झ से बात करना चाहता है. मेरे मन में दबा प्यार फिर से जाग उठा. मैं ने तुरंत उस के मैसेज का जवाब दिया. फेसबुक पर हमारी दोस्ती फिर से परवान चढ़ने लगी. मैं अपना खाली समय उस से बातें करने में गुजारने लगी. धीरेधीरे शर्म और संकोच की दीवारें गिरने लगीं. फिर एक दिन उस ने मु  झे अकेले में मिलने बुलाया. मैं उस के इरादों से वाकिफ हूं, इसलिए हिम्मत नहीं हो रही कि इतना बड़ा कदम उठाऊं या नहीं. उधर मन में दबा प्यार मु  झे यह कदम उठाने की जिद कर रहा है. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

यह बात सच है कि पहले प्यार को इंसान कभी नहीं भूल पाता, मगर जब जिंदगी आगे बढ़ चुकी हो तो लौट कर उस राह जाना मूर्खता होगी. वैसे भी आप को कोई अपने पति से शिकायत नहीं है. ऐसे में प्रेमी से रिश्ता जोड़ कर नाहक अपनी परेशानियां न बढ़ाएं.

उस लड़के को स्पष्ट रूप से ताकीद कर दें कि आप उस से केवल हैल्दी फ्रैंडशिप की उम्मीद रखती हैं, जो आप के जीवन की एकरसता दूर कर मन को सुकून और प्रेरणा दे. मगर शारीरिक रूप से जुड़ कर आप इस रिश्ते के साथसाथ अपने वैवाहिक रिश्ते के साथ भी अन्याय करेंगी. इसलिए देर न करते हुए बिना किसी तरह की दुविधा मन में लिए अपने प्रेमी से इस बारे में बात कर उसे अपना फैसला सुनाएं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मेरे पति पुरुष नसबंदी कराना चाहते हैं, क्या ऐसा करना सही होगा?

सवाल

मैं 29 वर्षीय और 2 बच्चों की मां हूं. हम आगे बच्चा नहीं चाहते और इस के लिए मेरे पति स्वयं पुरुष नसबंदी कराना चाहते हैं. कृपया बताएं कि इस से वैवाहिक जीवन पर कोई असर तो नहीं होगा?

जवाब

आज जबकि सरकारें पुरुष नसबंदी को प्रोत्साहन दे रही हैं, आप के पति का इस के लिए स्वयं पहल करना काफी सुखद है. आमतौर पर पुरुष नसबंदी को ले कर समाज में अफवाहें ज्यादा हैं. आप को यह जान कर आश्चर्य होगा कि भारत में पुरुष नसबंदी कराने वालों का प्रतिशत काफी निराशाजनक है.

दरअसल, पुरुष नसबंदी अथवा वासेक्टोमी पुरुषों के लिए सर्जरी द्वारा परिवार नियोजन की एक प्रक्रिया है. इस क्रिया से पुरुषों की शुक्रवाहक नलिका अवरुद्ध यानी बंद कर दी जाती है ताकि शुक्राणु वीर्य (स्पर्म) के साथ पुरुष अंग तक नहीं पहुंच सकें.

यह बेहद ही आसान व कम खर्च में संपन्न होने वाली सर्जरी है, जिस में सर्जरी के 2-3 दिनों बाद ही पुरुष सामान्य कामकाज कर सकता है. सरकारी अस्पतालों में तो यह सर्जरी मुफ्त की जाती है. अपने मन से किसी भी तरह का भय निकाल दें और पति के इस निर्णय का स्वागत करें.

Wedding Special: शादी का हर पल हो स्पैशल

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक ऐसी दुलहन का वीडियो वायरल हुआ जिस ने अपनी शादी में गजब का डांस कर के दूल्हे को भी शरमाने को मजबूर कर दिया. जनवरी, 2023 का यह वीडियो एक शादी समारोह से जुड़ा हुआ था. इस वीडियो में मंच पर मौजूद नवविवाहित दुलहन सब के सामने मस्ती में ऐसा बिंदास डांस करती है कि लोग उसे देखते रह जाते हैं.

दरअसल, वह दुलहन पूरी तरह अपनी शादी को ऐंजौय कर रही थी. इसी वजह से वह खुल कर डांस कर सकी और लोगों की नजरों में आ गई. कुछ ऐसा ही धमाल एक दूल्हे ने भी किया था. वायरल वीडियो में वह स्टेज पर अकेले ही धमाकेदार डांस करते हुए नजर आया था. दूल्हा अपनी ही शादी में इतना धांसू डांस कर रहा था कि सभी की नजरें दूल्हे पर ही टिकी रह गईं. फिर जब स्टेज पर दुलहन की ऐंट्री हुई तो वह भी दूल्हे के साथ ही डांस करना शुरू कर देती है. दूल्हादुलहन के डांस का यह वीडियो भी काफी वायरल हुआ था.

आप को डब्बू अंकल भी बखूबी याद होंगे जो अपने वायरल डांस वीडियो की वजह से रातोंरात देशभर में मशहूर हो गए थे. पेशे से प्रोफैसर डब्बू अंकल यानी संजीव श्रीवास्तव का अपने रिश्तेदार की शादी में डांस करने का वीडियो वायरल हो गया था. वीडियो में संजीव 1987 में आई फिल्म ‘खुदगर्ज’ के गाने ‘आप के आ जाने से…’ पर मस्त अंदाज में ऐंजौय करते हुए डांस करते दिखाई दिए थे. उन्हें इतनी शोहरत मिली कि विदिशा नगर पालिका ने संजीव श्रीवास्तव को अपना ब्रैंड ऐंबैसेडर नियुक्त कर लिया. यही नहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री तक ने उन की तारीफ की थी. शादी के वीडियो वायरल होने के बाद उन को एक ऐड में काम करने का मौका भी मिला था.

दरअसल, जब हम शादी के लमहे सही माने में ऐंजौय करते हैं तो हम दिल से नाचते हैं. दिल से खुशियां मनाते हैं और एक खूबसूरत यादों का कारवां दिलोदिमाग में संजो लेते हैं. शादी कोई रोजरोज तो होती नहीं है. जब जिंदगी में शादी एक बार ही करनी है तो इस का लुत्फ भला भरपूर क्यों न उठाया जाए. यदि शादी किसी रिश्तेदार की है तो भी उसी अंदाज में खुशियां बांटनी चाहिए जैसेकि अपनी ही शादी हो.

अपनी शादी को करें दिल से ऐंजौय

अमूमन हर इंसान शादी जिंदगी में एक बार ही करता है. हर किसी की लाइफ में शादी जैसा पल काफी अहम होता है. हरकोई चाहता है कि उस की शादी सब से परफैक्ट हो लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता. शादी जैसे अहम मौके हरकोई न कोई चीज अनपरफैक्ट रह ही जाती है. आप वैसी चीजों पर ध्यान न दें जहां कमी रह गई है, बल्कि उन चीजों को ऐंजौय करें जो आप के हिस्से में आई हैं. बेवजह का तनाव न लें और छोटीछोटी बातों को तूल न दें. यह आप के जीवन का बहुत बड़ा दिन है. इस दिन की खुशियों को अपनी नादानी की वजह से भूल कर भी स्पौइल न होने दें. इस खास मौके को भरपूर ऐंजौय करने के लिए हर पल को जीने की कोशिश करें. हर किसी का स्वागत करें और हर लमहे को यादगार बनाएं.

सोशल मीडिया पर फुल मस्ती

शादी एक बार होती है इसलिए इसे यादगार बनाने के लिए हर मौके की ढेरों तसवीरें और वीडिओग्राफी कराएं. यही नहीं कुछ लमहें जिन में केवल आप व पार्टनर हो ऐसे लमहों की पर्सनल तसवीरें अपने फोन से लें. खूब सारी सैल्फी भी लें. सैल्फी के जरीए अपने छोटेछोटे बैस्ट पलों को कैद कर लें. फिर अपनी इस खुशी को सोशल मीडिया के जरीए दूसरों के साथ शेयर करें और लोगों के कमैंट्स को ऐंजौय करें.

शादी को ले कर लड़का हो चाहे लड़की दोनों के ही कई सपने और शौक होते हैं. हालांकि इस की लिस्ट ज्यादा लंबी लड़कियों की होती है. अपनी शादी में हर लड़की को सबकुछ परफैक्ट चाहिए होता है. डैस, ज्वैलरी, मेकअप, डैकोरेशन से ले कर ब्राइडल ऐंट्री तक.

शादी के घर में हंसीखुशी और ऐंजौयमैंट का माहौल होता है. दूल्हा और दुलहन अपनी शादी को ले कर बहुत ऐक्साइटेड होते हैं और जिंदगी की नई शुरुआत के इस दिन को भरपूर जी लेना चाहते हैं. शादी का यह खूबसूरत माहौल ऐसा ही बना रहे इस के लिए इन बातों का खयाल जरूर रखें:

मीनमेख न निकालें

शादी अपनी हो या परिवार में किसी की हो, सब को इस बात का खयाल रखना चाहिए कि वह शादी सफलता से हंसीखुशी के माहौल में संपन्न हो. शादी की व्यवस्था में मीनमेख निकालना उचित नहीं.

घरपरिवार में किसी की शादी ऐसा अवसर होता है जब घर के बड़ों का तनाव बढ़ जाता है. सबकुछ अच्छे से करने की कोशिश में वे दिन रात हलकान होते रहते हैं. वे खुद एक नए अनजान परिवार के सामने एक अच्छे आयोजन और अच्छे व्यवहार का उदाहरण पेश करने की कोशिश में जुटे होते हैं. ऐसे में अपनी मीनमेख से उन की परेशानी बढ़ाना उचित नहीं.

विवाह 2 जिंदगियों को जोड़ने वाला आयोजन होता है. यह आप की स्मृतियों की दीवार पर सदा के लिए चस्पा हो जाने वाला ऐसा जीवंत फ्रेम होता है जिस में प्यार, सम्मान और अपनेपन का एहसास तथा दिल खुश करने वाली बातें, खूबसूरत तसवीरों की तरह साथ रह जाते हैं. वहीं उलाहने और कमियां खोजने वाली नजरें और नुक्स निकालते बोल मन में कहीं गहरे धंस जाते हैं. जानबू?ा कर कहे गए तीखे शब्द, अनजाने ही दिए गए ताने, सोचसम?ा कर बनाए गए बहाने मन को बेध जाते हैं.

वैसे भी शादी एक बड़ा काम होता है. इसीलिए क्या वह ठीक नहीं है, ऐसा क्यों किया, वैसा क्यों नहीं किया जैसे सवालों और शिकायतों के बजाय सोचिए कि आप क्या कर सकते हैं. मामा, बूआ, चाचा, दोस्त पड़ोसी या आप खुद किसी न किसी रिश्ते की डोर में बंधे हैं और नए बंधन की खुशियों को सैलिब्रेट करने वाले हैं. ऐसे में शिकायतों की झड़ी नहीं बल्कि लगाव और प्यार का माहौल बनाए रखें. हर पल को ऐंजौय करें.

याद रखें यह वक्त लौट कर नहीं आएगा. खुशी के मौके पर आप के शिकायती लहजे का हर शब्द खुद आप की छवि उकेर रहा होता है. आप का व्यवहार पुराने रिश्तों और नए जुड़ रहे संबंधियों को बता रहा होता है कि आप खुशदिल हैं या कमी ढूंढ़ने वाले, असंतुष्ट सोच वाले हैं या सहजता से खुशियों में शामिल होने वाले.

बैचलर पार्टी में होश न खोएं

शादी से पहले होने वाली बैचलर पार्टी में दूल्हा और दुलहन कई बार काफी नशा कर लेते हैं. वहीं नशे में अपने होश खोने के बाद दोनों कुछ गलत या अजीब हरकतें कर सकते हैं, जिस से रिश्तेदारों के सामने आप की इमेज खराब हो सकती है और आप गिल्ट महसूस कर के अपने मूड का बैंड बजा सकते हैं. कई बार ऐसे में शादी भी खतरे में आ सकती है.

ऐक्स से न करें बात

शादी से पहले कुछ लोग ऐक्स से आखिरी बार बात करने या मिलने की कोशिश करते हैं. अंतिम बार गुडबाय करने के लिए मिलने भी जाते हैं. मगर आप की इस हरकत से पार्टनर हर्ट हो सकता है. इसलिए शादी का फैसला लेने से पहले ऐक्स से सारे संबंध तोड़ दें और दोबारा उसे कभी भूल कर भी अप्रोच करने की कोशिश न करें वरना ऐक्स सैंटीमैंटल हो गया तो आप टैंशन में आ जाएंगे और शादी ऐंजौय ही नहीं कर पाएंगे.

शादी के खर्चे डिस्कस करने से बचें

कुछ लोग शादी से पहले या बाद में पार्टनर से बजट डिस्कस करने लगते हैं. ऐसे में पार्टनर आप की बात का गलत मतलब भी निकाल सकता है. आप दोनों के बीच पैसों को ले कर जिरह भी हो सकती है. इसलिए शादी के दौरान पार्टनर से घर के खर्चे और बजट की बातें हरगिज न करें. यह जिम्मेदारी आप अपने बड़ों को दे कर निश्चिंत रहें.

पार्टनर से न करें शिकायत

शादी से पहले लोग अकसर पार्टनर से अलगअलग शिकायत करना शुरू कर देते हैं. ऐसे में न सिर्फ पार्टनर का मूड अपसैट हो सकता है, बल्कि घर वालों की परेशानियां भी बढ़ने लगती हैं. छोटीछोटी बातों पर कुढ़ना या रोनाधोना शादी की सारी खुशियों पर पानी फेर सकता है. इसलिए शादी में ज्यादा से ज्यादा खुश और पौजिटिव रहना बेहतर रहता है.

लोग क्या कहेंगे यह सोचना बंद करें

इस बात को सोचना बंद करें कि लोग क्या कहेंगे. इस की परवाह न करते हुए अपनी लाइफ में देखे सभी सपनों को पूरा करें. आप की शादी से जुड़ी जितनी भी छोटीबड़ी खाव्हिशें हैं उन सब को पूरा करने का समय आ चुका है. अब आप जमाने के बारे में सोचने के बजाय केवल अपने और पार्टनर के बारे में सोचें. आप जिस तरह इन पलों को ऐंजौय करने की तमन्ना रखती हैं वैसे ही इन पलों को जीएं.

उदाहरण के लिए वैडिंग ड्रैस ही लीजिए. शादी में दूल्हादुलहन की वैडिंग ड्रैस के लिए सभी अपनेअपने सु?ाव दे रहे होते हैं, जिस से हमें उन्हीं की पसंद की ड्रैस खरीदनी पड़ती है और अपने सपने धरे के धरे रह जाते हैं. यह आप की शादी है इसलिए अपनी शादी में आप जो कुछ भी पहनें वह आप का हक है. इसी तरह बाकी चीजें भी अपने हिसाब से करें न कि दूसरों के हिसाब से.

हनीमून का प्लान

शादी के दौरान अकसर लोग पूछते हैं कि हनीमून का क्या प्लान है? जरूरी नहीं है आप हर किसी के साथ अपने हनीमून का प्लान शेयर करें और दूसरों की मरजी से हनीमून डैस्टिनेशन चुनें. शादी आप की हुई है इसलिए हनीमून के लिए बैस्ट डैस्टिनेशन आप खुद ही चुनें. वहां क्या ले जाना है, किस तरह जाना है और कहा रहना है यह सब पहले से पार्टनर के साथ मिल कर प्लान बनाएं और साथ में आने वाले रोमानी पलों को महसूस कर इन लमहों को ऐंजौय करें.

फूलों की चादर

फूलों की चादर वाली ऐंट्री वैसे तो थोड़ी कौमन सी है लेकिन फिर भी यह बेहद खूबसूरत लगती है. इसे अलगअलग फूलों से काफी आकर्षक बना सकते हैं. अगर दुलहन ने रैड ड्रैस पहनी है तो सफेद फूलों की चादर जिस में कुछ लाल फूल भी लगा लिए जाएं या फिर अगर उस ने पेस्टल लहंगा पहना है तो रंगबिरंगे फूलों के साथ ऐंट्री परफैक्ट लगती है.

विंटेज कार में ऐंट्री

विंटेज कार में ऐंट्री का कौंसैप्ट काफी कूल कौंसैप्ट है. वैसे भी विंटेज कार को रौयल शादियों की निशानी माना जाता है. ऐसे में इस तरह की ऐंट्री दूल्हे की शान बढ़ाती है तो दुलहन भी कम ऐक्ससाइटेड नहीं होती.

बोट पर ऐंट्री

अगर आप की शादी का वेन्यू ऐसा है जहां पर स्विमिंग पूल भी है तो यह आप के लिए बैस्ट आइडिया है. एक बोट को बहुत सुंदर सा सजाया जाए और दुलहन की ऐंट्री उस बोट में हो तो यह बेहद खूबसूरत और यूनीक लगता है.

डांस ऐंट्री

डांसिंग ब्राइड्स भी इन दिनों काफी ट्रैंड में हैं. वैसे तो दूल्हा बरात के साथ अपनी दुलहन को डांस करते हुए लेने आता है. लेकिन दुलहन भी नाचते हुए ही दूल्हे का स्वागत करे तो यह देखने में मजेदार लगता है और दुलहन इन लमहों को भरपूर ऐंजौय करती है. इसे यादगार और खास बनाने के लिए ऐसे गानों को चुनें जो आप दोनों के दिल के करीब हों या ऐसा गाना जो आप दोनों का ही फैवरिट हो.

पालकी स्टाइल

खूबसूरत सी औटोमूविंग पालकी को सजा कर उस में दुलहन बैठ कर जब आएगी तो मानो चांद धरती पर उतर आया हो वाली फीलिंग आएगी.

भारतीय शादी की कुछ मजेदार रस्में

भारतीय शादियां रंगोंरिवाजों और उत्साह से भरी होती हैं. इन में खुशी होती है, परंपराएं होती हैं, 2 परिवारों का मिलन होता है, खानापीना होता है, उत्सव होता है, हंसी की फुहारें होती हैं. भारतीय शादियां एक दिन में खत्म हो जाने वाला प्रयोजन नहीं बल्कि यह तो 1 हफ्ते तक चलने वाला उत्सव है. कई रिचुअल्स शादी के बाद तक चलते रहते हैं.

मेहंदी की रस्म

मेहंदी की रस्म शादी से 1 दिन पहले होती है. पूरे दिन मेहंदी सैलिब्रेशन चलता है. इस दिन दुलहन के हाथ और पैरों पर तो प्यारी सी मेहंदी लगती ही है साथ ही बाकी घर वाले भी मेहंदी लगवाते हैं. शादी की मेहंदी के रंग के बारे में माना जाता है कि दुलहन के हाथों में मेहंदी का रंग जितना ज्यादा गहरा चढ़ता है उस का पति उसे उतना ही ज्यादा प्यार करता है. मेहंदी के रंग को प्यार के रंग से जोड़ा जाता है और दुलहन के हाथ में मेहंदी से दूल्हे का नाम लिखा जाता है. मेहंदी वाले दिन दुलहन के घर में जम कर डांस और धमाल होता है. इस दिन डीजे होता है, खानापीना होता है. दुलहन की सहेलियां माहौल में रंग भर देती हैं. कई वैडिंग्स में थीम मेहंदी भी प्लान की जाती है जिस में आउटफिट्स भी उसी हिसाब से होते हैं.

संगीत सेरेमनी

भारतीय शादियों में लेडीज संगीत सेरेमनी अकसर मेहंदी वाले दिन के साथ ही सैलिब्रेट की जाती है. इस सेरेमनी में दोनों परिवार अपनेअपने घर में दिल खोल कर नाचते हैं. कुछ समय पहले तक यह समारोह केवल घर की महिलाओं तक ही सीमित हुआ करता था जिस में ढोलक पर नाचगाना हुआ करता था. लेकिन अब इस दिन के लिए प्रौपर डीजे अरेंजमैंट्स होते हैं. संगीत सेरेमनी में काफी रौनक होती है. इस दिन तक शादी में शामिल होने वाले ज्यादातर रिश्तेदार आ चुके होते हैं इसलिए सब मिल कर ऐंजौय करते हैं.

हल्दी सेरेमनी

शादी से पहले मस्ती से भरपूर हलदी सेरेमनी में दूल्हादुलहन को तेल और हलदी लगाई जाती है. शादी की इस रस्म में भी सारे मेहमान और घर वाले मिल कर खूब मस्ती करते हैं. दोस्त वगैरह भी होते हैं जो दूल्हा और दुलहन को भरभर कर हलदी लगाते और मस्ती करते हैं. बाद में दोनों को नहलाया जाता है.

चूड़ा सेरेमनी

कोई भी पंजाबी दुलहन चूड़ा सेरेमनी के बिना अपनी शादी की कल्पना भी नहीं कर सकती. रैडव्हाइट आइवरी बैंगल सैट से जुड़ी होती है कलीरों की रस्म. दुलहन अपनी सभी अनमैरिड सहेलियों के सिर पर बारीबारी से अपने चूड़ों में बंधे कलीरों को घुमाती है. जिस पर भी कलीरा टूट कर गिरता है माना जाता है कि शादी के लिए अगला नंबर उसका होगा.

दूल्हे की ऐंट्री

अधिकांश भारतीय शादियों में जब दूल्हा शादी वाली जगह प्रवेश करता है तो वधू पक्ष की ओर से दुलहन की बहनों और दोस्तों द्वारा द्वार छिकाई की जाती है. इस रस्म में अंदर आने के ऐवज में दूल्हे को अपनी सालियों को शगुन के रूप में कुछ रुपए देने होते हैं तभी वह ऐंट्री के लिए दरवाजे से हटती हैं. इस दौरान सालियों के साथ दूल्हे की प्यारी सी नोक?ांक और मस्ती होती है. भारत के कई स्थानों पर द्वार प्रवेश में दूल्हे की सास उस की नाक पकड़ कर खींचती है और उस का स्वागत करती है. इस रस्म को सभी बहुत ज्यादा ऐंजौय करते हैं.

जूता छिपाई

‘हम आप के हैं कौन’ फिल्म की जूता छिपाई वाला सीन सब को याद होगा. यह रस्म रिऐलिटी में भी मस्ती से भरपूर होती है. जब दूल्हा शादी की रस्मों को निभाने के लिए मंडप में अपने जूते उतार कर बैठता है तो उस की सालियां, जूता छिपा लेती हैं और फिर मोटी रकम वसूलने के बाद ही जूते वापस करती हैं. इस दौरान सौदेबाजी और मौजमस्ती के बीच दोनों परिवारों के बीच रिश्ते गहरे होते हैं.

विदाई

पूरी शादी का सब से इमोशनल मोमैंट विदाई है. हालांकि आजकल की शादियों में अब उतना रोनाधोना नहीं होता. फिर भी यह क्षण होता आज भी उतना ही इमोशनल है.

विदाई के समय चावल उछालने की रस्म

चावल उछालने की रस्म में दुलहन जब घर से विदा होती है तो अपने परिजनों से विदा लेते समय वह घर की तरफ चावल उछालती जाती है.  ऐसा माना जाता है कि यह दुलहन का अपने परिवार द्वारा दिए गए प्यार के प्रति आभार दिखाने का एक संकेत होता है.

जब दुलहन अपने नए घर में प्रवेश करती है, तो उसे प्रवेश करने से पहले अपने पैरों से चावल से भरा कलश गिराना होता है. यह उस के नए घर और नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है.

पोस्ट वैडिंग गेम्स

लंबी और थका देने वाली शादी की रस्मों के बाद दुलहन की ससुराल में होने वाली रस्म स्ट्रैस बस्टर के जैसा काम करती है. दूल्हे के दोस्त, परिवार के सदस्य इस रस्म के लिए एक बड़े बरतन में दूध और पानी को मिला कर एक मिश्रण तैयार करते हैं, जिस में कुछ सिक्के, फूल आदि भी डले रहते हैं. इस में एक चांदी या सोने का गहना डाल कर दूल्हादुलहन को एकसाथ खोजने को कहा जाता है और माना जाता है कि जो पहले ढूंढ़ लेगा, घर में उस का ही हुक्म चलेगा.

डेटिंग से करना चाहते हैं इंकार, तो Disrespect बिना करें मना

अक्सर एक लड़की और लड़के के बीच में धोड़ी नजदीकियां बढ़ने लगती हैं, तो वो एक दूसरे को डेट करने के बारे में सोचते हैं लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता कि बढ़ती हुई नजदीकियों का मतलब लव एंगल ही हो. हो सकता है कि यह एक तरफा प्रेम हो जिसके चलते आप सामने वाले को डेट करना ही नहीं चाहते हों.और आप सामने से उसे डेट के लिए मना कर दें. मुमकिन है कि आपका डेट परपोज़ल ठुकराना उसे अच्छा ना लगे.इसलिए अगर आप किसी के साथ डेटिंग के लिए नहीं जाना चाहते हैं, तो कुछ आसान टिप्स अपना सकते हैं. जिससे आप सामने वाले शख्स की भावनाओं को तकलीफ भी नहीं पहुंचाएंगे और अपनी बात भी कह देंगे.

आमने सामने करें बात

जब दो लोग आमने सामने बैठकर किसी विषय पर बात करते हैं तो उसका हल निकालना आसान भी होता है और एक दूसरे के प्रति गलत फ़हमी कि कुंजाइस भी कम हो जाती है इसलिए फोन या मैसेज के द्वारा नहीं बल्कि आमने सामने बैठकर डेटिंग के परपोज़ल को मना करें और हो सकें तो उसे मना करने का रिज़न भी बताएं.जिससे वो आपकी परेशानी को समझ सकें.

निंदा ना करें

अगर आप रिश्ते में नहीं आना चाहते हैं तो आप सामने वाले में खामियां ना निकालें बल्कि आप उसे जताएं कि आप उसकी भावनाओं की कदर करते हैं लेकिन आप उसके साथ इस रिश्ते को नहीं निभा पाएंगे .

दोस्त बने रहने का रखें प्रस्ताव

यदि सामने वाले इंसान की आपको लेकर सोच अच्छी है व व्यवहार में भी वह अच्छा है तो उसे हमेशा अच्छा दोस्त बने रहने का प्रस्ताव अवश्य रखें.ऐसा करने से उसकी फीलिंग्स भी हर्ट नहीं होगी और आपको एक अच्छा दोस्त भी मिलेगा.क्योंकि जरूरी नहीं की हर रिश्ता रोमांस से ही जुडा हो बल्कि कुछ रिश्ते भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं.

तीसरे को ना जोड़े

जब कोई रिश्ता दो लोगो की सोच मिलने से बनता है उसमे किसी तीसरे का काम नहीं होता, उसी तरह यदि आप सामने वाले से रिश्ता ना रखने की बात करते हैं तो उसमे भी किसी तीसरे को ना जोड़े क्योंकि ऐसा करने से सामने वाले को अधिक दुख पहुँचता है जिससे वह खुद को या आपको तकलीफ पहुंचाने तक की सोच सकता है.

टाले नहीं

अगर आप सामने वाले को लव पार्टनर नहीं बना सकते तो उसकी भावनाओं के साथ खेलें नहीं. कई लोग होते हैं जो डेट पर नहीं जाना चाहते और सामने वाले के प्रपोज़ल को टालते रहते हैं या इग्नोर करते हैं व उसे पैसे खर्च कराने का जरिया समझते हैं सच्चाई का पता चलने पर ऐसा करना आपके लिए घातक हो सकता है क्योंकि प्यार में धोखा खाने पर सामने वाला आपके प्रति आक्रमक भी हो सकता है.इसलिए उसकी फीलिंग्स को हर्ट ना करें.

विवाह का सुख तभी जब पतिपत्नी स्वतंत्र हों

रिद्धिमा अकसर बीमार रहने लगी है. मनोज के साथ उस की शादी को अभी सिर्फ 5 साल ही हुए हैं, मगर ससुराल में शुरू के 1 साल ठीकठाक रहने के बाद वह मुरझने सी लगी. शादी से पहले रिद्धिमा एक सुंदर, खुशमिजाज और स्वस्थ लड़की थी. अनेक गुणों और कलाओं से भरी हुई लड़की. लेकिन शादी कर के जब वह मनोज के परिवार में आई तो कुछ ही दिनों में उसे वहां गुलामी का एहसास होने लगा. दरअसल, उस की सास बड़ी तुनकमिजाज और गुस्से वाली है.

वह उस के हर काम में नुक्स निकालती है. बातबात पर उसे टोकती है. घर के सारे काम उस से करवाती है और हर काम में तमाम तानेउलाहने देती है कि तेरी मां ने तुझे यह नहीं सिखाया, तेरी मां ने तुझे वह नहीं सिखाया, तेरे घर में ऐसा होता होगा हमारे यहां ऐसा नहीं चलेगा जैसे कटु वचनों से उस का दिल छलनी करती रहती है.

रिद्धिमा बहुत स्वादिष्ठ खाना बनाती है मगर उस की सास और ननद को उस के हाथ का बना खाना कभी अच्छा नहीं लगा. वह उस में कोई न कोई कमी निकालती ही रहती है. कभी नमक तो कभी मिर्च ज्यादा का राग अलापती है. शुरू में ससुर ने बहू के कामों की दबे सुरों में तारीफ की मगर पत्नी की चढ़ी हुई भृकुटि ने उन्हें चुप करा दिया. बाद में तो वे भी रिद्धिमा के कामों में मीनमेख निकालने लगे.

रिद्धिमा का पति मनोज सब देखता है कि उस की पत्नी पर अत्याचार हो रहा है मगर मांबाप और बहन के आगे उस की जबान नहीं खुलती. मनोज के घर में रिद्धिमा खुद को एक नौकरानी से ज्यादा कुछ नहीं समझती है और वह भी बिना तनख्वाह की. इस घर में वह अपनी मरजी से कुछ नहीं कर सकती है.

ऐसी सोच क्यों

यहां तक कि अपने कमरे को भी यदि रिद्धिमा अपनी रुचि के अनुसार सजाना चाहे तो उस पर भी उस की सास नाराज हो जाती है और कहती है कि इस घर को मैं ने अपने खूनपसीने की कमाई से बनाया है, इसलिए इस में परिवर्तन की कोशिश भूल कर भी मत करना. मैं ने जो चीज जहां सजाई है वह वहीं रहेगी.

रिद्धिमा की सास ने हरकतों और अपनी कड़वी बातों से यह जता दिया है कि घर उस का है और उस के मुताबिक चलेगा. यहां रिद्धिमा या मनोज की पसंद कोई मतलब नहीं रखती है.

5 साल लगातार गुस्सा, तनाव और अवसाद में ग्रस्त रिद्धिमा आखिरकार ब्लडप्रैशर की मरीज बन चुकी है. इस शहर में न तो उस का मायका है और न दोस्तों की टोली, जिन से मिल कर वह अपने तनाव से थोड़ा मुक्त हो जाए. उस की तकलीफ दिनबदिन बढ़ रही है. सिर के बाल ?ाड़ने लगे हैं. चेहरे पर ?ांइयां आ गई हैं.

सजनेसंवरने का शौक तो पहले ही खत्म हो गया था अब तो कईकई दिन कपड़े भी नहीं बदलती है. सच पूछो तो वह सचमुच नौकरानी सी दिखने लगी है. काम और तनाव के कारण 3 बार मिसकैरिज हो चुका है. बच्चा न होने के ताने सास से अलग सुनने पड़ते हैं. अब तो मनोज की भी उस में दिलचस्पी कम हो गई है. उस की मां जब घर में टैंशन पैदा करती है तो उस की खीज वह रिद्धिमा पर निकालता है.

परंपरा के नाम पर शोषण

वहीं रिद्धिमा की बड़ी बहन कामिनी जो शादी के बाद से ही अपने सास, ससुर, देवर और ननद से दूर दूसरे शहर में अपने पति के साथ अपने घर में रहती है, बहुत सुखी, संपन्न और खुश है. चेहरे से नूर टपकता है. छोटीछोटी खुशियां ऐंजौए करती है. बातबात पर दिल खोल कर खिलखिला कर हंसती है. कामिनी जिंदगी का भरपूर आनंद उठा रही है. अपने घर की और अपनी मरजी की मालकिन है.

उस के काम में कोई हस्तक्षेप करने वाला नहीं है. अपनी इच्छा और रुचि के अनुसार अपना घर सजाती है. घर को डैकोरेट करने के लिए अपनी पसंद की चीजें बाजार से लाती है. पति भी उस की रुचि और कलात्मकता पर मुग्ध रहता है. बच्चों को भी अपने अनुसार बड़ा कर रही है. इस आजादी का ही परिणाम है कि कामिनी उम्र में बड़ी होते हुए भी रिद्धिमा से छोटी और ऊर्जावान दिखती है.

दरअसल, महिलाओं के स्वास्थ्य, सुंदरता, गुण और कला के विकास के लिए शादी के बाद पति के साथ अलग घर में रहना ही ठीक है. सास, ससुर, देवर, जेठ, ननदों से भरे परिवार में उन की स्वतंत्रता छिन जाती है.  हर वक्त एक अदृश्य डंडा सिर पर रहता है. उन पर घर के काम का भारी बोझ होता है. काम के बोझ के अलावा उन के ऊपर हर वक्त पहरा सा लगा रहता है.

हर वक्त पहरा क्यों

सासससुर की नजरें हर वक्त यही देखती रहती हैं कि बहू क्या कर रही है. अगर घर में ननद भी हो तो सास शेरनी बन कर बहू को हर वक्त खाने को तैयार रहती है. बेटी की तारीफ और बहू की बुराइयां करते उस की जबान नहीं थकती. ये हरकतें बहू को अवसादग्रस्त कर देती हैं. जबकि पति के साथ अलग रहने पर औरत का स्वतंत्र व्यक्तित्व उभर कर आता है. वह अपने निर्णय स्वयं लेती है. अपनी रुचि से अपना घर सजाती है.

अपने अनुसार अपने बच्चे पालती है और पति के साथ भी रिश्ता अलग ही रंग ले कर आता है. पतिपत्नी अलग घर में रहें तो वहां काम का दबाव बहुत कम होता है. काम भी अपनी सुविधानुसार और पसंद के अनुरूप होता है. इसलिए कोई मानसिक तनाव और थकान नहीं होती.

बच्चों पर बुरा असर

घर में ढेर सारे सदस्य हों तो बढ़ते बच्चों पर ज्यादा टोकाटाकी की जाती है. उन्हें प्रत्येक व्यक्ति अपने तरीके से सहीगलत की राय देता है, जिस से वे कन्फ्यूज हो कर रह जाते हैं. वे अपनी सोच के अनुसार सहीगलत का निर्णय नहीं ले पाते. एकल परिवार में सिर्फ मातापिता होते हैं जो बच्चे से प्यार भी करते हैं और उसे समझते भी हैं, तो बच्चा अपने फैसले लेने में कन्फ्यूज नहीं होता और सहीगलत का निर्णय कर पाता है.

लेकिन जहां ससुराल में सासबहू की आपस में नहीं बनती है तो वे दोनों बच्चों को 2 एकदूसरे के खिलाफ भड़काती रहती हैं. वे अपनी लड़ाई में बच्चों को हथियार की तरह इस्तेमाल करती हैं.

इस से बच्चों के कोमल मन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है. उन का विकास प्रभावित होता है. देखा गया है कि ऐसे घरों के बच्चे बहुत उग्र स्वभाव के, चिड़चिड़े, आक्रामक और जिद्दी हो जाते हैं. उन के अंदर अच्छे मानवीय गुणों जैसे मेलमिलाप, भाईचारा, प्रेम और सौहार्द की कमी होती है. वे अपने सहपाठियों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते.

अपना घर तो खर्चा कम

पतिपत्नी स्वतंत्र रूप से अपने घर में रहें तो खर्च कम होने से परिवार आर्थिक रूप से मजबूत होता है. मनोज का ही उदाहरण लें तो यदि किसी दिन उस को मिठाई खाने का मन होता है तो  सिर्फ अपने और पत्नी के लिए नहीं बल्कि उसे पूरे परिवार के लिए मिठाई खरीदनी पड़ती है.

पत्नी के लिए साड़ी लाए तो उस से पहले मां और बहन के लिए भी खरीदनी पड़ती है. पतिपत्ती कभी अकेले होटल में खाना खाने या थिएटर में फिल्म देखने नहीं जाते क्योंकि पूरे परिवार को ले कर जाना पड़ेगा. जबकि कामिनी अपने पति और दोनों बच्चों के साथ अकसर बाहर घूमने जाती है. वे रेस्तरां में मनचाहा खाना खाते हैं, फिल्म देखते हैं, शौपिंग करते हैं. उन्हें किसी बात के लिए सोचना नहीं पड़ता.

ऐसे अनेक घर हैं जहां 2 या 3 भाइयों की फैमिली एक ही छत के नीचे रहती है. वहां आए दिन ?ागड़े और मनमुटाव होती है. घर में कोई खाने की चीज आ रही है तो सिर्फ अपने बच्चों के लिए नहीं बल्कि भाइयों के बच्चों के लिए भी लानी पड़ती है. सभी के हिसाब से खर्च करना पड़ता है. यदि परिवार में कोई कमजोर है तो दूसरा ज्यादा खर्च नहीं करता ताकि उसे बुरा महसूस न हो.

मनोरंजन का अभाव

ससुराल में आमतौर पर बहुओं के मनोरंजन का कोई साधन नहीं होता है. उन्हें किचन और बैडरूम तक सीमित कर दिया जाता है. घर का टीवी अगर ड्राइंगरूम में रखा है तो उस जगह सासससुर और बच्चों का कब्जा रहता है. बहू अगर अपनी पसंद का कोई कार्यक्रम देखना चाहे तो नहीं देख सकती है.

अगर कभी पतिपत्नी अकेले कहीं जाना चाहें तो सब की निगाहों में सवाल होते हैं कि कहां जा रहे हो? क्यों जा रहे हो? कब तक आओगे? इस से बाहर जाने का उत्साह ही ठंडा हो जाता है.

ससुराल में बहुएं अपनी सहेलियों को घर नहीं बुलातीं, उन के साथ पार्टी नहीं करतीं, जबकि पतिपत्नी अलग घर में रहें तो दोनों ही अपने फ्रैंड्स को घर में बुलावे करते हैं, पार्टियां देते हैं और खुल कर ऐंजौए करते हैं.

जगह की कमी

एकल परिवारों में जगह की कमी नहीं रहती. वन बैडरूम फ्लैट में भी पर्याप्त जगह मिलती है. कोई रिस्ट्रिक्शन नहीं होती है. बहू खाली वक्त में ड्राइंगरूम में बैठे या बालकनी में, सब जगह उस की होती है, जबकि सासससुर की उपस्थिति में बहू अपने ही दायरे में सिमट जाती है. बच्चे भी दादादादी के कारण फंसाफंसा अनुभव करते हैं. खेलें या शोरगुल करें तो डांट पड़ती है.

स्वतंत्रता खुशी देती है

पतिपत्नी स्वतंत्र रूप से अलग घर ले कर रहें तो वहां हर चीज, हर काम की पूरी आजादी रहती है. किसी की कोई रोकटोक नहीं होती. जहां मन चाहा वहां घूम आए. जो मन किया वह बनाया और खाया. पकाने का मन नहीं है तो बाजार से और्डर कर दिया. जैसे चाहे वैसे कपड़े पहनें.

सासससुर के साथ रहने पर नौकरीपेशा महिलाएं उन की इज्जत का खयाल रखते हुए साड़ी या चुन्नी वाला सूट ही पहनती हैं, जबकि स्वतंत्र रूप से अलग रहने वाली औरतें सुविधा और फैशन के अनुसार जींसटौप, स्कर्ट, मिडी सब पहन सकती हैं. घर में पति के साथ अकेली हैं तो नाइट सूट या सैक्सी नाइटी में रह सकती हैं.

Valentine’s Day 2024: एकतरफा प्यार में क्या करें

सौरभ अपने रिश्तेदार के यहां शादी में गया था. वहां बरात में आई लड़की उसे पसंद आ गई. उसे देखते ही उस के मन में प्यार की कोंपलें फूटने लगीं, हृदय हिलोरें मारने लगा और वह उस का दीवाना हो गया.

बरात के विदा होने के साथ वह लड़की भी वापस चली गई. लेकिन, सौरभ एकतरफा प्यार में पागल हो चुका था. उसे कुछ सूझ नहीं रहा था. उसे गुमसुम देख एक दिन मां ने पूछा, ‘‘क्या बात है, बेटे, आजकल तुम्हारा मन किसी काम में नहीं लग रहा है? न ठीक से खातेपीते हो और न पढ़तेलिखते हो, गुमसुम बने रहते हो?’’

‘‘नहीं मौम, ऐसी कोई बात नहीं है,’’ सौरभ ने कहा था.

बेटे के उत्तर से मां निश्चिंत हो गईं. लेकिन सौरभ उस लड़की के लिए बेताब था. उस ने अपने रिश्तेदार से उस लड़की के बारे में जानने व उस से मिलने की इच्छा व्यक्त की.

उस के रिश्तेदार ने कहा, ‘‘कहीं तुम्हें शिखा से प्यार तो नहीं हो गया? मैं पहले बता दूं कि इस बारे में सोचना भी मत क्योंकि उस की सगाई हो चुकी है और 2 महीने बाद उस की शादी है.’’

सौरभ के तो पैरोंतले जमीन खिसक गई. उस के सारे सपने टूट गए. वह इतना डिप्रैस्ड हो गया कि खुदकुशी कर मौत को गले लगा लिया.

मीना बीए फाइनल ईयर में थी. उसे अपनी ही क्लास के लड़के रोहित से प्यार हो गया. लड़के के पिता केंद्र सरकार में सेवारत हैं. इसलिए उन का ट्रांसफर होता रहता है. रोहित काफी हैंडसम और होशियार था. कुछ ही समय में वह प्रोफैसरों का भी चहेता बन गया. मीना मन ही मन उसे चाहने लगी. उस ने अपने दिल की बात न तो अपनी सहेलियों को बताई और न ही घर पर. इस बारे में रोहित से बात करने का वह साहस नहीं जुटा सकी.

खैर, उस का बीए पूर्ण हो गया और रोहित के पिता का ट्रांसफर चेन्नई हो गया. उस के चले जाने पर वह उस के खयालों में खोई रहती. वह उस के प्यार में इस कदर पागल हो गई कि खानापीना तक  छोड़ दिया. मां ने उस से उस के उखड़े मूड के बारे में पूछा तो उस ने कोई सीधा उत्तर नहीं दिया. मां ने अपनी बहू से कहा कि वह मीना से बात कर पता लगाए कि वह इतनी खोईखोई क्यों रहती है.

भाभी के समक्ष मीना खुल गई और उस ने अपने एकतरफा प्यार के बारे में बताया. भाभी ने इस संबंध में उस की मदद करने को कहा और उस लड़के से संपर्क कर बताया कि उन की ननद किस तरह उस के प्यार में पागल है.

यह सुन कर रोहित भौचक्का रह  गया. उस ने सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई लड़की उसे इस तरह प्यार कर सकती है. उस ने भाभी की बात को सिरे से नकार दिया, बोला, ‘‘अब तक तो मैं आप की ननद को पहचान ही नहीं पा रहा हूं. क्योंकि क्लास में कम से कम 50 लड़कियां थीं. वैसे भी, मैं तो उर्वशी से प्यार करता हूं और वह भी मुझे चाहती है. हम दोनों ने एकसाथ जीनेमरने की कसमें खाई हैं. मैं उसे धोखा नहीं दे सकता.’’

भाभी ने अपनी ननद को इस बारे में बताया और कहा कि तुम किसी अन्य लड़के से शादी कर लो. तुम सुंदर हो, पढ़ीलिखी भी हो. तुम्हारे लिए रिश्ते की कोई कमी नहीं है.

लेकिन मीना के सिर पर तो एकतरफा प्यार का भूत सवार था. उस ने कहा, ‘‘अगर वह लड़का मेरी जिंदगी में नहीं आ सकता तो मैं किसी अन्य लड़के को अपना जीवनसाथी नहीं बनाऊंगी. मैं जीवनभर कुंआरी रह लूंगी पर किसी दूसरे लड़के से शादी नहीं करूंगी.’’

रवि अपने महल्ले की एक लड़की को चाहने लगा. दिन में कई बार उस के घर के सामने से निकलता ताकि उस की एक झलक दिख जाए. यह सिलसिला 3 महीनों तक चलता रहा. हालांकि, वह लड़की रवि को जानती तक न थी.

एक दिन वह बाजार से अकेली आ रही थी. रवि की नजर उस पर पड़ी. उस ने रास्ते में उसे रोक कर बात करनी चाही. सरेराह कोई लड़का उसे छेड़े, यह उसे नागवार लगा. रवि अपने दिल की बात उस से कहता, इस के पूर्व ही लड़की ने उस के गाल पर तमाचा दे मारा. इस अप्रत्याशित घटना से रवि हक्काबक्का रह गया. वह वहां से भाग खड़ा हुआ.

एकतरफा प्यार में पागल हुए इस प्रेमी को अपने को ठुकराए जाने पर इस कदर गुस्सा आया कि उस ने उस से बदला लेने की सोची और एक दिन उसे अकेली आते देख उस के चेहरे पर तेजाब डाल दिया. लड़की का चेहरा बुरी तरह झुलस गया, हालांकि लड़की की चीखपुकार सुन कर लोगों ने रवि को उसी समय धरदबोचा और पुलिस के हवाले कर दिया.

न्यायालय में जब जज ने उस से तेजाब फेंकने का कारण पूछा तो उस ने कहा, ‘‘यह लड़की अपनेआप को समझती क्या है? मेरे प्यार को ठुकरा कर इस ने अच्छा नहीं किया. यदि यह मेरी नहीं हो सकती तो किसी दूसरे की भी नहीं हो सकती. इसीलिए मैं ने तेजाब डाल कर बदला लिया.’’

कोर्ट ने रवि को 3 साल की सजा सुनाई.

एकतरफा प्यार करने वाले लड़के या लड़की यह क्यों नहीं समझते कि वही प्यार परवान चढ़ता है जो दोनों तरफ से हो. जब सामने वाले या सामने वाली को पता ही नहीं हो कि कोई उस के प्यार में पागल है, तो उस के स्वीकार करने या न करने का प्रश्न ही कहां उठता है.

यदि आप किसी से प्यार करते हैं या करती हैं तो उसे अपने दिल की बात बताने में संकोच या विलंब न करें. समय रहते उसे इस बारे में बताएं और यदि वह सिरे से खारिज कर दे तो अपने कदम पीछे खींच लेने में ही भलाई है. यदि वह जवाब के लिए कुछ समय चाहे तो उसे देना चाहिए.

प्यार में जबरदस्ती नहीं होती.

यदि आप का प्रस्ताव अस्वीकार हो जाता है तो इस का मतलब यह नहीं कि दुनिया खत्म हो गई. ऐसे में न तो सामने वाले से बदला लेने या सबक सिखाने के बारे में सोचना चाहिए और न ही अपनी जिंदगी की रफ्तार को रोकना चाहिए. धीरेधीरे सबकुछ सामान्य हो जाएगा.

अपने एकतरफा प्यार का इजहार करने में जहां लड़के उतावले रहते हैं वहीं लड़कियों में शर्मझिझक होने से वे इस का इजहार नहीं कर पातीं. आमतौर पर लड़कियां इस की पहल नहीं करतीं या करती भी हैं तो किसी को माध्यम बना कर.

कई बार जब आप किसी के प्रति आकर्षित होते हैं तो उस आकर्षण को ही प्यार समझने लगते हैं. लेकिन ये दोनों अलगअलग बातें हैं. आकर्षण छलावा होता है जबकि प्यार गहराई लिए होता है. प्यार भावनाओं पर आधारित होता है जबकि आकर्षण वासना पर. वासना को प्यार का नाम देना बुद्घिमानी नहीं है.

एकतरफा प्यार में मिली असफलता को धोखे का नाम नहीं दिया जा सकता, क्योंकि वह तो इस बात से अनजान है. जब आप उसे इस बारे में बताते हैं तो उस की प्रतिक्रिया क्या होगी, यह नहीं कह सकते. हो सकता है कि उस का जवाब सकारात्मक हो. यदि आप का प्यार स्वीकार हो जाता है तो आप के मन की इच्छा पूरी हो सकती है वरना सामने वाले को दोष देना ठीक नहीं. इसलिए, प्यार में इतने पागल न बनें कि अपना आपा खो दें.

आप प्यार के बदले प्यार चाहते हैं लेकिन जब प्यार एकतरफा हो तो जरूरी नहीं कि हम जो चाहें वह हमें मिले ही. यदि आप किसी फिल्म अभिनेत्री या अभिनेता को चाहने लगें या उस से एकतरफा प्यार करने लगें तो क्या यह पागलपन नहीं है? किसी का फैन या प्रशंसक होना एक बात है और उस से प्यार करना दूसरी बात. आप अपने पसंदीदा हीरो या हीराइन को सपनों में देखते रहिए, लेकिन क्या आप उन के सपनों में आते हैं?

बात अभिनेता या अभिनेत्रियों की ही नहीं है, कोई अच्छी सुंदर लड़की दिखी नहीं कि मनचले उसे अपना दिल दे बैठते हैं. उस के आगेपीछे दौड़ते हैं, उस पर फिकरे कसते हैं या छेड़छाड़ करते हैं ताकि उस का ध्यान उन की तरफ जाए और वह उन से प्यार करने लगे. लेकिन, बदले में क्या मिलता है-थप्पड़.

यदि आप ने किसी से एकतरफा प्यार किया है लेकिन वह आप का नहीं हो सका या नहीं हो सकी, तो उस की वैवाहिक जिंदगी में दखल देने का आप को कोई अधिकार नहीं है. उसे अपने हिसाब से जीने दो. माना कि एकतरफा प्यार की पीड़ा आप झेल रहे हैं लेकिन इस का मतलब यह तो नहीं कि किसी की सुखी जिंदगी में जहर घोल दें.

यौवन की दहलीज पर कदम रखते ही लड़केलड़कियों में विपरीतलिंगी को सामने देख कुछकुछ होने लगता है. उन की धड़कनें बढ़ जाती हैं. कई बार उन्हें पहली नजर में ही किसी से प्यार हो जाता है. शुरुआत एकतरफा प्यार से ही होती है. यदि सामने वाला या सामने वाली भी इस पर अपनी मुहर लगा दे तब तो ठीक, वरना एकतरफा प्यार का दर्द और जख्म इतना गहरा होता है कि वह जिंदगी तबाह भी कर सकता है.

शादी को 3 साल हो गए हैं पर अभी तक कंसीव नहीं कर पाई हूं?

सवाल-

मैं 26 वर्षीय विवाहिता हूं. शादी को 3 साल हो गए हैं पर अभी तक कंसीव नहीं कर पाई हूं. इस के लिए अब मैं सैक्स के दौरान नीचे तकिया भी रखती हूं और पति से कहती हूं कि स्खलित होने के बाद वे देर तक उसी अवस्था में रहें. फिर भी कंसीव नहीं कर पा रही जबकि मेरे पीरियड्स रैग्युलर हैं और हम नियमित रूप से सैक्स भी करते हैं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

सैक्स के दौरान इजैक्युलेशन के समय पुरुष के अंग से काफी तीव्र वेग से स्पर्म निकलते हैं और गहराई तक पहुंचते हैं. जो स्पर्म स्ट्रौंग नहीं होते वे वैजाइना से बाहर भी निकल जाते हैं, मगर इस से गर्भधारण प्रक्रिया में कोई फर्क नहीं पड़ता. यह एक आम प्रक्रिया है और इस से घबराने की भी जरूरत नहीं है. अगर पति का स्पर्म काउंट सही है, आप का पीरियड्स  रैग्युलर है तो संभव है कि आप के कंसीव न कर पाने के पीछे कोई और मैडिकल वजह हो. यह वजह आप में या फिर आप के पति दोनों में से किसी में भी हो सकती है. अच्छा यही होगा कि आप किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा से सलाह लें और फर्टिलिटी के बारे में बात करें. तभी आप जल्दी कंसीव कर पाएंगी.

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मां बनने का एहसास हर महिला के लिए सुखद होता है. लेकिन यदि किसी कारण से एक महिला मां के सुख से वंचित रह जाए तो उसके लिए उसे ही जिम्मेदार ठहराया जाता है. हालांकि, कंसीव न कर पाने के कई कारण होते हैं लेकिन यह एक महिला के जीवन को बेहद मुश्किल और दुखद बना देता है. दरअसल, हमारे देश में आज भी बांझपन को एक सामाजिक कलंक के रूप में देखा जाता है. इसका प्रकोप सबसे ज्यादा महिलाओं को झेलना पड़ता है. जब भी कोई महिला बच्चे को जन्म नहीं दे पाती है तो समाज उसे हीन भावना से देखने लगता है. इस कारण से एक महिला को लोगों की खरी-खोटी सुननी पड़ती है जिसका उसके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है. ऐसी महिलाएं उम्मीद करती हैं कि लोग उनकी स्थित और भावनाओं को समझेंगे. परिवार और दोस्तों से बात करके उन्हें कुछ हद तक अच्छा महसूस होता है इसलिए ऐसे समय में बाहरी लोगों से मिलने-जुलने से बचें क्योंकि गर्भवती महिला या बच्चों को देखकर आप डिप्रेशन का शिकार हो सकती हैं.

माई बैटर हाफ: शादी का रिश्ता बनाना चाहते हैं मजबूत, तो अपनाएं ये बातें

हमारे रिश्तेनाते हमारा सामर्थ्य होते हैं. इन में पतिपत्नी का रिश्ता एकदूसरे के प्रति विश्वास, प्रेम और अपनेपन पर आधारित होता है. दो अजनबी प्यार में पड़ कर विवाहित होते हैं और फिर एक तरह से उन के बीच एक अटूट प्रेम का रिश्ता पनपने लगता है. इसी से ही आगे चल कर स्नेह, प्रेम और अपनेपन की भावनाओं से रिश्तों का धागा बुना जाता है.

यह अपनापन ही हमारे मन को हमेशा से उमंग देता रहता है और यही अनुभूति पतिपत्नी के रिश्तों में भी होती है. इस रिश्ते में एक मन होता है विश्वास रखने वाला तो दूसरा मन होता है समझने वाला. कई बार पत्नी अपने पति के काम के बारे में, उस की अच्छीबुरी आदतों के बारे में, उस के स्नेहशील नेचर के बारे में बातें करती रहती है. उस का पति के प्रति प्रेम का अभिमान उस के चेहरे से साफ झलकता है, तो कई बार कामयाब पति के पीछे उस की पत्नी दृढ़ निश्चय से खड़ी रहती है. लेकिन क्या एक कामयाब पत्नी के पीछे, उस की सराहना करने के लिए पुरुष वर्ग भी आगे रहता है?

सिर्फ एक स्टैंप नहीं: समीक्षा गुप्ता

हकीकत में एक कामयाब पत्नी का पति होना गर्व की अनुभूति कराता है. ऐसा ही एक अनूठा रिश्ता है ग्वालियर की मेयर समीक्षा गुप्ता और उन के पति राजीव गुप्ता का. बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से इकोनौमिक्स में स्नातक समीक्षा मूलत: मध्य प्रदेश के राजगढ़ की हैं. शादी के बाद उन्होंने कई साल एक घरेलू महिला की तरह बिताए और अपनी भूमिका को अच्छी तरह निभाया. फिर उन की सासूमां ने उन्हें कौरपोरेटर का चुनाव लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया तो वे कौरपोरेटर हुईं. यहीं से समीक्षा के नए सफर की शुरुआत हुई. लेकिन समीक्षा ने कभी अपनी जिम्मेदारियों को अनदेखा नहीं किया.

चुनाव जीतने के बाद वे एक स्टैंप न रह कर वार्ड में लोगों के रुके हुए कामों व उन की परेशानियों की तरफ ध्यान देने लगीं. ऐसा कर के ही दूसरी पारी में भी वे अपने चुनाव क्षेत्र से जीतीं. इस के बाद ग्वालियर की जनता ने उन्हें मेयर की कुरसी पर बैठाया. एक कौरपोरेटर के तौर पर उन के काम सिर्फ अपने वार्ड तक ही सीमित थे, लेकिन मेयर होते ही पूरे ग्वालियर शहर के विकास के काम धड़ल्ले से करने शुरू कर दिए.

शहर का सौंदर्यीकरण, चौड़े रास्ते, पार्क, रोड, कन्यादान जैसी योजनाओं पर उन्होंने सफलतापूर्वक काम किया. इस दौरान उन्हें लोगों का विरोध भी सहना पड़ा. पति राजीव कहते हैं, ‘‘जब समीक्षा शहर या शहर के लोगों के बारे में कोई निर्णय लेती हैं तब वे सिर्फ एक शहर की मेयर होती हैं. बाहर के काम के बारे में या किसी समस्या के बारे में वे घर पर विचारविमर्श तो करती हैं, लेकिन अंतिम निर्णय खुद ही लेती हैं.

‘‘घर आने के बाद वे 2 बेटियों की प्यारी मां होती हैं, हमारे अम्मां, बाबूजी की बहू होती हैं. हमारा परिवार संयुक्त परिवार है. वे हर एक रिश्ते का मान रखती हैं. आज समीक्षा स्त्री भू्रण हत्या के साथसाथ महिलाओं पर होने वाले अत्याचार पर काम कर रही हैं, इस का मुझे गर्व है.’’

घर की छांव: छाया नागपुरे

एफआरआर फोरेक्स में सीनियर मैनेजर के पद पर आसीन छाया के पति विजय के चेहरे पर अभिमान स्पष्ट रूप से झलकता है. इस परिवार का बेटा यशराज और बेटी ऐश्वर्या के साथ खुद विजय इन सभी की सफलता का संगम छाया के असीम स्नेह की छांव में ही हो सका, ऐसा उन्हें लगता है.

पहली मुलाकात, पहली तकरार, पहला गिफ्ट, सालगिरह आदि बातें आमतौर पर सिर्फ महिलाओं को ही याद रहती हैं, लेकिन विजय ने उन के प्यार को 26 साल किस दिन हुए, यह बात बहुत ही गौरव से बताई.

उन की जिंदगी में छाया के आने के बाद सब अच्छा ही होता गया, ऐसा बताते हैं विजय. उन्होंने बताया कि छाया ने अपनी पढ़ाई बहुत ही प्रतिकूल हालात में पूरी की है. घर में ट्यूशन पढ़ा कर बी.एससी. पूरी की. उस के बाद विजय के अनुरोध पर उन्होंने लेबर स्टडीज विषय पर एम.एस. किया.

पहली ही नौकरी में उन्हें कामगारों द्वारा की गई हड़ताल की समस्या सुलझाने के लिए सिल्व्हासा में भेजा गया. उस वक्त वे अपनी छोटी बेटी और पति को साथ ले कर गई थीं. वहां पर कामगारों ने उन के साथ अच्छा बरताव नहीं किया था. ‘एक औरत हमारी समस्याएं क्या हल करेगी.’ यही भाव उस वक्त उन के चेहरों पर थे. तब छाया ने वहां का माहौल हलका करने के लिए कहा कि मैं अपने पति और बेटी को ले कर आप के शहर आई हूं. आप का शहर कैसा है यह तो दिखाइए. यह कहने के बाद वहां का माहौल हलका हुआ और मालिक और कामगारों के बीच का तनाव कम हुआ.

विजय कहते हैं कि आज भी परिवार के सगेसंबंधी अपनी समस्याएं ले कर छाया के पास आते हैं तब छाया उन्हें ‘मैं जो कहती हूं वह करना ही चाहिए’ न कह कर उस बात के फायदे और नुकसान के विकल्प उन के सामने रखती हैं. इस से अपनी समस्याओं का हल उन्हें वहीं मिल जाता है. कभीकभी सामने वालों से डीलिंग करते वक्त उन्हें कठोर कदम भी उठाना पड़ता है. इस बारे में छाया खुद कहती हैं, ‘‘आखिर मैं ह्यूमन रिसोर्स यानी व्यक्तियों के साथ डील करती हूं. हर व्यक्ति एक जैसा नहीं होता.

संवाद साधने वाली: लीना

लीना प्रकाश सावंत. लीना यानी नम्र. लेकिन नाम में नम्रता होते हुए भी कहां पर नम्र होना है और कहां पर प्रतिकार करना है, इस की जानकार लीना सावंत के पति कंस्ट्रक्शन के बिजनैस में हैं. कौमर्स से स्नातक लीना नौकरीपेशा प्रकाश सावंत के साथ शादी होने के बाद जब गोवा, पूना घूम रही थीं, तो वहां भी वे समय का सदुपयोग करने के लिए छोटीमोटी नौकरी कर रही थीं.

लेकिन प्रकाश ने जब नौकरी छोड़ कर बिजनैस करने का फैसला कर लिया तब लीना ने उन की कल्पनाओं को साकार करने में मदद की और खुद भी बिजनैस में ध्यान देने लगीं. इस के बारे में प्रकाश ने कहा कि सब से पहले हमें वोडाफोन के ग्लो साइन एडवरटाइजमैंट का कौंट्रैक्ट मिला था. तब आर्थिक प्रबंधन व बाकी सभी कामों की जिम्मेदारी लीना ने स्वयं ही अपने कंधों पर ली थी. इंटरनैशनल क्रिएशन नाम की उन की कंपनी ग्लो साइन बोर्ड में टौपर कंपनी है.

आज उन के घर का इंटीरियर हो या बच्चों का कमरा, हर एक चीज उन्होंने अपनी बेहतरीन कल्पना से डिजाइन की है. आज उन का बड़ा बेटा प्रसाद यूएस में शिक्षा ले कर उन के बिजनैस में मदद कर रहा है, तो दूसरा बेटा केदार इकोल मोंडेल जैसे मशहूर स्कूल में पढ़ रहा है. बच्चों की पढ़ाई घर की जिम्मेदारियां संभालते हुए लीना आज बिजनैस में पति की खूब मदद कर रही हैं.

बदलते समय के कदमों को भांप कर 2006 में प्रकाश सावंत ने कंस्ट्रक्शन के कारोबार में कदम रखा तब लीना उन के पीछे खड़ी रहीं. आज भी कारोबार की रूपरेखा तय करते वक्त सब से पहले लीना के सुझाव ध्यान में रखे जाते हैं.

कई बार हंसीमजाक में कहा जाता है कि आप सुखी हैं या शादीशुदा हैं? लेकिन इन पतियों का उन के बैटर हाफ के बारे में झलकता हुआ प्यार, विचार और विश्वास देख कर हम कह सकते हैं कि कामयाब महिलाओं के कारण ही उन का जीवन अधिकतम समृद्ध और खुशहाल हो पाया.

सिचुएशनशिप है लेटैस्ट रिलेशनशिप ट्रैंड

कुछ साल पहले तक लड़केलड़की या पुरुषमहिला के बीच प्यार के माने अलग थे. रिश्ते की शुरुआत बात करने से होती थी. उस के बाद दोस्ती होना, एकदूसरे के लिए अट्रैक्शन और फीलिंग्स महसूस करना, फिर डेटिंग और प्यार में पड़ना बहुत सहज और इमोशनल घटना होती थी. इस के बाद दोनों शादी के सपने देखते थे और पूरी जिंदगी साथ गुजारने का वादा करते थे. तब अपने पेरैंट्स से मिलवाने का शगल शुरू होता था.

वह ऐसा वक्त था जब लोग प्यार के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते थे और रिश्ता भावनाओं से भरपूर होता था. मगर आज के डिजिटल युग में सबकुछ बदलने लगा है. तेज रफ्तार मौडर्न जैनरेशन को हर चीज बदलने और कुछ नया पिक करने की आदत है. आज जो मोबाइल बहुत उत्साह से खरीदा है एकडेढ़ साल के अंदर वही मोबाइल आंखों में खटकने लगता है. उसे किनारे कर नए मौडल का मोबाइल लेने की होड़ लग जाती है. इसी तरह उन्हें रिश्ते भी बदलने की लत लगती जा रही है. एक ही रिश्ते को जिंदगीभर कौन ढोए?

क्या पता कल कोई और खूबसूरत लड़की मिल जाए, कल कोई ज्यादा पसंद आ जाए, ज्यादा कूल, रिच और स्मार्ट मिल जाए. बस इसी चक्कर में वे रिश्तों में भी कमिटमैंट से बचने लगे है.

रोमांचकारी अनुभव

लोगों को सबकुछ तुरंत चाहिए और मन भर जाए तो तुरंत स्क्रौल करते हुए आगे बढ़ जाते हैं. डिजिटल युग की वजह से आज औप्शन बहुत हैं इसलिए एक के पीछे समय बरबाद करना नहीं चाहते. यही वजह है कि आज रिलेशनशिप ट्रैंड में काफी बदलाव आए हैं. आज युवाओं की रिलेशनशिप्स में कमिटमैंट की कमी दिखने लगी है. वे सिचुएशनशिप के कौंसैप्ट को फौलो करने लगे हैं.

2011 में जस्टिन टिम्बरलेक और मिला कुनिस की फिल्म ‘फ्रैंड्स विद बैनिफिट्स’ आई और इस के साथ रिलेशनशिप में फ्रैंड्स विद बैनिफिट्स का कौंसैप्ट युवाओं में लोकप्रिय बन गया था. उसी साल एश्टन कचर और नताली पोर्टमैन ने भी युवा मिलेनियल्स को नौनकमिटल रिलेशनशिप का स्वाद दिया यानी बिना ज्यादा तनाव लिए या इमोशनल हुए रोमांस या प्यार के संबंधों में आगे बढ़ना.

यह नया और रोमांचकारी अनुभव था. सार्वजनिक रूप से एक जोड़े की तरह न तो साथ होने का दिखावा करना, न कोई रोमांटिक डायलौग बोलना, न इमोशनली जुड़ना और न ही कुछ और लागलपेट. बस सीधे संबंध बनाना और जिंदगी ऐंजौय करना.

इस नौनकमिटल रिलेशनशिप का एक नया रूप हाल ही में सामने आया है. जेन जेड और मिलेनियल्स ने अपने रोमांटिक संबंधों को परिभाषित करने के लिए अन्य कई भ्रामक शब्दों के एक समूह के बीच हमें एक और नया शब्द दिया है और वह है सिचुएशनशिप. यह शब्द 2019 में खासा लोकप्रिय हुआ. रिएलिटी टीवी शो लव आइलैंड की प्रतिभागी अलाना मौरिसन ने अपनी डेटिंग हिस्ट्री बताने के लिए इस ‘सिचुएशनशिप’
शब्द का इस्तेमाल किया था.

एक नया ट्रैंड

यही वजह है कि युवा पीढ़ी के बीच रिलेशनशिप का एक नया ट्रैंड बहुत तेजी से पौपुलर हो रहा है और वह है सिचुएशनशिप जिस में रिलेशनशिप में की जाने वाली किसी भी चीज का कोई प्रैशर नहीं होता खासतौर से कमिटमैंट का. रिश्ते तभी तक टिकते हैं जब तक सब सही चल रहा हो.

आज पुरुषों से ले कर महिलाओं तक डेटिंग ऐप का इस्तेमाल कर रही हैं. लोग सिंगल रहना ज्यादा पसंद कर रहे हैं और अगर शादी के बाद आपस में बन नहीं रही तो एकदूसरे को ?ोलने के बजाय अलग होने में बिलकुल संकोच नहीं कर रहे हैं. मतलब सबकुछ एकदम क्लीयर कट.

ऐसे ही नए नए ट्रैंड्स में एक और टर्म बहुत तेजी से पौपुलर हो रही है और वह है सिचुएशनशिप.

क्या है सिचुएशनशिप

सिचुएशनशिप हिंदी के 2 शब्दों ‘सिचुएशन’ और ‘रिलेशनशिप’ को मिला कर बनाया गया है. सिचुएशनशिप में सबकुछ परिस्थिति पर निर्भर करता है. रोमांस और फिजिकल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए 2 लोग साथ में आ सकते हैं. दोनों एकदूसरे के साथ घूमने जा सकते हैं, लंच या डिनर कर सकते हैं. इस रिश्ते को कोई नाम नहीं दिया जाता है. कई बार लोग सिचुएशनशिप में एकदूसरे के साथ सिर्फ वक्त बिताने के लिए भी साथ आ सकते हैं. इस रिश्ते में साथी बिना कुछ ऐक्सप्लेन किए दूसरे साथी को छोड़ सकता है.

सरल शब्दों में कहें तो सिचुएशनशिप एक अपरिभाषित रिश्ता है जहां लोग अंतरंग होते हैं लेकिन एक व्यक्ति तक सीमित होने या उस के साथ रिश्ते में बंधना पसंद नहीं करते हैं. यानी सिचुएशनशिप एक ऐसी डेटिंग है जिस में 2 लोग बिना किसी वादे या कमिटमैंट के एकसाथ रहते हैं.

वे इस रिश्ते के बारे में न तो किसी को बताना चाहते और न ही इसे कोई नाम देना चाहते हैं.
2 लोग एकदूसरे की जरूरत को पूरा करने के लिए साथ में रहते हैं. सिचुएशनशिप में कुछ भी परिभाषित नहीं है. आप इसे गोइंग विथ फ्लो कह सकते हैं. मिजाज बदला और पार्टनर भी बदल गए. कुछ ऐसा ही फलसफा है इस रिश्ते का. कुछ मामलों में यह सही है तो कुछ मामलों में बहुत गलत.

क्यों पसंद कर रहे हैं सिचुएशनशिप में रहना

नई जैनरेशन किसी भी शर्त पर अपनी आजादी के साथ सम?ाता नहीं करना चाहती है. युवा अपने मुताबिक जीवन जीना चाहते हैं और खुद को स्वतंत्र रखना चाहते हैं. दरअसल, जब आप किसी रिश्ते में होते हैं तो अपने साथी की बातों पर ध्यान देना होता है जिस से उन की आजादी छिन जाती है. इस के साथ ही लव रिलेशनशिप एक जिम्मेदारी भरा रिश्ता होता है.

इसलिए जब कोई इंसान कमिटमैंट या जिम्मेदारी जैसी चीजों से बचना चाहता है तो वह सिचुएशनशिप में रहना पसंद करता है क्योंकि इस में साथी से कोई वादा या कमिटमैंट करने की आवश्यकता नहीं होती है. इस में 2 लोग केवल एकदूसरे के साथ लव रिलेशनशिप के फायदों को शेयर करने के लिए साथ होते हैं.
इस के अलावा जब किसी इंसान को अपने पहले प्यार में धोखा या सफलता नहीं मिलती तो वह मात्र ऐंजौयमैंट के लिए सिचुएशनशिप में आना पसंद करता है.

सिचुएशनशिप और रिलेशनशिप में क्या अंतर

जब 2 लोगों के बीच गहरा प्यार होता है तो वे रिलेशनशिप में आते हैं यानी इस में 2 लोगों के रिश्ते को प्यार का नाम दिया जाता है. जो लोग इस रिश्ते में होते हैं वे एकदूसरे को अपने दोस्तों और परिवार वालों से मिलाना पसंद करते हैं. वे एकदूसरे को गर्लफ्रैंड और बौयफ्रैंड के रूप में मिलवाते हैं. इस में दोनों लोगों के बीच प्यार होता है और वे फ्यूचर के बारे में बात करना पसंद करते हैं.

वे एकदूसरे के साथ अपना जीवन बिताना चाहते हैं. जब 2 लोग रिलेशनशिप में होते हैं तो उन का रिश्ता शादी तक पहुंच सकता है. इस में दोनों को एकदूसरे के सवालों के जवाब देने होते हैं. एकदूसरे की जिम्मेदारियां उठानी पड़ती है, एकदूसरे की जरूरतों का खयाल रखना होता है.

वहीं आज के डिजिटल युग में ‘सिचुएशनशिप’ वर्ड काफी ट्रैंड कर रहा है. इस का मतलब है कि 2 लोग किसी सिचुएशन में एकसाथ रहते हैं.  इस में 2 अनजान लोग भी एकदूसरे के साथ जुड़ सकते हैं. सिचुएशनशिप की सब से बड़ी विभिन्नता है कि इस में कोई वादा नहीं होती है. सिचुएशनशिप में दोनों ही पार्टनर पर्सनल सवालों से मुक्त रहते हैं.

इस रिश्ते में दोनों लोग बिना किसी शर्त के एकसाथ रहते हैं और अच्छा समय बिताते हैं. रिलेशनशिप में 2 लोग प्यार की वजह से एकदूसरे के साथ जुड़े होते हैं, जबकि सिचुएशनशिप में 2 लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए जुड़े होते हैं. सिचुएशनशिप में दोनों भविष्य के बारे में बातचीत से बचते हैं. लंबे समय के लिए योजनाओं, वादों या सपनों की चर्चा नहीं करते क्योंकि वे उस रिश्ते को लंबे समय तक निभाने की नहीं सोचते. सिचुएशनशिप में भावनात्मक संबंध और इंटिमेसी हो सकती है लेकिन यह प्यार के नौर्मल रिश्तों में अकसर पाई जाने वाली गहराई के स्तर तक नहीं पहुंच सकती है.

सिचुएशनशिप के फायदे

फ्लैक्सिबिलिटी: सिचुएशनशिप में फ्लैक्सिबिलिटी होती है मतलब कोई वादा, दिखावा नहीं करना पड़ता और न ही एकदूसरे से सवालजवाब का चक्कर होता है. इस माने में यह अच्छा है. आप अपने हिसाब से रिश्ते को मोल्ड कर सकते हैं. कमिटमैंट के दबाव के बिना कनैक्शन तलाशने की स्वतंत्रता होती है.
कम दबाव: सिचुएशनशिप में आप के ऊपर कोई बर्डन नहीं होता कि ऐसा ही करना पड़ेगा या रिश्ता निभाना ही पड़ेगा यानी इस में किसी के ऊपर किसी भी तरह का प्रैशर नहीं होता. आप अपनी मरजी और खुशी से इस रिश्ते में होते हैं. सम?ा न आए तो साथी को बिना कुछ ऐक्सप्लेन किए छोड़ भी सकते हैं. यह उन व्यक्तियों के लिए विशेष रूप से आकर्षक है जिन के जीवन में अन्य प्राथमिकताएं होती हैं. जो अपने
कैरियर या लाइफस्टाइल से सम?ाता नहीं करना चाहते या किसी और की वजह से जिंदगी का मकसद या जीने का तरीका नहीं बदलते.

नुकसान: मगर सच यह भी है कि भले ही साथ रहने का प्रैशर और जिम्मेदारियों के बो?ा से दूर सिचुएशनशिप एक बहुत सुखद स्थिति लग सकती है लेकिन यह बहुत कठिन रास्ता होता है जिस पर अगर सावधानी से न चला जाए तो जख्मी होने का खतरा रहता है. मुश्किल तब आती है जब इस में शामिल 2 लोगों में से किसी एक की भावनाएं गंभीर होने लगें और वह अपनेआप से कमिटमैंट चाहने लगे.

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बात समझ नहीं आती थी, लेकिन बड़े होने के बाद इसे बड़ी शिद्दत से महसूस किया. मन पर कितना भी भारी बोझ क्यों न हो अगर आप उसे किसी अपने से कह देते हैं, तो आप का मन हलका हो जाता है. जीवन में खुशियों को निमंत्रित करने के लिए इन बातों पर करें अमल:

1. पौजिटिव थिंकिंग रखें

सकारात्मक सोच न केवल बीमारियों को दूर रखती है वरन इस से कार्यक्षमता में भी बढ़ोतरी होती है. व्यक्ति सब से ज्यादा दुखी अपने कैरियर को ले कर रहता है. उस के मन में हमेशा इस बात का भय रहता है कि कहीं मैं अपनी खराब परफौरमैंस की वजह से अपनी नौकरी न खो दूं या फिर पता नहीं मेरी प्रमोशन होगी या नहीं. इस तरह की सोच उस की वर्क ऐफिशिएंसी को कम करती है. अगर आप चाहते हैं कि आप को अपने काम में सफलता मिले और नौकरी में आप को प्रमोशन मिले, तो इस के लिए यह जरूरी है कि आप हमेशा खुश रहें और अपनी सोच को सकारात्मक रख कर सिर्फ अपने काम पर फोकस करें यकीनन आप को सफलता मिलेगी. जिंदगी में कुछ भी पाने के लिए किसी किस्म का पूर्वाग्रह पालने के बजाय सिर्फ अपनी सोच को सकारात्मक रखने की जरूरत है. एक बार अच्छा सोच कर और बुराई में अच्छाई खोजने की कोशिश कर के देखिए यकीनन आप के जीवन में खुशियों की बरसात होगी और सफलता आप के कदम चूमेगी.

2. नकारात्मक सोच को निकाल फेंकें

अगर अपने आसपास नजर दौड़ाएं, तो आप को ऐसे बहुत सारे लोग देखने को मिल जाएंगे, जो अपने आसपास नकारात्मक सोच का जाल सा बना कर रखते हैं. हर तरह की सुखसुविधा मौजूद रहने के बावजूद उन के चेहरे पर मायूसी ही नजर आती है, इस का कारण उन की सोच में नकारात्मक भावों की प्रधानता है, जिन की वजह से वे अच्छी बातों पर भी खुश नहीं हो पाते हैं. अगर आप जीवन में खुश रहना चाहते हैं, तो सब से पहले अगर आप के आसपास ऐसे लोगों का जमावड़ा है, तो उन से उचित दूरी बनाएं. उस के बाद अपने अंदर के नैगेटिव थौट को निकाल बाहर करें. मैडरिड यूनिवर्सिटी ने अपने एक शोध में यह बताया कि अपने मन के नकारात्मक विचारों से छुटकारा पाने का सब से आसान तरीका अपनी नकारात्मक सोच को एक सादे कागज पर लिख कर उसे फाड़ देना है. इस से आप के नकारात्मक भाव स्वत: समाप्त हो जाते हैं.

3. खूब ऐक्सरसाइज करें

जीवन में खुश रहने के लिए स्वस्थ रहना बेहद जरूरी है. इस संबंध में यूनिवर्सिटी औफ टोरंटो ने 25 से अधिक बार रिसर्च किया है. उस के द्वारा किए गए शोधों में यह सिद्ध हो चुका है कि ऐक्सरसाइज करने से मूड अच्छा होता है. इस से न केवल आप का तनाव खत्म होता है वरन नियमित व्यायाम से आप डिप्रैशन से भी दूर रहते हैं. जब आप अपने पास के पार्क के 2-4 चक्कर लगा कर आते हैं, तो अंदर से खुशी महसूस होती है. इस का कारण यह है कि जब आप अपने घर से बाहर जाते हैं, तो फिर आप की मुलाकात बहुत सारे नए लोगों से होती है. पार्क में जाते हैं, तो वहां खेलते बच्चों को देख कर आप अपना सारा तनाव भूल जाते हैं. आप को अपने बचपन के दिन याद आने लगते हैं, जो यकीनन खुश करने वाले होते हैं.

4. गहरी नींद

समयसमय पर हुए विभिन्न सर्वेक्षणों में यह सिद्ध हुआ है कि गहरी नींद न केवल स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है वरन इस से आप के अंदर की नकारात्मकता भी समाप्त होती है. जब आप सो कर उठते हैं, तो आप पूरी तरह तरोताजा होते हैं. उस समय आप के अंदर अपने काम को बेहतर तरीके से करने की इच्छा जाग्रत होती है जोकि आप को अपने काम को अच्छी तरह करने की ऐनर्जी प्रदान करती है. जब आप किसी काम को बेहतर तरीके से अंजाम देते हैं, तो आप के अंदर स्वत: ही अद्भुत खुशी का संचार होता है. अत: गहरी नींद लें, क्योंकि गहरी नींद से आप के अंदर की सारी नैगेटिविटी खत्म हो जाती है.

5. अच्छी यादों को सहेजें

हमेशा खुश रहने के लिए अपनी अच्छी यादों को सहेज कर रखें. अगर आप के साथ कुछ बुरा हुआ है, तो उसे भूल कर अच्छी बातों को याद करने की कोशिश करें. इस संबंध में कौरनेल यूनिवर्सिटी के मनोवैज्ञानिक थौमस गिलोविच ने एक शोध किया था, जिस में यह बात सामने आई कि आप को महंगी चीजों की शौपिंग कर के भी वह खुशी नहीं मिलेगी, जो अपने अच्छे लमहों को याद कर के और उन लोगों के साथ समय बिता कर मिलेगी, जो आप के दिल के करीब हैं और जिन के साथ आप अपनी भावनाओं और विचारों को बांट सकते हैं. सच तो यह है कि अच्छी यादों से मिलने वाली खुशी का कभी अंत नहीं होता है. खुद को तरोताजा रखने के लिए अपने पुराने दोस्तों से मिल कर उन के साथ बीते दिनों की यादों को ताजा कर के तो देखिए, आप को असीम आनंद की प्राप्ति होगी.

6. थोड़ी सी मदद ढेर सी खुशी

कभी किसी की मदद कर के देखिए, आप को ऐसी अद्भुत खुशी मिलेगी कि आप का मन हमेशा किसी मदद को तैयार रहेगा. सच तो यह है कि किसी के चेहरे पर थोड़ी सी मुसकान लाने में जो आनंद और सुकून मिलता है वह आप को बेशुमार दौलत और बड़ा घर खरीदने पर भी नहीं मिलेगा. समयसमय पर किए गए विभिन्न सर्वेक्षणों में यह बात सामने आई है कि अपनी व्यस्त दिनचर्या से थोड़ा सा समय निकाल कर किसी की मदद करने पर अपार खुशी का एहसास है.

7. अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें

आप के जीवन में खुशियों का समावेश तभी हो सकता है, जब आप अपने कार्यक्षेत्र में सफल हैं और सामाजिक रूप से सक्रिय हैं. अपने काम में सफलता पाने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप बेकार की बकवास के बजाय आप वह करेें, जो आप की प्राथमिकता हो. अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर के न केवल आप अपनी नौकरी और व्यवसाय में सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं वरन अपने लिए खुशियों के संसार की भी संरचना कर सकते हैं.

8. खुद से करें प्यार

आमतौर पर आप अपने बारे में, अपनी खुशियों के बारे में सोचने के बजाय दूसरों के बारे में सोच कर ही अपनी जिंदगी का आधा हिस्सा बरबाद कर देते हैं. खुश रहने के लिए यह बेहद जरूरी है कि आप अपने बारे में सोचें, अपनेआप से प्यार करें. आप दूसरों के बारे सोचने के साथसाथ अपने बारे में भी सोचें. यह ठीक है कि जिम्मेदारियों का निर्वाह करना जरूरी होता है, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि जब आप अपनेआप को संतुष्ट रखेंगे, तभी अपने जीवन में खुशियां ला पाएंगे. अपने लिए थोड़ा सा समय निकाल कर अपना मनपसंद काम करे आप अपनेआप से प्यार करें तभी आप स्वयं भी खुश रह पाएंगे और दूसरों को भी प्यार कर पाएंगे.

9. विकसित करें लेट गो की प्रवृत्ति

आमतौर पर लोगों की यह आदत होती है कि वे अपने जीवन की बुरी बातों को आसानी से भूल नहीं पाते हैं. यह सच है कि किसी ने आप के साथ बुरा किया है, तो उस की कसक हमेशा बनी रहती है. लेकिन जीवन में खुश रहने की मूलमंत्र है कि आप बीती बातों को भूल कर आगे बढ़ने की कला सीखें. अपने अंदर लेट गो की प्रवत्ति डैवलप करें और दूसरों को माफ कर के जीवन मे आगे बढ़ने का प्रयास करें. आप के अंदर जो हुआ उसे भूल जा की भावना आएगी, तो आप उन्हीं बातों का याद रखेगें, जो आप को खुशी प्रदान करती हैं.

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