देवर है आशिक नहीं

अलकेश न केवल सगे भाई की पत्नी बल्कि चाचाताऊ के बड़े भाई की पत्नियों को भी फ्लाइंग किस और उन से फ्लर्टिंग करता रहता है. उस की इस आदत का बुरा मानना भी छोड़ दिया है. अपनी हमउम्र भाभी के साथ घंटों मोबाइल पर बात करता है. भाई को शक होता पर मुंह बंद कर लेता वरना जीवन दांव पर लग जाएगा.

मंटी भाभी को खूब उपहार दे कर उन का दिल जीत बैठा है. भाभी भी उस का बहुत ध्यान रखती है. अचानक एक दिन नव दंपती को अलग रहने का फरमान जारी कर दिया गया. जब दोनों ने बहुत पूछा तो मां को कहना पड़ा कि देवरभाभी में कभी भी खिचड़ी पक सकती है. इस की उम्र ही ऐसी है. वह अनजाने बहक सकता है. कामधाम करता नहीं कि उस की भी शादी कर दी जाए. अत: यही विकल्प है. तब दोनों ओर से रिश्तों को ताकीद किया गया तब वे सहज हुए. भाभी ने उचित दूरी बना कर गृहस्थी बना ली.

क्यों होता है ऐसा

हमउम्र या कम उम्र मेें सहज रूप से भी देवरभौजाई में आकर्षण की संभावना अधिक रहती है. ऐसे में देवर आशिकमिजाज हो तो यह संभावना बहुत अधिक बढ़ सकती है. सदैव देवर जानबूझ कर ही भौजाइयों के प्रति आकर्षण का शिकार नहीं होते अनजाने भी होते हैं. ऐसे में उन्हें समय रहते समझना जरूरी है. भाभी हमारे घर आई ही इस काम के लिए है यह सोच देवर की हो ठीक नहीं है. भाभियों के खुलेपन को भी देवर आशिकमिजाजी उभारने का आधार बना लेते हैं.

पतिपत्नी की आपसी कलह भी आशिकमिजाज देवरों को अपने लिए स्कोप के रूप में दिखाई देती है. ऐसी स्थिति में उन की आशिकमिजाजी फूलतीफलती है.

भाभी द्वारा आशिकमिजाजी पहचान न पाना या उसे ही सहज व्यवहार सम?ा लेना आशिकमिजाजी देवर को स्वीकृति लगती है. हमारे लोकगीतों में देवरों की रोमांटिक छवि बखान की गई है जो जीवन की हकीकत से मेल नहीं खाती.

देवर दूसरा वर नहीं देवर भाभी दोनों ही कुछ खुलेपन को सहज मानते हैं. कई भाभियां इसी सोच में आशिकमिजाज देवरों की करतूतें पहचान नहीं पातीं. कभी आभास हो भी जाता है तो प्रतिरोध नहीं कर पातीं. उन्हीं ही दोषी माना जाएगा, इस डर से वे मुंह नहीं खोलतीं.

एक अनुभवी प्रिंसिपल शिवराम गौड कहते हैं कि ये स्थितियां वहां ज्यादा कौमन और सहज हैं जिस समाज में पति की मृत्यु के बाद देवर से शादी का रिवाज है. वहां स्थितियों को सहज स्वीकारने की ये स्थितियां बनी होंगी मगर अब वे बंदिशें कम होती जा रही हैं.

पति के अन्य रिश्तों जैसा ही ये रिश्ता भी पति के मांबाप, भाईबहन, बूआ, मामा आदि सभी रिश्ते वधू को उसी रूप में मानते हैं तो भाई का रिश्ता भी भाई ही माना जाना चाहिए.

शिप्रा के पति का निधन हो गया. उस के हमउम्र कुंआरे देवर से सब ने शादी के लिए कहा पर उन दोनों में भाईबहनों का सा नाता था. दोनों ने इस सच को उजागर किया. सम?ाने पर अपनी भावनाएं मुखर कीं. देवर कहता था कि

वह भाई के बच्चे पालेगा पर भाभी ने उस पर कहीं और शादी करने का दबाव बनाया. कई लड़कियां दिखाईं.

देवर इसी शर्त पर शादी के लिए माना जब भाभी भी शादी के लिए तैयार हुईं. दोनों ने एकदूसरे के जीवनसाथी देखे पसंद किए. आज उन का जीवन बेहद खुशहाल है. दोनों के जीवनसाथी भी इस रिश्ते को अटूट मानसम्मान देते हैं. शिप्रा के भाई कहते हैं कि सचमुच हम से भी आगे है यह रिश्ता.

गृहस्थी टूट सकती है

आशिकमिजाज देवर भले लुभाता हो पर यह आकर्षण गृहस्थी को चौपट कर सकता है, उस में दीमक लग सकती है. आशिकमिजाज देवर कुंआरा हो या शादीशुदा उसे शुरू से ही अपनी मर्यादा बता दें. रिजर्व रहें. एक सीमा तक ही संबंधों का विस्तार करें.

कैसे निबटें

आशिकमिजाजी कतई न सहें. तुरंत प्रतिरोध करें. पति व सास को बताएं. अपने पीहर के बजाय ससुराल वालों से कहें अन्यथा उन्हें लगेगा कि आप उन के घर की बदनामी कर रही हैं. बेहतर होगा कि ननदों को राजदार बनाएं. उन्हें आसपास रखें.

  •  प्रतिरोध करने पर भी देवर न माने तो उस से बोलना छोड़ देने में भी कोई बुराई नहीं है.
  •  हदों की हिदायत देने पर भी उस की आशिकमिजाजी पर कोई असर न हो तो मनोवैज्ञानिक तक पहुंचाने में पति की मदद ली जा सकती है. देवर का यह आचरण सहना या स्वीकारना अथवा उसे छिपाना किसी भी नजरिए से उपयुक्त नहीं है

मेरा बौयफ्रैंड छोटी-छोटी बातों पर नाराज हो जाता है, क्या मुझे उससे अपनी दोस्ती तोड़ लेनी चाहिए?

सवाल
मैं 18 वर्षीय अविवाहित युवती हूं. मेरा एक बौयफ्रैंड है. हम दोनों एकदूसरे को पसंद करते हैं. लेकिन उस के  साथ एक समस्या है कि वह छोटीछोटी बातों पर नाराज हो जाता है, जैसे अगर उस का फोन रिसीव नहीं किया, उस ने बाहर चलने को कहा लेकिन मैं नहीं जा पाई, उस की पसंद की ड्रैस नहीं पहनी आदि. मुझे उस का यह व्यवहार अच्छा नहीं लगता. ऐसा लगता है वह मुझे अपने हिसाब से चलाना चाहता है. मैं उस के साथ खुश कम, परेशान ज्यादा रहती हूं. क्या मुझे उस से अपनी दोस्ती तोड़ लेनी चाहिए?

जवाब
आप का बौयफ्रैंड आप को इमोनशनल फूल बना रहा है और आप के साथ सिर्फटाइमपास कर रहा है. साथ ही, आप की बातों से लगता है कि वह आप पर हावी रहना चाहता है. जब आप खुद समझ रही हैं कि आप उस के साथ खुश कम और परेशान ज्यादा रहती हैं तो आप को यह भी समझ जाना चाहिए कि वह आप की दोस्ती के काबिल नहीं है. आप उस की बातों को महत्त्व न दें और अपना ध्यान उस से हटा लें और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दें. ऐसे टाइमपास लड़के के साथ आप की दोस्ती ज्यादा समय तक नहीं निभेगी इसलिए अभी से ही दूरी बनाने में भलाई है.

ये भी पढ़ें…

बेवफाई रास न आई

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के अहिरौली थानाक्षेत्र का एक गांव है शंभूपुर दमदियावन. इसी गांव में हरिदास यादव अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के 2 बेटे थे संतोष यादव और विनोद यादव. संतोष बड़ा था. अपनी मेहनत और लगन की बदौलत वह सन 2015 में उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही के पद पर भरती हो गया था. उस की पहली पोस्टिंग चंदौली जिले के चकिया थाने में हुई थी. नौकरी लग जाने पर घर वाले भी बहुत खुश थे. जब लड़का कमाने लगा तो घर वालों ने उस का रिश्ता भी तय कर दिया.

30 दिसंबर, 2017 को उस का बरच्छा था, इसलिए वह एक सप्ताह की छुट्टी ले कर अपने गांव आया था. बरच्छा का कार्यक्रम सकुशल संपन्न हो गया था. अगली सुबह 8 बजे के करीब संतोष अपने 2 दोस्तों राहुल यादव और सुरेंद्र के साथ टहलते हुए गांव से बाहर की ओर निकला. शादी को ले कर राहुल और सुरेंद्र दोनों ही संतोष से हंसीमजाक कर रहे थे, तभी संतोष के मोबाइल पर किसी का फोन आ गया.

संतोष ने अपने मोबाइल स्क्रीन पर नजर डाली तो वह नंबर उस के किसी परिचित का निकला. काल रिसीव कर के उस ने उस से बात करनी शुरू की. अपने दोनों दोस्तों से वहीं रुकने और थोड़ी देर में लौट कर आने की बात कह कर वह वहां से चला गया. संतोष के इंतजार में राहुल और सुरेंद्र वहां काफी देर तक खड़े रहे. जब 2 घंटे बाद भी वह नहीं लौटा तो दोनों दोस्त यह सोच कर घर लौट गए कि हो सकता है संतोष अपने घर चला गया हो.

संतोष के यहां मांगलिक कार्यक्रम था. घर में मेहमान आए हुए थे. दोस्तों ने सोचा कि हो सकता है वह उन के सेवासत्कार में लग गया हो और उसे लौटने का समय न मिला हो. संतोष को घर से निकले 3 घंटे बीत चुके थे. घर वाले उसे ले कर काफी परेशान थे कि सुबह का निकला संतोष आखिर कहां घूम रहा है. सब से ज्यादा परेशान उस के पिता हरिदास थे.

उन्होंने छोटे बेटे विनोद को संतोष का पता लगाने के लिए भेज दिया. विनोद को पता चला कि 3 घंटे पहले संतोष को राहुल और सुरेंद्र के साथ गांव से बाहर जाते देखा गया था. यह जानकारी मिलते ही विनोद राहुल और सुरेंद्र के घर पहुंच गया. दोनों ही अपनेअपने घरों पर मिल गए. विनोद ने उन से संतोष के बारे में पूछा तो वह यह सुन कर चौंक गए कि संतोष अब तक घर पहुंचा ही नहीं था. आखिर वह कहां चला गया.

राहुल ने विनोद को बताया कि वे तीनों साथ में गांव से बाहर निकले थे तभी संतोष के मोबाइल पर किसी का फोन आया था. वह कुछ देर में वापस आने की बात कह कर चला गया था. जब 2 घंटे बीत जाने के बाद भी वह नहीं लौटा तो वे दोनों यह सोच कर लौट आए कि शायद वह घर चला गया होगा.

संतोष को ले कर जितना ताज्जुब दोस्तों को हो रहा था, विनोद भी उतनी ही हैरत में डूबा हुआ था कि बिना किसी को कुछ बताए भाई आखिर गया कहां. इस से भी बड़ी बात यह थी कि उस का मोबाइल फोन भी स्विच्ड औफ था. संतोष का नंबर मिलातेमिलाते विनोद भी परेशान हो चुका था.

संतोष का जब कहीं पता नहीं चला तो विनोद घर लौट आया और पिता हरिदास को सब कुछ बता दिया. अचानक संतोष के लापता हो जाने की बात सुन कर हरिदास ही नहीं, बल्कि पूरा परिवार स्तब्ध रह गया.

संतोष की गांव भर में तलाश की गई, लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला. संतोष को तलाशते हुए पूरा घर और नातेरिश्तेदार परेशान हो गए. विनोद भी मोटरसाइकिल ले कर संतोष को खोजने गांव के बाहर निकल गया था. लेकिन उस का कहीं पता नहीं चला.

दोपहर 2 बजे के करीब गांव के कुछ चरवाहे बच्चे गांव से करीब आधा किलोमीटर दूर अरहर के खेत के पास अपने पशु चरा रहे थे. भैंसें चरती हुई अरहर के खेत में घुस गईं तो चरवाहे खेत में गए. चरवाहे जैसे ही बीच खेत पहुंचे तो वहां दिल दहला देने वाला दृश्य देख कर उन के हाथपांव फूल गए.

अरहर के खेत के बीचोबीच संतोष यादव की खून से सनी लाश पड़ी थी. लाश देखते ही चरवाहे जानवरों को खेतों में छोड़ कर चीखते हुए उल्टे पांव गांव की ओर भागे. वे दौड़ते हुए सीधे हरिदास यादव के घर जा कर रुके और एक ही सांस में पूरी बात कह डाली.

बेटे की हत्या की बात पर एक बार तो हरिदास को भी विश्वास नहीं हुआ. उन्होंने उन बच्चों से कहा, ‘‘बेटा, किसी और की लाश होगी. तुम ने ठीक से पहचाना नहीं होगा.’’

बच्चे पासपड़ोस के थे, इसलिए वे संतोष को अच्छी तरह जानतेपहचानते थे. बच्चों ने जब उन्हें फिर से बताया कि लाश किसी और की नहीं बल्कि संतोष चाचा की ही है तो हरिदास के घर में रोनापीटना शुरू हो गया.

हरिदास छोटे बेटे विनोद को ले कर अरहर के खेत में उस जगह पहुंच गए, जहां संतोष की लाश पड़ी होने की सूचना मिली थी. बेटे की रक्तरंजित लाश देख कर हरिदास गश खा कर वहीं गिर पड़े. कुछ ही देर में यह बात पूरे गांव में फैल गई तो वहां पूरा गांव उमड़ आया.

यह सूचना थाना अहरौला के थानाप्रभारी चंद्रभान यादव को दे दी गई थी. चूंकि हत्या एक पुलिसकर्मी की हुई थी, इसलिए आननफानन में थानाप्रभारी एसआई रमाशंकर यादव, कांस्टेबल महेंद्र कुमार, अखिलेश कुमार पांडेय, ओमप्रकाश यादव और महिला कांस्टेबल अनीता मिश्रा के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने इस की सूचना एसपी अजय कुमार साहनी और एसएसपी नरेंद्र प्रताप सिंह को भी दे दी.

सूचना मिलने के कुछ ही देर बाद दोनों पुलिस अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए. पुलिस ने घटनास्थल का निरीक्षण किया. जिस जगह लाश पड़ी थी, वहां आसपास अरहर की फसल टूटी हुई थी. इस से लग रहा था कि मृतक ने हत्यारों से संघर्ष किया होगा.

संतोष की हत्या कुल्हाड़ी जैसे तेज धारदार हथियार से की गई थी. हथियार के वार से उस का जबड़ा भी कट कर अलग हो गया था. गले पर कई वार किए गए थे. इस के अलावा उसे 2 गोली भी मारी गई थीं. इस से साफ पता चलता था कि हत्यारे नहीं चाहते थे कि संतोष जिंदा बचे. इसलिए मरते दम तक उस पर वार पर वार किए गए थे.

मौकेमुआयने के दौरान पुलिस को वहां कारतूस का एक खाली खोखा भी मिला. संतोष के पास मोबाइल फोन था, जो उस के पास नहीं मिला. इस का मतलब था कि हत्यारे उस का मोबाइल अपने साथ ले गए थे. बहरहाल, पुलिस ने कागजी काररवाई कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल भिजवा दी.

पुलिस ने मृतक के पिता हरिदास यादव की तहरीर पर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया. थानाप्रभारी चंद्रभान यादव ने सब से पहले संतोष के फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई.

काल डिटेल्स खंगाली तो पता चला कि संतोष के सेलफोन पर 30 दिसंबर, 2017 की सुबह आखिरी काल आजमगढ़ के छितौना गांव की रहने वाली ज्योति यादव की आई थी. पुलिस ने ज्योति को पूछताछ के लिए थाने बुला लिया. ज्योति से पूछताछ में पुलिस को पता चला कि वह मृतक संतोष यादव की प्रेमिका थी.

पुलिस ने जब ज्योति से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने संतोष की हत्या की पूरी कहानी बता दी. उस ने कहा कि संतोष को उस ने ही फोन कर के गांव से बाहर अरहर के खेत में मिलने के लिए बुलाया था. वहां पहले से छिपे बैठे उस के घर वालों ने उसे मौत के घाट उतार दिया. पुलिस ने वारदात में शामिल अन्य आरोपियों की तलाश में दबिश दी तो वे सभी अपने घरों से गायब मिले.

पुलिस ने सिपाही संतोष यादव हत्याकांड का खुलासा 60 घंटों में कर दिया था. ज्योति से विस्तार से पूछताछ की गई तो उस ने अपने प्रेमी की हत्या की जो कहानी बताई, वह रोमांचित कर देने वाली थी—

22 वर्षीया ज्योति उर्फ रजनी मूलरूप से आजमगढ़ के अहरौला थाने के छितौना गांव के रहने वाले रामकिशोर यादव की बेटी थी. 3-4 भाईबहनों में वह दूसरे नंबर की थी. रामकिशोर यादव की खेती की जमीन थी, उसी से वह अपने 6 सदस्यों के परिवार की आजीविका चलाते थे. सांवले रंग और सामान्य कदकाठी वाली ज्योति बिंदास स्वभाव की थी. वह एक बार किसी काम को करने की ठान लेती तो उसे पूरा कर के ही मानती थी.

ज्योति ने 12वीं तक पढ़ाई के बाद आगे की पढ़ाई नहीं की. आगे की पढ़ाई में उस का मन नहीं लग रहा था. हालांकि मांबाप ने उसे आगे पढ़ाने की कोशिश की, लेकिन उन की कोशिश बेकार गई थी.

ज्योति जिस स्कूल में पढ़ने जाया करती थी, उस स्कूल का रास्ता शंभूपुर दमदियावन गांव हो कर जाया करता था. ज्योति सहेलियों के साथ इसी रास्ते से हो कर आतीजाती थी. इसी गांव का रहने वाला संतोष कुमार यादव ज्योति के स्कूल आनेजाने वाले रास्ते में खड़ा हो जाता और उसे बड़े गौर से देखता था. ज्योति भले ही सांवली थी, लेकिन उस में गजब का आकर्षण था. यही आकर्षण संतोष को उस की ओर खींच रहा था.

संतोष ने ज्योति के बारे में जानकारी हासिल की तो पता चला कि वह पड़ोस के गांव छितौना के रहने वाले रामकिशोर यादव की बेटी है और उस का नाम ज्योति है. ज्योति के बारे में सब कुछ पता लगाने के बाद संतोष उस के पीछे पागल दीवानों की तरह घूमने लगा.

ज्योति के घर से स्कूल जाते समय और स्कूल से लौटते समय वह गांव के बाहर खड़ा हो कर उस का इंतजार करता था. ज्योति ने संतोष की प्रेमिल नजरों को पढ़ लिया था. वह जान चुकी थी कि संतोष उस से बेपनाह मोहब्बत करता है. इस के बाद ज्योति के दिल में भी संतोष के प्रति चाहत पैदा हो गई.

ज्योति और संतोष दोनों एकदूसरे को चाहने जरूर लगे थे, लेकिन अपनी मोहब्बत का इजहार नहीं कर पा रहे थे. एक दिन ज्योति घर से स्कूल के लिए अकेली निकली. संतोष पहले से ही गांव के बाहर एक सुनसान जगह पर खड़ा उस का इंतजार कर रहा था.

जब उस ने देखा कि ज्योति अकेली है तो उस ने पक्का मन बना लिया कि कुछ भी हो जाए, आज उस से अपने दिल की बात कह कर ही रहेगा. ज्योति उस के नजदीक पहुंची तो संतोष उस के सामने आ कर खड़ा हो गया.

ज्योति के दिल की धड़कनें भी तेज हो गईं. जब वह रिलैक्स हुई तो संतोष बोला, ‘‘ज्योति, मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं.’’

ज्योति कुछ बोले बिना साइड से निकल कर आगे बढ़ गई.

‘‘रुक जाओ ज्योति, एक बार मेरी बात सुन लो, फिर चली जाना.’’ वह बोला.

‘‘जल्दी बताओ, क्या कहना चाहते हो. किसी ने देख लिया तो जान पर बन आएगी.’’ ज्योति घबराई हुई थी.

‘‘नहीं, मैं तुम्हारी जान पर आफत नहीं आने दूंगा.’’ संतोष ने कहा.

‘‘क्या मतलब?’’ ज्योति चौंक कर बोली.

‘‘यही कि आज से इस जान पर मेरा अधिकार है.’’

‘‘होश में तो हो तुम, क्या बक रहे हो, कुछ पता भी है.’’ ज्योति ने हलके गुस्से में कहा.

‘‘मुझे पता है कि तुम पड़ोस के गांव छितौना के रामकिशोर यादव की बेटी हो,’’ संतोष कहता गया, ‘‘जानती हो, जिस दिन से मैं ने तुम्हें देखा है, अपनी सुधबुध खो बैठा हूं. न दिन में चैन मिलता है और रात को नींद आती है. बस तुम्हारा खूबसूरत चेहरा मेरी आंखों के सामने घूमता रहता है. मैं तुम से इतना प्यार करता हूं कि अब मैं तुम्हारे बिना नहीं जी पाऊंगा.’’

‘‘लेकिन मैं तो तुम से प्यार नहीं करती.’’ ज्योति ने तुरंत कहा.

‘‘ऐसा मत कहो ज्योति, वरना मैं सचमुच मर जाऊंगा.’’ संतोष गिड़गिड़ाया.

‘‘ठीक है तो मर जाओ, किस ने रोका है.’’ कहती हुई ज्योति होंठ दबा कर मुसकराती हुई स्कूल की ओर बढ़ गई. संतोष तब तक उसे निहारता रहा, जब तक वह उस की आंखों से ओझल नहीं हो गई. ज्योति की तरफ से कोई सकारात्मक उत्तर न पा कर वह मायूस हो कर घर लौट आया.

ज्योति ने संतोष के मन की टोह लेने के लिए अपने मन की बात जाहिर नहीं की थी, जबकि वह संतोष से दिल की गहराई से प्रेम करने लगी थी. ज्योति का नहीं में उत्तर सुन कर संतोष को रात भर नींद नहीं आई, इसलिए अगले दिन वह फिर उसी जगह जा कर खड़ा हो गया था, जहां उस की ज्योति से मुलाकात हुई थी.

ज्योति नियत समय पर घर से निकली. उस दिन उस के साथ उस की कई सहेलियां भी थीं. जैसे ही ज्योति संतोष के करीब आई, उस ने चुपके से एक कागज गिरा दिया और आगे बढ़ गई. संतोष ने जल्दी से कागज उठा कर अपनी कमीज की जेब में रख लिया. फिर ज्योति को वह तब तक निहारता रहा, जब तक उस की आंखों से ओझल नहीं हो गई.

इस के बाद वह जल्दी में जेब से कागज निकाल कर पढ़ने लगा. वह प्रेमपत्र था. ज्योति का प्रेमपत्र पढ़ने के बाद संतोष ऐसे उछला, जैसे उसे दुनिया का सब से बड़ा खजाना मिल गया हो. उस दिन के बाद से संतोष की हिम्मत और बढ़ गई. स्कूल की छुट्टी के बाद अकसर दोनों रास्ते में ही मिल जाया करते थे.

उन दिनों संतोष कोई काम नहीं करता था, लेकिन उस की ख्वाहिश थी कि उसे पुलिस विभाग में नौकरी मिल जाए. इसलिए वह तैयारी में जुट गया. साथ ही ज्योति के साथ उस की प्यार की उड़ान भी जारी रही. प्यार की बातें चाहे कोई कितनी भी छिपाने की कोशिश करें, छिपती नहीं हैं. लिहाजा इन दोनों के प्रेम के चर्चे दोनों के गांवों में होने लगे. उड़ती हुई यह खबर जब ज्योति के पिता रामकिशोर यादव तक पहुंची तो वह गुस्से से उबल पड़े. उन्होंने ज्योति का घर से बाहर निकलना बंद कर दिया.

इतना ही नहीं रामकिशोर ने शंभूपुर दमदियावन पहुंच कर संतोष के पिता हरिप्रसाद से शिकायत की. उन्होंने कहा, ‘‘आप अपने बेटे संतोष को संभाल लें. वह मेरी बेटी का स्कूल आतेजाते पीछा करता है. याद रखो, भविष्य में अगर उस ने मेरी बेटी से मिलने की कोशिश की तो इस का अंजाम बहुत बुरा होगा. ठीक से समझ लो, मैं अपनी मानमर्यादा और इज्जत से किसी को भी खिलवाड़ नहीं करने दूंगा.’’

हरिप्रसाद को बेटे की करतूतों के बारे में पता चला तो उन्हें बड़ा दुख हुआ. उन्होंने जब संतोष से यह बात पूछी तो उस ने सब सचसच बता दिया. हरिप्रसाद ने उसे समझाया कि पहले वह अपने भविष्य को देखे, नौकरी की तैयारी करे. समय आने पर वह किसी अच्छी लड़की से उस की शादी करा देंगे.

पिता ने संतोष को ठीक से समझाया तो उस पर उन की बातों का गहरा असर हुआ. लिहाजा वह अपने भविष्य की तैयारी में जुट गया. उस की मेहनत रंग लाई और उस की नौकरी उत्तर प्रदेश पुलिस में सिपाही के पद पर लग गई.

सन 2015 में उस की चंदौली जिले के चकिया थाने में पहली पोस्टिंग हुई. ये बात उस ने सब से पहले ज्योति को बताई. यहां यह बताना जरूरी है कि रामकिशोर ने भले ही संतोष के पिता को धमकी दी थी. लेकिन संतोष और ज्योति पर इस का कोई खास असर नहीं हुआ.

वे दोनों फोन के जरिए एकदूसरे के करीब बने रहे. संतोष ने ज्योति को विश्वास दिलाया कि कुछ भी हो जाए, लेकिन वह शादी उसी से करेगा. यह सुन कर ज्योति काफी खुश थी. उस ने मां के जरिए यह बात अपने पिता और परिवार वालों तक पहुंचा दी. उस की यह कोशिश रंग लाई और उस का परिवार संतोष से उस की शादी कराने के लिए राजी हो गया.

एक तो संतोष को सरकारी नौकरी मिल चुकी थी, दूसरे दोनों एक ही जातिबिरादरी के थे. जब पूरा परिवार एकमत हो गया तो रामकिशोर बेटी का रिश्ता ले कर हरिप्रसाद के पास गए और कहा कि पुरानी बातें भूल कर नए रिश्ते जोड़ते हैं.

हरिप्रसाद रामकिशोर की धमकी को भूले नहीं थे. दूसरे संतोष भी पिता के पक्ष में आ गया था, इसलिए हरिप्रसाद ने रिश्ते से इनकार कर दिया. उस ने पिता से कह दिया कि वह उसी लड़की से शादी करेगा, जिस से वह चाहेंगे. रामकिशोर शादी का प्रस्ताव ठुकराए जाने के बाद घर लौट गए.

संतोष 2 साल तक ज्योति का दैहिक शोषण करता रहा था, उसे धोखे में रखे रहा था. अंत में उस ने ज्योति से शादी करने से साफ मना कर दिया था. उस ने ज्योति से साफ कह दिया था कि घर वालों के दबाव में उसे कहीं और शादी करनी पड़ रही है. वह भी किसी अच्छे से लड़के से शादी कर ले.

यह बात ज्योति से बरदाश्त नहीं हुई. उस ने रोरो कर मां के सामने सारी सच्चाई खोल दी. यह बात जब रामकिशोर और उस के बेटे सर्वेश को पता चली तो गुस्से के मारे उन के तनबदन में आग सी लग गई. दोनों ने फैसला किया कि जिस ने ज्योति की जिंदगी बरबाद की है, उसे किसी और लड़की से शादी नहीं करने देंगे. उस ने जो गुनाह किया है, उसे उस की सजा जरूर मिलनी चाहिए.

इस बीच सर्वेश को सूचना मिल गई थी कि 29 दिसंबर, 2017 को संतोष का बरच्छा होने वाला है. इस कार्यक्रम में वह गांव आएगा. संतोष 28 दिसंबर को एक सप्ताह की छुट्टी ले कर घर आया.

तय कार्यक्रम के मुताबिक 29 दिसंबर की शाम को संतोष का बरच्छा का कार्यक्रम संपन्न हुआ. वह बहुत खुश था. 30 दिसंबर की सुबह संतोष दोस्तों के साथ गांव के बाहर निकला, तभी उस के फोन पर ज्योति का फोन आ गया. उस ने संतोष को फोन कर के छितौना गांव के अरहर के एक खेत में मिलने को बुलाया. वहां पहले से ही ज्योति के अलावा उस के पिता रामकिशोर, भाई सर्वेश के साथ गांव के मनोज यादव, संजय यादव और आनंद मौजूद थे.

संतोष के पहुंचते ही रामकिशोर यादव, संजय यादव और आनंद ने संतोष को दबोच लिया. ज्योति को उन लोगों ने वहां से हटा दिया. गुस्से में सर्वेश ने कुल्हाड़ी से संतोष के चेहरे और गरदन पर वार कर के उसे मौत के घाट उतार दिया. संतोष की हत्या करने के बाद वहां से भागते समय सर्वेश ने कुल्हाड़ी एक झाड़ी में छिपा दी. सर्वेश संतोष का फोन भी अपने साथ ले गया. रास्ते में उस ने फोन से सिम निकाल कर कहीं फेंक दी.

ज्योति के गिरफ्तार होने के 15 दिनों के भीतर गांव से एकएक कर के सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया. सभी आरोपियों ने अपनेअपने जुर्म कबूल कर लिए थे. सर्वेश की निशानदेही पर पुलिस ने झाड़ी से कुल्हाड़ी भी बरामद कर ली. कथा लिखे जाने तक किसी भी आरोपी की जमानत नहीं हुई थी. पुलिस ने अदालत में सभी आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर दिया था.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

मैं जिससे प्यार करती हूं वो पिछड़ी जाति का है, घरवालों को शादी के लिए कैसे मनाऊं?

सवाल:

मेरी उम्र 20 साल है और एक कंपनी में काम करती हूं. मैं एक लड़के से प्यार करती हूं. वह भी मुझे बेहद चाहता है. मगर समस्या यह है कि मैं उच्च जाति की हूं और लड़का पिछड़ी जाति का. घर वाले इस रिश्ते के लिए शायद ही तैयार हों. कृपया उचित सलाह दें?

जवाब…

आज के समय में अंतर्जातीय विवाह आम हैं. समाज का बड़ा वर्ग अब संकीर्ण विचारधारा से बाहर निकल कर ऐसे रिश्तों को अपना रहा है. जातिप्रथा, ऊंचनीच आदि सब बेकार की बातें हैं. बेहतर होगा कि आप अपने घर में बातचीत चलाएं और मन की बात घर वालों को खुल कर बताएं. अगर वे नहीं मानते तो कोर्ट मैरिज कर सकती हैं. लड़के की उम्र अगर 21 साल और लड़की की उम्र 18 साल हो तो उन्हें आपसी रजामंदी से शादी करने से कोई नहीं रोक सकता.

ये भी पढ़ें…

सेक्स के दौरान हार्टअटैक, जानें क्या है सच्चाई…….

सेक्स के कारण दिल का धड़कना बंद हो जाए, यह दुर्लभ होता है. यूएसए टुडे की संवाददाता किम पेंटर का कहना है कि एक बड़ी शोध के अनुसार यह तथ्य सामने आया है कि सेक्स के दौरान या इसके बाद आमतौर पर हृदय गति रुकना बहुत कम अवसरों पर होता है और अगर ऐसा होता भी है तो यह आम तौर पर एक पुरुष के साथ ज्यादा होता है.

1 हजार महिलाओं में से किसी एक को तकलीफ…

शोध में बताया गया है कि एकाएक दिल की धड़कन रुकने के एक सौ मामलों में मात्र एक मामला सेक्स से जुड़ा होता है और एक हजार महिलाओं में से किसी एक को यह तकलीफ होती है. यह अध्ययन अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की वैज्ञानिक बैठक के दौरान पेश किया गया था. इस अध्ययन को जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलाजी में प्रकाशित किया गया है.

सेक्स से संबंधित खतरा बहुत कम…

सीडार्स-सिनाई हार्ट इंस्टीट्यूट, लॉस एंजिलिस के एक कार्डियोलाजिस्ट और अध्ययन के वरिष्ठ लेखक सुमित चुघ का कहना है कि हृदय रोग से पीड़ित लोग इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि सेक्स खतरनाक हो सकता है, लेकिन आज हम कह सकते हैं कि इससे संबंधित खतरा बहुत कम है.

इन लोगों को ज्यादा खतरा…

एकाएक हृदयगति रुक जाने का कारण एक इलेक्ट्रिकल गड़बड़ी है जिसके चलते दिल धड़कना बंद हो जाता है. इसके ज्यादातर शिकार मारे जाते हैं लेकिन यह हृदयाघात से अलग स्थिति है क्योंकि इसके अंतर्गत हृदय को रक्त प्रवाह का बहाव रुक जाता है. लेकिन जिन लोगों को पहले भी हृदयाघात हो चुका है या फिर उनको हृदय संबंधी तकलीफें होती हैं, उनको हृदय गति रुकने का खतरा ज्यादा होता है.

आखिर क्या है सैकंड हैंड हसबैंड?

कुछ औरतें शादीशुदा पुरुषों के साथ डेट कर रही हैं और आने वाले समय में उन के विवाह बंधन में बंधने की संभावनाएं हैं. ऐसे  एक विवाह की चर्चा हर बार जोरों पर होती है उन के अपने सर्कल में. सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों होता है?

2012 में सैफ ने करीना कपूर से शादी की थी. इस से पहले वे 13 साल तक अमृता से वैवाहित रिश्ते में बंधे रह चुके थे और उन के 2 बच्चे भी थे. बच्चों ने नए पिता को सहज अपना लिया.

मौडलिंग करती करिश्मा ने भी एक बैचलर से प्यार किया और सगाई भी. लेकिन शादी की एक व्यवसाई संजय से, जो तलाकशुदा था. संजय 7 साल तक शादीशुदा रहा फिर अपनी पत्नी से अनबन के कारण तलाकके लिए अदालत पहुंचा.

मान्यता एक पीआर कंपनी में काम करती है. पहले उस की 2 शांदियां हो चुकी थीं, जिन में से एक की कोविड की बीमारी से मौत हो गई थी. पहले पति से उन की एक बेटी है. अब मान्यता के और नए पति के जुड़वां बच्चे हैं.

श्रीदेवी को तो जानते ही होंगे जिन्होंने फिल्म निर्माता बोनी कपूर से जोकि पहले से ही मोना से विवाहित थे और उन के 2 बच्चे भी थे 1996 में विवाह कर लिया था. हालांकि इस से पहले श्रीदेवी और मिथुन चक्रवर्ती की गुपचुप शादी की चर्चा भी बौलीवुड में उड़ी थी. ‘इंग्लिशविंग्लिश’ की सफलता के बाद श्रीदेवी को नए कैरियर से बहुत उम्मीदें थीं पर वे दुबई में बाथटब में मरी पाई गईं.

यकीन के साथ कहा जा सकता है कि अब बढ़ते तलाकों और बेसब्री के कारण औरतों का शादीशुदा या तलाकशुदा मर्दों के साथ शादी करने का सिलसिला बढ़ता जाएगा.

1.क्या कहती हैं मैरिज काउंसलर

एक मैरिज काउंसलर के अनुसार बहुत सी महिलाएं ऐसी हैं जो शादीशुदा पुरुषों से प्यार करने लग जाती हैं, उन के प्रेम में पड़ जाती हैं. फिल्मी दुनिया में तो ऐसे कई उदाहरण हैं जैसेकि हेमामालिनी, जयाप्रदा और श्रीदेवी ऐसे पुरुषों के न सिर्फ प्यार में गिरफ्तार हुईं बल्कि उन्हीं से शादी भी की. क्या अच्छे कुंआरे लड़कों की कमी होती है या फिर कोई और कारण है? ऐसे अफेयर्स महिलाओं को द अदर वूमन या होम ब्रेकर का टैग लगा देते हैं और लोग यहां तक भी कह देते हैं कि सैलिब्रिटीज सैकंड हैंड हसबैंड का दौर चलता है.

यहां कुछ ऐसी वजहें दी जा रही हैं जो बताएंगी कि प्यार, शादी और सैक्स के लिए महिलाएं शादीशुदा मर्द ही क्यों प्रैफर करती हैं?

2.वह एक चैलेंज होता है

एक शादीशुदा पुरुष के साथ विवाह करना एक महिला के लिए दूसरी महिला पर विजय पा लेने की तरह होता है. ऐसे पुरुषों को अपनी ओर आकर्षित कर लेना उस के अनुभव, आत्मविश्वास और क्षमता को और भी बढ़ा देता है. ऐसे पुरुषों को अपना बना लेना इन महिलाओं के लिए एक ट्रौफी पा लेने की भांति होता है. उन्हें पाना असंभव को संभव बनाने जैसा होता है. बहुत सी महिलाएं ऐसी चीजें पाना चाहती हैं जो किसी और महिला से जुड़ी हों या उस के पास हों. शादीशुदा पुरुषों को पाने की एक वजह ऐसी महिलाओं में ईर्ष्या या बदला लेने की प्रवृत्ति के कारण आई हुई हो सकती है.

3.एक शादीशुदा पुरुष के पास हर जवाब होता है

बहुत सी महिलाएं मानती हैं कि बैचलरों की तुलना में शादीशुदा पुरुष उन की भावनात्मक और भौतिक जरूरतों को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं. उन के पास सभी सवालों के जवाब मौजूद होते हैं और ऐसी समस्याओं से निबटने और उन से उबरने की कला में वे पहले से ही अनुभवी होते हैं.

4.अवैधानिक फल

समाज ऐसी महिलाओं को सपोर्ट नहीं करता, जो अन्य महिलाओं के पति को छीन लेती हैं. पहले से अनुभवी पुरुषों को पाने की लालसा सामाजिक लिहाज से गलत मानी जाती है, यही बात कुछ महिलाओं को खासतौर से इस ओर आकर्षित करती है. बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें अपनी प्लेट से कहीं ज्यादा दूसरों की प्लेट का खाना स्वादिष्ठ दिखता है. यह मनुष्य की सामान्य आदत है कि जो उस के पास नहीं होता, उसे वही अच्छा लगता और लुभाता है. शादीशुदा पुरुषों का साथ कुछ महिलाओं के आत्मविश्वास को और भी बढ़ा देता है.

5.कोई रिश्ता नहीं रखने की प्रवृत्ति:

कैरियर केंद्रित महिलाओं के लिए शादीशुदा पुरुष आदर्श महसूस होते हैं, जो उन के साथ सैक्स के लिए तो तैयार हो जाते हैं लेकिन शादी नहीं करना चाहते. जब वे किसी ऐसे को पसंद करती हैं, जो उन का नहीं हो सकता तो ऐसे पुरुषों को उन की पत्नियों के साथ या उस रिश्ते से संघर्ष भी नहीं करना पड़ता. इस तरह दोनों ही के लिए ऐसे रिश्ते से न तो कोई रिस्क रह जाता है और न ही ऐतराज.

6.शादीशुदा पुरुष बिस्तर पर अच्छे होते हैं

बहुत सी महिलाएं मानती हैं कि शादीशुदा पुरुष, जिन्हें सैक्स का काफी अनुभव होता है, वे बैचलर लड़कों के मुकाबले काफी अच्छे होते हैं. ऐसे ही कुछ शादीशुदा पुरुष हैं जिन्हें वे सोच में अपने साथ पाती हैं और महसूस करती हैं कि उन के साथ वे बेहतरीन वक्त गुजार पाएंगी.

7.वाइल्ड अट्रैक्शन

कुछ शादीशुदा पुरुष आकर्षक और चार्मिंग होते हैं जिन्हें देर तक ऐंजौय करना पसंद होता है. बहुत सी महिलाओं के लिए ऐसे पुरुषों से निकलने वाली तरंगोंको रोक पाना परेशानी भरा सबब होता है.

8.योग्य सिंगल पुरुष नहीं चुन पातीं

योग्य सिंगल पुरुष कम ही मिल पाते हैं. इस प्रतियोगिता से पार पाने के लिए वे शादीशुदा पुरुषों का ही चुनाव कर लेती हैं.

9.यह प्यार भी हो सकता है

प्यार किसी से भी हो सकता है. जैसाकि प्यार के बारे में प्रसिद्ध है कि प्यार अंधा होता है और जब कोई प्यार में होता है तो यह माने नहीं रह जाता कि वह शादीशुदा है या सिंगल.

10.मैट कौपीइंग

बहुत सी महिलाएं यह मानती हैं कि यदि किसी पुरुष के साथ या पीछे कोई और महिला है तो वह पुरुष जरूर कुछ न कुछ खास की तलाश में होगा. बस, उन की इस तलाश को पूरा कर के वे खुद को खुशहाल मानने लगते हैं.

11. सैक्स ऐडिक्ट

कुछ महिलाएं सिर्फ सैक्स करना चाहती हैं, चाहे उन के साथ कोई भी क्यों न हो. उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह व्यक्ति सैक्स ऐडिक्ट होगा जबकि वह उन के साथ समर्पित नहीं भी हो सकता है.

बहरहाल, वजह जो भी हो, इतना अवश्य है कि अब राजनीति, बिजनैस में सैकंड हैंड हसबैंड प्रेम दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है और अब बड़े पैमाने पर नजर आने लगा है. अब अखबारों में, मैट्रीमोनियल साइटों, फेसबुक पर सैकड़ों औरतों के बायोडाटा दिख जाएंगे जिन्हें सैकंड हसबैंड से कोई आपत्ति नहीं है.

Father’s day 2023: एफर्ट से बढ़ाएं पिता का कारोबार

24 वर्षीय रोहन ग्रैजुएशन के अंतिम वर्ष का छात्र है. उस के पिता का टूर ऐंड ट्रैवल का बिजनैस है, लेकिन पिछले 2 साल से यह धंधा मंदा चल रहा था. रोहन को जब यह पता चला तो उस ने आगे बढ़ कर बिजनैस को गति देने की सोची. उस ने कंपनी की वैबसाइट बना कर जगहजगह उस का लिंक भेजना शुरू किया. धीरेधीरे बुकिंग शुरू हो गई. आज आलम यह है कि रोहन की कंपनी के पास कस्टमर की डिमांड के मुताबिक गाडि़यां ही नहीं हैं.

रोहन जैसे न जाने कितने किशोर हैं जिन्होंने आगे बढ़ कर अपने एफर्ट से पिता के बिजनैस का मेकओवर किया है और घाटे में चल रहे बिजनैस को मुनाफे का सौदा बना दिया. दरअसल, समय के साथ परंपरागत तरीके से बिजनैस के बजाय नए जमाने के हिसाब से चलने में मुनाफा है. नोटबंदी के बाद से तो बिजनैस का पूरा परिदृश्य ही बदल गया है. कल तक जहां कैश से सारा काम हो सकता था आज औनलाइन पेमैंट और डिजिटल मार्केटिंग का चलन जोरों पर है. ऐसे में यदि किशोर पिता के कारोबार को ऊंचाई देने की सोच रहे हैं तो इस से जुड़ी तमाम बातों की जानकारी हासिल कर लें. प्रस्तुत हैं कुछ बिंदु जो इस राह में आप की मदद कर सकते हैं :

पेरैंट्स को भरोसे में लें

व्यवसाय या परिवार के हित में आप जो भी करना चाहते हैं, सब से पहले आप को अपने पेरैंट्स को भरोसे में लेना होगा. आप उन्हें विस्तार से समझाइए कि किस तरह से उन की कोशिश सफल होगी. इस के लिए आप के पास सौलिड आइडियाज होने के साथसाथ उस के कुछ कागजी सुझाव भी होने चाहिए.

फायदे नुकसान के बारे में जानें

नई दिल्ली स्थित तारा इंस्टिट्यूट के डायरैक्टर सत्येंद्र कुमार का कहना है कि बिजनैस को बढ़ाने अथवा नया कलेवर देने से पहले जरूरी है कि आप उस के फायदे व नुकसान से भलीभांति अवगत हों, आप को यह चिह्नित करना होगा कि आप के साथ कौनकौन सी दिक्कतें आने वाली हैं और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है?

बाजार की डिमांड समझें

गर्ग ग्रुप, दिल्ली के संरक्षक वी के गर्ग का मानना है कि यह समझना अत्यंत जरूरी है कि हम जिस बिजनैस में हाथ आजमाने जा रहे हैं, मौजूदा समय में उस की बाजार में कितनी और किस रूप में डिमांड है. उसी के अनुरूप अपनी प्लानिंग करें और कदम आगे बढ़ाएं.

संबंधित स्किल सीखना भी जरूरी

बिजनैस से जुड़ा कोई हुनर सीखना जरूरी है तो उस से पीछे न हटें. आप को कई ऐसे रास्ते मिलेंगे जहां से आप नई जानकारी हासिल कर सकते हैं. केंद्र सरकार की ओर से शुरू की गई कौशल विकास योजना के अंतर्गत 2022 तक 40 करोड़ से अधिक लोगों को कौशल सिखाया जाना है. इस में बड़ी आबादी युवाओं की होगी, जो कम खर्च में बेहतर स्किल से लैस होंगे.

इंटरनैट से मिलेगी भरपूर मदद

आज युवा पीढ़ी के पास इंटरनैट के रूप में एक ऐसा अस्त्र है जिस की बदौलत वे अपनी हर समस्या का पलभर में समाधान ढूंढ़ सकते हैं. इस के जरिए उपभोक्ताओं तक पहुंच भी आसान हो सकेगी और काम का दायरा किसी सीमा में सीमित न हो कर देशविदेश तक फैल सकता है.

पढ़ाई न होने पाए बाधित

इन सब कोशिशों के बीच यह न भूलें कि आप यदि ग्रैजुएशन के छात्र हैं तो आप की जिम्मेदारी उस परीक्षा को बेहतर अंकों से पास करने की भी है. समय के साथ हर चीज जरूरी होती है. पिता के कारोबार को गति देने में सक्षम साबित हुए हैं तो पढ़ाई के प्लेटफौर्म पर भी आप को खुद को अव्वल साबित करना होगा. शिक्षा से आप का विजन मजबूत होगा.

ये 7 स्किल आएंगे काम

नवीनतम विचार, धैर्य व दृढ़ संकल्प, महत्त्वाकांक्षी, आकलन का कौशल, नई चीज सीखने को तत्पर रहना, निर्णय लेने की क्षमता, प्रतिकूल परिस्थितियों में न डिगना ऐसे स्किल्स हैं जो बिजनैस को गति देने के लिए जरूरी हैं.

पिता का कारोबार, पिता का कारोबार टिप्स, कारोबार, रिलेशनशिप टिप्स, पिता के साथ रिलेशनशिप, फैमिली, फैमिली प्रौब्लम,

कपल्स के बीच ट्रेंड कर रहा ‘स्लीप डिवोर्स’, अच्छी नींद के लिए क्यों जरूरी?

शादी के रिश्ते में सबसे जरूरी बात क्या हैं ये पूछने पर कई तरह के जवाब मिलते है? जैसे एक दूसरे को समझना चाहिए, एक-दूसरे का ख्याल रखना चाहिए और बाकी अलग-अलग तरह की और भी कई चीजें. लेकिन जिंदगी की सबसे महत्वपूर्ण चीज है नींद इसके बारे में कोई बात नहीं करता.

हाल ही नए जेनरेशन के शादी-शुदा कपल के बीच एक नया ट्रेंड शुरू हुआ है. जो ट्विटर पर  के नाम से ‘स्लीप डिवोर्स’ काफी ट्रेंड हो रहा है. अब आप ये जानना चाहेंगे की आखिर ये ‘स्लीप डिवोर्स’ क्या है? तो चलिए आज हम आपको इसके हर एक पहलू से रूबरू करवाते हैं.

क्या है ‘स्लीप डिवोर्स’?

स्‍लीप डिवोर्स तब होता है, जब अच्छी और बेहतर नींद के लिए कपल अलग-अलग कमरे, अलग बिस्तर या फिर  या अलग-अलग समय पर सोते हैं तो इसे हम स्लीप डिवोर्स कहते हैं. इसके ट्रेंड में आने का कारण है कपल्स का नींद ना पूरा हो पाना. स्‍लीप डिवोर्स ठीक से नींद न ले पाने वाले लोगों के लिए बड़ा समाधान है. स्‍लीप डिवोर्स वो है जिसमें पार्टनर्स रात को साथ में न सोकर अपनी सुविधानुसार अलग-अलग सोते हैं. इसके चलते कपल्स की नींद भी पूरी हो जाती है और वो अगली सुबह पूरी एनर्जी के साथ उठते हैं.

स्लीप डिवोर्स का ट्रेंड

स्लीप डिवोर्स  सुनने में नया लग रहा है. लेकिन इसका चलन बेहद पुराना है. साल 1850 में ये ट्रेंड ट्विन-शेयरिंग बेड के नाम से फेमस हुआ. तब के समय में पति-पत्नी एक कमरे तो होते थे, लेकिन होटलों की तर्ज पर ट्विन-शेयरिंग बेड की तरह एक रूम में ही 2 अलग-अलग बिस्तर पर सोया करते थे. ये इसलिए शुरू हुआ ताकि पति-पत्नी एक रूम में साथ होकर भी बिना एक-दूसरे को डिस्टर्ब किए आराम से नींद पूरी कर सकें. लैंकेस्टर यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर हिलेरी हिंड्स ने इस पर कल्चरल हिस्ट्री ऑफ ट्विन बेड्स के नाम से एक किताब भी लिखी है. बुक के अनुसार उस समय में डॉक्टर नींद ना पूरी होने पर मानसिक नुकसान मानते थे.

नींद ना पूरा होने के कारण

नींद पूरा ना हो पाने के कई कारण हो सकते है. जैसे दिनभर की भागदौड़ के बाद सोने के समय में देरी होना. पार्टनर के सोने की खराब आदतें या खर्राटे, पार्टनर का देर तक काम में लगे रहना. इस तरह की कई चीजें हो सकती है जिसके कारण दूसरे पार्टनर की नींद पूरी नहीं हो पाती.

नींद के कारण रिश्तों में दरार

नींद की कमी का सीधा-सीधा असर रिश्ते पर होता है. नींद की कमी से जूझते जोड़े छोटी-मोटी बातों पर भी उलझ पड़ते हैं. नींद पूरी ना होने का कारण चिड़चिड़ापन होता है और ये कारण  भी झगड़े का मुख्य कारण बन जाता है.

स्लीप डिवोर्स के फायदे

आज के समय पूरे दिन की भागदौड़ के बाद रात में अच्छी नींद ना मिलने के कारण आपका अगला पूरा दिन खराब जा सकता है. इसलिए समय-समय पर स्लीप डिवोर्स से आपकी नींद पूरी होती है और नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है. इसके अलावा एक साथ होने के बाद हर किसी का अपना एक पर्सनल स्पेस होता है. जो हर व्यक्ति के लिए बेहद जरूरी है. और इसके कारण आपको एक पर्सनल स्पेश मिलता है. कई लोग सोने से पहले किताबें पढ़ना चाहते है, कई लोगों को मेडिटेशन के बाद सोने की आदत होती है. तो इस समय में आप अपनी चीजों के लिए समय निकाल सकते है.

क्या स्लीप डिवॉर्स रिश्तों में दूरियों के लिए वजह बन सकता है?

कई लोगों का मानना है की स्लीप डिवोर्स के कारण रिश्तों में दूरियां आ सकती है.  अलग सोना आपकी अपनी मर्जी है. आपसी सहमति के साथ कपल्स एक दूसरे की जरूरतों का सम्मान करते हुए एक-दूसरे को समय देते है. गौरतलब है की स्लीप डिवोर्स रिश्तों को बिगाड़ने के लिए नहीं बल्कि रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए किया जाता है. ताकि आपकी नींद पूरी होने के कारण आप चिड़-चिड़ा फील नहीं करोगे तो एक-दूसरे को ज्यादा समय दे पाओगे.

55 प्रतिशत लोग 8 घंटे से कम नींद लेते है

ग्रेट इंडियन स्लीफ ( GISS) 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 55 प्रतिशत लोग रात में 11 बजे के बाद सोते है. जिसके कारण 8 घंटे से कम नींद ले पाते है. साथ ही हेल्थ टेक्नोलॉजी कंपनी फिलिप्स इंडिया के 2019 के रिपोर्ट के अनुसार लगभग 93 प्रतिशत भारतीय पूरी नींद नहीं ले पाते. और इनमें से करीब 58 प्रतिशत लोग 7 घंटे से कम नींद ले पाते है.

लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

सवाल-

मैं अपने बौयफ्रैंड के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहना चाहती हूं. मैं जानना चाहती हूं कि इस दौरान जब हम शारीरिक संबंध बनाएं तो हमें क्याक्या सावधानी बरतनी चाहिए, ताकि मैं गर्भवती न होऊं?

जवाब-

शारीरिक संबंध बनाने के उपरांत गर्भधारण से बचने के लिए आप को अपनी सुविधानुसार कोई गर्भनिरोधक प्रयोग करना चाहिए. 

ये भी पढ़ें-

आज राहुल के दोस्त विनय के बेटे का नामकरण था, इसलिए वह औफिस से सीधे उस के घर चला गया था.

वैसे, राहुल को ऐसे उत्सव पसंद नहीं आते थे, पर विनय के आग्रह पर उसे वहां जाना ही पड़ा, क्योंकि विनय उस का जिगरी दोस्त जो था.

‘‘यार, अब तू भी सैटल हो ही जा, आखिर कब तक यों ही भटकता रहेगा,’’ फंक्शन खत्म होने के बाद नुक्कड़ वाली पान की दुकान पर पान खाते हुए विनय ने राहुल से कहा. ‘‘नहीं यार,’’ राहुल पान चबाता हुआ बोला, ‘‘तुझे तो पता है न कि मुझे इन सब झमेलों से कितनी कोफ्त होती है?

‘‘भई, मैं तो अपनी पूरी जिंदगी पति नाम का पालतू जीव बन कर नहीं गुजार सकता. मैं सच कहूं तो मुझे शादी के नाम से ही चिढ़ है और बच्चा… न भई न.’’

‘‘अच्छा यार, जैसी तेरी मरजी,’’ इतना कह कर विनय खड़ा हुआ, ‘‘पर हां, एक बात तेरी जानकारी के लिए बता दूं कि मेरी पत्नी राशि की मुंहबोली बहन करिश्मा फिदा है तुझ पर. उस बेचारी ने जब से तुझे मेरी शादी में देखा है तब से वह तेरे नाम की रट लगाए बैठी है. उस ने जो मुझ से कहा वह मैं ने तुझे बता दिया, अब आगे तेरी मरजी.’’

उस के बाद काफी समय तक दोनों की मुलाकात नहीं हो पाई, क्योंकि अपने घर वालों के तानों से तंग आ कर अब राहुल ज्यादातर टूर पर ही रहता था.

‘‘न जाने क्या है हमारे बेटे के मन में, लगता है पोते का मुंह देखे बिना ही मैं इस दुनिया से चली जाऊंगी,’’ जबजब राहुल की मां उस से यह कहतीं, तबतब राहुल की बेचैनी बहुत बढ़ जाती.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

पैसा नहीं बिगाड़ेगा रिश्ता

रिलेशनशिप 2 लोगों के बीच के संबंध को कहते हैं. यह रिलेशनशिप तब और अधिक खास हो जाती है जब यह कपल के बीच में हो. जब एक कपल यह फैसला करता है कि वह एक रिलेशनशिप में रहेगा तो ऐसे बहुत से मुद्दे होते हैं जिन पर दोनों को बात करने की जरूरत होती है. ऐसा ही एक मुद्दा है कि रिलेशनशिप में हैं तो पैसे कौन खर्च करे?

भारत जैसे देश में पुरुषों का लालनपालन इस तरह किया जाता है कि उन्हें आर्थिक कमान अपने हाथों में रखनी है. इस तरह से पुरुषों को यह मानना मुश्किल हो जाता है कि यह कमान उन से कोई छीने. वे यह अधिकार अपने तक ही सीमित रखना चाहते हैं.

गहरी चाल

पुरुषों का एक बड़ा वर्ग मानता है कि लड़कियां या महिलाएं अपना बिल खुद देंगी तो इस से उन का ईगो हर्ट होगा क्योंकि इस समाज में लड़कियों को उन पर निर्भर रहना सिखाया है. ऐसे में अगर लड़कियां या महिलाएं बिल खुद देने लगेंगी तो इस समाज से पुरुष की धाक खत्म हो जाएगी. दूसरी ओर धर्म ने इस कदर अपना अधिकार जमाया हुआ है कि वह नहीं चाहता कि लड़कियां आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हों.

लड़कियां पुरुषों के अधीन नहीं होना चाहतीं. वे कहती हैं कि हम अपना खर्चा खुद उठा सकती हैं और रिलेशनशिप 2 लोगों के बीच का संबंध है. ऐसे में खर्चा भी 2 लोगों के हिस्से में बंटा होना चाहिए. किसी एक पर इस का बो झ डालना किसी भी तरह सही नहीं है. अगर कोई एक पार्टनर खर्चा उठाता जाए और वहीं दूसरा पार्टनर कुछ भी खर्च न उठाए तो इस से रिश्ते में दरार आ सकती है और रिश्ता टूटने की कगार पर आ सकता है.

लिव इन रिलेशनशिप के सब से ज्यादा मामले मैट्रो सिटीज में देखे गए हैं. बैंगलुरु में रहने वाले अधिकतर युवा लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं.

खर्च कौन करे

लिव इन रिलेशनशिप बिना किसी बंधन के लड़कालड़की को कपल के रूप में रहने की छूट देती है. लिव इन रिलेशनशिप को अपनाने वाले वे लोग हैं जो जौब करते हैं, एक रिसर्च में सामने आया है कि आईटी सैक्टर और बीपीओ से जुड़े लोग सब से ज्यादा लिव इन रिलेशनशिप में  देखे गए हैं. दिल्लीएनसीआर में भी लिव इन रिलेशनशिप में कई कपल रहते हैं. इस में कपल खर्चे को आपस में बांट लेते हैं.

गूगल में जौब करने वाली वाणी बताती है कि जैसेजैसे गर्लफ्रैंडबौयफ्रैंड का रिश्ता आगे बढ़ता जाता है तो पार्टनर्स भी अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से निभाने लगते हैं. फिर चाहे वह पैसे से जुड़ी जिम्मेदारी ही क्यों न हो. किसी भी रिलेशनशिप में अगर एक ही पार्टनर पैसा कमाता है या जरूरतों की जिम्मेदारी उठाता है तो उस के मन में कभी न कभी यह विचार आ ही जाता है कि सिर्फ मैं ही खर्च क्यों करूं. इसी के चलते पार्टनर्स में पैसों को ले कर  झगड़ा होने लगता है.

सुमित 27 वर्षीय एक स्मार्ट लड़का है. वह गुरुग्राम स्थित एक आईआईटी कंपनी में जौब करता है. वहीं उस की 25 वर्षीय पार्टनर प्रियंका एक मेकअप आर्टिस्ट है. दोनों 3 महीने पहले एक क्लब में मिले थे. इस के बाद वे अकसर मिलने और पार्टी करने लगे. धीरेधीरे दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं. दोनों सहमति से रिलेशनशिप में आ गए क्योंकि प्रियंका भी जौब करती थी इसलिए उस ने अपने खर्चे सुमित पर नहीं डाले.

प्रियंका जब कभी शौपिंग करती तो वह अपना बिल खुद पे करती. वे जब कभी बाहर जाते तो खर्चे हाफहाफ बांट लेते. जब कभी लंच, डिनर पर जाते तो कभी सुमित बिल देता तो कभी प्रियंका. इस से किसी एक पर खर्चे का बो झ नहीं पड़ता.

सुमित कहता है कि यंग लड़कों को ऐसी ही लड़कियां पसंद है, जो अपने पैरों पर खड़ी हैं. महंगाई के इस दौर में दोनों पार्टनर का कमाना बहुत जरूरी है. खर्चे दोनों पार्टनर के मिल कर करने से रिश्ते में रोमांस और सम्मान बना रहता है.

वहीं राहुल प्राइवेट बैंक में कैशियर की जौब करता है तो दिव्या एक वैबसाइट के लिए कंटैंट लिखती है. दिव्या और राहुल की रिलेशनशिप को 1 साल हो गया है. 1 साल की इस रिलेशनशिप में खर्चा सिर्फ राहुल ने ही किया है. खर्चे को ले कर उन के बीच कई बार लड़ाई हो चुकी है. राहुल का कहना है कि जब रिश्ता 2 लोगों के बीच है तो खर्चा कोई एक क्यों करें क्योंकि राहुल अपने परिवार का भी खर्चा उठाता है और रिलेशनशिप में भी वही खर्चे का पूरा बो झ उठा रहा है इसलिए वह चिड़चिड़ा रहने लगा. इस से उन के रिश्ते में भी कड़वाहट आ गई और जल्द ही उन का रिश्ता टूट गया.

रिश्ते में दरार

भावनात्मक तौर पर यह कहा जा सकता है कि रिश्ते के बीच पैसों को क्या लाना. लेकिन असल में अकसर आर्थिक  झगड़े ही रिश्ते में दरार आने का सब से बड़ा कारण बनते हैं. किस ने, किस पर, कितना, कैसे, क्या खर्च किया है बहुत माने रखता है.

1 हजार से अधिक लोगों पर किए गए सर्वे के अनुसार एक रिलेशनशिप में लोग लगभग 11 हजार प्रति माह से थोड़ा कम खर्च करते हैं, जबकि विवाहित जोड़े करीब 10 हजार रुपए खर्च करते हैं. एक रैस्टोरैंट के मैनेजर ने बताया कि वहां आने वाले कपल्स में 70% लड़के ही बिल पे करते हैं. वही 30% ऐसी लड़कियां हैं जो बिल पे करती हैं.

लैकमे स्टोर में काम करने वाली 23 वर्षीय रुचि बताती है कि जब कभी भी वह अपने पार्टनर के साथ बाहर डिनर पर जाती है तो कभी वह बिल पे कर देती है तो कभी उस का पार्टनर. इस तरह से खर्चा समान मात्रा में बंट जाता है. वह बताती है कि जब उन्हें ट्रिप पर जाना होता है तो वे पहले से ही प्लानिंग कर लेते हैं. ऐसे में वे एक बजट बना लेते हैं और फिर उसी बजट के अनुसार खर्चा करते हैं.

इस में जो भी खर्चा होता है उसे वे आधाआधा बांट लेते हैं. इस के अलावा जिसे अपने लिए शौपिंग करनी होती है वह उस का बिल खुद देता है. वे एकदूसरे को समयसमय पर गिफ्ट भी देते रहते हैं.

18 वर्षीय अंजलि मध्यवर्ग से है, वहीं सचिन उच्च मध्यवर्ग का 19 वर्षीय लड़का है. एक ही कालेज में होने के कारण दोनों में जानपहचान हुई और फिर वे एकदूसरे को डेट करने लगे. सचिन आर्थिक रूप से अंजलि से थोड़ा स्ट्रौंग था. लेकिन अंजलि इंडिपैंडैंट लड़की थी. ऐसे में वह चाहती थी कि खर्चे में वह भी अपनी भागीदारी दे. इसलिए उस ने राहुल से बात शेयर की. राहुल ने भी इस बात को सम झा.

अब जब कभी भी वे बाहर जाते हैं तो कभी राहुल बिल पे कर देता है तो कभी अंजलि. इस से किसी का ईगो भी हर्ट नहीं होता और रिलेशनशिप भी स्मूथली चलती है.

हीनभावना क्यों

रिलेशनशिप ऐक्सपर्ट नवीन मेहता कहते हैं कि कई बार ऐसा भी होता है कि दोनों पार्टनर का बजट कम होता है तो ऐसे में वे महंगे रैस्टोरैंट न जा कर स्ट्रीट फूड का मजा भी उठा सकते हैं और इस तरह से किसी एक पर खर्चे का अधिक बो झ भी नहीं होगा. ऐसा देखा गया है कि जब कभी कोई एक पार्टनर ही खर्चा करता रहे तो वह रिश्ते को बो झ सम झने लगता है और जल्द से जल्द उस से छुटकारा पाना चाहता है. वहीं दूसरी ओर कई पार्टनर ऐसे होते हैं जो खर्चा करने में असमर्थ होते हैं, इस से उन में हीनभावना आने के चांस बढ़ जाते हैं.

एक रैस्टोरैंट के मैनेजर ने बताया कि वहां आने वाले कपल्स में 70% लड़के ही बिल पे करते हैं. वहीं 30% ऐसी लड़कियां हैं जो बिल पे करती हैं. उन्होंने कहा कि कई बार लड़कियां बिल देना चाहती हैं, लेकिन उन के पार्टनर यह कहते हुए मना कर देते हैं कि मेरे होते हुए तुम बिल क्यों दोगी.

रिलेशनशिप में एकतरफा खर्च का एक उदाहरण चीन के शहर शंघाई में देखने को मिला जहां लंबे समय तक डेटिंग करने के बाद एक कपल अलग हो गया. रिलेशनशिप खत्म होने पर बौयफ्रैंड ने अपनी गर्लफ्रैंड को 7 लाख का लंबाचौड़ा बिल थमा दिया. इस में चिप्स से ले कर पानी का बिल तक था. ऐसी नौबत से बचने के लिए खर्चे को आपस में बांटना ही सही है.

गलत धारणा से ग्रस्त

सुनिधि बताती है कि कई बार रिलेशनशिप टूटने के बाद लड़के अपनी पुरानी पार्टनर को गोल्ड डिगर कहते हैं वह ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि उन्होंने अपनी पार्टनर को कई गिफ्ट दिए होते हैं और बदले में उन की साथी पार्टनर उन को गिफ्ट नहीं देती. यही कारण है कि वे उन्हें गोल्ड डिगर कह कर उन का अपमान करते हैं.

फ्लिपकार्ट कंपनी में काम करने वाली सुष्मिता कहती है कि कई लड़कियां रिलेशनशिप में अपने पैसे सेव कर के अपने पार्टनर के पैसे खर्च करवाती हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि पैसे खर्च करना सिर्फ लड़कों की जिम्मेदारी है. वे अपनी राय देते हुए कहती है कि जहां लड़कियां लड़कों के कंधे से कंधा मिला कर चलने की बात करती हैं तो फिर पैसा खर्च करने में  िझ झकती क्यों हैं? जो लड़कियां ऐसा सोचती हैं वे वह गलत धारणा से ग्रस्त हैं. उन्हें यह सम झना चाहिए कि रिश्ता 2 लोगों के बीच है तो खर्चा भी 2 लोगों में बंटना चाहिए.

बनाए रखें प्यार

रिलेशनशिप में रहने वाले कपल अपना खर्चा बचाने के लिए घर पर ही लंच या डिनर का प्रोग्राम बनाएं. इस से आप का पार्टनर भी इंप्रैस हो जाएगा और आप का खर्चा भी कम होगा. खास बात यह होगी कि जो टाइम आप को किसी रैस्टोरैंट में एकसाथ बिताने को नहीं मिलता वह भी आसानी से मिल जाएगा वह है क्वालिटी टाइम, जिस में आप एकदूसरे से अपनी बातें शेयर कर पाएंगे, एकदूसरे पर ट्रस्ट स्ट्रौंग कर पाएंगे.

इस के अलावा लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल को घर का किराया और खर्चे आपस में बांट लेने चाहिए. उदाहरण के लिए यदि आप को एक अपार्टमैंट मिलता है जिस की कीमत क्व8 हजार प्रति माह है, तो प्रत्येक भागीदार क्व4 हजार का योगदान देगा.

किसी भी रिश्ते में प्यार और सम्मान दोनों की जरूरत होती है और यह प्यार और सम्मान तब और बढ़ जाता है जब इसे जिम्मेदारी के साथ निभाया जाए. इस के लिए जरूरी है कि खर्चे को आधाआधा बांटा जाए. इस का फायदा यह रहेगा कि इस से किसी एक पर सारा खर्चा नहीं आएगा और इस से रिश्ते में प्यार बना रहेगा.

रिश्ते: क्या बोलें क्या नहीं

कई बार हम हंसी-मजाक में अपनी शालीनता को भूल जाते है और कुछ गलत बोल जाते हैं और जिन से हम मजाक कर रहे हैं उन को नागवारा गुजरता है और वे हम से रूठ जाते हैं. इस से हमारे संबंधों में दरार पड़ जाती है. अत: मजाक हमेशा शालीनता और अच्छी मानसिकता से किया जाए तो ही अच्छा रहता है.

कई बार देखा गया है कि जो शब्द हम बारबार बोलते हैं वही हमारे मुंह पर आते हैं फिर चाहे वे अच्छे हों या बुरे, इसलिए शब्दों का ध्यान रखें. फिर चाहे वे मजाक में ही क्यों न बोले हों क्योंकि हमारे मुंह से निकला 1-1 शब्द हमारे चरित्र और व्यवहार का परिचय देता है. यदि हम कोई गलत शब्द बोल देते हैं तो लोगों के दिल में घृणा के पात्र बन जाते हैं और यदि हम अच्छे शब्द और प्यार से बोलते हैं तो सब का दिल जीत लेते हैं. इसलिए किसी से भी बातचीत करते समय शब्दों का ध्यान रखें.

जब कर रहे हों आलोचना

यदि हमें किसी की आलोचना करनी हो तो कोशिश करें कि तीखे शब्दों का उपयोग न करें. आलोचना हम सकारात्मक भी कर सकते हैं. इस के लिए कुछ सु झाव प्रस्तुत हैं:

रवि पार्टी में बहुत शराब पी कर आया था और सब से लड़ाई झगड़ा कर रहा था. तभी उस के दोस्त उस को बहुत भलाबुरा कहने लगे, लेकिन दोस्त आलोचना करते समय यह भूल गए कि यहां सभी अपने परिवार के संग आए हैं. तब क्या रवि के साथ ऐसा व्यवहार ठीक है? इस समय आप आलोचना करते समय अपने शब्दों का ध्यान रखें. उस को प्यार से सम झाने की कोशिश करें कि उस की वजह से पार्टी का मजा खराब हो गया क्योंकि आज सभी दोस्त परिवार संग मौजमस्ती करना चाहते थे, लेकिन उस की वजह से ऐसा नहीं कर पाए.

उसे आगे से किसी भी पार्टी में बिना शराब पीए आने को कहें ताकि वह भी अपने दोस्तों के संग पार्टी का मजा ले सके और कुछ यादगार पल बिता सकें. इस से उस की सोच सकारात्मक होगी और अगली बार वह पार्टी में ऐसा व्यवहार नहीं करेगा. इस तरह आलोचना सकारात्मक भी कर सकते हैं.

जब कर रहे हों बच्चों से बात

माता-पिता के द्वारा बच्चों से की गई बातचीत के ढंग का प्रभाव भी उन के ऊपर पड़ता है. कई मातापिता उन को डांटतेमारते समय अपशब्दों और कुछ गालियों का भी उपयोग करते हैं जिन्हें बच्चे भी सीख जाते हैं जिस का उन की मानसिकता पर गहरा असर पड़ता है. कई बार जब बच्चों को गुस्सा आता है तो वे भी इन्हीं शब्दों का उपयोग करते हैं. तब मातापिता को उन का यह व्यवहार नागवारा गुजरता है.

इस के साथ ही इस का प्रभाव हमारी छवि पर भी पड़ता है, इसलिए मातापिता घर से ले कर बाहर तक कुछ भी कहने में सावधानी बरतें क्योंकि बारबार अपशब्दों का उपयोग हमारी आदत में शामिल हो जाता है और फिर ये शब्द हमारे मुंह से अपने आप ही निकल आते हैं. बात कुछ दिनों पहले की है. उस दिन हमारे पड़ोस में रहने वाल 4 साल का रोहन अपने मातापिता से नाराज हो कर हमारे घर आया. पूछने पर उस ने अपनी बात को बताने के लिए कई बार कुछ अपशब्दों और गालियों का उपयोग किया. शायद वह उन शब्दों का मतलब ही नहीं जानता था. वे शब्द उस की रोज की बोलचाल में शामिल हो गए थे, इसलिए उस ने उन्हें बोलने से पहले जरा भी नहीं सोचा. इसलिए हमें बच्चों के सामने इस तरह के शब्दों से परहेज करना चाहिए.

अपमानजनक भाषा का प्रयोग

बड़े अकसर बातोंबातों में या फिर फोन पर किसी व्यक्ति के लिए गलत भाषा का उपयोग कर जाते हैं. उन्हें लगता है कि बच्चों ने नहीं सुना होगा या कई बार हम ध्यान ही नहीं देते कि आसपास बच्चे हैं और वे कुछ भी कह जाते हैं. कई बार बच्चे बड़ों की हर बात को बड़े गौर से सुनते हैं. इसलिए अगर घर में छोटे बच्चे हैं तो बेहद संभल कर बातचीत करें. बच्चों के सामने किसी के लिए अपशब्द या अभद्र भाषा का प्रयोग न करें.

कमियां निकालना

घर से मेहमान के जाने के बाद अकसर परिवार के सदस्य उस व्यक्तिको ले कर बातें करते हुए उस की कमियां निकालते हैं. यही सब बच्चे भी देखते हैं और वे भी उस व्यक्ति के बारे में वैसी ही धारणा बना लेते हैं. बच्चों के मन पर इन सब बातों का गहरा असर पड़ता है और वे भी बड़े हो कर लोगों में कमियां ढूंढ़ने लगते हैं. कई बार तो घर के सदस्य भी एकदूसरे की पीठपीछे बुराई करते नजर आते हैं. अत: मातापिता बच्चों के सामने किसी की पीठपीछे उस की कमियां न निकालें और न ही उस की बुराई करें.

एक-दूसरे का अपमान करना

हर घर में और हर पतिपत्नी के बीच  झगड़ा और नाराजगी आम बात होती है. ऐसे में एकदूसरे का अपमान करना या नीचा दिखाना सही नहीं होता. जब बच्चा ये सब देखता है तो वह उसी के आधार पर आप की इज्जत, आदर और सम्मान करता है. इसलिए जैसी इज्जत, आदर और सम्मान आप बच्चों से चाहते हैं वैसा ही सम्मान दूसरे को दें. अगर किसी बात पर नाराजगी हो तो उसे बंद कमरे में सुल झाएं न कि बच्चों के सामने. इस के अलावा बाकी सदस्य भी बच्चों के सामने एकदूसरे से अच्छी तरह से बातचीत करें. इस से बच्चों में परिवार के प्रति प्रेम बढ़ता है और वे सभी का आदर करते हैं.

जब कर रहे हों दोस्तों से या औफिस में बात

आज रवि बहुत दिनों बाद अपने बचपन के दोस्त श्याम से मिलने उस के औफिस गया और वह अपने उसी अंदाज में मिला जैसे वह बचपन में मिला करता था. कंधे पर हाथ रखे बात करना, बातबात पर मजाक करना, तेजतेज हंसना, टेबल पर रखे सामान को हाथ लगाना, फोन पर तेज आवाज में बात करना आदि. ये सब श्याम और उस के आसपास के सहकर्मियों को बिलकुल नहीं भा रहा था, लेकिन श्याम के पास कोई उपाय भी नहीं था. आखिर वह अपने बचपन के दोस्त को कैसे सब के सामने कुछ कह सकता था, यही बात दोस्तों के साथ होने वाली बातचीत में भी लागू होती है.

तानेबाजी से बचें

कई बार हम मजाक के बहाने दोस्तों से अपने मन में दबी कड़वाहट को कहने की कोशिश करते हैं और अपनी कड़वाहट  को सार्वजनिक रूप से उजागर करते हैं और यदि सामने वाले को बुरा लग जाए तो कह देते हैं कि मैं ने तो मजाक किया था.

कई बार ऐसा होता है कि पार्टी या शादीविवाह के प्रोग्राम में हम अपने उन दोस्तों संग जोकि प्रोफैशनल लाइफ में आप से आगे निकल गए होते हैं और आप वहीं हैं जहां पहले थे तो कई बार मन में जलन और कड़वाहट के भाव आते हैं और तब हम उन के साथ फनी और कूल माहौल बनाने के लिए तानेबाजी भरा मजाक करने लगते हैं. जैसे और भाई बहुतबहुत बधाई. सुना है तुम्हारी प्रमोशन हो गई है, बड़ी गाड़ी ले ली है तो आजकल बहुत बड़े आदमी हो गए हो.

फोन उठाने की भी फुरसत नहीं है, हां अब क्यों मेरा फोन उठाओगे वैगरहवैगरह कह कर दोस्तों के सामने मजाक बनाने लगते हैं. ऐसा करने से हमेशा बचें क्योंकि संभव है कि दोस्त इस चीज से आहत हो कर आप से नाराज हो जाए या संबंध खराब हो जाएं.

स्वभाव, स्थान व समय का ध्यान रखें

दरअसल, समय और जरूरत का ध्यान रख कर कही गई बात से हमारी अहमियत अपनेआप बढ़ जाती है. बोलने की कला और व्यवहारकुशलता के बगैर प्रतिभा काम नहीं आ सकती. शब्दों से हमारा नजरिया  झलकता है. कई बार हमारी बिना सोचेसम झे बोली गई बात सामने वाले को बुरी लग सकती है. तब हो सकता है जब तक आप को अपनी गलती का एहसास हो तब तक बहुत देर हो चुकी हो क्योंकि यह तो हम सभी जानते हैं कि मुंह से निकली बात, आखों से निकले आंसू एवं बाण से निकला तीर वापस नहीं आता है इसलिए हमेशा सोचसम झ कर बोलें.

प्रेम पर भारी तुनकमिजाजी

आजकल कुनबे, परिवार एवं घर सिकुड़ते से जा रहे हैं. जहां पहले यदि बड़े कुनबे की बहू परिवार में आती थी तो उसे अच्छा माना जाता था क्योंकि बड़ा कुनबा इस बात की पहचान होता था कि सभी रिश्तेदारों में आपसी तालमेल अच्छा है. वे सभी एकदूसरे के साथ सुखदुख में खड़े भी होते थे. यह तालमेल बैठाना कोई आसान काम नहीं होता. नाजुक रिश्तों की डोर को मजबूत करने के लिए सभी की पसंदनापसंद का खयाल रखना अति आवश्यक होता है.

यह हर किसी के बस की बात नहीं कि वह डोर की मजबूती को बरकरार रख सके. इस के लिए ईमानदारी, वाणी पर संयम, मन में भेदभाव न होना, स्वार्थ से परे होना, धैर्यवान होना अदि कई गुण बेहद जरूरी है.

कई लोग जराजरा सी बात पर नाराज हो कर बैठ जाते हैं. उन्हें बारबार मनाओ, मनुहार करो तब वे पुन: साधारण व्यवहार करने लगते हैं. लेकिन ऐसे लोगों का कुछ पता ही नहीं चलता कि वे किस बात पर कब नाराज हो जाएं. या तो लोग उन की पदप्रतिष्ठा के कारण उन के सामने  झंक कर व्यवहार करते हैं या फिर रिश्तों को निभाने की मजबूरी. लेकिन लोग उन्हें दिल से कम ही पसंद करते हैं. व्यवहार सही रखें .

ऐसे ही उदाहरण यहां पेश हैं कि कैसे तुनकमिजाजी व्यवहार के कारण रिश्तों में खटास पैदा हो गई:

अमृता का विवाह दिल्ली के सी.ए. विपिन से हुआ. उन के ब्याह में फेरों के समय जब अमृता की चचेरी बहनों ने जूते छिपाई की रस्म के समय अपने होने वाले जीजा के जूते ढूंढ़ने चाहे तो वे नहीं मिले. मालूम हुआ कि जीजा का छोटा भाई जूतों को कमरे में रखने गया है. सालियों ने सोचा कमरे में भला कैसे दाखिल हों. सो अपने भाई को भी इस में शामिल किया और उस से कहा कि तुम कमरे से जूते बाहर ले आओ. जिस कमरे में जीजा का छोटा भाई जूतों के साथ बैठा था वह वहां गया और पूरे कमरे में नजर दौड़ाई.

इसी बीच नींद में ऊंघते जीजा के भाई को लगा कि न जाने कौन कमरे में घुस आया. सो उस ने आव देखा न ताव और वह उस पर टूट पड़ा. इस के बाद दोनों में खूब  झड़प हुई और फेरों के बीच दोनों पक्षों में कहासुनी हो गई. दूल्हा थोड़ा समझदार था जो दोनों पक्षों के बड़ों से माफी मांगता रहा. जैसेतैसे ब्याह संपन्न हुआ.

मगर जब वधू ब्याह कर ससुराल में पहुंची तो वहां भी उस पर तानों की झड़ी लग गई. नखरीले देवर ने यहां आ कर भी खूब तमाशा किया. भाईभाभी दोनों ने खूब माफी मांगी ताकि किसी भी तरह से परिवार में शांति बनी रहे, लेकिन देवर तो नाक चढ़ाए ही रहा.

उस का कहना था कि मेरी इज्जत नहीं की वधू पक्ष ने. उस के बाद देवर जबतब भाभी को ताने देता. सासननद ने भी मन में गांठ बांध ली. हर त्योहार, उत्सव या रोजमर्रा की जिंदगी कुछ न कुछ झगड़ा घर में लगा ही रहता. हार कर बड़े भाईभाभी परिवार से अलग हो गए.

साथी की उपेक्षा क्यों

अमेरिका से आए एक युगल दंपती में पति अपने काम में इतना मशगूल रहता कि पत्नी की तरफ ध्यान ही नहीं. छोटा सा बच्चा भी अपने पिता के पास समय की कमी के चलते सारा दिन मां के साथ ही चिपका रहता. इसी बीच पत्नी सीमा की सोसायटी में एक सहेली राधा बन गई. अच्छी बात यह थी कि दोनों के पतियों का व्यवहार एकसमान था. राधा के पति किसी एअर लाइन में कार्यरत थे और 3 शिफ्टों में काम पर जाया करते. उन का तो कोई फिक्स रूटीन ही नहीं था. सो राधा अपने 2 बच्चों के साथ उन के रूटीन से जैसेतैसे तालमेल बैठा लेती थी.

सीमा और राधा सहेलियां बन कर साथसाथ शौपिंग के लिए जातीं. दोनों के बच्चे भी हमउम्र होने पर साथ खेलते. यदि कभी बारिश हो तो बच्चे किसी एक के घर में ही खेलते. सीमा बहुत व्यवहारकुशल नजर आती थी. लेकिन कई दिनों से उस के व्यवहार में कुछ बदलाव नजर आ रहा था. राधा ने कई बार उस से बदलाव की वजह पूछी. किंतु सीमा कह देती कुछ नहीं हुआ आप को ऐसे ही कुछ महसूस हो रहा है, मैं तो वैसी की वैसी हूं.

कुछ ही दिनों में सीमा के बच्चे का जन्मदिन था और उस ने राधा को फौर्मल निमंत्रण भी न दिया. राधा सोचती रही कि आखिर क्या हुआ? फिर भी उस ने जन्मदिवस के एक दिन पहले सीमा को फोन किया और हंस कर पूछा कि आएं कि न आएं जन्मदिन की पार्टी में? सीमा भी हंस कर हक जता कर बोल दी कि चुपचाप आ जाना. आप को निमंत्रण की जरूरत है क्या?

खुद में बदलाव

हमेशा की तरह राधा समय से कुछ पहले ही सीमा के घर पहुंच गई ताकि वह उस की पार्टी की तैयारी में कुछ मदद करवा सके. जब वह वहां पहुंची तो पाया कि इस बार उन के समूह की अन्य महिलाएं पहले से वहां मौजूद थीं और बड़ी ही पैनी नजरों से राधा को देख रही थीं. ये वही महिलाएं थीं जो सीमा की व्यावहारिक खामियां ढूंढ़ कर राधा के समक्ष रखती थीं और राधा हर बार यह कह कर टाल देती थी कि हर इंसान अलग प्रकृति का होता है.

अब राधा को समझाते देर न लगी कि सीमा के व्यवहार में बदलाव क्यों आया. शायद इन महिलाओं ने सीमा के कान भी भरे हों. राधा ने सीमा को मनाने की बहुत कोशिश की, किंतु सीमा यह स्वीकारती ही नहीं थी कि उस के व्यवहार में कुछ बदलाव है.

अंत में राधा ने कह दिया कि सीमा हम 4 बरस से पक्की सहेलियां हैं. तुम मानो न मानो मैं तुम्हें और तुम्हारे व्यवहार को अच्छी तरह से समझाती हूं. अब राधा ने भी उस की मनुहार करना छोड़ दिया था. कुछ महीने बीते राधा के पति का तबादला हो गया. उस के बाद कभी राधा ने सीमा की सुध भी न ली. राधा से दूरी तो पहले ही बन ही चुकी थी. अब अकसर वह सोसायटी में अकेली नजर आती थी. यह बात राधा को अपनी अन्य सहेलियों से मालूम हुई. शायद धीरेधीरे सभी उस का व्यवहार समझा चुके थे.

खतरनाक अंजाम

ऐसा ही एक केस दिल्ली में आया जहां अखबारों की खबर के अनुसार हिमांशी गांधी के पिता लवेश गांधी ने पुलिस में रिपोर्ट लिखवाई कि उन की बेटी ने अपने मित्रों के साथ मिल कर एक कैफे खोला था. आज उस का पहला दिन था और शाम को करीब 4 बजे उस के मित्र आयूष ने उस की मां को फोन किया और कहा कि हिमांशी और उस के मित्रों में किसी बात को ले कर खूब विवाद हुआ और उस के बाद वह नाराज हो कर कैफे से चली गई. तब से वे उसे बारबार फोन कर रहे हैं, लेकिन हिमांशी फोन नहीं उठा रही है और बाद में उस का फोन अनरीचेबल हो गया.

पुलिस ने उस की छानबीन की और 25 जून को एक महिला का शव यमुना में तैरता मिला. पुलिस ने हिमांशी के परिवार को इस की सूचना दी तो उस के परिवार वालों ने लाश देख कर पुष्टि की कि वह हिमांशी की ही लाश है.

उस के बाद पुलिस ने वहां का सीसी टीवी कैमरा चैक किया, जिस में करीब 3 बजे हिमांशी ब्रिज की रेलिंग पर चढ़ती हुई दिखाई दी. उस के बाद वह रेलिंग के बीच गैप्स में से यमुना में कूद गई और अपनी जान दे दी.

इस तरह के किस्से एवं हादसे यह बताते हैं कि कहीं न कहीं व्यवहार में तुनकमिजाजी का खमियाजा अंतत: स्वयं ही उठाना पड़ता है. किंतु ऐसे व्यवहार वाले लोगों से जुड़े रिश्तेदार एवं मित्र भी कहीं न कहीं इस का नुकसान उठाते हैं. फायदा कम नुकसान ज्यादा हो सकता है तुनकमिजाजी व्यवहार वाले लोग जब तक स्वयं का कुछ नुकसान न हो अपने इस व्यवहार की आड़़ में मजा उड़ाते हों कि सब लोग उन के लिए एक टांग पर खड़े रहें. वे रूठें तो दूसरे उन्हें मनाते रहें या सामने वाला नाराज न हो जाए इस डर से लोग उन की हर बात को मानें. जब तुनकमिजाजी या बारबार की नाराजी से डराधमका कर जिंदगी मजे में चले तो कोई अच्छा व्यवहार क्यों करे भला. तब तो किसी को न कोई डर न ही परवाह, हरकोई अपनी बात रखने की कोशिश तो करेगा ही.

ऊपर से तुनकमिजाजी व्यवहार का फायदा यह कि आप लड़ झगड़ कर हर जगह अपनी चला कर हर अच्छे काम का क्रैडिट भी स्वयं ही ले लेते हैं. सीधासादा व्यवहार रखें तो यह तो होने से रहा. मगर इस तुनकमिजाजी के नुकसान भी तो बहुत हैं. जरूरी नहीं कि आप को बारबार लोग मनाएंगे और मनुहार करेंगे. यदि सज्जन लोग आप के साथ हैं तो निश्चित रूप से आप की शुरुआती तुनकमिजाजी को वे इग्नोर कर आप से अच्छा व्यवहार रखने की कोशिश करते हैं. लेकिन जैसे ही वे समझाते हैं कि आप उन की सज्जनता का फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं तो वे आप से किनारा भी करने लगते हैं और अंतत: आप स्वयं का नुकसान कर अकेले रह जाते हैं.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें