सवाल-

मेरी नानी और मां दोनों को आर्थ्राइटिस के कारण नीरिप्लेसमैंट सर्जरी करानी पड़ी थी. मु झे भी दोनों घुटनों में औस्टियोआर्थ्राइटिस है. मेरी उम्र केवल 48 साल है. क्या मु झे भी नीरिप्लेसमैट कराना होगा?

जवाब-

आनुवांशिक कारणों के कारण आर्थ्राराइटिस का खतरा बढ़ जाता है. लेकिन आप परेशान न हों, प्रारंभिक स्तर पर आर्थ्राराइटिस का उपचार दवाइयों और ऐक्सरसाइज से ही किया जाता है. कई बार इंजैक्शन भी लगाए जाते हैं. इस से आराम मिलता है. इन सब के बाद भी जब परेशानी कम नहीं होती तब सर्जरी का विकल्प चुना जाता है. वैसे और्थोपैडिक सर्जन 48 की उम्र में नी रिप्लेसमैंट करने से बचते हैं, इस के बजाय अलाइनमैंट ठीक करने की सर्जरी की जाती है, सामान्यत: घुटने का जोड़ एक तरफ से खराब होता है, दूसरी तरफ का ठीक रहता है. अलाइनमैंट ठीक होने से घुटने का प्राकृतिक जोड़ बचा रहता है और दर्द में भी आराम मिलता है. इस के अलावा युवा मरीजों के लिए आंशिक घुटना प्रत्यारोपण का विकल्प भी चुना जाता है. इस में पूरे जोड़ के बजाय केवल क्षतिग्रस्त भाग को बदला जाता है. इस में रिकवरी काफी जल्दी होती है.

सवाल-

मेरी सास की उम्र 63 साल है. डाक्टर ने उन्हें नीरिप्लेसमैंट कराने का कहा है. हम ने रोबोटिक नी रिप्लेसमैंट के बारे में काफी सुना है. मैं जानना चाहती हूं कि यह पारंपरिक तकनीक से कितनी बेहतर है?

जवाब-

पारंपरिक सर्जरी की तुलना में रोबोटिक सर्जरी अधिक सटीक और सूक्ष्म होती है. इस के परिणाम भी बहुत अच्छे आते हैं और रिकवरी भी तेज होती है. घुटना प्रत्यारोपण की पारंपरिक तकनीक में इंप्लांट को ठीक तरह से बैठाने के लिए घुटने की मैनुअल तरीके से घिसाई की जाती है. जबकि रोबोटिक में सीटी स्कैन और आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस की सहायता से मरीज के घुटने का 3 डी स्कैन तैयार किया जाता है. इस में पहले ही योजना बना ली जाती है कि इंपलांट को किस तरह फिट करेंगे ताकि अलाइमैंट बेहतर हो. इस में स्वस्थ हड्डियों को कम नुकसान पहुंचता है और ज्यादा ऊतक भी क्षतिग्रस्त नहीं होते हैं. अलाइमैंट भी अच्छा होता है, इसलिए रोबोटिक्स को पारंपरिक घुटना प्रत्यारोपण से बेहतर माना जाता है.

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