अर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…
सवाल-
मैं 19 वर्षीय पटना की रहने वालीग विवाहिता हूं. विवाह हुए 6 महीने हुए हैं. पति दिल्ली में कार्यरत हैं. इसी महीने पति के साथ दिल्ली शिफ्ट हुई हूं तो ससुराल वालों ने मेरी अविवाहित ननद को उस के लिए लड़का देखने की जिम्मेदारी के साथ हमारे साथ भेज दिया. उस के साथ से अनजान शहर में मुझे पति की गैरमौजूदगी में सहारा तो मिलता है पर दिक्कत भी है. सिनेमा जाएं या कहीं और हर जगह उसे साथ ले कर जाना पड़ता है. इस से हमें प्राइवेसी नहीं मिलती. बताएं क्या करें?
जवाब-
ननद के रूप में आप को एक सहेली मिल गई है. इस से नए माहौल में आप को ऐडजस्ट करने में मदद मिली है वरना पति के औफिस जाने के बाद दिनभर आप बोर हो जातीं. जहां तक प्राइवेसी की बात है, तो पति का साथ तो वैसे भी आप को रात को ही मिलता. इस वक्त भी शयनकक्ष में आप की प्राइवेसी में खलल डालने वाला कोई नहीं है. इसलिए जितना भी समय पति के साथ आप को मिलता है उसे भरपूर जीएं. वह आप का क्वालिटी टाइम होना चाहिए. फिर ननद विवाह योग्य है. आज नहीं तो कल उस का विवाह हो जाएगा. तब आप अपनी प्राइवेसी को जी भर कर ऐंजौय करेंगी.
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प्रथा नहीं जानती थी कि यों जरा सी बात का बतंगड़ बन जाएगा. हालांकि अपने क्षणिक आवेश का उसे भी बहुत दुख है, लेकिन अब तो बात उस के हाथ से जा चुकी है. वैसे भी विवाहित ननदों के तेवर सास से कम नहीं होते. फिर रजनी तो इस घर की लाडली छोटी बेटी थी. सब के स्नेह की इकलौती अधिकारी... उस के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार के लिए ये जरा सी बात बहुत बड़ी बात थी.
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