अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मैं सेना में कार्यरत विवाहित पुरुष हूं. समस्या यह है कि रोजाना अपनी पत्नी से 2 घंटे बात करने के बाद भी मेरी पत्नी की शिकायत दूर नहीं होती, जबकि ऐसा करने से न तो मेरी नींद पूरी हो पाती है और न ही मैं अपनी कार्यालय संबंधी जिम्मेदारियों को सही ढंग से निभा पाता हूं.

मैं अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता हूं लेकिन रोजाना ज्यादा से ज्यादा उस से बात करने की उस की ख्वाहिश को पूरा न करने के कारण हमारे बीच अधिकतर लड़ाई हो जाती है. मैं क्या करूं ताकि हमारा प्यार बना रहे व पत्नी मेरी परेशानी को समझ भी सके.

जवाब

आप की समस्या का कारण आप की पत्नी का अकेलापन और आप दोनों के बीच की दूरी है जिस की वजह से आप की पत्नी को आप से शिकायत रहती है. आप अपनी पत्नी को अपनी मजबूरी प्यार से समझाएं, साथ ही उस की मनोस्थिति को भी समझें.

चूंकि सेना की नौकरी के कारण आप अपनी पत्नी से कम ही मिल पाते हैं. ऐसे में आप की पत्नी उस कमी को आप से ज्यादा से ज्यादा बात कर के पूरा करना चाहती है. आप अपनी पत्नी को सुझाव दें कि वह स्वयं को अपनी किसी रुचि के कार्य में व्यस्त करे ताकि उस को आप की कमी न खले. ऐसा करने से उस का अकेलापन दूर होगा और आप दोनों के बीच का प्यार बना भी रहेगा.

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क्या आप अपने रिलेशन को ले कर अकसर चिंतित रहते हैं? अगर हां तो इस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है. आप की चिंता का कारण आप का स्वयं का ऐटिट्यूड अथवा आप दोनों की कैमिस्ट्री हो सकती है. ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रख कर आप वैवाहिक जीवन को सुचारु रूप से चला सकते हैं:

कम्यूनिकेशन: अपनी भावनाएं, विचार, समस्याएं एकदूसरे को बताएं. वर्तमान और भविष्य के बारे में बात करें. दूसरे को बताएं कि आप दोनों के बारे में क्या प्लान करते हैं. बोलने के साथ सुनना भी जरूरी है. मौन भी अपनेआप में संवाद है. अपने हावभाव, स्पर्श में भी साथी के प्रति प्यार व आदर प्रदर्शित करें.

सारी उम्मीदें एक ही से न रखें: अगर आप अपने साथी से गैरवाजिब उम्मीदें रखेंगे तो आप का निराश होना लाजिम है. पार्टनर से उतनी ही उम्मीद रखें जितनी वह पूरी कर सके. बाकी उम्मीदें दूसरे पहलुओं में रखें. पार्टनर को स्पेस दें. उस की अच्छाइयोंबुराइयों को स्वीकारें.

बहस से न बचें: स्वस्थ रिश्ते के लिए बहस अच्छी भी रहती है. बातों को टालते रहने से तिल का ताड़ बन जाता है. मन में रखी उलझनों को बढ़ाएं नहीं, बोल डालें. आप का साथी जब आप से झगड़ रहा हो तो चुप्पी न साधें और न ही बुरी तरह से प्रतिक्रिया दें. ध्यान से सुनें और इत्मिनान से समझें. हाथापाई या गालीगलौच तो कतई न करें.

खराब व्यवहार को दें चुनौती: कभी भी साथी के खराब व्यवहार से आहत हो कर अपना स्वाभिमान न खोएं. कई बार हम साथी के व्यवहार से इतने हैरान हो जाते हैं कि अपनी पीड़ा बयां करने के बजाय स्वयं को अपराधी महसूस करने लगते हैं या मान लेते हैं. साथी आप को शारीरिक/मानसिक रूप से चोट पहुंचाता है तो भी आप उसे मना नहीं करते. यह गलत है. खराब व्यवहार न स्वीकारें. इस से रिश्ते में ऐसी दरार पड़ जाती है जो कभी नहीं पटती.

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