सवाल-
मैं 28 वर्ष की हूं. पिछले साल मेरी नौर्मल डिलिवरी हुई थी और डाक्टर ने मुझे कौपर टी लगवाने की सलाह दी थी. लेकिन उस के बाद मुझे बहुत ज्यादा पीरियड्स हो रहे हैं. क्या यह चिंता की बात है?
जवाब-
कौपर टी या कौपर आईयूडी एक गर्भनिरोधक उपकरण है जिसे गर्भाशय में डाला जाता है और इस में हारमोंस नहीं होते हैं. इसलिए इस में हारमोनल बर्थ कंट्रोल विधियों के कारण कभीकभी होने वाले जोखिम या साइड इफैक्ट्स नहीं होते हैं. लेकिन कौपर आईयूडी के कारण खून ज्यादा निकलता है और आप को माहवारी यानी पीरियड्स के दौरान विशेषकर पहले 3 से 6 महीनों के दौरान मरोड़ महसूस होता है. अन्य लक्षणों में पीरियड्स के बीच समय का अंतर होना, पीरियड्स का अनियमित होना या फिर काफी लंबे समय तक पीरियड्स रहने या भारी रक्तस्राव होना और पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा ऐंठन होना शामिल हैं. लेकिन इन में से कई लक्षण समय के साथ कम होते जाते हैं. यह सब से बेहतरीन गर्भनिरोधक उपायों में से एक है और आप को दुर्घटनावश होने वाले गर्भधारण के जोखिम से सुरक्षित रखता है. इसलिए आप को थोड़ा इंतजार करना चाहिए. हां ज्यादा लंबे समय तक बहुत अधिक माहवारी की समस्या रहती है तो स्त्री रोग विशेषज्ञा के पास जाएं और इस के उपचार एवं गर्भनिरोध के दूसरे विकल्पों पर चर्चा करें.
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किसी भी युवती के लिए पहले सैक्स के दौरान उस की वर्जिनिटी सब से ज्यादा माने रखती है. युवती की योनि के ऊपरी हिस्से में पतली झिल्ली होती है जो उस के वर्जिन होने का प्रमाण देती है, लेकिन किसी भी युवती की योनि और उस के ऊपरी सिरे में स्थित हाइमन झिल्ली को देख कर यह पता लगाना कि वह वर्जिन है कि नहीं न तो संभव है न ही ठीक. सैक्स के दौरान अकसर पार्टनर द्वारा युवती की योनि से रक्तस्राव की उम्मीद की जाती है लेकिन ज्यादातर मामलों में पाया गया है कि पहली बार सैक्स के दौरान युवती के वर्जिन होने के बावजूद उस की योनि से रक्तस्राव नहीं होता, फिर भी साथी द्वारा यह मान लिया जाता है कि युवती पहले भी सैक्स कर चुकी है, जबकि पहली बार सैक्स के दौरान युवती की योनि से स्राव होने या न होने को उस के वर्जिन होने का सुबूत नहीं माना जा सकता, क्योंकि पहली बार में बहुत सी युवतियों को इसलिए रक्तस्राव नहीं होता, क्योंकि खेलकूद, साइकिल चलाना आदि की वजह से उन की योनि में स्थित झिल्ली कब फट जाती है उन्हें स्वयं नहीं पता चलता. इस का कारण हाइमन झिल्ली का बहुत पतला व लचीला होना है. कभीकभी युवती में जन्म के समय से ही यह झिल्ली मौजूद नहीं होती. ऐसे में पहले सैक्स के दौरान योनि से रक्तस्राव न होने के आधार पर युवती के चरित्र पर संदेह करना गलत होता है.