सवाल-
मैं 26 वर्षीय स्त्री हूं. मेरे विवाह को 2 साल हुए हैं. विवाह के बाद पता चला है कि मेरे पति को साइकोसिस है. वे 1 साल से इस की दवा भी ले रहे हैं. उन का मेरे प्रति व्यवहार मिलाजुला है. कभी तो अच्छी तरह पेश आते हैं, तो कभीकभी छोटीछोटी बातों पर भी बहुत गुस्सा करते हैं. घर वालों से मेरी बिना वजह बुराई करते हैं और मुझे पलपल अपमानित करते रहते हैं. मुझे हर समय घर में बंद कर के रखते हैं. किसी से बात नहीं करने देते क्योंकि बिना वजह मुझ पर शक करते हैं. इस रोजाना के झगड़ेफसाद से छुटकारा पाने के लिए मेरी जेठानी मुझ पर दबाव डाल रही हैं कि मैं उन से अलग रहूं. पर मेरे पति 2 दिन भी मेरे बिना नहीं रह पाते. बताएं मुझे इन हालात में क्या करना चाहिए?
जवाब-
पति के मनोविकार के कारण आप जिस समस्या से आ घिरी हैं उस का कोई आसान समाधान नहीं है. उन के लक्षणों के बारे में जो जानकारी आप ने दी है उस से यही पता चलता है कि उन्हें नियमित साइक्रिएटिक इलाज की जरूरत है. दवा में फेरबदल कर साइकोसिस के लगभग 80 फीसदी मामलों में आराम लाया जा सकता है, पर सचाई यह भी है कि दवा लेने के बावजूद न तो हर किसी का रोग काबू में आ पाता है और न ही दवा से आराम स्थाई होता है. साइकोसिस के रोगी की संभाल के लिए सभी परिवार वालों का पूरा सहयोग भी बहुत जरूरी होता है. रोग की बाबत बेहतर समझ विकसित करने के लिए परिवार वालों का फैमिली थेरैपी और गु्रप थेरैपी में सम्मिलित होना भी उपयोगी साबित हो सकता है. अच्छा होगा कि आप इस पूरी स्थिति पर अपने मातापिता, सासससुर से खुल कर बातचीत करें. स्थिति की गंभीरता को ठीकठीक समझने के लिए उस साइकिएट्रिस्ट को भी इस बातचीत में शामिल करना ठीक होगा जिसे आप के पति के रोग के बारे में ठीक से जानकारी हो. उस के बाद सभी चीजों को अच्छी तरह समझ लेने के बाद ही कोई निर्णय लें. आप उचित समझें तो अभी आप के सामने तलाक का भी विकल्प खुला है. अगर कोई स्त्री या पुरुष विवाह के पहले से किसी गंभीर मनोविकार से पीडि़त हो और विवाह तक यह बात दूसरे पक्ष से छिपाई गई हो, तो भारतीय कानून में इस आधार पर तलाक मिलने का साफ प्रावधान है.
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