सवाल-

मेरी उम्र 35 साल है. मुझे औस्टियोआर्थ्राइटिस डायग्नोज हुआ है. क्या आगे चल कर मेरे घुटने खराब हो सकते हैं?

जवाब-

औस्टियोआर्थ्राइटिस में जोड़ों के कार्टिलेज क्षतिग्रस्त हो जाते हैं. जब ऐसा होता है तो हड्यों के बीच कुशन न रहने से वे आपस में टकराती हैं, जिस से जोड़ों में दर्द होना, सूजन आ जाना, कड़ापन और मूवमैंट प्रभावित होना जैसी समस्याएं हो जाती हैं. औस्टियोआर्थ्राइटिस के कारण घुटनों के जोड़ों के खराब होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. कई उपाय हैं, जिन के द्वारा आप औस्टियोआर्थ्राइटिस के कारण होने वाली जटिलताओं को कम कर सकते हैं. कैल्सियम और विटामिन डी से भरपूर भोजन का सेवन करें. वजन न बढ़ने दें. शारीरिक रूप से सक्रिय रहें. रोज कम से कम 1 मील पैदल चलें. इस से बोन मांस बढ़ता है.

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दिल्ली-एनसीआर में आर्थराइटिस की एक बड़ी वजह अंडरग्राउंड वौटर या बोरवेल के पानी का इस्तेमाल भी है. डाक्टरों का कहना है कि अंडरग्राउंड वौटर में फ्लोराइड की अधिक मात्रा से लोगों की हड्डियों के जौइंट खराब हो रहे हैं. उन्हें आर्थराइटिस और ओस्टियो आर्थराइटिस जैसी बीमारी हो रही है. देश के जिन इलाकों में अंडरग्राउंड वौटर में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है, उनमें दिल्ली भी शामिल है.

इंडियन कार्टिलेज सोसायटी और आर्थराइटिस केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डा. राजू वैश्य ने बताया कि दिल्ली के वेस्ट, नौर्थ-वेस्ट, ईस्ट, नौर्थ ईस्ट और साउथ वेस्ट जोन में इस बीमारी के मरीज ज्यादा हैं. आए दिन लोग इलाज के लिए पहुंचते हैं. उन्होंने बताया कि फ्लोराइड युक्त पानी लगातार पीने से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. जोड़ों में कड़ापन आ जाता है. इसके बाद आर्थराइटिस और ओस्टियो आर्थराइटिस जैसी समस्याएं हो जाती हैं. गंभीर स्थिति में हाथ-पैर की हड्डियां टेड़ी हो जाती हैं. जब कोई ज्यादा फ्लोराइड वाला पानी लगातार पीता है तो उसे फ्लोरोसिस होने का खतरा भी होता है. जिन एरिया में पाइपलाइन की सप्लाई नहीं है, वहां बोरवेल का पानी खूब इस्तेमाल हो रहा है.

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