सवाल-
मेरे पिताजी 63 साल के रिटायर बैंक मैनेजर हैं. उन्हें पहली बार पार्किंसंस बीमारी के लक्षण 59 साल की उम्र में महसूस होने लगे थे, जिस वजह से उन्होंने जल्दी रिटायरमैंट ले लिया. पहले उन की दाएं हाथ की उंगलियों में कंपकंपाहट थी और बीमारी का पता चलते ही उन की दवा शुरू हो गई थी, लेकिन अब समय के साथ उन की स्थिति ज्यादा ही खराब होती जा रही है. आजकल वे एकदम अकड़न की स्थिति में आ जाते हैं और उन्हें चलने में दिक्कत होने लगती है. दवाओं का उन पर कुछ असर नहीं हो रहा. क्या कोई और इलाज संभव है?
जवाब-
अगर आप के पिताजी पर दवाएं असर नहीं कर रहीं तो आप डीप बे्रन स्टिमुलेशन (डीबीएस) थेरैपी करवा सकते हैं. डीबीएस थेरैपी से पार्किंसंस बीमारी की परेशानियों जैसे कंपकंपाहट, अकड़न और चलने में दिक्कत वगैरह का इलाज किया जा सकता है, इसलिए डाक्टर से परामर्श ले कर आप अपने पिताजी का डीबीएस करवा सकते हैं.
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हमारे मस्तिष्क का अनगिनत तंत्रतंत्रिकाओं का विस्तृत नैटवर्क एक कंप्यूटर के समान है, जो हमें निर्देश देता है कि किस प्रकार विभिन्न संवेदों, जैसे गरम, ठंडा, दबाव, दर्द आदि के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त की जाए. इस के साथ ही यह बोनसस्वरूप हमें भावनाओं व विचारों को सोचनेसमझने की शक्ति भी देता है. हम जो चीज खाते हैं, उस का सीधा असर हमारे मस्तिष्क के कार्य पर पड़ता है. यह सिद्ध किया जा चुका है कि सही भोजन खाने से हमारा आई.क्यू. बेहतर होता है, मनोदशा (मूड) अच्छी रहती है, हम भावनात्मक रूप से ज्यादा मजबूत बनते हैं, स्मरणशक्ति तेज होती है व हमारा मस्तिष्क जवान रहता है. यही नहीं, यदि मस्तिष्क को सही पोषक तत्त्व दिए जाएं तो हमारी चिंतन करने की क्षमता बढ़ती है, एकाग्रता बेहतर होती है व हम ज्यादा संतुलित व व्यवस्थित व्यवहार करते हैं.
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