अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…
सवाल-
मेरी 2 साल की एक बेटी है. मैं अभी 4-5 साल दूसरा बच्चा नहीं चाहती हूं. बच्चों में अंतर रखने का सब से सुरक्षित तरीका क्या है?
जवाब-
बच्चों में अंतर रखने के लिए कई गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन रोज करना होता है. जब आप गर्भधारण करना चाहें इन का सेवन बंद कर दें. वैजाइनल रिंग का इस्तेमाल भी किया जाता है.
इसे हर महीने बदलना पड़ता है. इंजैक्शन गर्भावस्था को रोकने में 90-95% तक कारगर है. यह हर
3 महीने में लगवाना होता है. इंट्रा यूटेराइन डिवाइसेस (आईयूडीएस) भी आती हैं, जो लंबे समय तक काम करती हैं और उन की सफलता दर 99% तक है.
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मां बनना एक बेहद खूबसूरत एहसास है, जिसे शब्दों में पिरोना मुश्किल ही नहीं, बल्कि असंभव सा भी प्रतीत होता है. कोई महिला मां उस दिन नहीं बनती जब वह बच्चे को जन्म देती है, बल्कि उस का रिश्ता नन्ही सी जान से तभी बन जाता है जब उसे पता चलता है कि वह प्रैगनैंट है.
प्रैग्नेंसी के दौरान हालांकि सभी महिलाओं के अलगअलग अनुभव रहते हैं, लेकिन आज हम उन आम समस्याओं की बात करेंगे, जिन्हें जानना बेहद जरूरी है.
यों तो प्रैग्नेंसी के पूरे 9 महीने अपना खास खयाल रखना होता है, लेकिन शुरुआती 3 महीने खुद पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. पहले ट्राइमैस्टर में चूंकि बच्चे के शरीर के अंग बनने शुरू होते हैं तो ऐसे में आप अपने शरीर में होने वाले बदलावों पर नजर रखें और अगर कुछ ठीक न लगे तो डाक्टर का परामर्श जरूर लें.
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