सवाल-
मेरी उम्र 34 वर्ष है. मुझे जुवेनाइल आर्थ्राइटिस की समस्या है. मेरे घुटनों की तकलीफ लगातार बढ़ रही है. डाक्टरों ने मुझे नी रिप्लेसमैंट की सलाह दी है. मैं जानना चाहती हूं कि मेरे लिए यह उपचार कितना उपयुक्त रहेगा?
जवाब-
यह इस पर निर्भर करता है कि आप की बीमारी किस स्तर पर है. कई प्रकार के आर्थ्राइटिस में फिजियोथेरैपी बहुत कारगर होती है. इस से अंगों की कार्यप्रणाली सुधरती है और जोड़ों के आसपास की मांसपेशियां मजबूत बनती हैं. अगर आर्थ्राइटिस शुरूआती चरण में है तो उसे फिजियोथेरैपी और जीवनशैली में बदलाव ला कर नियंत्रित किया जा सकता है. लेकिन अगर आप को दूसरे उपचारों से आराम नहीं मिल रहा है और आप बहुत परेशानी में हैं तो नी रिप्लेसमैंट ही आप के लिए अंतिम विकल्प बचता है.
सवाल-
मेरी उम्र केवल 29 वर्ष है, डायग्रोसिस कराने पर पता चला कि मुझे औस्टियोआर्थ्राइटिस है. क्या आगे चल कर मेरे घुटने खराब हो सकते हैं? मुझे क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
जवाब-
औस्टियोआर्थ्राइटिस में जोड़ों के कार्टिलेज क्षतिग्रस्त हो जाते हैं. जब ऐसा होता है तो हड्डियों के बीच कुशन न रहने से वे आपस में टकराती हैं, जिस से जोड़ों में दर्द होना, सूजन आ जाना, कड़ापन और मूवमैंट प्रभावित होने जैसी समस्याएं हो जाती हैं. औस्टियोआर्थ्राइटिस के कारण घुटनों के जोड़ों के खराब होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. कई उपाय हैं जिन के द्वारा आप औस्टियोआर्थ्राइटिस के कारण होने वाली जटिलताओं को कम कर सकते हैं. कैल्सियम और विटामिन डी से भरपूर भोजन का सेवन करें. अपना वजन न बढ़ने दें. शारीरिक रूप से सक्रिय रहें. रोज कम से कम 1 मील पैदल चलें. इस से बोन मास बढ़ता है.
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