सवाल
क्या गर्भावस्था के दौरान मां और गर्भस्थ शिशु दोनों का वजन ज्यादा होने से नौर्मल डिलिवरी में प्रौब्लम होगा?
जवाब-
गर्भावस्था के दौरान मां और शिशु दोनों का वजन बढ़ना नैचुरल तो है पर एक निश्चित वजन तक यानी लगभग 10-12 किलोग्राम तक बढ़ना ठीक रहता है. वैसे तो महिला का वजन उस की कद और प्रैगनैंसी के पहले के वजन के आधार पर निर्धारित होता है, इसलिए हर किसी का गर्भावस्था के दौरान वजन बढ़ना समान नहीं होता है. प्रैगनैंसी के दौरान बिना डाक्टर से सलाह लिए खुद ही अपने हिसाब से ज्यादा से ज्यादा खा कर वजन बढ़ाने की गलती न करें. मां और शिशु दोनों का वजन हद से ज्यादा बढ़ाने की गलती न करें. इस से न सिर्फ
नौर्मल डिलिवरी होने में समस्या हो सकती है बल्कि हाई ब्लड प्रैशर, जैस्टेशनल डायबिटीज, फैटल माइक्रोसोमिया (सामान्य से बड़े आकार के शिशु का जन्म होना), समय से पहले प्रसव होने का खतरा भी बन जाता है. इस के अलावा स्टिलबर्थ यानी मृत शिशु के जन्म होने का भी खतरा हो सकता है. इसलिए प्रैगनैंसी के दौरान वजन की जांच करती रहें और डाक्टर के संपर्क में रहें.
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एक रिसर्च के अनुसार, जिन महिलाओं की प्रसव पूर्व केयर नहीं होती है, उनके बच्चे सामान्य बच्चों की तुलना में वजन में कम होने के साथसाथ उनमें मृत्यु का खतरा भी कहीं अधिक होता है. इसलिए प्रैगनैंसी में केयर है जरूरी.
डॉक्टरी जांच है जरूरी
जैसे ही आपको अपनी प्रैगनैंसी के बारे में पता चले तो आप तुरंत ही डाक्टर के पास जाएं, ताकि जरूरी जांच से प्रैगनैंसी कंफर्म हो सके और सभी जरूरी टेस्ट्स समय पर हो पाएं. साथ ही पेट में पल रहे शिशु को पोषण देने के लिए व मष्तिक व रीढ़ की हड्डी में जन्म दोष को रोकने के लिए जरूरी विटामिंस, जिसमें फोलिक एसिड का अहम रोल होता है आदि को समय पर शुरू किया जा सके. ताकि मां और बच्चे में किसी तरह की कमी न रहने पाए.