जब अंशु को पता चला कि उस की भानजी आरवी का 5 साल पुराना रिश्ता टूट गया है तो उस के होश उड़ गए. कितनी प्यारी थी आरवी और कबीर की जोड़ी. दोनों एकसाथ मुंबई के इंजीनियरिंग कालेज में पढ़ रहे थे. दोनों ही परिवारों ने इस रिश्ते को स्वीकार कर लिया था, बस एक सामाजिक स्वीकृति मिलनी बाकी थी. अंशु बहुत दुखी मन से अपनी दीदी के घर गई तो देखा आरवी तो एकदम नौर्मल थी और खिलखिला रही थी.
अंशु को लगा कि आजकल के बच्चों का प्यार भी कोई प्यार है. जब चाहो रिलेशनशिप में आ जाओ और जब मरजी ब्रेकअप कर लो. ये आजकल के रिश्ते भी कोई रिश्ते हैं? बस सारे रिश्ते दैहिक स्तर पर ही आधारित हैं.
अंशु को अपना समय याद आ गया जब उस का रिश्ता प्रवेश के साथ टूट गया था. पूरे 2 वर्ष तक वह अपनी खोल से बाहर नहीं निकल पाई थी. कितनी मुश्किल से उस ने अपने नए रिश्ते को स्वीकार किया था. कभीकभी अंशु को लगता कि वह आज तक भी अपने पति को स्वीकार नहीं कर पाई है. प्रवेश के साथ उस टूटे रिश्ते की टीस अभी भी बाकी है.
रात को आरवी अंशु के गले लग कर बोली, ‘‘मौसी, बहुत अच्छा हुआ आप आईं. मेरा पूरा परिवार मेरे साथ खड़ा है, इसीलिए तो मैं यह फैसला कर पाई हूं.’’
मगर अंशु को लग रहा था कि आरवी को दरअसल कबीर से कभी प्यार ही नहीं था. पर आरवी के अनुसार घुटघुट कर जीने के बजाय अगर आप की बन नहीं रही है तो क्यों न ब्रेकअप कर के आगे बढ़ा जाए.