9प्यार के बाद प्रेमी जोड़े शादी तो बड़ी आसानी से कर लेते हैं, मगर जब निभाने की बारी आती है तब वही रिश्ता बोझ लगने लगता है. आजकल ऐसे शादीशुदा जोड़ों की संख्या तेजी से बढ़ रही है जिन के बीच वक्त के साथ प्यार में कमी आने लगी है और नतीजा यह कि सालों रिश्ते में टिके रहने के बाद एक दिन तलाक लेने का फैसला ले लेते हैं.

विवाह का बंधन बहुत ही पेचीदा इंसानी रिश्ता है और अधिकतर लोग बहुत कम तैयारी के साथ इस बंधन में बंधते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि वे एक-दूसरे के लिए ही बने हैं. डा. डीन एस. ईडैल कहते हैं कि हमें ड्राइविंग लाइसैंस पाने के लिए कुछ हद तक अपनी काबिलियत दिखानी पड़ती है पर वहीं शादी का सर्टिफिकेट पाने के लिए सिर्फ मात्र दस्तखत ही काफी हैं.

हालांकि बहुत से पतिपत्नी अंत समय तक खुशहाल जीवन व्यतीत करते हैं, मगर काफी पतिपत्नी के बीच तनाव रहता है और इस का कारण है एकदूसरे से काफी उम्मीदें पाले रखना. शादी के पहले पतिपत्नी एकदूसरे से काफी उम्मीदें पाल बैठते हैं, मगर जिंदगीभर साथ निभाने के लिए जो हुनर चाहिए होता है, वह उन के पास नहीं होता. शुरूशुरू में जब लड़कालड़की एकदूसरे के करीब आते हैं, तब उन्हें लगता है दोनों एकदूजे के लिए ही बने हैं और उन के साथी जैसा दुनिया में और कोई है ही नहीं. उन्हें लगता है, एकदूसरे का स्वभाव भी काफी मिलताजुलता है, लेकिन शादी के कुछ सालों बाद ही उन की एकदूसरे के प्रति भावनाएं खत्म सी होने लगती हैं और जब ऐसा होता है तब यह वैवाहिक जीवन को तबाह, बरबाद कर सकता है. कुछ शादियां तो अपनी मंजिल तक पहुंच जाती हैं, मगर कुछ बीच में ही दम तोड़ देती हैं, क्यों? आइए जानते हैं:

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1 जरूरत से ज्यादा उम्मीदें:

स्नेहा कहती है कि जब उसे राहुल से प्यार हुआ तब लगा वही उस के सपनों का राजकुमार है. उस के जैसा दुनिया में दूसरा कोई नहीं है और अब उस के जीवन में सिर्फ रोमांस ही रोमांस होगा. दोनों एकदूसरे की बांहों में बांहें डाल कर हंसतेखेलते जीवन गुजार देंगे. मगर शादी के कुछ सालों बाद ही स्नेहा को अपने सपनों के राजकुमार में एक शैतान नजर आने लगा, क्योंकि वह उस की एक भी उम्मीद पर खरा नहीं उतरा. लव स्टोरी वाली फिल्में, रोमांटिक गाने प्यार की ऐसी तसवीरें पेश करते हैं कि हकीकत में भी हमें वही नजर आने लगता है. मगर हम भूल जाते हैं कि यह सचाई से कोसों दूर होता है. लैलामजनूं, हीररांझा का प्यार इसलिए अमर हो गया, क्योंकि वे विवाह के बंधन में नहीं बंध पाए, अगर बंधते तो शायद उन के भी कुछ ऐसे ही बोल होते. शादी से पहले की मुलाकातों में शायद लड़कालड़की को लगे कि उन के सारे सपने साकार हो जाएंगे, मगर शादी के बाद वे इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि वाकई वे सपनों की दुनिया में ही खोए हुए थे. बेशक पतिपत्नी को अपनी जिंदगी में एकदूसरे से उम्मीदें पालना गलत नहीं है, मगर इच्छाएं इतनी भी न पालें कि सामने वाला पूरा ही न कर पाए.

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2 आपसी तालमेल की कमी:

एक शादीशुदा औरत का कहना है कि वह और उस के पति हर मामले में एकदम अलग राय रखते हैं. कभी उन के विचार मिले ही नहीं मानों एक पूरब है तो दूसरा पश्चिम. उस का एक दिन भी ऐसा नहीं जाता, जब वह अपने पति से शादी करने के फैसले पर पछताती न हो. शादी के कुछ समय बाद ही उसे लगने लगा कि उस का साथी बिलकुल भी वैसा नहीं है जैसा उस ने सोचा था.

इस बात पर डा. नीना एस. फील्ड्स का कहना है कि अकसर शादी के बाद एक इंसान के गुण साफ नजर आते हैं, जिन्हें शादी के पहले नजरअंदाज कर दिया जाता है. इस का परिणाम यह होता है कि शादी के कुछ सालों बाद पतिपत्नी शायद इस नतीजे पर पहुंचें कि उन का एकदूसरे के साथ कोई तालमेल बैठ ही नहीं सकता.

एकदूसरे के विचार न मिलने के बावजूद कितनी जोडि़यां इसलिए शादी के बंधन में बंधी रह जाती हैं, क्योंकि समाज और लोग क्या कहेंगे और कुछ तो समझ ही नहीं पाते कि इस रिश्ते को निभाएं या तोड़ दें.

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3 लड़ाई-झगड़े:

पतिपत्नी के बीच तकरार न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता. लेकिन तकरार जब हद से ज्यादा बढ़ जाए तब क्या किया जाए? इस पर डा. गोलमैन लिखते हैं कि अगर शादी का बंधन मजबूत है तो पतिपत्नी को लगता है कि वे बेझिझक एकदूसरे से शिकायत कर सकते हैं, लेकिन अकसर गुस्से में आ कर शिकायत ऐसे तरीके से की जाती है जिस से नुकसान होता है और इस के जरीए अपने साथी के चरित्र पर कीचड़ उछाला जाता है, जिसे दूसरा कतई बरदाश्त नहीं कर पाता और झगड़ा बढ़ता जाता है. जब पतिपत्नी गुस्से में आपे से बाहर हो जाते हैं तब उन का घर घर न रह कर एक जंग का मैदान बन जाता है और पिसते हैं उन के बच्चे.

झगड़ा सुलझाने के बजाय वे अपनी जिद पर अड़े रहते हैं. उन के शब्द कब हथियार का रूप ले लेते हैं पता ही नहीं चलता. इस बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि जो झगड़े काबू से बाहर हो जाते हैं उन में सब से ज्यादा नुकसान तब होता है जब पतिपत्नी एकदूसरे को कुछ ऐसी बातें कह देते हैं जो उन के वैवाहिक जीवन को खतरे में डाल देती हैं. उन्हें ऐसी बातें नहीं बोलनी चाहिए.

4 पल्ला झाड़ लेना:

शादी के कुछ सालों बाद अपने वैवाहिक जीवन से ऊब कर एक पत्नी ने कह दिया कि अब उस से नहीं होगा, क्योंकि अपने वैवाहिक जीवन को बचातेबचाते वह थक चुकी है.

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उसे मालूम है जब इस से कोई फायदा ही नहीं, तो फिर क्यों वह रिश्ता बचाने की कोशिश में लगी हुई है? अब उसे सिर्फ अपने बच्चे से मतलब है. कहते हैं जब पतिपत्नी एकदूसरे से प्यार करते हैं, तो बेइंतहा प्यार करते हैं. मगर जब बेरुखी बढ़ती है, तो बढ़ती ही चली जाती है. एकदूसरे से वैमनस्य पाल लेते हैं. मगर कुछ पतिपत्नी इसलिए रिश्ते निभाते चले जाते हैं कि और चारा क्या है? इसी पर एक पति का कहना है कि बेमन से विवाह के बंधन में बंधे रहना ऐसी नौकरी के समान है जिसे करने का मन नहीं है, पर फिर भी करनी पड़ती है.

आप अपनी ओर से लाख अच्छा करने की कोशिश करें, पर सामने वाले को उस बात की कद्र नहीं होती. वहीं एक पत्नी का कहना है कि वह अपनी शादीशुदा जिंदगी से अब निराश हो चुकी है. बहुत कोशिश की उस ने रिश्ते सुधारने की, पर सब बेकार. निराशा, तालमेल की कमी, लड़ाईझगड़ा और बेरुखी तो सिर्फ चंद वजहें हैं जिन की वजह से पतिपत्नी के बीच प्यार की कमी हो सकती है. लेकिन क्या सिर्फ यही वजहें हैं या कुछ और भी हैं?

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कुछ और कारण शादी दरकने के

पैसा: पतिपत्नी के बीच पैसा एक सैंसिटिव इशू होता है. जब दोनों कमाऊ हैं, तो अपना वेतन कैसे खर्च करना है और कहां इन्वैस्ट करनी है, यह विवाद का विषय बन जाता है और झगड़ा होने लगता है. अत: इस से बचने के लिए पतिपत्नी को मिलबैठ कर हर महीने का बजट बनाना चाहिए और जहां भी पैसा लगाना है एकदूसरे को जानकारी होनी चाहिए.

जिम्मेदारियां: देखा गया है कि 67% पतिपत्नी के प्यार में पहला बच्चा आते ही कमी आ जाती है और पहले से 8 गुना ज्यादा झगड़े होने लगते हैं. कुछ हद तक इस की वजह यह होती है कि दोनों अपने कामों से इतने थक जाते हैं कि खुद के लिए भी उन्हें फुरसत नहीं मिलती.

फरेब, धोखा:

एकदूसरे पर भरोसा, सफल शादीशुदा जिंदगी के लिए निहायत जरूरी है. एकदूसरे पर भरोसा टूटना, पतिपत्नी के रिश्ते को बरबाद कर सकता है.

लैंगिक संबंध:

चाहे कितना भी मनमुटाव हो जाए दोनों के बीच, अगर सैक्स संबंध सही है, तो झगड़ा, मनमुटाव भी ज्यादा देर नहीं टिक पाता. लेकिन जब वही संबंध नहीं रह पाता उन के बीच तो फिर नौबत के तलाक तक पहुंचते देर नहीं लगती.

हस्तक्षेप:

पतिपत्नी के संबंधों में हस्तक्षेप करना, पतिपत्नी के संबंधों में किसी दूसरे का दखल या सैक्स से संतुष्ट न होने के कारण किसी दूसरे को चाहने लगना आदि कारणों से भी मनमुटाव उत्पन्न होने लगता है.

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बच्चों पर क्या होता है असर:

आप की शादीशुदा जिंदगी कैसी है इस का साफ असर बच्चों पर पड़ता है. डा. गोलमैन ने शादीशुदा जोड़ों पर लगभग 20 साल तक खोजबीन की. 10-10 साल के 2 अध्ययनों में उन्होंने देखा कि नाखुश मातापिता के बच्चों की हृदय गति, अठखेलियां करते वक्त ज्यादा तेज चलती है और उन्हें शांत होने में वक्त लगता है. मातापिता के कारण बच्चे पढ़ाई में भी अच्छे अंक नहीं ला पाते, जबकि बच्चे पढ़ने में होशियार होते हैं.

वहीं दूसरी तरफ जिन पतिपत्नी के बीच सही तालमेल होता है उन के बच्चे पढ़ाई के साथसाथ सामाजिक कार्यों में भी बेहतर होते हैं. पतिपत्नी के रिश्ते में मनमुटाव न हो, रिश्ता न टूटे, दांपत्य जीवन सुखमय हो, वैवाहिक जीवन में कोई समस्या न हो इस के लिए जरूरी है पतिपत्नी आपसी समस्याएं खुद निबटा लें. किसी तीसरे को अपनी जिंदगी में हस्तक्षेप न करने दें.

Edited By- Nisha Rai

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