सभी अभिभावक चाहते हैं कि उन के बच्चे को कोई तकलीफ न हो, कोई संघर्ष न करना पड़े. किंतु अपनी जिंदगी तो सभी को खुद ही जीनी होती है. क्या यह संभव है कि हमारे हिस्से के कष्ट हमारे मातापिता झेलें या फिर अपने बच्चों की मुसीबतों का सामना हम करें? पढि़ए, सुनिए और पहचानने की कोशिश कीजिए कि आप पेरैंटिंग की किस श्रेणी में आते हैं:

स्नो प्लाओ पेरैंट

अपने बच्चे के रास्ते से सारी बाधाएं दूर करते हैं ताकि बच्चे को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े और वह निरंतर प्रगति करता जाए. ऐसे पेरैंट्स अपने बच्चों की जिंदगी से आसक्त होते हैं.

ये भी पढ़ें- वर्किंग वुमन से कम नहीं हाउस वाइफ

इंटैंसिव पेरैंट

अपनी जिंदगी को भूल कर ये अपने बच्चे की जिंदगी में पूर्णरूप से शामिल होना चाहते हैं ताकि बच्चे का समय बिलकुल व्यर्थ न हो और वह अपने जीवन को समृद्ध बना सके, चाहे इस कोशिश में उन का समय और पैसा दोनों व्यर्थ होते रहें.

हैलिकौप्टर पेरैंट

बच्चे की हारजीत की पूरी जिम्मेदारी खुद पर ले लेते हैं, उस के हर काम में उस के साथ रहते हैं, यहां तक कि उस के स्कूल का काम करना, उस की टीचर से बात करना इत्यादि भी खुद ही करते हैं. ऐसे मातापिता अतिसंरक्षण देने के साथ पूर्णतावादी सोच के होते हैं.

फ्री रेंज पेरैंट

बच्चे को जीवन में पूरी छूट देते हैं, जो निर्णय लेना है, जिस के साथ खेलना है, कहां आनाजाना है आदि. उन की तरफ से कोई रोकटोक नहीं रहती. आजादी के साथ पूरी स्वतंत्रता भी. जैसे जीना है, जियो.

टाइगर पेरैंट

ये सख्ती भी बरतते हैं और डिमांडिंग भी होते हैं. बच्चे को हर हाल में जीत दिलवाने का जज्बा लिए. ऐसे पेरैंट्स ‘टफ लव’ में विश्वास रखते हैं. पढ़ाई भी करो, संगीत भी सीखो, मार्शल आर्ट्स की भी प्रैक्टिस करो, चित्रकला में भी निपुण बनो. ये बच्चे को फ्री टाइम देने में बिलकुल विश्वास नहीं रखते.

ये भी पढ़ें- ताकि मुसीबत न बने होस्टल लाइफ

आउटसोर्सिंग पेरैंट

ऐसे मातापिता पैसा खर्च कर के बच्चे के सभी काम निबटवाना चाहते हैं, फिर चाहे वह स्कूल का कोई प्रोजैक्ट हो या फिर किसी प्रकार की ट्रेनिंग. ये सब पैसे खर्च कर अपने बच्चे की इच्छा पूरी करने में अपनी कर्तव्यपूर्ति समझते हैं.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...