चाहे वर्किंग पेरैंट्स हों, हाउसवाइफ या फिर वर्किंग हसबैंड, आप को अपने बच्चों की चिंता सताती रहती है. इस कारण आप उन पर कई ऐसी पाबंदियां लगा देते हैं कि बच्चे घुटन महसूस करने लगते हैं. आज के समय में बच्चों पर कोचिंग क्लास अटैंड करने का बोझ भी बढ़ जाता है. दूसरे बच्चों के साथ कंपीटिशिन का दबाव भी होता है. पेरैंट्स के तौर पर क्या आप ने यह जानने की कोशिश की है कि वे आप के लाइफस्टाइल से खुश हैं या निराश?
बच्चों पर पाबंदियां लगाने के बजाय उन्हें अपने ढंग से आजादी दे कर तो देखें. आप को स्वयं इन बातों के जादुई परिणाम दिखाई देने लगेंगे. आप इन मुख्य बातों पर ध्यान दें:
बच्चे को हीनभावना से बचाएं
बच्चे की योग्यता और प्रतिभा अपने प्रयास के साथसाथ जीन्स पर भी निर्भर करती है. इसलिए इन के लिए दुखी होना या मन में हीनभावना लाना सही नहीं है. पेरैंट्स का फर्ज है कि अपने बच्चों के मन में किसी प्रकार की हीनभावना न आने दें. बच्चों को सिखाएं कि उन्हें अपने गुणों और प्रतिभा के विकास का प्रयत्न खुद करना चाहिए. जो चीजें उन के वश में नहीं हैं उन के लिए उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है और वे किसी प्रकार की हीनभावना न रखें.
इस के साथसाथ इस बात पर भी गौर करें कि कहीं आप अपने बच्चे से उस की क्षमता से ज्यादा अपेक्षा तो नहीं कर रहे. ऐसा करना आप के बच्चे को डिप्रैशन का शिकार भी बना सकता है. दूसरे बच्चों के साथ योग्यता के आधार पर अपने बच्चे की तुलना करने से भी बचें.
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