सामाजिक दूरी और कोराना का संक्रमण एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर में तनाव का कारण बन रहा है. जिसके कारण नजदीकियां दूरियों में बदल गई है. नजदीकियों दूरियों में बदलने से आपस में तनाव बढ रहा है. शादीशुदा जोडों में तनाव घरेलू हिंसा को जन्म दे रहा है तो युवा कपल्स में बढने वाला तनाव मन पर असर डाल रहा है. जिसके चलते लोग बडी संख्या में मेंटल हेल्थ को लेकर परेशान हो रहे है. भारत में मेंटल हेल्थ कभी मुद्दा नहीं रहा इस कारण यहां कपल्स के बीच दिक्कते अधिक बढ रही है.

सरला एक बडी अधिकारी है. उनके पति भी बडे अफसर है. दोनो के बीच कई सालों से पतिपत्नी के बीच वाले स्वाभाविक रिश्ते नहीं चल रहे. 2 साल से दोनो अलग रह रहे है. दोनो को ही एक दूसरे से शिकायत है कि वह अलग रिश्ते रखे हुये है. यह बात सच है कि सरला का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर बन गया था. दोनो ही आपस में खुश थे. सरला पूरी तरह से अपने संबंधों को समाज से दूर रखकर चल रही थी. लोगों में सरला के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की चर्चा भर थी पर किसी को भी पुख्ता जानकारी नहीं थी. यह सरला की समझदारी ही थी. सरला अपना वीकएंड ही उसके साथ गुजारती थी और बाकी सप्ताह अपने घर और औफिस के काम में व्यतीत करती थी. सरला ने अपनी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर वाली लाइफ को सोशल लाइफ से दूर ही रखा था.

सब कुछ अच्छा चल रहा था. अचानक कोविड 19 का संकट आ गया. जहां आपस में मिलना मुश्किल होने लगा. पार्क, होटल, सिनेमाघर तो बंद हो ही गये साथ ही साथ अपने शहर से दूर जाकर मिलना भी बद हो गया. यह तनाव सरला को परेशान करने लगा. सरला अपने साथी से मिल नहीं पा रही थी तो उसका तनाव उसके व्यवहार पर झलकने लगा था. इस बीच लौकडाउन तो खुल गया पर इसके बाद भी माहौल सहज नहीं हो सका. कोविड 19 का संक्रमण बढने लगा. इससे होने वाली मौंतें डराने लगी. सरला को कभी मिलना भी होता तो वह डरने लगी. कोविड के दौरान अकेलापन दूर करने के लिये कपल्स के बीच डेटिंग शुरू हो गई. कपल्स में इसमें पहले वाली फीलिंग्स नहीं मिल रही.

कोरोना का डरः

सरला कहती है ‘लौकडाउन खुलने के बाद हमने मिलने का प्लान बनाया. हम अपनी प्रिय जगह पर मिलने गये तो वहां पहुंचते ही डर लगने लगा. यह डर केवल मेरे मन में ही नहीं था उसके मन में भी था. हमें यह पता था कि हममे से किसी को कोरोना नहीं है. इसके बाद भी हम एक दूसरे के करीब जाने से डर रहे थे. हमने आपसी बातचीत में यह स्वीकार किया किया कि मिलने के लिये हम अपनी सुरक्षा से समझौता नहीं कर सकते है. हमने यह तय किया कि मिलने से पहले कोरोना टेस्ट करा लेगे. इसके बाद फिर लगा कि कोरोना टेस्ट कराकर मिलना भी कोई सहज बात नहीं है.

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असल में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर लोग इसलिये ही बनाते है जिससे वह अपनी जिदंगी खुल कर जी सके. कोरोना सकंट के दौर में इस जिंदगी पर पहरा सा लग गया. यह पहरा ऐसा है जिसका तोडने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है. ऐसे में कपल्स को लग रहा कि दूरदूर बैठ कर बात करने से अच्छा है कि मिले ही ना. इससे किसी के देखने और जानने का खतरा भी नहीं होगा और कोरोना का डर भी नहीं रहेगा. सरला कहती है ‘इस बात समझना और इस पर अमल करना दो अलग बातें होती है. जो संबंध आपकी आदत बन गये हो अगर अचानक बंद हो जाये जो लाइफ में तनाव बढ जाता है. इस तनाव के बढने से तमाम तरह से खतरे भी बढ जाते है. मुझे सिरदर्द और सुस्ती का अनुभव होने लगा. मुझे लगने लगा कि यह रिश्ते अब कैसे चलेगे ? ’

ओवर पजेसिव होने से बिगड रही बातः

चेतना को अचानक नींद ना आने की शिकायत रहने लगी. इससे उसका दिन खराब रहने लगा. चिडचिडापन उसके स्वभाव का हिस्सा बन गया. कई दिनों तक परेशान रहने के बाद वह अपने पति के साथ डाक्टर के पास गई. डाक्टर ने उनको साइक्लोजिस्ट के पास जाने सलाह दी. चेतना पहले दिन पति के साथ गई. कांउसलर ने जब खुलकर बात करना शुरू किया तो वह ठीक तरह से सवालों के जवाब देने में हिचकने लगी. डाक्टर ने अगले दिन उसे अकेले आने को कहा. अगले दिन चेतना अकेले गई. तब उसने खुलकर बातचीत करते काउंसलर से कहा कि उसकी एक्स्ट्रा मैरिटल लाइफ सहीं नहीं चल रही. जिसकी वजह से वह तनाव में रहती है. रात में नींद नहीं आती. हम लोग लौकडाउन में एक दूसरे से औन लाइन बातचीत करते थे. किसी तरह से वह समय कट गया पर 5 महीने से आपस में ना मिल पाने का तनाव अब सहन नहीं हो रहा है. हमें यह भी लग रहा कि कहीं इस दूरी की वजह से उसके संंबंध कही और किसी से ना हो जाये. जिससे वह हमें छोडकर चला जाये.‘

साइक्लौजिस्ट सुप्रीती बाली कहती है ‘एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के मामलों में यह डर सामान्य बात होती है. एक दूसरे को लेकर यह चिंता बनी रहती है कि कहीं हमारा ब्रेकअप किसी और की वजह से ना हा जाये. यह चिंता अपने पार्टनर को लेकर ओवर पजेसिव होने की हद तक चली जाती है. शंका बढने के साथ साथ यह हालात और भी खराब होते जाते है. ऐसे में मानसिक रोग बढने लगता है. अगर सही समय पर लोग अपनी बात नहीं बताते तो हालात अपने को नुकसान पहंुचाने तक के लेवल पर पहंुच जाते है. ऐसे लोग को कोविड और कोरोना के दौरान बिगडे हालातों को देखकर समझदारी से काम लेना चाहिये.‘

सुप्रीती बाली कहती है ‘कई बार कपल्स मिलने का प्लान करते है. डर के कारण मिल नहीं पाते. ऐसा अगर दो-तीन बार हो गया तो शकंा होने लगती है कि कहीं अगला संबंधों को खत्म करने के लिये बहाने तो नहीं बना रहा. यह शंका करने से पहले अपने संबंधों को समझना चाहिये. उसके भरोसे और विश्वास को सामने रखकर सोचना चाहिये. तभी तनाव को दूर किया जा सकता है.‘

चेतना ने बताया कि एक-दो बार जब हम मिले भी तो ना हाथ मिलाया, ना गले मिले और ना ही करीब बैठे ऐसे में हमें लग रहा था जैसे हमारे रिश्ते सामान्य नहीं है. उसको हमसे मिलकर पहले जैसी खुशी का अनुभव नहीं हो रहा था. यह बात हमें और भी परेशान करने वाली लग रही थी. इस तरह रिश्तों में दूरी और ठंडापन अनुभव हो रहा था. हमारे बीच रिश्तों की पहले जैसी गर्माहट का अभाव दिख रहा था. डाक्टर के समझाने पर मुझे लगा कि हम बेकार ही अपने बीच दूरी को लेकर चिंता कर रही थी.

मार्केटिंग विभाग में काम करने वाली शोभा कहती है ‘पहले जब मिलने जाना होता था तो मेकअप, ड्रेसअप, सेंट आदि लगाकर खुश्बू बिखेरते जाना होता मन में खुशी होती थी. लगता था कि कुछ समय के ही लिये सही पर अपनी दुनियां बदल जाती थी. अब मिलने से पहले सेनेटाइजर, मास्क लगाना पडता है. मिलने के लिये खुली जगह देखनी पडती है. कई बार घूमते फिरते बात करनी होती है. जिससे पता ही नहीं चलता कि हम मिलने आये है. ऐसी मुलाकातों में अजनबीपन का अनुभव होता है. एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर में जो क्लोजनेस आती थी उसका एहसास अब खत्म हो गया है.

कपल्स के आपस में मिलने जुलने की बात करें तो अब लोगों की प्राथमिकताएं बदली है. वह एक दूसरे के करीब जाने और छूने को लेकर सहज अनुभव नहीं कर रहे है. ऐसे में कपल्स के बीच प्यार मोहब्बत की जगह गुस्सा बढने लगा है. लोग चाहते है यह दूरी ना हो पर कपल्स में यह भरोसा नहीं हो रहा कि सामने वाले से कोई खतरा नहीं है. कपल्स के रिश्ते के बीच कोरोना आ गया है. कोराना पति पत्नी और वह जैसी हालत में पहुंच कर एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के रिश्ते बिगाडने का काम कर रहा है. इसी कारण से आपस में तनाव खतरनाक हालत तक पहुंच रहा है. इससे बचने के लिये मेंटल हेल्थ पर काम करने की बहुत जरूरत है.‘

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जानलेवा हो रहा तनावः

नेशनल क्राइम ब्यूरों के आंकडे बताते है कि पिछले 5 माह में उत्तर प्रदेश ही राजधानी लखनऊ में 250 लोगों से अधिक ले सुसाइड किया. सुसाइड के मामलों में उत्तर प्रदेश देश का 8 सबसे बडा राज्य है. इन सुसाइड में अधिकतर की वजह पारिवारिेक तनाव रहा है. इन तनाव में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के कारण का अलग से कोई विवेचना नही की गई है. इसकी वजह यह है कि हमारे समाज में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर छिपाने का चलन है. ऐसे में सुसाइड के मामलों में जो मुकदमें कायम भी होते है उनमें इन वजहों को छिपा लिया जाता है. जानकार मानते है कि लौकडाउन का असर पारिवारिक संबंधों खासकर  एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर पर भी पडा है. इस तनाव के भी बहुत लोग शिकार हुये है.

सुसाइड करने वालों में 33 फीसदी लोग पारिवारिक कारणों यह कर रहे है. इनमें 30 फीसदी महिलाये और 70 फीसदी पुरूष है. साइक्लोजिस्ट सुपीती बाली कहती है कि खराब हालात हर किसी के जीवन में आता है. जिन लोगो की मेंटल हेल्थ अच्छी होती है वह हालात को संभाल लेते है पर जिनकी मेंटल हेल्थ खराब होती है वह मेंटल बीमारियों का शिकार हो जाते है. आत्महत्या करने के पीछे की सबसे बडी वजह मेंटल हेल्थ का सही ना होना होता है.‘

मेंटल हेल्थ जागरूकताकी जरूरतः

मानसिक बीमारियों से समाज को बचाने के लिये जरूरी है कि मेंटल हेल्थ की तरफ अधिक से अधिक ध्यान दिया जाये. मानसिक बीमारियो को रोकने के लिये यह बेहद जरूरी है. लौकडाउन के दौरान सबसे पहले इस बात की जरूरत महसूस की जा रही है. कोविड 19 महामारी के दौरान बडी संख्या में ऐसे लोग सामने आये जो किसी ना किसी वजह से मानसिक बीमारी से ग्रसित थे. मेंटल हेल्थ के प्रति जागरूकता, समाज की सोंच और डाक्टरों की कमी से हालत और भी बिगड गये. सुसाइड प्रिविंशन इन इंडिया फाउडेशन के एक सर्वे में यह बात सामने आई कि मरीजो में खुद को हानि पहुंचाने की प्रवृत्ति तेजी से बढ रही है. इस सर्वे में यह भी पाया गया कि 40 फीसदी लोग किसी ना किसी वजह से अवसाद से जूझ रहे थे.

यह बात भी मानी जा रही कि मेंटल हेल्थ को लेकर जागरूकता लोगों में आई है पर बाकी दुनिया के मुकाबले भारत बहुत पीछे है. अब पहले के मुकाबले मेंटल हेल्थ के मामले अस्पताल पहुचने लगे है. मानसिक रोगों के डाक्टरों और काउसलरों की देश में कमी का ही कारण है कि केाविड के दौरान मेंटल केस के मामले बढने से डाक्टर खुद काम की अधिकता से प्रभावित हो रहे है. यह हमारे देश की त्रासदी है कि मेंटल हेल्थ को पागलपन से जोडा दिया जाता है. परिवारों में मेंटल हेल्थ पर बात करना अभी भी सामान्य बात नहीं है. ऐसे में मेंटल हेल्थ के मामलों को रोकना मुश्किल होगा.

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