लगभग एक साल पहले भंवरताल गार्डन जबलपुर में रहने वाली आयशा ने स्वास्थ्य महकमे में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर तैनात अपने पति डा. शफातउल्लाह खान की हत्या इसलिए करवा दी थी, क्योंकि उस का पति अपने विभाग की कई महिला कर्मचारियों से अवैध संबंध रखता था. अपनी अय्याशी की वजह से पत्नी के साथ संबंध भी नहीं बनाता था और पत्नी को प्रताडि़त करता था. हद तो तब हो गई जब पति ने पत्नी की नाबालिग भतीजी को अपनी हवस का शिकार बना लिया और इस से नाबालिग को गर्भ ठहर गया. तंग आ कर पत्नी ने सुपारी दे कर उस की हत्या करवा दी. इसी तरह दिसंबर 2019 में नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव थाना क्षेत्र में एक युवक आशीष की हत्या उस के दोस्त पंकज ने इसलिए कर दी थी, क्योंकि आशीष ने पंकज की पत्नी से सैक्स संबंध बना रखे थे.
ये घटनाएं साबित करती हैं कि समाज में बढ़ते व्यभिचार और विवाहेत्तर संबंधों के कारण अपराधों का ग्राफ भी तेजी से बढ़ रहा है. आमतौर पर विवाह होने के बाद पति और पत्नी के बीच के सैक्स संबंध प्रारंभ के कुछ वर्षों में तो ठीक रहते हैं, परंतु बच्चों के जन्म के बाद पार्टनर की जरूरतों पर पर्याप्त ध्यान न देना और सैक्स संबंधों के प्रति लापरवाही कलह का कारण बन जाते हैं.
सैक्स स्पैशलिस्ट बताते हैं कि सुखद सैक्स उसी को माना जाता है जिस में दोनों पार्टनर और्गेज्म पा सकें. यदि पतिपत्नी सैक्स संबंधों में एकदूसरे को संतुष्ट कर पाने में सफल होते हैं तो उन के दांपत्य संबंधों की कैमिस्ट्री भी अच्छी रहती है.
राकेश और प्रीति की शादी को 5 वर्ष हो चुके हैं. उन की 2 साल की एक बेटी भी है, परंतु बेटी के जन्म के साथ ही प्रीति का ध्यान अपनी बेटी में ही रम गया है. पति की छोटीछोटी जरूरतों का ध्यान रखने वाली प्रीति अब पति के प्रति बेपरवाह सी हो गई है. कभी रोमांटिक मूड होने पर राकेश सैक्स संबंधी बातों के साथ जब सैक्स करने की पहल करता है तो प्रीति उसे यह कह कर झिड़क देती है कि तुम्हें तो बस एक ही चीज से मतलब है. इस से राकेश कुंठित हो कर चिड़चिड़ाने लगता है. वह अपनी कामेच्छा को मन मसोस कर दबा लेता है, परंतु सैक्स न करने की कुंठा से उस के मन में कहीं और शारीरिक संबंध बनाने के खयाल भी आने लगते हैं. प्रीति जैसी अनेक महिलाओं का यही व्यवहार राकेश जैसे पुरुषों को दूसरी स्त्री के साथ संबंध बनाने को प्रोत्साहित करता है.
जिस तरह स्वादिष्ठ भोजन करने के बाद कुछ और खाने की इच्छा नहीं होती, ठीक उसी तरह सैक्स क्रिया से संतुष्ट पतिपत्नी अन्यत्र सैक्स के लिए नहीं भटकते. दांपत्य जीवन में सुख प्राप्त करने के लिए पतिपत्नी को उन की सैक्स जरूरतों का भी ध्यान रखना चाहिए.
सैक्स की पहल आम तौर पर पति द्वारा की जाती है. पत्नी को भी चाहिए कि वह सैक्स की पहल करे. पतिपत्नी में से किसी के भी द्वारा की पहल का स्वागत कर सैक्स संबंध स्थापित कर एकदूसरे की संतुष्टि का खयाल रख कर विवाहेत्तर संबंधों से बचा जा सकता है.
बच्चों के जन्म के बाद भी सैक्स के प्रति निरुत्साहित न हो. सैक्स दांपत्य जीवन का मजबूत आधार है. शारीरिक संबंध जितने सुखद होंगे भावनात्मक प्यार उतना ही मधुर होगा. घर में पत्नी के सैक्स के प्रति रूखे व्यवहार के चलते पुरुष अन्यत्र सुख की तलाश में संबंध बना लेते हैं. कामकाजी पति द्वारा पत्नी को पर्याप्त समय और यौन संतुष्टि न देने के मामलों में भी पत्नी द्वारा अन्य पुरुष से शारीरिक संबंध बना लिए जाते हैं, जिस की परिणिति से दांपत्य जीवन में तनाव और बिखराव देखने को मिलता है.
1. स्वाभाविक होता है बदलाव
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि संबंधों में यह बदलाव स्वाभाविक है. शादी के आरंभिक सालों में पतिपत्नी एकदूसरे के प्रति जो खिंचाव महसूस करते हैं, वह समय के साथ खत्म होता जाता है और तब शुरू होती है रिश्तों में उकताहट. आर्थिक, पारिवारिक और बच्चों की परेशानियां इस उकताहट को बढ़ावा देती है. फिर इस उकताहट को दूर करने के लिए पतिपत्नी बाहर कहीं सुकून तलाशते हैं जहां उन्हें फिर से अपने वैवाहिक जीवन के आरंभिक वर्षों का रोमांस महसूस हो. यहीं से विवाहेत्तर संबंधों की शुरुआत होती है.
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2. कौन से कारण हैं उत्तरदाई
समाज के अलगअलग वर्गों में किए गए अध्ययन से पता चलता है कि अलगअलग लोगों में विवाहेत्तर संबंधों के कारण भी अलगअलग होते हैं. कई बार वर्क प्लेस पर लगातार एकांत में काम करने से तो कभी किसी से भावनात्मक जुड़ाव हो जाने से भी संबंध बन जाते हैं. सैक्स लाइफ से असंतुष्टि, सैक्स से जुड़े कुछ नए अनुभव लेने की लालसा, वक्त के साथ आपसी संबंधों में प्रेम का अभाव, अपने पार्टनर की किसी आदत से तंग होना और कई बार एकदूसरे को जलाने के लिए भी विवाहेतर संबंध स्थापित हो जाते हैं.
3. स्त्री के प्रति दोयम दर्जे का व्यवहार
भारतीय समाज और संस्कृति में स्त्रियों के प्रति दोयम दर्जे का व्यवहार आज भी देखने को मिलता है. सामाजिक परंपराओं की गहराई में स्त्री द्वेष छिपा है और यही परंपराएं पीढि़यों से महिलाओं को गुलाम मानती आई हैं. सामाजिक ढांचे में उन्हें इस तरह ढाला जाता है कि वे अपने शरीर के आकार से ले कर निजी साजसज्जा तक के लिए स्वतंत्र नहीं हैं. जो महिला अपने ढंग से जीने के लिए परंपराओं और वर्जनाओं को तोड़ने का प्रयास करती है उस पर समाज चरित्रहीन होने का कलंक लगा देता है.
पुरुष को घर में व्यवस्था, पत्नी का समय व बढि़या तृप्तिदायक खाना, सुख चैन का वातावरण और देह संतुष्टि की कामना रहती है, परंतु कभी पुरुष उन की सुखसुविधाओं और शारीरिक जरूरतों का उतना खयाल नहीं रखता. पत्नी से यह अपेक्षा जरूर की जाती है कि वह पति की नैसर्गिक चाहें पूरी करती रहे. मनोवैज्ञानिकों के अनुसार विवाहेत्तर संबंधों को रोकने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. यदि आपसी रिश्तों की गरमाहट कम हो गई है तो रिश्तों को पुराने कपड़े की तरह निकाल कर नए कपड़े की तरह नए रिश्ते बनाना समस्या का हल नहीं है.
अपने पार्टनर को समझाने के कई तरीके हैं. उस से बातचीत कर समस्या को सुलझाया जा सकता है. सैक्स को ले कर की गई बातचीत, सैक्स के नएनए तरीके प्रयोग में ला कर एकदूसरे की शारीरिक संतुष्टि से विवाहेत्तर संबंधों से बचा जा सकता है.
4. फोर प्ले से आफ्टर प्ले तक का सफर
सफल दांपत्य जीवन जीने वाले पतिपत्नी के अनुभव बताते हैं कि किस तरह एकदूसरे को जरूरतों का ध्यान रख कर पार्टनर को भटकाव से बचाया जा सकता है.
सैक्स को केवल रात्रिकालीन क्रिया मान कर निबटाने से सहसंतुष्टि नहीं मिलती. जब दोनों पार्टनर को और्गेज्म का सुख मिलेगा तभी सहसंतुष्टि प्राप्त होगी. स्त्री और पुरुष का एक साथ स्खलित होना और्गेज्म कहलाता है. सुखद सैक्स संबंधों की सफलता में और्गेज्म या चरम सुख की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है. और्गेज्म पाने में फोर प्ले का रोल अहम रहता है.
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सैक्स को शारीरिक तैयारी के साथ मानसिक तैयारी के साथ भी किया जाना चाहिए. यह पतिपत्नी की आपस की जुगलबंदी से ही मिलता है. सैक्स करने के पहले की गई सैक्स से संबंधित चुहल और छेड़छाड़ भूमिका बनाने में सहायक होती है. सैक्स के दौरान घरपरिवार की समस्याएं बीच में नहीं आनी चाहिए. सैक्स संबंधों के दौरान छोटीछोटी बातों को ले कर की जाने वाली यही शिकायतें संबंधों को बोझिल बनाती और सैक्स के प्रति अरुचि भी उत्पन्न करती हैं. सैक्स के लिए नए स्थान और नए तरीकों के प्रयोग कर संबंधों को प्रगाढ़ बनाया जा सकता है. सैक्स की सहसंतुष्टि निश्चित तौर पर दांपत्य जीवन को सफल बनाने के साथ विवाहेत्तर संबंधों को रोकने में मददगार साबित हो सकती है और विवाहेत्तर संबंधों की वजह से समाज में बढ़ रहे अपराधों पर भी काबू पाया जा सकता है.