कुमकुम भटनागर 55 साल की हैं पर देखने में 45 से अधिक की नहीं लगतीं. वह सरकारी नौकरी में हैं और काफी फिट हैं. स्टाइलिश कपड़े पहनती हैं और आत्मविश्वास के साथ चलती हैं.
करीब 25 साल पहले अपने पति के कहने पर उन्होंने सरकारी टीचर के पद के लिए आवेदन किया. वह ग्रेजुएट थीं और कंप्यूटर कोर्स भी किया हुआ था. इस वजह से उन्हें जल्द ही नौकरी मिल गई. कुमकुम जी पूरे उत्साह के साथ अपने काम में जुट गईं.
उस वक्त बेटा छोटा था पर सास और पति के सहयोग से सब काम आसान हो गया. समय के साथ उन्हें तरक्की भी मिलती गई
आज कुमकुम खुद एक सास हैं. उन की बहू प्रियांशी पढ़ीलिखी, समझदार लड़की है. कुमकुम ऐसी ही बहू चाहती थीं. उन्होंने जानबूझकर कामकाजी नहीं बल्कि घरेलू लड़की को बहू बनाया क्योंकि उन्हें डर था कि सासबहू दोनों ऑफिस जाएंगी तो घर कौन संभालेगा?
प्रियांशी काफी मिलनसार और सुघड़ बहू साबित हुई. घर के काम बहुत करीने से करती. मगर प्रियांशी के दिल में कहीं न कहीं एक कसक जरूर उठती थी कि उस की सास तो रोज सजधज कर ऑफिस चली जाती है और वह घर की चारदीवारी में कैद है.
वैसे जॉब न करने का इरादा उस का हमेशा से रहा था. पर सास को देख कर एक हीनभावना सी दिल में उतरने लगती थी. कुमकुम अपने रुपए जी खोल कर खुद पर खर्च करतीं. कभीकभी बहूबेटे के लिए भी कुछ उपहार ले आतीं. मगर बहू को हमेशा पैसों के लिए अपने पति की बाट जोहनी पड़ती. धीरेधीरे यह असंतोष प्रियांशी के दिमाग पर हावी होने लगा. उस की सहेलियां भी उसे भड़काने का मजा लेती.