आज की महिला अपने ख्वाबों को साकार करने के लिए किसी की मुहताज नहीं. इरादों के साथसाथ बुलंदियों तक पहुंचने का हौसला भी रखती है वह. जहां उस की यह कामयाबी काफी हद तक उसे मिल रही कानूनी और सामाजिक छूटों का नतीजा है, तो वहीं बहुत सी कानूनी व सामाजिक बंदिशें बेडि़यां बन कर उस के कदम भी रोकती हैं.

आइए एक नजर डालते हैं ऐसी छूटों व बंदिशों पर:

बलात्कार पीडि़ता को गर्भपात की छूट: 35 साल की हालो बी को 21 नवंबर, 2012 को उस्मान नाम के एक शख्स की हत्या के जुर्म में गिरफ्तार किया गया. कथित तौर पर हालो बी को वेश्यावृति के लिए उस के पति आमिन ने उस्मान को बेच दिया था, जहां उस के साथ बारबार बलात्कार किया गया.

दिसंबर, 2012 में मैडिकल टैस्ट में यह साबित हो गया कि उसे करीब 6 सप्ताह का गर्भ है. और यह उन बलात्कारों की ही परिणति थी. वह इस गर्भ से छुटकारा पाना चाहती थी, मगर जेल प्रबंधन ने इस की सुविधा नहीं दी. नतीजतन परेशान हो कर हालो बी ने खुदकुशी का प्रयास किया. पर उसे बचा लिया गया. जनवरी, 2013 में उस ने एक पेटिशन फाइल कर कानून से सहायता मांगी.

अंतत: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया. अपने आदेश में उच्च न्यायालय ने भारत के संविधान की धारा 21 का हवाला देते हुए कहा कि किसी महिला को बलात्कारी के बच्चे को जन्म देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह बात उसे गहरा मानसिक आघात पहुंचाती है. एमटीपी (मैडिकल टर्मिनेशन औफ प्रैगनैंसी) के अंतर्गत यह फैसला डाक्टर और उस महिला का होगा जिस के साथ रेप हुआ है. महिला को गर्भपात हेतु मैडिकल सुविधा दी जाए.

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