नारीवादी जेल्डा उन तमाम बंधनों को तोड़ती चली गई जो महिलाओं को अभिव्यक्त करने से रोकते थे. उन की जिंदगी की तरह एफ स्कौट के साथ उन का प्यार खूब चर्चित रहा, जिसे उन्होंने पत्र के माध्यम से व्यक्त भी किया.

अमेरिका जैसे अत्याधुनिक देश में एक समय था जब ‘फ्लैपर’ उन औरतों को कहा जाता था जो खुले छोटे बाल, घुटने तक स्कर्ट, मेकअप करने व जैज सुनने वाली, शराबसिगरेट पीने, सैक्स का जिक्र सामान्य रूप से करने वाली होती थीं. ‘फ्लैपर’ यानी बदचलन या वेश्या. यह एक तरह से उन महिलाओं के लिए स्लैंग था जो उन्मुक्त सोच रखती थीं.

ऐसी ही ‘फ्लैपर’ शब्द से नवाजी गई लेखिका व पेंटर थीं जेल्डा फिट्जगेराल्ड. कंधे तक छोटे बाल, होंठों पर लिपस्टिक, घुटने से ऊपर तक स्कर्ट और तेज चाल की मालकिन. जेल्डा का जन्म साल 1900 में अलबामा के मोंटगोमरी में खातेपीते परिवार में हुआ था पर उन के विचार सोशलिस्ट थे. वे अपने 6 भाईबहनों में सब से छोटी थीं. दिलचस्प यह कि उन का नाम उन की मां ने 1866 में पब्लिश हुई नौवेल ‘जेल्डा : अ टेल औफ द मैसाचुसेट्स कालोनी’ में एक जिप्सी कैरेक्टर ‘जेल्डा’ के नाम पर रखा था.

अपनी जवानी में जेल्डा ने उन सारे टैबू को तोड़ने की कोशिश की जो महिलाओं के लिए ‘सभ्य’ के टैग से बंधे हुए थे. जेल्डा की जिंदगी में बदलाव आया जब 1918 में उन का एफ स्कौट फिट्जगेराल्ड से मिलना हुआ. स्कौट भावी उपन्यासकार थे और आगे जा कर वे प्रेम में मिली निराशा से फेमस उपन्यास ‘दिस साइड औफ पैराडाइज’ लिखने जा रहे थे. इस के अलावा उन के हिस्से दुनिया की सफलतम जेज ऐज का उपन्यास ‘द ग्रेट गेट्स बी’ भी आने वाला था. ये उपन्यास जेल्डा के जीवन से इंस्पायर्ड कहे जाते हैं.

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