आयरलैंड ने जनमत संग्रह करा कर कैथोलिक कट्टर धार्मिक कानून, जिस के अनुसार गर्भपात कराना पाप है, बदल डाला है. दरअसल, 6 साल पहले सविता हलप्पनवार को अस्पताल में गर्भ के दौरान दाखिल होना पड़ा था और डाक्टरों की राय थी कि केवल गर्भपात के सहारे ही सविता की जान बचाई जा सकती है, पर कानून के कारण उन के हाथ बंधे थे. अदालत ने भी हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और कर्नाटक निवासी सविता की धर्म की गला घोट नीति के कारण मौत हो गई. गनीमत है कि उस के बाद वहां मुहिम शुरू हो गई कि कानून बदला जाए और अब जनमत करा कर जनता की राय ली गई. कैथोलिक कट्टरवादियों के विरोध के बावजूद आयरलैंड की जनता ने सविता को सच्ची श्रद्धांजलि दी.

सरकार, समाज और धर्म लोगों के निजी फैसलों में आज भी निरर्थक दखलंदाजी ज्यादा कर रहे हैं. गर्भपात वैसा ही निजी फैसला है जैसा सैक्स करना. विवाह के बाद या बिना विवाह सैक्स संबंध भी पहले धर्म की वजह से कानूनी दायरे में आते थे पर धीरेधीरे स्वतंत्रता के रक्षकों ने उन्हें व्यक्ति की अपनी इच्छा मान लिया है. कोई रात के 4 बजे सोता है या 8 बजे इस पर किसी का नियंत्रण नहीं हो सकता. उस की जो जिम्मेदारियां दूसरों के प्रति हैं, वे अगर पूरी हो रही हैं तो इस पर न किसी को आपत्ति होती है न होनी चाहिए. कुछ आश्रमों व होस्टलों

में इस पर भी आपत्ति होती है, क्योंकि वे अनुशासन के नाम पर असल में व्यक्ति को विवेकशून्य बनाने की कोशिश करते हैं. नाइट आउट का सिद्धांत इसी पर है. यह कहना कि सोने का समय नियत करना जरूरी है ताकि आप स्वस्थ रहें गलत है, क्योंकि यह निर्णय व्यक्ति का अपना है. गर्भपात का निर्णय भी इसी तरह गर्भवती व डाक्टर के बीच का है. इस में कितने सप्ताह बीत गए हैं जैसा कानून भी गलत है जो भारत में आज भी चल रहा है और विशेष अनुमति लेने के लिए सीधे सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटाने पड़ते हैं. इन के पीछे मूल भावना वही है जो आयरलैंड के चर्च ने सरकार के सहारे जनता पर थोप रखी थी कि व्यक्ति नहीं जानता कि उस के हित में क्या है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...