सासबहू के रिश्ते को ले कर अकसर कई तरह की धारणाएं बनाई जाती हैं. इन में से एक धारणा यह है कि बड़ी उम्र की लड़कियां (Aged Girls) ससुराल में ऐडजस्ट नहीं कर पाती हैं और इसलिए सास हमेशा छोटी उम्र की लड़कियों को बहू बनाना ज्यादा पसंद करती हैं, क्योंकि उसे वह अपने तरीके से ढाल सकती है. लेकिन क्या आप ने कभी सोचा है कि बड़ी उम्र की बहू सास के लिए बेहतर और सही विकल्प क्यों हो सकती है? और उम्र कोई भी हो, बहू बनने का मतलब केवल जिम्मेदारी उठाना नहीं, बल्कि परिवार को समझना, प्यार देना और एकजुट रह कर जीवन जीना होता है?
इसलिए अब समय आ गया है कि हम महिलाओं की भूमिका को उम्र के पैमाने से बाहर निकाल कर देखें और स्वीकार करें.
सोशल मैच्योरिटी और समझदारी
बड़ी उम्र की लड़कियां अधिक मैच्योर होती हैं और जीवन के कई अनुभवों से गुजर चुकी होती हैं. ऐसे में वे सास की मैनेजमेंट ट्रिक्स को जल्दी सीख सकती हैं और उन के साथ मिल कर घर के मामलों को बेहतर तरीके से समझ सकती हैं.
उम्र में बड़ी होने से बहू परिवार के सभी सदस्यों के साथ अच्छे रिश्ते बना सकती है, साथ ही सास के विचारों और आदतों को भी बेहतर समझ सकती है. उस की मैच्योरटी सास के साथ रिश्तों को ज्यादा अच्छे से बना सकती है.
निर्णय लेने की क्षमता
बड़ी उम्र की लड़की अकसर अपने जीवन में कई महत्त्वपूर्ण निर्णय पहले ही ले चुकी होती है. यह अनुभव उसे घर के मामलों में भी मजबूत बनाता है. सास को अकसर यह भरोसा हो सकता है कि बहू किसी भी मुश्किल स्थिति में ठंडे दिमाग से सही निर्णय लेगी. इस कारण सास को यह विश्वास होता है कि बहू किसी भी संकट का सामना समझदारी से करेगी.
मानसिक स्वतंत्रता और विश्वास
बड़ी उम्र की बहू पहले से ही मानसिक रूप से स्वतंत्र होती है और उसे अपने फैसलों में किसी का हस्तक्षेप पसंद नहीं आता. ऐसे में सास के लिए यह अवसर होता है कि वह अपनी बहू पर ज्यादा दबाव न डाले और उसे अपने तरीके से जीवन जीने का मौका दे. इस मानसिक स्वतंत्रता से दोनों के बीच का रिश्ता और भी मजबूत हो सकता है.
घर की जिम्मेदारी और देखभाल
बड़ी उम्र की बहू को घर की जिम्मेदारियों का अनुभव होता है. उसे घर के कामों को अच्छे से संभालने का तरीका पता होता है. साथ ही, अगर सास को कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या होती है, तो बड़ी उम्र की बहू उन से अधिक स्नेह और समझदारी से निबट सकती है. सास को यह लगता है कि बहू घर की सभी जिम्मेदारियों को समझते हुए उस का अच्छे से खयाल रखेगी.
सास और बहू के बीच सम्मान का रिश्ता
बड़ी उम्र की बहू सास को अपनी मां के समान समझ सकती है और इस रिश्ते में आमतौर पर सम्मान और समझदारी बनी रहती है. छोटी उम्र की बहू के मुकाबले एक बड़ी उम्र की बहू अकसर सास के प्रति ज्यादा सम्मान दिखाती है और परिवार की परंपराओं को आदर देती है. यह सामंजस्यपूर्ण रिश्ते को बढ़ावा देता है.
भावनात्मक स्थिरता
बड़ी उम्र की बहू मानसिक रूप से अधिक स्थिर होती है, क्योंकि उस ने पहले ही जीवन के उतारचढ़ाव को झेला होता है. इस कारण वह सास के साथ रिश्ते में उतारचढ़ाव से बचने में सक्षम होती है. ऐसे में, रिश्ते में कोई भी तनाव उत्पन्न होने पर वह उसे सुलझाने के बजाय संघर्ष को बढ़ाने की बजाय समझदारी से सुलझाती है.
समझदारी से नजरिया
बड़ी उम्र की बहू न केवल अपनी सास से, बल्कि घर के बाकी सदस्यों से भी अच्छे रिश्ते बनाए रख सकती है. वह किसी भी स्थिति में समझदारी से काम ले सकती है और हर किसी की भावनाओं का सम्मान करती है. इस के कारण सास को लगता है कि बहू परिवार के सभी मुद्दों को समझ कर हल करती है, जिस से परिवार का माहौल संतुलित रहता है.
उम्र का रिश्तों पर असर
सामाजिक मान्यताओं के अनुसार, उम्र का रिश्तों पर प्रभाव होता है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि यह हमेशा नकारात्मक हो. बड़ी उम्र की लड़कियां जब बहू बनती है, तो उस की अलग सोच और परिपक्वता रिश्तों को और मजबूत बना सकती है. साथ ही, वह अपनी सास या पति के परिवार से भी अच्छे संबंध स्थापित कर सकती है, क्योंकि उस की मानसिकता परिपक्व और व्यावहारिक होती है.