तनाव शराब का कारण या शराब तनाव का कारण है यह तय करना कठिन है, पर जिस तरह तनाव और शराब की वजह से राहुल माटा ने दिल्ली में अपने पिता का गला काट दिया और पड़ोसी के घर में आग लगा दी, इस से साफ है कि शराब को कितना ही आधुनिकता का नाम दे दिया जाए, लेकिन यह एक मादक पेय है जो कब होशोहवाश ले बैठे पता नहीं. शराब को सोसायटी की जान मानने वाले भूल जाते हैं कि सोसायटी को जिंदा रखना पहला फर्ज है और खुद को भुला देने का तरीका पालना उस फर्ज को कम नहीं करता.

राहुल माटा एक आप्रवासी भारतीय का बेटा है और मर्चेंट नेवी में नौकरी करता था पर उसे किसी महिला के साथ शराब पी कर बदसलूकी के कारण नौकरी से निकाल दिया गया था. अब वह दिल्ली में पिता के पैसे से खरीदे फ्लैट में रहता था, पर अकसर वह शराब व दूसरे खर्चों के लिए मां से पैसे मांगता था. पिता ने दिल्ली आ कर बेटे को जायदाद से बेदखल करने का एक विज्ञापन भी दे दिया था.

गुस्से में राहुल ने पिता को ही मारने की योजना बना डाली और पिता को सोसायटी फ्लैट में मारने के बाद भागा तो एक पड़ोसी के फ्लैट में जा छिपा, जहां रसोई गैस का सिलैंडर खोल कर उस ने आग लगा डाली. फ्लैट राख हो गया.

इस मामले में शराब ने पढ़ेलिखे के हाथों जान ली और ज्यादातर शराब के कारण होने वाली हत्याओं में यही होता है कि सोसायटी के नाम पर पीने वाले कभीकभार बहक जाते हैं और या तो अनर्गल बोल जाते हैं या फिर अपराध कर डालते हैं. दोनों में ही उन को खुद भी कष्ट भोगने पड़ते हैं, दूसरों को भी.

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