नेताजी के झांसों में हम पहले आ जाते थे. उन के खोखले वादों को सच सम झ लेते थे. पर आजकल सभी कहते हैं कि आज के वोटर बहुत सम झदार हो गए हैं. तभी शायद वे ज्यादातर करोड़पति उम्मीदवारों को ही जिताते हैं. रिसर्च के अनुसार आप का 50 मिलियन या उस से ज्यादा का मूल्य है तो आप के 75 गुना चांसेज और बढ़ जाते हैं कि आप लोक सभा के चुनाव जीतें. विश्वास नहीं होता तो आंकड़े पढ़ लीजिए- 2009 में लोक सभा में जहां 300 करोड़पति थे, वहीं 2014 लोक सभा में बढ़ कर 442 हो गए हैं.
बात भी ठीक है, जो बंदा करोड़ों में खेल रहा हो उसी का दिमाग औडी की रफ्तार पर चलता है. आखिर उसी को ही तो सोचना है कि अपनी ब्लैक मनी को कैसे इनकम टैक्स वालों से बचाया जाए? बैंक के अकाउंट की ऐंट्रीज को कैसे आगेपीछे किया जाए और कैसे उस की कमाई के पीछे लगातार जीरो की संख्या बढ़ती रहे? एक आम आदमी का दिमाग क्या खाक चलेगा, जो सारा दिन नौकरी कर के शाम को आलू खरीद कर सब्जी बना कर खुश हो जाता हो और चैन की नींद सो जाता हो. उस की तो सब से बड़ी खुशी तब होती है जब 100-200 रुपए गैस सिलैंडर की सब्सिडी उस के अकाउंट में आ जाती है.
स्कैम तो दिल बहलाने के तरीके हैं
किसी भी राज्य की आर्थिक स्थिति इस बात से जज होती है कि उस के नुमाइंदे अमीर हो रहे हैं कि गरीब. अगर ज्यादा करोड़पति जीतने वाली पार्टी में हों तो फिर सोचो कि बहती गंगा में सभी ने हाथ धो लिए.
ऐसे लीडर्स को बिजनैस स्कूलों का रोल मौडल ले कर चलना चाहिए, जो 5 साल रूल कर के अपनी पूंजी दोगुना या तिगुना कर लेते हैं. नेता तो नेता बीजेपी की छत्रछाया में योग गुरु बाबा रामदेव भी एक नामी बिजनैसमैन हो गए, क्योंकि उन के बिजनैस का टर्नओवर करोड़ों के मुनाफे में गया.
लोगों की सेवा करतेकरते बेचारे हमारे लीडर्स थक कर एकाध स्कैम में हिस्सा ले ही लेते हैं. आखिर 5 सालों में कुछ अपना भी बेड़ा पार कर लें तो इस में क्या हरज है. स्कैम तो दिल बहलाने के तरीके हैं इन के. आज तक हम ने किसी भी लीडर को किसी भी स्कैम का आरोपी घोषित होने के बावजूद यह कभी नहीं सुना कि बेचारा तबाह हो गया या बेचारे को बड़ा सदमा लगा. किसी भी लीडर का कैसा भी घोटाला कर के राजनीतिक कैरियर खत्म नहीं हुआ होगा.
सिर्फ सपने ही दिखाएंगे
सोचने वाली बात यह है कि अगर हमारे लीडरों की जेबें भरी रहेंगी तभी तो वे अपने घर अपने चमचों का लंगर जारी रख सकेंगे. और पेट भरे होंगे, तभी तो अपने लीडर के जिंदाबाद के नारे लगेंगे. खाली पेट तो मुंह से सिर्फ यही निकल सकता है, ‘हाय रोटी, हाय रोटी, हाय रोटी.’
जो चाहे कहिए हम सभी को सफेद स्टार्च वाले कुरतापायजामे में 100-200 समर्थकों के साथ बड़ी गाड़ी से उतरते हुए, उंगलियों में बेशकीमती अंगूठियां पहने हुए और हाथ में महंगे स्मार्ट फोन पकड़े हुए नेता ही अच्छे लगते हैं. तभी वे जब आप की तरफ रुख करते हैं तो आप विनम्रता से हाथ जोड़ कर, पीठ झुका कर उन्हें सलाम करते हैं. ऐसे स्मार्ट लीडर्स से आप को आस होती है कि ये कुछ करेंगे. यही अब आप को और देश को बचाएंगे. अगर वह चाय वाले से पीएम बन सकता है तो आप भी जिंदगी के रास्ते पर आगे जा सकते हैं. दूसरी तरफ जो साइकिल पर ांडा टांग कर अपना प्रचार खुद ही कर रहा हो वह किसी और का क्या खयाल रख पाएगा? जब उस का अपना गुजारा ही मुश्किल से हो पा रहा है तो वह आप को क्या सपने दिखाएगा?
वोट सिर्फ अमीरी को ही
अत: जिस देश में इनसानियत, काबिलीयत, ईमानदारी, देश सेवा से ज्यादा पैसे का बोलबाला हो, तो वोटर बेचारा भी तो हमेशा अमीरी को ही वोट देगा.
एक चुनाव के उम्मीदवार ने अपने सीए से कहा कि उस की जायदाद और पूंजी को 10 करोड़ घोषित कर दे. सीए ने परेशान होते हुए कहा, ‘‘सर, पर आप के पास तो 10 लाख भी नहीं हैं.’’ इस पर उम्मीदवार बोला, ‘‘मैं ऐडवांस में ही सच बोल रहा हूं. अगर मैं जीत गया तो 10 करोड़ तो बना ही लूंगा.’’